10वीं हिंदी सब्जेक्टिव प्रश्न 2025 PDF
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2025
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Summary
यह दस्तावेज़ 2025 में होने वाली 10वीं कक्षा की हिंदी विषयक परीक्षा के लिए प्रश्न प्रदान करता है। इसमें कई प्रश्न शामिल हैं जो छात्रों को परीक्षा की तैयारी में मदद कर सकते हैं। इसमें भाषा और साहित्य से संबन्धित प्रश्न शामिल हैं।
Full Transcript
RK EXPERT CLASSES https://youtube.com/@rk-expert-classes?si=NUa5C2afqCGyJYyV 17 february 10th Hindi Subjectives Question 2025 1. मै क्समू लर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों? उत्तर—मै क्समू लर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन मु म्बई, कोलकाता, चे न्नई जै से शहरों में...
RK EXPERT CLASSES https://youtube.com/@rk-expert-classes?si=NUa5C2afqCGyJYyV 17 february 10th Hindi Subjectives Question 2025 1. मै क्समू लर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों? उत्तर—मै क्समू लर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन मु म्बई, कोलकाता, चे न्नई जै से शहरों में नहीं, भारत के गाँवों में हो सकते हैं, क्योंकि इसकी सर्वाधिक आबादी गाँवों में बसती है। वहीं हार्दिक स ं पन्नता और आर्थिक विपन्नता है। धर्म और इतिहास के अवशे ष वहीं सु रक्षित हैं। 2. धर्म की दृष्टि से भारत का क्या महत्व है? 'भारत से हम क्या सीखें' पाठ के आधार पर बतायें । उत्तर-धर्म की दृष्टि से भारत अत्यन्त महत्त्वपू र्ण है। इसलिए कि धर्म के उद्भव और उसके नष्ट होने वाले रूप का यहाँ प्रत्यक्ष ज्ञान यहाँ होता है। यह वै दिक धर्म, बौद्ध धर्म तथा जै न धर्म की जन्मभू मि है तो इस्लाम और ईसाई धर्म की शरणस्थली भी है। यहाँ विभिन्न धर्मावलम्बी सदियों से हिलमिल कर रहते हैं। मत-मतान्तर यहाँ प्रकट और विकसित होते हैं। RK EXPERT CLASSES 3. अम्बे डकर किस विडम्बना की बात करते हैं? विडम्बना का स्वरूप क्या है? उत्तर- अंबे डकर जाति प्रथा को विडम्बना मानते हैं। यह मजाक का विषय इसलिए है कि शिक्षा और सभ्यता के विकास के बावजू द भी इस प्रथा के पोषक बड़ी स ं ख्या में हैं। इसका स्वरूप जाति विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन का भी है। 4. काशू और मदन के बीच झगड़े का क्या कारण था? उत्तर—काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण काशू की लट्टू खे लने की ललक और मदन द्वारा उसे खे लाने से इनकार करना था। ले खक इसके द्वारा बच्चों की ईर्ष्या और इनकार दिखाना चाहता है। 5. मनु ष्य बार-बार नाखू नों को क्यों काटता है? उत्तर- मनु ष्य नहीं चाहता कि बर्बर यु ग की कोई निशानी उसमें रहे । इसलिए, बार-बार नाखू नों को काटता है। 6. परम्परा ज्ञान किनके लिए आवश्यक है और क्यों? उत्तर- जो लोग साहित्य में यु ग परिवर्तन चाहते हैं, जो लकीर के फकीर नहीं हैं और जो रूढ़ियाँ तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य की रचना करना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान जरूरी है। ऐसा इसलिए कि साहित्य की परम्परा के ज्ञान से ही प्रगतिवादी दृष्टिकोण विकसित होता है और परिवर्तन-मू लक साहित्य का जन्म होता है। RK EXPERT CLASSES 7. डु मराँव की महत्ता किस कारण से है? उत्तर- डु मराँव की महत्ता दो कारणों से है। पहली तो यह कि इसके आस-पास की नदियों के कछारों में 'रीड'-'नरकट' नामक एक प्रकार की - घास पाई जाती है जिसका प्रयोग शहनाई बजाने में किया जाता है। दूसरा कारण यह है कि शहनाई के शाहंशाह बिस्मिल्ला खाँ का यह पै तृक निवास है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसै न यहीं के थे और इनके खानदान के लोग शहनाई बजाते थे । 8. घनानन्द के अनु सार परहित के लिए दे ह धारण कौन करता है? उत्तर- परहित के लिए (दूसरों की भलाई के लिए) बादल दे ह धारण करता है। बादल जल का भ ं डार होता है और वह बनता ही है बरसने के लिए। बरसने के बाद उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है। बादल सू खी धरती पर बरसकर उसे हरा-भरा बना दे ता है। गर्मी से तप्त धरती को सु कून दे ने के लिए बादल अपने अस्तित्व को समाप्त कर ले ता है। 9. भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है? उत्तर - प्रवासी वह होता है, जो परदे श में जाकर बसता है। वहाँ उसे बहुत-से अधिकार नहीं होते जो वहाँ के मू ल निवासियों के होते हैं। वहाँ उसे मू ल निवासियों की भाँति आमतौर से , मान-सम्मान भी प्राप्त नहीं होता । परतंत्र - काल में यहाँ के लोगों के अधिकार भी छीन गए, विदे शी शासकों के आगे मान-सम्मान भी जाता रहा। परदे शी अधिक प्रभावशाली बन गए। इस प्रकार, भारतमाता अपने दे श में ही प्रवासिनी हो गई। 10. भारतमाता का ह्रास भी राहुग्रसित क्यों दिखाई पड़ता है? उत्तर—कहते हैं राहु जै से दुष्ट ग्रह की छाया जब चन्द्रमा पर पड़ती है तो ग्रहण होता है अर्थात् चन्द्रमा की प्रसन्नता, ह ँ सी-खु शी, कांति कम हो जाती है। चू ँ कि भारतमाता पराधीन है, विदे शियों की काली छाया इस पर पड़ रही है, अतएव इसकी ह ँ सी पर भी ग्रहण लगा है। इसी कारण, इसका ह्रास भी राहुग्रसित दिखाई दे ता है। 11. कवि प्रे मघन को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती? उत्तर— कवि प्रे मघन जब भारतभू मि पर दृष्टिपात करते हैं तो पाते हैं कि चारों ओर लोग अंग्रे जी वे श-भू षा में हैं, रहन-सहन, रीति-रिवाज भी लोगों का विदे शियों जै सा हो गया है, घर-द्वार भी लोग विदे शी-शै ली के बनाने लगे हैं। लोगों को हिन्दी बोलने में शर्म और अंग्रे जी में स ं भाषण करने पर गर्व का बोध होता है। लोग हिन्दुस्तानी नाम से घृणा करते हैं। इस प्रकार, कवि को भारत में कहीं भारतीयता दिखाई नहीं पड़ती। 12. "दे वता मिलें गे खे तों में खलिहानों में " पंक्ति के माध्यम से कवि किस दे वता की बात करता है और क्यों? उत्तर - कवि दिनकर के अनु सार जनतंत्र में प्रजा ही, जनता ही, सब-कुछ होती है। वह राजा होती है। उसी के नाम पर, उसी के हित के लिए, उसके द्वारा अधिकार - प्रदत्त लोग शासन करते हैं। इस प्रकार, प्रजा ही राजा है, जनतंत्र का दे वता है। और चू ँ कि प्रजा किसान और मजदूर है, अतः कवि कहता है कि जनतंत्र के दे वता राजप्रासादों, म ं दिरों में नहीं मिलें गे। ये मिलें गे खे तों में , खलिहानों में , सड़कों पर । 13. हिरोशिमा में मनु ष्य की साखी के रूप में क्या है? उत्तर—' हिरोशिमा' में मानव-निर्मित अणु बम के चलते भीषण नर-स ं हार हुआ। बहुत-से लोग तो वाष्प बन गए। उनका अता-पता ही नहीं चला। हाँ, जो लोग नहीं रहे , उत्ताप में स्वाहा हो गए, उनमें से कुछ की छायाए ँ झु लसे पत्थरों, दीवारों और सड़कों पर उनकी साखी के रूप में या कहिए कि की स ं हारक प्रवृत्ति की साखी के रूप में मौजू द हैं। 14. बे टे के आँ सू कब आते हैं और क्यों? या सृष्टि-विकास की कथा क्या है? अथवा, कवियित्री के अनु सार बे टे को आँ सू कब आता है और क्यों? उत्तर—बे टा अक्षर ज्ञान की सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ, धीरे -धीरे जब 'ङ' लिखना चाहता है तो परे शानी में पड़ जाता है। 'ड' की टे ढ़ी-मे ढ़ी बनावट उससे सधती नहीं। ‘ड' को माँ और बिन्दु (.) को उसकी गोद में बै ठा मान ले ने पर भी वह लिखने में सफल नहीं होता। वह अनवरत कोशिश करता है किन्तु कामयाब नहीं होता और उसकी आँ खों से आँ सू निकल आते हैं। किन्तु उसकी असफलता के आँ सू उसमें हताशा नहीं, उत्साह पै दा करते हैं और यह उत्साह ही सृष्टि-विकास की कथा है। 15. 'हमारी नींद' कविता में कवि किन का और क्यों जिक्र करता है? उत्तर—कवि ने अपनी काव्य-रचना 'हमारी नींद' में अने क अत्याचारियों का उल्ले ख किया है। उसकी दृष्टि में वे भी अत्याचारी हैं जो जीवन की, यों ही, अने क समस्याओं को जन्म दे ते हैं। इनके बाद कवि उन लोगों को अत्याचारी कहता है, जो तरह-तरह के उन्माद में दंगे करते -कराते हैं। इतना ही नहीं, अपने विरोधी के घर-द्वार को आग के हवाले करते हैं। फिर कवि कहता है कि सत्ता या साम्राज्य विस्तार के लिए नाना प्रकार के बमों का इस्ते माल कर लोगों का सर्वनाश करने वाले भी अत्याचारी ही हैं। इनके अलावा कवि उन लोगों को भी अत्याचारियों में शु मार करता है जो अंध-विश्वासों को जन्म दे ते और गरीबों की धार्मिक भावनाओं का शोषण करते हैं। 16. रंगप्पा कौन था और म ं गम्मा से क्या चाहता था? उत्तर- रंगप्पा म ं गम्मा के गाँव का जु आड़ी था और म ं गम्मा से रुपये चाहता था 17. पाप्पाति कौन थी और वह शहर क्यों लाई गई थी? उत्तर—पाप्पाति तमिलनाडु के एक गाँव की महिला वल्लि अम्माल की बे टी थी। उसे बु खार आ गया। जब वल्लि अम्माल उसे ले कर गाँव के प्राइमरी हे ल्थ सें टर में दिखाने गई तो वहाँ के डॉक्टर ने अगले दिन सु बह ही जाकर नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने को कहा। बस, पाप्पाति को ले कर सु बह की बस से नगर के बड़े अस्पताल में दिखाने पहु ँ च गई। 18. कवि को वृक्ष बू ढ़ा चौकीदार क्यों लगता था? उत्तर—मजबू त कद-काठी का चौकीदार हर वक्त दरवाजे पर, पगड़ी बाँधे , फटा-पु राना जू ता, अपनी पु रानी खाकी वर्दी पहने और अपने क ं धे पर राइफल लिए, चौकस खड़ा रहता और हर आने वाले से उसकी पहचान पू छता है। 19. म ं गम्मा की बहू ने विवाद निपटाने में पहल क्यों की? अथवा, बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया? उत्तर-बहू को जब पता चला कि रंगप्पा उसकी सास म ं गम्मा के पीछे पड़ गया है तो उसके कान खड़े हो गए। कहीं सास के रुपये -पै से रंगप्पा न ले , इस आश ं का से वह बे चैन हो गई। तब उसने योजना बनाई और अपने बे टे से कहा कि जा दादी के पास, तु झे मिठाई दे ती है न? अगर मे रे पास आया तो पीयू ँ गी। बस, बच्चा म ं गम्मा के पास आकर रहने लगा। म ं गम्मा भी उसे चाहती ही थी। एक दिन पोता जिद कर बै ठा कि मैं भी बें गलू र चलू ँ गा। म ं गम्मा क्या करे ? माथे पर टोकरा, बगल में बच्चा! मु सीबत हो गई। तब बे टे और बहू ने आकर कहा कि उस दिन गलती हो गई। यू ँ कैसे चले गा? म ं गम्मा अब खु शी-खु शी बे टे-बहू के साथ रहने लगी। धीरे -धीरे बहू ने शहर में दही बे चने का धंधा भी अपने हाथ में ले लिया। उसकी म ं शा पू री हो गई। 20. रंगप्पा कौन था और वह म ं गम्मा से क्या चाहता था? उत्तर-रंगप्पा म ं गम्मा के गाँव का आदमी था— बड़ी शौकीन तबीयत का। कभी-कभार जू आ-उआ भी खे लता था। जब उसे पता चला कि म ं गम्मा बे टे से अलग रहने लगी है तो म ं गम्मा के पीछे पड़ गया। एक दिन उससे हाल-चाल पू छा और बोला कि मु झे रुपयों की जरूरत है। दे दो, लौटा दू ँ गा। म ं गम्मा ने जब कहा कि पै से कहाँ हैं तो बोला कि पै से यहाँ-वहाँ गाड़कर रखने से क्या फायदा? दूसरे दिन रंगप्पा ने अमराई के पीछे रोक कर बाँह पकड़ ली और कहा-'जरा बै ठो म ं गम्मा, जल्दी क्या है?' दरअसल, रंगप्पा लालची और लम्पट दोनों ही था। 21.बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था उत्तर:-एक बार बहादुर ने अपनी माँ की प्यारी भैं स को बहुत मारा। माँ ने भैं स की मार का काल्पनिक अनु मान करके एक डंडे से उसकी दुगु नी पिटाई की। लड़के का मन माँ से फट गया और वह चु पके से 2 रुपया लिया और घर से भाग गया। 22. बिरजू महाराज के गु रु कौन थे ? उनका स ं क्षिप्त परिचयदें । उत्तरः-बिरजू महाराज के गु रु उनके बाबू जी थे । वे अच्छे स्वभाव के थे । वे अपने दुःख को व्यक्त नहीं करते थे । जब उन्हें कला से बे हद प्रे म बिरजू महाराज साढ़े नौ साल के थे , उसी समय बाबू जी की मृत्यु हो गई। महाराज को तालीम बाबू जी ने ही दिया 23.. जातिप्रथा भारत के बे रोजगारी का एक प्रमु ख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई हैं? उत्तर:- जाति प्रथा भारत में बे रोजगारी का एक प्रमु ख और प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है क्योंकि यह पे शा परिवर्तन की प्रतिबंधित करती है। 24. जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कहीं जा सकती ? उत्तर:-जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप में नही कही जा सकती, क्योंकि यह मनु ष्य की रूचि और क्षमता पर आधारित नहीं है। 25.खोखा किन मामलों में अपवाद था ? उत्तरः-से न साहब का बे टा काशु (खोखा) घर में बनाए गए नियम के मामलों में अपवाद था। वह हमे शा अपने मन के अनु सार ही कार्य करता था पर लड़कियों को ऐसी आजादी नहीं थी। 26. विष के दाँत कहानी का नायक कौन है तर्क पू र्ण उत्तर दें । उत्तर:- इस कहानी का नायक मदन है क्योंकि वह महल वाले से न साहब से बिना डरे उसके ड्राइवर से लड़ जाता है और उसके बे टे भी तोड़ दे ता है। 27.कवि अपने आँ सु ओं को कहाँ पहु ँ चाना चाहता है और क्यों उत्तरः- कवि अपनी प्रे मिका सु जान के लिए विरह-वे दना को प्रकट करते हुए बादल से अपने प्रे म रूपी आँ सु ओं को पहुंचाने के लिए कहता है। वह अपने आँ सु ओं को सु जान के आँ गन में पहु ँ चाना चाहता। है, क्योंकि वह उसकी याद में पीड़ित है और अपनी व्यथा के आँ सु ओं से प्रे मिका को भिगो दे ना चाहता है। 28.छायाए ँ दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती है है ? स्पष्ट करें । उत्तरः-सू र्य के उगने से जो भी छाया का निर्माण होता है वे सभी निश्चित दिशा में ले किन बम-विस्फोट से निकले हुए प्रकाश से जो छायाए ँ बनती हैं वे दिशाहीन होती हैं। क्योंकि, आण्विक शक्ति से निकले हुए प्रकाश सम्पू र्ण दिशाओं में पड़ता है। उसका कोई निश्चित दिशा नहीं है। बम के प्रहार से मरने वालों की क्षत-विक्षत लाशें विभिन्न दिशाओं में जहाँ-तहाँ पड़ी हुई हैं। ये लाशें छाया-स्वरूप हैं, परन्तु चारों ओर फैली होने के कारण दिशाहीन छाया कही गयी है। 29.कवि को वृक्ष बू ढ़ा चौकीदार क्यों लगता था ? उत्तरः- कवि एक वृक्ष के बहाने प्राचीन सभ्यता, स ं स्कति एवं पर्यावरण की रक्षा की चर्चा की है। वृक्ष मनु ष्यता, पर्यावरण एवं सभ्यता की प्रहरी है। यह प्राचीनकाल से मानव के लिए वरदानस्वरूप है, इसका पोषक है, रक्षक है। इन्हीं बातों का चिंतन करते हुए कवि को वृक्ष बू ढ़ा चौकीदार लगता था