हिंदी (ऐच्छिक) Past Paper 2024-25 - कक्षा बारहवीं PDF
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2024
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यह हिंदी (ऐच्छिक) का प्रतिदर्श प्रश्न पत्र 2024-25 है। यह कक्षा बारहवीं के छात्रों के लिए है और इसमें परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल हैं। इस past paper में प्रश्नों को हल करके अपनी परीक्षा की तैयारी करें।
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प्रतिदर्श प्रश्न पत्र 2024-25 त िंदी (ऐच्छिक) कोड सिंख्या (002) कक्षा – बार वी िं तिर्ाशररि समय : 03 घिंटे...
प्रतिदर्श प्रश्न पत्र 2024-25 त िंदी (ऐच्छिक) कोड सिंख्या (002) कक्षा – बार वी िं तिर्ाशररि समय : 03 घिंटे पूर्ाांक : 80 अिंक सामान्य तिदे र् – इस प्रश्न-पत्र में तीन खंड हैं - खिंड- क, ख और ग । दिए गए दनिे शनं का पालन करते हुए प्रश्ननं के उत्तर िीदिए। तीननं खंडनं के कुल 13 प्रश्न हैं । तीननं खंडनं के प्रश्ननं के उत्तर िे ना अदनवार्य है । र्थासंभव तीननं खंडनं के प्रश्ननं के उत्तर क्रम से दलखखए। प्रश्न खिंड – क (अपतिि बोर्) अिंक 1. दनम्नदलखखत गद्ां श कन ध्यानपूवयक पढ़कर पूछे गए प्रश्ननं के उत्तर दलखखए 10 आिमी के और सारे गुण उसके दहम्मती हनने से ही पै िा हनते हैं ।द ंिगी की िन सूरतें हैं । एक तन र्ह दक आिमी बडे -से -बडे मकसि के दलए कनदशश करे , िगमगाती हुई िीत पर पंिा डालने के दलए हाथ बढ़ाए और अगर असफलताएँ किम-किम पर िनश की रनशनी के साथ अँदिर्ाली का िाल बुन रही हनं, तब भी र्ह पाँ व पीछे न हटाए। िू सरी सूरत र्ह है दक उन गरीब आत्माओं का हमिनली बन िाए िन न तन बहुत अदिक सुख पाती हैं और न दिन्हें बहुत अदिक िु ख पाने का ही संर्नग है , क्नंदक वे आत्माएँ ऐसी गनिूदल में बसती हैं , िहाँ न तन िीत हँ सती है और न कभी हार के रनने की आवा सुनाई पडती है । इस गनिूदल वाली िु दनर्ा के लनग बँिे हुए घाट का पानी पीते हैं , वे द ंिगी के साथ िुआ नहीं खेल सकते। साहस की द ंिगी सबसे बडी द ंिगी हनती है । ऐसी द ंिगी की सबसे बडी पहचान र्ह है दक र्ह दबलकुल दनडर, दबलकुल बेखौफ हनती है । साहसी मनुष्य की पहली पहचान र्ह है दक वह इस बात की दचंता नहीं करता दक तमाशा िे खने वाले लनग उसके बारे में क्ा सनचते हैं । िनमत की उपेक्षा करके िीने वाला आिमी ही िु दनर्ा की असली ताकत हनता है और मनुष्यता कन प्रकाश भी उसी आिमी से दमलता है । अडनस-पडनस कन िे खकर चलना सािारण िीव का काम है । क्रां दत करने वाले लनग अपने उद्दे श्य की तुलना न तन पडनसी के उद्दे श्य से करते हैं और न अपनी चाल कन ही पडनसी की चाल िे खकर मखिम बनाते हैं ।साहसी मनुष्य उन सपननं में भी रस लेता है दिन सपननं का कनई व्यावहाररक अथय नहीं है । साहसी मनुष्य सपने उिार नहीं लेता, वह अपने दवचारनं में रमा हुआ अपनी ही दकताब पढ़ता है । झुंड में चलना और झुंड में चरना, र्ह भैंस और भेड का काम है । दसं ह तन दबलकुल अकेला हनने पर भी मगन रहता है । (दहम्मत और द ंिगी: रामिारी दसंह 'दिनकर') (क) "गनिूदल वाली िु दनर्ा के लनगन से अदभप्रार् ऐसे लनगनं से है िन -……………………। 1 उत्तर िे ने के दलए सवाय दिक उपर्ुक्त दवकल्प का चर्न कीदिए । i. दववशता और अभाव में िीते हैं । ii. िीवन कन िाँ व पर लगा िे ते हैं । iii. फल की कामना नहीं करते हैं । iv. िर्-परािर् के अनुभव से परे हनते हैं । (ख) दनम्नदलखखत कथन (A) तथा कारण (R) कन ध्यानपूवयक पदढ़ए। उसके बाि दिए 1 गए दवकल्प में से कनई एक सही दवकल्प चुनकर दलखखए। कथि - िनमत की उपेक्षा करके िीने वाला आिमी ही िु दनर्ा की असली ताकत हनता है और मनुष्यता कन प्रकाश भी उसी आिमी से दमलता है । कारर् - साहसी व्यखक्त लीक से हटकर अपनी आवश्यकता एवं लक्ष्य के अनुरूप मागय का अनुसरण करता है , इसके माध्यम से वह लनगनं में नई चेतना िगाता है । i. कथन (A) गलत है , दकंतु कारण (R) सही है । ii. कथन (A) और कारण (R) िनननं ही गलत हैं । iii. कथन (A) सही है और कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है । iv. कथन (A) सही है दकंतु कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है । (ग) "साहसी मनुष्य सपने उिार नहीं लेता, वह अपने दवचारनं में रमा हुआ अपनी 1 ही दकताब पढ़ता है ।" इस कथन के माध्यम से लेखक …………………. का संिेश िे ना चाहते हैं । i. सिाचार ii. स्वावलंबन iii. दनलंबन iv. दमथ्याचार (घ) कौन-से लनग बँिे हुए घाट का पानी पीते हैं ? 1 (ङ) ‘आिमी के और सारे गुण उसके दहम्मती हनने से ही पैिा हनते हैं ।‘आशर् स्पष्ट कीदिए। 2 (च) द ंिगी की िनननं खथथदतर्नं में से कौन-सी उदचत है ? कारण सदहत दलखखए । 2 (छ) लेखक द्वारा अकेले चलने वाले की तु लना दसंह से दकए िाने का औदचत्य 2 दसि कीदिए । 2. दनम्नदलखखत कदवता के अंश कन पढ़कर पूछे गए प्रश्ननं के उत्तर दलखखए- 8 बािाएँ आती हैं आएँ दघरें प्रलर् की घनर घटाएँ , पावनं के नीचे अंगारे , दसर पर बरसें र्दि ज्वालाएँ , दनि हाथनं से हँ सते -हँ सते , आग लगाकर िलना हनगा। किम दमलाकर चलना हनगा। उदिर्ारे में, अंिकार में, कल कछार में, बीच िार में, घनर घृणा में,पूत प्यार में, क्षदणक िीत में, िीघय हार में िीवन के शत-शत आकर्यक अरमाननं कन िलना हनगा। किम दमलकर चलना हनगा। सम्मुख फैला अमर ध्येर् पथ प्रगदत दचरं तन कैसा इदत अथ सुखित हदर्यत कैसा श्रम श्लथ असफल, सफल समान मननरथ, सब कुछ िे कर कुछ न माँ गते , पावस बनकर ढलना हनगा। किम दमलाकर चलना हनगा। कुश काँ टनं से सखित िीवन , प्रखर प्यार से वंदचत र्ौवन, नीरवता से मुखररत मिुवन, परदहत हदर्यत अपना तन-मन, (क) ‘दसर पर ज्वालाएँ बरसने ’ से क्ा आशर् है ? 1 i. दसर पर आग बरसाना ii. सामने कदिनाई हनना iii. खतरनं से खेलना iv. सामने आग हनना (ख) सुखित हदर्यत कैसा श्रम श्लथ – पंखक्त में ‘श्लथ’ का क्ा अथय है ? 1 i. बेहनश ii. ऊिाय वान iii. थका हुआ iv. पसीना (ग) ‘किम दमलाकर चलना हनगा’- कदवता के केंद्रीर् भाव कन िशाय ने वाले कथन 1 है /हैं - I. दनरं तर आगे बढ़ने की प्रे रणा II. िीवन के कष्टनं से ना घबराना III. घृणा कन सवोपरर समझना i. केवल (I) ii. केवल (II) iii. (I) और (II) iv. (II) और (III) (घ) कदव ने दकस प्रकार की दवपदत्तर्नं में हँ सते -हँ सते आगे बढ़ने की बात कही है ? 1 (ङ) कदव ने ‘परदहत अदपयत अपना तन-मन’ क्नं कहा है ? अपने दवचार प्रकट कीदिए। 2 (च) कदव ने हमें ‘पावस’ बनने कन क्नं कहा है ? 2 खिंड- ख (अतिव्यच्छि और माध्यम पुस्तक के आर्ार पर ) 3. दनम्नदलखखत प्रश्ननं के उत्तर िीदिए - (क) संपािकीर् लेखन से क्ा तात्पर्य है ? (शब्द सीमा - लगभग 20 शब्द) 1 (ख) रे दडर्न के दलए समाचार कॉपी तैर्ार करते हुए दकन बुदनर्ािी बातनं का ध्यान रखना 2 चादहए? दकन्हीं िन का वणयन कीदिए। (शब्द सीमा - लगभग 40 शब्द) (ग) मीदडर्ा िगत में फ्रीलां सर की भूदमका का उल्लेख कीदिए। (शब्द सीमा - लगभग 40 2 शब्द) 4. दनम्नदलखखत प्रश्ननं में से दकन्हीं िन प्रश्ननं के उत्तर लगभग 60 शब्दनं में िीदिए - 2x3=6 (क) समाचार लेखन की शै ली का दवस्तृत पररचर् िीदिए। 3 (ख) अच्छे फीचर लेखन की दवशेर्ताओं पर प्रकाश डादलए। 3 (ग) बीट ररपनदटिं ग और दवशेर्ीकृत ररपनदटिं ग में अंतर स्पष्ट कीदिए। 3 5. दनम्नदलखखत तीन दवर्र्नं में से दकसी एक दवर्र् पर लगभग 100 शब्दनं में रचनात्मक 5 लेख दलखखए – (क) िैसे ही मैंने निी के शीतल िल कन छु आ (ख) मेरी िीप के सामने अचानक शेर आ गर्ा (ग) िे श के प्रदत मेरा कतयव्य र्ह है.. 6. दनम्नदलखखत में से दकन्हीं िन प्रश्ननं के उत्तर लगभग 60 शब्दनं में दलखखए- 2x3=6 (क) "दवर्नगी हनगा पहला कदव, आह से उपिा हनगा गान।" काव्य पंखक्त के माध्यम से 3 कदवता लेखन के संिभय में उिागर हनने वाले दबंिुओं का उल्लेख कीदिए। (ख) रं गमंच प्रदतरनि का सशक्त माध्यम है । दसि कीदिए। 3 (ग) कहानी के संिभय में दलखखए दक द्वं द्व से क्ा अदभप्रार् है ? वह कहानी का महत्वपूणय 3 तत्व क्नं है ? खिंड- ग ( पाठ्य पुस्तकोिं अिंिरा, अिंिराल के आर्ार पर ) 7. दनम्नदलखखत पदित काव्यां श कन पढ़कर प्रश्ननं के सवाय दिक उपर्ुक्त दवकल्पनं का चर्न 5x1=5 कीदिए– सुनते हैं दमट्टी में रस है दिससे उगती िू ब है अपने मन के मैिाननं पर व्यापी कैसी ऊब है आिे आिे गाने तनडन तनडन तनडन र्े ऊसर बंिर तनडन र्े चरती परती तनडन सब खेत बनाकर छनडन दमट्टी में रस हनगा ही िब वह पनसेगी बीि कन हम इसकन क्ा कर डालें इस अपने मन की खीि कन? गनडन गनडन गनडन (क) तनडन कदवता का कदव मन में व्याप्त ऊब और खीि कन तनडने की बात 1 करता है क्नंदक वह…………. का समथयक है । i. ऊसर ii. दवध्वंस iii. सृिन iv. कुंिन (ख) दनम्नदलखखत कथन-कारण कन ध्यानपूवयक पदढ़ए तथा उत्तर के दलए सही 1 दवकल्प का चर्न कीदिए। कथि- सुनते हैं दमट्टी में रस है , दिसमें उगती िू ब है । कारर्- दमट्टी में उवयरा शखक्त है इसदलए उसमें से िू ब उगती है । i. कथन गलत है , दकंतु कारण सही है । ii. कथन और कारण िनननं गलत हैं । iii. कथन सही है दकंतु कारण कथन की सही व्याख्या नहीं है । iv. कथन और कारण िनननं सही हैं । कारण कथन की सही व्याख्या है । (ग) 'आिे-आिे गाने ' से कदव का तात्पर्य है - 1 i. आिे गीत का गार्न ii. मैिान का अिूरापन iii. कदव का व्यदथत हृिर् iv. अिूरी दक्रर्ात्मक शखक्त (घ) मन की खीि से आशर् है - मन की………………… । 1 i. ईष्याय ii. कडवाहट iii. झुंझलाहट iv. व्यथा (ङ) कदव ने मानव मन की िशा बताई है /हैं – 1 कथि 1- िरती और मानव मन की िशा में समानता है । कथि 2- मानव मन सिै व बुराई से आकदर्यत हनता है । कथि 3- िरती के उपिाऊ तत्व पत्थर कंकड एवं मन के खीि, अनचाहे दवचार हैं । i. केवल कथन 1 ii. कथन 1 और 2 iii. केवल कथन 3 iv. कथन 2 और 3 8. काव्य खंड पर आिाररत दनम्नदलखखत तीन प्रश्ननं में से दकन्हीं िन प्रश्ननं के उत्तर लगभग 2x2=4 40 शब्दनं में दलखखए- (क) 'मैंने िे खा एक बूँि" कदवता के संिभय में क्षण के महत्व कन उिागर करते हुए 2 कदवता का मूल भाव दलखखए। (ख) 'कॉनेदलर्ा का गीत' के आिार पर भारत की सां स्कृदतक दवशेर्ताओं पर दटप्पणी 2 कीदिए। (ग) कदव घनानंि ने दकस प्रकार की पुकार से "कान खनदल है " की बात कही है ? 2 9. दनम्नदलखखत काव्यां शनं में से दकसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीदिए। 6 (क) आिमी िशाश्वमेि पर िाता है और पाता है घाट का आखखरी पत्थर कुछ और मुलार्म हन गर्ा है सीदढ़र्नं पर बैिे बंिरनं की आँ खनं में एक अिीब-सी नमी है और एक अिीब सी चमक से भर उिा है दभखाररर्नं के कटनरनं का दनचाट खालीपन तुमने कभी िे खा है खाली कटनरनं में वसंत का उतरना ! र्ह शहर इसी तरह खुलता है इसी तरह भरता और खाली हनता है र्ह शहर अथवा (ख) सखख हे , दक पुछदस अनुभव मनए। सेह दपररदत अनुराग बखादनअ दतल दतल नूतन हनए।। िनम अबदि हम रूप दनहारल नर्न न दतरदपत भेल ।। सेहन मिुर बनल स्रवनदह सूनल स्रुदत पथ परस न गेल।। कत मिु-िादमदन रभस गमाओदल न बूझल कइसन केदल ।। लाख लाख िुग दहअ दहअ राखल तइओ दहअ िरदन न गेल।। कत दबिगि िन रस अनुमनिए अनुभव काहु न पेख।। दवद्ापदत कह प्रान िुडाइते लाखे न मीलल एक ।। 10. दनम्नदलखखत गद्ां श के आिार पर दिए गए बहुदवकल्पीर् प्रश्ननं के उत्तर के दलए 5x1=5 उपर्ुक्त दवकल्प का चर्न कीदिए - र्ह िन मेरे सामने कुटि का लहराता पौिा खडा है वह नाम और रूप िनननं में अपनी अपरािेर् िीवनी शखक्त की घनर्णा कर रहा है । इसीदलए र्ह इतना आकर्यक है । नाम है दक हिारनं वर्य से िीता चला आ रहा है । दकतने नाम आए और गए। िु दनर्ा उनकन भूल गई, वे िु दनर्ा कन भूल गए। मगर कुटि है दक संस्कृदत की दनरं तर स्फीर्मान शब्दरादश में िन िमके बैिा, सन बैिा ही है । और रूप की तन बात ही क्ा है ! बदलहारी है इस मािक शनभा की। चारनं ओर कुदपत र्मराि के िारुण दन:श्वास के समान ििकती लू में र्ह हरा भी है और भरा भी है , िु ियन के दचत्त से भी अदिक किनर पार्ाण की कारा में रुि अज्ञात िलस्रनत से बरबस रस खींचकर सरस बना हुआ है । और मूखय के मखस्तष्क से भी अदिक सूने दगरर कां तार में भी ऐसा मस्त बना है दक ईष्याय हनती है । दकतनी कदिन िीवनी-शखक्त है ! प्राण ही प्राण कन पु लदकत करता है , िीवनी-शखक्त ही िीवनी-शखक्त कन प्रेरणा िे ती है । (क) कुटि द्वारा की गई घनर्णा उसकी ………………………….िशाय ती है । 1 i. दिज्ञासा ii. दििीदवर्ा iii. मुमूर्ाय iv. शुश्रुर्ा (ख) दनम्नदलखखत में से लेखक के अनुसार सबसे सही वाक् चुदनए- 1 i. कदिन पररखथथदतर्नं में भी िीना सीखें। ii. रे दगस्तान में कुटि बहुतार्त में पार्ा िाता है । iii. केवल नाम के कारण ही िीवन में प्रदसखि प्राप्त हनती है । iv. दन झयर का बहता िल कुटि कन भलीभां दत सींचता है । (ग) दनम्नदलखखत कथन तथा कारण पर दवचार कीदिए और सवाय दिक उदचत दवकल्प चु नकर 1 दलखखए- कथि - कुदपत र्मराि के िारुण दन:श्वास के समान ििकती लू में र्ह हरा भी है और भरा भी है. कारर् - र्मराि के क्रनि के कारण कुटि की िीवनीशखक्त कम हन िाती है दिसके कारण वह सूख िाता है । i. कथन गलत है , दकंतु कारण सही है । ii. कथन और कारण िनननं गलत हैं । iii. कथन सही है दकंतु कारण कथन की सही व्याख्या नहीं है । iv. कथन और कारण िनननं सही हैं । कारण कथन की सही व्याख्या है । (घ) गद्ां श में लेखक ने कुटि का ……………….. िशाय र्ा है । 1 i. स्वाथय ii. स्वादभमान iii. लालच iv. कतयव्य (ङ) मगर कुटि है दक संस्कृदत की दनरं तर स्फीर्मान शब्दरादश में िन िमके बैिा, सन 1 बैिा ही है । पंखक्त के माध्यम से लेखक संस्कृदत के दकस महत्त्व कन उिागर करता है दक संस्कृदत है - i. अनवरत ii. असहमत iii. अप्राप्य iv. अबनि 11 गद् खंड पर आिाररत तीन में से दकन्हीं िन प्रश्ननं के उत्तर लगभग 40 शब्दनं में 2x2=4 दलखखए- (क) अपने ही गाँ व में पहुँ चकर हरगनदबन के दिशा भ्रदमत हनने का कारण बताइए। 2 (ख) गंगा तट पर उपखथथत स्वर्ं सेवकनं का कार्य व्यवहार आि के र्ुवा वगय कन दकस प्रकार 2 प्रेररत करता है ? (ग) 'कभी-कभी दकसी इलाके की संपिा ही उसका अदभशाप बन िाती है ।'स्पष्ट कीदिए। 2 12. दनम्नदलखखत गद्ां शनं में से दकसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीदिए। 6 (क) र्ह पूछा गर्ा दक तू क्ा करे गा। बालक ने सीखा दसखार्ा उत्तर दिर्ा दक मैं र्ाविन्म लनकसेवा करू ँ गा। सभा 'वाह-वाह' करती सुन रही थी, दपता का हृिर् उल्लास से भर रहा था। एक वृि महाशर् ने उसके दसर पर हाथ फेरकर आशीवाय ि दिर्ा और कहा दक िन तू इनाम माँ गे वही िें । बालक कुछ सनचने लगा। दपता और अध्यापक इस दचंता में लगे दक िे खें र्ह पढ़ाई का पुतला कौन-सी पु स्तक माँ गता है । बालक के मुख पर दवलक्षण रं गनं का पररवतयन हन रहा था, हृिर् में कृदत्रम और स्वाभादवक भावनं की लडाई की झलक आँ खनं में िीख रही थी। कुछ खाँ सकर, गला साफ़ कर नकली परिे के हट िाने पर स्वर्ं दवखित हनकर बालक ने िीरे से कहा, 'लड् डू'। दपता और अध्यापक दनराश हन गए। इतने समर् तक मेरा श्वास घुट रहा था। अब मैंने सुख से साँ स भरी। उन सबने बालक की प्रवृदत्तर्नं का गला घनंटने में कुछ उिा नहीं रखा था। अथवा (ख) कुछ दिननं के बाि मैंने सुना दक शेर अदहं सा और सह-अखस्तत्ववाि का बडा िबरिस्त समथयक है इसदलए िंगली िानवरनं का दशकार नहीं करता। मैं सनचने लगा, शार्ि शेर के पेट में वे सारी चीिें हैं दिनके दलए लनग वहाँ िाते हैं और मैं भी एक दिन शेर के पास गर्ा। शेर आँ खें बंि दकए पडा था और उसका स्टाफ आदफ़स का काम दनपटा रहा था। मैंने वहाँ पूछा, "क्ा र्ह सच है दक शेर साहब के पेट के अंिर, रन गार का िफ़्तर है ?" मैंने पूछा, "कैसे ?" बतार्ा गर्ा, "सब ऐसा ही मानते हैं ।" मैंने पूछा, "क्नं? क्ा प्रमाण है ?" बतार्ा गर्ा, "प्रमाण से अदिक महत्त्वपूणय है दवश्वास?" मैंने कहा, "और र्ह बाहर िन रनिगार का िफ्तर है ?" 13. दनम्नदलखखत प्रश्ननं में से दकन्हीं िन प्रश्ननं के उत्तर लगभग 100 शब्दनं में दलखखए। 2x5=10 (क) तकनीकी और प्रौद्नदगकी दवकास से ग्रामीण िीवन की संस्कृदत कैसे नष्ट हन सकती है ? 5 'अपना मालवा खाऊ-उिाडू सभ्यता में' पाि के आिार पर अपने शब्दनं में दलखखए। (ख) 'सूरिास की झनपडी' के नार्क की दवशेर्ताओं का उल्लेख करते हुए दलखखए दक उसके 5 व्यखक्तत्व से आपकन क्ा प्रेरणा दमलती है । (ग) 'दबस्कनहर की माटी' पाि का मूल कथ्य स्पष्ट कीदिए। 5 >>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>> >>>>>>