ClassXpress हिंदी_प्रश्न_कोश 2025 Exam PDF

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This document contains a question bank for a Class 12 Hindi examination, likely for the 2025 academic year. It includes various types of questions with answers, covering topics related to Hindi language studies.

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कक्षा 12 प्रश्नकोश (ह न्दी) अपहित गदयािंश प्रश्न -1 तनम्नभलणखत अपहित गदयािंश को ध्यान से पहिए – विज्ञान आज के मानि-जीिन का अविभाज्य एिं घननष्ठ अंग बन गया है I मानि-जीिन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान...

कक्षा 12 प्रश्नकोश (ह न्दी) अपहित गदयािंश प्रश्न -1 तनम्नभलणखत अपहित गदयािंश को ध्यान से पहिए – विज्ञान आज के मानि-जीिन का अविभाज्य एिं घननष्ठ अंग बन गया है I मानि-जीिन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान के अभूतपूिव अविष्कारों से अछूता नह ं रहा I इसी कारण से आधुननक युग विज्ञान का युग कहलाता है Iआज विज्ञान ने पुरुष और नार ,साहहत्यकार और राजनीनतज्ञ,उद्योगपनत और कृषक,चिककत्सक और सैननक,पूूँजीपनत और श्रममक,अमभयंता, मिक्षक और धमवज्ञ सभी को और सभी क्षेत्रों में ककसी-न-ककसी रूप में अपने अप्रनतम प्रदे य से अनुग्रह त ककया है I आज समूिा पररिेि विज्ञानमय हो गया है I विज्ञान के प्रभाि ककसी गहृ णी के रसोईघर से लेकर बड़ी-बड़ी प्रािीरों िाले भिनों और अट्टामलकाओं में ह दृष्ष्टगत नह ं होते ,अवपतु िे जल-थल की सीमाओं को लांघकर अंतररक्ष में भी विद्यमान हैं I िस्तुतः विज्ञान अद्यतन मानि की सबसे बड़ी िष्तत बन गया है I इसके बल से मनुष्य प्रकृनत और प्राणणजगत का मिरोमणण बन सका है I विज्ञान के अनुग्रह से िह सभी प्रकार की सुविधाओं एिं संपदाओं का स्िाममत्ि प्राप्त कर िुका है I अब िह मौसम और ऋतुओं के प्रकोप से भयाक्ांत एिं संत्रस्त नह ं है I विद्युत ् ने उसे आलोककत ककया है ,उष्णता एिं िीतलता द है ,बटन दबाकर ककसी भी कायव को संपन्न करने की ताकत भी द है I मनोरं जन के विविध साधन उसे सल ु भ हैं I यातायात एिं संिार के साधनों के विकमसत एिं उन्नत होने से समय और दरू रयां बहुत कम हो गयी हैं और समूिा विश्ि एक कुटुंब सा लगने लगा है I कृवष एिं उद्योग के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ने के कारण आज दनु नया पहले से अचधक धन-धान्य से संपन्न है I मिक्षा एिं चिककत्सा के क्षेत्र में विज्ञान की दे न अमभनंदनीय है I विज्ञान के सहयोग से मनुष्य धरती और समुद्र के अनेक रहस्य हस्तामलक करके अब अन्तररक्ष लोक में प्रिेि कर िुका है I सिोपरर,विज्ञान ने मनुष्य को बौद्चधक विकास प्रदान ककया है और िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत द है I िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत से मनुष्य अंधविश्िासों और रूहढ़िाद परम्पराओं से मुतत होकर स्िस्थ एिं संतुमलत ढं ग सोि-वििार कर सकता है और यथाथव एिं सम्यक जीिन जी सकता है I इससे मनष्ु य के मन को यग ु ों के अंधविश्िासों, भ्रमपण ू व और दककयानस ू ी वििारों, भय और अज्ञानता से मष्ु तत ममल है I विज्ञान की यह दे न स्तत्ु य है I मानि को िाहहए की िह विज्ञान की इस समग्र दे न को रिनात्मक कायों में सनु नयोष्जत करें I तनम्नभलणखत में से तनदे शानस ु ार ववकल्प का चयन कररए- 1)आज विज्ञान को मनष्ु य के जीिन का अमभन्न अंग तयों माना जाता है - i.विज्ञान के आविष्कार अभत ू पि ू व हैं ii.विज्ञान ने सभी क्षेत्रों में मानि को प्रभावित ककया है iii.विज्ञान ने आचथवक उन्ननत प्रदान की है 7 iv.आधनु नक यग ु विज्ञान का यग ु है उत्तर- (i) विज्ञान ने सभी क्षेत्रों में मानि को प्रभावित ककया है 2)ककसके बल पर मनुष्य प्रकृनत और प्राणणजगत का मिरोमणण बन सका है - i.स्ियं के (ii) साधनों के (iii) विज्ञान के (iv)सत्ता के उत्तर - (iii) विज्ञान के 3) िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत ने मनुष्य को सबसे पहले ककससे मुष्तत हदलाई- i.संतुमलत अनुचिंतन (ii) प्रािीन सांस्कृनतक परम्पराओं (iii) औपिाररकताओं (iv) भ्रमपूणव रूहढ़िाद वििार उत्तर - (iv) भ्रमपूणव रूहढ़िाद वििार (4) विज्ञान के िरण गनतिील तयों कहे जा सकते हैं- (i) विज्ञान की तीव्र गनत के कारण (ii) यातायात के साधन अविष्कृत करने के कारण (iii) विज्ञान के उत्तरोत्तर विमभन्न हदिाओं में उन्मुख होने के कारण (iv) प्रगनतिील वििारधारा के कारण उत्तर- (iii) विज्ञान के उत्तरोत्तर विमभन्न हदिाओं में उन्मुख होने के कारण (5) समि ू ा विश्ि एक पररिार के सामान लगने का तया कारण है- (i) विज्ञान की गनतिील िष्तत (ii) विज्ञान और जीिन में घननष्ठता (iii) यातायात और संिार के साधनों का विकास (iv) विश्िबंधुत्ि की भािना का विकास उत्तर- iii) यातायात और संिार के साधनों का विकास (6) विज्ञान के सहयोग से मनष्ु य ने कहाूँ प्रिेि कर मलया है- (i) मनुष्य के ह्रदय में (ii) अंतररक्ष में (iii) विदे िों में (iv) समुद्र में उत्तर-(ii) अंतररक्ष में 8 (7) िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत के प्रभाि से मनष्ु य कैसा जीिन जी सकता है - (i) यथाथव (ii) सम्यक (iii) (i) और (ii) दोनों (iv) बनािट उत्तर- (iii) (i) और (ii) दोनों (8) मानि से विज्ञान की दे न को ककन कायों में ननयोष्जत करने की अपेक्षा है - (i) लाभप्रद (ii) सहयोगप्रद (iii) रिनात्मक (iv) विध्िंसात्मक उत्तर-(iii) रिनात्मक (9) लेखक की दृष्ष्ट में विज्ञान की सबसे बड़ी दें तया है - (i) संिार सवु िधाएूँ (ii) विद्युत ् का अविष्कार (iii) िैज्ञाननक चिंतन पद्धनत (iv) चिककत्सा और मिक्षा की सुविधाएूँ उत्तर- (iv) चिककत्सा और मिक्षा की सवु िधाएूँ (10) प्रस्तुत गद्यांि ककस विषयिस्तु पर आधाररत है - (i) विज्ञान का मानि जीिन पर प्रभाि (ii) िैज्ञाननक चिंतन और मानि (iii) विज्ञान के गनतिील िरण (iv) विज्ञान के आविष्कार उत्तर-(ii) िैज्ञाननक चिंतन और मानि प्रश्न -2 तनम्नभलणखत अपहित गदयािंश को ध्यान से पहिए – भारतीय संस्कृनत की सबसे बड़ी वििेषता रह है -‘अनेकता में एकता’I यद्यवप ऊपर तौर पर भारत के विमभन्न प्रदे िों में पयावप्त मभन्नता हदखाई दे ती है ,तथावप अपने आिार-वििार की एकता के कारण यहाूँ सामामसक संस्कृनत का रूप दे खने को ममलता है I यह कारण है कक विमभन्नताओं के होते हुए भी भारत सहदयों से एक भौगोमलक,राजनीनतक एिं सांस्कृनतक इकाई के रूप में विश्ि में अपना स्थान बनाये हुए है I इसमलए भारत में अनेकता में एकता के सदै ि दिवन होते हैं I भारतीय संस्कृनत में आध्याष्त्मकता और भौनतकता दोनो का ह ममश्रण रहा है I अत: इसकी प्रािीनता,इसकी गनतिीलता,इसका लिीलापन,इसकी ग्रहणिीलता,इसका सामाष्जक स्िरुप और अनेकता में ननहहत एकता ह इसकी प्रमख ु वििेषता है I इस वििेषता के कारण ह भारतीय संस्कृनत विश्ि में अपना एक विमिष्ट स्थान रखती है I भारतीय संस्कृनत का इनतहास बहुत ह प्रािीन है I िास्ति में ,संस्कृनत का ननमावण एक लम्बी परम्परा के बाद होता है I संस्कृनत िस्ततु :वििार और 9 आिरण के ननयम और मल् ू य हैं,ष्जन्हें कोई समाज अपने अतीत से प्राप्त करता है I इसमलए कहा जा सकता है कक इसे हम अपने अतीत से विरासत के रूप में प्राप्त करते हैं I दस ू रे िब्दों में कहें तो संस्कृनत एक विमिष्ट जीिन-िैल का नाम है I यह एक सामाष्जक विरासत, है जो परम्परा से िल आती रह है I प्राय: सभ्यता और संस्कृनत को एक ह मान मलया जाता है , परन्तु इसमें भेद है I सभ्यता में मनुष्य के जीिन का भौनतक पक्ष प्रधान होता है अथावत ् सभ्यता का अनुमान सुख से लगाया जा सकता है I इसके विपर त संस्कृनत में आिार और वििार पक्ष की प्रधानता होती है I इस प्रकार,’सभ्यता’ को िर र माना जा सकता है और ‘संस्कृनत’ को आत्मा, इसमलए इन दोनो को अलग-अलग नह ं दे खा जा सकता Iिास्ति में , दोनों एक दस ू रे के पूरक हैं I तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्प का चयन कररए- (1) भारतीय संस्कृनत की सबसे बड़ी वििेषता ककसे माना गया है - (i) प्रािीन इनतहास को (ii) अनेकता में एकता को (iii) सामाष्जक इनतहास को (iv) सभ्यता एिं संस्कृनत को उत्तर-(ii) अनेकता में एकता को (2) गद्यांि में सामाष्जक विरासत ककसे कहा गया है - (i) संस्कृनत को (ii) भौनतक पक्ष को (iii) वििार को (iv) आिरण को उत्तर- (i) संस्कृनत को (3) भारत में सामामसक संस्कृनत का रूप हदखाई पड़ने का तया कारण है- (i) विविधता (ii) विमभन्नता (iii) एकता (iv) राजनीनतक संगठन उत्तर-(iii) एकता (4) भारतीय संस्कृनत ककसका ममश्रण है - (i) आध्याष्त्मकता का (ii) भौनतकता का (iii) (i) ि ् (ii) दोनों का (iv) अतीत का उत्तर-(iii) (i) ि ् (ii) दोनों का (5) गद्यांि के अनुसार भारतीय संस्कृनत की विमिष्टता नह ं है - (i) लिीलापन (ii) गनतिीलता (iii) ष्स्थरता (iv) ग्रहणिीलता उत्तर- (iii) ष्स्थरता (6) सभ्यता का अनुमान ककससे लगाया जा सकता है - 10 (i) भीतर उन्ननत से (ii) सख ु सवु िधाओं से (iii) परोपकाररता से (iv) व्यािहाररकता से उत्तर -(ii) सुख सुविधाओं से (7) आिार और वििार पक्ष की प्रधानता ककस्मे होती है - (i) सभ्यता में (ii) संस्कृनत में (iii) इनतहास में (iii) भौनतकता में उत्तर-(ii) संस्कृनत में (8) प्रस्तुत गद्यांि में एक दस ू रे का पूरक ककसे बताया गया है - (i) िर र और आत्मा को (ii) प्रािीनता और आधुननकता को (iii) अनेकता और एकता को (iv) सभ्यता और संस्कृनत को उत्तर-(iv) सभ्यता और संस्कृनत को (9) ककस वििेषता के कारण भारतीय संस्कृनत विश्ि में अपना वििेष स्थान रखती है - (i) अनेकता में एकता (ii) सामाष्जकता (iii) भौनतकता (iv) आधनु नकता उत्तर- (i) अनेकता में एकता (10) अतीत से विरासत के रूप में हम ककसे प्राप्त करते है - (i) जीिन को (ii) संस्कृनत को (iii) अनेकता को (iv) वििार को उत्तर- (ii) संस्कृनत को अपहित पदयािंश प्रश्न -1 तनम्नभलणखत अपहित पदयािंश को ध्यान से पहिए – उस हदन िह मैंने थी दे खी कॉलेज के ननकट ,कच्िी सड़क के पास गंद नाल पर पड़ी जहाूँ से गुज़र नह ं सकता कोई भी बबना नाक पर डाले कपडा – गंदे काले चिथड़ो औ “फट -पुरानी गुदड़ी में मलपट , दे खकर आती ष्जसको नघन , 11 पौष के तीव्र िीत में करती क्ंदन – “हाय मार गया ,पकड़ो ,पकड़ो , धत्त तेरे की ! तया मलया तुम्हारा मैंने मूज़ी? तयों मुझ को व्यथव सताता ? भागो -भागो , हाय मार गया िह मुझको “ सताए कूकर सी कटु ककवि िाणी में चिल्लाती िह कुबड़ी काल सी पगल नार I सोिा मैंने , पर मै समझ न पाया – तया िह है दै ि की मार ? या समाज की ,जो है अत्यािार दोनो ,दमलतों ,असहायों पर ? या सम्बष्न्धयों की ननज छीन लेते हैं जो दमलत बंधुओं से सूखी रोट का टुकड़ा भी ? तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्प का चयन कररए – (1) कवि ने ककसे दे खा था – i)बूढ औरत को ii)पगल को iii)बच्िी को iv)कोई नह ं उत्तर- ii)पगल को (2) कवि ने पगल को कहाूँ दे खा – I) कॉलेज के ननकट ii)कच्िी सड़क के पास 12 iii)गंद नाल पर Iv) उपरोतत सभी उत्तर -iv) उपरोतत सभी (3) कवि ने पगल को ककस मह ने में दे खा (i) कानतवक मास ii)पौष iii) माघ Iv)कोई नह ं उत्तर -ii) पौष मास (4) पगल का िर र ककससे ढका हुअ था – I)गंदे काले िीथड़ो Ii)फट परु ानी गद ु ड़ी iii)उपरोतत दोनो iv)इनमे से कोई नह ं उत्तर -iii) उपरोतत दोनो (5) पगल की िाणी कैसी थी I)कोमल Ii)कटु – ककवि Iii) सहज Iv)िांत उत्तर - Ii)कटु – ककवि प्रश्न -2 तनम्नभलणखत अपहित पदयािंश को ध्यान से पहिए – ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला , उस उस राह को धन्यिाद I 13 जीिन अष्स्थर अनजाने ह ,हो जाता पथ पर मेल कह ं , सीममत पग-डग,लम्बी मंष्जल तय कर लेना कुछ खेल नह ं I दाएूँ- बाएूँ सुख-दःु ख िलते , सम्मुख िलता पथ का प्रसाद – ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला , उस उस राह को धन्यिाद I साूँसों पर अिलंबबत काया ,जब िलते – िलते िूर हुई , दो स्नेह िब्द ममल गए ,ममल नि स्फूनतव ,थकािट दरू हुई I पथ के पहिाने छूट गए ,पर साथ – साथ िल रह याद – ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला , उस उस राह को धन्यिाद I जो साथ न मेरा दे पाए उनसे कब सूनी हुई डगर मै भी न िलूँ ू यहद तो तया, राह मर , लेककन राह अमर I इस पथ पर िे ह िलते हैं जो िलने का पा गए स्िाद ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला उस उस राह को धन्यिाद कैसे िल पाता यहद न ममला होता मुझको आकुल अंतर ? कैसे िल पता यहद ममलते ,चिर- तष्ृ प्त अमरता -पूणव प्रहर I आभार हूूँ मै उन सबका ,दे गए व्यथा का जो प्रसाद – ष्जस-ष्जससे पथ पर स्नेह ममला , उस उस राह को धन्यिाद I तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्प का चयन कररए – (1) कवि के अनुसार जीिन कैसा है? I) दख ु पूणव है Ii) अष्स्थर है Iv) संघषव युतत है Iv) इनमे से कोई नह ं उत्तर –(ii) अष्स्थर है (2)जीिन रूपी यात्रा में कैसे-कैसे अनुभि आते हैं? 14 I)सख ु ह सख ु है Ii) दःु ख ह दख ु है Iii) सुख - दःु ख दोनो िलते हैं Iv) सभी उत्तर - Iii) सुख - दःु ख दोनो िलते हैं (3) मंष्जल तय करना खेल नह ं है – तयों? i)) तयोंकक मसममत संसाधन है ii) मंष्जल बहुत दरू है iii) जीिन अष्स्थर है iv) कोई नह ं उत्तर - ii) मंष्जल बहुत दरू है (4)जीिन रूपी डगर में कौन िलते है ? I ) ररश्तेदार ii) ममत्र iii) अजनबी iv) सुख–दःु ख 5)काया का तया अथव है – i) कपड़ा Ii) िर र Iii) ढांिा Iv) कोई नह ं उत्तर – ii) िर र प्रश्न -3 तनम्नभलणखत अपहित पदयािंश को ध्यान से पहिए – पि ू व िलने के बटोह , बाट की पहिान कर ले 15 पस् ु तकों में है नह ं छापी गयी इसकी कहानी , हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की ज़बानी अनचगनत राह गए इस राह से , उनका पता तया पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की ननिानी , यह ननिानी मक ू होकर भी ,बहुत कुछ बोलती है खोल इसका अथव पंथी ,पंथ का अनुमान कर ले पूिव िलने के बटोह बाट की पहिान कर ले I है अननष्श्ित ककस जगह पर सररत ,चगरर ,गह्िर ममलेंगे , है अननष्श्ित ककस जगह पर बाग़ िन सुन्दर ममलेंगे , ककस जगह यात्रा ख़त्म हो जाएगी ,यह भी अननष्श्ित है अननष्श्ित कब सुमन ,कब कंटकों के िर ममलेंगें कौन सहसा छूट जायेंगे , ममलेंगे कौन सहसा पूिव िलने के बटोह , बाट की पहिान कर ले I रास्ते का एक काूँटा ,पाूँि का हदल िीर दे ता रतत की दो बूूँद चगरती ,एक दनु नया डूब जाती आूँख में हो स्िगव लेककन ,पाूँि पथ् ृ िी पर हटके हों कंटकों की इस अनोखी सीख का सम्मान कर ले पूिव िलने के बटोह , बाट की पहिान कर ले ii तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्प का चयन कररए – 1. बटोह िब्द का अथव है - I.राहगीर ii) बटुआ iii) धन iv) उद्दे श्य उत्तर – i) राहगीर 16 2- कवि के अनस ु ार व्यष्तत को ककस रास्ते पर िलना िाहहए- I ) वििेकपूणव ननणवय पर आधाररत रास्ता ii) बस िलना है Iii) सबके साथ िलना है vi) उपयुवतत में कोई नह ं उत्तर - I ) वििेकपूणव ननणवय पर आधाररत रास्ता 3 - पंथी िब्द का तया अथव है - I.ककसी धमव वििेष को मानने िाला ii) पचथक से Iii) ककसी राजनीनतक दल से iv) कोई नह ं उत्तर – ii) पचथक 4. मूक िब्द का अथव है - I.बहरा ii) िािाल iii)मौन iv) कोई नह ं उत्तर – iii) मौन 5- कविता की भाषा कैसी है- I.अिधी II.ब्रज iii) खड़ीबोल iv) सरल हहंद उत्तर- iii) खड़ी बोल अभिव्यक्तत व माध्यम जनसिंचार , सिंपादकीय 1.समािार में ककार ककतने होतें है – (a) 3 (b) 4 (c) 5 (d) 6 उत्तर (d).6 17 2.भारत की पहल मक ू कफल्म थी? (a) आलमआरा (b) राजा हररििन्द्र (c) दे ि प्रेम (d) इनमे से कोई नह उत्तर (b) राजा हररििंद्र 3.आधुननक छापेखाने का अविष्कार ककसने ककया ? (a) बैंहटग (b) मैकाले (c) गुटेंन बगव (d) िुड उत्तर (c) गुटेन बगव 4.भारत में पहला छापाखाना कब खुला था ? (a) 1557 (b) 1561 (c) 1564 (d) 1556 उत्तर (d) 1556 5.भारत में पहला छापाखाना कहाूँ खल ु ा था ? (a) हदल्ल (B) कोलकाता (c) गोिा (d) इनमे से कोई नह उत्तर (c) गोिा 6.भारत में T.V की िुरूआत कब हुई ? (a) 15 मसतम्बर 1960 (b) 15 मसतम्बर 1961 (c) 15 मसतम्बर 1962 (d) 15 मसतम्बर 1959 उत्तर (d) 15 मसतम्बर 1959 7.रे डडयो ककस प्रकार का माध्यम है – (a) दृश्य (b) श्रव्य (c) दोनों (d) इनमे से कोई नह उत्तर (b) श्रव्य 8.उदन्त मातवण्ड पत्र के संपादक है – (a) महािीर प्रसाद (b) बालकृष्ण (c) जुगल ककिोर (d) ननराला उत्तर (c) जुगल ककिोर 9. F.M रे डडयो की िुरूआत कब हुई ? (a) 1994 (b) 1993 (c) 1990 (d) 1995 उत्तर (b) 1993 18 10.टे ल विजन ककस प्रकार का माध्यम है ? (a) दृश्य/श्रव्य (b) श्रव्य (c) दृश्य (d) इनमे से कोई नह उत्तर (a) दृश्य/श्रव्य रचनात्मक लेख वैचाररक और िावनात्मक रूप से रचना करना एविं अपने मौभलक ववचारों की अभिव्यक्तत करना रचनात्मक लेखन क लाता ै| सुझाव: प्रश्न सिंख्या 7 रचनात्मक लेखन ोगा | रचनात्मक लेख समय तनम्न सुझाव आपके भलए कारगर ोंगे | रिनात्मक लेखन में विद्याचथवयों को अपने वििारों की स्ितंत्र अमभव्यष्तत करनी है | वििारों में क्मबध्यता आिश्यक है | रिनात्मक लेखन में उद्धरण उपयोगी होते है अत: उद्धरनों का प्रयोग करें । उद्धरण मलखते समय उद्धरण चिन्ह (“----”) जरूर लगाना िाहहए । रिनात्मक लेखन से पूिव अपने वििारों को संक्षक्षप्त बबन्दओ ु ं या िीषवकों में बांट लें ताकक लेखन आसान हो सके | विषयानुकूलता ि रोिकता का ध्यान रखा जाना िाहहए । रिनात्मक लेखन से पूिव सभी विकल्पों पर वििार कर उपयुतत विकल्प का िुनाि करें । आप रिनात्मक लेखन के हहस्से को तीन भाग में विभाष्जत कर लें | (क) विषय का पररिय (ख) विषय का विस्तार (ग) ननष्कषव रूपरे खा-लेखन के समय पूिावपर संबंध के ननयम का ननिावह ककया जाए, पूिावपर संबंध के ननिावह का अथव है कक ऊपर की बात उसके ठीक नीिे की बात से जड़ ु ी होनी िाहहए, ष्जससे विषय का क्म बना रहे | भाषा सरल,सहज और बोधगम्य हो पुनरािवृ त्त दोष से बिा जाए| िब्द सीमा 150 िब्द सी.बी.एस.सी.द्िारा ननधावररत की गई है | अत: िब्द सीमा का ध्यान रखें एिं अनािश्यक बातें मलखने से बिें | रिनात्मक लेखन में ननम्न प्रश्नों के उत्तर तलाि करें ---- समस्या तया है ? समस्या तयो है ? समस्या का प्रभाि – लाभ / हानन उपाय /सुझाब /प्रयास उपसंहार रचनात्मक लेखन के प्रारूप का तनवष न तनम्न प्रकार ोना चाह ए- 19 1. आरम्ि (ववषय का पररचय) अिंक-1 2. ववषय का म त्व (म त्व,प्रासिंगगकता ) अिंक-3 3. तनष्कषष अिंक 1 रचनात्मक लेखन के उदा रि मेरे जीवन का लक्ष्य जीिन एक अंतह न यात्रा है | ष्जस प्रकार यात्रा प्रारं भ करने से पहले व्यष्तत अपना गंतव्य स्थान ननधावररत कर लेता है , िैसे ह हमें भी अपनी जीिन-यात्रा प्रारं भ करने से पहले अपना कायव-क्षेत्र ननधावररत कर लेना िाहहए| हर इंसान को अपने जीिन का उद्दे श्य ि लक्ष्य ननष्श्ित कर लेना िाहहए। लक्ष्यह न जीि स्िच्छं द रूप से सागर में छोड़ी हुई नाि के समान होता है । ऐसी नौका या तो लहरों के मध्य डूब जाती है या िट्टान से टकराकर िूर-िरू हो जाती है । मैंने भी अपने जीिन में प्रिासननक अचधकार बनने का ननश्िय ककया है । मैं उस कमव को श्रेष्ठ समझता हूूँ, ष्जससे व्यष्तत अपना ि अपने पररिार का तो कल्याण कर ह सके , साथ ह समाज को भी हदिा-ननदे ि दे सके| प्रिासननक अचधकार का कायव भी कुछ इसी प्रकार का है । िह समाज के कायों का सुिारू संिालन करता है , लोगों तक सरकार योजनाओं को पहुंिाता है और समाज को एक विकास की नई हदिा प्रदान करता है | इस समाज में प्रिासन को िलाने के मलए व्यष्तत की योग्यता को तब तक साथवक नह ं समझता जब तक िह समाज के मलए लाभदायक न हो। प्रिासननक अचधकार यह कायव करने की सिावचधक क्षमता रखता है । मेरा विश्िास है कक समाज में समुचित विकास के बबना कोई भी नागररक न अपने अचधकारों को सुरक्षक्षत रख सकता है और न कभी दस ू रों के अचधकारों का सम्मान कर सकता है । मैं एक प्रिासननक अचधकार बनकर समाज के लोगों को मिक्षा, चिककत्सा, विकास को जीिनोपयोगी बनाने का प्रयत्न करूंगा। मैं मेरे कायव क्षेत्र पररसर के बाहर भी समाज के लोगों के साथ अत्यंत ननकट का संपकव स्थावपत करूंगा और समाज के प्रत्येक िगव को भविष्य की नई सम्भािनाओं की हदिा एिं दिा प्रदान करने का प्रयत्न करूंगा। मैं सदै ि अपने सद्व्यिहार द्िारा समाज में श्रेष्ठ भाि उत्पन्न करने का प्रयत्न करूंगा एिं अपने कतवव्यों का पूणव ईमानदार के साथ ननिवहन करूंगा| जीवन में खेलों का म त्व :- खेल-कूद में रुचि बढ़ना दे ि के स्िास्थ्य का प्रतीक है , दे ििामसयों की समद् ृ चध का सि ू क है । आजकल खेलों के प्रनत द िानगी बढ़ती जा रह है । इस द िानगी को दे खते हुए यह प्रश्न उठना लाष्जमी है कक तया यह भी स्िस्थ परं परा का प्रतीक है ? इसमें कोई दो राय नह ं कक पोषक भोजन के बबना मानि स्िस्थ नह ं रह सकता। यह भी उतना ह सि है कक अच्छे भोजन के साथ यहद मनुष्य खेलों में भाग न ले तो िह स्िस्थ नह ं रह सकता। अत: खेलों का ननयममत अभ्यास करना स्िास्थ्य के मलए उतना ह आिश्यक है ष्जतना कक संतुमलत भोजन। िैसे तो जीिन की सफलता के मलए िार ररक, मानमसक और आष्त्मक िष्ततयों में से कोई भी एक िष्तत ककसी से कम महत्िपूणव नह ं है । कफर भी आम 20 जनमानस में प्रिमलत उष्तत है कक ‘स्िस्थ िर र में ह स्िस्थ मष्स्तष्क का विकास होता है ’। इसमलए िर र को पूणव रूप से स्िस्थ ि िुस्त बनाने के मलए कई प्रकार के िार ररक अभ्यास ककए जाते हैं, ककं तु इनमें खेल-कूद सबसे प्रमुख हैं| बबना खेल-कूद के जीिन अधूरा रह जाता है । कहा गया है -“सारे हदन काम करना और खेलना नह ं, यह होमियार को मूखव बना दे ता है ।” अत: खेलों से हमारा जीिन अनुिामसत और आनंहदत होता है । खेल भािना के कारण णखलाड़ी सहयोग, संगठन, अनुिासन एिं सहनिीलता का पाठ सीखते हैं। खेलने िालों में संघषव करने की िष्तत आ जाती है। खेल में जीतने की दिा में उत्साह और हारने की ष्स्थनत में सहनिीलता का भाि आता है | खेलते समय णखलाड़ी जीत हामसल करने के मलए अनुचित तर के नह ं अपनाता और पराजय की दिा में प्रनतिोध की आग में नह ं जलता। उसमें स्िस्थ प्रनतस्पधाव का भाि होता है । खेल मनोरं जन का माध्यम भी हैं। णखलाडड़यों अथिा खेल-प्रेममयों-दोनों को खेलों से भरपूर मनोरं जन ममलता है । जो लोग सदै ि काम में लगे रहते हैं खेलों के मनोरं जन से िंचित रह जाते हैं िे खेलों से मनुष्य अनुिामसत जीिन जीना सीखता है । इससे मनुष्य ननयमपूिवक कायव करने की मिक्षा लेता है । ननयमपूिवक कायव करने से व्यिस्था बनी रहती है तथा समाज का विकास होता है । इस प्रकार खेलों का हमारे जीिन में बहुत महत्ि है । ये हमारे जीिन को संपन्न ि खुिहाल बनाते हैं। इनके महत्ि को दे खते हुए हमें खेलों से अरुचि नह ं रखनी िाहहए। अभ्यास के भलए अन्य रचनात्मक लेख 1. िक्ष ृ लगाना मेरा िौक 2. बदलते जीिन मूल्य 3. रास्ते में बस खराब होना 4. कामकाजी महहलाओं की समस्याएूँ/ दे ि की प्रगनत में महहलाओं का योगदान 5. राष्र-ननमावण में युिा पीढ़ का योगदान 6. इंटरनेट का मेरे जीिन में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाि 7. महानगर य जीिन की िुनौनतयां 8. लोकतंत्र में मीडडया की भूममका 9. महानगर य जीिन की िुनौनतयां 10. सीमा पर बढ़ते तनाि को कम करना 11. आज विश्ि में भारत की प्रनतष्ठा 12. काला धन : एक सामाष्जक कलंक 13. पयाविरण संरक्षण: आज की आिश्यकता 14. आनलाइन िोवपंग का बढ़ता िलन 15. भारत से प्रनतभा पलायन 16. चगरते नैनतक मूल्यों के कारण पत्र लेखन 21 प्रश्न. (i) आए हदन िोर और झपटमार की समस्या के प्रनत चिंता प्रकट करते हुए नगर के पमु लस- कममश्नर को पत्र मलणखए। कनक भिन गणेिगुर गुिाहाट हदनांक: 1 हदसम्बर 20XX सेिा में , पुमलस आयत ु त गुिाहाट (असम) ववषय- चोरी-झपटमारी की घटनाओिं के सिंबध िं में । महोदय, इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने िहर में ननरन्तर बढ़ रहें अपराधों की ओर आकवषवत करना िाहता हूूँ। विगत एक माह से िहर में अपराध बढ़ रहे हैं ष्जससे इस क्षेत्र के ननिासी भय के साये में रहने को वििि हैं। कुछ िरारती तत्िों द्िारा छीना-झपट तथा गमलयों में िोर की घटनाओं को अंजाम हदया जा रहा है । सायं सात-आठ बजते ह ये लोग याबत्रयों के सामान एिं रुपये-पैसे छीन लेते हैं तथा विरोध करने पर िाकू मारने का दस् ु साहस कर बैठते हैं।बढ़ते अपराधों के कारण लोगों में डर समाया हुआ है । आिा है कक आप इस समस्या पर गंभीरता से वििार करें गे तथा ठोस कदम उठाएूँगे ताकक क्षेत्र में िांनत स्थावपत हो सके। सधन्यिाद। भिद य कoखoगo (ii) प्रनतहदन बढ़ती महूँगाई के प्रनत चिंता व्यतत करते हुए ‘पूिाांिल प्रहर ’ के संपादक को पत्र मलणखए। पर क्षा भिन गि ु ाहाट हदनांक: 22 मािव 20XX सेिा में संपादक महोदय पूिाांिल प्रहर जी0 एस0 रोड गुिाहाट । ववषय- बिती म ाँगाई के सिंदिष में । महोदय, मैं आपके लोकवप्रय समािार-पत्र के माध्यम से प्रिासन ि नेताओं का ध्यान बढ़ती महूँगाई की तरफ 22 हदलाना िाहता हूूँ। आज जीिन के मलए उपयोगी हर िस्तु आम आदमी की पहुूँि से बाहर होती जा रह है । रोजमराव की िस्तुओं जैस-े सब्जी, दध ू , फल, दालें आहद-के दाम ननत नई ऊूँिाइयों को छू रहे हैं। कुछ दक ु ानदार सामानों को गोदामों में जमाकर कालाबजार कर रहे हैं ष्जससे महूँगाई आसमान छू रह है और गर ब को दाल-रोट के मलए भी संघषव करना पड़ रहा है । आपसे अनुरोध है कक इन खबरों को आप अपने समािार-पत्र में लगातार प्रकामित करे ताकक सरकार ि प्रिासन इस ओर दें और इन पर कायविाह करें । धन्यिाद। भिद य अ०बoस० फ़ीचर लेखन प्रश्न :- तनम्न में से क्रकसी एक ववषय पर फ़ीचर लेखन कीक्जए— मेरे ववदयालय का पुस्तकालय अथवा मेट्रो रे ल का सफ़र उत्तर:- मेरे ववदयालय का पस् ु तकालय पुस्तकों का वििाल भण्डार, सुहाना मौन | व्यिष्स्थत मेज़-कुमसवयाूँ | सेिा में तत्पर पस् ु तकालयाध्यक्ष | यह है मेरे विद्यालय का पुस्तकालय | मेरे विद्यालय के पुस्तकालय के तीन तल हैं | ननिले तल में समािारपत्र, पबत्रकाएूँ तथा बैठने के मलए मेज़-कुमसवयाूँ हैं | बीि िाले तल में पुस्तकों की आलमाररयाूँ हैं | लगभग तीस-िाल स आलमाररयों में हज़ारों मूल्यिान पुस्तकें व्यिस्था से सजी हैं | छात्र और अध्यापक अपनी इच्छा से इनमें से पुस्तकें खोजते हैं, पढ़ते हैं और पढ़कर िापस मेज़ पर छोड़ दे ते हैं | इस पुस्तकालय में पाठ्यक्म से सम्बंचधत पुस्तकें तो हैं ह ; असल आकषवण हैं- अन्य पुस्तकें- कथा कहाननयों की पुस्तकें, महापुरुषों की जीिननयाूँ, विश्ि भर को िौकाने िाले कारनामे, िैज्ञाननक आविष्कार आहद-आहद | छात्र इन पुस्तकों को पुस्तकालय के तीसरे तल पर रखी मेज़-कुमसवयों पर बैठकर पढ़ सकते हैं | िाहे तो दो पुस्तकें घर भी ले जा सकते हैं | विद्यालय के तीन हज़ार विद्याचथवयों में से िाल स- पिास छात्र ह पुस्तकालय में हदखाई दे ते हैं | यहाूँ बोलना बबल्कुल मना है | ज़रा भी बोले तो पुस्तकालयाध्यक्ष की पैनी नज़रें उन्हें मौन करा दे ती हैं | पुस्तकालय सिमुि ज्ञान की गंगा है | मेरे जैसे विद्या-व्यसनी के मलए तो यह सैरगाह है | मझ ु े ख़ाल समय में पस् ु तकों की आलमार के सामने खड़े होकर नये-नये िीषवक दे खना और जानकार लेना अच्छा लगता है | अथवा मेट्रो रे ल का सफ़र 23 सामान्य भारतीय रे ल और मेरो रे ल के सफ़र में अंतर है | मेरो की यात्रा साफ़-सथ ु र , िातानक ु ू मलत और आरामदायक होती है | इसकी हटकट णखड़की से लेकर सिार डडब्बे तक कह ं भी धूल-धतकड़ या धींगामुश्ती नह ं होती | हटकट-णखड़की पर या तो भीड़ होती नह ं; होती भी है तो लोग पंष्ततबद्ध होकर हटकट लेते हैं | हटकट दे ने िाले कमविार भी बड़ी कुिलता से हटकट बाूँटते हैं | टोकन िेक़ करने की प्रणाल भी इलेतराननक होती है इसमलए यात्री भी समझ लेते हैं कक यहाूँ सबकुछ व्यिस्था के अनुरूप ह िलेगा, मनमानी से नह ं | मेरो प्लेटफ़ॉमव तक पहुूँिने के मलए या तो स्ििामलत सीहढ़याूँ होती हैं, या साफ़-सुथरे िौड़े मागव होते हैं | प्लेटफ़ॉमव बबल्कुल स्िच्छ और जगमगाते हुए होते हैं | प्रायः हर तीन से पाूँि ममनट में एक गाड़ी आ जाती है | उसके दरिाजे स्ििामलत रूप से खुलते और बंद होते हैं | अंदर साफ़-सुथर सीटें होती हैं | खड़े याबत्रयों के सहारे के मलए बीि में लटकनें लगी होती हैं | मेरो रे ल में भीड़ न हो तो उसके सख ु का कहना ह तया ? परन्तु भीड़ होने पर भी ककसी प्रकार की धतका-मत ु की, गंदगी या हुल्लड़बाज़ी नह ं होती | महानगर य सभ्यता में ढले हुए लोग बड़े ह अनि ु ासन से यात्रा करते हैं | सबसे बड़ी सवु िधा यह होती है कक हर स्टे िन के आने पर बराबर घोषणाएूँ होती रहती हैं | इससे याबत्रयों को बहुत ह आसानी होती है | यद्यवप मेरो की सवु िधा को दे खते हुए आजकल उसमें भी भीड़ बढ़ने लगी है , ककन्तु यह भीड़ अराजक नह ं होती | इसमलए इसमें सफ़र करना बहुत आरामदायक है | इसमें लेट होने और समय पर न पहुूँिने की परे िाननयाूँ भी न के बराबर हैं | िास्ति में महानगरों के आतंररक यातायात के मलए यह सिोत्तम साधन है | आलेख प्रश्न १: आलेख की पररभाषा दे ते हुए स्पष्ट कीष्जए कक समािार पत्र में ककस स्थान पर प्रकामित ककया जाता है ? उत्तर ककसी एक विषय पर वििार प्रधान ,गद्य प्रधान अमभव्यष्तत को आलेख कहा जाता है । यह एक प्रकार के लेख होते हैं जो अचधकतर संपादकीय पष्ृ ठ पर ह प्रकामित होते हैं। प्रश्न २: आलेख के मुख्य अंगो के नाम मलणखए। उत्तर : आलेख लेखन के मख् ु य अंग हैं - भमू मका ,विषय का प्रनतपादन, तल ु नात्मक ििाव और ननष्कषव । प्रश्न ३: आलेख लेखन में ककसकी प्रमुखता होती है ? उत्तर: आलेख लेखन में लेखक के वििारों की प्रमुखता होती है ।इसी कारण इसे वििार प्रधान गद्य भी कहा जाता है । नाटक, कववता और क ानी का प्रारूप /रचना प्रक्रक्रया (1) नाटक 1) नाटक ककसका रूप है ? उत्तर - नाटक काव्य और गद्य का एक रूप है । 2) ककस काव्य में नाटक में अचधक रमणीयता होती है ? 24 उत्तर – नाटक में श्रव्य काव्य से अचधक रमणीयता होती है । 3) प्रमसद्ध नाट्य िास्त्र ककसने मलखे था ? उत्तर- आिायव भारत मनु न ने नाट्यिास्त्र मलखा था । 4) नाटक का प्रारम्भ कैसे होता है ? उत्तर – नाटक के आरं भ में जो कक्या होती है उसे मंगला िरण या पूिवरंग कहते हैं । 5) कथािस्तु ककसे कहते हैं ? उत्तर – कथािस्तु को नाटक ह कहा जाता है । अङ्ग्ग्रेज़ी में इसे प्लाट की संज्ञा द गई है ष्जसका अथव आधार या भूमम से है । 2) कववता 1) कविता के बाह्य तत्ि का उल्लेख कीष्जए ? उत्तर - लय , तुक, छं द ,िब्द योजना, चित्रात्मक भाषा तथा अलंकार कविता के बाह्य तत्ि है । 2) कविता के आंतररक तत्ि कौन कौन से हैं ? उत्तर - कविता के आंतररक तत्ि अनुभूनत की व्यापकता, कल्पना की उड़ान ,रसात्मकता और सौंदयव बोध तथा भािों का उदात्तीकरण कविता के आंतररक भाि हैं । 3) काव्य के ककतने भेद होते हैं ? उत्तर - काव्य के दो भेद होते हैं - श्रव्य काव्य दृश्य काव्य । 4) हहन्द के दो महाकाव्य के नाम मलणखए ? उत्तर - हहंद के दो महाकाव्य हैं पहला रामिररतमानस ष्जसे तुलसीदास ने मलखा है और कामायनी ष्जसे जयिंकर प्रसाद ने मलखा है । 5) हहंद का प्रथम महाकाव्य ककसे माना जाता है उसका रिनाकार कौन है ? उत्तर - हहंद का प्रथम महाकाव्य रामिररत मानस माना जाता है ष्जस के रिनाकार तल ु सीदास जी हैं । (3) क ानी कहानी हहंद में गद्य लेखन की एक विधा है 19िीं सद में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ ष्जसे कहानी के नाम से जाना गया 25 CLICK ON IMAGE TO JOIN US ON TELEGRAM CLICK HERE TO JOIN US ON TELEGRAM मनष्ु य के जन्म से साथ ह साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सन ु ना मानि का आज स्िभाि बन गया प्रािीन काल में सहदयों तक प्रिमलत िीरों तथा राजाओं के िौयव प्रेम न्याय ज्ञान िैराग्य साहस समुद्र यात्रा अगम्य पिवतीय प्रदे िों में प्राणणयों का अष्स्तत्ि आहद की कथाएं ष्जनकी कथानक घटना प्रदान हुआ करती थी कहानी के ह रूप हैं कहानी के तत्ि कौन कौन से हैं कथािस्तु पात्र अथिा िररत्र चित्रण कथाकथन अथिा संिाद दे िकाल अथिा िातािरण भाषा िैल तथा उद्दे श्य कहानी के मख् ु य तत्ि हैं कथानक के िार अंग कौन कौन से हैं कथानक के िार अंग हैं आरं भ आरोह यानी विस्तार िरम ष्स्थनत यानी कहानी का उत्कषव तथा अिरो या तलाइमैतस दस ू रे िब्दों में समापन ककसी अन्य साहहष्त्यक विधा में नह ं दे खी जाती कहानी का प्रािीन नाम संस्कृत में गलव भैया आख्यानयका ममलता है हहंद कहानी का जन्म ितवमान युग की आिश्यकताओं के कारण हुआ हहंद कहानी का उद्भि द्वििेद युग में सरस्िती पबत्रका के प्रकािन से प्रारं भ होता है राजेंद्र बाला घोष अथावत बंग महहला को हहंद की प्रथम कहानी लेणखका माना जाता है दल ु ाईिाल उनकी प्रमुख कहानी है नाम धनपत राय था निाब राय के रूप में िे उदव ू में कहानी मलखते थे प्रेमिंद के कहानी संग्रह सोजे ितन 1960 को बब्रहटि सरकार ने जप्त कर मलया था सोजे ितन पांि कहाननयों का संग्रह था जो उदव ू में मलखा गया था की प्रथम कहानी पंि परमेश्िर सन 1917 तथा अंनतम कहानी अंनतम उपन्यास कफन 1936 था मंगलसूत्र उनका अपूणव और अंनतम उपन्यास है जो सन 1936 में मलखा गया 1960 ईस्िी में नई कहाननयां नामक पबत्रका श्री भैरि प्रसाद गप्ु त के संपादक त्त्ि में हदल्ल से प्रकामित होने लगी थी कहानी में जहटल यथाथव की व्यापक आधुननक बोध व्यष्तत के प्रनतष्ठा जीिन िेतना मध्यिगीय जीिन िेतना िल भािन का भाि तथा संख्या ममलती है हहंद कहानी का स्िरूप अंग्रेजी तथा बंगला कहानी से प्रभावित है 26 हहंद कहानी की विकास यात्रा को ननम्नमलणखत बबंदओ ु ं में समझा जा सकता है प्रेमिंद पि ू व योग प्रेमिंद योग प्रेमिंदोत्तर युग तथा स्िातंत्र्योत्तर युग। आरो िाग-2 पाि-1 एक गीत हदन जल्दी-जल्दी ढलता ै ( ररविंश राय बर्चचन) पहित पदयािंश- 1 हो जाए न पथ में रात कह ं, मंष्जल भी तो है दरू नह -ं यह सोि थका हदन का पंथी भी जल्द -जल्द िलता है ! हदन जल्द -जल्द ढलता है ! प्रश्न-1 पंथी को कहाूँ रात होने की संभािना है ? (I)पथ में (II)घर में (III)बाज़ार में (IV)गल में उत्तर- (I)पथ में प्रश्न-2 तया दरू नह ं है ? (I)विद्यालय (II)दक ु ान (III)मंष्जल (IV)िहर उत्तर- (III)मिंक्जल प्रश्न-3 कौन जल्द -जल्द िलता है ? (I)मिक्षक (II)पंथी (III)विद्याथी (IV)अमभभािक उत्तर- (II)पिंथी प्रश्न-4 पंथी कैसे िलता है ? (I)धीरे -धीरे (II)दौड़कर (III)हूँसकर (IV)जल्द -जल्द उत्तर- (IV)जल्दी-जल्दी प्रश्न-5 हदन कैसे ढलता है ? (I)जल्द -जल्द (II)धीरे -धीरे (III)मंद गनत से (IV)आस्य से उत्तर- (I)जल्दी-जल्दी पहित पदयािंश-2 बच्िे प्रत्यािा में होंगे, नीड़ों से झाूँक रहे होंगे- यह ध्यान परों में चिडड़यों के भरता ककतनी िंिलता है ! हदन जल्द -जल्द ढलता है ! प्रश्न-1 बच्िे कैसे होंगे? 27 (I)सख ु में (II)प्रत्यािा (III)दख ु में (IV)घर में उत्तर- (II) प्रत्याशा प्रश्न-2 बच्िे कहाूँ से झाूँकते होंगे? (I)नीड़ों से (II)दरिाजे से (III)आसमान से (IV)िहर से उत्तर- (I)नीड़ों से प्रश्न-3 चिडड़यों के परों में तया भरती है ? (I)उड़ान (II)गनत (III)िंिलता (IV)तेजी उत्तर- (III)चिंचलता प्रश्न-4 बच्िे ककसकी प्रत्यािा में होंगे? (I)दोस्त की (II)वपता की (III)भाई की (IV)चिडड़यों की उत्तर- (IV)गचडड़यों की प्रश्न-5 हदन कैसे ढलता है ? (I)जल्द -जल्द (II)धीरे -धीरे (III)मंद गनत से (IV)आस्य से उत्तर- (I)जल्दी-जल्दी लघुत्तरीय प्रश्न प्रश्न- 1पंथी को कहाूँ रात होने की संभािना है ? उत्तर-पिंथी को क ााँ रास्ते में ोने की सिंिावना ै तयोंक्रक उसे जल्दी अपनी मिंक्जल तक प ु ाँचना ै| प्रश्न 2-पंथी के मलए तया दरू नह ं है? उत्तर-पिंथी के भलए मिंक्जल दरू न ीिं ै तयोंक्रक उसके मन में अपनी मिंक्जल तक प ु ाँचने का उत्सा और उमिंग ै| प्रश्न 3-कौन जल्द जल्द िलता है-? उत्तर-पिंथी जल्दीजल्दी चलता ै तयोंक्रक उसे अपनी मिंक्जल को पाना ै -| प्रश्न 4-बच्िे ककसकी प्रत्यािा में होंगे? उत्तर-बर्चचे अपनी मााँ की प्रत्याशा में ोंगे तयोंक्रक मााँ उन् ें दाना दे गी और मााँ से उन् ें प्यार िी भमलेगा| प्रश्न 5-चिडड़यों के परों में िंिलता तयों आती है ? उत्तर-जब गचडड़यों को अपने बर्चचों की याद आती ै तब उनके परों में चिंचलता आती ै , वे अपने बर्चचों से जल्दी ी भमलना चा ती ै और उन् ें ब ु त सारा प्यार दे ना चा ती ै| 28 पाि–3 कववता के ब ाने (कुाँवर नारायि) पदयािंश – १ (ब ु ववकल्पीय प्रश्न) कविता एक उड़ान है चिडड़या के बहाने कविता की उडाना़ भला चिडड़या तया जाने बाहर - भीतर इस घर, उस घर कविता के पंख लगा उड़ने के माने चिडड़या तया जाने? प्रश्न १ – कविता का िीषवक है ? 1. कविता के बहाने 2. खेल के बहाने 3. घर जाने के बहाने 4. इनमे से कोई नह उत्तर – (क) कविता के बहाने प्रश्न २- कविता के पंख लगा कर उड़ने के माने कौन नह जानता ? 1. कवि 2. लेखक 3. चिडड़या 4. इनमे से कोई नह उत्तर - (ग) चिडड़या प्रश्न ३- कविता की उड़ान कहाूँ कहाूँ होती है 1. बाहर-भीतर 2. इस घर 3. उस घर 4. उपयुवतत सभी उत्तर – (घ) उपयुवतत सभी प्रश्न 4- कविता कक तुलना ककससे की गई है ? 1. चिडड़या से 2. कबत ू र से 3. घर से 29 4. पंख से उत्तर – (क) चिडड़या से प्रश्न 5 – चिडड़या तया नह जानती ? 1. कविता की उड़ान 2. कविता का पंख 3. इस घर उस घर को 4. इनमे से कोई नह उत्तर – (क) कविता की उड़ान पदयािंश – 2 (ब ु ववकल्पीय प्रश्न) कविता एक खेल है बच्िों के बहाने बाहर भीतर यह घर िह घर सब घर एक कर दे ने के माने बच्िा ह जाने। प्रश्न १ – प्रस्तुत कविता का रिनाकार कौन है ? 1. आलोक धन्िा 2. कंु िर नारायण 3. रघि ु ीर सहाय 4. िमिेर बहादरु मसंह 5. उत्तर – (ख़) कंु िर नारायण प्रश्न 2 –बच्िो के बहाने कविता तया है ? 1. घर 2. खेल 3. फूल 4. इनमे से कोई नह उत्तर – (ख) खेल प्रश्न-३ कविता के सब घर एक कर दे ने के माने कौन जानता है ? 1. कवि 2. बच्िे 3. फूल 30 4. इनमे से कोई नह उत्तर – (ख) बच्िे प्रश्न – 4 बाहर- भीतर यह घर िह घर एक कौन कर दे ता है ? 1. कविता 2. बच्िे 3. उपयुवतत दोनों 4. इनमे से कोई नह उत्तर – (ग) उपयुवतत दोनों प्रश्न 5 – प्रस्तुत कविता ककस पाठ से उद्धत ृ है ? 1. आत्म पररिय 2. कविता के बहाने 3. बात सीधी थी पर 4. इनमे से कोई नह उत्तर – (ख) कविता के बहाने लघुत्तरीय प्रश्न - प्रश्न 1- कविता कहाूँ-कहाूँ उड़ सकती हैं? उत्तर - कविता पंख लगाकर मानि मन में उड़ान भरती है । िह एक घर से दस ू रे घर तक उड़ सकती है । प्रश्न 2- कविता की उडान ि चिडडया की उडान में तया अंतर हैं? उत्तर - चिडड़या की उड़ान एक सीमा तक होती है , परं तु कविता की उड़ान व्यापक होती है । चिडड़या कबब्रता की उड़ान को नह ं जान सकती। प्रश्न 3 - बबना मरु झाए कौन कहाूँ महकता हैं? उत्तर - बबना मुरझाए कविता हर जगह महका करती है । यह अनंतकाल तक सुगंध फैलाती है । प्रश्न 4 - कविता को तया सज्ञा द गई हैं? उत्तर - कविता को खेल की संज्ञा द गई है | प्रश्न 5 - कविता और बच्िों के खेल में तया समानता हैं? 31 उत्तर - बच्िे कह ं भी, कभी भी खेल खेलने लगते हैं। इस तरह कविता कह ं भी प्रकट हो सकती है । पाि-4 कैमरे मे बिंद अपाह ज (रघुवीर स ाय) प्रश्न -1 ननम्नमलणखत काव्यांि को ध्यानपि ू वक पहढ़ए:- हम दरू दिवन पर बोलेंगे हम समथव िष्ततमान हम एक दब ु वल को लाएंगे एक बंद कमरे में उससे पूछेंगे तो आप तया अपाहहज है ? तो आप तयों अपाहहज है ? आपका अपाहहजपन तो दख ु दे ता होगा दे ता है ? ( कैमरा हदखाओ इसे बड़ा बड़ा) हां तो बताइए आपका दख ु तया है जल्द बताइए िह दःु ख बताइए बता नह ं पाएगा सोचिए/ बताइए आपको अपाहहज होकर कैसा लगता है कैसा यानी कैसा लगता है ( हम खुद इिारे से बताएंगे कक तया ऐसा?) सोचिए/ बताइए थोड़ी कोमिि कररए ( यह अिसर खो दें गे ?) तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्पों का चयन कीक्जए :- (i) प्रस्तुत काव्यांि ककस कविता से अितररत है ? I. सहषव स्िीकारा है II. आत्म पररिय III. कैमरे में बंद अपाहहज IV. बादल राग उत्तर III (ii) प्रस्तुत काव्यांि के रचियता कौन है ? I. रघुिीर सहाय 32 II. धमविीर भारती III. हररिंि राय बच्िन IV. सय ू वकांत बत्रपाठी ‘ ननराला’ उत्तर I (iii) ‘ दब ु वल ‘ककसे कहा गया है ? I. मीडडयाकमी को II. कायवक्म ननमावता को III. अपाहहज व्यष्तत को IV. कैमरामैन को उत्तर III (iv) कैमरे में ककसे बड़ा- बड़ा हदखाने के मलए कहा गया है ? I. स्टूडडयो का कमरा II. अपाहहज का िेहरा III. ममडडया कमी IV. सभी को उत्तर II (v) काव्यांि की ककस पंष्तत से ममडडया कमी की संिेदनह नता का पता िलता है ? I. तो आप तयों अपाहहज है ? II.आपको अपाहहज होकर कैसा लगता है III. यानी कैसा लगता है IV. सभी उत्तर IV प्रश्न;-2 ननम्नमलणखत काव्यांि को ध्यानपूिवक पहढ़ए:- आप जानते हैं कक कायवक्म रोिक बनाने के िास्ते हम पछ ू पछ ू कर उसको रुला दें गे इंतजार आप उसके रो पडने का/करते हैं ? (यह प्रश्न पछ ू ा नह ं जायेगा )दनु नया में जो कफर हम पदे पर हदखलाएंगे फूल हुई आंख की एक बड़ी तस्िीर/ बहुत बड़ी तस्िीर और उसके होठों पर एक कसमसाहट भी ( आिा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे) एक और कोमिि दिवक धीरज रणखए / दे णखए हमें दोनों एक संग रुलाने हैं 33 आप और िह दोनों ( कैमरा / बस करो / नह ं हुआ / रहने दो/ पदे पर ितत की कीमत है) अब मुस्कुराएंगे हम आप दे ख रहे थे सामाष्जक उद्दे श्य से यत ु त कायवक्म ( बस थोड़ी ह कसर रह गई) धन्यिाद ! तनम्नभलणखत में से तनदे शानुसार ववकल्पों का चयन कीक्जए :- (i)प्रस्तुत काव्यांि ककस कविता से अितररत है ? I. सहषव स्िीकारा है II. आत्म पररिय III. कैमरे में बंद अपाहहज IV. बादल राग उत्तर III (ii)प्रस्तुत काव्यांि के रचियता कौन है ? I. रघुिीर सहाय II. धमविीर भारती III. हररिंि राय बच्िन IV. सय ू वकांत बत्रपाठी ‘ ननराला’ उत्तर I (iii) ‘हम पूछ पूछ कर उसको रुला दें गे’-इस पंष्तत में कवि ने ककस के विषय में कहां है ? I. दिवक II. अपंग व्यष्तत III. ननमावता-ननदे िक IV. मीडडया कमी उत्तर II (iv) ( कैमरा / बस करो / नह ं हुआ / रहने दो)-पंष्तत में तया नह ं होने के बारे में संकेत ककया गया है :- I. दिवकों द्िारा नह ं रोया गया II. अपाहहज व्यष्तत और दिवक नह ं रोए III. कायवक्म सफल नह ं IV. अपाहहज व्यष्तत नह ं रोया उत्तर IV लघुत्तरीय प्रश्न प्रश्न-3 ननम्नमलणखत प्रश्नों के उत्तर लगभग 30-40 िब्दों मे मलखे :- 34 ( i) ‘कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता से संिार माध्यमों की कौन सी सच्िाई उजागर होती है ? उत्तर : कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता के माध्यम से कवि ने ट.िी., समािार िैनलों आहद संिार माध्यमों की इस सच्िाई को उजागर ककया है कक िेअपने कायवक्मों की लोकवप्रयता बढ़ाने के मलए संिेदनह नता की हर सीमा तक जाने के मलए प्रस्तुत हो जाते हैं | “आपको अपाहहज होकर कैसा लगता है ” जैसी पंष्ततयां इस तथ्य को प्रमाणणत करती हैं | (ii) कायवक्म को रोिक बनाने के मलए कायवक्म संिालक तया-तया उपाय करता है ? उत्तर: कायवक्म को रोिक बनाने के मलए कायवक्म संिालक अपाहहज व्यष्तत को रुलाने की पूर िेष्टा करता है | िह उससे तरह तरह के प्रश्न पछ ू ता है और उसकी भाि भंचगमा को कैमरे में फोकस करके हदखाने के मलए कैमरामैन को कहता है | (iii) मीडडया कमी अपाहहज व्यष्तत और दिवकों को एक साथ रूलाने का प्रयास तयों करता है ? उत्तर :अपाहहज व्यष्तत तम ु को एक साथ रुलाने से कायवक्म का उद्दे श्य- अपाहहज व्यष्तत के प्रनत समाज में संिेदनिीलता उत्पन्न कर अपने कायवक्म की प्रमसद्चध बढ़ाना- पूणव हो जाता इसमलए मीडडया कमी इस कोमिि में लगा रहता है कक अपाहहज व्यष्तत और दिवक एक साथरोयें | (iv) ‘आप दे ख रहे थे सामाष्जक उद्दे श्य से युतत कायवक्म/( बस थोड़ी ह कसर रह गई)”-इस पंष्तत में कवि ने तया व्यंग्य ककया है ? उत्तर: कायवक्म प्रस्तुतकताव अपाहहज व्यष्तत को रूलाकर अचधक से अचधक सहानभ ु ूनत प्राप्त कर कायवक्म को प्रमसद्ध करना िाहता था | पर आप अपाहहज व्यष्तत के रोने से पूिव ह कायवक्म की अिचध समाप्त होने के कारण यह उद्दे श्य पूरा होने से रह गया |इस पंष्तत से कवि ने यह व्यंग ककया है | (v) ‘कैमरे में बंद अपाहहज’ कविता का तया प्रनतपाद्य है ? उत्तर : कैमरे में बंद अपाहहज कविता के माध्यम से कवि ने िार ररक िुनौती झेलते लोगों के प्रनत संिेदनिील नजररया अपनाने के मलए प्रेरणा द है | इसके साथ ह संिार माध्यमों की सच्िाई को उजागर करना भी कवि का उद्दे श्य रहा है | पाि-5 स षष स्वीकारा ै (गजानन माधव मुक्ततबोध) काव्यािंश- 1 ष्जंदगी में जो कुछ हैं, जो भी है इसमलए कक जो कुछ भी मेरा हैं िह तम् ु हें प्यारा हैं। गरबील गर बी यह, ये गंभीर अनभ ु ि सब यह वििारिैभि सब- दृढ़ता यह, भीतर की सररता यह अमभनि सब मौमलक है , मौमलक है इसमलए कक पलपल में- 35 जो कुछ भी जाग्रत हैं अपलक हैं- संिेदन तुम्हारा हैं!! जाने तया ररश्ता हैं, जाने तया नाता हैं ष्जतना भी ऊूँड़ेलता हूूँ भरभर कफर आता हैं- हदल में तया झरना है ? मीठे पानी का सोता हैं भीतर िह, ऊपर तुम मुसकाता िाूँद ज्यों धरती पर रातभर- मुझ पर त्यों तुम्हारा ह णखलता िह िेहरा हैं! 1. ‘स षष स्वीकारा ै ’ कववता के रचनाकार कौन ैं ? क. भिानीप्रसाद ममश्र ख. गजानन माधि मुष्ततबोध ग. सष्च्िदानंद ह रानंद िात्स्यायन ‘अज्ञेय’ घ. जयिंकर प्रसाद उत्तर.ख - गजानन माधव मुक्ततबोध 2. ‘सररता’ शब्द का तया अथष ै ? क. सूरज ख. नद ग. द पक घ. हिा उत्तर.ख - नदी 3. ‘गिंिीर अनि ु व’ में अनि ु व क्रकस प्रकार का ै ? क. सरल ख. हास्यास्पद ग. सहज घ. गंभीर उत्तर - घ गिंिीर 4. ‘स षष’ शब्द का तया अथष ै ? क. ख़ुिी ख. दःु ख ग. गिव घ. मजाक उत्तर.क - ख़ुशी

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