Chapter 1 - प्रारंभिक कथन : क्या, कब, कहाँ और कैसे? PDF
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This chapter introduces historical concepts like time, place, and methods of studying the past. It uses examples of various historical events and locations in India to illustrate the topics.
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अध्याय 1 प्रारंभिक कथन : क्या, कब, कहाँ और कै से? रशीदा का सवाल रशीदा बैठी अख़बार पढ़ रही थी। अचानक उसकी निगाह एक सख़ ु पर पड़ी “सौ साल पहले”। वह सोचने लगी कि यह कोई कै से जान सकता है कि इतने वर्षों पहले...
अध्याय 1 प्रारंभिक कथन : क्या, कब, कहाँ और कै से? रशीदा का सवाल रशीदा बैठी अख़बार पढ़ रही थी। अचानक उसकी निगाह एक सख़ ु पर पड़ी “सौ साल पहले”। वह सोचने लगी कि यह कोई कै से जान सकता है कि इतने वर्षों पहले क्या हुआ था? कै से पता लगाएँ? यह जानने के लिए कि कल क्या हुआ था, तमु रे डियो सनु सकते हो, टेलीविज़न देख सकते हो या फिर अख़बार पढ़ सकते हो। साथ ही यह जानने के लिए कि पिछले साल क्या हुआ था, तमु किसी ऐसे व्यक्ति से बात कर सकते हो जिसे उस समय की स्ति मृ हो। लेकिन बहुत पहले क्या हुआ था यह कै से जाना जा सकता है? अतीत के बारे में हम क्या जान सकते हैं? अतीत के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है–जैसे लोग क्या खाते थे, कै से कपड़े पहनते थे, किस तरह के घरों में रहते थे? हम आखेटकों (शिकारियों), पशपु ालकों, कृषकों, शासकों, व्यापारियों, परु ोहितों, शिल्पकारों, कलाकारों, संगीतकारों या फिर वैज्ञानिकों के जीवन के बारे में जानकारियाँ हासिल कर सकते हैं। यही नहीं हम यह भी पता कर सकते हैं कि उस समय बच्चे कौन-से खेल खेलते थे, कौन-सी कहानियाँ सनु ा करते थे, कौन-से नाटक देखा करते थे या फिर कौन-कौन से गीत गाते थे। लोग कहाँ रहते थे? मानचित्र 1 (पष्ृ ठ 2) में नर्मदा नदी का पता लगाओ। कई लाख वर्ष पहले से लोग इस नदी के तट पर रह रहे हैं। यहाँ रहने वाले आरंभिक लोगों में से कुछ कुशल संग्राहक थे जो आस-पास के जंगलों की विशाल संपदा से परिचित थे। अपने भोजन के लिए वे जड़ों, फलों तथा जगं ल के अन्य उत्पादों का यहीं 1 से संग्रह किया करते थे। वे जानवरों का आखेट (शिकार) भी करते थे। प्रारंभिक कथन : क्या, कब, कहाँ और कै से? Rationalised 2023-24 Chapter 1.indd 1 17 June 2022 10:03:18 अब तमु उत्तर-पश्चिम की सल ु मे ान और किरथर पहाड़ियों का पता लगाओ। इसी क्त्रषे में कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ लगभग आठ हज़ार वर्ष पर्वू स्त्री-परुु षों ने सबसे पहले गेहूँ तथा जौ जैसी फ़सलों को उपजाना आरंभ किया। उन्होंने भेड़, बकरी और गाय-बैल जैसे पशओ ु ं को पालतू बनाना शरूु किया। ये लोग गाँवों में रहते थे। उत्तर-पर्वू में गारो तथा मध्य भारत में विधं ्य पहाड़ियों का पता लगाओ। ये कुछ अन्य ऐसे क्त्रषे थे जहाँ कृषि का विकास हुआ। जहाँ सबसे पहले चावल उपजाया गया वे स्थान विधं ्य के उत्तर में स्थित थे। मानचित्रः 1 उपमहाद्वीप का प्राकृतिक मानचित्र रे खाचित्र पैमाना नहीं दिया गया है। 2 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 1.indd 2 17 June 2022 10:03:20 मानचित्र पर सिधं ु तथा इसकी सहायक नदियों का पता लगाने का प्रयास मानचित्र 1 दक्षिण करो। सहायक नदियाँ उन्हें कहते हैं जो एक बड़ी नदी में मिल जाती हैं। एशिया (आधनि ु क भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, लगभग 4700 वर्ष पर्वू इन्हीं नदियों के किनारे कुछ आरंभिक नगर फले-फूले। नेपाल, भटू ान और श्रीलंका) गगं ा व इसकी सहायक नदियों के किनारे तथा समद्रु तटवर्त्ती इलाकों में नगरों और अफ़गानिस्तान, ईरान, का विकास लगभग 2500 वर्ष पर्वू हुआ। चीन तथा म्यांमार आदि गगं ा तथा इसकी सहायक नदी सोन का पता लगाओ। गगं ा के दक्षिण में पड़ोसी देशों को दर्शाता है। दक्षिण एशिया एक इन नदियों के आस-पास का क्षेत्र प्राचीन काल में ‘मगध’ (वर्तमान बिहार महाद्वीप से छोटा है, लेकिन में) नाम से जाना जाता था। इसके शासक बहुत शक्तिशाली थे और उन्होंने विशालता तथा बाकी एक विशाल राज्य स्थापित किया था। देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसे राज्यों एशिया से समद्रोंु , पहाड़ियों की स्थापना की गई थी। तथा पर्वतों से बँटे होने के कारण इसे प्रायः उपमहाद्वीप लोगों ने सदैव उपमहाद्वीप के एक हिस्से से दसू रे हिस्से तक यात्रा की। कहा जाता है। कभी-कभी हिमालय जैसे ऊँचे पर्वतों, पहाड़ियों, रे गिस्तान, नदियाें तथा समद्रों ु के कारण यात्रा जोखिम भरी होती थी, फिर भी ये यात्रा उनके लिए असंभव नहीं थी। अतः कभी लोग काम की तलाश में तो कभी प्राकृतिक आपदाओ ं के कारण एक स्थान से दसू रे स्थान जाया करते थे। कभी-कभी सेनाएँ दसू रे क्षेत्रों पर विजय हासिल करने के लिए जाती थीं। इसके अतिरिक्त व्यापारी कभी कािफ़ले में तो कभी जहाज़ों में अपने साथ मलू ्यवान वस्तुएँ लेकर एक स्थान से दसू रे स्थान जाते रहते थे। धार्मिक गरू ु लोगों को शिक्षा और सलाह देते हुए एक गाँव से दसू रे गाँव तथा एक कसबे से दसू रे कसबे जाया करते थे। कुछ लोग नए और रोचक स्थानों को खोजने की चाह में उत्सुकतावश भी यात्रा किया करते थे। इन सभी यात्राओ ं से लोगों को एक-दसू रे के विचारों को जानने का अवसर मिला। आज लोग यात्राएँ क्यों करते हैं? एक बार फिर से मानचित्र 1 को देखो। पहाड़ियाँ, पर्वत और समद्रु इस उपमहाद्वीप की प्राकृतिक सीमा का निर्माण करते हैं। हालाँकि लोगों के लिए इन सीमाओ ं को पार करना आसान नहीं था, जिन्होंने ऐसा चाहा वे ऐसा कर सके , वे पर्वतों की ऊँचाई को छू सके तथा गहरे समद्रों ु को पार कर सके । उपमहाद्वीप के बाहर से भी कुछ लोग यहाँ आए और यहीं बस गए। लोगों के 3 प्रारंभिक कथन : क्या, कब, कहाँ और कै से? Rationalised 2023-24 Chapter 1.indd 3 17 June 2022 10:03:20 इस आवागमन ने हमारी सांस्कृतिक परंपराओ ं को समद्ध ृ किया। कई सौ वर्षों से लोग पत्थर को तराशने, संगीत रचने और यहाँ तक कि भोजन बनाने के नए तरीकों के बारे में एक-दसू रे के विचारों को अपनाते रहे हैं। देश के नाम अपने देश के लिए हम प्रायः इण्डिया तथा भारत जैसे नामों का प्रयोग करते हैं। इण्डिया शब्द इण्डस से निकला है जिसे ससं ्कृ त में सिधं ु कहा जाता है। अपने एटलस में ईरान और यनू ान का पता लगाओ। लगभग 2500 वर्ष पर्वू उत्तर-पश्चिम की ओर से आने वाले ईरानियों और यनू ानियों ने सिंधु को हिदोस अथवा इदं ोस और इस नदी के पर्वू में स्थित भमि ू प्रदेश को इण्डिया कहा। भरत नाम का प्रयोग उत्तर-पश्चिम में रहने वाले लोगों के एक ताड़पत्रों से बनी पाण्डुलिपि का समहू के लिए किया जाता था। इस समहू का उल्लेख ससं ्कृ त की आरंभिक एक पष्ृ ठ (लगभग 3500 वर्ष परु ानी) कृति ॠग्वेद में भी मिलता है। बाद में इसका यह पाण्डुलिपि लगभग प्रयोग देश के लिए होने लगा। एक हज़ार वर्ष पहले लिखी गई थी। किताब अतीत के बारे में कै से जानें? बनाने के लिए ताड़ के अतीत की जानकारी हम कई तरह से प्राप्त कर सकते हैं। इनमें से एक तरीका पत्तों को काटकर उनके अतीत में लिखी गई पसु ्तकों को ढूँढ़ना और पढ़ना है। ये पसु ्तकें हाथ से अलग-अलग हिस्सों लिखी होने के कारण पाण्डुलिपि कही जाती हैं। अग्रें जी में ‘पाण्डुलिपि’ के को एक साथ बाँध दिया जाता था। भर्जू पेड़ की लिए प्रयक्त ु होने वाला ‘मैन्यूस्क्रिप्ट’ शब्द लैटिन शब्द ‘मेन’ू जिसका अर्थ छाल से बनी ऐसी ही एक हाथ है, से निकला है। ये पाण्डुलिपियाँ प्रायः ताड़पत्रों अथवा हिमालय क्षेत्र पाण्डुलिपि को तमु यहाँ में उगने वाले भर्जू नामक पेड़ की छाल से विशेष तरीके से तैयार भोजपत्र पर देख सकते हो। लिखी मिलती हैं। 4 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 1.indd 4 17 June 2022 10:03:21 इतने वर्षों में इनमें से कई पाण्डुलिपियों को कीड़ों ने खा लिया तथा कुछ नष्ट कर दी गर्इं। फिर भी ऐसी कई पाण्डुलिपियाँ आज भी उपलब्ध हैं। प्रायः ये पाण्डुलिपियाँ मदि ं रों और विहारों में प्राप्त होती हैं। इन पसु ्तकों में धार्मिक मान्यताओ ं व व्यवहारों, राजाओ ं के जीवन, औषधियों तथा विज्ञान आदि सभी प्रकार के विषयों की चर्चा मिलती है। इनके अतिरिक्त हमारे यहाँ महाकाव्य, कविताएँ तथा नाटक भी हैं। इनमें से कई ससं ्कृ त में लिखे हुए मिलते हैं जबकि अन्य प्राकृत और तमिल में हैं। प्राकृत भाषा का प्रयोग आम लोग करते थे। हम अभिलेखों का भी अध्ययन कर सकते हैं। ऐसे लेख पत्थर अथवा धातु जैसी अपेक्षाकृत कठोर सतहों पर उत्कीर्ण किए गए मिलते हैं। लगभग 2250 वर्ष पुराना यह कभी-कभी शासक अथवा अन्य लोग अपने आदेशों को इस तरह उत्कीर्ण अभिलेख वर्तमान अफ़गानिस्तान करवाते थे, ताकि लोग उन्हें देख सकें , पढ़ सकें तथा उनका पालन कर सकें । के कंधार से प्राप्त हुआ है। यह कुछ अन्य प्रकार के अभिलेख अभिलेख अशोक नामक शासक भी मिलते हैं जिनमें राजाओ ं के आदेश पर उत्कीर्ण करवाया गया था। इस शासक के विषय तथा रानियों सहित अन्य में तुम अध्याय 7 में पढ़ोगी। स्त्री-परुु षों ने भी अपने कार्यों जब हम कुछ लिखते हैं तब हम के विवरण उत्कीर्ण करवाए किसी लिपि का प्रयोग करते हैं। हैं। उदाहरण के लिए प्रायः लिपियाँ अक्षरों अथवा सक ं े तों से शासक लड़ाइयों में अर्जित बनी होती हैं। जब हम कुछ बोलते अथवा पढ़ते हैं तब हम एक भाषा विजयों का लेखा-जोखा का प्रयोग करते हैं। रखा करते थे। यह अभिलेख इस क्षेत्र में प्रयक्त ु क्या तमु बता सकती होने वाली यनू ानी तथा अरामेइक नामक दो भिन्न लिपियों तथा हो कि कठोर सतह पर भाषाओ ं में है। लेख लिखवाने के क्या लाभ थे? ऐसा करवाने में क्या-क्या कठिनाइयाँ आती थीं? इसके अतिरिक्त अन्य कई वस्तुएँ अतीत में बनीं और प्रयोग में लाई जाती थीं। ऐसी वस्तुओ ं का अध्ययन करने वाला व्यक्ति परु ातत्त्वविद् कहलाता है। परु ातत्त्वविद् पत्थर और र्इंट से बनी इमारतों के अवशेषों, चित्रों तथा मर्ति ू यों 5 प्रारंभिक कथन : क्या, कब, कहाँ और कै से? Rationalised 2023-24 Chapter 1.indd 5 17 June 2022 10:03:25 बाएँः एक प्राचीन नगर से प्राप्त पात्र। इस तरह के पात्रों का प्रयोग 4700 वर्ष पर्वू होता था। दाएँः एक परु ाना चाँदी का सिक्का। इस तरह के सिक्कों का प्रयोग लगभग 2500 वर्ष पर्वू होता था। हमारे द्वारा आज प्रयोग में आने वाले सिक्कों से यह सिक्का कै से भिन्न है? का अध्ययन करते हैं। वे औज़ारों, हथियारों, बर्तनों, आभषू णों तथा सिक्कों की प्राप्ति के लिए छान-बीन तथा खदु ाई भी करते हैं। इनमें से कुछ वस्तुएँ पत्थर, पकी मिट्टी तथा कुछ धातु की बनी हो सकती हैं। ऐसे तत्त्व कठोर तथा जल्दी नष्ट न होने वाले होते हैं। परु ातत्त्वविद् जानवरों, चिड़ियों तथा मछलियों की ह याँ ढूँढ़ते हैं। इससे उन्हें यह जानने में भी मदद मिलती है कि अतीत में लोग क्या खाते थे। वनस्पतियों के अवशेष बहुत मश्किल ु से बच पाते हैं। यदि अन्न के दाने अथवा लकड़ी के टुकड़े जल जाते हैं तो वे जले हुए रूप में बचे रहते हैं। क्या परु ातत्त्वविदों को बहुधा कपड़ों के अवशेष मिलते होंगे? पाण्डुलिपियों, अभिलेखों तथा परु ातत्त्व से ज्ञात जानकारियों के लिए इतिहासकार प्रायः स्रोत शब्द का प्रयोग करते हैं। इतिहासकार उन्हें कहते हैं जो अतीत का अध्ययन करते हैं। स्रोत के प्राप्त होते ही अतीत के बारे में पढ़ना बहुत रोचक हो जाता है, क्योंकि इन स्रोतों की सहायता से हम धीरे -धीरे अतीत का पनु र्निर्माण करते जाते हैं। अतः इतिहासकार तथा परु ातत्त्वविद् उन जाससू ों की तरह हैं जो इन सभी स्रोतों का प्रयोग सरु ाग के रूप में कर अतीत को जानने का प्रयास करते हैं। 6 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 1.indd 6 17 June 2022 10:03:30 अतीत, एक या अनेक? क्या तमु ने इस पसु ्तक के शीर्षक हमारे अतीत पर ध्यान दिया है? यहाँ ‘अतीत’ शब्द का प्रयोग बहुवचन के रूप में किया गया है। ऐसा इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाने के लिए किया गया है कि अलग-अलग समहू के लोगों के लिए इस अतीत के अलग-अलग मायने थे। उदाहरण के लिए पशपु ालकों अथवा कृषकों का जीवन राजाओ ं तथा रानियों के जीवन से तथा व्यापारियों का जीवन शिल्पकारों के जीवन से बहुत भिन्न था। जैसाकि हम आज भी देखते हैं, उस समय भी देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग अलग-अलग व्यवहारों और रीति-रिवाजों का पालन करते थे। उदाहरण के लिए आज अडं मान द्वीप के अधिकांश लोग अपना भोजन मछलियाँ पकड़ कर, शिकार करके तथा फल-फूल के संग्रह द्वारा प्राप्त करते हैं। इसके विपरीत शहरों में रहने वाले लोग खाद्य आपर्तिू के लिए अन्य व्यक्तियों पर निर्भर करते हैं। इस तरह के भेद अतीत में भी विद्यमान थे। इसके अतिरिक्त एक अन्य तरह का भेद है। उस समय शासक अपनी विजयों का लेखा-जोखा रखते थे। यही कारण है कि हम उन शासकों तथा उनके द्वारा लड़ी जाने वाली लड़ाइयों के बारे में काफी कुछ जानते हैं। जबकि शिकारी, मछुआरे , संग्राहक, कृषक अथवा पशपु ालक जैसे आम आदमी प्रायः अपने कार्यों का लेखा-जोखा नहीं रखते थे। परु ातत्त्व की सहायता से हमें उनके जीवन को जानने में मदद मिलती है। हालाँकि अभी भी इनके बारे में बहुत कुछ जानना शेष है। तिथियों का मतलब अगर कोई तमु से तिथि के विषय में पछू े तो तमु शायद उस दिन की तारीख, माह, वर्ष जैसे कि 2000 या इसी तरह का कोई और वर्ष बताओगी। वर्ष की यह गणना ईसाई धर्म-प्रवर्तक ईसा मसीह के जन्म की तिथि से की जाती है। अतः 2000 वर्ष कहने का तात्पर्य ईसा मसीह के जन्म के 2000 वर्ष के बाद से है। ईसा मसीह के जन्म के पर्वू की सभी तिथियाँ ई.प.ू (ईसा से पहले) के रूप में जानी जाती हैं। इस पसु ्तक में हम 2000 को अपना आरंभिक बिन्दु मानते हुए वर्तमान से पर्वू की तिथियों का उल्लेख करें गे। 7 प्रारंभिक कथन : क्या, कब, कहाँ और कै से? Rationalised 2023-24 Chapter 1.indd 7 17 June 2022 10:03:31 इतिहास और तिथियाँ अग्रें जी में बी.सी. (हिदी में ई.प.ू ) का तात्पर्य ‘बिफ़ोर क्राइस्ट’ (ईसा पर्वू ) होता है। कभी-कभी तमु तिथियों से पहले ए.डी. (हिदी में ई.) लिखा पाती हो। यह ‘एनो डॉमिनी’ नामक दो लैटिन शब्दों से बना है तथा इसका तात्पर्य ईसा मसीह के जन्म के वर्ष से है। कभी-कभी ए.डी. की जगह सी.ई. तथा बी.सी. की जगह बी.सी.ई. का प्रयोग होता है। सी.ई. अक्षरों का प्रयोग ‘कॉमन एरा’ तथा बी.सी.ई. का ‘बिफ़ोर कॉमन एरा’ के लिए होता है। हम इन शब्दों का प्रयोग इसलिए करते हैं क्योंकि विश्व के अधिकांश देशों में अब इस कै लेंडर का प्रयोग सामान्य हो गया। भारत में तिथियों के इस रूप का प्रयोग लगभग दो सौ वर्ष पर्वू आरंभ हुआ था। कभी-कभी अग्रेज़ी ं के बी.पी. अक्षरों का प्रयोग होता है जिसका तात्पर्य ‘बिफ़ोर प्जरे ने ्ट’ (वर्तमान से पहले) है। पृष्ठ 3 पर दो तिथियाँ हैं, उनका पता लगाओ। इनके लिए तमु किस अक्षर समहू का प्रयोग करोगी? कल्पना करो तमु ्हें एक परु ातत्त्वविद् का साक्षात्कार लेना है। तमु उन पाँच प्रश्नों की एक सचू ी तैयार करो जिन्हें तमु परु ातत्त्वविद् से पछू ना चाहोगी। उपयोगी शब्द आओ याद करें यात्रा 1. निम्नलिखित का समु ले करो पाण्डुलिपि नर्मदा घाटी पहला बड़ा राज्य अभिलेख परु ातत्त्व मगध आखेट तथा संग्रहण इतिहासकार गारो पहाड़ियाँ लगभग 2500 वर्ष पर्वू के नगर स्रोत सिंधु तथा इसकी सहायक नदियाँ आरंभिक कृषि अज्ञात लिपि का गगं ा घाटी प्रथम नगर अर्थ निकालना 2. पाण्डुलिपियों तथा अभिलेखों में एक प्रमख ु अतं र बताओ। आओ चर्चा करें 3. रशीदा के प्रश्न को फिर से पढ़ो। इसके क्या उत्तर हो सकते हैं? 4. परु ातत्त्वविदों द्वारा पाई जाने वाली सभी वस्तुओ ं की एक सचू ी बनाओ। इनमें से कौन-सी वस्तुएँ पत्थर की बनी हो सकती हैं? 8 हमारे अतीत–1 Rationalised 2023-24 Chapter 1.indd 8 17 June 2022 10:03:31 5. साधारण स्त्री तथा परुु ष अपने कार्यों का विवरण क्यों नहीं रखते थे? इसके बारे कुछ महत्वपर्णू में तमु क्या सोचती हो? तिथियाँ 6. कम से कम दो ऐसी बातों का उल्लेख करो जिनसे तमु ्हारे अनसु ार राजाओ ं और कृषि का आरंभ (8000 किसानों के जीवन में भिन्नता का पता चलता है। वर्ष पर्वू ) आओ करके देखें सिंधु सभ्यता के प्रथम नगर (4700 वर्ष पर्वू ) 7. पृष्ठ 1 पर शिल्पकार शब्द का पता लगाओ। आज प्रचलित कम से कम पाँच गंगा घाटी के नगर, मगध भिन्न-भिन्न शिल्पों की सचू ी बनाओ। क्या ये शिल्पकार (क) स्त्री, (ख) परुु ष, का बड़ा राज्य (2500 (ग) स्त्री तथा परुु ष दोनों होते हैं? वर्ष पर्वू ) 8. अतीत में पसु ्तकें किन-किन विषयों पर लिखी गई थीं? तमु इनमें से किन पसु ्तकों वर्तमान (लगभग 2000 को पढ़ना पसंद करोगी? वर्ष पर्वू ) 9 प्रारंभिक कथन : क्या, कब, कहाँ और कै से? Rationalised 2023-24 Chapter 1.indd 9 17 June 2022 10:03:32