Ancient History Class Notes PDF
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These notes provide an overview of the Mahajanapada Era in ancient India, focusing on the rise of Magadha and its ruling dynasties. Key figures like Bimbisara and Ajatashatru, and dynasties including the Haryankas, Nandas, and Mauryas are discussed. The notes also touch upon Buddhism, providing some basic details.
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महाजनपद काल (Mahajanpada Era) मगध का उत्थान प्रारं भ में एक छोटा महाजनपद जो अपनी राजनैतिक एकिा व धमम के कारण प्रतिद्द हुआ Initially a small Mahajanapada which became famous due to its political unity and religion. राजधातनयां – तगर...
महाजनपद काल (Mahajanpada Era) मगध का उत्थान प्रारं भ में एक छोटा महाजनपद जो अपनी राजनैतिक एकिा व धमम के कारण प्रतिद्द हुआ Initially a small Mahajanapada which became famous due to its political unity and religion. राजधातनयां – तगररवज्र, राजगृह, पाटतलपुत्र (िोन व गंगा नदी के तकनारे ) Capitals – Girivajra, Rajgriha, Pataliputra (on the banks of Son and Ganga rivers) अन्य नाम – वृहद् पुरी, मगधपुरी, विुनगरी Other names – Brihadpuri, Magadhpuri, Vasunagri महाजनपद काल (Mahajanpada Era) मगध पर शािन करने वाले राजवंश 1. हयंक वंश / Haryank dynasty 2. नागवंश / Naga dynasty 3. नन्दवंश / Nanda dynasty 4. मौयम / Maurya महाजनपद काल (Mahajanpada Era) मगध पर शािन करने वाले राजवंश बृहद्रथ राजवंश मगध पर शािन करने वाला प्रथम राजवंश /First dynasty to rule Magadha िंस्थापक (Founder) – बृहद्रथ / Brihadratha शािकों का हृम – बृहद्रथ – जरािंध – अज्ञाि – ररपु जन्य (अं तिम) Lineage of rulers – Brihadratha – Jarasandha – Unknown – Ripujanya (last) महाजनपद काल (Mahajanpada Era) मगध पर शािन करने वाले राजवंश बृहद्रथ इिने तगररवज्र को अपनी राजधानी बनाया / He made Girivajra his capital िंिानहीन था परन्तु जरािंध नामक राक्षिी के वरदान िे जरािंध नामक पु त्र उत्पन्न हुआ Was childless but a son named Jarasandh was born with the boon of a demon named महाजनपद काल (Mahajanpada Era) मगध पर शािन करने वाले राजवंश जरािंध ब्रह्द्रथ का पु त्र जो उिकी मृत्यु के बाद शािक बना son of brahdratha who became ruler after his death श्रीमदभगवदगीिा के अनुिार जरािंध ने भगवन श्रीकृष्ण के िाथ अनेक बार युद्ध तकये अं ििः पांडू पु त्र भीम के हाथो मारा गया According to Srimad Bhagavadgita, Jarasandha fought many times with Lord Krishna. Ultimately Pandu's son was killed by Bhima. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) मगध पर शािन करने वाले राजवंश जरािंध नोट:- इि वंश का अं तिम शािक ररपु जन्य था तजिे उिके िामंि भट्टीय ने मार डाला व मगध पर एक नए राजवंश हयंक वंश की नीव रखी Note:- The last ruler of this dynasty was Ripujanya who was killed by his Samant Bhattiya and laid the foundation of a new dynasty Haryanka dynasty on Magadha. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) हयंक वंश (545 ई.पू. िे 412 ई. पू.) शािकों का हृम भट्टीय – तबम्बििार – अजािशत्रु – उदतयन – अतनरुद्ध – मुंड – नागदशक Bhattiya – Bimbisara – Ajatashatru – Udayin – Aniruddha – Munda – Nagdasaka हयंक वंश का वास्ततवक िंस्थापक तबम्बििार था Bimbisara was the real founder of the Haryanka dynasty. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) हयंक वंश (545 ई.पू. िे 412 ई. पू.) तबम्बििार वृहद मगध की नीव रखने वाला प्रथम शािक तबम्बििार ने अपने पडौिी राज्ों के िाथ वैवातहक ििन्ध स्थातपि तकया जैिे – 1. वैशाली – वापवी / चेलना (राजा चेटक की पु त्री) 2. कौशल – कौशला दे वी (प्रिेनजीि की पु त्री) 3. क्षे मा – पं जाब (भद्र ) की राजकुमारी महाजनपद काल (Mahajanpada Era) हयंक वंश (545 ई.पू. िे 412 ई. पू.) तबम्बििार अवंिी नरे श ‚प्रधोि‛ को पांडू रोग (पीतलया) हो जाने पर अपने राजवैध जीवक को िेवा में भेजा 491 ई. पू. में तबम्बििार के पु त्र अजािशत्रु ने इिकी हत्या कर दी एवं स्वयं शािक बना महाजनपद काल (Mahajanpada Era) हयंक वंश (545 ई.पू. िे 412 ई. पू.) अजािशत्रु (Ajatshatru) भारिीय इतिहाि का प्रथम तपिृहन्ता / First patriarch in Indian history उपनाम – कुतणक (Kunik) अजािशत्रु ने वैशाली के तलम्बितवयों के िाथ लगािार 16 वर्म िंघर्म तकया अं ििः अपने मंत्री वत्सकार की िहायिा िे तवजय प्राप्त की Ajatashatru fought continuously for 16 years with the Lichchivis of Vaishali and finally won with the help of his minister Vatsakara. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) हयंक वंश (545 ई.पू. िे 412 ई. पू.) अजािशत्रु भगवान् महावीर , गौिम बुद्ध व मोगलीपु त्त गोिाल (आजीवक धमम के िंस्थापक ) को तनवामण की प्राम्बप्त अजािशत्रु के शािनकाल में हुई Lord Mahavira, Gautam Buddha and Mogliputta Gosala (founder of Ajivaka Dharma) attained Nirvana during the reign of Ajatashatru.. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) हयंक वंश (545 ई.पू. िे 412 ई. पू.) अजािशत्रु प्रथम बौद्ध िंगीति का आयोजन 483 ई. पू. में राजगृ ह की िप्तपणी गु फा में अजािशत्रु के शािनकाल में हुई I The first Buddhist council was organized in 483 BC. It took place during the reign of Ajatashatru in the Saptaparni cave of Rajagriha. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) हयंक वंश (545 ई.पू. िे 412 ई. पू.) उदतयन (उदयभद्र) इिने िोन व् गं गा के िंगम पर पाटतलपु त्र नगर की स्थापना की िथा इिे अपने िाम्राज् की राजधानी बनाया यह जैन मिानुयायी था नोट:- इि वंश का अं तिम शािक नागदशक था तजिे बनारि के राज्पाल तशशुनाग ने मार डाला व मगध पर एक नए राजवंश ‘नागवंश’ की स्थापना की महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नाग वंश (412 ई. पू वम िे 345 ई.पू.) िंस्थापक (Founder) :- तशशुनाग /Shishunag शािकों का हृम (Rulers) तशशुनाग – कालाशोक – नन्दीवधमन + भाई िामूतहक रूप िे राजा महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नाग वंश (412 ई. पू वम िे 345 ई.पू.) तशशुनाग शािक बनने िे पू वम बनारि का राज्पाल था / Before becoming the ruler, he was the governor of Banaras. इिने मगध की दो राजधातनयां बनायी ं /He made two capitals of Magadha 1. तगररवज्र / Girivajra 2. वैशाली / Vaishali इिके शािनकाल के िमय मगध िाम्राज् के अं िगम ि बंगाल िे लेकर मालवा िक का भू भाग िम्बितलि था At the time of his reign, the territory from Bengal to Malwa was included under the Magadha Empire. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नाग वंश (412 ई. पू वम िे 345 ई.पू.) कालाशोक (Kalashoka) इतिहाि में इिे काकवणम कहा जािा है In history it is called Kakavarna कालाशोक के िमय तििीय बौद्ध िंगीति का आयोजन 383 ई. पू. वैशाली में हुआ था I The Second Buddhist Council was organized at the time of Kalashoka in 383 BC. took place in Vaishali. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नाग वंश (545 ई.पू. िे 412 ई. पू.) कालाशोक कालाशोक के दरबार में अग्रिेन नामक नाई कायम करिा था, वह रानी का प्रे मी बन गया िथा रानी की िहायिा िे कालाशोक व उिके िमस्त पु त्रों को मौि के घाट उिार तदया A barber named Agrasen used to work in the court of Kalashoka, he became the queen's lover and with the help of the queen killed Kalashoka and all his sons. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नाग वंश (412 ई. पू वम िे 345 ई पू.) कालाशोक (Kalashoka) नोट:- यूनानी इतिहािकार कातटम यि के अनुिार यही अग्रिेन आगे चलकर महापदमनन्द के नाम िे तवख्याि हुआ, तजिने मगध पर एक नए राजवंश नन्द वंश की नी ंव रखी I Note: - According to the Greek historian Cartius, this Agrasen later became known as Mahapadmananda, who laid the foundation of a new dynasty, the Nanda dynasty, on Magadha. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नन्द वंश (344 ई.पू. िे 322 ई. पू.) िंस्थापक :- महापदमनन्द Founder :- Mahapadmanand बौद्ध व जैन ग्रंथों में इिे ‘अग्रिेन व् उग्रिेन’ कहा गया है In Buddhist and Jain texts, it has been called 'Agrasen and Ugrasen'. इिने िम्पूणम पृथ्वी को क्षतत्रय तवहीन करने की शपथ ली थी I इिीतलए इिे परशुराम की िरह िवमक्षत्रान्तक कहा गया He had taken an oath to make the entire earth devoid of Kshatriyas. That is why it was called Sarvakshatrantak like Parshuram. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नन्द वंश (344 ई.पू. िे 322 ई. पू.) महापदमनन्द (mahapadmananda) मगध का प्रथम ऐिा शािक था तजिने एकराट की उपातध धारण की The first ruler of Magadha who assumed the title of Ekrat was महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नन्द वंश (344 ई.पू. िे 322 ई. पू.) नन्दों के िमय मगध का तवस्तार व्याि नदी िक हो गया था During the time of the Nandas, Magadha had expanded up to the river Beas. खारवेल * कतलंग शािक + के हाथीगु म्फा अतभलेख के अनुिार महापदमनन्द ने कतलंग पर अतधकार कर तलया था I According to the Hathigumpha inscription of Kharavela [the ruler of Kalinga], Mahapadamananda had captured Kalinga. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नन्द वंश (344 ई.पू. िे 322 ई. पू.) घनानन्द नन्द वंश का अं तिम राजा / Last Emperor of Nanda Dynesty अिुल्य धन िम्पदा का मातलक होने के कारण इिे घनानन्द कहा गया Being the owner of incomparable wealth, it was called Ghananand. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नन्द वंश (344 ई.पू. िे 322 ई. पू.) घनानन्द घनानन्द ने िक्षतशला के आचायम चाणक्य (कौतटल्य, तवष्णुगुप्त) का अपमान तकया, चाणक्य ने घनानन्द का िमूल तवनाश करने की शपथ ली I Ghanananda insulted Taxila's Acharya Chanakya (Kautilya, Vishnugupta), Chanakya swore to destroy Ghanananda completely. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) नन्द वंश (344 ई.पू. िे 322 ई. पू.) घनानन्द िक्षतशला वापि लौटिे िमय चाणक्य ने राजकीलम खेल के दौरान एक तशकारी िे 1000 कार्ामपण में एक बालक को खरीदा जो आगे चलकर चन्द्रगुप्त मौयम नाम िे प्रतिद्द हुआ I While returning to Takshashila, Chanakya bought a boy from a hunter for 1000 Karshapana during Rajkilam game, who later became famous as Chandragupta Maurya. चन्द्रगुप्त की िहायिा िे 323 ई.पू. में घनानन्द को मार डाला व मगध पर मौयम वंश की नी ंव डाली I With the help of Chandragupta in 323 BC. I killed Ghananand and laid the foundation of Maurya dynasty on Magadha. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) अन्य प्रमुख िथ्य नन्दों के अत्याचारों का वणमन तवशाखदत्त िारा रतचि मुद्राराक्षि में है मुद्राराक्षि (Mudrarakshasa) भारि का पहला जािूिी ग्रन्थ माना जािा है India's first detective book is considered इिमें नन्दों को क्षतत्रय बिाया गया है In this the Nandas have been described as Kshatriyas. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) अन्य प्रमुख िथ्य मुद्राराक्षि (Mudrarakshasa) चन्द्रगु प्त मौयम को वृर्ल कहा गया है Chandragupta Maurya has been called Vrishal मुद्राराक्षि पर टीका ‘ठूठीराज’ िारा तलखा गया है The commentary on Mudrarakshasa is written by Thuthiraj महाजनपद काल (Mahajanpada Era) अन्य प्रमुख िथ्य घनानन्द यूनानी शािक ‘तिकंदर’ का िमकालीन था I Ghananand was a contemporary of the Greek ruler 'Sikander'. तिकंदर ने 326 – 325 ई. पू. में भारि पर आहृमण तकया I िक्षतशला का शािक आिी तिकंदर का िहयोगी बन गया अिः उिे ‘भारिीय इतिहाि का प्रथम दे शद्रोही’ कहा जािा है I Alexander 326 – 325 BC. Invaded India in 1500 AD. Ambi, the ruler of Takshashila, became an ally of Alexander, hence he is called the 'first traitor in Indian history'. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) अन्य प्रमुख िथ्य 326 ई. पू. में झे लम नदी के तकनारे पु रु राज् के राजा ‘पोरि व तिकंदर’ के मध्य युद्ध लड़ा गया तजिे झे लम / तविस्ता का युद्ध भी कहा जािा है I 326 BC A battle was fought between King Porus and Sikandar of the Puru kingdom on the banks of the Jhelum River, which is also known as the Battle of Jhelum/Vitasta. यूनानी इतिहािकारों ने इिे हाइदे स्पीज / हाइडे स्पीज का युद्ध कहा I Greek historians called it the Battle of the Hydaspes / Hydaspes. महाजनपद काल (Mahajanpada Era) अन्य प्रमुख िथ्य इि युद्ध में पोरि परातजि हुआ, परन्तु तिकंदर ने उिका राज् पु नः वापि लौटा तदया I Porus was defeated in this war, but Alexander returned his kingdom again. नन्दों की िेना की तवशालिा को दे खिे हुए , तिकंदर की िेना ने व्याि नदी को पार करने िे मना कर तदया और तिकंदर लौट गया I Seeing the enormity of the Nanda army, Alexander's army refused to cross the Beas river and Alexander turned back. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) पररचय (introduction) जन्म (Born ) – 563 ई. पू. (563 BC) स्थान (Location) – लुम्बिनी (Lumbini) नाम (Name) – तिद्धाथम (Siddhartha) तपिा – शुद्धोधन शाक्य गणराज् के एक राजा Father – Shuddhodhana A king of the Shakya Republic बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) मौिी(Aunt)– प्रजापति गौिमी (Prajapati Gautami) पत्नी (Wife) – यशोधरा (Yashodhara) यह रामग्राम के कोतलय वंश की राजकुमारी थी ं She was the princess of Koliya dynasty of Ramgram. पु त्र (Son) – राहुल (Rahul) चचेरा भाई (Cousin) – दे वदत्त (Devdutt) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) भतवष्यवाणी (Prediction) काल दे वल व कौम्बिन्य ने भतवष्यवाणी की थी तक या िो यह बड़ा राजा बनेगा या बहुि बड़ा िाधू बनेगा Kaal Deval and Kaundinya had predicted that either he would become a great king or a great saint. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) ग्रह त्याग एवं ज्ञान की प्राम्बप्त – कारण (4) Renunciation of planets and attainment of knowledge – Reasons (4) वृद्ध व्यम्बि (Elderly person) रोगी व्यम्बि (sick person) मृि व्यम्बि (Deceased person) प्रिन्नतचत्त िन्यािी (happy-hearted hermit) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) 29 वर्म की उम्र में यह ग्रह त्याग करिे हैं तजिे बौद्ध िातहत्य में महातभतनष्क्रमण कहा जािा है उिके बाद यह अपने प्रथम गु रु आलार कलाम के पाि वैशाली पहुं चे जोतक िांख्य दशमन के ज्ञानी थे इन्हें िंिुति नही ं तमली तफर ये राजगृ ह रूद्रकराम पु त्र के पाि पहुं चे जोतक योगदशमन के ज्ञानी थे इिके बाद 6 वर्म की िपस्या के बाद ये 35 वर्म की आयु में गया नामक स्थान के उरुबेला पहुचे िथा तनरजना नदी के िट पर पीपल वृक्ष के नीचे वैशाख पू तणममा के तदन इन्हें ज्ञान की प्राम्बप्त हुई बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) At the age of 29, he abandoned the planet, which is called Mahabhinishkramana in Buddhist literature, after which he reached Vaishali to his first guru Alaar Kalam, who was a knowledge of Sankhya philosophy, he did not get satisfaction. On the day of Vaisakha Purnima, he attained enlightenment under the Peepal tree on the banks of the river. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध िातहत्य में ज्ञान प्राम्बप्त को ििोतध कहा जािा है िथा यही िे इनका नाम ‘गौिम बुद्ध’ पड़ा िथा उरुबेला का नाम बौधगया पड़ गया In Buddhist literature, the attainment of knowledge is called Sambodhi and from this he got the name 'Gautama Buddha' and Urubela got the name Bodh Gaya. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) पीपल के वृक्ष को बोतध वृक्ष कहा गया The Peepal tree was called the Bodhi tree. बौद्ध का मिलब होिा है ज्ञानी या जागृ ि Buddhist means enlightened or awakened बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) इनके िाथ इनके 5 तशष्यों ने भी िपस्या की लेतकन उन्हें ज्ञान की प्राम्बप्त नही ं हुई िथा वे चले गए Along with him, his 5 disciples also did penance but they did not get knowledge and they left. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) गौिम बुद्ध गया िे ज्ञान प्राम्बप्त के बाद िीधे िारनाथ / भृगदाव / ऋतर्पत्तन गए िथा अपने उन 5 तशष्यों को पहला उपदे श तदया After attaining enlightenment from Gaya, Gautam Buddha directly went to Sarnath/Bhrigadava/Rishipattana and gave his first sermon to his 5 disciples. पहले उपदे श में इन्होने 5 आयम ित्य बिाये In the first sermon, he told 5 noble truths बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) दुतनया में दुः ख ही दुः ख हैं / there is only sorrow in the world दुः ख का कारण भी है /cause of sadness दुः ख को रोका जा िकिा है / grief can be prevented दुः ख को रोकने के कुछ उपाय भी हैं / There are some ways to stop the sadness बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) इिी के तलए अिांतगक मागम की रचना की तजिमे तलखा है तक इिका अनुिरण करने िे जीवन चहृ िे बचा जा िकिा है इिका उल्ले ख छान्दोग्य उपतनर्द में भी तमलिा है For this, Ashtangik Marg was created, in which it is written that by following it life cycle can be avoided, its mention is also found in Chhandogya Upanishad. इि प्रथम उपदे श को धममचहृप्रविमन कहा गया This first sermon was called Dharmachakrapravartan बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) मृत्यु (Death ) – 80 वर्म की आयु में (at the age of 80) िमय – 483 ई. पू. (– 483 B.C.) इन्होने अपना अतधकिर िमय कौशल राज् श्रावस्ती में गु जारा जोतक राप्ती नदी के िट पर है िथा यही ं िवामतधक उपदे श तदए He spent most of his time in Kaushal Rajya Shravasti, which is on the banks of Rapti river and preached most here. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) यह अपने अं तिम िमय में पावा गणराज् के मुम्बखया चुंद के यहााँ खाना खािे िमय ितबयि खराब हो गयी चुंद पर हत्या का आरोप न लगे इिीतलए ये वहां िे चले गए िथा कुशीनगर में िाल वृक्ष के नीचे वैशाख पू तणममा के तदन इनकी मृत्यु हो गयी In his last days, while eating food at Chund, the head of Pava republic, his health deteriorated. Chund was not accused of murder, so he left there and died on the day of Vaishakh Purnima under the Sal tree in Kushinagar. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध ग्रन्थ में इनकी मृत्यु को ‘महापररतनवामण’ कहा जािा है His death is called 'Mahaparinirvan' in Buddhist texts. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध िंघ (buddhist union) बौद्ध िंघ में प्रवेश प्रतहृया को उपिम्पदा कहा जािा है The admission process into the Buddhist Sangha is called Upasampada. गौिम बुद्ध बौद्ध िंघ में प्रवेश करने पर जो शपथ तदलािे थे उिे प्रवज्जा कहा जािा था The oath that Gautama Buddha administered on entering the Buddhist Sangha was called Pravajja. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध िंघ (buddhist union) गौिम बुद्ध ने तभक्षु एवं तभक्षुणी िंघ की स्थापना की Gautam Buddha established the order of monks and nuns बौद्ध धमम (Buddhism) िमय स्थान अध्यक्ष राजा 483 ई. पू. राजगृ ह महाकश्यप अजािशत्रु 383 ई. पू. वैशाली िवमकातमनी कालाशोक 251 ई. पू. पाटतलपु त्र मोम्बिपु त्त तिस्स अशोक 100 ई.पू. कश्मीर (कुिलवन) विुतमत्र कतनष्क उपाध्यक्ष – अश्वमेघ बौद्ध धमम (Buddhism) िमय स्थान अध्यक्ष राजा 483 B.C. Rajgrih Mahakashyap Ajatshatru 383 B.C. Vaishali Marvakamini Kalashok 251 B.C. Pataliputra Mogliputta Tiss Ashoka 100 B.C. Kashmir (Kundalvan) Vasumitra kanishka Vice President – Ashwamegh बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) प्रमुख िथ्य (key facts) िबिे तप्रय तशष्य – आनंद / Dearest Disciple – Anand िवामतधक उपदे श बुद्ध ने आनंद को ही तदए Buddha gave most teachings to Ananda. अन्य तशष्य – उपातल (पे शे िे नाइ) Other disciple – Upali (barber by profession) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) तशष्य (Pupils) िाररपु त्र (Sariputr) मोिायन (Moglayan) बुद्ध के िमय में इनकी मृत्यु हो गयी थी और इनके अवशेर्ों को िााँची के स्तूप में दफनाया गया They died during the time of Buddha and their remains were buried in the Stupa of Sanchi. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) अनाथतपं डक जोतक एक राजगृ ह का व्यापारी था उिने बौद्धों को रहने के तलए एक स्थान तदया – जेि वन तवहार Anathapindaka who was a merchant of Rajgriha gave Buddhists a place to live – Jet Van Vihara बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) एक तशष्य घोर्क ने वैशाली में बौद्धों को एक तवहार तदया – घोतर्िारा तवहार A disciple Ghoshak gave a vihara to the Buddhists in Vaishali – Ghoshitara Vihara तवशाखा जोतक अं ग गणराज् के राजा की पु त्री थी उन्होंने एक तवहार तदया – पू वामराम तवहार Vishakha who was the daughter of the king of Anga Republic gave her a Vihara – Purvaram Vihara बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) चारो बौद्ध ििलेन में हुए कायम (Work done in four Buddhist conferences) प्रथम में (in first) आनंद ने िुत्ततपटक की रचना की Ananda wrote the Sutta Pitaka उपातल ने तवनयतपटक की रचना की Upali composed Vinayapitaka बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) चारो बौद्ध ििलेन में हुए कायम (Work done in four Buddhist conferences) तििीय में (in second) एक छोटी िी फूट डाली और दो भाग में बंट गए made a small split and split into two स्थतवश्वाद (faith) महािंतघक (federal) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) चारो बौद्ध ििलेन में हुए कायम (Work done in four Buddhist conferences) िृिीय में (in the third) िंरक्षक राजा अशोक ने बौद्ध धमम की एकिा को बनाये रखने के तलए 60000 बौद्ध तभक्षुओ ं को िंघ िे बाहर तनकाल तदया Patron King Ashoka expelled 60,000 Buddhist monks from the Sangha to preserve the unity of Buddhism. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) चारो बौद्ध ििलेन में हुए कायम (Work done in four Buddhist conferences) िृिीय में (in the third) इिी ििेलन में मोम्बिपु त्त तिस्स ने अतभधितपटक की रचना की थी It was in this conference that Mogliputta Tissa wrote the Abhidhamma Pitaka. बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) चारो बौद्ध ििलेन में हुए कायम (Work done in four Buddhist conferences) चिुथम में (in the fourth) बौद्ध धमम दो भागों में बंट गया (Buddhism split into two) हीनयान (Hinayana) महायान (Mahayana) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध धमम (Buddhism) बौद्ध तजि रथ िे बाहर आये थे उिके िारथी का नाम – छं दक घोड़े का नाम – कंथक The name of the charioteer of the chariot in which Buddha came out – Chhandak Horse name - Kanthak जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन शब्द ‘तजन’ िे बना है The word Jain is derived from 'Jin’ शाम्बब्दक अथम – तवजेिा literal meaning - winner जैन धमम में कुल िीथंकर – 24 Total Tirthankara in Jainism – 24 जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) िीथंकर (Tirthankara) - भविागर िे पार उिारने वाला जैन िंिो को िीथंकर कहा जािा है Jain saints are called Tirthankaras जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन धमम के िंस्थापक – ऋर्भदे व / आतदनाथ Founder of Jainism – Rishabhadeva / Adi Nath ऋग्वेद में दो जैनी िीथंकरों का उल्ले ख – ऋर्भदे व व अररिनेतम The Rig Veda mentions two Jain Tirthankaras – Rishabhadeva and Arishtanemi ऋग्वेद व यजुवेद दोनों में केवल उल्ले ख – ऋर्भदे व Only mention in both Rigveda and Yajurveda – Rishabhadeva जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) भगविपु राण व तवष्णु पु राण में ऋर्भदे व का उल्ले ख भगवान के अविार के रूप में तकया जािा है In Bhagavata Purana and Vishnu Purana, Rishabhdev is mentioned as an incarnation of God. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) िीथंकर (24) 1. ऋर्भदे व 7. िुपाश्वम 13. तवमलनाथ 19. मम्बल्लनाथ 2. अतजिनाथ 8. चंद्रप्रभु 14. अनन्त 20. मुतनिुव्रि 3. िम्भवनाथ 9. पु ष्यदन्त 15. धमम 21. नेतमनाथ 4. अतभनन्दननाथ 10. शीिलनाथ 16. शांतिनाथ 22. अररिनेमी 5. धममनाथ 11. श्रेयांिनाथ 17. कंु धु 23. पाश्वमनाथ 6. पद्म प्रभु 12. वािुपूज् 18. अरह 24. महावीर जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) Tirthankar (24) 1. Rishabhdev 7. suparshva 13. Vimalnath 19. Mallinath 2. Ajitnath 8. chandraprabhu 14. Anant 20. Munisuvrat 3. Sambhavnath 9. pushyadanta 15. Dharm 21. Neminath 4. Abhinandannath 10. Sheetalnath 16. Shantinath 22. Arishtanemi 5. Dharmanath 11. Shreyansnath 17. kundhu 23. Parshvanath 6. Padma Prabhu 12. vasupujya 18. arh 24. Mahavir जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) ऋर्भदे व (Rishabhdev) जैन धमम के िंस्थापक /Founder of Jainism तपिा – नातभदे व Father – Nabhideva मािा – मारूदे वी Mother – Marudevi जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) ऋर्भदे व (Rishabhdev) वंश – इक्ष्राकु वंश (क्षतत्रय) dynasty – Ikshvaku dynasty (Kshatriya) पतत्नयााँ – यशाविी / िुनंदा /Wives – Yashawati / Sunanda िंिाने – 100 पु त्र, 2 पु तत्रयााँ Offspring – 100 sons, 2 daughters जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) पाश्वमनाथ (Parshvanath) ये काशी के राजा अश्विेन के पु त्र थे He was the son of King Ashwasen of Kashi. मािा – वामा दे वी Mother – Vama Devi गृ हत्याग – 30 वर्म की आयु में Renunciation – at the age of 30 जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) पाश्वमनाथ 83 तदन की कठोर िपस्या के पश्चाि ििेद पवमि (झारखि) पर ज्ञान की प्राम्बप्त की After 83 days of severe penance, attained enlightenment on Sammed mountain (Jharkhand) ये जैन धमम के 23 वें िीथंकर माने जािे हैं He is considered the 23rd Tirthankara of Jainism. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) पाश्वमनाथ (Parshvanath) पाश्वमनाथ ने जैन धमम को 4 तशक्षाएं (अणुव्रि) बिाई अतहं िा (Non- Violence) आस्तेय (Asthey) ित्य (Truth) अपररग्रह (Aparigraha) जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) पाश्वमनाथ (Parshvanath) पाश्वमनाथ भगवान महावीर िे 250 वर्म पू वम हुए Parshvanath lived 250 years before Lord Mahavira. कथन ‘धमम ऐिा ना हो तजिमे दया न हो Statement 'Religion should not be such that it does not have mercy'’ जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) पाश्वमनाथ (Parshvanath) वम्बज्जिंघ के राजा तिद्धाथम जो तक महावीर के तपिा थे, पाश्वमनाथ की तशक्षाओं में तवश्वाि करिे थे King Siddhartha of Vajjisangha, who was the father of Mahavira, believed in the teachings of Parshvanatha. पाश्वमनाथ के तशष्यों को ‘तनग्रम न्थ’ (बन्धनों िे मुि) कहा जािा था The disciples of Parshvanatha were called 'Nirgranth' (free from bondage). जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर जन्म – 540 ई.पू. – 468 ई. पू.) प्रमातणक (599 ई. पू. – 527 ई. पू. ) तपिा – वज्जीिंघ के ज्ञािृक गण के मुम्बखया ‘तिद्धाथम’ Father – 'Siddhartha', the head of the Ganatri Gana of Vajjisangh जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर मािा – वैशाली के तलिवी वंश के राजा चेटक की बहन तत्रशाला Mother – Trishala, sister of King Chetak of Lichchavi dynasty of Vaishali भाई – नंदीवधमन Brother- Nandivardhan जन्म – कंु डग्राम Birth – Kundagram जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर (Mahavir) बचपन का नाम – वधममान Childhood name – Vardhaman पत्नी – यशोदा Wife – Yashoda पु त्री – तप्रयदशमना Daughter- Priyadarshana जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर (Mahavira) तपिा की मृत्यु के बाद 30 वर्म की आयु में अपने बड़े भाई नम्बन्दवधमन की आज्ञा लेकर गृ हत्याग तकया After the death of his father, at the age of 30, he renounced his home after taking the permission of his elder brother Nandivardhan. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर (Mahavira) भगवान महावीर के प्रारं तभक जीवन के बारे में जानकारी ‘भद्रबाहु’ िारा रतचि ‘कल्पिूत्र में तमलिी है Information about the early life of Lord Mahavira is found in 'Kalpasutra' composed by 'Bhadrabahu'. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर (Mahavira) 13 वर्म की िपस्या के बाद ऋम्बम्भक ग्राम में ऋजुपातलका नदी के िट के तकनारे शाल के वृक्ष के नीचे कैवल्य(ज्ञान) की प्राम्बप्त हुई (जीवन के 43 वें वर्म में) Attained Kaivalya (enlightenment) after 13 years of penance (in the 43rd year of life) under a Sal tree on the banks of Rijupalika river in Rimbhik village जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर ज्ञान प्राम्बप्त के बाद वधममान को तनम्न नामों िे जाना गया After attaining knowledge, Vardhaman was known by the following names केवतलन – ज्ञानी पु रुर् / Kevalin – the wise man महावीर – (महान है जो वीर) / Mahavir – (Great is the heroic) जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर तनग्रम न्थ – बन्धनों िे मुि) nirgrantha – free from bondage) तजिेम्बन्द्रय – जीि तलया हो तजिने इम्बन्द्रयों को ) Jitendriya – one who has conquered the senses) अहम ि – पू ज् arhat - worthy of worship जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर (Mahavira) बौद्धग्रं थो में महावीर को तनगु ष्ठनाथपु ि कहा गया है In Buddhist texts, Mahavira is referred to as Nigusthanathaputa. प्रथम उपदे श – राजगृ ह म्बस्थि तवपु लचूल की पहाड़ी पर First sermon – on the hill of Vipulchula located in Rajagriha प्रथम तशष्य – तप्रयदशमना के पति जमाली First disciple – Priyadarshana's husband Jamali जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर जैन धमम अपनाने वाली प्रथम मतहला – चंपा नरे श दतधवाहन की पु त्री चंदना थी The first woman to adopt Jainism was Chandana, the daughter of King Dadhivahana of Champa. भगवान महावीर ने अपने िमस्त तशष्यों को 11 गणघरों में तवभातजि तकया (तशष्य – तनग्रम न्थ) Lord Mahavir divided all his disciples into 11 Ganagharas (Shishya – Nirgranth) जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर महावीर के जीवनकाल में ही 10 गणधरों की मृत्यु हो गई 10 Gandharas died during Mahavira's lifetime. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) महावीर (Mahavira) महावीर के बाद केवल गणधर िुधाममण ही जीतवि रहे तजन्हें जैन धमम का प्रथम थेरा (उपदे शक) कहा जािा है Only Gandhara Soorman survived after Mahavira, who is called the first Thera (preacher) of Jainism. मृत्यु – पावापु री में 72 वर्म की आयु में (468 ई.पू. में) Death – at the age of 72 in Pawapuri (in 468 BC) जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन मि (Jainism) जैन धमम वेद में तवश्वाि नही ं / Jainism does not believe in Vedas िंिार को दुः ख मूलक /sorrowful to the world कमम पु दगल में तवश्वाि करिा है / karma believes in pudgal कमम के अनुिार फल भोगना पड़े गा have to suffer according to karma जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन धमम में 7 ित्ों में तवश्वाि 1. जीव / आत्मा 5. तनजमरा 2. अजीव 6. बंध 3. आस्त्रव 7. मोक्ष 4. िंवर जैन धमम (Jainism) जैन धमम की तशक्षाएं अतहं िा – मन, वचन व कमम िे तकिी भी प्रकार की तहं िा नही ं करनी चातहए Non-violence – One should not do any kind of violence with mind, word and deed. ित्य – केवल ित्य बोलना चातहए Satya – Only the truth should be spoken जैन धमम (Jainism) जैन धमम की तशक्षाएं आस्तेय – चोरी नही ं करनी चातहए Asteya – should not steal अपररग्रह – धन का अतधक िंचय Aparigraha – excess accumulation of wealth ब्रम्हचयम – मन के आवेग – िंवेग पर तनयंत्रण brahmacharya – controlling the impulses of the mind जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन धमम आत्मा में तवश्वाि करिा है / Jainism believes in soul कमम पु दगल में / In Karma Pudgal एकेश्वरवाद पु नजमन्म में तवश्वाि करिा है monotheism believes in reincarnation जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) आत्मा की उन्नति हे िु 3 तिद्धांि तजन्हें तत्ररत्न कहा जािा है 3 principles for the progress of the soul which are called Triratna िम्यक ज्ञान – ज्ञानभाव के कारण व्यम्बि काम, हृोध, लोभ, मद, मोह, िृष्णा के जाल में फंि जािा है Right knowledge – Due to knowledge, a person gets trapped in the web of lust, anger, greed, pride, attachment, craving. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) आत्मा की उन्नति हे िु 3 तिद्धांि तजन्हें तत्ररत्न कहा जािा है 3 principles for the progress of the soul which are called Triratna िम्यक दशमन – जैन िीथंकरों के उपदे शों को अपने जीवन में उिारना (िम्यक धारणा) Samyak Darshan – Applying the teachings of Jain Tirthankaras in your life (Samyak Dharana) जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) आत्मा की उन्नति हे िु 3 तिद्धांि तजन्हें तत्ररत्न कहा जािा है 3 principles for the progress of the soul which are called Triratna िम्यक चररत्र – ज्ञान को जीवन में उिारकर, व्यवहार को तनयंतत्रि करना, अणुव्रिों का पालन करना Correct character – applying knowledge in life, controlling behavior, following nuclear vows जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन धमम के अनुयायी (Followers of Jainism) तभक्षुक (Mendicant) तभक्षुणी (Nun) श्रावक (Shravak) श्रावकी (Shravaki) जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन िंगीतियााँ स्थान (Location) – पाटतलपु त्र (Pataliputra) वर्म – 300 ई. पू. Year – 300 BC शािनकाल – चन्द्रगु प्त मौयम Reign – Chandragupta Maurya जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन िंगीतियााँ 312 ई. पू. के आिपाि मगध में अकाल पड़ा इि िमय जैन धमम की बागडोर दो लोगों भद्रबाहु व िम्भूति तवजय (स्थूलभद्र) ने िंभाली 312 BC There was a famine in Magadha around this time, two people Bhadrabahu and Sambhuti Vijay (Sthulabhadra) took over the reins of Jainism. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन िंगीतियााँ भद्रभाहु अपने तशष्यों को लेकर दतक्षण भारि (श्रवणबेलगोला, विममान कनामटक) चला गया Bhadrabhahu went to South India (Sravanabelagola, present day Karnataka) with his disciples. अकाल िमाप्त होने पर पु नः मगध लौटा (300 ई.पू.) Returned to Magadha after the end of the famine (300 BC) जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) दूिरे जैन मुतन स्थूलभद्र जो तक अकाल के िमय मगध में ही रहे के िाथ गतठय अनुशािन के प्रश्न पर मिभेद हुआ There was a difference of opinion with another Jain monk, Sthulbhadra, who remained in Magadha during the famine, on the question of joint discipline. 300 ई.पू. में पाटतलपु त्र में प्रथम जैन िंगीति का आयोजन तकया गया तजिमे जैन धमम दो भागो में तवभातजि हो गया 300 BC The first Jain council was organized in Pataliputra in which Jainism was divided into two parts. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) तदगिर – तदक् + अिर (Digambara – Dik + Amber) तदशाएं वस्त्र (अथामि तदशाएं ही ं तजनका वस्त्र हों) Disha Vastra (i.e. directions are the clothes) मुम्बखया – भाद्रभाहु Head – Bhadrabhahu जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) तदगिर – तदक् + अिर (Digambara – Dik + Amber) जैन धमम मूल तशक्षाओं में तवश्वाि Belief in Jainism core teachings नग्न अवस्था में रहिे थे lived in the nude जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) भद्रबाहु – कल्पिूत्र (महावीर व अन्य जैन िीथंकरों के जीवन के बारे में जानकारी) Bhadrabahu – Kalpasutra (Information about the lives of Mahavira and other Jain Tirthankaras) प्रथम व अं तिम मौम्बखक िातहम्बत्यक ज्ञािा माना जािा है Considered to be the first and last oral literary scholar कल्पिूत्र – िंस्कृि भार्ा में तलखा गया Kalpasutra – written in Sanskrit language जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) श्वेिािर (Svetambara )– मुम्बखया (Head) – िम्भूति तवजय (Sambhuti Vijay) िफ़ेद वस्त्र धारण (wear white Clothes) जैन धमम को पररविमन के िाथ अपनाया Jainism adopted with change जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) श्वेिािर (Shwetambar ) – िवमप्रथम श्वेिािर िंप्रदाय ने ईिा प्रथम शिाब्दी के आिपाि भगवान महावीर व अन्य जैन िीथंकरों की पू जा प्रारं भ की First of all, the Svetambara sect started worshiping Lord Mahavira and other Jain Tirthankaras around the first century AD. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) अन्य महत्पू णम िथ्य (other important facts) जैन िातहत्य को आगम कहा जािा है Jain literature is called Agama जैन ग्रन्थ प्राकृि भार्ा / अद्धम मागधी में तलखे गए Jain texts were written in Prakrit language / Ardha Magadhi भगवान महावीर ने अपने उपदे श प्राकृि भार्ा में तदए Lord Mahavira gave his sermons in Prakrit language. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) अन्य महत्पू णम िथ्य (Other important facts) भगवान महावीर व उनके िमकातलकों को िाथ उनके िंबंधो का उल्ले ख भगविीिूत्र में तमलिा है His relationship with Lord Mahavira and his contemporaries is mentioned in the Bhagavati Sutra. भगविीिूत्र में 16 महाजनपदो की िूची भी तमलिी है The list of 16 Mahajanapadas is also found in the Bhagavatisutra. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) अन्य महत्पू णम िथ्य (other important facts) श्रवणबेलगोला म्बस्थि गोिमश्वर (भद्रबाहु) की मूिी का तनमामण गं गवंश के शािक ‘राजमल्ल चिुथम’ के मंत्री चामुिाराय के िारा करवाया गया The statue of Gotamshwar (Bhadrabahu) at Shravanabelagola was built by Chamundaraya, the minister of Rajamalla IV, the ruler of the Ganga dynasty. 57 तफट ऊाँची प्रतिमा तजि पर प्रत्ये क 12 वर्म बाद दुग्धातभर्ेक होिा है 57 feet high idol on which milk anointing is done after every 12 years जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) अन्य महत्पू णम िथ्य (Other important facts) दतक्षण भारि में जैन मठों को बिादी / बिातदश कहा जािा है Jain monasteries in South India are called Basadi/Basadish जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) आजीवक धमम (Ajivika Religion) िंस्थापक (Founder) – मोम्बिपु त्त गौिाल (Mogliputta Gausal) प्रराम्भ में गौिाल भगवान महावीर के तभन्न व अनुयायी थे , परन्तु बाद में दोनों में मिभेद होने के कारण अनंग आजीवक धमम की स्थापना की In the beginning, Gausal was a different follower of Lord Mahavira, but later due to differences between the two, Anang established the Ajivaka religion. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) आजीवक धमम (Ajivika religion) तनयतिवाद / भाग्यवाद में तवश्वाि करिे हैं believe in fatalism जैन धमम में आठ शुभ तचन्ह माने गए, तजन्हें अिमंगलम कहा जािा है Eight auspicious signs are considered in Jainism, which are called Ashtamangalam. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) आजीवक धमम जैन धमम में आठ शुभ तचन्ह माने गए, तजन्हें अिमंगलम कहा जािा है स्वाम्बस्तक दो मीन मछली िीिा फूलमाला कलश हस्ततलम्बखि ग्रन्थ लकड़ी की गद्दी जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन िीथंकर (Jain Tirthankars) प्रिीक तचन्ह (Sign) ऋर्भदे व / आतदनाथ (Rishabhdev / Adi Nath) वृर्भ / बैल (Taurus / Bull) नेतमनाथ (Neminath) शंख (shell) पाश्वमनाथ (Parsvnath) िपम फन (snake fun) महावीर (Mahavir) तिंह (Lion) जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन धमम की तििीय िंगीति का आयोजन 512 – 13 ई. में गु जराि के वल्लभीनगर में तकया गया था, तजिकी अध्यक्षिा दे वतधमणी / क्षमश्रावण के िारा की गयी The second council of Jainism was organized in 512 – 13 AD in Vallabhinagar, Gujarat, which was presided over by Devardhini / Kshamashravana. जैन धमम (Jainism) जैन धमम (Jainism) जैन धमम में अनेकांिवाद का तिद्धांि प्रचतलि है , तजिे श्यादवाद / िप्तभंगी तिद्धांि भी कहा जािा है The doctrine of Anekantavada is prevalent in Jainism, which is also known as Shyadavada / Saptabhangi doctrine. मौयम काल मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) चन्द्रगु प्त मौयम बौद्ध एवं जैन ग्रंथ के अनुिार चंद्रगुप्त मौयम क्षतत्रय था। अतधकांश तविान इिी मि िे िहमि हैं। According to Buddhist and Jain texts, Chandragupta Maurya was a Kshatriya. Most of the scholars agree with this view. चंद्रगुप्त मौयम का िाम्राज् उत्तर-पतश्चम में ईरान (फारि) िे लेकर पूवम में बंगाल िक, उत्तर में कश्मीर िे लेकर दतक्षण में उत्तरी कनामटक (मैिूर) िक फैला हुआ था। Chandragupta Maurya's empire extended from Iran (Persia) in the north-west to Bengal in the east, from Kashmir in the north to northern Karnataka (Mysore) in the south. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) चन्द्रगु प्त मौयम चंद्रगुप्त मौयम ने ित्कालीन यूनानी शािक िेल्यूकि तनकेटर को परातजि तकया। िंतध हो जाने के पश्चाि् िेल्यूकि ने चंद्रगुप्त िे 500 हाथी लेकर बदले में एररया (हेराि), अराकोतिया (कंधार), जेडरोतिया (बलूतचस्तान) एवं पेरीपेतनिदाई (काबुल) के क्षेत्रों का कुछ भाग िौ ंपा और अपनी पुत्री हेलेना का तववाह चंद्रगुप्त िे तकया। इि वैवातहक िंबंध का तववरण तिफम एम्बियानि नामक यूनानी ही दे िा है। Chandragupta Maurya defeated the then Greek ruler Seleucus Nicator. After the treaty, Seleucus took 500 elephants from Chandragupta and handed over some part of the territories of Aria (Herat), Arachosia (Kandahar), Jedrosia (Baluchistan) and Peripenisdai (Kabul) and married his daughter Helena to Chandragupta. The description of this matrimonial relationship is given only by a Greek named Appianus. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) चन्द्रगु प्त मौयम िेल्यूकि ने अपने राजदूि मेगस्थनीज को चंद्रगुप्त मौयम के दरबार में भेजा। यूनानी लेखकों ने पाटतलपुत्र को 'पातलब्रोथा' के नाम िे िंबोतधि तकया। Seleucus sent his ambassador Megasthenes to the court of Chandragupta Maurya. Greek writers addressed Pataliputra as 'Palibrotha'. मेगस्थनीज मौयम दरबार में काफी िमय िक रहा। भारि में रहकर उिने जो कुछ दे खा-िुना उिे उिने 'इम्बिका' नामक अपनी पुस्तक में तलतपबद्ध तकया । Megasthenes stayed in the Maurya court for a long time. Whatever he saw and heard while living in India, he recorded it in his book named 'Indika'. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) चन्द्रगु प्त मौयम बंगाल पर चंद्रगुप्त मौयम की तवजय के बारे में जानकारी महास्थान अतभलेख िे तमलिी है । इिकी दतक्षण भारि की तवजय के तवर्य में जानकारी ितमल ग्रं थ 'अहनानूर' एवं 'मुरनानूर' िथा अशोक के अतभलेखों िे तमलिी है । Information about Chandragupta Maurya's victory over Bengal comes from the Mahasthan inscription. Information about its conquest of South India comes from the Tamil texts 'Ahnanur' and 'Murnanur' and Ashoka's inscriptions. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) चन्द्रगु प्त मौयम िोहगौरा िाम्रपत्र (गोरखपु र) िथा महास्थान अतभलेख (बांिादे श के बोगरा त़िले ) चंद्रगु प्त मौयम िे िंबंतधि हैं । ये अतभलेख अकाल के िमय तकये जाने वाले राहि कायों के िंबंध में तववरण दे िे हैं । Sohgaura copper plate (Gorakhpur) and Mahasthan inscription (Bogra district of Bangladesh) are related to Chandragupta Maurya. These records give details regarding the relief work done during the famine. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) चन्द्रगु प्त मौयम रुद्रदामन के तगरनार अतभलेख िे ज्ञाि होिा है तक चंद्रगु प्त ने पतश्चम भारि में िौरािर िक का प्रदे श जीिकर अपने प्रत्यक्ष शािन के अधीन कर तलया था। इि प्रदे श में पु ष्यगु प्त जो चंद्रगु प्त मौयम का राज्पाल था, पु ष्यगु प्त ही िुदशमन झील का तनमामण करवाया था। It is known from the Girnar inscription of Rudradaman that Chandragupta had conquered the territory up to Saurashtra in western India and brought it under his direct rule. Pushyagupta who was the governor of Chandragupta Maurya in this region, Pushyagupta himself got the Sudarshan lake constructed. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) तबंदुिार (298 ई.पू. 273 ई.पू.) चंद्रगु प्त मौयम का उत्तरातधकारी तबंदुिार हुआ, जो 298 ई. पू. में मगध की राजगद्दी पर बैठा। तबंदुिार, 'अतमत्रघाि' नाम िे भी जाना जािा है , तजिका अथम होिा है - 'शत्रु तवनाशक’। Bindusar was the successor of Chandragupta Maurya, who died in 298 BC. I sat on the throne of Magadha. Bindusara, also known as 'Amitraghat', which means - 'enemy destroyer'. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) तबंदुिार (298 ई.पू. 273 ई.पू.) तबंदुिार को वायुपुराण में भद्रिार/ मद्रिार िथा जैन ग्रं थों में 'तिंहिेन' कहा गया है । Bindusar has been called Bhadrasar / Madrasar in Vayupuran and 'Singhasen' in Jain texts. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) तबंदुिार (298 ई.पू. 273 ई.पू.) नोट: स्ट्रै बो के अनुिार, िीररया का शािक ऍतटयोकि प्रथम ने डायमेकि नामक एक राजदूि तबंदुिार के दरबार में भेजा, जो मेगस्थनीज का उत्तरातधकारी माना जािा था। Note: According to Strabo, Antiochus I, ruler of Syria, sent an ambassador named Dymachus to the court of Bindusara, who was supposed to be the successor of Megasthenes. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) तबंदुिार (298 ई.पू. 273 ई.पू.) तबंदुिार के शािनकाल में िक्षतशला में हुए दो तवद्रोहों का वणमन तमलिा है । इि तवद्रोह को दबाने के तलये तबंदुिार ने पहले िुिीम को और बाद में अशोक को भेजा। There is a description of two rebellions in Taxila during the reign of Bindusara. To suppress this rebellion, Bindusara first sent Susim and later Ashoka. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) एथीतनयि नामक एक अन्य यूनानी लेखक ने तबं दुिार िथा िीररया के शािक ऍतटयोकि प्रथम के बीच मैत्रीपूणम पत्र-व्यवहार का वणमन तकया है, तजिमें भारिीय शािक ने िीन चीजों की मांग की थी- Another Greek writer named Athenaeus describes a friendly correspondence between Bindusara and Antiochus I, the ruler of Syria, in which the Indian ruler demanded three things- 1. िूखी अं जीर (Dry Figs) 2. अं गूरी मतदरा ( Grapes Alcohol) 3. एक दाशमतनक (A Philosopher) मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) िीररयाई िम्राट ने दो चीजें (अं गूरी मतदरा िथा िूखी अं जीर) तभजवा दी ं, परं िु िीिरी मांग के िंबंध में कहा तक यूनानी कानून के अनुिार दाशमतनकों का तवहृय नही ं तकया जा िकिा है । The Syrian emperor sent two things (grape wine and dried figs), but said regarding the third demand that philosophers cannot be sold according to Greek law. तमस्र के शािक टॉलेमी तििीय तफलाडे ल्फि ने 'डायनोतिि' नामक राजदूि तबंदुिार के दरबार में भेजा। The ruler of Egypt, Ptolemy II Philadelphus, sent an ambassador named 'Dionosis' to the court of Bindusara. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक (273 ई.पू.-232 ई.पू.) अशोक तबंदुिार का पु त्र था। Ashok was the Son of Bindusar. अशोक का वास्ततवक राज्ातभर्ेक 269 ई. पू. में हुआ। इििे पहले अशोक उज्जैन का राज्पाल था। The actual coronation of Ashoka took place in 269 BC. Happened in Earlier Ashoka was the governor of Ujjain. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक (273 ई.पू.-232 ई.पू.) जैन अनुभुति के अनुिार अशोक ने तबंदुिार की इिा के तवरुद्ध मगध के शािन पर अतधकार कर तलया। According to Jain experience, Ashoka took over the rule of Magadha against the wishes of Bindusara. तिंहली अनुश्रुति के अनुिार अशोक ने अपने 99 भाइयों की हत्या कर तिंहािन प्राप्त तकया। According to Sinhalese legend, Ashoka got the throne by killing his 99 brothers. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक (273 ई.पू.-232 ई.पू.) महाबोतधवंश िथा िारानाथ के अनुिार ित्ता प्राम्बप्त के तलये गृ हयुद्ध में अपने भाइयों का वध करके अशोक ने िाम्राज् प्राप्त तकया। According to Mahabodhivansh and Taranath, Ashoka gained the empire by killing his brothers in a civil war to gain power. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक (273 ई.पू.-232 ई.पू.) अशोक को उिके अतभलेखों में िामान्यिः 'दे वनांतपय तपयवति' (दे वों का प्यारा) उपातध दी गई हैं । Ashoka is generally given the title 'Devanampiya Piyavasi' (beloved of the gods) in his inscriptions. अशोक नाम का उल्ले ख मास्की गु जमरा, नेट्टूर िथा उदे गोलम अतभलेख में ही तमलिा है । The name Ashoka is mentioned only in the Maski Gurjara, Nettur and Udegolam inscriptions. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक (273 ई.पू.-232 ई.पू.) कई अतभलेखों में अशोक का िाम्राज् अफगातनस्तान िे लेकर दतक्षण में कनामटक िथा कातठयावाड (गु जराि) िे लेकर पू वम में बंगाल की खाड़ी िक तवस्तृि था In many inscriptions, Ashoka's empire extended from Afghanistan to Karnataka in the south and from Kathiawar (Gujarat) to the Bay of Bengal in the east. राजिरं तगणी के अनुिार उिका अतधकार कश्मीर पर भी था, और उिने कश्मीर, श्रीनगर और नेपाल में दे वपत्तन नामक नगर बिाए According to Rajatarangini, he had control over Kashmir as well, and he established cities called Devapattana in Kashmir, Srinagar and Nepal. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) कतलंग युद्ध राज्ातभर्ेक के 8 वें वर्म (लगभग 261 ई. पू.) /8th year of coronation (261 BC) कतलंग की राजधानी िोिली पर अतधकार कर तलया Captured Tosali, the capital of Kalinga अशोक के 13 वें अतभलेख में युद्ध के बारे में तवस्तृि जानकारी तमलिी है Ashoka's 13th edict gives detailed information about the war मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) कतलंग युद्ध कतलंग युद्ध में हुए नरिंहार िे तवचतलि अशोक ने युद्ध की नीति को िदा के तलए त्याग तदया Distraught by the carnage in the Kalinga war, Ashoka abandoned the policy of war forever. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक का धातममक जीवन प्रारं भ में ब्राम्हण िथा बाद में बौद्ध अनुयायी बन गया Initially a Brahmin and later became a follower of Buddhism राजिरं तगणी के अनुिार शैव धमं का अनुयायी Follower of Shaivism according to Rajatarangini मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक का धातममक जीवन अशोक ने आजीवकों के रहने हेिु बराबर तक पहातड़यों में चार गुफाओं का तनमामण करवाया, जो तनम्न हैं Ashoka built four caves in the hills of Barabar for the livelihoods, which are as follows 1. लोमश ऋतर् गु फा (Lomash Rishi Cave) 2. कणम चोपार (Karn Chopar Cave) 3. िुदामा गु फा (Sudama Cave) 4. तवश्व झोपडी (Vishvkrama Cave) मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक का धि अपनी प्रजा के उत्थान के तलए तनयमो की िंतहिा प्रस्तुि की उिे उिके अतभलेखों में ‘धि’ कहा गया है Presented the code of rules for the upliftment of his subjects, it is called 'Dhamma' in his records. अशोक ने दुिरे और िािवें अतभलेख में धि के गु णों को बिाया है Ashoka has given the qualities of Dhamma in the second and seventh records. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक का धि अशोक ने धि के तवचारों को प्रिाररि करने के तलए िीररया, तमस्त्र, ग्रीि िथा श्रीलंका आतद दे शों में दूि भेजे Ashoka sent messengers to countries like Syria, Egypt, Greece and Sri Lanka to spread the ideas of Dhamma. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) अशोक कालीन प्रांि उत्तरापथ - िक्षतशला अवन्ती रािर – उज्जतयनी कतलंग प्रान्त – िोिली दतक्षणापथ – िुवणमतगरी प्राची (मध्य प्रदे श) – पाटतलपु त्र मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) गु प्तचर व्यवस्था (Intelligence system) गु प्तचर तवभाग – महामात्यपिपम Intelligence Department – Mahamatyasarpa अथमशास्त्र में गु प्तचरों को ‘गू ढ़पु रुर्’ िथा इिके प्रमुख अतधकारी को ‘िपम महामात्य’ कहा गया है In the Arthashastra, spies have been called 'Gudh Purush' and its chief officer 'Sarpamahamatya'. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) गु प्तचर व्यवस्था (Intelligence system) अथमशास्त्र में दो प्रकार के गु प्तचरों का उल्ले ख Mention of two types of spies in Arthashastra िंस्था – जो िंगतठि होकर कायम करिे थे Sanstha – those who work together िंचरा – जो घुमक्कड़ थे sanchara – who were nomads मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) िामातजक व्यवस्था (Social System) अथमशास्त्र, इं तडका, और अशोक के अतभलोखों में उल्ले ख Mentions in Arthashastra, Indica, and Ashoka's inscriptions मेगास्थनीज के अनुिार भारिीय िमाज 7 जातियों में तवभि था According to Megasthenes Indian society was divided into 7 castes मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) िामातजक व्यवस्था (Social System) दाशमतनक, तकिान, अहीर, कारीगर , तशल्पी िैतनक, तनरीक्षक िथा िभािद Philosopher, Farmer, Ahir, Artisan, Craftsman Soldier, Inspector and Councilor िबिे अतधक िंख्या तकिानो की थी the largest number was of farmers. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) दाि व्यवस्था (Slavery System) मेगास्थनीज और स्ट्रे बो के अनुिार भारि में दाि नही ं थे According to Megasthenes and Strabo, there were no slaves in India. जबतक तत्रतपटक और अथमशास्त्र में नौ प्रकार के दािों का उल्ले ख तमलिा है While Tripitaka and Arthashastra mention nine types of slaves अथमशास्त्र के अनुिार दािों को कृतर् कायों में बड़े पै माने पर लगाया गया According to the Arthashastra, slaves were employed extensively in agricultural work. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) म्बस्त्रयों की म्बस्थति म्बस्त्रयों की दशा अिी थी the condition of women was good पु नतवमवाह और तनयोग की अनुमति permission for remarriage and employment प्रशािन में भी शातमल तकया जािा था was also involved in the administration मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) म्बस्त्रयों की म्बस्थति स्त्री और पु रुर् को मोक्ष (िलाक) लेने का अतधकार था Men and women had the right to seek salvation (divorce) तवधवा तववाह प्रचतलि था widow remarriage was prevalent कुछ तवधवाएं स्विंत्र रूप िे जीवन यापन करिी थी ं तजन्हें ‘छं दवातिनी’ कहा जािा था Some widows used to live independently and were called 'Chhandvasini'. मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) म्बस्त्रयों की म्बस्थति वेश्यावृति की प्रथा प्रचतलि थी Prostitution was prevalent वेश्यावृति करने वाली म्बस्त्रयााँ ‘रूपाजीवा’ कहलािी थी Prostitution women were called 'Rupajiva' मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) म्बस्त्रयों की म्बस्थति इनके कायों का तनरीक्षण करने वाले को गतणकाअध्यक्ष कहा जािा था The one who supervised their work was called Ganikadhyaksha. िंभ्ांि घरों की म्बस्त्रयााँ घरों में रहिी थी तजन्हें ‘अतनष्कातिनी’ कहा जािा था The women of elite houses lived in houses called 'Anishkasini' मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) मौयमकालीन धमम (Mauryan religion) प्रमुख धमम 1. वैतदक (Vedic) 2. बौद्ध (Bauddh) 3. जैन (Jain) 4. आजीवक (Ajivak) मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) कृतर् अथमशास्त्र में भूतम के तलए कुछ शब्द / Some words for land in economics कृि (जुिी हुई भूतम) / Krisht (cultivated land) आकृि (तबना जुिी हुई भूतम) /akrishta (uncultivated land) स्थल (ऊाँची भूतम) /site (high ground) मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) कृतर् ऐिी भूतम तजिमे तबना वर्ाम के भी अिे खेिी होिी थी उिे ‘अदे वमािृक’ कहा जािा था Such a land which used to grow well even without rain was called 'Adevmatrika'. भूतम कर (दो प्रकार का) / land tax (two types) िेिु कर / bridge tax वन कर / forest tax मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) कृतर् चाणक्य के अनुिार (according to Chanakya) क्षे त्रक – भूस्वामी को कहा जािा था Kshetrak – The landowner was called उपवाि – काश्तकार को कहा जािा था fasting – the farmer was called मौयम िाम्राज् (The Maurya Empire) मौयमकालीन मुद्राएाँ चांदी की – कार्ामपण, पण, धारण िोने की – िुवणम, तनष्क िांबे की – मार्क, काकणी मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) मौयोत्तर काल दे शी शािक ( तवदे शी शािक (Foreign Rulers) 1. शुंग वंश (Shunga Dynasty) 1. इं डो ग्रीक (Indo Greek) 2. कण्व वंश (Kanva Dynasty) 2. शक (Shaka) 3. िािवाहन वंश (Satvahan Dynasty) 3. पातथमयन (Parthian) 4. चेदी वंश / महामेघवाहन वंश (Chedi Dynasty) 4. कुर्ाण वंश (Kushan) मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) पहलव वंश / पातथमयन िाम्राज् पातथमयन लोगों का मूल तनवाि स्थान ईरान था । The original residence of the Parthians was Iran. पतश्चमोत्तर भारि में शकों के आतधपत्य के बाद पातथमयन लोगों का आतधपत्य हुआ। After the supremacy of the Sakas in northwestern India, the Parthians came to dominate. भारि में पातथमयन िाम्राज् का वास्ततवक िंस्थापक तमथ्रेडेंट्ि प्रथम (171-130 ई.पू.) था। The real founder of the Parthian Empire in India was Mithridates I (171–130 BC). मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) पहलव वंश / पातथमयन िाम्राज् पहलव वंश का िवामतधक शम्बिशाली शािक गोिोफनीज (20-41 ई.) था। खरोष्ठी तलतप में उत्कीणम िख्तेबही अतभलेख में उिे 'गु दुव्हर' कहा गया है । फारिी में उिका नाम 'तबंदफणम' है , तजिका अथम है - 'यश तवजयी’। The most powerful ruler of the Pahlava dynasty was Gondofarnes (AD 20-41). In the Takhtebhi inscription engraved in Kharosthi script, it has been called 'Guduvhar'. His name in Persian is 'Bindafarn', which means - 'Victory Victory'. मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) पहलव वंश / पातथमयन िाम्राज् इि िाम्राज् का अं ि कुर्ाणों के िारा हुआ। This empire was ended by the Kushans. मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) कुर्ाण वंश कुर्ाणों ने पातथमयन शािन का अं ि कर स्वयं की ित्ता स्थातपि की। उन्हें यूची या िोचेररयन (िोखारी) भी कहा जािा है । The Kushans ended the Parthian rule and established their own power. They are also called Yuchi or Tocherian (Tokhari). उनका मूल तनवाि स्थान चीन की िीमा पर म्बस्थि चीनी िुतकमस्तान था। His native place was Chinese Turkestan, situated on the border of China. मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) कुर्ाण वंश (प्रमुख शािक) कुजुल कडतफिि (15 ई. 65 ई.) भारि में कुर्ाण वंश की स्थापना 'कुजुल कडतफिि' ने की। Kujul Kadphises founded the Kushan dynasty in India. उिने रोमन तिक्कों की नकल करके िांबे के तिक्के चलाए। He started copper coins by copying Roman coins. मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) कुर्ाण वंश (प्रमुख शािक) तवम कडतफिि (65 ई. 78 ई.) तवम कडतफिि भारि में कुर्ाण शम्बि का वास्ततवक िंस्थापक माना जािा है । उिने तिंधु नदी पार करके िक्षतशला और पं जाब पर अतधकार कर तलया। Vima Kadphises is considered to be the real founder of the Kushan power in India. He crossed the Indus river and took control of Taxila and Punjab. मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) कुर्ाण वंश (प्रमुख शािक) तवम कडतफिि (65 ई. 78 ई.) उिने बड़ी िंख्या में िोने के तिक्के जारी तकये। उिके तिक्कों पर एक ओर यूनानी तलतप िथा दूिरी ओर खरोष्ठी तलतप उत्कीणम है । He issued a large number of gold coins. The Greek script on one side and the Kharosthi script on the other side are engraved on his coins. मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) कुर्ाण वंश (प्रमुख शािक) तवम कडतफिि (65 ई. 78 ई.) वह शैव मिानुयायी था िथा उिने 'महे श्वर' की उपातध धारण की। उिके कुछ तिक्कों पर तशव नदी िथा तत्रशूल की आकृतियााँ तमलिी हैं । He was a follower of Shaivism and assumed the title of 'Maheshwar'. On some of his coins, the shapes of the river Shiva and Trishul are found. मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) कुर्ाण वंश (प्रमुख शािक) तवम कडतफिि (65 ई. 78 ई.) भारि में िवमप्रथम िोने के तिक्के तवम कडतफिि ने ही चलाए। उिने अपने शािनकाल में अनेक उपातधयााँ , यथा- 'महाराज', 'राजातधराज', 'महे श्वर' एवं 'िवमलोकेश्वर' आतद धारण की। Vim Kadphises was the first to run gold coins in India. He assumed many titles during his reign, such as 'Maharaj', 'Rajadhiraj', 'Maheshwar' and 'Sarvalokeshwar' etc. मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) कुर्ाण वंश (प्रमुख शािक) कतनष्क कतनष्क कुर्ाण वंश का महानिम शािक था। उिने 78 ई. में अपना राज्ारोहण तकया िथा इिके उपलक्ष्य में शक िंवि् चलाया। इिे विममान में भारि िरकार िारा प्रयोग में लाया जािा है । यह चैत्र (22 माचम अथवा 21 माचम) िे प्रारं भ होिा है । Kanishka was the greatest ruler of the Kushan dynasty. He ascended the throne in 78 AD and started the Shak Samvat on its occasion. It is currently used by the Government of India. It starts from Chaitra (22 March or 21 March). मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) कुर्ाण वंश (प्रमुख शािक) कतनष्क उपातध :- 'कैंिर' या 'िीजर’( 'Cancer' or 'Caesar’) कतनष्क की प्रथम राजधानी :- 'पे शावर' (पु रुर्पु र) First capital of Kanishka :- 'Peshawar' (Purushpur) दूिरी राजधानी :- 'मथुरा' थी। The second capital :- 'Mathura'. मौयोत्तर काल (Post Mauryan Period) कुर्ाण वंश (प्रमुख शािक) कतनष्क कतनष्क ने कश्मीर जीिकर वहााँ 'कतनष्कपु र' नामक नगर बिाया। Kanishka conquered Kashmir and established a city named 'Kanishkapur' there. इिके िमय में कश्मीर के कंु डलवन में विुतमत्र की अध्यक्षिा में चिुथम बौद्ध िंगीति का आयोजन हुआ। In his time, the fourth Buddhist Council was organized under the chairmanship of Vasumitra in Kundalvan, Kashmir. मौयोत्तर काल