1DCA1 Computer Fundamentals - Unit I PDF
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माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल
डॉ. अनुराग सीठा
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This document is a unit on computer fundamentals. It covers the brief history of computer development, computer system concepts, and basic components. The unit also touches on different types of computers and their uses. This document is likely used as part of an undergraduate computer science course.
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ऑन लाइन पाठ्य सामग्री 1DCA1 COMPUTER FUNDAMENTALS इकाई – एक डॉ. अनुराग सीठा प्राध्यापक, कम्प्यूटर विज्ञान एिं अनुप्रयोग माखनलाल चतुिदे ी राष्ट्रीय...
ऑन लाइन पाठ्य सामग्री 1DCA1 COMPUTER FUNDAMENTALS इकाई – एक डॉ. अनुराग सीठा प्राध्यापक, कम्प्यूटर विज्ञान एिं अनुप्रयोग माखनलाल चतुिदे ी राष्ट्रीय पत्रकाररता एिं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल माखनलाल चतुर्वद े ी राष्ट्रीय पत्रकाररता एर्वं संचार वर्वश्ववर्वद्यालय बी-38, वर्वकास भर्वन, एम.पी. नगर, झोन – I, भोपाल 1DCA1 FUNDAMENTALS OF COMPUTERS & INFORMATION TECHNOLOGY UNIT–I Brief history of development of computers, Computer system concepts, Computer system characteristics, Basic components of a computer system - Control unit, ALU, Input/Output, semiconductor Memory functions and characteristics, memory - RAM, ROM, EPROM, PROM and other types of memory, Capabilities and limitations, Generations of computers, Analog & Digital & Hybrid Computers, General & Special Purpose computers, Types of computers– Micro, Mini, Mainframe and Supercomputers, Characteristics and area of Uses. Personal Computer (PCs-evolution of PCs, configurations of PCs, Pentium and Newer, PCs specifications and main characteristics, Types of PCs- Desktop, Laptop, Notebook, Palmtop, PDA etc. 1 कम्प्यूटरःएक पररचय मानि सभ्यता के इततहास में हुए महत्िपूर्ण िैज्ञावनक आविष्ट्कारों में कम्प्यूटर का विशेष स्थान है। यह उन प्रमुख आविष्ट्कारों में से एक माना जा सकता है जजन्होंने मानि सभ्यता के इततहास और विकास को एक नई ददशा प्रदान की। कम्प्यूटर का आज हमारे समाज पर महत्िपूर्ण और व्यापक प्रभाि देखा जा सकता है। कम्प्यूटर आज हमारे जीिन के लगभग हर क्षेत्र में प्रिेश कर चुका है या करने की तैयारी में है। रोज-मराण के कामों में कम्प्यूटर की उपयोतगता बढ़ती ही जा रही है। हर महीने कम्प्यूटर पर इं टरनेट के माध्यम से तथा कम्प्यूटर से तैयार दकया गया वबजली और टेलीफोन का वबल हमारे घर आता है, पाठशालाओं और विश्वविद्यालयों के छात्र अपने परीक्षा पररर्ाम कम्प्यूटर द्वारा बनायी अंक सूतचयों से पाते है, रे ल तथा बस के दटकट तथा हिाई यात्रा के दटकट तथा अब तो ससनेमा हॉल के दटदकट अब घर बैठे इं टरनेट पर कम्प्यूटर के माध्यम से ररजिण दकये जा रहे हैं। बच्चे तथा िडे अपने घर में कम्प्यूटर गेम्पस खेलते नजर आते है। नौजिान लोग तो अब अपनी आिश्यकता का समान – ड्रेस, इलेक्ट्रॉवनक सामान, दकताबें तथा घरे लू सामान अब कम्प्यूटर पर ऑललाइन आर्णर कर रहे है। बच्चे भी अब आइस्क्रीम, तपज्जा तथा बगणर इत्यादद घर बैठे आर्णर कर रहे हैं। कम्प्यूटर का प्रयोग घर पर फफल्म देखने, संगीत सुनने, वर्जजटल फोटो एल्बम तैयार करने, िीवर्यो फफल्म का संपादन करने में, घर का बजट तैयार करने इत्यादद में बहुत हो रहा है। कायाणलयों, अस्क्पतालों, कारखानों, प्राथतमक तथा माध्यतमक शालाओं, उच्च शशक्षा संस्थानों, बीमा संस्थानों, र्ाक-तार विभाग, ररसचण संस्थानों एिं बैंको में कम्प्यूटर का प्रयोग ददन-प्रततददन बढ़ता ही जा रहा है और शीघ्र ही हमारे जीिन के कई नये क्षेत्र इसके प्रभाि क्षेत्र बनने िाले है। यह कहा जा सकता है दक हर शशसक्षत व्यति को बुवनयादी विषयों के साथ कम्प्यूटर की कायणप्रर्ाली तथा उसके अनुप्रयोगों का अध्ययन करना चादहए इसके वबना शशक्षा अधूरी है। कम्प्यूटर शब्द की उत्पति अंग्रेजी के `कम्प्यूट' (compute) शब्द से हुई है, जजसका अथण होता है गर्ना करना। प्रांरभ में कम्प्यूटर का उपयोग मूल रूप से गर्नात्मक कायों के जलये ही हुआ। परं तु आज उसका कायणक्षेत्र काफी विस्क्तृत और व्यापक हो चुका है, मौसम की भविष्ट्यिार्ी हो या मशीनों और वबल्डिंगों की वर्जाइन, चंद्रमा या दकसी अन्य ग्रह पर जाने िाले यान की ददशा वनधाणररत करना हो या दकताबों और अखबारों की छपाई, संगीत कम्पपोज (compose) या ररकार्ण करना हो या दकसी िीवर्यो फफल्म का संपादन कम्प्यूटर अपनी उपयोतगता सावबत कर चुका है। बीमारी का सूक्ष्म परीक्षर् और विश्लेषर्, हिाई जहाज में सीट बुदकिंग, फैक्ट्टरी में काम करने िाले कमणचाररयों की माससक तनख्याह (salary) की गर्ना एिं एकाउदटिंग जैसे कई अन्य कायण करने में भी कम्प्यूटर सक्षम हैं। इससे स्क्पष्ट होता है दक हालांदक प्रारं भ में कम्प्यूटर को जदटल आंदकक गर्नाओं के शीघ्र हल के जलये ही बनाया गया था, पर आगे चलकर यह ऐसी कई आिश्यकताओं की पूर्तत भी करने लगा जो अगशर्तीय थी, अत: यह कहना दक कम्प्यूटर ससफण एक तेजी से गर्ना करने िाला उपकरर् है, सही नहीीं हैं, आज कम्प्यूटर पर दकये जाने िाले कायों में 80% से अधधक अगशर्तीय कायण होते हैं। अत: हम कम्प्यूटर को 2 ससफण गर्क कहने के बदले इन्फामेंशन या सूचना के आधार पर संगर्ना (Processing) करने िाला उपकरर् कह सकते है और इसका मूल काम र्ाटा और सूचना प्रोसेससिंग (Information Processing) करना है चाहे िह गशर्तीय हो या अगशर्तीय। कम्प्यूटर को महज एक गर्ना करने िाला उपकरर् मानना उसकी क्षमता को 80% कम करके आंकना हैं। कम्प्यूटर का इतिहास िास्क्ति में इलेक्ट्रॉवनक कम्प्यूटर विज्ञान 70 िषों से अधधक प्राचीन नहीीं है इसका िास्क्तविक फैलाि बीसिीीं सदी के अंततम तीन दशकों में हुआ है। जजस ददन से मनुष्ट्य ने बढ़ती आबादी और कायण व्यापार के दबाि में आकर उं गजलयों से ज्यादा कुशल गर्ना विधध की आिश्यकता महसूस की, उसी ददन से शायद आधुवनक युग के कम्प्यूटर की खोज प्रारं भ हो गई थी। इस आिश्यकता और उसकी पूर्तत के जलए बनाए गए कम्प्यूटर की खोज का इततहास िास्क्ति में बहुत पुराना और अत्यं त ददलचस्क्प है। भारत में ईसा के 6000 िषण पूिण िैददक ऋचाओं की रचनाएं की गई जजसमें विश्व में पहली बार दाशतमक आंदकक प्रर्ाली का िर्णन पाया जाता है। इततहासकारों के अनुसार विश्व का पहला गर्क यंत्र बेबीलोन और दटग्रीस सुफाततस नददयों के दकनारे बसी मानि सभ्यताओं के पास ईसा पूिण सन् 3200 में पाया गया था। यह सरल यंत्र भट्टी में पके तमट्टी के गोल टुकडों के बीच छे द कर और उन्हें लकडी की सलाइयों में र्ालकर बनाया जाता था। और इसी से घटाने जोडने की विधध ईजाद हुई। चीन और जापान में भी लगभग 2600 ई.पू. में ऐसे ही यंत्र का उपयोग दकए जाने के सबूत तमलते हैं चीन में इसे तार के ढांचे में मशर् र्ालकर बनाया जाता था और इसे “अबाकस” (Abacus) कहते थे। जापान में इसे “सारोबान” (Saroban) कहा जाता था आज भी यह यंत्र कई खखलौनों की दुकानों में जोडने घटाने की विधध समझाने के जलए बच्चों के खखलौनों के रूप में ददखाई दे जाता है। इसके बाद के विकास में भारत के गशर्तज्ञों का विशेष योगदान रहा है। यह योगदान था शून्य ि दशमलि तचन्ह के आविष्ट्कार के रूप में। बाद के सारे कम्प्यूटरों के विकास को इस आविष्ट्कार का लाभ तमला। सत्रहिीीं शताब्दी तक कम्प्यूटर के विकास की गतत बहुत धीमी रही िषण 524 के आसपास रोमन तत्िेिा बोएधथयस ने एक गर्न चर से अबाकस को बदलने का प्रयास दकया पर उसका ज्यादा प्रयोग नहीीं हुआ और फफर असफलता के बीच राजा की नजरों से तगर जाने के कारर् बोएधथयस को मार ददया गया। िषण 1,000 में ससल्िेस्क्टर दद्वतीय ने, जजन्हें ‘तगलबटण’ के नाम से जाना जाता है, एक सं शोधधत अबॉकस बनाया जजससे दकए गए गुर्ा भागों से यह वनष्ट्कषण प्रततपाददत दकया दक पृथ्िी का अन्त पास नहीीं है उनकी इस गर्ना और वनष्ट्कषण से यूरोप में भय और आतंक कम हुआ। लेदकन सत्रहिीीं शताब्दी तक आते-आते कम्प्यूटर के विकास ने गतत पकडी और इसमें यूरोपीय देशों ने मौजलक योगदान ददया। 3 अबाकस पास्कल द्वारा ननर्ममि पहला याांतिकीय कैलकुलेटर सन् 1642 से 1860 तक के िषण यूरोपीय देशों में प्रारल्िक कम्प्यूटरों के विकास के माने जा सकते हैं। सन् 1642 में फ्रान्सीसी गशर्तज्ञ ब्लेज पास्क्कल (Blaise Pascal) ने पहला यांतत्रकीय कैलकुलेटर बनाया जजससे जोडना घटाना और गुर्ा भाग करना सिि था। पास्क्कल का यह कैलकुलेटर पीतल के तगयर तथा चरों से बना था और एक छोटे ससगार रखने के वर्ब्बे में आ सकता था। पर इस कैलकुलेटर के पीतल के चर एक-दूसरे में फंस जाया करते थे और इसीजलए यह व्यापाररक क्षेत्रों में कम सफल रहा, हालांदक इसने पास्क्कल के तपता की टैक्स गर्नाओं में खूब सहायता की। सन् 1671 में, जमणन तत्ििेिा गॉटफ्रोर् विल्हेम्पस िॉनलीिवनट्ज ने पास्क्कल के यंत्र के दोषों को दूर करते हुए एक और यंत्र बनाया जजससे जोडना-घटाना सरल हुआ। बार-बार जोडने-घटाने से गुर्ा भाग सिि था सन् 1801 में एक फ्रांसीसी रे शम बुनकर ने, जजसका नाम जोसेफ माकण जैकार्ण (Jaccard) था, एक ऐसी आधुवनक कपडे बुनने की मशीन का आविष्ट्कार दकया जजसमें छे द दकए गए कागजों (पंच-कार्ण) का उपयोग दकया गया था। इससे उन्होंने न केिल अपने कपडा उद्योग को आधुवनक बनाया बतल्क यांतत्रकी कम्प्यूटर के सरल आविष्ट्कार के जलए चार्ल्ण बैबेज को प्रेरर्ा प्रदान की। जैकाडड द्वारा प्रयुक्त पां च काडड कम्प्यूटर के तपिामह चार्लसड बैबेज 4 चार्ल्ण बैबेज (Charles Babbage) को गर्नाओं में बहुत ददलचस्क्पी थी। अपने समय की सीमाओं और कारीगरों के असहयोग के बािजूद उन्होंने 1822 में एक कंम्प्यूदटिंग मशीन “वर्फरे न्स एं जजन” (Difference Engine) का वनमाणर् दकया, जजसके उपयोग में लॉगररथ्म टेबल की गर्ना की जा सकती था। इसके सफल उपयोग के पश्चात 1933 में बैबेज ने एक बार फफर नई एिं उन्नत मशीन के वनमाणर् की योजना बनाई और “एनाजलदटकल एं जजन” (Analytical Engine) नामक बहुउद्देशीय कम्प्यूटर के वनमाणर् में जुट गए, 1842 में प्रससद्ध अंग्रेज कवि लार्ण बायरन की पुत्री लेर्ी आगस्क्टा एर्ा लिलेस ने इस यंत्र की पूरी जानकारी जलखी थी लेर्ी एर्ा के इस कायण का सम्मान करते हुए अमेररकन पेटेंट विभाग ने जब कम्प्यूटर की एक खास भाषा तैयार की तो उसका नाम ‘एर्ा’ (Ada) रखा। नडफरे न्स एां जजन एनाललटटकल एां जजन बैबेज द्वारा वनर्तमत यह एनाजलदटकल इं जजन ही िह मशीन है जो आगे चलकर कम्प्यूटर की संरचना का आधार बनी। बैबेज ने सैद्धांततक तौर पर जजस मशीन की पररकल्पना की थी उसे िे प्रायोतगक कदठनाइयों के कारर् उस समय पूरी तौर पर वनर्तमत नहीीं कर सके। फफर भी िह मशीन 60 जोड प्रतत तमवनट करने में सक्षम थी। इसके महत्िपूर्ण दहस्से ही आज के कम्प्यूटर के विसभन्न प्रभागों (Building Blocks) की आधारशशला हैं। बैबज े की मशीन के विसभन्न प्रभाग इस प्रकार थे : इनपुट (Input) प्रभाग, जो मशीन के भीतर के भागों तक आदेशों को पहुुँचाने का कायण करता था। स्क्टोर (Store) प्रभाग, जजसमें नंबरों को सुरसक्षत रखा जा सके और जहां से उन्हें समय पर उपलब्ध कराया जा सके। अररथमेदटक (Arithemetic) या तमल (Mill) प्रभाग, इस प्रभाग में, स्क्टोर में उपलब्ध अंकों के आधार पर गर्नायें की जाती थीीं। ये गर्नायें पदहयों एिं तगयर (Gear) के घूमने की प्रदरया से की जाती थीीं। 5 कंरोल (Control) प्रभाग, जो इस बात का वनधाणरर् करता था दक समस्क्त गर्नायें सही रम में और वबना गडबडी के चल सकें। यह वनयंत्रर् भी पदहयों और तगयर के एक श्ृंखला के आधार पर दकया जाता था। आउटपुट (Output) प्रभाग, जो गर्ना द्वारा प्रा्त पररर्ामों को दशाणने का काम करता था। ये सभी भाग आज के आधुवनक कम्प्यूटरों से पूर्णत: मेल खाते हैं। स्क्टोर, तमल और कंरोल की तमली जुली यूवनट को आज के कम्प्यूटर में केन्द्रीय संगर्ना प्रभाग (Central Processing Unit या CPU) कहा जाता है। इनपुट और आउटपुट प्रभाग जो रमश: सूचना को अंदर ले जाने और गर्ना के बाद आए पररर्ाम को दशाणने का कायण करते हैं, को आज भी इन्हीीं नामों से पुकारा जाता है। चार्ल्ण बैबेज ने अपने जमाने से बहुत आगे का काम कर जलया था। यद्यतप तत्कालीन समाज सरकार से उन्हें कोई सहयोग प्रा्त नहीीं हुआ, उन्होंने अपने प्रयत्नों से आधुवनक कम्प्यूटर की बुवनयाद रखी इसजलए उन्हे सम्मान से “कम्प्यूटर का तपतामह” (Father of the computers) कहा जाता है। चार्ल्ण बैबेज के काम के आधार पर स्क्टॉक होम के जाजण और एर्िर्ण शुल्टज ने पहला यांतत्रकीय कम्प्यूटर बनाया जजसके जलए उन्हें पेररस मेले में स्क्िर्णपदक प्रा्त हुआ। शुल्ट्ज के इस यंत्र का उपयोग 1869 में मनुष्ट्य की जीिन सिािना (Life Expectancy) वनकालने में दकया गया। उन्नीसिीीं शताब्दी के अतन्तम िषों में और 20 िीीं शताब्दी के प्रथम 60 िषों में कम्प्यूटर संबंधी विकास का कायण अमेररका के दहस्से में आता है। गुर्ा भाग करने की कदठन ि उबाऊ प्रदरया से तंग आए अमेररकी क्ट्लकण विजलयम बरोज ने 1886 में एक गुर्ा भाग करने िाला यंत्र बनाया जो काफी सफल रहा। आगे चलकर उन्होंने “बरोज कापोरे शन” की स्थापना की जजसने अपने कारोबार का प्रारं भ उि मशीन को बनाने से दकया। प्रथम प्रोग्रामर -लेडी आगस्टा एडा हरमन होलेररथ लवलेस सन् 1890 में अमेररकी जनगर्ना ब्यूरो ने हरमन होलेररथ द्वारा बनाये विद्युत यांतत्रकी (Electro Mechanical) संगर्क को उपयोग में लाने का वनर्णय दकया। जजसके उपयोग से दस िषों में पूर्ण 6 होने िाला यह कायण तीन सालों में पूरा हो सका। इस सफलता को देखते हुए होलेररथ ने स्क्ियं व्यापार में जाने का वनर्णय दकया और एक संगर्क कम्पपनी गदठत कर र्ाली। सन् 1896 की जनगर्ना में उनका यंत्र व्यापक रूप से उपयोग में लाया गया ि उन्हें काफी ठे के तमले। यहां तक दक रूस की पहली जनगर्ना में भी इसका उपयोग दकया गया। इसी बीच 1780 में अमेररकी िैज्ञावनक बेंजातमन फ्रैंकजलन ने विद्युत का आविष्ट्कार कर जलया था। माइकल फेरार्े ने 1831 में पहला विद्युत जवनत्र बनाया। इसके पश्चात विद्युत आधाररत उपकरर्ों (इलेतक्ट्रकल सर्ककट्स) पर ज्यादा से ज्यादा खोज की जाने लगी थी। सन् 1903 में थॉमस एल्िा एवर्सन के साथ काम करने िाले यूगोस्क्लाि िैज्ञावनक वनकोला टेसला ने तकण ससद्धांतों पर आधाररत “विद्युत लांजजक सर्ककट” बनाए जजस पर उन्हें पेटेंट तमला इन्हें ‘गेट’(gate) या ‘तस्क्िच’ (switch) कहा गया। सन् 1914 में थॉमसन िाटसन (सीवनयर) होलेररथ कम्पपनी में भती हुए। अब इस कंपनी में लगभग 1300 कमणचारी और उसका नाम था “कम्प्यूदटिंग-टेबुलेदटिंग रे कार्डर्ग कंपनी”। 1924 में िाटसन इस कम्पपनी के अध्यक्ष बने और उन्होंने कम्पपनी का नाम “इं टरनेशनल वबजनेस मशीन्स” (IBM) रखा जो आज तक इसी नाम से जानी जाती है और विश्व की कम्प्यूटर बनाने िाली कम्पपवनयों में अग्रर्ी है। आई.बी.एम. के ित्कालीन थॉमसन कोनराड जूस Z1 कम्प्यूटर के साथ वाटसन (सीननयर) सन् 1925 में मेसाच्युसेट्स इं स्क्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी (MIT) बोस्क्टन में प्रोफेसर बुश और सहयोगी िैज्ञावनकों ने एक बडा एनॉलॉग केलकुलेटर बनाया जजसका नाम “वर्फरें शशयल एनालाइजर” (Differnetial Analyzer) था। अमेररका में 1928 में रूसी िैज्ञावनक ब्लादीमीर इिोरविन ने केथोर् रे ट्यूब (Cathod Ray Tube) का आविष्ट्कार दकया। जमणन िैज्ञावनक कोनरार् जूस ने 1936 में जमणनी में Z1 कम्प्यूटर का वनमाणर् दकया जजसमें पहली बार की-बोर्ण से इनपुट का और उिर प्रा्त करने के जलए विद्युत बल्बों का प्रयोग दकया गया था। 1938 में ही एक मोटर गैरेज में र्ेविर् पैकार्ण और विजलयम हेिजलट ने हेिजलट- पैकार्ण कम्पपनी की शुरुआत की जो आगे चलकर कई इलेक्ट्रॉवनक उपकरर् ि कम्प्यूटर बनाने लगे। 7 1941 में कोनरार् जूस ने Z3 नामक कम्प्यूटर बनाया गया जजसमें विद्युत और यांतत्रक ररले लगाए गये थे। यह कम्प्यूटर एक गुर्ा करने में तीन से पांच सेकेंर् समय लेता था । स्क्िचाजलत पद्धतत पर काम करने िाला यह दुवनया का प्रथम कम्प्यूटर था। यह एक दुभाणग्यपूर्ण परम्पपरा रही है दक तकनीकी विकास युद्धजन्य आिश्यकताओं और पररस्थस्थततयों से सीधे जुडा रहा है। दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत के बाद जमणनी और अमेररका दोनों ने कम्प्यूटर को युद्ध के उपयोग में आ सकने िाले यंत्र की तरह देखना शुरू दकया और उसमें कई संशोधन दकए, सन् 1943 में “कोलोसस” (Colosus) नामक इलेक्ट्रॉवनक संगर्क के उपयोग से जमणन गु्त संकेत कोर् समझने में सहायता तमली और इससे युद्ध की पररस्थस्थततयों में बहुत पररितणन आया। एक बार कम्प्यूटर की उपयोतगता ससद्ध हो जाने पर उसमें गुर्ात्मक सुधार का काम बहुत तेजी पकड गया। लगभग इसी समय प्रोफेसर हािणर्ण आइदकन, ने अमेररका में ‘हािणर्ण आई.बी.एम. माकण 2’(IBM Mark II) नामक कम्प्यूटर तैयार दकया जो अपने दकस्म का पहला विद्युत यांतत्रकी कम्प्यूटर था और दस आंकडों िाली दो संख्याओं का गुर्ा पाुँच सेकंर् में पूरा करता था। लेर्ी एर्ा ने जजस तरह चार्ल्ण बैबेज के साथ काम दकया था उसी तरह ग्रेस मरे हॉपर ने प्रोफेसर आयदकन के साथ ‘माकण 2’ पर प्रोग्राम जलखने का काम दकया। 1945 में युद्ध समा्त होने के पश्चात् भी कम्प्यूटर के विकास की गतत बनी रही अमेररकी िैज्ञावनक जॉन िैन न्यूमैन ने, प्रोग्राम मेमोरी में रखने िाले ‘एर्िैक’ (ADVAC) कम्प्यूटर का ढांचा बनाया उधर 1946 में जे एकटण, जॉन माुँचली तथा 50 िैज्ञावनकों के एक दल ने पेनससलिीवनया के मूर स्क्कूल में विश्व का पहला वर्जजटल इलेक्ट्रॉवनक इलेक्ट्रॉवनक कम्प्यूटर ‘एवनयाक’ (Electronic Numerical Integrator And computer ENIAC) तैयार दकया। लगभग 15,000 िगणफुट की जगह लेने िाला यह कम्प्यूटर दो मंजजलों की ऊंचाई िाला और तीस टन िजन का था ‘एवनयाक’ एक सेकंर् में 357 गुर्ा कर सकता था और उस पर पांच लाख र्ॉलर खचण हुए थे। इस कम्प्यूटर का पहला काम सैवनक तमसाइलों के पथ की गर्ना करना था। पेटेंट के मामलों से उत्पन्न वििादों के कारर् एकटण तथा माचली, मूर स्क्कूल छोडकर चले गए और उन्होंने ENIAC के उद्घाटन से एक महीने के भीतर एक ‘इलेक्ट्रॉवनक कम्प्यूटर कम्पपनी’ खोल ली जजसका उद्देश्य था एक यूवनिसणल ऑटोमैदटक कम्प्यूटर (Univac) बनाना। 8 प्रथम इलेक्ट्रॉननक कम्प्यूटर इननयॉक (ENIAC) सन् 1947 में अमेररका में बेल लेबोरे टीरीज में कायणरत िैज्ञावनक विजलयम शॉकले, जान बार्ीन और िाल्टर ब्रातेन ने एक रांततकारी आविष्ट्कार दकया जजसने िॉल्ि की छुट्टी कर दी इसे ‘रॉजजस्क्टर’ (Transistor) का नाम ददया गया। इसी िषण ग्रेस हॉपर ने अपने दस्क्तािेजों में पहले कम्प्यूटर बग शब्द को प्रयुि दकया। माकण कम्प्यूटर के वर्ब्बे में एक तततली (कीडा) चले जाने से सर्ककट में कुछ आं तररक खराबी आ गई थी। ग्रेस ने इसे अपनी दैनंददनी ररपोटण में तचपका ददया। उसी ददन से कम्प्यूटर की शब्दािली में debugging नामक शब्द चल पडा जजसका मतलब दकसी भी कम्प्यूटर में पाए जाने िाले दोषों को वनकालना है। रॉजजस्क्टर के आविष्ट्कार के बाद तो कम्प्यूटर के विकास की गतत में तेजी से िृसद्ध हुई। पचास के दशक से आज तक के विकास सभी आयामों को इस अध्याय में समािेशशत करना असिि है, 1970 के पश्चात तो लगभग हर माह कम्प्यूटर से संबंधधत कोई न कोई आविष्ट्कार हुआ है जो 198आ आते आते प्रत्येक ददन में पररिर्ततत हो गया, लेदकन इस यात्रा के कुछ महत्िपूर्ण मील के पत्थरों को वनम्न ताजलका में देखा जा सकता है। वर्ड प्रमुख नवकास /घटना 1945 कोनरार् जूस द्वारा पहली उच्च स्क्तरीय भाषा का विकास, जॉन टकी द्वारा आधुवनक कम्प्यूटरों के जलए बायनरी वर्जजट का प्रयोग, जॉन िॉन न्यूमैन द्वारा स्क्टोर्ण प्रोग्राम कम्प्यूटरों के ससद्धांत का प्रततपादन, प्रथम इलेक्ट्रॉवनक कम्प्यूटर इवनयॉक का विकास 1947 प्रथम स्क्टोर्ण प्रोग्राम कम्प्यूटर BINAC का विकास 1950 क्ट्लाउद शैनून द्वारा कम्प्यूटर के प्रथम चैस प्रोग्राम का प्रस्क्ताि 1955 पहली क ृ ततम बुसद्धमिा भाषा IPL-II का विकास 1956 पहली िैज्ञावनक कम्प्यूटर भाषा FORTRAN का विकास 9 1958 पहले इन्टीग्रेटेर् सर्ककट का विकास 1959 ग्रेस मूरी हॉपर द्वारा कोबोल भाषा का विकास 1965 र्ाथणमाउथ कॉलेज में जॉन कीमी द्वारा बेससक भाषा का विकास 1967 सैमूर पेपटण द्वारा लोगो भाषा का विकास 1970 कम्पपयूटर में र्ाटा संग्रहर् हेतु फ्लॉपी वर्स्क्क का विकास 1971 पहले माइरोकम्प्यूटर का वनमाणर्. 1971 पहले पॉकेट कैलकुलेटर का वनमाणर् 1971 पहले स्क्प्रेर्शीट प्रोग्राम विजजकैल्क का विकास 1973 प्रोलॉग (PROLOG) भाषा का विकास जो क ृ ततम बुसद्धमिायुि कम्प्यूटरों में प्रयुि की गई. 1975 क ृ ततम बुसद्धमिायुि कम्प्यूटरों को तचदकत्सा विज्ञान में प्रयुि दकया गया. 1977 स्क्टीि जॉव्स द्वारा ए्पल कम्प्यूटर का विकास 1981 आई. बी.एम.द्वारा पसणनल कम्प्यूटरों का विकास 1982 स्क्प्रेर्शीट प्रोग्राम लोटस 1-2-3 प्रस्क्तुत. 1984 ए्पल कम्प्यूटर द्वारा मैदकनटोश ऑपरे दटिं ससस्क्टम का विकास 1984 हैिलेट पैकार्ण द्वारा लेसर तप्रिंटर का अविष्ट्कार 1985 एलर्ॉस कॉपोरे शन द्वारा र्ेस्क्क टॉप पतब्लशशिंग सॉफ्टिेयर पेजमेकर का विकास 1990 इं टेल कंपनी द्वारा 32 वबट के 80486 माइरोप्रोसेसर का विकास। दटम बनणर ली द्वारा हायपरटेक्स ससस्क्टम जजसे आज का इन्टरनेट कहा जाता है का विकास तथा पहले िेब सिणर प्रोग्राम का विकास । आपाणनेट समा्त तथा इसका स्थान NSFNET ने जलया । GSM मानक जारी दकए गए। माइरोसॉफ्ट ने विन्डोज 3.0, ए्पल ने फोटोशॉप 1.0 तथा मानरीयल यूवनिर्ससटी ने एलन एमटगे द्वारा जलखखत पहले सचण इं जन आची को जारी दकया। FORTRAN 90 प्रोग्रातमिंग भाषा जारी की गई। 1991 िर्ण िाइर् िेब को जनता के जलए जारी दकया गया । लाइनस टोरिार्ण द्वारा लाइनेक्स का विकास। पहली बार इंटरनेट ऑफ धथिंग्स शब्द का प्रयोग दकया गया। विश्व का पहला साइबरकैफे सेनफ्रांसससको शहर में खुला। माइरोसॉफ्ट ने अपनी िेबसाइट microsoft.com प्रारं भ की तथा Visual Basic प्रोग्रातमिंग भाषा विकससत की। माइरोसॉफ्ट द्वारा विन्डोज़ 3.0 ऑपरे दटिंग ससस्क्टम प्रस्क्तुत दकया । 1992 - माइरोसॉफ्ट ने 10 Windows 3.1 जारी दकया जजसकी एक लाख से अददक प्रततयां 2 माह में ही विदरत की । माइरोसॉफ्ट ने Visual Basic for MS-DOS बाजार में उपलब्ध कराया। इं टेल ने अपना नया माइरोप्रोसेसर 486DX2 लां च दकया जो पहले उपलब्ध माइरोप्रोसेसर से दुगनी गतत का था। एर्ोब ने विन्डोज आपरे दटिंग ससस्क्टम पर फोटोशॉप 2.आ उपलब्ध कराया। 1993 NCSA ने Mosaic ब्राउजर का विकास कर जारी दकया । CERN ने िेब के सोसण कोर् को जनता के जलए जारी दकया। अमेररकी राष्ट्रपतत का कायाणलय इमेल सुविधा से जुडा तथा.gov और.org र्ोमेन प्रारं भ दकए गए। िर्ण िाइर् िेब से पचासिां सिणर जुडा। पहला िेब कैमरा इं टरनेट से जुडा। माइरोसॉफ्ट ने Windows NT, Microsoft Office 4.0, Windows NT 3.1, Visual Basic 3.0. तथा MS-DOS 6.0 जारी दकए । IBM, Motorola, तथा Apple ने संयुि रुप से नए माइरोप्रोसेसर PowerPC का विकास दकया। 1994 CSS तथा PHP का विकास । NIST द्वारा वर्जीटल ससगनेचर मानक का विकास । इं टेल ने दद्वताय पीढी के Intel Pentium प्रोसेसर एिं the Intel 486DX4 को जारी दकया । माइरोसॉफ्ट द्वारा Windows NT 3.आ, MS-DOS 6.22 तथा Windows 3.11 जारी। Mosaic ने Netscape 0.9 इं टरनेट ब्राउजर जारी दकया जजसमें पहली बार Cookies सुविधा उपलब्ध थी। IBM ने OS/2 Warp ऑपरे दटिंग ससस्क्टम जारी दकया । Amazon.com र्ोमेन पंजीक ृ त हुआ। 199आ र्ॉट कॉम बूम । भारत में इं टरनेट का आगमन। माइरोसॉफ्ट द्वारा विन्डोज़ 9आ ऑपरे दटिंग ससस्क्टम प्रस्क्तुत दकया । नेटस्क्केप ने SSL का विकास दकया । सन माइरोससस्क्टम्पस ने JavaScript तथा Java प्रोग्रातमिंग भाषा का विकास दकया। PHP प्रोग्रातमिंग भाषा जनता के जलए जारी । HTML 2.0 मानक जारी। इं टरनेट सचण इं जन AltaVista प्रारं भ । इं टल के नए माइरोप्रोसेसर Intel Pentium Pro का विकास । आइबीएम ने अपने पैरेलल कम्प्यूटर ससस्क्टम Deep Blue को विकससत दकया जजसने शतरं ज के खेल में गैरी कापोरोि को पराजजत दकया ।.mp3 का विकास तथा प्रचलन । प्रथम ओपन सोसण ग्राफफक्स प्रोग्राम GIMP का विकास । 1996 अमेररका में पहली बार सामान्य र्ाक की तुलना में अददक ई-मेल भेजे गए। IPv6 तथा WebTV जारी। सगी ब्रेन तथा लेरी पेज ने Google का विकास दकया । माइरोसॉफ्ट ने 11 VBScript प्रोग्रातमिंग भाषा जारी की । Intel ने अपने 200 MHz गतत के के नए माइरोप्रोसेसर P6 को जारी दकया । AT&T ने Worldnet को जारी दकया। 1997 मासणपाथफाइटर मंगल ग्रह पर सफलतापूिणक उतरा । इं टेल ने उन्नत ग्राफफक्स पोटण AGP का विकास दकया । माइरोसॉफ्ट ने Hotmail मुफ्त ई-मेल सेिा को अधधग्रहीत दकया । Connectix ने Virtual PC का विकास दकया । इं टेल ने नए माइरोप्रोसेसर Pentium II का विकास दकया । माइरोसॉ्ट ने अपने सचण इं जन का विकास प्रारं भ दकया। 1998 गूगल इं क की स्थापना । ए्पल ने न्यूटन ऑपरे दटिंग ससस्क्टम का विकास दकया । माइरोसॉफ्ट ने Windows 98 जारी दकया । इं टेल ने Socket 370 सॉकेट तथा first Xeon प्रोसेसर को विकससत दकया । XML 1.0 तथा MPEG-4 जारी। 1999 इं टेल ने आ00 MHz गतत िाले Pentium III माइरोप्रोसेसर का विकास दकया । माइरोसॉफ्ट ने मोबाइल ऑपरे दटिंग ससस्क्टम Windows CE 3.0 को जारी दकया । IEEE ने िायरलेस प्रोटोकॉल 802.11b जारी दकया । 2000 जैसी आशंका थी Y2K बग के बािजूद कम्प्यूटर चालू रहे तथा कोई अनहोनी नहीीं हुई। इ-मेल से फैले िायरस ILOVEYOU ने आतंक मचाया तथा दुवनया के आधे से अधधक कम्प्यूटरों को प्रभावित दकया । नोदकया का मोबाइल फोन 3310 जारी । गूगल ने 3आ0 ग्राहकों के साथ AdWords सुविधा प्रारं भ की। Intel तथा AMD ने माइरोप्रोसेसर की गतत सीमा 1 GHz पार की तथा नए माइरोप्रोसेसर बनाए। माइरोसॉफ्ट ने Windows 2000, Windows ME, DirectX 8, Visio. तथा Pocket PC जारी दकए। इं टेल ने Pentium 4 माइरोप्रोसेसर का विकास दकया । 2001 ए्पल ने आईपोर् जारी दकया जो विश्व का सिाणधधक प्रससद्ध MP3 प्लेयर बना । ओपनसोसण इनसाइक्ट्लोपीवर्या विदकतपवर्या लॉच हुआ। इसके बाद हुए कम्प्यूटर से संबंधधत हर महत्िपूर्ण जानकारी को सारर्ी के रुप में देना यहां संभि नहीीं है क्योदक लगभग हर ददन इस क्षेत्र में कुछ न कुछ आविष्ट्कार या महत्िपूर्ण विकास हुआ है। हमारे देश में कम्प्यूटरों का उपयोग और वनमाणर् शेष विश्व की तुलना में देर से प्रारं भ हुआ है लेदकन उनके उपयोग की गतत काफी तेज रही है। भारत नें कम्प्यूटर सॉफ्टिेयर विकास के क्षेत्र में दुवनया भर में अपना प्रमुख स्थान बनाया है। आज कम्प्यूटर तथा इं टरनेट के माध्यम से रे ल, बस, हिाई जहाज, यात्री जहाज तथा ससनेमा तक के दटदकट ऑनलाइन बुक हो रहे हैं। िेब दठकाने रोजगार ददलाने में हमारी मदद कर रहे हैं, होटल 12 बुक करने में, शाददयां कराने में, तैयार कपडों, दकताबों, खखलौनों तथा इलेक्ट्रॉवनक साजो सामान की खरीददारी में हमारी मदद कर रहे हैं। भारत में इन्टरनेट की सुविधा 1995 में उपलब्ध हो गयी थी उस समय उसकी औसत सामान्य गतत 14.4 Kbps थी जो अब बढ़कर न्यूनतम 2.8 Mbps तथा अधधकतम 21.2 Mbps तक हो गयी है। कायाणलयों में तो यह गतत 2Gbps तक हो गयी है। इंटरनेट की यह सुविधा अब सामन्य रुप से मोबाइल रूप से भी उपलब्ध है जजसके माध्यम से शासन ने अपनी योजनाओं तथा सेिाओं को गांि-गांि तक पहुं चाने की महत्िाकांक्षी योजना भी प्रारं भ की है जजसे राष्ट्रीय ई-शासन योजना या नेशनल ई-गिनेंस प्रोग्राम नाम ददया गया है। इसके तहत सभी राज्यों के जजला मुख्यालयों को कम्प्यूटर नेटिकण में जोडने का कायण भी दकया जा चुका है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरे न्द्र मोदी ने भारत के जन सामान्य को सूचना प्रौद्योतगकी के प्रयोग से लाभ पहुं चाने के जलए एक निीन कायणरम जजसे वर्जजटल इं वर्या का नाम ददया है, प्रारं भ दकया है। वर्जजटल इं वर्या भारत सरकार की एक पहल है जजसके तहत सरकारी विभागों को देश की जनता से जोडना है। इसका उद्देश्य यह सुवनसश्चत करना है दक वबना कागज के इस्क्तेमाल के सरकारी सेिाएं इलेक्ट्रॉवनक रूप से जनता तक पहुं च सकें। इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीर् इलाकों को हाई स्क्पीर् इं टरनेट के माध्यम से जोडना भी है। कम्प्यूटर की पीट़ियााँ (Generations of Computers) सन् 1946 में प्रथम इलेक्ट्रॉवनक कम्प्यूटर ’एवनएक की शुरूआत ने कम्प्यूटर के विकास को एक आधार तथा गतत प्रदान की। कम्प्यूटर के विकास के इस रम में कई महत्िपूर्ण आविष्ट्कारों के आधार पर कम्प्यूटर ने आज तक की विकास यात्रा तय की। इस विकास के रम को हम कम्प्यूटर वनमाणर् में प्रयुि मुख्य तकनीक के आधार पर वनम्नजलखखत पांच पीदढ़यों में बाुँट सकते हैं - प्रथम पीढ़ी - 1946-1956 - वनिाणत नजलका (िैक्यूम ट्यूब) दद्वतीय पीढ़ी - 1956-1964 - रांजजस्क्टर तृतीय पीढ़ी - 1964-1971 - अंगीभूत पररपथ (इं टीग्रेटेर् सर्ककट) चतुथण पीढ़ी - 1971 – 199आ से ितणमान - माइरोप्रोसेसर पंचम पीढ़ी - 199आ से ितणमान एिं भविष्ट्य - अतत उन्नत माइरोप्रोसेसर 13 इांटीग्रेटेड सर्ककट वैक्ट्यूम ट्यूब राांजजस्टर माइक्रो प्रोसेसर (आईसी ) कम्प्यूटरों की प्रथम पी़िी सन् 1946 में प्रो. एकटण और जॉन मॉचली के एवनएक (ENIAC) नामक कम्प्यूटर के वनमाणर् से ही कम्प्यूटर की प्रथम पीढ़ी का प्रारि हो गया था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में इलेतक्ट्रकल ररले तथा िैक्यूम ट्यूब (Vaccum Tube) का प्रयोग दकया जाता था जजसका आविष्ट्कार सन् 1904 में दकया गया। इस पीढ़ी में एवनएक के अलािा और भी कई अन्य कम्प्यूटरों का वनमाणर् हुआ जजनमें प्रमुख नाम एर्सैक (EDSAC) एिं यूवनिैक-1(UNIVAC-1) है। यूननवैक कम्प्यूटर यूवनिैक कम्प्यूटर पहला सामान्य उद्देश्य इलेक्ट्रॉवनक कम्प्यूटर था जो बाजार में विरय हेतु उपलब्ध था। इस श्ेर्ी का सिाणधधक लोकतप्रय कम्प्यूटर IBM-650 था जो 1950 में बाजार में प्रस्क्तत ु हुआ जजसमें संग्रहर् हेतु मैग्नेदटक ड्रम तथा इनपुट-आउटपुट के जलए पंचकार्ण का प्रयोग दकया गया था तथा यह व्यािसातयक तथा िैज्ञावनक कायों के जलए प्रयुि होता था। प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों के प्रमुख लक्षर् वनम्नजलखखत थे - िैक्यूम ट्यूब पर आधाररत पंचकार्ण पर आधाररत इनपुट तथा आउटपुट 14 र्ाटा सं ग्रहर् के जलए मैग्नेदटक ड्रम का प्रयोग अत्यं त नाजुक और कम विश्वसनीय बहुत सारे एयर-कंर्ीशनों का प्रयोग ससफण मशीनी तथा असेम्पबली भाषाओं में प्रोग्रातमिं ग कम्प्यूटरों की टद्विीय पी़िी कम्प्यूटरों की दद्वतीय पीढ़ी की शुरूआत कम्प्यूटरों के वनमाणर् में रांजजस्क्टर (Transistor) का उपयोग दकए जाने से हुई। विजलयम शॉकले ने रांजजस्क्टर का आविष्ट्कार सन् 1947 में दकया था जजसका उपयोग दद्वतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों में िैक्यूम ट्यूब के स्थान पर दकया जाने लगा। रांजजस्क्टर के उपयोग से कम्प्यूटरों का आकार छोटा हो गया तथा उसकी गतत िैक्यूम ट्यूबों से अपेक्षाक ृ त अधधक गतत एिं विश्वसनीयता अधधक हो गयी। IBM-1401 दद्वतीय पीढ़ी का सिाणधधक लोकतप्रय कम्प्यूटर था। दद्वतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों के प्रमुख लक्षर् वनम्नजलखखत थे- िैक्यूम ट्यूब के स्थान पर रांजजस्क्टर का उपयोग अपेक्षाक ृ त छोटे एिं कम उजाण खपत अधधक तेज गतत से गर्ना एिं अधधक विश्वसनीय प्रथम पीढ़ी की अपेक्षा कम खचीले कोबोल(COBOL) तथा फोररॉन (FORTRAN) जैसी उच्चस्क्तरीय प्रोग्रातमिंग भाषाओं पर कायण करने में सक्षम उन्नत ऑपरे दटिंग ससस्क्टम का प्रयोग संग्रहर् वर्िाइस, तप्रिंटर एिं अन्य इनपुट आउटपुट इकाईयों आदद का प्रयोग कम्प्यूटरों की िृिीय पी़िी इं टीग्रेटेर् सर्ककट(Integrated Circuits) (आईसी ) या अंगीभूत पररपथ पर आधाररत कम्प्यूटरों की तृतीय पीढ़ी की शुरूआत 15 1964 में हुई। इं टीग्रेटेर् सर्ककट का आविष्ट्कार टेक्सास इन्स्ट्रूमेंट कम्पपनी के एक इं जीवनयर जैक दकल्बी ने दकया था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ICL 1900, ICL 2903, ICL 2904 प्रमुख थे। तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटरों के प्रमुख लक्षर् वनम्नजलखखत थे - अंगीभूत पररपथ का प्रयोग प्रथम एिं दद्वतीय पीढयों की के कम्प्यूटरों अपेक्षा आकार एिं िजन बहुत कम अधधक तेज गतत तथा अधधक विश्वसनीय आसान रख-रखाि उच्चस्क्तरीय भाषाओं का बृहद स्क्तर पर प्रयोग ICL 1900 कम्प्यूटर कम्प्यूटरों की चिुथड पी़िी सन् 1971 से लेकर 1995 तक के कम्प्यूटरों को चतुथण पीढ़ी के कम्प्यूटरों की श्ेर्ी में रखा गया हैं इस पीढ़ी में एकीक ृ त सर्ककट पररपथ के विकससत स्क्िरूप जजसे विशाल एकीक ृ त सर्ककट पररपथ (Very Large Scale Integrated Circuits - VLSI) कहा जाता है का उपयोग दकया गया। इसके उपयोग से लगभग 300000 रांजजस्क्टरों के बराबर का पररपथ एक इं च के चौथाई भाग में समादहत हो सका। इस आविष्ट्कार से कम्प्यूटर की पूरी सेन्रल प्रोसेससिंग यूवनट एक छोटी-सी तचप में आ गयी जजसे माइरो प्रोसेसर कहा जाता है। इसके उपयोग िाले कम्प्यूटरों को माइरो कम्प्यूटर कहा गया। आल्टेयर 8800 सबसे पहला माइरो कम्प्यूटर था जजसका वनमाणर् तमट्स (MITS) नामक कंपनी ने दकया था। इसी कम्प्यूटर पर वबल गेटस जो उस समय हािर्ण विश्वविद्यालय के छात्र थे, ने वर्स्क्क ऑपरे दटिंग ससस्क्टम (र्ॉस) जलखा जो प्रथम सफल माइरोकम्प्यूटर ऑपरे दटिंग ससस्क्टम था साथ ही उन्होनें तत्कालीन सिाणधधक प्रचजलत कम्प्यूटर भाषा बेससक (BASIC) को स्थातपत दकया था। इस 16 सफल प्रयास के बाद वबल गेटस ने माइरोसॉफ्ट नामक कम्पपनी की स्थापना की जो ितणमान में दुवनया में सॉफ्टिेयर की सबसे बर्ी कम्पपनी है। सबसे पहला माइरोप्रोसेसर इं टेल 4004 था। यह पी.एम.ओ.एस. तकनीक िाला 4-वबट िर्ण लेन्थ िाला माइरोप्रोसेसर था। जजसे सन् 1970-71 में इं टेल कॉपोरे शन, अमेररका ने तैयार दकया था। इसके बाद इससे अधधक विकससत इं टेल 4040 तैयार दकया गया। अन्य कम्पपवनयों ने भी 4-वबट माइरोप्रोसेसर विकससत दकये जैसे – रॉकिेल इं टरनेशनल ने पी.पी.-4, तोशशबा ने टी3472 आदद 4-वबट िर्ण लेन्थ िाले थे । माइरोप्रोसेसर की िर्ण लेन्थ का मान एन-वबट में ददया जाता है, जहाुँ एन का मान 8, 16, 32 या 64 हो सकता है। 8-वबट का माइरोप्रोसेसर एक समय में 8 वबट्स र्ाटा की प्रदरया सम्पपन्न कर सकता है। यदद 8 वबट्स से अधधक वबट्स का र्ाटा होता है, तो ऐसी स्थस्थतत में माइरोप्रोसेसर र्ाटा पहले 8 वबट् की प्रदरया सम्पपन्न करता है और अगले 8-8 वबट्स के समूहों की प्रदरया सम्पपन्न करता जाता है। इसका ए.एल.यू, 8 वबट् प्रदरया के अनुरूप तैयार दकया जाता हैं। र्ेस्क्कटॉप कम्प्यूटर और पोटेबल मोबाइल कम्प्यूटर जैसे लैपटॉप, नोटबुक, पामटॉप आदद में एक ही माइरोप्रोसेसर, सी.पी.यू. के रूप में प्रयोग दकया जाता है। अधधक शतिशाली कम्प्यूटरों में सी.पी.यू. में एक से अधधक माइरोप्रोसेसर सम्मम्मजलत होते हैं। उच्च क्षमतािान सिणर, मेनप्रेम कम्प्यूटर, सुपर कम्प्यूटर आदद में सी.पी.यू. के रूप में अनेक माइरोप्रोसेसर प्रयुि होते हैं। बडे और शतिशाली कम्प्यूटरों में ये माइरोप्रोसेसर एक सी.पी.यू. में समान्तर दरया करते हैं। ऐसा कम्प्यूटर जजसके सी.पी.यू. में एक से अधधक माइरोप्रोसेसर स्थस्थत होते हैं, मल्टीप्रोसेसर कम्प्यूटर ससस्क्टम कहलाता है। प्रोसेसर कम्प्यूटर की स्मृतत में अंदकत हुए संदेशों को रमबद्ध तरीके से पढ़ता है और फफर उनके अनुसार कायण करता है। सेन्रल प्रोसेससिंग यूवनट (सी.पी.यू.) को पुनः तीन भागों में बांटा जा सकता है: वनयंत्रक इकाई (कन्रोल यूवनट) गशर्तीय एिं तार्ककक इकाई (ए.एल.यू) एिं स्मृतत या मैमोरी विश्व में मुख्यत: दो बडी माइरोप्रोसेसर उत्पादक कंपवनयां है - इंटेल (INTEL) और ए.एम.र्ी.(AMD)। इनमें से इन्टेल कंपनी के प्रोसेसर अधधक प्रयोग दकये जाते हैं। प्रत्येक कंपनी प्रोसेसर की तकनीक और उसकी क्षमता के अनुसार उन्हे अलग अलग कोर् नाम देती हैं, जैसे इं टल े 17 कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं पैतन्टयम -1, पैतन्टयम -2, पैतन्टयम -3, पैतन्टयम -4, सैलेरॉन, कोर टू र्ुयो आदद.उसी तरह ए.एम.र्ी. कंपनी के प्रमुख प्रोसेसर हैं के-5, के-6, ऐथेलॉन आदद। अतत विशशष्ठ कायों को छोड ददया जाए, तो सामान्य उपयोगकताण और व्यिसाय के जलए आज से दस िषण पुराना प्रोसेसर भी पयाण्त है। आप का मतस्क्तष्ट्क जजतनी गतत से सोचता है , दस िषण पुराना प्रोसेसर भी उससे कहीीं अधधक तीव्रता से कायण करता है। एक उन्नत कं्यूटर अनुभि के जलए उन्नत ग्राफफक्स और कनेतक्ट्टविटी भी उतनी ही आिश्यक हैं। अतः कं्यूटर खरीदते समय न केिल प्रोसेसर गतत को प्राथतमकता दें अतपतु अन्य गुर्ों की और भी ध्यान दें। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों के के प्रमुख लक्षर् वनम्नजलखखत हैं- अततविशाल स्क्तरीय एकीकरर् तकनीक का उपयोग। सेमीकण्र्र सर्ककट पररपथ का प्रयोग गर्ना गतत पीको सैकेण्र् (10-12 Seconds)में आकार में अत्यं त कमी साधारर् आदमी की रय-क्षमता के अंदर अधधक प्रभािशाली, विश्वसनीय एिं अधधक गतत मल्टी प्रोग्रातमिंग क्षमता से युि कई मैगाबाइट मेमोरी क्षमता युि उच्च स्क्तरीय भाषाओं में कायण करने में सक्षम कम्प्यूटरों के विसभन्न नेटिकण का विकास आर्लटेयर 8800 - पहला माइक्रो कम्प्यूटर कम्प्यूटरों की पां चम पी़िी कुछ िैज्ञावनक मानते हैं दक कम्प्यूटरों की पॉचिी पीढ़ी का विकास अभी नहीीं हुआ है। दकन्तु कुछ के अनुसार कम्प्यूटरों की पांचिीीं पीढ़ी में ितणमान के शतिशाली एिं उच्च तकनीक िाले कम्प्यूटर से लेकर भविष्ट्य में आने िाले कम्प्यूटरों तक को शातमल दकया गया है। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर अतत उन्नत दकस्म के माइरोप्रोसेसर पर आधाररत हैं । इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में कम्प्यूटर िैज्ञावनक क ृ तत्रम बुसद्धमिा (Artificial Intelligance) को समादहत करने के जलए प्रयासरत हैं। इस पीढ़ी के प्रारं भ में , कम्प्यूटरों के मध्य नेटिर्ककग की गई की गई तादक र्ेटा तथा सूचना की आपस में साझेदारी तथा आदान-प्रदान हो सके। नये अतत उन्नत इं दटग्रेटेर् सर्ककट पररपथ (ULSI) ने पुराने अतत विशाल 18 इं दटग्रेटेर् सर्ककट पररपथ (VLSI) को प्रततस्थातपत करना शुरू दकया। इस पीढ़ी में प्रततददन कम्प्यूटर के आकार को घटाने तथा गतत एिं मेमोरी बढ़ाने का प्रयास दकया जा रहा है जजसके फलस्क्िरूप अत्यं त सूक्ष्म आकार में भी कम्प्यूटर उपलब्ध हो सके हैं। पांचिीीं पीढ़ी के कम्प्यूटरों के प्रमुख लक्षर् वनम्नजलखखत हैं- कम्प्यूटरों के आकार, प्रकार, गर्ना शति, मेमोरी क्षमता आिश्यकतानुसार करना संभि। नेटिकण तथा इं टरनेट सुविधा से युि क ृ ततम बुसद्धमिा से युि मल्टीमीवर्या क्षमता से युि अत्यधधक कम उजाण खपत तथा अतत विश्वसनीय मल्टी प्रोग्रातमिंग, मल्टी प्रोसेससिंग, पैरेलल पेरोसेससिंग आदद क्षमताओं से लैस एम्पबेर्ेर् प्रर्ाजलयों का विकास मानि जीिन के हर क्षेत्र में उपयोगी कम्प्यूटर की सांरचना सैद्धांततक तौर पर मूलत: कम्प्यूटर कुछ सूचना प्रा्त करता है, फफर वनसश्चत वनदेशों का पालन करते हुये उस सूचना को आिश्यकतानुसार उपयोग में लाता है एिं अंत मे तेजी से गर्ना करके पररर्ाम प्रस्क्तुत करता है। इस प्रदरया में ऐसे उपकरर् जो कम्प्यूटर के अंदर सूचना पहुुँचाते हैं, इनपुट उपकरर् (Input Devices) कहलाते हैं। कम्प्यूटर के जजस दहस्से में सभी प्रकार की गर्ना की जाती है उसे केंद्रीय संगर्ना प्रभाग, सेंरल प्रोसेससिंग यूवनट (Central Processing Unit) या सी.पी.यू. (CPU) कहते हैं। जो सूचना कम्प्यूटर को दी जाती है उसे कम्प्यूटर एक स्थान विशेष में याददाश्त के रूप में रख लेता है, इसे हम कम्प्यूटर की मेमोरी (Memory)कहते है। गर्ना करने के बाद कम्प्यूटर जजन उपकरर्ों के माध्यम से पररर्ाम हम तक पहुं चाता है उन्हें आउटपुट उपकरर् (Output Devices) कहते हैं। 19 इनपुट प्रोसेससिंग आउटपुट कम्प्यूटर को दो तरह की सूचनायें इनपुट के रुप में दी जाती हैं। पहली प्रोग्राम (Program) और दूसरी र्ाटा (Data)। प्रोग्राम वनसश्चत वनदेशों के उस रम को कहते हैं जजसके अनुसार कम्प्यूटर को कायण करना है। र्ाटा िह सूचना है जजस पर प्रोग्राम के अनुसार प्रोसेससिंग करना है। यदद आसान रूप में सोचा जाए तो कम्प्यूटर को वनम्न तीन भागों में बांट सकते हैं। 1. इनपुट उपकरर् 2. सेन्रल प्रोसेससिंग यूवनट 3. आउटपुट उपकरर् मूल रूप से उपरोि आधार पर कम्प्यूटर की संरचना वनम्नानुसार प्रदर्शशत की जा सकती है : के न्द्रीय सिंसाधन इनपुट उपकरण आउटपुट उपकरण इकाई कम्प्यूटर की केन्द्रीय संसाधन इकाई को आजकल तीन भागों में बांटा जा सकता है :- 1. कंरोल यूवनट (Control Unit) 2. अररथमेदटक तथा लॉजजक यूवनट (Arithmatic and Logic Unit) 3. आंतररक मेमोरी (Internal Memory) इस प्रकार अब हम कम्प्यूटर की संरचना को वनम्न प्रकार व्यि कर सकते हैं :- 20 चूंदक कम्प्यूटर ससफण आं तररक या मुख्य मेमोरी के आधार पर कायण करने में सक्षम नहीीं होता है। क्योदक इसकी क्षमता काफी सीतमत होती है अत इसमें बाह्य, दद्वतीयक, अततररि या सहायक मेमोरी भी लगायी जाती है। यह मेमोरी मुख्य मेमोरी के साथ तमलकर कायण करती है । इस मेमोरी के साथ कम्प्यूटर की संरचना को वनम्नानुसार व्यि दकया जा सकता है। इन चारो भागों को विस्क्तार से नीचे समझाया गया है. इस संरचना के अनुसार ये समस्क्त प्रभाग एक दूसरे से विद्युतीय तारों के माध्यम से जुडे रहते है. कम्प्यूटर ससस्क्टम में र्ाटा तथा सूचना को एक भाग से दूसरे भाग में ले जाने के जलए र्ाटा स्थानान्तरर् तारों के पररपथ का प्रयोग दकया जाता है इन पररपथों को ‘बस’ (Bus) कहा जाता है। कम्प्यूटर ससस्क्टम में सीपीयू तथा मुख्य मेमोरी के मध्य तीन प्रकार की बस का प्रयोग दकया जाता है- 21 डाटा बस (Data Bus) - इस बस का प्रयोग सीपीयू तथा मुख्य मेमोरी के मध्य र्ाटा स्थानान्तरर् करने के जलये दकया जाता है। एड्रेस बस (Address Bus)- इसका प्रयोग र्ाटा से संबंधधत मेमोरी पतों का स्थानान्तरर् करने के जलए दकया जाता है। कांरोल बस (Control Bus)- इसका प्रयोग मेमोरी के जलए वनयंत्रक संकेत भेजने के जलए दकया जाता है जैसे र्ाटा को कहां संग्रदहत करना है तथा कौन सा र्ाटा मेमोरी से पढ़ना है। इनपुट िथा आउटपुट उपकरण कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉवनक मशीन है जो र्ाटा तथा वनदेशों को इनपुट के रूप में प्रा्त करती है, र्ाटा को वनदेशों के अनुसार प्रोसेस करती है तथा पररर्ामों को आउटपुट के रूप में प्रस्क्तुत करती है। प्रत्येक कम्प्यूटर में इनपुट तथा आउटपुट वर्िाइसेस अवनिायणतः होती है। कम्प्यूटर में र्ाटा तथा वनदेशों को इनपुट करने का कायण इनपुट इकाईयों से दकया जाता है तथा आउटपुट प्रस्क्तुत करने का कायण आउटपुट इकाईयों द्वारा दकया जाता है। यह इनपुट कई तरह से दकया जा सकता है तथा कई प्रकार के हो सकते हैं यह इनपुट पाठ्य भी हो सकता है, कोई फोटोग्राफ भी, कोई ध्िवन संदेश भी या फफिंगर तप्रिंट भी। इसी तरह आउटपुट भी कई सभन्न स्क्िरूपों में हो सकता है- िह स्क्रीन पर प्रदर्शशत उिर भी हो सकता है, तप्रिंटर पर तप्रिंट ररपोटण, वर्स्क्क पर संरसक्षत फाइल, ध्िवन, फोटो या अन्य स्क्िरूप में भी हो सकता है। इनपुट उपकरण: ये िे उपकरर् हैं जजनकी सहायता से र्ाटा अथिा सूचना कम्प्यूटर को पहुुँचाई जाती है। आउटपुट उपकरण: ये िे उपकरर् हैं जजनकी सहायता से र्ाटा को प्रोसेससिंग के बाद कम्प्यूटर द्वारा या तो सुरसक्षत रखने के जलये भेजा जाता है अथिा इसे प्रदर्शशत अथिा तप्रिंट कर ददया जाता है। तादक हम उसे सामान्य भाषा में पढ़कर समझ सकें। 22 कांरोल इकाई (Control Unit) जैसा दक नाम से ही स्क्पष्ट है, यह इकाई कम्प्यूटर की विसभन्न प्रदरयाओं पर वनयंत्रर् रखती है। यह इकाई कम्प्यूटर की सेन्रल प्रोसेससिंग यूवनट (CPU) का दहस्सा होती है। िास्क्ति में यह इलेक्ट्रॉवनक पररपथों का एक जाल है जो कम्प्यूटर में सूचनाओं के प्रिाह पर वनयंत्रर्, वनदेशों के चयन तथा उसके कम्प्यूटर से जुर्े इनपुट तथा आउटपुट उपकरर्ों का वनदेशशत तथा वनयंत्रर् करना इसके प्रमुख कायण है। इसके प्रमुख कायण वनम्न हैं :- वनदेशों का चयन, उनकी वर्कोवर्िंग (अथण समझना), मेमोरी में स्थानान्तरर्, उनका दरयान्ियन तथा पररर्ाम का संग्रहर्। वनदेशों का रमबद्ध तरीके से दरयान्ियन तथा वनयंत्रर् कम्प्यूटर के अंदर र्ाटा के प्रिाह अथाणत विसभन्न कायण स्थानों (Working Location) पर र्ाटा का स्थानांतरर् विसभन्न सहायक उपकरर्ों को वनयंत्रक संकेत प्रदान करना पररर्ामों का प्रस्क्तुततकरर् कंरोल यूवनट उपरोि चर के अनुसार प्रदरयाओं को दोहराती (Repeat) रहती है, जब तक दक ददए गए वनदेश समूह का अंततम वनदेश दरयातन्ित न हो जाए। यहां यह बात ध्यान देने योग्य है दक कंरोल यूवनट स्क्ियं र्ाटा पर कोई प्रदरया नहीीं करती; इसका प्रमुख कायण तो र्ाटा और आदेशों का प्रिाह वनयंत्रर् करना है तथा इसके साथ ही कम्प्यूटर के अन्य उपकरर्ों जैसे- इनपुट/आउटपुट उपकरर्ों तथा सी.पी.यू. के मध्य तारतम्पय स्थातपत करना है। अररथमेटटक िथा लॉजजक यूननट (Arithmetic and Logic Unit) अररथमेदटक तथा लॉजजक यूवनट, कंरोल यूवनट की सहायक इकाई है। यह इकाई भी कम्प्यूटर की सेन्रल प्रोसेससिंग यूवनट (CPU) का दहस्सा होती है। यह कंरोल यूवनट के वनदेशन में कायण करती है। यह स्क्टोरे ज यूवनट से र्ाटा ग्रहर् कर वनम्न कायण करती है :- र्ाटा का विश्लेषर् तथा पुनर्विन्यास (Rearrangement), ददए गए वनदेशों के अनुसार पूर्ांाक तथा प्लोदटिंग पाइं ट संख्याओं में अंकगशर्तीय प्रदरयाएुँ जैसे- धन, ऋर्, गुर्ा, भाग, तुलना, इत्यादद करना। वबटिाइज तार्ककग प्रदरयाएुँ (AND, OR, OR, XOR) करना 23 वनर्णय लने िाली प्रदरयाओं (Decision - Making Operations) तथा तार्ककक प्रदरयाओं (Logical Operations) का दरयान्ियन। वबट शशफ्ट प्रदरयाएं जैसे अंकगशर्तीय शशफ्ट, लॉजजकल (तार्ककक) शशफ्ट, घुमाना (Raotate) तथा उधार के साथ घुमाना (Rotate with carry) आदद दकन्हीीं विशेष प्रदरयाओं का दोहराि गर्ना के पश्चात् पररर्ाम मुख्य मेमोरी में भेजना आजकल जो माइरोप्रोसेसर बाजार में उपलब्ध है जजन्हे मल्टी कोर प्रोसेसर कहा जाता है में एक ही सीपीयू में एक से अधधक अररथमेदटक तथा लॉजजक यूवनट उपस्थस्थत होते हैं। आां िररक मेमोरी (Internal Memory) आंतररक मेमोरी भी सेन्रल प्रोसेससिंग यूवनट का यह एक असभन्न अंग होती है, इसे प्राथतमक मेमोरी या मुख्य मेमोरी भी कहा जाता है, इसके मुख्य कायण वनम्न हैं :- कम्प्यूटर इनपुट दकए जाने िाले र्ाटा तथा वनदेशों को संग्रदहत करना। कंरोल यूवनट तथा अररथमेदटक लॉजजक यूवनट को र्ाटा पहुं चाना। कंरोल यूवनट तथा अररथमेदटक और लॉजजक यूवनट द्वारा पररर्ाम के रूप में प्रा्त र्ाटा को संग्रदहत करना। दूसरे शब्दों में कम्प्यूटर मेमोरी, इनपुट के रूप में प्रा्त र्ाटा तथा वनदेशों को संग्रदहत करने, मध्यस्थ तथा अंततम पररर्ाम (Final Result) को भी संग्रदहत करने के कायण में उपयोगी है। आंतररक मेमोरी िास्क्ति में कम्प्यूटर की केंद्रीय संसाधन इकाई का एक अवनिायण दहस्सा होती है। इसे कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी (Main Memory), या प्राथतमक मेमोरी (Primary Memory) भी कहा जाता है। यह मेमोरी हमेशा केंद्रीय संसाधन इकाई के लगातार सम्पपकण में बनी रहती है। कम्प्यूटर की आंतररक मेमोरी जजतनी अधधक होगी िह उतने अधधक र्ाटा और प्रोग्रामों को एक साथ प्रोसेस कर सकेगा। प्रारं भ क?