लिंग और वचन हिन्दी PDF

Summary

यह दस्तावेज़ हिन्दी व्याकरण में लिंग और वचन के बारे में जानकारी देता है। यह विभिन्न प्रकार के लिंगों और वचनों के उदाहरणों के साथ-साथ शर्तों की व्याख्या करता है।

Full Transcript

सामा य िह दी 6. िलँग एवं वचन िलँग जो सं ा श द पु ष या ी जाित का ान कराते है ,ँ उन श द प को िलँग कहते है ।ँ िह दी म कु छ श द को छोड़कर शेष सभी श द या तो पु षवाचक है ँ या ी...

सामा य िह दी 6. िलँग एवं वचन िलँग जो सं ा श द पु ष या ी जाित का ान कराते है ,ँ उन श द प को िलँग कहते है ।ँ िह दी म कु छ श द को छोड़कर शेष सभी श द या तो पु षवाचक है ँ या ी वाचक। इसिलए िह दी भाषा म िलँग के दो कार माने गये है ँ – 1. पुि लँग : पु ष या नर जाित का बोध कराने वाले श द पुि लँग कहलाते है ।ँ जैसे – लड़का, रमेश, मोर, देश, बकरा, ब दर, भवन, साला, भाई आिद। 2. ीिलँग : ी या नारी (मादा) जाित का बोध कराने वाले श द को ीिलँग कहते है ।ँ जैसे – लड़की, सीमा, बािलका, शेरनी, राधा, दासी, देवरानी, िचिड़या, भाभी, छा ा आिद। िह दी भाषा म कई ऐसे भी श द है ँ जो पुि लँग एवं ीिलँग दोन प म अपिरवितत रहते है ।ँ इन श द का िलँग पिरवतन नहीँ होता। जैसे – च सलर, रा पित, धानमं ी, राजदूत, रा यपाल, इंजीिनयर, डॉ टर, मैनेजर, डािकया आिद। ऐसे श द को उभयिलँगी कहते है ।ँ उदाहरणाथ – हमारे देश के धानमं ी कल जापान या ा पर जा रहे है ।ँ जमनी की च सलर एंिजला मकल ने सुर ा पिरषद् म भारत की थाई सद यता का समथन िकया है । डॉ टर हॉि पटल जा रहे है ।ँ डॉ टर मेरी माताजी को देखने घर पर आ रही है । िलँग िनध रण स ब धी िनयम : ◊ पुि लँग श द – िदन (वार) के नाम पुि लँग होते है ँ – सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गु वार, शु वार, शिनवार तथा रिववार। महीन के नाम – चै , वैशाख, ये , आषाढ़, ावण, भा पद, आि न, काितक, मागशीष, पौष, माघ व फा गुन। िक तु अँ ेजी मास म जनवरी, फरवरी, मई, जुल ाई अपवाद है ँ यािन ये ीिलँग है ।ँ र के नाम – हीरा, प ा, मोती, नीलम, मूँगा, पुखराज। िकँतु सीपी, र ी व मिण अपवाद व प ीिलँग है ।ँ व पदाथ – र त, घी, पै ोल, डीजल, तेल , पानी। धातुओँ के नाम – सोना, पीतल, लोहा, त बा। िकँतु अपवाद व प च दी ीिलँग है । ािणजगत् म – कौआ, मढ़क, खरगोश, भेिड़या, उ लू, तोता, खटमल, प ी, पशु, जीवन, ाणी। वृ के नाम – नीम, पीपल, जामुन, बड़, गुल मोहर, अशोक, आम, कद ब, देवदार, चीड़, रोिहड़ा आिद। पवत के नाम – कैलाश, अरावली, िहमालय, िवँ याचल, सतपुड़ा आिद। अनाज के नाम – गेहूँ, बाजरा, चावल, मूँग आिद श द पुि लँग है ँ िकँतु अपवाद व प म ा, वार, अरहर, रागी आिद ीिलँग है ।ँ ह के नाम – रिव, चं , सूय, ुव, मंगल, शिन, बृह पित। िकँतु 'पृ वी' श द अपवाद व प ीिलँग है । शरीर के अंग – पै र, पे ट, गला, म तक, अँगूठ ा, मि त क, हृदय, िसर, हाथ, द त, ह ठ, कंधा, व , बाल, कान, मुख, िदल, िदमाग आिद। वणमाला के अ र – वर म इ, ई, ऋ, ए तथा ऐ को छोड़कर सभी वण पुि लँग है ।ँ समु के नाम – श त महासागर, अंध महासागर, अरब सागर, िह द महासागर, लाल सागर, भूम य सागर आिद। िविश थान – वाचनालय, िशवालय, भोजनालय, िचिक सालय, मंिदर, भंडारघर, नानघर, रसोईघर, शयनगृह, सभाभवन, यायालय, परी ा-के , मं ालय, िव ालय, सिचवालय, काय लय, पु तकालय, सारण-के आिद। यवसाय सूचक श द – उप यासकार, कहानीकार, नाटककार, कमचारी, अिधकारी, यापारी, सिचव, आयु त, रा यपाल, उ ोगपित, दुकानदार, े ता, िव े ता, देनदार, लेनदार, सेठ , े ी, सैिनक, सुनार, सेनापित, संवाददाता, लोकपाल, लेखपाल, अिधव ता, िवभागा य , चपरासी, यायाधीश, वकील आिद। समुदायवाचक श द – समाज, दल, संघ, गु छा, मंडल, स मेल न, पिरवार, कु टु ब, वंश, कु ल, झु ड आिद। भाववाचक सं ाएँ – आ, आव, आवा, पन, हा, वट, ना यय से यु त भाववाचक सं ा–श द। जैसे– बाबा, बहाव, िदखावा, पहनावा, मोटापा, बुढ़ापा, बचपन, सीधापन, किव व, वािम व, मह व, िदखावट आिद। सं कृत–श द (त सम श द) पुि लँग है ।ँ जैसे – दास, अनुचर, मानव, दानव, देव, मनु य, राजा, ऋिष, मधु, पु प, प , फल, गृह, दीपक, मन, डर, िम , कु ल, वंश आिद। िजन श द के अ त म ' ' जुड़ा हो।जैसे– ने , पा , चिर , अ , श , व आिद। िजन श द के अ त म 'ख' अथवा 'ज' होता है । जैसे– मुख, दुःख, लेख, पंकज, मनुज, अनुज, जलज आिद। आकार– कार, देखने म भारी–भरकम, िवशाल और बेडौल व तुए ँ पुि लँग होती है ।ँ जैसे– क, इंजन, बोरा, ख भा, त भ, ग ढा आिद। अकार त और आकार त श द पुि लँग होते है ।ँ जैसे– जंगल, कपड़ा, धन, व , िछलका, भोजन, बतन, घड़ा, मटका, कलश, घट, पट आिद। एरा, दान, वाला, खाना, बाज, वान तथा शील यय वाले श द पुि लँग होते है ।ँ जैसे– सपे रा, लुटेरा, चचेरा, ममेरा, फु फेरा आिद। फूलदान, खानदान, पानदान, कमलदान, रोशनदान आिद। दूधवाला, पानवाला, घरवाला, िमठाईवाला आिद। कारखाना, जेल खाना, पागलखाना, डाकखाना, दवाखाना आिद। चालबाज, दगाबाज, धोखेबाज, नशेबाज, नखरेबाज आिद। धनवान, गुणवान, बलवान, चिर वान, भा यवान, दयावान आिद। सुशील, अ ययनशील, गितशील, उ ितशील आिद। 'अथ ' तथा 'दाता' यय यु त श द पुि लँग होते है ।ँ जैसे– अ यथ , वाथ , परमाथ , िव ाथ , शरणाथ , पु षाथ , मतदाता, मदाता, र तदाता आिद। ◊ ीिलँग – सामा यतः िन श द ीिलँग होते है ँ – िलिपय के नाम – देवनागरी, रोमन, गु मुखी, शारदा, खरो ी, मुिढ़या आिद। निदय के नाम – गंगा, यमुना, सर वती, कावेरी, नमदा, कृ णा, सतलज, ता ती, रावी, चंबल, गंडक, झेल म, िचनाव, पु , काटली, खारी, ब डी आिद। भाषाओँ के नाम – िह दी, सं कृत, अरबी, फारसी, अँ ेजी, तिमल, जमन, मराठी, गुजराती, मलयालम, ब गला, राज थानी आिद। ितिथय के नाम – थमा, ि तीया, तृतीया, चतुथ , पंचमी, एकादशी, ादशी, योदशी, अमाव या, पूिणमा, ितपदा आिद। बेल के नाम – जूही, चमेल ी, मि लका, मधुमित आिद। ािणय म – कोयल, चील, मैना, मछली, िगलहरी, िछपकली, म खी आिद ीिलँग श द है ।ँ इन श द के पूव नर श द जोड़ देने से ये श द पुि लँग बन जाते है ,ँ जैसे – नर मछली, नर मैना आिद। वणमाला के अ र – इ, ई, ऋ आिद ीिलँग है ।ँ सं कृत की इकारा त सं ाएँ – अवनित, उ ित, मित, ितिथ, गित, अि न, हािन, रीित, सिमित, श ित, नीित, शि त, संिध, जित आिद। सं कृत की उकारा त सं ाएँ – माला, माया, या ा, शोभा, ि या, लता, िव ा, घृणा, दया, िपपासा, कृपा, िहँसा, ितभा, ितमा, ित ा, आ ा, सिरता, ीड़ा, वजा, लालसा, जरा, मृ यु, आयु, ऋतु, वायु, धातु आिद। शरीर के अंग – आँख, नाक, ठोड़ी, नािभ, भौँ, पलक, छाती, कमर, एड़ी, चोटी, जीभ, पसली, िपँडली, अँगुल ी आिद। हिथयार म – तलवार, कटार, तोप, बंदक ू , गोली, गदा, कृपाण आिद श द ीिलँग है ँ िक तु धनुष, बाण, बम पुि लँग है ।ँ समुदाय म – संसद, पिरषद्, सभा, सिमित, सेना, भीड़, टोली, रैल ी, सरकार ीिलँग श द है ।ँ न के नाम – भरणी, कृितका, रोिहणी आिद। िक तु पुनवसु, पु य, तारा आिद पुि लँग है ।ँ भोजन–मसाल के नाम – पूरी, रोटी, स जी, जलेबी, िमच , ह दी आिद। िजन श द के अ त म इ, नी, आनी, आई, इया, इमा, त, ता, आस, री, आवट, आहट जुड़े होते है ँ वे ायः ीिलँग श द होते ह। जैसे– ई– गम , सद , िझड़की, िखड़की, गाली, आबादी। नी– कथनी, करनी, भरनी, जवानी, जननी, चटनी, छलनी। आई– मलाई, बुराई, चटाई, पढ़ाई, लड़ाई, सफाई, िवदाई, कमाई आिद। इया– बुिढ़या, िचिड़या, कु िटया, गुिड़या आिद। इमा– कािलमा, नीिलमा, मिहमा, गिरमा आिद। त– रंगत, संगत, खपत, चाहत आिद। ता– एकता, कटुता, पशुता, मनु यता, महानता, नीचता, े ता, लघुता, ये ता, मानवता, दानवता आिद। आस– खटास, िमठास, भड़ास आिद। री– बकरी, गठरी, कबूतरी, चकरी आिद। आवट– बनावट, सजावट, िलखावट, थकावट, िदखावट आिद। आहट– मु कराहट, िचकनाहट, घबराहट आिद। ◊ पुि लँग से ीिलँग बनाने के िनयम: ‘अ’ तथा ‘आ’ को ‘ई’ करने से– पुि लँग — ीिलँग नर – नारी बेटा – बेटी बकरा – बकरी लंबा – लंबी गधा – गधी नाला – नाली गोप – गोपी पु – पु ी दास – दासी ा ण – ा णी घोड़ा – घोड़ी त ण – त णी नाना – नानी पीला – पीली मढक – मढकी मुग – मुग हिरण – हिरणी लड़का – लड़की ‘अ’ तथा ‘आ’ को ‘इया’ करने से – बंदर – बंदिरया खाट – खिटया लोटा – लुिटया चूहा – चुिहया बेटा – िबिटया िचड़ा – िचिड़या गु डा – गुिड़या ब छा – बिछया िड बा – िडिबया संबधं , जाित तथा उपमानवाचक श द म ‘आनी’ जोड़ने से – मुगल – मुगलानी पंिडत – पंिडतानी ि य– ाणी नौकर – नौकरानी सेठ – सेठ ानी – ाणी इं – इं ाणी जेठ – जेठ ाणी देवर – देवरानी चौधरानी – चौधरानी मेहतर – मेहतरानी यवसायवाचक, जाितवाचक तथा उपमानवाचक श द म ‘इन’ या ‘आइन’ जोड़ने से – पंिडताइन – पंिडताइन ठाकु र – ठकु राइन चौबे – चौबाइन दज – दिजन हलवाई – हलवाइन पाप – पािपन चमार – चमािरन कहार – कहािरन जोगी – जोिगन भंगी – भंिगन स प – स िपन लाला – ललाइन बाबू – बबुआईन जुल ाहा – जुल ािहन तेल ी – तेिलन ािणवाचक और जाितवाचक सं ाओँ म ‘नी’ जोड़कर– मोर – मोरनी िसँह – िसँहनी भाट – भाटनी भील – भीलनी रीछ – रीछनी ऊँट – ऊँटनी शेर – शेरनी हाथी – हिथनी राजपूत – राजपूतनी िसयार – िसयारनी जाट – जाटनी ल बरदार – ल बरदारनी त सम अकार त श द के अ त म ‘आ’ जोड़कर– क त – क ता चंचल – चंचला तनय – तनया आ मज – आ मजा अनुज – अनुजा ि य – ि या पािलत – पािलता पू य – पू या वृ – वृ ा िश य – िश या याम – यामा कृ ण – कृ णा सुत – सुता िशव – िशवा भवदीय – भवदीया त सम सं ा श द म ‘अक’ या ‘इका’ जोड़ने से – अ यापक – अ यािपका सेवक – सेिवका दशक – दिशका संपादक – संपािदका गायक – गाियका नायक – नाियका पाठक – पािठका सहायक – सहाियका संयोजक – संयोिजका लेखक – लेिखका पिरचायक – पिरचाियका संचालक – संचािलका त सम श द म ‘ता’ का ‘ ी’ करने से – दाता – दा ी अिभनेता – अिभने ी िवधाता – िवधा ी धाता – धा ी नेता – ने ी िनम ता – िनम ी व ता – व ी क –क त सम श द म ‘मान’ और ‘वान’ का मशः ‘मती’ और ‘वती’ करने से – भगवान – भगवती धनवान – धनवती पवान – पवती ानवान – ानवती बुि मान – बुि मती शि तमान – शि तमती स यवान – स यमती आयु मान – आयु मती गुणवान – गुणवती ीमान – ीमती बलवान – बलवती पु वान – पु वती महान – महती ‘इनी’ यय जोड़ने से (‘अ’ और ‘ई’ का ‘इनी’ या ‘इणी’ होना) – मनोहारी – मनोहािरणी एकाकी – एकािकनी यश वी – यशि वनी वामी – वािमनी हाथी – हिथनी हंस – हंिसनी तप वी – तपि वनी अिभमान – अिभमािननी अिधकारी – अिधकािरणी पुि लँग तथा ीिलँग श द म मशः मादा तथा नर जोड़ने से– कोयल – मादा कोयल मगरम छ – मादा मगरम छ गैँडा – मादा गैँडा नर चील – चील भालू – मादा भालू नर िगलहरी – िगलहरी भेिड़या – मादा भेिड़या खरगोश – मादा खरगोश नर िछपकली – िछपकली िहँदी म कु छ पुि लँग श द अपने ीिलँग से िभ होते है – ँ पु ष – ी राजा – रानी बहन – भाई साहब – मेम बैल – गाय वीर – वीर गना वर – वधू िपता – माता िव ान – िवदुषी ससुर – सास साली – साढ़ू पु – पु वधू स ाट – स ा ी िवधुर – िवधवा किव – कविय ी िबलाव – िब ली कु छ सवनाम श द का िलँग पिरवतन इस कार होता है – उसका – उसकी तु हारा – तु हारी मेरा – मेरी तेरा – तेरी इनका – इनकी हमारा – हमारी बहत ु जगह पर एक ही व तु के वाचक एक ही भाषा के दो श द दो िलँग म यु त होते है – ँ वचन – वाणी ेम – ीित जगत् – जगती गमन – गित काठ – लकड़ी दुःख – पीड़ा चाम – खाल आँख – च ु व – छाती पाषाण – िशला दैव, भा य – िनयित अनेक श द का योग दोन िलँग म समान प से होता है । जैसे– सरकार, दही, नाक, धानमं ी, रा पित, मं ी, सिचव आिदं। सं कृत म ‘आ’ यय यु त श द ीिलँग होते है ँ – भावना, ेरणा, वेदना, चेतना, सूचना, क पना, ताड़ना, धारणा, कामना आिद। िहँदी म धातुओँ म ‘अ’ यय लगाने से बनी सं ाएँ ायः ीिलँग होती है ँ – मारना – मार खोजना – खोज चहकना – चहक बहकना – बहक महकना – महक कूकना – कूक फूटना – फूट िखसकना – िखसक डपटना – डपट (खेल , नाच, मेल , उतार, चढ़ाव आिद पुि लँग है ।ँ ) अरबी–फारसी के त, श, आ, ह के अंत वाले श द ीिलंग होते है ,ँ जो िहँदी म चिलत है –ँ त – इ जत, िर त, ताकत, मेहनत आिद। श – कोिशश, िसफािरश, मािलश, तलाश आिद। आ – हवा, सजा, दवा, दुआ आिद। ह – आह, राह, सलाह, सुबह, जगह, सुल ह आिद। समान िलँग–यु म–इन यु म म मूल श द ीिलँग होता है , उसी म पु षवाची यय जोड़कर उसे पुि लँग बना िलया जाता है – जीजी – जीजा ननद – ननदोई बहन – बहनोई मौसी – मौसा बकरी – बकरा। वचन सं ा के िजस प से सं या का बोध होता है उसे वचन कहते है ।ँ अथ त् सं ा के िजस प से यह ात हो िक वह एक के िलए यु त हआ ु है या एक से अिधक के िलए, वह वचन कहलाता है । िह दी म वचन दो कार के होते है – ँ 1. एकवचन – सं ा के िजस प से एक ही व तु का बोध हो उसे एकवचन कहते है ।ँ जैसे – बालक, बािलका, पे न, कु स , लोटा, दूधवाला, अ यापक, गाय, बकरी, ी, नदी, किवता आिद। 2. बहवु चन – सं ा के िजस प से एक से अिधक व तुओँ का बोध होता है उसे बहवु चन कहते है ।ँ जैसे – घोड़े , निदय , रािनय , िडिबय , व तुए,ँ गाय, बकिरय , लड़के, लड़िकय , ि य , बािलकाएँ, पै से आिद। ◊ वचन की पहचान: वचन की पहचान सं ा अथवा सवनाम या िवशेषण पद से ही हो सकती है । जैसे – एकव. – बािलका खाना खा रही है । बहवु. – बािलकाएँ खाना खा रही है ।ँ एकव. – वह खेल रहा है । बहवु. – वे खेल रहे है ।ँ एकव. – मेरी सहे ल ी सु दर है । बहवु. – मेरी सहे िलय सु दर है ।ँ यिद वचन की पहचान सं ा, सवनाम या िवशेषण पद से न हो, तो ि या से हो जाती है । जैसे – एकव. – ऊँट बैठ ा है । बहवु. – ऊँट बैठे है ।ँ एकव. – वह आज आ रहा है । बहवु. – वे आज आ रहे है ।ँ ◊ वचन का िविश योग– आदराथक सं ा श द के िलए सवनाम भी आदर के िलए बहवु चन म यु त होते है ।ँ जैसे – आज मु यमं ी जी आये है ।ँ मेरे िपताजी बाहर गए है ।ँ क व ऋिष तो चारी है ।ँ अिधकार अथवा अिभमान कट करने के िलए भी आजकल ‘मैँ’ की बजाय ‘हम’ का योग चल पड़ा है , जो याकरण की दृि से अशु है । जैसे – श त रिहए, अ यथा हम कड़ा ख अपनाना पड़े गा। िपता के नाते हमारा भी कु छ क य है । ‘तुम’ सवनाम के बहवु चन के प म ‘तुम सब’ का चलन हो गया है । जैसे – रमेश ! तुम यह आओ। अरे रमेश, सुरेश, िदनेश ! तुम सब यह आओ। ‘कोई’ और ‘कु छ’ के बहवु चन ‘िक हीँ’ और ‘कु छ’ होते है ।ँ ‘कोई’ और ‘िक हीँ’ का योग सजीव ािणय के िलए होता है तथा ‘कु छ’ का योग िनज व ािणय के िलए होता है । कीड़े –मकोड़े आिद तु छ, अनाम ािणय के िलए भी ‘कु छ’ का योग होता है । ‘ या’ का प सदा एक–सा रहता है । जैसे – या िलखा रहे हो ? या खाया था ? या कह रही थीँ वे सब ? वह या बोली ? कु छ श द ऐसे है ँ जो हमेशा बहवु चन म ही यु त होते है ।ँ जैसे– ाण, होश, केश, रोम, बाल, लोग, ह ता र, दशन, आँसू, ने , समाचार, दाम आिद। ाण – ऐसी हालत म मेरे ाण िनकल जाएँग। होश – उसके तो होश ही उड़ गए। केश – तु हारे केश बहत ु सु दर है ।ँ लोग – सभी लोग जानते है ँ िक मेरा कसूर नहीँ है । दशन – मैँ हर साल सालासर वाले के दशन करने जाता हूँ। ह ता र – अपने ह ता र यह करो। भाववाचक सं ाएँ एवं धातुओँ का बोध कराने वाली जाितवाचक सं ाएँ एकवचन म यु त होती है ।ँ जैसे– आजकल च दी भी स ती नहीँ रही। बचपन म मैँ बहत ु खेल ता था। रमा की बोली म बहत ु िमठास है । कु छ श द एकवचन म ही यु त होते है ,ँ जैसे– जनता, दूध, वष , पानी आिद। जनता बड़ी भोली है । हम दो िकलो दूध चािहए। बाहर मूसलाधार वष हो रही है । कु छ श द ऐसे है ँ िजनके साथ समूह, दल, सेना, जाित इ यािद यु त होते है ,ँ उनका योग भी एकवचन म िकया जाता है । जैसे– जन–समूह, मनु य–जाित, ािण–जगत, छा –दल आिद। िजन एकवचन सं ा श द के साथ जन, गण, वृंद, लोग इ यािद श द जोड़े जाते है ँ तो उन श द का योग बहवु चन म होता है । जैसे – आज मजदूर लोग काम पर नहीँ आए। अ यापकगण वह बैठे है ।ँ ♦ एकवचन से बहवु चन बनाने के िनयम: आकारा त पुि लंग श द का बहवु चन बनाने के िलए अंत म ‘आ’ के थान पर ‘ए’ लगाते है ।ँ जैसे– रा ता – रा ते, पंखा – पंखे, इरादा – इरादे, वादा – वादे, गधा – गधे, संतरा – संतरे, ब चा – ब चे, बेटा – बेटे, लड़का – लड़के आिद। अपवाद – कु छ संबधं वाचक, उपनाम वाचक और ित ावाचक पुि लँग श द का प दोन वचन म एक ही रहता है । जैसे– काका – काका बाबा – बाबा नाना – नाना दादा – दादा लाला – लाला सूरमा – सूरमा। अकारा त ीिलँग श द का बहवु चन, अंत के वर ‘अ’ के थान पर ‘एं’ करने से बनता है । जैसे– आँख – आँख रात – रात झील – झील पे ि सल – पे ि सल सड़क – सड़के बात – बात। इकार त और ईकार त सं ाओँ म ‘ई’ को हृ व करके अं य वर के प ात् ‘य ’ जोड़कर बहवु चन बनाया जाता है । जैसे– टोपी – टोिपय सखी – सिखय िलिप – िलिपय बकरी – बकिरय गाड़ी – गािड़य नीित – नीितय नदी – निदय िनिध – िनिधय जाित – जाितय लड़की – लड़िकय रानी – रािनय थाली – थािलय शि त – शि तय ी–ि य। ‘आ’ अंत वाले ीिलँग श द के अंत म ‘आ’ के साथ ‘एँ’ जोड़ने से भी बहवु चन बनाया जाता है । जैसे– किवता – किवताएँ माता – माताएँ सभा – सभाएँ गाथा – गाथाएँ बाला – बालाएँ सेना – सेनाएँ लता – लताएँ जटा – जटाएँ। कु छ आकार त श द के अंत म अनुनािसक लगाने से बहवु चन बनता है । जैसे– िबिटया – िबिटय खिटया – खिटय िडिबया – िडिबय चुिहया – चुिहय िबि दया – िबि दय कु ितया – कु ितय िचिड़या – िचिड़य गुिड़या – गुिड़य बुिढ़या – बुिढ़य । अकार त और आकार त पुि लँग व ईकार त ीिलँग के अंत म ‘ओँ’ जोड़कर बहवु चन बनाया जाता है । जैसे– बहन – बहन बरस – बरस राजा – राजाओँ साल – साल सदी – सिदय घंटा – घंट देवता – देवताओँ दुकान – दुकान महीना – महीन िव ान – िव ान िम – िम । संबोधन के िलए यु त श द के अंत म ‘य ’ अथवा ‘ओँ’ लगाकर। जैसे– स जन! – स जन ! बाबू! – बाबूओँ! साधु! – साधुओँ! मुिन! – मुिनय ! िसपाही! – िसपािहय ! िम ! – िम ! िवभि त रिहत सं ाओँ म ‘अ’, ‘आ’ के थान पर ‘ओँ’ लगाकर। जैसे– गरीब – गरीब खरबूजा – खरबूज लता – लताओँ अ यापक – अ यापक । अनेक श द के अंत म िवशेष श द जोड़कर। जैसे– पाठक – पाठकवग प ी – प ीवृंद अ यापक – अ यापकगण जा – जाजन छा – छा वृंद बालक – बालकगण कु छ श द के प एकवचन तथा बहवु चन म समान पाए जाते है ।ँ जैसे– छाया – छाया याचना – याचना कल – कल घर – घर ोध – ोध पानी – पानी मा – मा जल – जल दूध – दूध ेम – ेम वष – वष जनता – जनता कु छ िवशेष श द के बहवु चन – हािकम – हु ाम खबर – खबरात कायदा – कवाइद का तकार – का तकारान जौहर – जवािहर अमीर – उमरा कागज – कागजात मकान – मकानात हक – हक ु ूक याल – यालात तारीख – तवारीख तरफ – अतराफ।

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