1-53 (Nov) PDF - Current Affairs Magazine

Summary

This Vision IAS magazine discusses current affairs topics, including Indian polity and governance, international relations, the economy, security, the environment, and social issues. It provides detailed summaries, along with various visuals to aid the understanding and retention of information.

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विषय-सूची 1. राजव्यिस्था एिं शासन (Polity and Governance) ____ 4 2.7.6. भारतीय रासायवनक पररषद को OPCW-द हेग 1.1. प्रस्तािना में ‘समाजिादी’ एिं ‘पंथवनरपेक्ष’ शब्द ______ 4 पुरस्कार से सम्मावनत दकया...

विषय-सूची 1. राजव्यिस्था एिं शासन (Polity and Governance) ____ 4 2.7.6. भारतीय रासायवनक पररषद को OPCW-द हेग 1.1. प्रस्तािना में ‘समाजिादी’ एिं ‘पंथवनरपेक्ष’ शब्द ______ 4 पुरस्कार से सम्मावनत दकया गया _________________ 47 1.2. भारत में संपवि का अविकार ____________________ 7 2.7.7. कावहरा कॉल टू एक्शन ___________________ 48 1.3. राजनीवतक दलों में आंतररक लोकतंत्र ______________ 9 2.7.8. अंतरािष्ट्रीय सहकारी गठबंिन _______________ 48 1.4. संयुक्त राज्य अमेररका के राष्ट्रपवत का चुनाि ________ 10 2.7.9. राइटन द्वीप ___________________________ 49 1.5. भारत में नगर वनगम ________________________ 11 3. अथिव्यिस्था (Economy) _______________________ 50 1.6. गैर-सरकारी संगठन _________________________ 14 3.1. बडे व्यापार समझौतों का महत्त्ि ________________ 50 1.7. गिनेंस और AI ____________________________ 17 3.2. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण _________________________ 53 1.8. भूवम अवभलेखों का विवजटलीकरण _______________ 20 3.3. ग्रामीण गैर-कृ वष अथिव्यिस्था __________________ 55 1.9. ददव्यांग व्यवक्त _____________________________ 22 3.4. भारतीय खाद्य वनगम________________________ 58 1.10. संवक्षप्त सुर्ख़ियां ___________________________ 25 3.5. संवक्षप्त सुर्ख़ियां ____________________________ 60 1.10.1. वशकायत वनिारण मूलयांकन और सूचकांक ____ 25 3.5.1. RBI ने FPI का FDI के रूप में रीक्लावसदफके शन 1.10.2. नागररक पंजीकरण प्रणाली _______________ 25 करने के वलए फ्रेमिकि जारी दकया _________________ 60 1.10.3. लोक सेिकों पर मुकदमा चलाने के वलए पूिि स्िीकृ वत 3.5.2. घरे लू प्रणालीगत रूप से महत्िपूणि बैंक ________ 60 अवनिायि___________________________________ 26 3.5.3. अंतररक्ष क्षेत्रक के वलए िेंचर कै वपटल फं ि ______ 61 1.10.4. भारत में जेलों पर ररपोटि _________________ 26 3.5.4. वचदकत्सा उपकरण उद्योग के वलए योजना ______ 62 1.10.5. 51िां मुख्य न्यायािीश वनयुक्त दकया गया _____ 27 3.5.5. खाद्य एिं कृ वष संगठन (FAO) ने ‘द स्टेट ऑफ फू ि 1.10.6. अंतरािज्यीय पररषद_____________________ 28 एंि एग्रीकलचर, 2024’ ररपोटि जारी की ____________ 63 1.10.7. अलीगढ़ मुवस्लम विश्वविद्यालय को अलपसंख्यक 3.5.6. 21िीं पशुिन गणना ____________________ 63 संस्थान का दजाि _____________________________ 28 3.5.7. विश्व पशु स्िास््य संगठन _________________ 64 2. अंतरािष्ट्रीय संबि ं (International Relations) _________ 30 3.5.8. नैनो उििरक ___________________________ 64 2.1. भारत-मध्य पूिि-यूरोप आर्थिक गवलयारा___________ 30 3.5.9. मरमुगाओ पिन प्राविकरण ________________ 64 2.2. ग्रुप ऑफ ट्िेंटी (G-20) वशखर सम्मेलन ___________ 32 3.5.10. वबहटा शुष्क पिन _____________________ 65 2.3. भारत-ऑस्रेवलया संबंि ______________________ 36 3.5.11. विश्व बौविक संपदा संकेतक, 2024 ररपोटि ____ 65 2.4. भारत-जमिनी संबंि _________________________ 38 3.5.12. पैन (परमानेंट अकाउं ट नंबर) 2.0 __________ 66 2.5. भारत-इटली संबंि __________________________ 40 3.5.13. समान सुरक्षा प्रोटोकॉल _________________ 66 2.6. भारत-स्पेन संबंि___________________________ 43 4. सुरक्षा (Security) ____________________________ 68 2.7. संवक्षप्त सुर्ख़ियां ____________________________ 44 4.1. भारतीय तट रक्षक बल _______________________ 68 2.7.1. प्रथम “वत्रपक्षीय विद्युत लेन-देन” ____________ 44 4.2. संवक्षप्त सुर्ख़ियां ____________________________ 69 2.7.2. चेन्नई-व्लाददिोस्तोक पूिी समुद्री गवलयारे का 4.2.1. सशस्त्र बल (विशेष शवक्तयां) अविवनयम (AFSPA)69 पररचालन शुरू ______________________________ 44 4.2.2. ‘अिैवप्टि विफें स' रणनीवत ________________ 70 2.7.3. USA, जापान और दवक्षण कोररया ने भारत के वलए 4.2.3. विवजटल अरे स्ट ________________________ 71 विजी फ्रेमिकि पर हस्ताक्षर दकए __________________ 45 4.2.4. एसेट ररकिरी इं टरएजेंसी नेटिकि -एवशया पैवसदफक 71 2.7.4. दूसरा ‘भारत-कै ररकॉम वशखर सम्मेलन’ गुयाना में 4.2.5. भारत की चौथी परमाणु पनिु ब्बी ___________ 72 संपन्न हुआ__________________________________ 46 4.2.6. भारत की पहली “लंबी दूरी की हाइपरसोवनक 2.7.5. आवसयान रक्षा मंवत्रयों की बैठक-प्लस _________ 47 वमसाइल”__________________________________ 72 1 www.visionias.in ©Vision IAS 4.2.7. जमीन पर हमला करने िाली लंबी दूरी की क्रूज 6. सामावजक मुद्दे (Social Issues) _________________ 115 वमसाइल___________________________________ 73 6.1. िकि फ्रॉम होम____________________________ 115 4.2.8. पैंटसीर एयर विफें स वसस्टम ________________ 74 6.2. िन नेशन िन सब्सदक्रप्शन योजना _____________ 117 4.2.9. अंतररक्ष अभ्यास 2024 ___________________ 74 6.3. संवक्षप्त सुर्ख़ियां ___________________________ 120 4.2.10. सुर्ख़ियों में रहे अभ्यास___________________ 75 6.3.1. कें द्रीय मंवत्रमंिल ने पी.एम.-विद्यालक्ष्मी योजना को 4.2.11. ऑपरे शन सागर-मंथन ___________________ 76 मंजूरी दी _________________________________ 120 5. पयाििरण (Environment) ______________________ 77 6.3.2. लैंवगक अपरािों से बालकों का संरक्षण (पोक्सो/ 5.1. UNFCCC के पक्षकारों का 29िां सम्मेलन ________ 77 POCSO) अविवनयम, 2012 __________________ 121 5.1.1. COP29 में शुरू की गई प्रमुख पहलें/ घोषणा-पत्र 79 6.3.3. भारत में पोवलयो उन्मूलन के 10 िषि पूरे हुए ___ 122 5.1.2. COP29 और भारत _____________________ 83 6.3.4. बच्चों में न्यूनतम आहार विवििता की कमी ____ 123 5.2. काबिन रेडिंग और बाजार _____________________ 84 6.3.5. यूनेस्को ने ‘ग्लोबल एजुकेशन मॉवनटररं ग ररपोटि, 5.3. जलिायु विि _____________________________ 87 2024’ जारी की ____________________________ 123 5.4. जस्ट रांवजशन _____________________________ 90 7. विज्ञान एिं प्रौद्योवगकी (Science and Technology) _ 125 5.5. UNCBD का COP16 ______________________ 93 7.1. िन िे िन जीनोम _________________________ 125 5.5.1. राष्ट्रीय जैि विवििता रणनीवत और कायि योजना __ 96 7.1.1. हेररटेबल ह्यूमन जीनोम एविरटंग __________ 126 5.5.2. प्रकृ वत के साथ सामंजस्य के वलए िैवश्वक गठबंिन _ 99 7.2. सत्येंद्र नाथ बोस __________________________ 127 5.6. िन पाररवस्थवतकी तंत्र पुनबिहाली _______________ 99 7.3. ओरल ररहाइड्रेशन थेरेपी ____________________ 129 5.7. प्राकृ वतक खेती ____________________________ 100 7.4. RNA एविरटंग ___________________________ 131 5.8. वहमनदीय झील के टूटने से उत्पन्न बाढ़ ___________ 103 7.5. संवक्षप्त सुर्ख़ियां ___________________________ 132 5.9. संवक्षप्त सुर्ख़ियां ___________________________ 106 7.5.1. अंतररक्ष जैि प्रौद्योवगकी _________________ 132 5.9.1. ग्लोबल काबिन बजट ररपोटि _______________ 106 7.5.2. एनालॉग अंतररक्ष वमशन _________________ 133 5.9.2. अिैप्टेशन गैप ररपोटि, 2024 ______________ 106 7.5.3. GSAT-N2 _________________________ 133 5.9.3. संयक्त ु राष्ट्र पयाििरण कायिक्रम (UNEP) ने एवमशन 7.5.4. वलग्नोसैट ____________________________ 134 गैप ररपोटि, 2024 जारी की ____________________ 108 7.5.5. ऑपरे शन द्रोणावगरी ____________________ 134 5.9.4. प्रोटेक्टेि प्लैनेट ररपोटि, 2024 _____________ 108 7.5.6. िायरे क्ट-टू-वििाइस सैटेलाइट कनेवक्टविटी ____ 135 5.9.5. 'ऐन आई ऑन मीथेन: इनविवजबल बट नॉट अनसीन' 7.5.7. ग्रेविटी एनजी स्टोरे ज ___________________ 136 ररपोटि ___________________________________ 109 7.5.8. विक- राष्ट्रीय कृ वष-खाद्य जैि-विवनमािण संस्थान 136 5.9.6. विश्व ऊजाि रोजगार ररपोटि, 2024 __________ 110 7.5.9. पहला स्िदेशी एंटीबायोरटक ______________ 136 5.9.7. CO2 से मेथेनॉल बनाने का संयत्र ं ___________ 110 7.5.10. जेद्दाह प्रवतबिताएं अपनाई______________ 137 5.9.8. EV-एज़-ए-सर्ििस कायिक्रम _______________ 110 7.5.11. महामारी वनवि पररयोजना शुरू __________ 138 5.9.9. गुरु घासीदास-तमोर डपंगला टाइगर ररज़िि ____ 111 7.5.12. ग्लोबल हेलथ इमरजेंसी कॉप्सि ____________ 138 5.9.10. कोरल रायंगल _______________________ 111 8. संस्कृ वत (Culture) ___________________________ 140 5.9.11. ‘सुनामी रे िी’ गांि ____________________ 112 8.1. वबरसा मुंिा _____________________________ 140 5.9.12. विप्रेशन ऐस्लािा एन वनिेलस अलटोस (DANA/ 8.2. संवक्षप्त सुर्ख़ियां ___________________________ 143 िाना) ___________________________________ 113 8.2.1. सोहराई पेंरटंग ________________________ 143 5.9.13. बम साइक्लोन _______________________ 113 9. नीवतशास्त्र (Ethics) __________________________ 144 5.9.14. करीबा झील ________________________ 113 9.1. तुरंत न्याय ______________________________ 144 2 www.visionias.in ©Vision IAS 10. सुर्ख़ियों में रही योजनाएं (Schemes in News) _____ 149 11. सुर्ख़ियों में रहे स्थल (Places in News) ___________ 153 10.1 प्रिान मंत्री मुद्रा योजना ____________________ 149 12. सुर्ख़ियों में रहे व्यवक्तत्ि (Personalities in News) ___ 154 10.2. अटल निाचार वमशन 2.0 __________________ 150 10.3. प्रिान मंत्री िनबंिु कलयाण योजना ____________ 151 नोट: वप्रय अभ्यर्थियों, करें ट अफे यसि को पढ़ने के पश्चात् दी गयी जानकारी या सूचना को याद करना और लंबे समय तक स्मरण में रखना आर्टिकलस को समझने वजतना ही महत्िपूणि है। मावसक समसामवयकी मैगज़ीन से अविकतम लाभ प्राप्त करने के वलए, हमने वनम्नवलवखत नई विशेषताओं को इसमें शावमल दकया है: विवभन्न अििारणाओं और विषयों की आसानी से पहचान तथा उन्हें स्मरण में बनाए रखने के वलए मैगज़ीन में बॉक्स, तावलकाओं आदद में विवभन्न रं गों का उपयोग दकया गया है। पढ़ी गई जानकारी का मूलयांकन करने और उसे याद रखने के वलए प्रश्नों का अभ्यास बहुत जरूरी है। इसके वलए हम मैगज़ीन में प्रत्येक खंि के अंत में स्माटि दिज़ को शावमल करते हैं। विषय को आसानी से समझने और सूचनाओं को याद रखने के वलए विवभन्न प्रकार के इं फोग्रादफक्स को भी जोडा गया है। इससे उिर लेखन में भी सूचना के प्रभािी प्रस्तुतीकरण में मदद वमलेगी। सुर्ख़ियों में रहे स्थानों और व्यवक्तयों को मानवचत्र, तावलकाओं और वचत्रों के माध्यम से िस्तुवनष्ठ तरीके से प्रस्तुत दकया गया है। इससे त्यात्मक जानकारी को आसानी से स्मरण रखने में मदद वमलेगी। Copyright © by Vision IAS All rights are reserved. No part of this document may be reproduced, stored in a retrieval system or transmitted in any form or by any means, electronic, mechanical, photocopying, recording or otherwise, without prior permission of Vision IAS. 3 www.visionias.in ©Vision IAS 1. राजव्यिस्था एिं शासन (Polity and Governance) 1.1. प्रस्तािना में ‘समाजिादी’ एिं ‘पं थ वनरपे क्ष ’ शब्द (‘Socialist’, ‘Secular’ in The Preamble) सुर्ख़ियों में क्यों? हाल ही में, सुप्रीम कोटि ने िॉ. बलराम डसंह बनाम भारत संघ (2024) मामले में 42िें संवििान संशोिन अविवनयम, 1976 के माध्यम से प्रस्तािना में ‘समाजिादी’ और ‘पंथवनरपेक्ष’ शब्दों को शावमल करने को चुनौती देने िाली यावचकाओं को खाररज कर ददया है। अन्य संबवं ित त्य इन शब्दों को शावमल करने के वखलाफ यावचकाएं इस आिार पर दायर की गई थी दक इन शब्दों को आपातकाल (1975-1977) के दौरान शावमल दकया गया था और ये लोगों की आकांक्षाओं का प्रवतवनवित्ि नहीं करते हैं। यावचकाओं में यह तकि भी ददया गया था दक संवििान सभा द्वारा प्रस्तािना अपनाने की तारीख (26 निंबर, 1949) के समय ये शब्द मूल प्रस्तािना में शावमल नहीं थे। बाद में इसमें कोई अवतररक्त शब्द जोडना संवििान की मूल भािना का उललंघन है। 42िें संवििान संशोिन अविवनयम, 1976 के बारे में 42िां संवििान संशोिन अविवनयम क्या था: इसे “लघु-संवििान” के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा इसवलए, क्योंदक इसके तहत संवििान की प्रस्तािना, 40 अनुच्छे दों और 7िीं अनुसच ू ी में संशोिन दकया गया था। साथ ही, संवििान में 14 नए अनुच्छेद और दो नए भाग भी जोडे गए थे। दकए गए प्रमुख पररितिन थे: o प्रस्तािना: इसमें ‘समाजिादी’, ‘पंथवनरपेक्ष’ और ‘अखंिता’ शब्द जोडे गए थे। ▪ ‘राष्ट्र की एकता’ की जगह ‘राष्ट्र की एकता एिं अखंिता’ शब्द का प्रयोग दकया गया। o 7िीं अनुसच ू ी में पररितिन: वनम्नवलवखत श्रेवणयों को राज्य सूची से समिती सूची में स्थानांतररत दकया गया: ▪ वशक्षा; िन; िन्य जीि और पवक्षयों का संरक्षण; भार एिं माप; न्याय का प्रशासन; सभी न्यायालयों का गठन ि संगठन (सुप्रीम कोटि और हाई कोटि को छोडकर)। o आपातकाल: राष्ट्रपवत को न के िल पूरे देश में, बवलक देश के दकसी विशेष भाग में आपातकाल घोवषत करने के वलए अविकृ त करने हेतु अनुच्छेद 352 में संशोिन दकया गया। o नए राज्य की नीवत के वनदेशक तत्िों (DPSPs) को शावमल दकया गया: ▪ अनुच्छेद 39: बच्चों के स्िस्थ विकास के वलए अिसर सुरवक्षत करना। ▪ अनुच्छेद 39A: समान न्याय और वनिःशुलक विविक सहायता। ▪ अनुच्छेद 43A: उद्योगों के प्रबंिन में श्रवमकों/ कमिकारों की भूवमका। ▪ अनुच्छेद 48A: पयाििरण की सुरक्षा और सुिार तथा िनों एिं िन्यजीिों का संरक्षण। o दो नए भाग जोडे गए: भाग IV-A (मौवलक कतिव्य), भाग XIV-A (प्रशासवनक अविकरणों की स्थापना)। सुप्रीम कोटि द्वारा की गई मुख्य रटप्पवणयां पूिव्य ि ापीता (Retrospectivity) को ख़ाररज दकया: सुप्रीम कोटि ने कहा दक संवििान को अपनाए जाने की तारीख, संवििान के अनुच्छेद 368 के तहत इसमें संशोिन करने की संसद की शवक्त को कम नहीं करती है। o संसद अनुच्छेद 368 के तहत अपनी संवििायी शवक्त (Constituent power) का प्रयोग करते हुए, इस अनुच्छेद में वनिािररत प्रदक्रया के अनुसार दकसी प्राििान को जोड, पररितिन या वनरस्त करके संवििान में संशोिन कर सकती है। o न्यायालय ने माना दक संसद की संवििान संशोिन की शवक्त का विस्तार प्रस्तािना तक भी है। हालांदक, संसद की इस शवक्त को मूल ढांचे के उललंघन सवहत अलग-अलग आिारों पर चुनौती भी दी जा सकती है। समाजिाद और पंथवनरपेक्षता की पररभाषा: अपने फै सले में शीषि अदालत ने दोनों शब्दों को भी पररभावषत दकया: 4 www.visionias.in ©Vision IAS o पंथवनरपेक्षता: भारत के संदभि में इसका अथि है दक राज्य न तो दकसी िमि विशेष का समथिन करे गा और न ही अंतिःकरण की स्ितंत्रता तथा न ही नागररकों द्वारा दकसी िमि विशेष को मानने, आचरण करने और प्रचार करने को दंवित करे गा। इसके अलािा, राज्य का अपना कोई राजकीय िमि भी नहीं होगा। ▪ के शिानंद भारती बनाम के रल राज्य और एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ मामले में, सुप्रीम कोटि ने कहा था दक पंथवनरपेक्षता संवििान के मूल ढांचे का वहस्सा है। o समाजिाद: यह कलयाणकारी राज्य और अिसर की समानता सुवनवश्चत करने के प्रवत राज्य की प्रवतबिता को दशािता है। संवििान एक जीिंत दस्तािेज़ है: समय के साथ, भारत ने संवििान को एक जीिंत चररत्र प्रदान करते हुए इन शब्दों की अपनी व्याख्या विकवसत की है। पंथवनरपेक्षता और समाजिाद के बारे में पंथवनरपेक्षता पंथवनरपेक्षता की भारतीय अििारणा के अनुसार, राज्य िमि के प्रवत तटस्थता एिं सकारात्मक भूवमका की अििारणा का पालन करता है। o इस अििारणा में- ▪ राज्य को िार्मिक आचरण से जुडे आर्थिक, वििीय, राजनीवतक और पंथवनरपेक्ष पहलुओं को विवनयवमत करने की शवक्त प्राप्त है। ▪ यह व्यवक्तयों और अलपसंख्यक समुदायों की िार्मिक स्ितंत्रता से संबंवित है। पंथवनरपेक्षता की भारतीय अििारणा िमिवनरपेक्षता की पवश्चमी अििारणा से अलग है। पवश्चमी अििारणा में िमि के मामले में अहस्तक्षेप के वसिांत का पालन दकया गया है। पवश्चमी देशों में राज्य और िमि कठोर तरीके से अलग-अलग हैं तथा व्यवक्तगत अविकार सिोच्च हैं। समाजिाद समाजिाद: यह उन वसिांतों से संबंवित है, जो एक ऐसे समाज की स्थापना की पररकलपना करते हैं, जहां सभी व्यवक्त आर्थिक, राजनीवतक, सामावजक आदद जीिन के अलग-अलग क्षेत्रों में समानता का आनंद प्राप्त करें गे। o समाजिाद का विचार काफी हद तक कालि माक्सि से लोकवप्रय हुआ था। उन्होंने िैज्ञावनक समाजिाद का विचार प्रवतपाददत दकया था। ▪ उनका मानना था दक मजदूर िगि की डहंसक क्रांवत समाज से शोषक पूज ं ीपवत िगि को खत्म कर सकती है। 1. क्यूबा, चीन और उिर कोररया जैसे साम्यिादी देशों में सरकार उद्योगों पर पूणि वनयंत्रण रखती है और अथिव्यिस्था को एक कें द्रीय योजना के अनुसार चलाती है, जो समाजिाद की एक प्रमुख विशेषता है। 2. समाजिाद के कई प्रकार हैं, जैसे- लोकतांवत्रक समाजिाद, विकासिादी समाजिाद, फै वबयन समाजिाद, वगलि समाजिाद आदद। भारत में समाजिाद का विचार: o यह वमवश्रत अथिव्यिस्था मॉिल पर आिाररत है। इस मॉिल के तहत राज्य जरूरतमंदों का कलयाण सुवनवश्चत करता है, जबदक वनजी उद्यम रोजगार बढ़ाते हैं और मजबूत आर्थिक संिृवि में बढ़ोतरी करते हैं। 5 www.visionias.in ©Vision IAS o इसे काफी हद तक जिाहरलाल नेहरू, महात्मा गांिी जैसे प्रख्यात नेताओं के विचारों द्वारा आकार ददया गया था, जो लोकतांवत्रक समाजिाद के पक्षिर थे। o यह वनम्नवलवखत तरीकों से अन्य साम्यिादी देशों में प्रचवलत समाजिाद से वभन्न है- ▪ यह व्यवक्त और समुदाय के बीच भारी अंतर को खाररज करता है: यह दोनों को एक साथ सुिारने पर कें दद्रत है। ▪ वनजी संपवि की प्रासंवगकता: इसने वनजी संपवि की उपवस्थवत के साथ-साथ पररितिन लाने में राज्य की शवक्तयों पर भी अविक जोर ददया है। यह पूंजीिाद के उन्मूलन में विश्वास नहीं करता बवलक असमानता को दूर करने पर कें दद्रत है। ▪ अडहंसा का विचार: यह घरे लू राजनीवतक उपायों से डहंसा को खत्म करना चाहता है। लोकतांवत्रक समाजिाद: o यह समाजिाद के वसिांतों के साथ लोकतांवत्रक वसिांतों के सह-अवस्तत्ि के विचार पर आिाररत है। o यह राज्य की अििारणा में माक्सििाद से वभन्न है। ▪ लोकतांवत्रक समाजिाद का मानना है दक राज्य पूज ं ीपवतयों द्वारा श्रवमकों के शोषण का सािन नहीं है, बवलक राज्य सामावजक कलयाण का एक सािन है। ▪ समाज के सभी िगि राज्य के स्िामी हैं। o यह मतपेटी के माध्यम से सामावजक पररितिन के वलए शांवतपूणि और विकासिादी सािनों की िकालत करता है। o समाजिाद के माक्सििादी विचार से मतभेदों के बािजूद, यह श्रवमकों के शोषण को समाप्त करने और लोगों के बीच समानता को बढ़ािा देने के साझे लक्ष्यों को साझा करता है। वनष्कषि सुप्रीम कोटि का मौजूदा वनणिय इस विचार पर जोर देता है दक संिैिावनक मूलयों ने देश की जरूरतों के अनुरूप वनरं तर विकास दशाि या है। समाजिाद और पंथवनरपेक्षता जैसे विचार अब लोगों द्वारा अच्छी तरह से स्िीकार दकए जाते हैं ि समझे जाते हैं। इसवलए न्याय, स्ितंत्रता और समानता के प्रवत वनष्ठा, साथ ही सतकि ता, समपिण और नई चुनौवतयों का सामना करने की इच्छाशवक्त, हमें असमानता और जलिायु पररितिन जैसी समकालीन समस्याओं से वनपटने में सक्षम बनाएगी। 6 www.visionias.in ©Vision IAS 1.2. भारत में सं प वि का अविकार (Property Rights in India) सुर्ख़ियों में क्यों? हाल ही में, प्रॉपटी ओनसि एसोवसएशन बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में सुप्रीम कोटि की 9 न्यायािीशों की संवििान पीठ ने एक ऐवतहावसक फै सला सुनाया। इसमें वनजी संपवि का अविग्रहण करने की राज्य की शवक्तयों को सीवमत दकया गया है। अन्य संबवं ित त्य इस वनणिय ने कनािटक राज्य बनाम रं गनाथ रे ड्डी (1978) और संजीि कोक मैन्युफैक्चररं ग कं पनी बनाम भारत कोककं ग कोल वलवमटेि और अन्य िाद (1983) में ददए गए फै सले को खाररज कर ददया। o इन दोनों मामलों में यह वनणिय ददया गया था दक वनजी संपवियों को सामुदावयक संसािन (Community resources) माना जा सकता है। यह बदलाि भारत में संपवि के अविकारों की कानूनी समझ में एक महत्िपूणि विकास को दशािता है। संपवि के अविकार का विकास मूल वस्थवत: प्रारं भ में, संपवि के अविकार और अविग्रहण की वस्थवत में मुआिजे को संवििान के अनुच्छे द 19(1)(f) और 31 के तहत मूल अविकारों के रूप में संरवक्षत दकया गया था। 25िां संवििान संशोिन अविवनयम (1971): इसके द्वारा संवििान में अनुच्छेद 31C को शावमल दकया गया था। अनुच्छे द 31C ने उन कानूनों को संरक्षण प्रदान दकया, जो राज्य की नीवत के वनदेशक तत्िों {विशेष रूप से अनुच्छेद 39(b) और 39(c)} को अमल में लाने के वलए बनाए गए हैं। इन कानूनों को मूल अविकारों का उललंघन करने के आिार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है, वजनमें अनुच्छेद 14 और 19 के तहत प्रदि अविकार भी शावमल हैं। संपवि के अविकार की ितिमान वस्थवत: 1978 में 44िें संवििान संशोिन द्वारा संपवि के अविकार को मूल अविकारों की सूची से हटा ददया गया, तथा इसे अनुच्छेद 300A के अंतगित एक संिि ै ावनक अविकार बना ददया गया। सािारण भाषा में, अब संपवि का अविकार मूल अविकार नहीं है, अवपतु एक संिैिावनक अविकार है। हावलया वनणिय (प्रॉपटी ओनसि एसोवसएशन बनाम महाराष्ट्र राज्य) के मुख्य डबंदओं ु पर एक नज़र अनुच्छेद 39(b) का दायरा: न्यायालय ने इस बात पर जोर ददया दक वनजी संपवि को अनुच्छेद 39(b) के तहत स्ितिः “समुदाय के भौवतक संसािन” के रूप में िगीकृ त नहीं दकया जा सकता। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट दकया दक सभी वनजी स्िावमत्ि िाले संसािन को समुदाय का भौवतक संसािन नहीं माना जा सकता है। o अनुच्छेद 39(b) राज्य की नीवत के वनदेशक तत्िों (भाग IV) का वहस्सा है। इसके अनुसार, राज्य को यह प्रयास करना चावहए दक “समुदाय के भौवतक संसािनों (Material resource of the community)” का स्िावमत्ि ि वनयंत्रण इस प्रकार बंटा हो, वजससे सामूवहक वहत की सिोिम रूप से पूर्ति हो। सािारण भाषा में, अनुच्छेद 39(b) राज्य को वनदेश देता है दक िह समुदाय के सभी संसािनों, जैसे दक जमीन, खदानें, िन, पानी आदद, का स्िावमत्ि और वनयंत्रण इस तरह से करे दक सभी लोगों का भला हो। संपवि अविग्रहण का अविकार: अनुच्छेद 39(b) राज्य को वनजी संपवि के अविग्रहण की वििायी शवक्त प्रदान नहीं करता है। o सुप्रीम कोटि ने स्पष्ट दकया दक यह अविकार भूवम अविग्रहण करने की संप्रभु शवक्त (Eminent domain), और सातिीं अनुसच ू ी में सूची III की प्रविवष्ट 42 से प्राप्त होता है। िगीकरण के वलए मानदंि: दकसी वनजी संपवि को “समुदाय के भौवतक संसािन” के रूप में शावमल करने का वनणिय उसकी प्रकृ वत, उपलब्िता या कमी, सामुदावयक कलयाण पर प्रभाि, और वनजी हाथों में संकेंद्रण पर वनभिर करता है। आर्थिक नीवतयों में लचीलापन: कोटि ने इस बात पर जोर ददया दक संवििान वनमािताओं का इरादा आर्थिक नीवतयों को लचीला बनाना था, तादक सरकारें समय के साथ बदलते हालात के वहसाब से आर्थिक वनयमों में बदलाि कर सकें , न दक िे एक स्थायी आर्थिक वसिांत से बंिी रहें। अनुच्छेद 31C की िैिता: कोटि ने सििसम्मवत से फै सला ददया दक के शिानंद भारती मामले में बरकरार रखा गया अनुच्छेद 31C अभी भी िैि है। साििजवनक कलयाण और वनजी संपवि के अविकारों के बीच संतल ु न: सुप्रीम कोटि ने साििजवनक कलयाण और वनजी संपवि के अविकार के बीच एक संतुलन स्थावपत दकया है। कोटि ने यह भी स्पष्ट दकया है दक सरकार के सभी कायि संवििान के मूलभूत वसिांतों, जैसे दक समानता का अविकार (अनुच्छेद 14) और संपवि के अविकार (अनुच्छेद 300A) के अनुरूप होने चावहए। 7 www.visionias.in ©Vision IAS o कोटि ने कहा दक यहां साििजवनक न्यास वसिांत (Public Trust Doctrine) को भी लागू दकया जा सकता है। यह वसिांत यह सुवनवश्चत करता है दक प्राकृ वतक संसािनों तक सभी की समान पहुंच हो और इनका उपयोग लोक वहत में दकया जाए। इवमनेंट िोमेन की सीमाएं: सुप्रीम कोटि ने भूवम अविग्रहण में इवमनेंट िोमेन के वसिांत के व्यापक उपयोग पर सिाल उठाया। कोटि ने स्पष्ट दकया दक वनजी स्िावमत्ि िाले सभी संसािन समुदाय के भौवतक संसािन नहीं माने जा सकते, वजन्हें लोक कलयाण के वलए जब्त/ अविग्रवहत दकया जा सके । इवमनेंट िोमेन (Eminent domain) का वसिांत यह एक कानूनी वसिांत है, जो सरकारों को वनजी संपवि को साििजवनक उपयोग के वलए अविग्रवहत करने की अनुमवत देता है। यह वसिांत समाज कलयाण और संपवि के अविकारों के बीच संतुलन स्थावपत करता है। सभी स्तरों की सरकारें इस शवक्त का प्रयोग कर सकती हैं, लेदकन संपवि के स्िामी को उवचत मुआिजा प्रदान करना अवनिायि है। इवमनेंट िोमेन वसिांत के तत्ि: o साििजवनक उपयोग: सरकार साििजवनक उद्देश्य (जैसे दक अिसंरचना वनमािण) के वलए वनजी संपवि का अविग्रहण कर सकती है, लेदकन यह तभी दकया जा सकता है जब कोई िैि आिश्यकता हो और कोई िैकवलपक उपाय न हो। o उवचत मुआिजा: जब संपवि का अविग्रहण दकया जाता है, तो सरकार को संपवि के स्िामी को उवचत मुआिजा प्रदान करना होगा। यह मुआिजा अविग्रहण के समय बाजार मूलय पर आिाररत होगा। o उवचत प्रदक्रया: इसके वलए उवचत प्रदक्रया की आिश्यकता होती है, अथाित् संपवि के स्िामी को पहले सूवचत दकया जाना चावहए और अविग्रहण को चुनौती देने या मुआिजे पर िाताि करने का अिसर ददया जाना चावहए। o सरकारी प्राविकरण: इस शवक्त का प्रयोग के िल सरकार या उन अविकृ त साििजवनक एजेंवसयों द्वारा दकया जा सकता है, वजनके पास साििजवनक उपयोग के वलए संपवि अविग्रहण करने का कानूनी अविकार है। इसे आमतौर पर विश्व भर के अविकांश देशों में कानून द्वारा विवनयवमत दकया जाता है। महत्िपूणि कानूनी मामले: सुदशिन चैररटेबल रस्ट बनाम तवमलनािु सरकार (2018) िाद में, सुप्रीम कोटि ने स्पष्ट दकया था दक इवमनेंट िोमेन राज्य की संप्रभुता से जुडा हुआ है। राज्य लोक वहत के वलए वनजी संपवि का अविग्रहण कर सकता है, बशते उवचत मुआिजा ददया जाए। यह शवक्त दकसी व्यवक्त के आजीविका या सम्मान के अविकार का उललंघन नहीं करती है। “साििजवनक न्यास वसिांत (Public Trust Doctrine)” के बारे में यह वसिांत प्राकृ वतक संसािनों के वजम्मेदारीपूणि प्रबंिन के माध्यम से पयाििरण की रक्षा करने में मदद करता है। इसके माध्यम से हम प्राकृ वतक संसािनों की रक्षा कर सकते हैं और पृ्िी के संरक्षण को बढ़ािा दे सकते हैं। इसे थ. माजरा डसंह बनाम इं वियन ऑयल कॉपोरे शन और एम.आई. वबलिसि बनाम रै िली श्याम साहू जैसे महत्िपूणि मामलों में अनुच्छे द 21 के तहत मान्यता प्राप्त हुई थी। रस्टी (न्यासी) के रूप में राज्य: साििजवनक न्यास वसिांत के तहत, राज्य एक रस्टी के रूप में कायि करता है, जो जनता के लाभ के वलए प्राकृ वतक संसािनों का प्रबंिन करता है। साथ ही, यह सुवनवश्चत करता है दक संसािनों का वजम्मेदारी से उपयोग दकया जाए और िे समाप्त या क्षवतग्रस्त न हों। o टी.एन. गोदािमिन बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोटि ने कहा दक राज्य को एक रस्टी के रूप में यह सुवनवश्चत करना चावहए दक प्राकृ वतक संसािनों का लोक वहत के वलए संिारणीय रूप से उपयोग दकया जाए। लाभाथी के रूप में नागररक: नागररक इस न्यास के लाभाथी हैं, जो अपने लाभ के वलए तथा भािी पीदढ़यों हेतु संसािनों का संिारणीय रूप से उपयोग करते हैं। सुप्रीम कोटि के वनणिय के प्रभाि वििायी और नीवतगत प्रभाि: यह वनणिय भविष्य के संपवि अविग्रहण कानूनों, भूवम सुिारों और सामावजक कलयाण के कायिक्रमों को प्रभावित कर सकता है, तथा वनष्पक्षता ि पारदर्शिता को बढ़ािा दे सकता है। आर्थिक सुिार: यह वनणिय राज्य की संपवि अविग्रहण की शवक्त को सीवमत करके , वनजी वनिेश को समथिन प्रदान करता है और सामावजक न्याय सुवनवश्चत करता है। साथ ही, यह एक अविक बाजार-उन्मुख अथिव्यिस्था की ओर बदलाि का संकेत भी देता है। राजनीवतक बहस: राजनीवतक दल भूवम सुिार और संपवि के अविकारों पर अपने रुख को समायोवजत कर सकते हैं, जबदक यह फै सला सामावजक कलयाण कायिक्रमों, विशेष रूप से िंवचतों के वलए भूवम पुनर्िितरण को आकार दे सकता है। संिि ै ावनक जांच: यह वनणिय वनजी संपवि पर सरकारी कारि िाई की जांच करने में न्यायपावलका की भूवमका को मजबूत करता है। साथ ही, यह भी सुवनवश्चत करता है दक कानून समानता और संपवि सवहत संिैिावनक अविकारों के अनुरूप हों। 8 www.visionias.in ©Vision IAS वनष्कषि सुप्रीम कोटि के वनणिय ने अनुच्छेद 39(b) पर स्पष्टता प्रदान की है। कोटि ने कहा है दक वनजी संपवि को साििजवनक वहत में इस्तेमाल करने के वलए “समुदाय के भौवतक संसािन” के रूप में िगीकृ त दकया जा सकता है, लेदकन ऐसा करते समय हर मामले में अलग-अलग पररवस्थवतयों को ध्यान में रखना होगा। इस वनणिय में समानता और संपवि के अविकारों सवहत संिि ै ावनक वसिांतों को बनाए रखने के वलए सरकारी कारि िाई की आिश्यकता पर जोर ददया गया है, जबदक साििजवनक न्यास वसिांत के माध्यम से वजम्मेदारीपूणि संसािन प्रबंिन को बढ़ािा ददया गया है। 1.3. राजनीवतक दलों में आं त ररक लोकतं त्र (Internal Democracy in Political Parties) सुर्ख़ियों में क्यों? भारत में राजनीवतक दलों के भीतर लोकतांवत्रक कायिप्रणाली को लागू करने में भारतीय चुनाि आयोग (ECI) की भूवमका पर चचाि चल रही है। दलों में आंतररक लोकतंत्र क्या अथि है? राजनीवतक दलों में आंतररक लोकतंत्र का अथि है- पाटी के भीतर लोकतांवत्रक मूलयों का पालन दकया जाना। ऐसी में वस्थवत में लोकतांवत्रक वसिांतों का पालन कर और पाटी के सभी सदस्यों को समान रूप से भाग लेने का अिसर प्रदान कर राजनीवतक दल की आंतररक व्यिस्था, संरचना और समन्िय को प्रबंवित दकया जाता है। इसका सीिा संबंि इस व्यिस्था से है दक उस पाटी में उम्मीदिारों का चयन कै से दकया जाता है, नेता कै से उभरते हैं, नीवतयां कै से बनाई जाती हैं और फं डिंग कै से प्राप्त की जाती है। राजनीवतक दलों के भीतर आंतररक लोकतंत्र की आिश्यकता क्यों है? विकें द्रीकरण: यह राजनीवतक दल के शीषि-स्तरीय नेताओं द्वारा प्रयोग दकए जाने िाले कें द्रीकृ त वििेकािीन वनयंत्रण को सीवमत करता है। साथ ही, यह अलग-अलग स्तरों पर दलों के अविक से अविक वहतिारकों को वनणिय लेने की प्रदक्रयाओं में योगदान करने का अिसर प्रदान करता है। अपरािीकरण को रोकना: यह िन और बाहुबल से प्रेररत “चुनाि जीतने की क्षमता” के आिार पर उम्मीदिार के चयन की प्रणालीगत समस्या का समािान करता है। o एसोवसएशन ऑफ िेमोक्रेरटक ररफॉम्सि (ADR) के विश्लेषण के अनुसार, 543 निवनिािवचत लोकसभा सदस्यों में से 251 (46%) के वखलाफ आपराविक मामले दजि हैं। प्रवतवनवित्ि: यह नागररकों को राजनीवत में भाग लेने और चुनाि लडने का समान राजनीवतक अिसर प्रदान करता है। युिाओं की भागीदारी: इससे नई प्रवतभाओं को अिसर वमलता है और शीषि नेताओं के प्रभाि में कमी आती है। भ्रष्टाचार में कमी: प्रशासवनक सुिार आयोग (ARC) की 2008 की ‘नैवतकता और अवभशासन’ ररपोटि में कहा गया है दक अविक कें द्रीकरण के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ािा वमलता है। पारदर्शिता और सूचना का मुक्त प्रिाह: जॉन स्टुअटि वमल द्वारा वलखी गई पुस्तक “ऑन वलबटी” (1859) में “विचार और चचाि की स्ितंत्रता” के “पूण”ि संरक्षण पर तकि प्रस्तुत दकया गया है। राजनीवतक दलों में आंतररक लोकतंत्र की कमी के वलए उिरदायी कारण कानूनी समथिन का अभाि: राजनीवतक दलों के पंजीकरण का एकमात्र प्राििान लोक प्रवतवनवित्ि अविवनयम (RPA), 1951 की िारा 29A के तहत दकया गया है। यह भारतीय चुनाि आयोग (ECI) में राजनीवतक दलों के पंजीकरण का प्राििान करता है। o इसके अलािा, िारा 29A के तहत राजनीवतक दलों के पंजीकरण के वलए ECI के ददशा-वनदेश और आिेदन प्रारूप में के िल आंतररक जिाबदेही के वलए प्राििान वनिािररत दकए गए हैं। इसमें उम्मीदिार के चयन के वलए कोई प्राििान नहीं है। दंिात्मक प्राििानों का अभाि: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रस े (I) बनाम इं वस्टट्यूट ऑफ़ सोशल िेलफे यर मामले में सुप्रीम कोटि के फै सले के अनुसार, ितिमान में ECI को दकसी भी दल का पंजीकरण रद्द करने का अविकार नहीं है। संरचनात्मक चुनौवतयां: िंशिादी राजनीवत का प्रचलन; कें द्रीकृ त सिािादी संरचनाएं; 1985 का दलबदल-रोिी कानून (संवििान का 52िां संशोिन) वजसमें पाटी लाइन (दल की विचारिारा ि नीवतयों) का सख्ती से पालन करने की अवनिायिता है; आदद। अन्य मुद्दे: राजनीवतक इच्छाशवक्त का अभाि, कमजोर संगठनात्मक ढांचा, आदद। 9 www.visionias.in ©Vision IAS आगे की राह पारदर्शिता: चुनाि सुिारों से संबंवित सरकार द्वारा गरठत कई सवमवतयों जैसे तारकुं िे सवमवत (1975), ददनेश गोस्िामी सवमवत (1990) और इं द्रजीत गुप्ता सवमवत (1998) ने देश में राजनीवतक दलों के कायों में अविक पारदर्शिता की आिश्यकता पर जोर ददया है। “चुनाि सुिार” पर विवि आयोग की वसफाररशें (255िीं ररपोटि) को अपनाना: o लोक प्रवतवनवित्ि अविवनयम, 1951 में नया अध्याय IVC: इसमें आंतररक लोकतंत्र, दलीय संवििान, दलीय संगठन, आंतररक चुनाि, उम्मीदिार के चयन, मतदान प्रदक्रया और गैर-अनुपालन के कु छ मामलों सवहत दकसी दल का पंजीकरण रद्द करने की चुनाि आयोग की शवक्त से संबंवित प्राििान शावमल हैं। संवििान के कामकाज की समीक्षा के वलए राष्ट्रीय आयोग (NCRWC): o भारत में राजनीवतक दलों या दलों के गठबंिनों के पंजीकरण और कायिप्रणाली को विवनयवमत करने के वलए राजनीवतक दल (पंजीकरण और विवनयमन) अविवनयम जैसा व्यापक कानून बनाने की वसफाररश की गई है। 1.4. सं यु क्त राज्य अमे ररका के राष्ट्रपवत का चु नाि (USA Presidential Election) सुर्ख़ियों में क्यों? हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेररका के राष्ट्रपवत का चुनाि वनिािचक मंिल प्रणाली (Electoral College system) के माध्यम से आयोवजत दकया गया। संयक्त ु राज्य अमेररका के राष्ट्रपवत का चुनाि बनाम भारत के राष्ट्रपवत का चुनाि मानदंि संयक्त ु राज्य अमेररका भारत अमेररकी राष्ट्रपवत और उपराष्ट्रपवत का चुनाि सीिे नागररकों द्वारा नहीं भारत में भी राष्ट्रपवत का चुनाि एक वनिािचक मंिल द्वारा वनिािचक दकया जाता। नागररक इलेक्टोरल कॉलेज के 538 सदस्यों यानी इलेक्टसि दकया जाता है। इस वनिािचक मंिल में वनम्नवलवखत सदस्य मंिल की (वनिािचक) को चुनते हैं। शावमल होते हैं- संरचना संसद के दोनों सदनों के वनिािवचत सदस्य, और o 538 सदस्यीय इलेक्टोरल कॉलेज यानी वनिािचक मंिल में सीनेट के वलए 100 इलेक्टसि (सदस्य), हाउस ऑफ़ ररप्रेजन्े टेरटि के वलए राज्यों की वििान सभाओं के वनिािवचत सदस्य। o इसमें राष्ट्रीय राजिानी क्षेत्र ददलली और कें द्र 435 इलेक्टसि तथा विवस्रक्ट ऑफ कोलंवबया के वलए 3 इलेक्टसि शावसत प्रदेश पुिुचरे ी के वििान सभाओं के चुने जाते हैं। ये इलेक्टसि ही िास्ति में अमेररकी राष्ट्रपवत और वनिािवचत सदस्य भी शावमल होते हैं। उपराष्ट्रपवत का चुनाि करते हैं। o राज्यों में वनिािचकों की संख्या अलग-अलग होती है। प्रत्येक राज्य ▪ 70िें संवििान संशोिन अविवनयम, 1992 के को उतने ही वनिािचक (इलेक्टसि) वमलते हैं वजतने उसके कांग्रेस तहत, राष्ट्रपवत चुनाि के वलए ददलली और (सदन और सीनेट) में सदस्य या प्रवतवनवि होते हैं। राज्यों को पुिुचरे ी वििान सभा के वनिािवचत सदस्यों को उनकी जनसंख्या के आिार पर वनिािचकों की संख्या प्रदान की गई वनिािचक मंिल में शावमल दकया गया था। है। नोट: संसद के दोनों सदन तथा राज्य वििान सभाओं के चुनाि के बाद प्रत्येक वनिािचक एक िोट िालता है, जो उम्मीदिार कु ल नामांदकत या मनोनीत सदस्य वनिािचक मंिल में शावमल नहीं होते हैं। 538 इलेक्टसि में से आिे से अविक (270) िोट प्राप्त करता है, िह संयक्त ु राज्य अमेररका का राष्ट्रपवत बन जाता है। 10 www.visionias.in ©Vision IAS शासी प्रत्येक राज्य अपने स्ियं के चुनाि वनयम बनाता है, जो अमेररका की राष्ट्रपवत और उप-राष्ट्रपवत चुनाि अविवनयम, 1952 अविवनयम/ विकें द्रीकृ त प्रणाली को दशािता है। अमेररका में अलग-अलग राज्य अपनी वनयम चुनािी प्रदक्रयाओं की देखरे ख और प्रबंिन करते हैं। नामांकन उम्मीदिार प्राइमरीज़ और कॉक्सेस के माध्यम से पाटी नामांकन सुरवक्षत राष्ट्रपवत पद के उम्मीदिार का नामांकन पत्र, प्रस्तािक के रूप प्रदक्रया करते हैं। में कम-से-कम 50 वनिािचकों और अनुमोदकों के रूप में कम- से-कम 50 वनिािचकों द्वारा हस्ताक्षररत होना चावहए। चुनाि पिवत अविकतर राज्य विनर-टेक-ऑल दृवष्टकोण का पालन करते हैं। इसके तहत एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपावतक यदद दकसी राष्ट्रपवत उम्मीदिार (की पाटी) को दकसी राज्य में बहुमत वमलता प्रवतवनवित्ि की प्रणाली द्वारा चुनाि संपन्न होता है। है, तो उस उम्मीदिार को उस राज्य को आिंरटत सभी इलेक्टोरल िोट प्राप्त राष्ट्रपवत चुनाि में गुप्त मतदान होता है। हो जाते हैं। o जीतने के वलए उम्मीदिार को कु ल िाले गए िोटों उदाहरण: कै वलफोर्निया राज्य को इलेक्टोरल कॉलेज के 54 इलेक्टसि का 50% + 1 हावसल करना होता है। आिंरटत हैं। यदद उस राज्य में दकसी राष्ट्रपवत के उम्मीदिार को सबसे अविक लोगों का िोट प्राप्त होता है तो उसे सभी 54 इलेक्टसि वमल जाते हैं। हालांदक, मेन और नेिास्का राज्यों में यह प्रणाली थोडी अलग है। िहां आनुपावतक प्रवतवनवित्ि प्रणाली अपनाई गई है। o उम्मीदिार पॉपुलर िोट (सिािविक मत) में जीत के वबना भी राष्ट्रपवत का चुनाि जीत सकता है। o उदाहरण के वलए- 2016 में िोनालि रंप की जीत। मतगणना मतदान प्रदक्रया पूरी होने में बहुत अविक समय लगता है। कागजी मतपत्र मतपत्रों की गणना में अविक समय नहीं लगता है। प्रदक्रया (पेपर बैलेट) को और घर से मेल-इन िोट (भारतीय िाक मतपत्रों की तरह) वगनने में काफी समय लगता है। चुनाि कब प्रत्येक 4 िषि में एक वनवश्चत समय पर। हर 5 साल में (या असािारण मामलों में पहले)। आयोवजत होता है रडनंग मेट राष्ट्रपवत पद का उम्मीदिार एक संभावित साथी (उपराष्ट्रपवत पद का भारत के उपराष्ट्रपवत के वलए अलग से चुनाि होता है। उम्मीदिार) चुनता है। 1.5. भारत में नगर वनगम (Municipal Corporations In India) सुर्ख़ियों में क्यों? हाल ही में, भारतीय ररजिि बैंक (RBI) ने “नगर वनगमों में राजस्ि सृजन के अपने स्रोत: अिसर और चुनौवतयां1 ” ररपोटि जारी की। भारत में नगरपावलका संस्थाएं भारत के शहरों में 40 करोड से अविक लोग रहते हैं और यह संख्या 2050 तक 80 करोड से अविक होने का अनुमान है। हालांदक, शहर देश के के िल 3% भू-क्षेत्र को किर करते हैं, दफर भी िे देश के सकल घरे लू उत्पाद में 60% से अविक का योगदान करते हैं। 74िें संवििान संशोिन ने भारत में स्थानीय शासन को औपचाररक रूप ददया है तथा स्थानीय सरकारों को संिैिावनक दजाि प्रदान दकया है। स्थानीय सरकारों के कायि: 74िें संशोिन के जररए संवििान की 12िीं अनुसच ू ी में उन 18 विषयों को शावमल दकया गया है, वजन्हें राज्य सरकारें नगरपावलकाओं को सौंप सकती हैं। इनमें शहरी योजना वनमािण, भूवम उपयोग विवनयमन, वनमािण आदद विषय शावमल हैं। राजस्ि एिं राजकोषीय शवक्तयां: o अनुच्छेद 243X: इसके तहत राज्य सरकार के पास यह अविकार है दक िह शहरी स्थानीय वनकायों (ULBs)2 को कर, शुलक ि फीस लगाने की शवक्त प्रदान कर सकती है। साथ ही, राज्य सरकार कु छ राजस्ि स्रोतों को ULBs को सौंप सकती है। 1 Own Sources of Revenue Generation in Municipal Corporations: Opportunities and Challenges 11 www.visionias.in ©Vision IAS o अनुच्छेद 243Y: यह राज्य विि आयोगों (SFCs) को कर और अनुदानों के वितरण की समीक्षा करने ि वसफाररश करने की वजम्मेदारी सौंपता है। शहरी स्थानीय वनकायों के राजस्ि स्रोत स्ियं के स्रोत कर राजस्ि: संपवि कर, जल उपयोग कर, आदद। गैर-कर राजस्ि: उपयोगकताि शुलक, विकास शुलक आदद। अन्य प्रावप्तयां: पट्टा (Lease) देने से प्राप्त दकराया, अपवशष्ट की वबक्री, आदद। सौंपे गए (साझा) मनोरं जन कर, व्यािसावयक कर आदद। िैसे मनोरं जन कर GST में शावमल कर वलया गया है, लेदकन स्थानीय वनकायों द्वारा राजस्ि आरोवपत मनोरं जन कर को GST से बाहर रखा गया है। अनुदान सहायता कें द्रीय और राज्य विि आयोगों की वसफाररशों के आिार पर हस्तांतरण; स्िच्छ भारत वमशन ि अमृत जैसे कायिक्रमों के तहत अनुदान; आदद। उिारी संबंवित राज्य कें द्र सरकार, बैंक आदद से ऋण ले सकते हैं। RBI की ररपोटि के मुख्य डबंदओं ु पर एक नज़र कम राजस्ि संग्रह: 2023-24 में देश के नगरपावलकाओं का कु ल राजस्ि संग्रह देश के सकल घरेलू उत्पाद का के िल 0.6% था। इसकी तुलना में कें द्र सरकार का राजस्ि संग्रह 9.2% और राज्य सरकारों का 14.6% था। इससे शहरी विकास के वलए फं ि की कमी हो रही है। o नगर वनगमों की आय में कर राजस्ि का वहस्सा 30% है। इसके बाद अनुदान, अंशदान और सवब्सिी (24.9%), तथा शुलक एिं उपयोगकताि शुलक (20.2%) का स्थान आता है। o इसके अलािा, CAG की एक ररपोटि के अनुसार, 18 राज्यों में नगर वनगम अपनी संपवि कर मांग का के िल 56% ही िसूल पाते हैं। कें द्र और संबवं ित राज्य से विि-पोषण पर अविक वनभिरता: नगरपावलकाएं कें द्र ि संबंवित राज्य से देरी प्राप्त होने िाले एिं अपयािप्त फं ि पर बहुत अविक वनभिर करते हैं। 2022-23 में कें द्र एिं राज्य सरकारों से उन्हें वमलने िाले अनुदान में क्रमशिः 24.9% तथा 20.4% की िृवि दजि की गई थी। नगरपावलका के उिार में िृवि: यह 2019-20 के 2,886 करोड रुपये से बढ़कर 2023-24 में 13,364 करोड हो गई है। यह कु ल प्रावप्तयों की 1.9% से बढ़कर 5.2% हो गई है। नगरपावलका बॉण्ि: यह बॉन्ि बाजार अभी अविकवसत है। इनका कु ल मूलय 4,204 करोड रुपये है। यह मूलय कॉपोरे ट बॉण्ि का 0.09% है। अविकांश नगरपावलका बॉण्ि िारक वनजी वनिेशक और संस्थाएं हैं। इससे वनिेशकों की भागीदारी सीवमत हो जाती है। o इसके अवतररक्त, ग्रीन बॉण्ि बाजार अभी भी प्रारं वभक चरण में है। साथ ही, ग्रीन बॉण्ि जारी करने की प्रदक्रया में ग्रीन ऑविट और प्रमुख प्रदशिन संकेतकों की वनगरानी के वलए अवतररक्त लागत शावमल है। भारत में नगर वनगमों के समक्ष अन्य मुद्दे वििीय चुनौवतयां: o SFCs की वसफाररशों का तदथि कायािन्ियन: राज्य अक्सर राज्य विि आयोगों (SFCs) की वसफाररशों को देरी से या अपयािप्त रूप से कायािवन्ित करते हैं। ▪ उदाहरण के वलए: तेलग ं ाना में SFC 2015 में गरठत हुआ था, लेदकन इसके अध्यक्ष ि सदस्यों का चयन 2018 में दकया गया था। o भारतीय शहरों में कम अिशोषण क्षमता: CAG की ररपोटि के अनुसार, 18 राज्यों में से 11 राज्यों के शहरी स्थानीय स्िशासन (ULSG) ने उन्हें आिंरटत दकए गए फं ि का के िल 61% ही उपयोग दकया है। गिनेंस संबि ं ी चुनौवतयां: o शवक्तयों का सीवमत हस्तांतरण: 74िें संवििान संशोिन के बािजूद, कई राज्यों ने शहरी स्थानीय वनकायों को (विशेष रूप से शहरी योजना वनमािण और भूवम उपयोग विवनयमन में) पूणि रूप से शवक्तयां हस्तांतररत नहीं की हैं। 2 Urban Local Bodies 12 www.visionias.in ©Vision IAS o राज्य चुनाि आयोग: राज्य चुनाि आयोगों को पयािप्त रूप से सशक्त नहीं दकया गया है, वजससे नगरपावलका चुनाि प्रत्येक पांच िषों पर समय पर आयोवजत नहीं हो पाते हैं। ▪ उदाहरण के वलए- बृहत बेंगलुरु महानगर पावलका (BBMP) हेतु 2020 से अब तक कोई चुनाि नहीं हुआ है। इस तरह की घटनाओं से स्थानीय शासन बावित होता है। o मानि संसािन: नगरीय प्रशासन विभाग में बडी संख्या में ररक्त पद मौजूद हैं (30-40%) और कमिचाररयों में समुवचत प्रवशक्षण का अभाि है। ये चीजें नगर वनगमों की सेिाएं प्रदान करने की क्षमता को सीवमत करती है। ▪ उदाहरण के वलए- CAG ररपोटि के अनुसार, 18 राज्यों में 37% पद ररक्त हैं। o शहरी योजना वनमािण और सेिा वितरण: CAG ररपोटि के अनुसार, नगरपावलकाओं के व्यय का एक महत्िपूणि वहस्सा (29%) शहरी विकास पर खचि नहीं दकया जाता है। इससे अिसंरचनाओं में वनिेश सीवमत हो जाता है। आगे की राह स्ियं के स्रोतों से राजस्ि बढ़ाना: o संपवि कर: कर संग्रह के अनुपालन में सुिार और लीके ज को कम करने के वलए मूलयांकन-आिाररत संपवि कर फ़ामुिलों, जैसे GIS मैडपंग और विवजटल भुगतान प्लेटफॉमि को अपनाना चावहए। o गैर-कर राजस्ि: जल, स्िच्छता और अपवशष्ट प्रबंिन के वलए उपयोगकताि शुलक समायोवजत करना चावहए, तादक लागत की िसूली सुवनवश्चत हो सके । शुलक संग्रहण में सुिार करने के वलए प्रौद्योवगकी और साििजवनक अवभयानों का उपयोग करना चावहए। समय पर हस्तांतरण: o मुद्रास्फीवत और शहर के विकास को ध्यान में रखते हुए एक स्पष्ट फामूिले के आिार पर राज्य सरकारों से प्रत्यक्ष ि पूिािनुमावनत विि का हस्तांतरण सुवनवश्चत करना चावहए। o राज्य विि आयोग (SFC) को वनयवमत रूप से गरठत करना चावहए, तादक समय पर विि हस्तांतरण की वसफाररश और उसका कायािन्ियन सुवनवश्चत दकया जा सके । विि-पोषण का विवििीकरण: o पूंजीगत वनिेश के वलए नगरपावलका बॉण्ि और विि-पोषण के निीन स्रोतों की संभािना तलाशनी चावहए। वििीय बािाओं को दूर करने के वलए बडे पैमाने पर अिसंरचनात्मक पररयोजनाओं हेतु संसािनों का संयक्त ु रूप से उपयोग करना चावहए। ▪ हररत अिसंरचना और निीकरणीय ऊजाि पर ध्यान कें दद्रत करते हुए सतत शहरी योजना वनमािण के वलए जलिायु विि तक पहुंच सुवनवश्चत करनी चावहए। पारदशी वििीय प्रबंिन: o मानकीकृ त लेखांकन प्रथाओं के वलए राष्ट्रीय नगर पावलका लेखांकन मैनअ ु ल (NMAM, 2004) लागू करना चावहए। o राज्य सरकारों को अनुपालन को अवनिायि बनाना चावहए, प्रवशक्षण को समथिन देना चावहए, तथा अंतर-सरकारी हस्तांतरण को लेखांकन मानकों से जोडना चावहए। मानि संसािन: राज्यों को नगरीय प्रशासन विभाग की ररवक्तयों और प्रवशक्षण संस्थानों की कमी जैसे मुद्दों का समािान करना चावहए। o उदाहरण के वलए- मध्य प्रदेश ने स्टाकफं ग और कौशल विकास में सुिार के वलए एक नगरपावलका कै िर बनाया है। 13 www.visionias.in ©Vision IAS 1.6. गै र -सरकारी सं ग ठन {Non-Governmental Organizations (NGOs)} सुर्ख़ियों में क्यों? गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विवनयमन) अविवनयम3, 2010 के तहत पंजीकृ त सभी गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को अपने प्रमुख पदाविकाररयों और सदस्यों में दकसी भी बदलाि की सूचना देने का वनदेश ददया है। अन्य संबवं ित त्य गृह मंत्रालय का यह आदेश उन NGOs भी पर भी लागू होगा, वजनका वपछला FCRA लाइसेंस का आिेदन अभी भी लंवबत प्रदक्रया में है। o इस वस्थवत में NGOs एक नया आिेदन कर सकते हैं, जो स्िचावलत रूप

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