तुम तुंग - हिमालय - भृंग और मैं चंचल-गतिसू-प्रतिता। तुम विमल हृदय उच्चवास और में कांत-कामिनी-कविता। तुम प्रेम और में शान्ति, सुरा-पान-धन, अधकार, तुम दिकनकर के खर किरण-जल। तुम तुंग - हिमालय - भृंग और मैं चंचल-गतिसू-प्रतिता। तुम विमल हृदय उच्चवास और में कांत-कामिनी-कविता। तुम प्रेम और में शान्ति, सुरा-पान-धन, अधकार, तुम दिकनकर के खर किरण-जल।

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Understand the Problem

The question consists of lines written in Hindi, possibly from a poem or literary work, and seems to address themes of nature, love, and life. It refers to various elements like the Himalayas, heart, and divinity. The user might be seeking an explanation or an analysis of the text.

Answer

यह सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की कविता है।

यह कविता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की रचना है जिसमें कवि ने 'तुम' और 'मैं' के बीच के भावों और विचारों की तुलना की है।

Answer for screen readers

यह कविता सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की रचना है जिसमें कवि ने 'तुम' और 'मैं' के बीच के भावों और विचारों की तुलना की है।

More Information

कविता में 'तुम' और 'मैं' के रूपकों का उपयोग कर भाव और विचारों की गहराई को प्रकट किया गया है।

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