नीलकंठ के बारे में जानकर मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए हैं? जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ? लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहु... नीलकंठ के बारे में जानकर मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए हैं? जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ? लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थी? 'इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा' वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है? वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था? जालीघर में रहनेवाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया? नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को साँप से किस तरह बचाया? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
Understand the Problem
प्रश्नों में मोर-मोरनी, नीलकंठ और कुब्जा के बारे में पूछे गए हैं। इसके साथ ही विभिन्न घटनाओं, पक्षियों के स्वभाव, और लेखक की भावनाओं का अध्ययन करने के लिए प्रश्न निर्माण किया गया है। यह पाठ एक रेखाचित्र है और इसके विशेषताओं का समझना भी आवश्यक है।
Answer
नीलकंठ के नीले गले के कारण उसका नाम नीलकंठ और मोरनी राधा रखा गया। जालीघर में मोर वंश का स्वागत पक्षी और खरगोशों ने मिलकर किया। वसंत में उसकी स्वतंत्रता की लालसा बढ़ जाती थी।
- मोर के बच्चे को नीलाभ ग्रीवा के कारण नीलकंठ और मोरनी को हमेशा उसके साथ रहने के कारण राधा नाम दिया गया।
- बड़े जालीघर में मोर के बच्चों का स्वागत लक्का कबूतर नाच-गाकर, बड़े खरगोश गंभीरता से देख कर और छोटे खरगोश उछल-कूद मचा कर करते हैं।
- लेखिका को नीलकंठ की चेष्टाएँ जैसे उसकी सुंदरता और साहस, विशेष रूप से भाते थे।
- 'इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर बजा' वाक्य अप्रत्याशित घटना या खतरे की ओर संकेत करता है।
- वसंत में नीलकंठ का जालीघर में बंद रहना असहनीय था क्योंकि वह स्वतंत्र घुमने का आदी था।
- सभी जीव जालीघर में मित्र बन गए पर कुब्जा के साथ नहीं क्योंकि वह उनके साथ घुलमिल नहीं पाई।
- नीलकंठ ने साहसपूर्वक खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया, यह उसके साहसी स्वभाव को दर्शाता है।
Answer for screen readers
- मोर के बच्चे को नीलाभ ग्रीवा के कारण नीलकंठ और मोरनी को हमेशा उसके साथ रहने के कारण राधा नाम दिया गया।
- बड़े जालीघर में मोर के बच्चों का स्वागत लक्का कबूतर नाच-गाकर, बड़े खरगोश गंभीरता से देख कर और छोटे खरगोश उछल-कूद मचा कर करते हैं।
- लेखिका को नीलकंठ की चेष्टाएँ जैसे उसकी सुंदरता और साहस, विशेष रूप से भाते थे।
- 'इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर बजा' वाक्य अप्रत्याशित घटना या खतरे की ओर संकेत करता है।
- वसंत में नीलकंठ का जालीघर में बंद रहना असहनीय था क्योंकि वह स्वतंत्र घुमने का आदी था।
- सभी जीव जालीघर में मित्र बन गए पर कुब्जा के साथ नहीं क्योंकि वह उनके साथ घुलमिल नहीं पाई।
- नीलकंठ ने साहसपूर्वक खरगोश के बच्चे को साँप से बचाया, यह उसके साहसी स्वभाव को दर्शाता है।
More Information
यह कहानी महादेवी वर्मा की है, जिन्होंने इन जीवों के माध्यम से प्रकृति की सुंदरता और पारस्परिक मित्रता के महत्त्व को दर्शाया है।
Tips
नीलकंठ और अन्य पक्षियों और जानवरों के व्यवहार को ठीक से समझें ताकि पूरे घटनाक्रम की बेहतर समझ बन सके।
Sources
- NCERT Solutions For Class-7 Hindi Chapter 15 Neelkanth | PW - pw.live
- Class 7 Hindi Neelkanth Question Answers - SuccessCDs - successcds.net
- जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का स्वागत - shaalaa.com
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