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Questions and Answers
प्रजनन, मृत्यु के रूप में हुई जीव-हानि को प्राथमिक बना देता है।
प्रजनन, मृत्यु के रूप में हुई जीव-हानि को प्राथमिक बना देता है।
False (B)
लैंगिक जनन में, संतति पूर्ण रूप से अपने जनक के समान होती है।
लैंगिक जनन में, संतति पूर्ण रूप से अपने जनक के समान होती है।
False (B)
अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति को क्लोन कहा जाता है क्योंकि वे आनुवंशिक रूप से भिन्न होते हैं।
अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति को क्लोन कहा जाता है क्योंकि वे आनुवंशिक रूप से भिन्न होते हैं।
False (B)
लैंगिक जनन में, युग्मक निर्माण के समय होने वाले अर्धसूत्री विभाजन में जीन विनिमय विभिन्नताएँ उत्पन्न करता है।
लैंगिक जनन में, युग्मक निर्माण के समय होने वाले अर्धसूत्री विभाजन में जीन विनिमय विभिन्नताएँ उत्पन्न करता है।
अलैंगिक जनन से बनी संतति लैंगिक जनन से बनी संतति से भिन्न होती है क्योंकि अलैंगिक जनन द्वारा बनी संतति समान होती है और लैंगिक जनन द्वारा बनी संतति भिन्न होती है।
अलैंगिक जनन से बनी संतति लैंगिक जनन से बनी संतति से भिन्न होती है क्योंकि अलैंगिक जनन द्वारा बनी संतति समान होती है और लैंगिक जनन द्वारा बनी संतति भिन्न होती है।
कायिक जनन एक प्रकार का लैंगिक जनन है जिसमें पौधे के कायिक भागों से नए पौधे बनते हैं।
कायिक जनन एक प्रकार का लैंगिक जनन है जिसमें पौधे के कायिक भागों से नए पौधे बनते हैं।
किशोर चरण, पौधों में कायिक अवस्था और प्राणियों में जनन अवस्था के रूप में जाना जाता है।
किशोर चरण, पौधों में कायिक अवस्था और प्राणियों में जनन अवस्था के रूप में जाना जाता है।
जीर्णता चरण जीवन चक्र की वह अवस्था है जिसमें प्रजनन क्षमता और उपापचय क्रियाएँ बढ़ जाती हैं।
जीर्णता चरण जीवन चक्र की वह अवस्था है जिसमें प्रजनन क्षमता और उपापचय क्रियाएँ बढ़ जाती हैं।
लैंगिक जनन में संतति अपने जनकों के समरूप होती है और इसमें विभिन्नताएँ नहीं पाई जाती हैं।
लैंगिक जनन में संतति अपने जनकों के समरूप होती है और इसमें विभिन्नताएँ नहीं पाई जाती हैं।
बाह्य निषेचन में, युग्मक संलयन जीव शरीर के अंदर होता है।
बाह्य निषेचन में, युग्मक संलयन जीव शरीर के अंदर होता है।
Flashcards
जनन क्यों अनिवार्य है?
जनन क्यों अनिवार्य है?
प्रजनन प्रजाति की निरंतरता सुनिश्चित करता है और मृत्यु के रूप में हुई जीव-हानि को गौण बना देता है।
जनन की अच्छी विधि कौन-सी है?
जनन की अच्छी विधि कौन-सी है?
लैंगिक जनन में विपरीत लिंग वाले दो जनक भाग लेते हैं जिससे विविधताएँ आती हैं और जैव विकास होता है।
क्लोन क्या है?
क्लोन क्या है?
अलैंगिक जनन में उत्पन्न संतति आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से जनक के समान होती है।
लैंगिक जनन के लाभ?
लैंगिक जनन के लाभ?
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अलैंगिक और लैंगिक जनन में अंतर?
अलैंगिक और लैंगिक जनन में अंतर?
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कायिक जनन क्या है?
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कायिक प्रवर्धन?
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किशोर चरण?
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जीर्णता चरण?
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बाह्य निषेचन?
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Study Notes
जीवों में जनन
- जनन जीवों के लिए इसलिए अनिवार्य है क्योंकि कोई भी जीव अमर नहीं होता है और जनन प्रजाति की निरन्तरता बनाए रखता है।
- जनन से उत्पन्न विभिन्नताएँ, जीवों को बदलते पर्यावरण में जीवनयापन के लिए सक्षम बनाती हैं, जिससे जीवों के विकास में मदद मिलती है।
जनन के प्रकार
- जीवों में जनन दो प्रकार का होता है:
- अलैगिक जनन।
- लैगिक जनन।
- लैंगिक जनन विधि अच्छी मानी जाती है क्योंकि इसमें विपरीत लिंग वाले दो जनक भाग लेते हैं, जिससे युग्मकों के संलयन से बने युग्मनज में भिन्नताएँ आती हैं।
- संतति में उत्पन्न भिन्नताएँ, जैव विकास का आधार होती हैं और जीव को बदले पर्यावरण में भी सफल जीवनयापन के अवसर देती हैं।
क्लोन
- अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति को क्लोन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें केवल समसूत्री विभाजन होता है और संतति आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से जनक के समान होती है।
लैंगिक जनन
- लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप बनी संतति में जीवित रहने के अच्छे अवसर होते हैं क्योंकि लैंगिक जनन में विपरीत लिंग वाले तथा भिन्न आनुवंशिक संगठन वाले जीवों की आवश्यकता होती है।
- लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं जो युग्मक निर्माण के समय होने वाले जीन विनिमय और गुणसूत्रों के पृथक्करण के कारण उत्पन्न होती हैं।
अलैंगिक व लैंगिक जनन में अंतर
- अलैंगिक जनन द्वारा बनी संतति एक-दूसरे के और अपने जनक के समरूप होती है, जबकि लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति एक-दूसरे से और अपने जनकों के समरूप नहीं होती।
- अलैंगिक जनन में एकल जीव संतति उत्पन्न करने की क्षमता रखता है, जबकि लैंगिक जनन में प्रायः दो विपरीत लिंग वाले जनक भाग लेते हैं।
अलैंगिक जनन और कायिक जनन
- कायिक जनन में पौधे का कोई कायिक भाग पौधे से पृथक् होकर संतति पादप बनाता है।
- कायिक जनन अलैंगिक जनन माना जाता है क्योंकि कायिक जनन से बनी संतति आकारिकी व आनुवंशिक गुणों में अपने जनकों के समान होती है और इसमें युग्मक निर्माण व युग्मक संलयन नहीं होता।
कायिक प्रवर्धन
- कायिक प्रवर्धन अलैंगिक जनन का एक प्रकार है, जिसमें सन्तति निर्माण पौधों के कायिक भागों से होता है।
- प्राकृतिक कायिक प्रवर्धन जड़ों, स्तम्भ अथवा पत्तियों से हो सकता है।
- उदाहरण: आलू के कन्द में कलिकाएँ पायी जाती हैं जो बोने पर विकसित होकर नए पौधे बनाती हैं। अदरक का भूमिगत तना प्रकन्द कहलाता है।
किशोर चरण
- किशोर चरण सभी जीवधारियों में लैंगिक रूप से परिपक्व होने से पहले की अवस्था है, जिसे प्राणियों में किशोर चरण और पौधों में कायिक अवस्था कहते हैं।
प्रजनक चरण
- प्रजनक चरण किशोरावस्था अथवा कायिक प्रावस्था के समाप्त होने पर प्रारम्भ होता है और इसमें जीव संतति उत्पन्न करने योग्य हो जाता है।
जीर्णता चरण
- जीर्णता चरण जीवन-चक्र की अन्तिम अवस्था है जिसमें प्रजनन क्षमता कम होने लगती है, उपापचय क्रियाएँ मन्द हो जाती हैं और अन्ततः जीव की मृत्यु हो जाती है।
लैंगिक प्रजनन का महत्व
- बड़े जीवों ने अपनी जटिलता के बावजूद लैंगिक प्रजनन को इसलिए अपनाया है क्योंकि इससे संतति में विभिन्नताएँ आती हैं जो जीव को वातावरण में अनुकूलित रहने में मदद करती हैं और जैव विकास को प्रोत्साहित करती हैं।
सूत्री विभाजन
- लैंगिक जनन करने वाले जीवधारियों में अर्द्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकजनन क्रियाएँ होती हैं।
- सामान्यतया लैंगिक जनन करने वाले जीव द्विगुणित होते हैं और इनमें युग्मक निर्माण अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा होता है, जिससे युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है।
पुष्पीय पादप के भाग
- पुष्पीय पादप के कुछ भाग और उनकी अगुणित या द्विगुणित स्थिति:
- अण्डाशय (Ovary) - द्विगुणित (2n)।
- परागकोश (Anther) - द्विगुणित (2n)।
- अण्डा या डिम्ब (Ova) - अगुणित (n)।
- परागकण (Pollen grain)- अगुणित (n)।
- नर युग्मक (Male gamete) - अगुणित (n)।
- युग्मनज (Zygote) - द्विगुणित (2n)।
बाह्य निषेचन
- बाह्य निषेचन वह निषेचन है जो जीव शरीर से बाहर जलीय माध्यम में होता है।
- यह अधिकांश शैवालों, मछलियों और उभयचर प्राणियों में होता है।
आंतरिक निषेचन
- आंतरिक निषेचन वह है जहाँ युग्मक संलयन या निषेचन मादा जीव शरीर के अन्दर सम्पन्न होता है, जैसे- स्तनधारियों में
बाह्य निषेचन के नुकसान
- जीवधारियों को अत्यधिक संख्या में युग्मकों का निर्माण करना पड़ता है जिससे निषेचन के अवसर बढ़ जाएँ, जिसके परिणामस्वरूप युग्मक संलयन के अवसर कम हो जाते हैं। ऊर्जा व संसाधनों का अपव्यय होता है।
चलबीजाणु
प्रमुख बिंदु:
- चलबीजाणु अलैंगिक जनन के अन्तर्गत बनते हैं और इनमें एक जनक के लक्षण होते हैं।
- ये सामान्यतः शैवालों में बनते हैं और जनन कोशिका में सूत्री विभाजन द्वारा निर्मित होते हैं।
युग्मनज
प्रमुख बिंदु:
- युग्मनज लैंगिक जनन के अन्तर्गत बनता है और इनमें दोनों जनकों के लक्षण पाए जाते हैं।
- नर तथा मादा युग्मकों के संलयन के फलस्वरूप युग्मनज बनता है। ये अचल होते है
युग्मकजनन
प्रमुख बिंदु:
- युग्मकजनन जनदों में (gonads) होता है और अगुणित युग्मक बनाता है।
- युग्मक हमेशा अगुणित होते है और युग्मकजनन हमेशा अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) द्वारा होता है।
भ्रूणोद्भव
प्रमुख बिंदु:
- युग्मनज से भ्रूण के विकसित होने की क्रिया को भ्रूणोद्भव कहा जाता है।
- भ्रूण हमेशा द्विगुणित होता है और भ्रूणोद्भव हमेशा विभाजन (mitosis) द्वारा होता है।
द्विलिंगी पुष्प
- द्विलिंगी पुष्प में नर जननांग पुमंग (androecium) तथा मादा जननांग जायांग (gynoecium) दोनों उपस्थित होते हैं।
निषेचन
- निषेचन के फलस्वरूप पुष्प में बीजाण्ड से बीज़ तथा अण्डाशय से फलावरण (pericarp) का निर्माण होता है।
अण्डप्रजक
- अण्डप्रजक प्राणियों की सन्तानों का उत्तरजीवन (सरवाइवल) सजीवप्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त होता है।
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