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Questions and Answers
सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) का जन्म किस गाना में हुआ था?
सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) का जन्म किस गाना में हुआ था?
- मगध गाना
- कौशल गाना
- सख्य गाना (correct)
- पालि गाना
क्या प्रमुख शिक्षाओं में से एक है जो बुद्ध ने सिखाई?
क्या प्रमुख शिक्षाओं में से एक है जो बुद्ध ने सिखाई?
- दुख और इच्छा (correct)
- सुख और आनंद
- अदारता और एकाग्रता
- ध्यान और संन्यास
बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कहाँ दिया था?
बुद्ध ने अपना पहला उपदेश कहाँ दिया था?
- सारनाथ (correct)
- बोध गया
- कुशीनगर
- नालंदा
महायान बौद्ध धर्म के अनुसार क्या नया रूप विकसित किया गया?
महायान बौद्ध धर्म के अनुसार क्या नया रूप विकसित किया गया?
सिद्धार्थ गौतम को बुद्ध बनने के लिए कितने वर्षों की साधना करनी पड़ी?
सिद्धार्थ गौतम को बुद्ध बनने के लिए कितने वर्षों की साधना करनी पड़ी?
कौन-सा विचार बुद्ध की शिक्षाओं का अभिन्न हिस्सा है?
कौन-सा विचार बुद्ध की शिक्षाओं का अभिन्न हिस्सा है?
बौद्ध धर्म का प्रसार मुख्य रूप से किन कारणों से हुआ?
बौद्ध धर्म का प्रसार मुख्य रूप से किन कारणों से हुआ?
कैसा शैक्षणिक केंद्र नालंदा के रूप में जाना जाता था?
कैसा शैक्षणिक केंद्र नालंदा के रूप में जाना जाता था?
दुख और इच्छाओं के बारे में बुद्ध की मान्यता क्या थी?
दुख और इच्छाओं के बारे में बुद्ध की मान्यता क्या थी?
कौन-सा बौद्ध धर्म का स्कूल दक्षिण-पूर्व एशिया में लोकप्रिय है?
कौन-सा बौद्ध धर्म का स्कूल दक्षिण-पूर्व एशिया में लोकप्रिय है?
किसागोमती की कहानी से क्या सीख मिलती है?
किसागोमती की कहानी से क्या सीख मिलती है?
महावीर की शिक्षाओं में से कौन सा सिद्धांत मुख्य है?
महावीर की शिक्षाओं में से कौन सा सिद्धांत मुख्य है?
जैन धर्म का founder कौन था?
जैन धर्म का founder कौन था?
महावीर ने अपने जीवन के कितने वर्षों का तप किया?
महावीर ने अपने जीवन के कितने वर्षों का तप किया?
किस भाषा में महावीर की शिक्षाएं दी गईं?
किस भाषा में महावीर की शिक्षाएं दी गईं?
बौद्ध और जैन संप्रदाय की प्रमुख विशेषता क्या है?
बौद्ध और जैन संप्रदाय की प्रमुख विशेषता क्या है?
विनय पीटिका में क्या समाहित है?
विनय पीटिका में क्या समाहित है?
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्दांत क्या है?
जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्दांत क्या है?
जैन धर्म का विस्तार कैसे हुआ?
जैन धर्म का विस्तार कैसे हुआ?
विहार किस प्रकार के स्थायी आश्रयों को दर्शाते हैं?
विहार किस प्रकार के स्थायी आश्रयों को दर्शाते हैं?
उपनिषदों में आत्मा और ब्रह्मा के बीच के संबंध को किस प्रकार वर्णित किया गया है?
उपनिषदों में आत्मा और ब्रह्मा के बीच के संबंध को किस प्रकार वर्णित किया गया है?
अश्रम जीवन के चार चरणों में से कौन सा छात्र जीवन को दर्शाता है?
अश्रम जीवन के चार चरणों में से कौन सा छात्र जीवन को दर्शाता है?
कौन सा विचारक उपनिषदों में उल्लेखित है और अपने ज्ञान के लिए प्रसिद्ध था?
कौन सा विचारक उपनिषदों में उल्लेखित है और अपने ज्ञान के लिए प्रसिद्ध था?
अश्रम प्रणाली का मुख्य उद्देश्य क्या है?
अश्रम प्रणाली का मुख्य उद्देश्य क्या है?
पाणिनि ने किस भाषा के लिए व्याकरण तैयार किया?
पाणिनि ने किस भाषा के लिए व्याकरण तैयार किया?
संग का सदस्य कौन हो सकता है?
संग का सदस्य कौन हो सकता है?
अहिंसा का क्या मतलब है?
अहिंसा का क्या मतलब है?
विहारों का निर्माण किस प्रकार की सामग्री से हुआ?
विहारों का निर्माण किस प्रकार की सामग्री से हुआ?
उपनिषदों में विचारों की खोज का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उपनिषदों में विचारों की खोज का मुख्य उद्देश्य क्या था?
सिद्धार्थ गौतम को बुद्ध बनने के लिए किस प्रकार की साधना करने की आवश्यकता थी?
सिद्धार्थ गौतम को बुद्ध बनने के लिए किस प्रकार की साधना करने की आवश्यकता थी?
बुद्ध की उपदेश देने की प्राथमिक भाषा कौन सी थी?
बुद्ध की उपदेश देने की प्राथमिक भाषा कौन सी थी?
महाayan बौद्ध धर्म में कौन सा नए पूजन के रूपांतरण का विकास हुआ?
महाayan बौद्ध धर्म में कौन सा नए पूजन के रूपांतरण का विकास हुआ?
किस प्रक्रिया के माध्यम से बौद्ध धर्म को व्यापक रूप से फैलाने में मदद मिली?
किस प्रक्रिया के माध्यम से बौद्ध धर्म को व्यापक रूप से फैलाने में मदद मिली?
कौन सा सिद्धांत बुद्ध के शिक्षाओं में परिलक्षित नहीं है?
कौन सा सिद्धांत बुद्ध के शिक्षाओं में परिलक्षित नहीं है?
बौद्ध धर्म में 'तन्हा' का क्या अर्थ है?
बौद्ध धर्म में 'तन्हा' का क्या अर्थ है?
कौन सा बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था जो विद्वानों को आकर्षित करता था?
कौन सा बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था जो विद्वानों को आकर्षित करता था?
सिद्धार्थ गौतम ने अपने जीवन में कितनी महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन देखे?
सिद्धार्थ गौतम ने अपने जीवन में कितनी महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन देखे?
किस बौद्ध धर्म के स्कूल ने दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी लोकप्रियता बनाए रखी?
किस बौद्ध धर्म के स्कूल ने दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी लोकप्रियता बनाए रखी?
किसागोमती की कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
किसागोमती की कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
महावीर की शिक्षाओं में से कौन सा सिद्धांत प्रमुख नहीं है?
महावीर की शिक्षाओं में से कौन सा सिद्धांत प्रमुख नहीं है?
महावीर ने कितने वर्षों की तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त किया?
महावीर ने कितने वर्षों की तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त किया?
जैन धर्म का सिद्धांत किस भाषा में प्रस्तुत किया गया?
जैन धर्म का सिद्धांत किस भाषा में प्रस्तुत किया गया?
बौद्ध और जैन संप्रदाय के लिए 'संग' का क्या महत्व है?
बौद्ध और जैन संप्रदाय के लिए 'संग' का क्या महत्व है?
विनय पीटिका में क्या शामिल होता है?
विनय पीटिका में क्या शामिल होता है?
जैन धर्म का विस्तार मुख्यतः किस वर्ग के समर्थन से हुआ?
जैन धर्म का विस्तार मुख्यतः किस वर्ग के समर्थन से हुआ?
किस सिद्धांत को जैन धर्म में सख्ती से पालन किया जाता है?
किस सिद्धांत को जैन धर्म में सख्ती से पालन किया जाता है?
महावीर का जन्म किस परिवार में हुआ था?
महावीर का जन्म किस परिवार में हुआ था?
विहारों की स्थापना के दौरान किन सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया था?
विहारों की स्थापना के दौरान किन सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया था?
उपनिषदों में आत्मा और ब्रह्म के बीच संबंध के बारे में क्या बताया गया है?
उपनिषदों में आत्मा और ब्रह्म के बीच संबंध के बारे में क्या बताया गया है?
किस Ashrama को दीक्षित जीवन के रूप में जाना जाता है?
किस Ashrama को दीक्षित जीवन के रूप में जाना जाता है?
आचार्य पाणिनि द्वारा तैयार की गई व्याकरण किस भाषा के लिए है?
आचार्य पाणिनि द्वारा तैयार की गई व्याकरण किस भाषा के लिए है?
कौन सा सिद्धांत संग की खुली प्रकृति के विपरीत है?
कौन सा सिद्धांत संग की खुली प्रकृति के विपरीत है?
उपनिषदों के समय के विचारकों में से किसको उनके ज्ञान के लिए जाना जाता है?
उपनिषदों के समय के विचारकों में से किसको उनके ज्ञान के लिए जाना जाता है?
अश्रम प्रणाली का मुख्य सिद्धांत क्या है?
अश्रम प्रणाली का मुख्य सिद्धांत क्या है?
उपनिषदों के विचारों के प्रमुख संकेत किस क्षेत्र में देखने को मिलते हैं?
उपनिषदों के विचारों के प्रमुख संकेत किस क्षेत्र में देखने को मिलते हैं?
कौन सा शब्द 'इच्छाओं या लालसाओं' का संकेत करता है?
कौन सा शब्द 'इच्छाओं या लालसाओं' का संकेत करता है?
किस वर्ग के लिए अश्रम प्रणाली विशेष रूप से निर्धारित की गई थी?
किस वर्ग के लिए अश्रम प्रणाली विशेष रूप से निर्धारित की गई थी?
किसागोमती की कहानी से हमें कौन-सा मुख्य सिद्धांत समझ में आता है?
किसागोमती की कहानी से हमें कौन-सा मुख्य सिद्धांत समझ में आता है?
महावीर की शिक्षाओं में 'सत्य' का क्या महत्व है?
महावीर की शिक्षाओं में 'सत्य' का क्या महत्व है?
सिद्धार्थ गौतम के बौद्ध धर्म में 'तन्हा' का क्या अर्थ है?
सिद्धार्थ गौतम के बौद्ध धर्म में 'तन्हा' का क्या अर्थ है?
जैन धर्म में अहिंसा का पालन कैसे किया जाता है?
जैन धर्म में अहिंसा का पालन कैसे किया जाता है?
Mahayana बौद्ध धर्म के विकास में कौन-सी विशेषता नहीं रही?
Mahayana बौद्ध धर्म के विकास में कौन-सी विशेषता नहीं रही?
महावीर ने कितने वर्षों की तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त किया?
महावीर ने कितने वर्षों की तपस्या के बाद ज्ञान प्राप्त किया?
किस विचारशीलता ने बुद्ध को अपनी शिक्षाओं को प्राकृत में व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया?
किस विचारशीलता ने बुद्ध को अपनी शिक्षाओं को प्राकृत में व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया?
महावीर का जन्म किस परिवार में हुआ था?
महावीर का जन्म किस परिवार में हुआ था?
कोन से कारण से बौद्ध धर्म का प्रसार अधिक प्रभावी रूप से हुआ?
कोन से कारण से बौद्ध धर्म का प्रसार अधिक प्रभावी रूप से हुआ?
कौन-सा सिद्धांत बुद्ध के शिक्षाओं का एक अभिन्न हिस्सा नहीं है?
कौन-सा सिद्धांत बुद्ध के शिक्षाओं का एक अभिन्न हिस्सा नहीं है?
संग का सदस्य बनने के लिए क्या आवश्यक है?
संग का सदस्य बनने के लिए क्या आवश्यक है?
बुद्ध ने किन शिक्षाओं के माध्यम से मानवता को दुःख से मुक्ति का मार्ग बताया?
बुद्ध ने किन शिक्षाओं के माध्यम से मानवता को दुःख से मुक्ति का मार्ग बताया?
बौद्ध धर्म में मठ जीवन का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
बौद्ध धर्म में मठ जीवन का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
जैन धर्म का विस्तार किस वर्ग के समर्थन से मुख्यतः हुआ?
जैन धर्म का विस्तार किस वर्ग के समर्थन से मुख्यतः हुआ?
बौद्ध धर्म में 'अहिंसा' की अवधारणा का क्या महत्व है?
बौद्ध धर्म में 'अहिंसा' की अवधारणा का क्या महत्व है?
विहारों का निर्माण किस सामग्री से प्रारंभ हुआ था?
विहारों का निर्माण किस सामग्री से प्रारंभ हुआ था?
उपनिषदों में अन्न की आवश्यकता के प्रति किस दृष्टिकोण को प्रतिपादित किया गया है?
उपनिषदों में अन्न की आवश्यकता के प्रति किस दृष्टिकोण को प्रतिपादित किया गया है?
अश्रम प्रणाली में 'गृहस्थ' का क्या अर्थ है?
अश्रम प्रणाली में 'गृहस्थ' का क्या अर्थ है?
पाणिनि ने किस प्रकार की व्याकरणीय संरचना विकसित की?
पाणिनि ने किस प्रकार की व्याकरणीय संरचना विकसित की?
कौन-सा व्यक्ति भारतीय बौद्ध स्थलों का दौरा करने वाले प्रसिद्ध तीर्थयात्रियों में से एक नहीं था?
कौन-सा व्यक्ति भारतीय बौद्ध स्थलों का दौरा करने वाले प्रसिद्ध तीर्थयात्रियों में से एक नहीं था?
उपनिषदों में 'आत्मा' और 'ब्रह्म' के बीच संबंध को क्या दर्शाया गया है?
उपनिषदों में 'आत्मा' और 'ब्रह्म' के बीच संबंध को क्या दर्शाया गया है?
बौद्ध धर्म में दुख और इच्छाओं के संबंध में बुद्ध का मुख्य विचार क्या था?
बौद्ध धर्म में दुख और इच्छाओं के संबंध में बुद्ध का मुख्य विचार क्या था?
आध्यात्मिक विकास के लिए 'तन्हा' का क्या महत्व है?
आध्यात्मिक विकास के लिए 'तन्हा' का क्या महत्व है?
संग के सदस्यता की विशेषता क्या है?
संग के सदस्यता की विशेषता क्या है?
Study Notes
बौद्ध धर्म
- बुद्ध, सिद्धार्थ गौतम, लगभग 2500 साल पहले शाक्य गण नामक एक छोटे से गण में पैदा हुए थे, और वे क्षत्रिय थे।
- महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन के दौर में, वे ज्ञान की तलाश में अपने आरामदायक घर को छोड़ गए।
- बिहार के बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे वर्षों तक भटकने और ध्यान करने के बाद, उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया और बुद्ध, या बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में जाने जाने लगे।
- फिर उन्होंने वाराणसी के पास सारनाथ में अपने पहले उपदेश के साथ अपनी प्राप्ति के मार्ग को सिखाया और लोगों को सिखाने के लिए यात्रा की।
- उन्होंने कुशीनगर में अपनी मृत्यु तक अपने उपदेश जारी रखे।
बुद्ध के मुख्य शिक्षाएँ
- बुद्ध की शिक्षाएँ, मानवीय दुख को समझने और कम करने पर केंद्रित थीं, कई मूल सिद्धांतों पर जोर देती थीं:
- दुख और इच्छा: जीवन में लालसा और इच्छाओं के कारण दुख और दुख होता है, जिसे बुद्ध ने 'तन्हा' कहा है। जीवन के सभी पहलुओं में संयम का अभ्यास करके इस दुख को कम किया जा सकता है।
- दया और कर्म: उन्होंने सभी जीवित प्राणियों, जानवरों सहित, के प्रति दया और सम्मान की वकालत की। कर्म की अवधारणा उनकी शिक्षाओं के लिए केंद्रीय थी; कर्म (अच्छे या बुरे) का इस जीवन और अगले जीवन में परिणाम होता है।
- भाषा और विचार: बुद्ध ने प्राकृत भाषा में उपदेश दिया, जो आम लोगों की भाषा थी, जिससे उनकी शिक्षाएं सभी के लिए सुलभ हो गईं। उन्होंने व्यक्तियों को स्वयं सोचने के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी शिक्षाओं को आँख बंद करके स्वीकार न करें।
बौद्ध धर्म का प्रसार
- बौद्ध धर्म अपनी अनुकूलनीय शिक्षाओं और धम्म सिखाने के लिए यात्रा करने वाले भिक्षुओं और नन के प्रयासों के कारण पूरे एशिया में व्यापक रूप से फैल गया।
- इस प्रसार ने बौद्ध धर्म के विभिन्न स्कूलों के विकास को जन्म दिया, जैसे कि महायान और थेरवाद।
- महायान बौद्ध धर्म: बुद्ध की मूर्तियों के निर्माण और बोधिसत्वों की पूजा सहित पूजा के नए रूप विकसित किए।
- थेरवाद बौद्ध धर्म: श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड सहित दक्षिण पूर्व एशिया में लोकप्रिय रहा।
- फा हियान (1600 साल पहले), हुआन ज़ांग (1400 साल पहले), और ई-किंग (1350 साल पहले) जैसे उल्लेखनीय तीर्थयात्री भारत में बौद्ध स्थलों पर गए।
- नालंदा: एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ, सीखने का एक प्रमुख केंद्र था, जो पूरे एशिया के विद्वानों को आकर्षित करता था।
किसगोतमी की कहानी
- यह कहानी दुख की सार्वभौमिकता पर बुद्ध की शिक्षा को दर्शाती है: - किसगोतमी, अपने बेटे की मृत्यु का शोक मनाते हुए, बुद्ध से मदद मांगने गई। - बुद्ध ने उसे उस घर से एक मुट्ठी सरसों के बीज खोजने का निर्देश दिया जहां मौत नहीं हुई हो. - किसगोतमी ने पाया कि हर घर ने मौत का सामना किया था, जिससे उसे सिखाया गया कि दुख एक सामान्य मानवीय अनुभव है।
जैन धर्म
- जैन धर्म, एक प्राचीन भारतीय धर्म, अहिंसा और सत्य पर जोर देता है।
- इसकी स्थापना वर्धमान महावीर ने की थी, जो 24 वें तीर्थंकर थे, जिन्होंने 12 साल के तपस्या जीवन के बाद ज्ञान प्राप्त किया।
- महावीर की शिक्षाएँ सरल और ईमानदार जीवन जीने, ब्रह्मचर्य का अभ्यास करने और कठोर अहिंसा का पालन करने पर केंद्रित हैं।
वर्धमान महावीर
- वर्धमान महावीर, जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर, लगभग 2500 साल पहले लिच्छवियों के क्षत्रिय परिवार में पैदा हुए थे।
- तीस साल की उम्र में, उन्होंने अपने विलासितापूर्ण जीवन को त्याग दिया और बारह साल की तपस्या करने के बाद ज्ञान प्राप्त किया।
- उनकी शिक्षाओं में जोर दिया गया:
- अहिंसा: सभी जीवित प्राणियों के प्रति अहिंसा।
- सादगी और ईमानदारी: अनुयायियों को सरल जीवन जीना, ईमानदारी का अभ्यास करना और ब्रह्मचर्य का पालन करना था।
- भाषा: शिक्षाएँ प्राकृत भाषा में थीं, जिससे वे आम लोगों के लिए सुलभ हो गईं।
जैन धर्म का प्रसार
- जैन धर्म मुख्य रूप से व्यापारियों के समर्थन से फैला और अपने कठोर अहिंसा सिद्धांतों के कारण किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण था।
- शिक्षाएँ मौखिक रूप से प्रसारित की गईं और लगभग 1500 साल पहले गुजरात के वल्लभी में लिखी गईं।
बौद्ध और जैन मठवासी जीवन
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए मठवासी जीवन पर जोर देते हैं।
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म में मठवासी समुदाय, जिन्हें संघ के रूप में जाना जाता है, उन लोगों के लिए स्थापित किए गए थे जिन्होंने सांसारिक जीवन को त्याग दिया था।
- ये समुदाय सख्त नियमों का पालन करते थे और ध्यान और शिक्षण के लिए समर्पित सरल जीवन जीते थे।
संघ
- बुद्ध और महावीर दोनों ने उन लोगों के लिए मठवासी समुदाय स्थापित किए जिन्होंने सांसारिक जीवन को त्याग दिया था:
- नियम और समुदाय: विनय पिटक: बौद्ध संघ के नियमों को शामिल करता है।
- सदस्यता: पुरुषों और महिलाओं के लिए खुला है, बच्चों, दासों और राजा की सेवा करने वालों के लिए विशिष्ट अनुमतियों की आवश्यकता है।
- मठवासी जीवन: भिक्षुओं (भिक्षुओं) और नन (भिक्षुणियों) ने सरल जीवन व्यतीत किया, ध्यान किया और दूसरों को सिखाया। वे अपने निर्वाह के लिए भिक्षा पर निर्भर थे और विवादों का समाधान करने के लिए नियमित बैठकें आयोजित करते थे।
विहार
- स्थायी आश्रय:
- शुरू में, भिक्षु और नन वर्षाकाल के दौरान अस्थायी आश्रयों या प्राकृतिक गुफाओं में रहते थे।
- समय के साथ, स्थायी मठ, जिन्हें विहार के रूप में जाना जाता है, लकड़ी से और बाद में ईंटों से बनाए गए थे।
- कुछ को पहाड़ियों में उकेरा गया था, खासकर पश्चिमी भारत में।
- विहारों में जीवन:
- ये सीखने और ध्यान के केंद्र थे, जिन्हें समुदाय के दान से समर्थन प्राप्त था।
उपनिषद
- उसी अवधि के आसपास, विचारक जीवन, मृत्यु और ब्रह्मांड के बारे में गहन दार्शनिक प्रश्नों का पता लगा रहे थे।
- उनके विचारों को उपनिषदों में दर्ज किया गया, जो बाद में वैदिक ग्रंथ थे।
- प्रमुख अवधारणाओं में शामिल थे:
- आत्मा और ब्रह्म:
- आत्मा: व्यक्तिगत आत्मा।
- ब्रह्म: सर्वव्यापी आत्मा।
- उपनिषदों ने प्रस्तावित किया कि आत्मा और ब्रह्म अंततः एक हैं।
- आत्मा और ब्रह्म:
- उल्लेखनीय विचारक:
- गार्गी, अपाला, घोषा और मैत्रेयी जैसे विचारक अपने सीखने के लिए प्रसिद्ध थे और दार्शनिक बहसों में भाग लेते थे।
जीवन के चरण: आश्रम
- हिंदू धर्म में आश्रम प्रणाली जीवन के चार चरणों को रेखांकित करती है जिनसे व्यक्तियों को आदर्श रूप से गुजरना चाहिए।
- ये चरण व्यक्तियों को उनके कर्तव्यों को पूरा करने और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने में मार्गदर्शन करते हैं।
- चार आश्रम:
- ब्रह्मचर्य (छात्र जीवन): वेदों का अध्ययन करना और अनुशासित जीवन जीना।
- गृहस्थ (गृहस्थ जीवन): विवाह करना और परिवार पालना।
- वानप्रस्था (सन्यासी जीवन): ध्यान के लिए जंगल में सेवानिवृत्त होना।
- संन्यास (त्याग): सांसारिक संपत्ति का त्याग करना और तपस्वी बनना।
- संघ के साथ तुलना:
- आश्रम प्रणाली विशेष रूप से ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों के लिए थी, जबकि संघ सभी के लिए खुला था, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
पाणिनी, व्याकरणज्ञ
- यह भी समय था जब अन्य विद्वान कार्यरत थे।
- सबसे प्रसिद्ध में से एक पाणिनी थे, जिन्होंने संस्कृत के लिए एक व्याकरण तैयार किया था।
- उन्होंने स्वरों और व्यंजनों को एक विशेष क्रम में व्यवस्थित किया, और फिर उनका उपयोग बीजगणित में पाए जाने वाले सूत्रों जैसे सूत्र बनाने के लिए किया।
- उन्होंने इनका उपयोग भाषा के नियमों को लघु सूत्रों (लगभग 3000) में लिखने के लिए किया!
मुख्य शब्द
- तन्हा: लालसा या इच्छाएँ।
- प्राकृत: बुद्ध और महावीर द्वारा उपयोग की जाने वाली भाषा।
- उपनिषद: दार्शनिक ग्रंथ।
- आत्मा: व्यक्तिगत आत्मा।
- ब्रह्म: सर्वव्यापी आत्मा।
- अहिंसा: अहिंसा।
- संघ: मठवासी समुदाय।
- भिक्षु/भिक्षुणी: बौद्ध भिक्षु/नन।
- विहार: मठ।
- आश्रम: जीवन का चरण।
बौद्ध धर्म
- बुद्ध, सिद्धार्थ गौतम, लगभग 2500 साल पहले शाक्य गण नामक एक छोटे से गण में पैदा हुए थे, और वे क्षत्रिय थे।
- समाज में बड़े बदलावों के समय, उन्होंने ज्ञान की खोज में अपने आरामदायक घर को छोड़ दिया।
- बौद्धगया, बिहार में एक पीपल वृक्ष के नीचे वर्षों तक भटकने और ध्यान करने के बाद, उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया और बुद्ध के रूप में जाने गए, या विद्वान।
- उन्होंने फिर सारनाथ में, वाराणसी के पास अपनी पहली शिक्षा के साथ, अपना मार्ग सिखाया।
- उन्होंने कुशीनारा में अपनी मृत्यु तक शिक्षा देते रहे।
बुद्ध की मुख्य शिक्षाएँ
- बुद्ध की शिक्षाएँ, मानवीय पीड़ा को समझने और कम करने पर केंद्रित थीं, उन्होंने कई मूल सिद्धांतों पर बल दिया:
- दुख और इच्छा: बुद्ध द्वारा 'तन्हा' कही जाने वाली लालसा और इच्छाओं के कारण जीवन दुख और दुख से भरा होता है। इस दुख को जीवन के सभी पहलुओं में संयम का अभ्यास करके कम किया जा सकता है।
- दया और कर्म: उन्होंने सभी जीवित प्राणियों, जानवरों सहित, के प्रति दया और सम्मान की वकालत की। कर्म की अवधारणा उनके उपदेशों के केंद्र में थी; क्रियाओं (अच्छे या बुरे) के इस जीवन और अगले जीवन में परिणाम होते हैं।
- भाषा और विचार: बुद्ध ने प्राकृत में शिक्षा दी, जो आम लोगों की भाषा थी, जिससे उनकी शिक्षाएँ सभी के लिए सुलभ हो गयीं। उन्होंने व्यक्तियों को खुद के लिए सोचने और उनकी शिक्षाओं को आँख बंद करके स्वीकार न करने के लिए प्रोत्साहित किया।
बौद्ध धर्म का प्रसार
- बौद्ध धर्म अपने अनुकूल शिक्षाओं और धम्म सिखाने के लिए यात्रा करने वाले भिक्षुओं और भिक्षुणियों के प्रयासों के कारण पूरे एशिया में व्यापक रूप से फैल गया। इस प्रसार ने महायान और थेरवाद जैसी विभिन्न बौद्ध धाराओं के विकास को जन्म दिया।
- महायान बौद्ध धर्म: इसने बुद्ध की मूर्तियों के निर्माण और बोधिसत्वों की पूजा सहित पूजा के नए रूप विकसित किए।
- थेरावाद बौद्ध धर्म: यह दक्षिण पूर्व एशिया में, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड सहित, लोकप्रिय रहा।
- तीर्थयात्री और मठ: फ़ा हियान (1600 साल पहले), ज़ुआन ज़ांग (1400 साल पहले) और आई-किंग (1350 साल पहले) जैसे उल्लेखनीय तीर्थयात्री भारत में बौद्ध स्थलों पर गए। नालंदा: एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ, सीखने का एक प्रमुख केंद्र था, जो पूरे एशिया के विद्वानों को आकर्षित करता था।
किसागोतामी की कहानी
- यह कहानी दुख की सार्वभौमिकता पर बुद्ध की शिक्षा को दर्शाती है:
- किसागोतामी, अपने बेटे की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए, मदद के लिए बुद्ध के पास गईं। बुद्ध ने उन्हें उस घर से मुट्ठी भर सरसों के बीज खोजने का निर्देश दिया जहाँ मृत्यु का अनुभव न हुआ हो। किसागोतामी ने पाया कि हर घर में मृत्यु का सामना करना पड़ा था, जिससे उन्हें पता चला कि दुख एक सामान्य मानवीय अनुभव है।
जैन धर्म
- जैन धर्म, एक प्राचीन भारतीय धर्म, अहिंसा और सत्य पर जोर देता है। इसकी स्थापना वर्धमान महावीर, 24वें तीर्थंकर ने की थी, जिन्होंने 12 साल के तपस्या जीवन के बाद ज्ञान प्राप्त किया था। महावीर के उपदेश सरल और ईमानदार जीवन जीने, ब्रह्मचर्य का पालन करने और सख्त अहिंसा का पालन करने पर केंद्रित हैं।
वर्धमान महावीर
- जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर वर्धमान महावीर का जन्म लगभग 2500 साल पहले लिच्छवियों के क्षत्रिय परिवार में हुआ था। तीस साल की उम्र में, उन्होंने अपनी विलासितापूर्ण जीवन शैली का त्याग कर दिया और बारह साल के तपस्या जीवन के बाद ज्ञान प्राप्त किया। उनकी शिक्षाओं पर जोर दिया गया:
- मुख्य सिद्धांत:
- अहिंसा: सभी जीवित प्राणियों के प्रति अहिंसा।
- सरलता और ईमानदारी: अनुयायियों को सरल जीवन जीना था, ईमानदारी का अभ्यास करना था और ब्रह्मचर्य का पालन करना था।
- भाषा: शिक्षाएँ प्राकृत में थीं, जिससे वे आम लोगों के लिए सुलभ हो गईं।
- जैन धर्म का प्रसार: जैन धर्म मुख्य रूप से व्यापारियों के समर्थन से फैला और किसानों के लिए इसका सख्त अहिंसा सिद्धांत चुनौतीपूर्ण था। शिक्षाएँ मौखिक रूप से प्रसारित की गई थीं और लगभग 1500 साल पहले गुजरात के वाल्भी में लिखी गई थीं।
- मुख्य सिद्धांत:
बौद्ध और जैन मठवासी जीवन
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए मठवासी जीवन पर जोर देते हैं। जिन लोगों ने सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया था, उनके लिए मठवासी समुदाय, जिसे बौद्ध धर्म में संघ और जैन धर्म में संघ के रूप में जाना जाता है, स्थापित किए गए थे। ये समुदाय सख्त नियमों का पालन करते थे और ध्यान और शिक्षण के लिए समर्पित सरल जीवन जीते थे।
संघ
- बुद्ध और महावीर दोनों ने उन लोगों के लिए मठवासी समुदाय स्थापित किए जिन्होंने सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया था:
- नियम और समुदाय:
- विनाय पीटक: बौद्ध संघ के लिए नियम शामिल हैं।
- सदस्यता: पुरुषों और महिलाओं के लिए खुला, बच्चों, दासों और राजा की सेवा करने वालों के लिए विशिष्ट अनुमतियों की आवश्यकता होती है।
- मठवासी जीवन: भिक्षु (भिक्षु) और भिक्षुणियाँ (भिक्षुणी) सरल जीवन जीते थे, ध्यान करते थे और दूसरों को शिक्षा देते थे। वे जीविका के लिए भिक्षा पर निर्भर थे और विवादों का समाधान करने के लिए नियमित बैठकें करते थे।
- नियम और समुदाय:
विहार
- स्थायी आश्रय: प्रारंभ में, भिक्षु और भिक्षुणियाँ बरसात के मौसम में अस्थायी आश्रयों या प्राकृतिक गुफाओं में रहते थे। समय के साथ, स्थायी मठ, जिन्हें विहार के रूप में जाना जाता है, लकड़ी से और बाद में ईंट से बनाए गए थे। कुछ, विशेष रूप से पश्चिमी भारत में, पहाड़ियों में उकेरे गए थे।
- विहारों में जीवन: ये सीखने और ध्यान के केंद्र थे, जो समुदाय से दान द्वारा समर्थित थे।
उपनिषद
- इसी अवधि के आसपास, विचारक जीवन, मृत्यु और ब्रह्मांड के बारे में गहन दार्शनिक प्रश्नों की पड़ताल कर रहे थे। उनके विचारों को उपनिषदों में दर्ज किया गया था, बाद में वैदिक ग्रंथ। मुख्य अवधारणाओं में शामिल थे:
- आत्मा और ब्रह्म:
- आत्मा: व्यक्तिगत आत्मा।
- ब्रह्म: सर्वव्यापी आत्मा।
- उपनिषदों ने प्रस्तावित किया कि आत्मा और ब्रह्म अंततः एक हैं।
- उल्लेखनीय विचारक: गार्गी, अपाला, घोषा और मैत्रेयी जैसे विचारक अपने सीखने के लिए प्रसिद्ध थे और दार्शनिक बहसों में भाग लेते थे.
- आत्मा और ब्रह्म:
जीवन के चरण: आश्रम
- हिंदू धर्म में आश्रम प्रणाली जीवन के चार चरणों की रूपरेखा तैयार करती है, जिनसे व्यक्तियों को आदर्श रूप से गुजरना चाहिए। ये चरण व्यक्तियों को उनके कर्तव्यों को निभाने और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने में मार्गदर्शन करते हैं।
- चार आश्रम:
- ब्रह्मचर्य (छात्र जीवन): वेदों का अध्ययन करना और अनुशासित जीवन व्यतीत करना।
- गृहस्थ (गृहस्थ जीवन): विवाह करना और परिवार का पालन-पोषण करना।
- वनप्रस्थ (सन्यासी जीवन): ध्यान के लिए वन में सेवानिवृत्त होना।
- सन्यास (त्याग): सांसारिक संपत्ति का त्याग करना और तपस्वी बनना।
- संघ के साथ तुलना: आश्रम प्रणाली विशेष रूप से ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों के लिए थी, जबकि संघ सामाजिक स्थिति के बावजूद सभी के लिए खुला था।
- चार आश्रम:
पाणिनि, व्याकरणज्ञ
- यह भी वह समय था जब अन्य विद्वान काम कर रहे थे। सबसे प्रसिद्ध में से एक पाणिनि थे, जिन्होंने संस्कृत के लिए एक व्याकरण तैयार किया था। उन्होंने स्वरों और व्यंजनों को एक विशेष क्रम में व्यवस्थित किया, और फिर इनका उपयोग बीजगणित में पाई जाने वाली सूत्रों जैसी सूत्रों को बनाने के लिए किया। उन्होंने इनका उपयोग भाषा के नियमों को छोटे सूत्रों (लगभग 3000 में!) में लिखने के लिए किया।
प्रमुख शब्द
- तन्हा: लालसा या इच्छाएँ।
- प्राकृत: बुद्ध और महावीर द्वारा प्रयुक्त भाषा।
- उपनिषद: दार्शनिक ग्रंथ।
- आत्मा: व्यक्तिगत आत्मा।
- ब्रह्म: सर्वव्यापी आत्मा.
- अहिंसा: अहिंसा.
- संघ: मठवासी समुदाय।
- भिक्षु/भिक्षुणी: बौद्ध भिक्षु/भिक्षुणियाँ।
- विहार: मठ।
- आश्रम: जीवन का चरण।
बौद्ध धर्म
- बुद्ध का जीवन:
- सिद्धार्थ गौतम, जिन्हें बुद्ध के नाम से जाना जाता है, लगभग 2500 साल पहले शाक्य गण के एक छोटे से गण में पैदा हुए थे.
- वे क्षत्रिय थे.
- समाज में बड़े बदलावों के समय, उन्होंने ज्ञान की तलाश में अपना सुखद घर छोड़ दिया.
- बिहार के बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे वर्षों तक भटकने और ध्यान करने के बाद, उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और वे बुद्ध, या ज्ञानी व्यक्ति के रूप में जाने गए.
- उन्होंने सारनाथ (वाराणसी के पास) में अपने पहले उपदेश के साथ यात्रा करके अपने ज्ञान का प्रचार किया.
- उन्होंने कुशीनारा में अपनी मृत्यु तक अपना उपदेश जारी रखा.
- बुद्ध के प्रमुख उपदेश:
- मानव दुखों को समझने और कम करने पर केंद्रित थे.
- कई मूल सिद्धांतों पर ज़ोर देते हैं.
- दुख और इच्छा:
- जीवन दुख और दुख से भरा हुआ है क्योंकि इच्छाओं और लालसाओं (जिन्हें बुद्ध ने 'तन्हा' कहा है) के कारण.
- जीवन के सभी पहलुओं में मध्यमता का अभ्यास करके इस दुख को कम किया जा सकता है.
- दया और कर्म:
- उन्होंने सभी जीवित प्राणियों, जानवरों सहित, के प्रति दया और सम्मान का प्रचार किया.
- कर्म की अवधारणा उनकी शिक्षाओं का केंद्र थी; कार्यों (अच्छे या बुरे) का इस जीवन और अगले जीवन में परिणाम होता है.
- भाषा और विचार:
- बुद्ध ने आम लोगों की भाषा प्रकृत में उपदेश दिया, जिससे उनकी शिक्षाएँ सभी के लिए सुलभ हो गईं.
- उन्होंने व्यक्तियों को अपने लिए सोचने और उनकी शिक्षाओं को आँख बंद करके स्वीकार नहीं करने के लिए प्रोत्साहित किया.
- बौद्ध धर्म का प्रसार:
- बौद्ध धर्म अपने अनुकूलनीय उपदेशों और धम्मा सिखाने के लिए यात्रा करने वाले भिक्षुओं और भिक्षुणियों के प्रयासों के कारण पूरे एशिया में फैल गया.
- इस प्रसार से महायान और थेरवाद जैसे विभिन्न बौद्ध धर्म के स्कूलों का विकास हुआ.
- महायान बौद्ध धर्म:
- बुद्ध की मूर्तियों के निर्माण और बोधिसत्वों की पूजा सहित उपासना के नए रूप विकसित किए.
- थेरवाद बौद्ध धर्म:
- श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड जैसे दक्षिण पूर्व एशिया में लोकप्रिय बना रहा.
- तीर्थयात्री और मठ:
- फा सिएन (1600 साल पहले), जुआनजांग (1400 साल पहले), और ई-किंग (1350 साल पहले) जैसे उल्लेखनीय तीर्थयात्रियों ने भारत के बौद्ध स्थलों का दौरा किया.
- नालंदा: एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ, सीखने का एक प्रमुख केंद्र था, जो पूरे एशिया से विद्वानों को आकर्षित करता था.
किसागोतमी की कहानी
- इस कहानी में दुख की सार्वभौमिकता के बारे में बुद्ध की शिक्षा को दिखाया गया है.
- किसागोतमी, अपने बेटे की मृत्यु पर शोक व्यक्त करती हुई, मदद के लिए बुद्ध के पास गई.
- बुद्ध ने उसे एक ऐसे घर से मुट्ठी भर सरसों के बीज लाने का निर्देश दिया जहाँ कभी मृत्यु नहीं हुई हो.
- किसागोतमी ने पाया कि हर घर में मृत्यु का सामना करना पड़ा है, जिससे उसे सिखाया गया कि दुख एक सामान्य मानवीय अनुभव है.
जैन धर्म
- जैन धर्म, एक प्राचीन भारतीय धर्म, अहिंसा और सत्य पर ज़ोर देता है.
- इसकी स्थापना वर्धमान महावीर ने की थी, जो 24वां तीर्थंकर थे, जिन्होंने 12 साल के तपस्या जीवन के बाद ज्ञान प्राप्त किया.
- महावीर की शिक्षाएँ सरल और ईमानदार जीवन जीने, ब्रह्मचर्य का पालन करने और सख्त अहिंसा का पालन करने पर केंद्रित हैं.
- वर्धमान महावीर:
- जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर वर्धमान महावीर का जन्म लगभग 2500 साल पहले लिच्छवियों के क्षत्रिय परिवार में हुआ था.
- तीस साल की उम्र में, उन्होंने अपने विलासितापूर्ण जीवन का त्याग कर दिया और बारह साल की तपस्या करने के बाद ज्ञान प्राप्त किया.
- उनकी शिक्षाओं में ज़ोर दिया गया:
- मुख्य सिद्धांत:
- अहिंसा: सभी जीवित प्राणियों के प्रति अहिंसा.
- सरलता और ईमानदारी:
- अनुयायियों को सरल जीवन जीना पड़ता था, ईमानदारी का पालन करना पड़ता था, और ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता था.
- भाषा:
- शिक्षाएँ प्रकृत में थीं, जिससे वे आम लोगों के लिए सुलभ हो गईं.
- मुख्य सिद्धांत:
- जैन धर्म का प्रसार:
- जैन धर्म मुख्य रूप से व्यापारियों के समर्थन के माध्यम से फैला और अपने सख्त अहिंसा सिद्धांतों के कारण किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण था.
- शिक्षाओं को मौखिक रूप से प्रसारित किया गया और लगभग 1500 साल पहले गुजरात के वालाभी में लिखा गया.
बौद्ध और जैन मठवासी जीवन
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए मठवासी जीवन पर जोर देते हैं.
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म में सांघा के रूप में जाने जाने वाले मठवासी समुदाय, उन लोगों के लिए स्थापित किए गए थे जिन्होंने सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया था.
- ये समुदाय सख्त नियमों का पालन करते थे और ध्यान और शिक्षा को समर्पित सरल जीवन जीते थे.
सांघा
- बुद्ध और महावीर दोनों ने उन लोगों के लिए मठवासी समुदाय स्थापित किए जिन्होंने सांसारिक जीवन का त्याग कर दिया था:
- नियम और समुदाय:
- विनय पिटक: बौद्ध सांघा के नियम शामिल हैं.
- सदस्यता:
- पुरुषों और महिलाओं के लिए खुला, बच्चों, दासों और राजा की सेवा करने वालों के लिए विशिष्ट अनुमतियों की आवश्यकता होती है.
- मठवासी जीवन:
- भिक्षुओं (भिक्षुओं) और भिक्षुणियों (भिक्षुणियों) ने सरल जीवन व्यतीत किया, ध्यान किया, और दूसरों को सिखाया.
- वे जीविका के लिए भिक्षा पर निर्भर थे और विवादों को हल करने के लिए नियमित बैठकें करते थे.
- नियम और समुदाय:
विहार
- स्थायी आश्रय:
- प्रारंभ में, भिक्षु और भिक्षुणियाँ बारिश के मौसम में अस्थायी आश्रयों या प्राकृतिक गुफाओं में रहते थे.
- समय के साथ, स्थायी मठ, जिन्हें विहार के रूप में जाना जाता है, लकड़ी से बनाए गए थे और बाद में ईंटों से बनाए गए थे.
- कुछ पश्चिमी भारत में विशेष रूप से पहाड़ियों में उकेरे गए थे.
- विहारों में जीवन:
- ये सीखने और ध्यान के केंद्र थे, जो समुदाय से दान द्वारा समर्थित थे.
उपनिषद
- इसी अवधि के आसपास, विचारक जीवन, मृत्यु और ब्रह्मांड के बारे में गहरे दार्शनिक प्रश्नों की खोज कर रहे थे.
- उनके विचारों को उपनिषदों में रिकॉर्ड किया गया था, बाद में वैदिक ग्रंथों में.
- प्रमुख अवधारणाओं में शामिल थे:
- आत्मा और ब्रह्म:
- आत्मा: व्यक्तिगत आत्मा.
- ब्रह्म: सार्वभौमिक आत्मा.
- उपनिषदों ने प्रस्तावित किया कि आत्मा और ब्रह्म अंततः एक हैं.
- उल्लेखनीय विचारक:
- गार्गी, अपाला, घोषा, और मैत्रेयी जैसे विचारक अपने ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे और दार्शनिक बहसों में भाग लेते थे.
- आत्मा और ब्रह्म:
जीवन के चरण: आश्रम
- हिंदू धर्म में आश्रम प्रणाली जीवन के चार चरणों की रूपरेखा तैयार करती है जिनसे व्यक्तियों को आदर्श रूप से गुजरना चाहिए.
- ये चरण व्यक्तियों को अपने कर्तव्यों को पूरा करने और आध्यात्मिक विकास प्राप्त करने में मार्गदर्शन करते हैं.
- चार आश्रम:
-
- ब्रह्मचर्य (छात्र जीवन): वेदों का अध्ययन करना और अनुशासित जीवन जीना.
-
- गृहस्थ (गृहस्थ जीवन): विवाह करना और परिवार पालना.
-
- वानप्रस्थ (सन्यासी जीवन): ध्यान के लिए जंगल में जाना.
-
- संन्यास (त्याग): सांसारिक संपत्ति का त्याग करना और तपस्वी बनना.
-
- सांघा के साथ तुलना:
- आश्रम प्रणाली विशेष रूप से ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों के लिए थी, जबकि सांघा सभी के लिए खुली थी, चाहे उनका सामाजिक दर्जा कुछ भी हो.
पाणिनी, व्याकरणज्ञ
- यह भी वह समय था जब अन्य विद्वान काम कर रहे थे।
- सबसे प्रसिद्ध में से एक पाणिनी था, जिसने संस्कृत के लिए व्याकरण तैयार किया था।
- उन्होंने स्वरों और व्यंजनों को एक विशेष क्रम में व्यवस्थित किया, और फिर इनका उपयोग बीजगणित में पाए जाने वाले सूत्रों जैसे सूत्र बनाने के लिए किया।
- उन्होंने इनका उपयोग भाषा के नियमों को संक्षिप्त सूत्रों (लगभग 3000) में लिखने के लिए किया!
मुख्य शब्द
- तन्हा: लालसा या इच्छाएँ.
- प्रकृत: बुद्ध और महावीर द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा.
- उपनिषद: दार्शनिक ग्रंथ.
- आत्मा: व्यक्तिगत आत्मा.
- ब्रह्म: सार्वभौमिक आत्मा.
- अहिंसा: अहिंसा.
- सांघा: मठवासी समुदाय.
- भिक्षु/भिक्षुणी: बौद्ध भिक्षु/भिक्षुणियाँ.
- विहार: मठ.
- आश्रम: जीवन का चरण.
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Description
इस क्विज में आप सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) और महावीर के जीवन और शिक्षाओं के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर देंगे। बौद्ध और जैन धर्म के विकास, उनके सिद्धांतों, और ऐतिहासिक महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इससे आपको इन धर्मों की गहराई और प्रभाव का बेहतर ज्ञान मिलेगा।