जीवविज्ञान (Biology) - अध्याय 1 PDF

Summary

यह दस्तावेज़ जीव विज्ञान (Biology) के अध्याय 1 पर आधारित है, जिसमें जीव विज्ञान की परिभाषा और विभिन्न शाखाओं (जैसे जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान) के बारे में बताया गया है। यह दस्तावेज़ जीव विज्ञान के अध्ययन क्षेत्रों, जैसे भोजन, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग पर भी प्रकाश डालता है।

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# अध्याय 1 जीवविज्ञान (Biology) ## परिभाषा विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत सजीवों के उद्भव, विकास, संरचना व समस्त जैविक प्रक्रमों का अध्ययन किया जाता है, जीव विज्ञान (Biology) कहलाती है। ## जीव विज्ञान की विभिन्न शाखायें हैं 1. जन्तु विज्ञान (Zoology) - जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें केवल जन्तु...

# अध्याय 1 जीवविज्ञान (Biology) ## परिभाषा विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत सजीवों के उद्भव, विकास, संरचना व समस्त जैविक प्रक्रमों का अध्ययन किया जाता है, जीव विज्ञान (Biology) कहलाती है। ## जीव विज्ञान की विभिन्न शाखायें हैं 1. जन्तु विज्ञान (Zoology) - जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें केवल जन्तुओं के बारे में अध्ययन किया जाता है। 2. वनस्पति विज्ञान (Botany) - जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें केवल पौधों के बारे में अध्ययन किया जाता है। 3. सूक्ष्मजीव विज्ञान (Microbiology) - इस शाखा में सूक्ष्म जीवों (विषाणु, जीवाणु, माइकोप्लाज्मा आदि) का अध्ययन किया जाता है। 4. आकारिकी (Morphology) - जीव विज्ञान की इस शाखा में किसी जीव के बाह्य आकार एवं संरचना का अध्ययन किया जाता है। 5. शरीर रचना विज्ञान (Anatomy) - जन्तु विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत जीवों की आंतरिक संरचना का अध्ययन काट या विच्छेदन द्वारा किया जाता है। 6. औतिकी (Histology) - इसमें जीवों के विभिन्न ऊतकों की संरचना का अध्ययन किया जाता है। 7. कोशिका विज्ञान (Cytology) - इसमें जीवों की कोशिकाओं की संरचना का अध्ययन किया जाता है। 8. आनुवंशिकी (Genetics) - इसके अन्तर्गत जीवों में लक्षणों के पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानान्तरण एवं विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। 9. कार्यिकी (Physiology) - इस शाखा के अन्तर्गत शरीर में संचालित सभी जैव प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। 10. भ्रौणिकी (Embryology) - इस शाखा में युग्मक निर्माण व निषेचन के बाद युग्मनज से भ्रूण के विकास का अध्ययन किया जाता है। 11. वर्गिकी (Taxonomy) - इसके अन्तर्गत जीवों का समानता एवं विषमता के आधार पर वर्गीकरण एवं इसके सिद्धान्तों का अध्ययन किया जाता है। 12. पारिस्थितिकी (Ecology) - इस शाखा में जीवों और वातावरण के बीच अन्तर-सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। 13. उद्विकास (Evolution) - इस शाखा में हम जीवन के उद्भव के पश्चात् हुए परिवर्तन व विकास का अध्ययन करते हैं। 14. कीट विज्ञान (Entomology) - इसमें कीटों का अध्ययन किया जाता है। 15. जीवाश्म विज्ञान (Paleontology) - इसमें विलुप्त जीवों के जीवाश्मों (Fossils) का अध्ययन किया जाता है। 16. रोग विज्ञान (Pathology) - इस शाखा में जीवों के रोगों के कारण, कारक, लक्षण व नियन्त्रण का अध्ययन किया जाता है। 17. परजीवी विज्ञान (Parasitology) - इस शाखा में विभिन्न प्रकार के परजीवियों का अध्ययन किया जाता है। 18. मत्स्य विज्ञान (Ichthyology) - इसमें मत्स्य वर्ग के प्राणियों का अध्ययन किया जाता है। 19. सूत्रकृमि विज्ञान (Nematology) - इसमें सूत्रकृमियों का अध्ययन किया जाता है। 20. जैवप्रौद्योगिकी (Biotechnology) - इस शाखा में सूक्ष्म जीवों एवं प्रौद्योगिकी का मानव जीवन के उपयोग के बारे में अध्ययन किया जाता है। 21. जैव भूगोल (Biogeography) - इसमें हम भूमण्डल के विभिन्न भागों (जैसे जल, थल आदि) में जीवों के वितरण और उनको प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन करते हैं। ## अध्ययन क्षेत्र जीव विज्ञान का अध्ययन निम्नलिखित क्षेत्रों में आवश्यक है:- 1. **भोजन तथा जीव विज्ञान** - मानव जीवन के लिये भोजन का अत्यधिक महत्त्व है। जीव विज्ञान के अध्ययन से इस बात का ज्ञान होता है कि भोज्य पदार्थ जैसे मांस, मछली, अण्डे, दूध, शहद, तेल, चर्बी, अन्न, दाल आदि किन जीवों से मिलते हैं तथा इनका अधिक मात्रा में उत्पादन किस प्रकार किया जा सकता है। उदाहरण के लिये दूध एक संतुलित पूर्ण आहार है जिसका अध्ययन जीव विज्ञान की पशुपालन एवं दुग्ध विज्ञान (Animal Husbandry and Dairy) शाखाओं के अन्तर्गत करते हैं। किस प्रकार से पशुओं के नस्ल को ठीक करके अच्छे पशु उत्पन्न किये जा सकते हैं और जिससे अधिक मात्रा में पौष्टिक दूध तथा मांस का उत्पादन किया जा सकता है। 2. **स्वास्थ्य एवं रोग तथा जीव विज्ञान** - जीव विज्ञान के अध्ययन से घातक एवं सामान्य रोगों को फैलाने वाले परजीवियों के विषय में विभिन्न जानकारियां प्राप्त की जा सकती है कि ये प्राणी कहां रहते हैं? कैसे उत्पन्न होते हैं? तथा इन्हें किस प्रकार से नष्ट किया जा सकता है। जीव विज्ञान के अध्ययन से जीवों के शरीर की संरचना का ज्ञान होता है जिससे शल्य क्रिया करके कुछ विशिष्ट रोगों को ठीक किया जा सकता है। 3. **कृषि और जीव विज्ञान** - जीव विज्ञान हमें कृषि के लिये लाभदायक तथा हानिकारक जन्तुओं एवं परजीवियों का ज्ञान प्रदान करता है। इसके अध्ययन से कृषि को हानि पहुँचाने वाले कीट, सूत्रकृमियों, चूहों तथा अन्य नाशक जीवों के निवास, स्वभाव, रचना एवं जीवन चक्र के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है। जिसके आधार पर समय रहते इन्हें नियंत्रित या नष्ट करके फसलों को क्षति से बचाया जा सकता है। दूसरी तरफ हम अपने मित्र जीवों को भी समझ सकते हैं जैसे – केंचुए जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते है, सर्प जो चूहों को खाते है, कुछ कीट परागण में सहयोग करते हैं। इसी प्रकार विशिष्ट कीट मानवोपयोगी रेशम, लाख, मोम तथा शहद उत्पन्न करते हैं। 4. **उद्योग एवं व्यवसाय तथा जीव विज्ञान** - जीव विज्ञान का अध्ययन विभिन्न उद्योगों तथा औधोगिक उत्पादों में भी सहायक होता है। इनमें से प्रमुख मोती, स्पंज, कोरल, चमड़ा, शहद, रेशम, ऊन, लाख, मछली आदि प्रमुख हैं। इन उत्पादों द्वारा विभिन्न प्रकार की कीमती वस्तुओं का निर्माण होता है जिनका प्रयोग हम दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये करते हैं। आज कई सारे कृषि आधारित उद्योग लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। 5. **जन्तुओं का संरक्षण तथा जीव विज्ञान** - अनेक लाभदायक और महत्वपूर्ण जीव जिन्हें तीव्र प्राकृतिक परिवर्तन से विनाश का खतरा होता रहता है, इन जीवों का अध्ययन कर उन्हें संरक्षित किया जा सकता है। ## कृषि में महत्त्व जीव विज्ञान में मानव कल्याण हेतु उपयोगी पौधों एवं उनके उत्पादों के बारे में व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। जीव विज्ञान का कृषि में अपना विशेष महत्त्व है। 1. **सस्य विज्ञान (Agronomy)** - फसलोत्पादन एवं मृदा प्रबन्ध से सम्बन्धित अध्ययन को सस्य विज्ञान कहते हैं। फसल में उचित सस्य क्रियाओं को समय पर अपनाने से उत्पादन अच्छा मिलता है। 2. **उद्यान विज्ञान (Horticulture)** - फूल, फल व सब्जियों को उगाने और उनके विकास व प्रबन्धन करने की कला को उद्यान विज्ञान कहते हैं। वनस्पति विज्ञान की यह शाखा आजकल बहुत तेजी से विकास कर रही है। यही कारण है कि हर परिवार तक फल व सब्जियाँ पहुँच पाई हैं। 3. **वानिकी (Forestry)** - वनों का संरक्षण, वृक्षारोपण, वनोत्पादों का व्यवस्थित उपयोग आदि का अध्ययन इस उपशाखा में करते हैं। आजकल कृषि वानिकी (Agroforestry) की धारणा प्रचलन में आ रही है। 4. **पादप प्रजनन एवं आनुवंशिकी (Plant Breeding and Genetics)** - वंशागति एवं विभिन्नताओं का अध्ययन आनुवंशिकी कहलाता है। पौधे के जीनरूप (Genotyoe) में ऐसे परिवर्तन करना जो मानव के लिए और अधिक उपयोगी हो, पादप प्रजनन है। नई-नई किस्मों का विकास करना इस शाखा का मुख्य उद्देश्य है। भारत में 'हरित क्रांति' का सूत्रपात गेहूँ व चावल की बौनी किस्मों के आधार पर ही हुआ था। परिणामस्वरूप देश खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हो सका है। 5. **पादप रोग विज्ञान (Plant pathology)** - फसली पादपों, फलों व सब्जियों में होने वाले विकारों या रोगों का अध्ययन, कारण व उनकी रोकथाम का ज्ञान पादप रोग विज्ञान कहलाता है। स्वस्थ पौधे ही अधिकतम उत्पादन दे सकते हैं। देशी किस्मों की तुलना में अधिक उपज देने वाली किस्मों पर बिमारियों का प्रकोप अधिक होता है। पर्यावरण प्रदूषण के खतरों को देखते हुये फसलों पर दवाओं का अनावश्यक छिड़काव भी नहीं होना चाहिये। इन सब बातों के लिए पादप रोग विज्ञान एक महत्वपूर्ण विषय है। 6. **भेषज विज्ञान (Pharmacognosy)** - औषधीय महत्व के पौधों का अध्ययन भेषज विज्ञान कहलाता है। पादपों की सही पहचान कर उनका विभिन्न रोगों के निवारण में प्रयोग करना इस उपशाखा में सम्मिलित है। कृषि में आजकल औषधीय पादपों (जैसे ईसबगोल, सफेद मूसली, अश्वगन्धा आदि) की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ## सजीव व निर्जीव में अन्तर 1. **जीवद्रव्य (Protoplasm)** - कोशिका में जीवित तरल जीवद्रव्य कहलाता है। यह सजीवों में समस्त जैविक क्रियाएं सम्पन्न करता है तथा निर्जीवों में यह अनुपस्थित होता है। 2. **कोशिकीय संगठन (Cellular Organisation)** प्रत्येक जीव कोशिकाओं का बना होता है। ये कोशिकायें शरीर की संरचनात्मक इकाइयां हैं जो जीव द्रव्य की संगठित संहतियां होती हैं। कोशिकाओं से ऊतक, ऊतकों से अंग तथा अंगो से तंत्र बनते हैं। निर्जीवों में कोशिकीय संगठन अनुपस्थित होता है। 3. **वृद्धि (Growth)** - जीव में उपस्थित कोशिकाओं की संख्या, द्रव्यमान व आयतन बढ़ने से होने वाली स्थायी प्रक्रिया वृद्धि कहलाती है, यह भी सजीवों का एक लक्षण है। निर्जीवों में इस प्रकार की वृद्धि नहीं होती है। 4. **उपापचय (Metabolism)** - सजीवों मे उपापचय एक महत्वपूर्ण जैविक क्रिया है। उपापचय के दो पहलू होते हैं उपचय (Anabolism) तथा अपचय (Catabolism)। उपचय में जीवद्रव्य के जटिल संघटको का संश्लेषण अपेक्षाकृत सरल पदार्थों से होता है। अपचय में जीवद्रव्य में जटिल पदार्थों का विखण्डन सरल इकाइयों में होता है जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है। यही ऊर्जा सजीवों की विभिन्न जैव क्रियाओं को बनाये रखती है। उपापचय से पोषण, श्वसन तथा उत्सर्जन क्रियाओं का घनिष्ठ सम्बन्ध होता है क्योंकि उपापचय सजीवों के जीवद्रव्य में होने वाली एक महत्वपूर्ण क्रिया होती है। अतः इस क्रिया को जीवन की कुंजी (Key of Life) कहा जाता है। 5. **जनन (Reproduction)** - जनन सजीव के शरीर में पाये जाने वाली एक अद्भुत क्षमता है जिसके द्वारा जीव स्वयं को व स्वयं की जाति को बचाये रखता है लेकिन निर्जीव में इस प्रकार की कोई सन्तानोत्पति नहीं होती। 6. **जीवन चक्र (Life Cycle)** - सभी जीवधारी एक निश्चित जीवन चक्र पूर्ण करते हैं अर्थात् वे पैदा होते है, वृद्धि करते हैं, सन्तान उत्पन्न करते हैं और अन्त में मर जाते हैं। निर्जीव में इस प्रकार का कोई चक्र नहीं होता है। 7. **उत्तेजनशीलता (Irritability)** - सजीव अपने वातावरण की हर घटना से प्रभावित होकर उसकी प्रतिक्रिया करते हैं। इन बाह्य उद्दीपनों के अतिरिक्त शरीर के भीतरी उद्दीपन भी अनुक्रियायें उत्पन्न करते हैं जैसे भूख लगने पर या मुख में खाद्य जाने पर लार (Saliva) का आना। यह सजीवों का तकनीकी रूप से जटिलतम एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण है। निर्जीव किसी भी वातावरण में हो, वे उद्दीपनों के प्रति स्वयं कोई क्रिया नहीं करते हैं। ## महत्त्वपूर्ण बिन्दु 1. जीव विज्ञान, जिसमें सजीवों का अध्ययन किया जाता है। 2. हक्सले ने जीवद्रव्य को "जीवन का भौतिक आधार" माना है। 3. कोशिकायें शरीर की रचनात्मक इकाइयां हैं जो जीवद्रव्य की संगठित संहतियां होती है। 4. अनुकूलन सजीव का प्रमुख लक्षण है जिसके कारण प्राणियों में भ्रामक रंजन सादृश्य, पारदर्शिता व सरक्षी रंजन आदि विकसित हो पाते हैं। 5. औषधीय महत्व के पौधों के विस्तृत ज्ञान का अध्ययन भेषज विज्ञान कहलाता है। 6. एक पौधे में वांछित गुण (जीन) को ढूंढकर उसे उपयुक्त तकनीकों से अलग कर और किसी वाहक साधन जैसे जीवाणु या अन्य माध्यम द्वारा दूसरे पौधे में स्थापित करने की तकनीक आनुवंशिक अभियांत्रिकी कहलाती है। ## अभ्यासार्थ प्रश्न **बहुचयनात्मक प्रश्न** 1. भेषज विज्ञान सम्बन्धित है- **(अ) कृषि महत्व से** **(ब) औषधीय पौधों के महत्व से** **(स) मानव एवं पादपों के सम्बन्ध से** **(द) वानिकी से** 2. जैव प्रौद्योगिकी सम्बन्धित है- **(अ) जन्तुओं से** **(ब) रसायन उत्पादन से** **(स) सूक्ष्म जीवों एवं उनकी उपयोगी प्रौद्योगिकी से** **(द) वर्गिकी से** **अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न** 1. जीव विज्ञान को परिभाषित कीजिये। 2. सस्य विज्ञान क्या है? 3. पादप रोग विज्ञान किसे कहते है? **लघुत्तरात्मक प्रश्न** 1. सजीव व निर्जीव में निम्न आधार पर अन्तर लिखिये। **(क) वृद्धि** **(ख) उपापचय** **(ग) उत्तेजनशीलता** 2. जीव विज्ञान से क्या तात्पर्य है तथा इसके कौन-कौन से अध्ययन क्षेत्र हैं ? 3. निम्न पर टिप्पणी लिखिए- **(अ) कृषि एवं जीव विज्ञान** **(ब) उद्योग एवं जीव विज्ञान** ## निबन्धात्मक प्रश्न 1. जीव विज्ञान से आप क्या समझते हैं? जीव विज्ञान की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए? 2. निम्न में अन्तर लिखिये। **(अ) सजीव व निर्जीव** **(ब) अपचय और उपचय 3. जीव विज्ञान का कृषि में महत्व समझाइये। **उत्तरमालाः** 1 (ब) 2 (स)

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