डार्विन के विकासवाद का विवरण PDF

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डार्विन का सिद्धांत प्राकृतिक चयन विकासवाद जीव विज्ञान

Summary

यह दस्तावेज़ प्राकृतिक चयन के डार्विन के सिद्धांत का विवरण प्रस्तुत करता है। इसमें विभिन्नता, अस्तित्व के लिए संघर्ष, योग्यतम की उत्तरजीविता, प्राकृतिक चयन और नई प्रजातियों के निर्माण पर प्रकाश डाला गया है। यह विकासवाद के विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण अवधारणा है।

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\#\#\# \*डार्विन के सिद्धांत का वर्णन\* चार्ल्स डार्विन का \"प्राकृतिक चयन का सिद्धांत\" (Theory of Natural Selection) जीवों के विकास को समझाने का एक वैज्ञानिक आधार है। डार्विन ने अपनी पुस्तक \"ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज\" (1859) में यह सिद्धांत प्रस्तुत किया। इसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं: \-\-- \...

\#\#\# \*डार्विन के सिद्धांत का वर्णन\* चार्ल्स डार्विन का \"प्राकृतिक चयन का सिद्धांत\" (Theory of Natural Selection) जीवों के विकास को समझाने का एक वैज्ञानिक आधार है। डार्विन ने अपनी पुस्तक \"ऑन द ओरिजिन ऑफ स्पीशीज\" (1859) में यह सिद्धांत प्रस्तुत किया। इसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं: \-\-- \#\#\# \*1. भिन्नता (Variation):\* प्रत्येक जीव में प्राकृतिक रूप से भिन्नताएँ पाई जाती हैं, जो आनुवांशिक होती हैं। उदाहरण: जिराफों के बीच गर्दन की लंबाई में अंतर। \#\#\# \*2. संघर्ष (Struggle for Existence):\* संसाधनों की कमी के कारण जीवों में भोजन, पानी, और स्थान के लिए संघर्ष होता है। उदाहरण: शुष्क क्षेत्रों में लंबे गर्दन वाले जिराफ आसानी से ऊँचे पेड़ों की पत्तियाँ खा पाते हैं। \#\#\# \*3. योग्यतम की उत्तरजीविता (Survival of the Fittest):\* जो जीव अपने पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, वे जीवित रहते हैं और अपनी विशेषताओं को अगली पीढ़ी में स्थानांतरित करते हैं। उदाहरण: लंबे गर्दन वाले जिराफ अधिक भोजन पाकर जीवित रहे, जबकि छोटे गर्दन वाले धीरे-धीरे समाप्त हो गए। \#\#\# \*4. प्राकृतिक चयन (Natural Selection):\* प्रकृति उन्हीं जीवों को चुनती है जो बदलते परिवेश में खुद को अनुकूलित कर सकते हैं। \# \*5. नई प्रजातियों का निर्माण (Speciation):\* समय के साथ, प्राकृतिक चयन और परिवर्तनों के कारण नई प्रजातियाँ विकसित होती हैं। l \-\-- डार्विन के सिद्धांत का उदाहरण जिराफ की गर्दन की लंबाई के अलावा, काले और सफेद पतंगों (moths) के रंग में परिवर्तन है, जो औद्योगिक क्रांति के दौरान धुएँ से काले पेड़ों के कारण जीवित रहने के लिए अनुकूलित हुए। डार्विन का सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि सभी जीव धीरे-धीरे एक सामान्य पूर्वज से विकसित हुए हैं। यह सिद्धांत विज्ञान में विकासवाद की नींव है।

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