Summary

Lecture notes on modern history, covering the arrival of Europeans in India. The document details Portuguese, Dutch, British, Danish, and French arrival, alongside the reasons for this immigration. It includes pivotal discussions on the impact of trading, expansionism, and the resulting conflicts.

Full Transcript

1 दै पनक क्लास नोट् स Saksham BPSC आधुपनक इपिहास Lecture – 01 यूरोपियन का आगमन Saksham BPSC 2 यूरोपियन क...

1 दै पनक क्लास नोट् स Saksham BPSC आधुपनक इपिहास Lecture – 01 यूरोपियन का आगमन Saksham BPSC 2 यूरोपियन का आगमन ❖ यूरोपियोों का आगमन भारि में यूरोपियोों का आगमन 1. पुर्तगाली 1498 ईस्वी 2. डच 1595-96 ईस्वी 3. ब्रिब्रिश 1600 ईस्वी 4. डे ब्रिश 1616 ईस्वी 5. फ्ाां सीसी 1664 ईस्वी यूरोपियोों के भारि आगमन के कारण ❖ भारि की आपथिक सोंिन्निा- मार्कोपोलो र्के यात्रा वृर्ाां र् से आर्कब्रषतर् होर्कर यूरोपीय भारर् आये । ❖ भारि का भौगोपिक दशा यहााँ र्की जलवायु गमत है जो र्कपास, िील, मसाले, चाय और र्कॉफ़ी जैसे फसलोां र्के उत्पादि र्के ब्रलए उपयुक्त है । भारर् र्ीि र्रफ से समुद्र ब्रिरा है , ब्रजसर्के र्कारण वस्तुओां र्का पररवहि र्करिा सु गम था। वस्तुओां र्का सुगम पररवहि व्यापार र्की सां भाविा र्को बढ़र्ी है । ❖ मसाले यूरोपीय लोगोां र्की जीवि रे खा थी। मसाले भोजि र्को स्वाब्रदष्ट बिािे में , भोजि र्को सां रब्रिर् र्करिे में र्था अपिे औषधीय गुण र्के र्कारण र्काफी उपयोगी है । भारर् में मसालोां र्की अच्छी उत्पादि होर्ी थी। इस र्कारण से भी यूरोपीय लोग भारर् र्के ओर आर्कब्रषतर् हुए। ❖ प्रत्यक्ष व्यािाररक िाभ- वास्कोडीगामा िे भारर् से जो माल लेर्कर गया था उसे बेचर्कर 60 गुिा धि र्कमाया। ❖ धमियुद्ध व भौगोपिक खोजें – मुसलमािोां िे भारर् व रोम र्के बीच र्का व्यापाररर्क मागत ईसाइयोां र्के ब्रलए बांद र्कर ब्रदया था। ❖ यूरोि में िुनजािगरण व प्रबोधन का प्रभाव ब्रवज्ञाि व प्रौद्योब्रगर्की र्का र्काल ज्ञाि र्का र्काल समुद्री र्कम्पास व िए पैमािे र्की खोज – लांबी दू री र्की समुद्री यात्रा आसाि ❖ साम्राज्यवाद (राजिीब्रर्र्क सांरचिा पर ब्रियां त्रण) व उिपनवेशवाद (आब्रथतर्क सांरचिा पर ब्रियांत्रण) िुििगािी ❖ 1486 ईस्वी में पुर्तगाली िाब्रवर्क बाथोलोम्यो ब्रडयाज िे र्केप ऑफ गुड होप र्की खोज र्की। पहले र्केप ऑफ गुड होप र्को र्केप ऑफ स्टामत (र्ूफािी अां र्रीप) र्कहर्े थे । र्केप ऑफ गु ड होप, र्केप िाउि, दब्रिण अफ्ीर्का में है । ❖ पुर्तगाली राजर्कुमार ब्रप्रांस हे िरी िे समुद्री र्कम्पास र्की खोज र्की इस वजह से इसे ‘द िेब्रवगेिर’ र्कहा जार्ा है । ❖ 1498 ईस्वी में गुजरार्ी गाइड अब्दु ल मजीद र्की सहायर्ा से वास्को-डी-गामा र्कालीर्कि पहुां चा। Saksham BPSC 3 ❖ वास्को-डी-गामा र्कालीर्कि र्के राजा जमोररि से ब्रमला और जमोररि िे उसर्का स्वागर् ब्रर्कया।  PW Web/App: https://smart.link/7wwosivoicgd4 Saksham BPSC 1 दै पनक क्लास नोट् स Saksham BPSC आधुपनक इपिहास Lecture – 02 यूरोपियन का आगमन, भाग-02 Saksham BPSC 2 यूरोपियन का आगमन, भाग-02 िुितगाली ❖ अरबी व्यापाररयोों ने वास्कोडिगामा का डवरोध डकया। ❖ वास्कोडिगामा पुर्तगाल वापस चला गया और मसाला बेचकर अपनी यात्रा व्यय का 60 गु ना धन कमाया। ❖ 1500 ईस्वी में , डिर्ीय पुर्तगाली अडियान पे िरो अल्वारे ज कैब्राल के नेर्ृत्व में िारर् आया। ❖ कैब्राल िारर् में जहाजी बेड़ा लेकर आया था और अरब सागर में उसने अरबी जहाज को पकड़कर जमोररन को र्ोहफे में दे डदया। ❖ 1502 ईस्वी में वास्कोडिगामा दू सरी बार िारर् आया था। ❖ 1524 ईस्वी में , वास्कोडिगामा र्ीसरी बार िारर् आया और 1524 ईस्वी में िारर् में ही उसकी मृत्यु हो गयी और उसका मकबरा गोवा में है । ❖ वास्कोडिगामा के जहाज का नाम गैडब्रयल था। ❖ पुर्तगाली फैक्ट्ररयाों (गोदाम) स्थाडपर् हुआ- 1. कोचीन – 1503 ईस्वी 2. कन्नूर – 1505 ईस्वी 3. गोवा- 1510 ईस्वी ❖ िारर् में पुर्तगाली वायसराय 1. फ्ाों डसस्को-िी-अल्मीिा (1505-09 ईस्वी) ✓ यह िारर् में पहला पुर्तगाली वायसराय था। ✓ इसने शाों र् जल की नीडर् (ब्लू वाटर पॉडलसी) चलायी। शाों र् जल की नीडर् अरब सागर के र्टीय क्षेत्रोों पर डकलेबोंदी करके व्यापाररक एकाडधकार स्थाडपर् करने की प्रडिया है । 2. अल्ाों सो-िी-अल्बुककत (1509-1515 ईस्वी) ✓ इसे िारर् में पु र्तगाली सत्ता का वास्तडवक सोंस्थापक माना जार्ा है । ✓ 1510 ईस्वी में, इसने बीजापुर के सुल्तान यु सूफजई आडदलशाह से गोवा को छीन डलया। ✓ 1510 ईस्वी में, इसने गोवा में पुर्तगाली फैरर ी लगवाई। ✓ 1510 ईस्वी में, इसने कोचीन को राजधानी बनाई। ✓ इसने पुर्तगाली पुरुषोों को िारर्ीय मडहलाओों से डववाह करने के डलए प्रेररर् डकया। ✓ इसने पुर्तगाली साम्राज्य से सर्ी प्रथा को समाप्त कर डदया। ❖ 1524 ईस्वी में , वास्कोडिगामा िी कुछ समय के डलए वायसराय बना। ❖ वायसराय नीनो-िी-कुन्हा (1529-38 ईस्वी) ने राजधानी कोचीन से गोवा हस्ताों र्ररर् डकया। Saksham BPSC 3 ❖ पुर्तगाली अपने साम्राज्य को एस्तादो-द-इों डिया (सागर का स्वामी) कहर्े थे । ❖ पुर्तगाली सबसे पहले िारर् आये और सबसे अोंर् में 1961 में िारर् से गए। िुितगापलयोों का योगदान ❖ जहाज डनमात ण ❖ आलू, र्म्बाकू, मक्का, अमरुद इत्याडद की खेर्ी ❖ डप्रोंडटों ग प्रेस- जे म्स आगस्टस ने 1556 ई. में गोवा में िारर् की पहली डप्रोंडटग प्रेस की स्थापना की थी। ❖ गोडथक स्थापत्य कला  PW Web/App: https://smart.link/7wwosivoicgd4 Saksham BPSC 1 दै पनक क्लास नोट् स Saksham BPSC आधुपनक इपिहास Lecture – 03 यूरोपियन का आगमन, भाग-3 और डच और फ्रेंच Saksham BPSC 2 यूरोपियन का आगमन, भाग-3 और डच और फ्रेंच डच ❖ डच मूलतः नीदरलैंड या हॉलैं ड के ननवासी थे । ❖ 17 सदस्यीय डच प्रनतनननिमं डल कानेपियस हाउटमैन के नेतृत्व में भारत आया था। ❖ 1602 ईस्वी में डच ईस्ट इं नडया कंपनी की स्थापना की गई। ❖ 1605 ईस्वी में पहली डच फैक्ट्र ी मसूिीिट्टनम में स्थानपत नकया गया था। ❖ दू सरी डच फैक्ट्र ी 1609 ईस्वी में िुिीकट में स्थानपत की गई थी। ❖ तीसरा डच फैक्ट्र ी 1616 ईस्वी में सूरि में स्थानपत नकया गया था । ❖ 1627 ईस्वी में डच ं ने बंगाल में प्रथम फैक्ट्र ी िीििी में स्थानपत नकया था। ❖ 1653 ईस्वी में डच ं ने हुगली के ननकट नचनसुरा में अपनी फैक्ट्र ी स्थानपत नकया । ❖ नचनसुरा में ही डच ं ने गुस्तावस फोटट का ननमाा ण करवाया। ❖ डच ं ने भारत क कपड़ ं का ननयाा तक स्थल बना नदया। ❖ डच ं ने भारत से कपड़े का ननयाा त प्रारं भ नकया और भारतीय ं क अपना व्यापाररक भागीदार बनाया । ❖ डच ं का व्यापाररक मॉडल क काटे ल के नाम से जाना जाता था। ❖ भारत के साथ व्यापार के नलए सवाप्रथम संयुक्त पूं जी कंपनी डच ं ने ही आरं भ की थी। Saksham BPSC 3 ❖ डच मुख्यतः काली नमचा व अन्य मसाल ं के व्यापार में ही रूनच रखते थे । ये मसाले इं ड नेनिया में नमलते थे, इसनलए डच कंपनी का वह प्रमुख केंद्र बन गया । ❖ डच ं का व्यापाररक मॉडल सहकाररता पर आिाररत था। ❖ डच ं ने भारतीय ं क 18% का लाभां ि नदया। ❖ बेदारा का युद्ध बेदारा या 'नबदराा ' की लड़ाई नवम्बर, 1759 ई. में लड़ी गई थी। यह लड़ाई अंग्रेज ं और डच ं के बीच लड़ी गई। इस लड़ाई में डच ं की पराजय तथा अंग्रेज ं की नवजय हुई। कलकत्ता (वतामान क लकाता) से कुछ मील दू र नचनसुरा में रहने वाले डच ल ग अं ग्रेज ं क अपदस्थ करना चाहते थे। डच ं ने नवाब मीर जाफ़र के साथ सााँ ठ-गााँ ठ कर जावा स्थस्थत अपनी बस्थिय ं से सैननक सामग्री माँगवाने का प्रयास नकया। रॉबटा क्लाइव इस समय बंगाल का गवनार-जनरल था। क्लाइव ने डच ं के इरादे का पूवाा नुमान लगाकर उन्हें नचनसुरा के ननकट 'बेदारा' नक लड़ाई में परानजत कर नदया। इससे डच ं की प्रभुता की सभी सम्भावनाएाँ नष्ट ह गईं और बंगाल में अंग्रेज ं का क ई यूर पीय प्रनतस्पिी िेष नहीं रह गया। फ्राांसीसी ❖ भारत आने वाले अंनतम यू र पीय व्यापारी फ्ां सीसी थे। ❖ सन 1664 में फ्ां स के सम्राट लुई XIVवें के मंत्री क लबटा के प्रयास से फ्ेंच ईस्ट इं नडया कंपनी की स्थापना हुई। ❖ फ्ां स की व्यापाररक कंपनी क राज्य द्वारा नविेषानिकार तथा नवत्तीय संसािन प्राप्त था, इसनलए इसे एक सरकारी व्यापाररक कंपनी कहा जाता था। ❖ 1668 में फ्ैंक इस कार न(Francois Caron)द्वारा सूरत में प्रथम फ्ां सीसी फैक्ट्र ी की स्थापना की गई। ❖ 1669 में मकारा ने ग लकुंडा के सुल्तान से अनुमनत प्राप्त कर मसूलीपट्टनम में दू सरी फ्ेंच फैक्ट्र ी की स्थापना की। Saksham BPSC 4 ❖ 1673 में बंगाल के नवाब िाइिा खान ने फ्ां सीनसय ं क एक जगह नकराए पर दी जहां चन्द्रनगर की सुप्रनसद्ध क ठी की स्थापना की गई, यहां के नकला क ‘फ टा ऑरनलयंस’ कहा जाता है । ❖ 1674 ई. में , फ्ां सीनसय ं ने बीजापुर के सु ल्तान से पां नडचेरी नामक एक गााँ व प्राप्त नकया, ज बाद में भारत में फ्ां सीनसय ं का मुख्य गढ़ बन गया। ❖ डच ं ने अंग्रेज ं की सहायता से 1693 में पां नडचेरी क छीन नलया लेनकन 1697 में सं पन्न ररस्थिक की संनि के बाद पां नडचेरी पुनः फ्ां सीनसय ं क प्राप्त ह गया। ❖ 1701 ईस्वी में पां नडचेरी क सभी फ्ां सीसी बस्थिय ं का मुख्यालय बनाया गया तथा फ्ेंक मानटा न क इसका प्रथम महाननदे िक बनाया गया। ❖ फ्ां सीनसय ं द्वारा 1721 में मॉरीिस, 1725 में मालाबार में स्थस्थत माहे एवं 1739 में कराईकल पर अनिकार कर नलया गया । ❖ इसके बाद फ्ां सीसी भी व्यापाररक लाभ कमाने की तुलना में राजनीनतक उद्दे श्य की पूनता की नदिा में सनिय ह गए पररणाम स्वरूप अंग्रेज और फ्ां सीनसय ं में युद्ध प्रारं भ ह गया । कनाटटक युद्ध ❖ आं ग्ल-फ्ां सीसी िाश्वत ित्रु थे तथा ज्य ं ही यूर प में उनका युद्ध प्रारं भ ह ता, संसार में जहां ये 2 कंपननयां काया करती थीं, वहां आपसी युद्ध आरं भ ह जाते थे। ❖ भारत में लड़े गए कनाा टक यु द्ध भी इसी व्यापाररक प्रनतस्पिाा पररणाम थे। ❖ करीब 20 वषों तक चले इस संघषा के फलस्वरूप यह नननित ह गया नक अंग्रेज ही भारत के स्वामी ह ग ं े , फ्ां सीसी नहीं। ❖ आं ग्ल-फ्ां सीसी युद्ध, ऑस्थस्टरया के उत्तरानिकार युद्ध (1740 ई.) से प्रारं भ, जबनक सप्तवषीय युद्ध (1756-1763 ई.) की समास्थप्त के साथ समाप्त हुआ। प्रथम कनाटटक युद्ध (1746-1748 ई.) ❖ यह युद्ध ऑस्थस्टरया के उत्तरानिकार का यु द्ध का नविार मात्र था। आस्थस्टरया में उत्तरानिकार का युद्ध 1740 ईस्वी में हुआ था। ❖ भारत में इस युद्ध का तात्कानलक कारण निनटि नौसैननक कम ड र कनटा स बेनेट (Commodore Curtis Bennett) के नेतृत्व में कुछ फ्ां सीसी जलप त क पकड़ लेना था। प्रनतनियास्वरूप फ्ां सीसी गवनार डु प्ले ने मॉरीिस के फ्ां सीसी गवनार ला ब रड नाइस की सहायता से मद्रास पर कब्जा कर नलया। Saksham BPSC 5 ❖ कनाा टक के नवाब ने द न ं कंपननय ं क युद्ध बंद करने तथा िां नत बनाए रखने क आज्ञा दी। ❖ डु प्ले ने कूटनीनत का प्रय ग करते हुए कहा नक वह मद्रास नवाब क सौंप दे गा, लेनकन जब डु प्ले ने अपना वचन पू रा नहीं नकया, तब कनाा टक के नवाब अनवरुद्दीन ने हिक्षे प नकया। नकन्तु 1748 ई. में सेन्टथ पे के युद्ध में कैप्टन पैराडाइज के अिीन फ्ां सीसी सेना ने महफूज खां के अिीन नवाव अनवरूद्दीन की सेना क परानजत कर नदया। ❖ यूर प में 1748 ई. में एक्स-ला-िैपल की संनि से ऑस्थस्टरया का उत्तरानिकार युद्ध समाप्त ह गया, नजसके पररणामस्वरूप कनाा टक का प्रथम युद्ध भी समाप्त ह गया। ❖ इस संनि से मद्रास अंग्रेज ं क तथा अमेररका में लुईवथा फ्ां सीनसय ं क प्राप्त हुआ। पििीय कनाटटक युद्ध (1749-1754 ई.) ❖ कनाा टक के प्रथम युद्ध के पिात् डु प्ले ने फ्ां सीसी राजनीनतक प्रभाव में वृस्थद्ध हे तु भारतीय राजाओं के परस्पर झगड़ ं में भाग लेने की स ची। ❖ उसे यह सुअवसर है दराबाद तथा कनाा टक के नसंहासन के नववादास्पद उत्तरानिकार के कारण प्राप्त हुआ। है दराबाद में नानसरजंग तथा मुजफ्फरजं ग, जबनक कनाा टक में अनवरूद्दीन तथा चंदा साहब के मध्य नववाद था। ❖ डु प्ले ने है दराबाद व कनाा टक के नलए िमिः मुजफ्फरजंग व चंदा साहब का, जबनक अंग्रेज ं ने िमिः नानसरजंग व अनवरूद्दीन का समथान नकया। ❖ 1749 ई. में अम्बूर की लड़ाई में मुजफ्फरजं ग, चंदा साहब और डु प्ले क संयुक्त सेनाओं ने कनाा टक पर आिमण कर अननवरुद्दीन क परानजत कर मार डाला। ❖ इसी तरह तीन ं की संयुक्त से ना ने है दराबाद के नानसरजंग पर भी आिमण कर उसे मौत के घाट उतार नदया। ❖ इस प्रकार है दराबाद में मुजफ्फरजं ग नया राजा बना। डु प्ले ने है दराबाद के दरबार में अपने अनिकारी बु स्सी क ननयुक्त नकया। ❖ कुछ समय के बाद मुज्जफर जंग की मृत्यु ह गयी । ❖ मुज्जफर जंग क क ई पुत्र नहीं था, अतः नानसरजंग के पु त्र क है दराबाद के ननजाम बनाया गया । अतः है दराबाद अंग्रेजी ननयंत्रण में आ गया । ❖ प्रां सीनसय ं की बढ़ती हुई िस्थक्त के प्रनतउत्तर में निनटि अनिकारी क्लाइव ने कनाा टक की राजिानी अकाा ट पर आिमण कर उसे जीत नलया। ❖ चंदा साहब और फ्ां सीनसय ं के अथक प्रयास के बाद भी पुनः कनाा टक नहीं जीता जा सका। ❖ इस तरह कनाा टक पर निनटि ननयंत्रण स्थानपत ह गया तथा मुहम्मद अली क कनाा टक का नवाब बनाया गया। ❖ डु प्ले की नीनत के कारण फ्ााँ सीसी प्रानिकारी भारी नवत्तीय घाटे के चलते परे िान थे , अतः वषा 1754 में उसे वापस बुलाने का ननणाय नलया गया। चार्ल्ा रॉबटा ग दे हेउ क नया गवनार बनाकर भेजा। ❖ चार्ल्ा रॉबटा ग दे हेउ ने अं ग्रेज ं से 1755 ई. में पां नडचेरी की संनि कर ली नजसके अनुसार द न ं कंपननय ं क अपने -अपने क्षेत्र नमल गए। इस तरह नद्वतीय आं ग्ल कनाा टक युद्ध भी समाप्त हुआ।  PW Web/App: https://smart.link/7wwosivoicgd4 Saksham BPSC 1 दै ननक क्लास नोट् स Saksham BPSC आधुननक इनिहास Lecture – 04 यूरोपीय अंग्रेजों का आगमन Saksham BPSC 2 यूरोपीय अंग्रेजों का आगमन फ्ांसीसी (French) ❖ द्वितीय कर्ना टक युद्ध पनां द्विचेरी की सांद्वि (1755 ईस्वी) से समनप्त हो गयन। िृिीय कनााटक युद्ध (1756-1763 ई.) ❖ 1756 ई. में यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध के आरां भ होते ही भनरत में पुर्ः अांग्रेज और फ्नां सीद्वसयोां में युद्ध प्रनरां भ हो गयन। ❖ 1760 ई. में वनांिीवनश के युद्ध में अांग्रेज अद्विकनरी सर आयरकूट र्े फ्नां सीसी अद्विकनरी कनउन्ट-िी-लनली के र्ेतृत्व वनली सेर्न को द्वर्र्ना यक रूप से परनद्वजत कर पनां द्विचेरी पर अद्विकनर कर द्वलयन। ❖ वनां िीवनश के युद्ध के समय लुई XV वहनां कन रनजन थन, उसर्े कनउां ट-िी-लनली को वनपस बुलनकर फनां सी दे द्वदयन। ❖ 1763 ई. में इर् दोर्ोां के मध्य पेररस की सांद्वि हुई। इस सांद्वि के अर्ुसनर फ्नां सीद्वसयोां को पनां द्विचेरी तथन कुछ अन्य फ्नां सीसी प्रदे श लौटन द्वदए, परन्तु वे उर्की द्वकलेबांदी र्हीां कर सकते थे। अब फ्नां सीसी ईस्ट इां द्वियन कांपर्ी केवल एक व्यनपनररक कांपर्ी बर् कर रह गयी। अब फ़्नां स द्वकसी भी भनरतीय रनजर्ीद्वतक मनमले में हस्तक्षेप र्हीां करे गन। मुख्य परीक्षा सत्र प्रश्न – भनरत में फ्नां सीसी कांपर्ी के असफलतन के कनरर्ोां को द्वचद्वित कीद्वजये। प्रश्न- भनरत में द्विद्वटश ईस्ट इां द्वियन कांपर्ी के सफलतन के कनरर्ोां को द्वचद्वित कीद्वजए। प्रश्न- क्यन कनरर् है द्वक भनरत में केवल अांग्रेजी कांपर्ी ही सफल हो पनयी अन्य कांपद्वर्यनां सफल र्हीां हो पनयी? उत्तर प्रारूप (Answer-Synopsis) ❖ प्रस्तावना (Introduction)- उत्तर कन शुरुआत प्रस्तनवर्न से करर्न है । प्रस्तनवर्न को 4 से 5 लनइर् में द्वलखर्न है । ❖ मुख्य भाग (Main Body)- प्रश्न में जो पूछन गयन हो उसे स्पष्ट करर्न है । द्वजस क्रम में प्रश्न पूछन गयन हो, उसी क्रम में उत्तर द्वलखें। उत्तर को पैरनग्रनफ में र्हीां बल्कि पॉइां ट और बुलेट में द्वलखें। ❖ ननष्कर्ा (Conclusion)- 3 से 4 लनइन्स में उत्तर को सनरनांश द्वलखें। प्रश्न का मुख्य नवर्य-वस्तु – A. अांग्रेजोां के द्ववजय कन कनरर् B. अन्य के असफलतन कन कनरर् प्रस्तावना- 15-16वीां शतनब्दी में यूरोद्वपयोां के भनरत आर्े कन द्वसलद्वसलन प्रनरां भ हुआ। इस क्रम में पुतागनली, िच, अांग्रेज और फ्नां सीसी भनरत आये। ये सभी भनरत में सनम्रनज्यवनद के बल पर उपद्वर्वेशवनद को स्थनद्वपत करर्न चनहते थे। द्वजसमें केवल अांग्रेज सफल हुए अन्य र्हीां हो पनए। इसके पीछे के कनरर् इस प्रकनर हैं - 1. द्विद्वटश कांपर्ी द्वर्जी कांपर्ी थी। कद्विर् द्वर्र्ाय तेजी और आसनर्ी से द्वलए जनते थे। कनगजी करवनई कम होती थी। अतः द्वकसी द्वर्र्ाय को लेर्े में समय की बबना द र्हीां होतन थन। Saksham BPSC 3 2. द्विद्वटश कांपर्ी कन सरल कनया-प्रर्नली आसनर् सांचनर उत्सनही कनया स्थल अतः कनया-क्षमतन बढ़ जनती है। 3. योग्य व अर्ुभवी सेर्नपद्वत, जैसे क्लनइव, वेलेजली आद्वद 4. द्विटे र् से सहयोग जेम्स प्रथम र्े भनरत में मुगल दरबनर में द्ववद्वलयम द्ववद्वलयम हॉद्वकांस तथन थॉमस रो को व्यनपनर अर्ुमद्वत पत्र प्रनप्त करर्े के द्वलए भेजन थन। 5. िमा के प्रद्वत न्यूर् उत्सनह अन्य कांपद्वर्योां के तुलर्न द्विद्वटश कांपर्ी कन शुरुआत में िमा के प्रद्वत न्यूर् उत्सनह थन। द्विद्वटश कांपर्ी शुरुआत में केवल व्यनपनर पर ध्यनर् केंद्वित कर रही थी। 6. स्थनयी सरकनर द्विटे र् में स्थनयी सरकनर थन, जबद्वक पुतागनल और फ़्नां स में ऐसन र्हीां थन। 7. र्ौसैद्वर्क सवोच्चतन युद्ध में द्ववजय समुि पर कब्ज़न व्यनपनररक एकनद्विकनर 8. ऋर् बनजनर कन उपयोग ऋर् बनजनर कन उपयोग करके व्यनपनर में पैसन लगनयन और अद्विक पैसन/मुर्नफन कमनयन। 9. औद्योद्वगक क्रनां द्वत औद्योद्वगक क्रनां द्वत सवाप्रथम द्विटे र् में हुआ थन। अतः अांग्रेजोां र्े भनरत से कच्चन मनल खरीदकर द्विटे र् में बेचकर मुर्नफन कमनयन तथन द्विटे र् में तैयनर मनल को भनरत में बेचकर मुर्नफन कमनयन। इस प्रकनर भनरत के कच्चे मनल और बड़े बनजनर दोर्ोां कन द्विटे र् िनरन अपर्े मुर्नफन के द्वलए उपयोग द्वकयन। ननष्कर्ा- उपरोक्त कनरर्ोां के आिनर पर यह स्पष्ट है द्वक अपर्ी कूटर्ीद्वत से अांग्रेज द्ववजय हुए और फ्नां सीसी अपर्ी कमजोरी से कमजोर हुए।  PW Web/App: https://smart.link/7wwosivoicgd4 Saksham BPSC 1 दै ब्रिक क्लास िोि् स Saksham BPSC आधुब्रिक इब्रतहास Lecture – 05 भारत में ब्रिब्रिश ब्रिस्तार Saksham BPSC 2 भारत में ब्रिब्रिश ब्रिस्तार भारत में ब्रिब्रिश ब्रिस्तार भूब्रमका: ❖ भारत में अंग्रेजों के औपचाररक शासन से पू र्व भारत और यूरोप के मध्य आर्थवक संबंध थे। ❖ अंग्रेजी ईस्ट इं र्िया कंपनी, र्जसे कभी-कभी जॉन कंपनी भी कहा जाता था, सन् 1600 में स्थार्पत एक संयुक्त उद्यम कम्पनी थी र्जसे लंदन के उन व्यापाररयों ने स्थार्पत र्कया था जो ईस्ट इण्डीज में व्यापार करते थे। ❖ इस दौरान अन्य व्यर्सार्यक कंपर्नयााँ जैसे पुतवगाली, िच, फ्ााँ स, िे नमाकव भी, भारत में अपने प्रभु त्व का र्र्स्तार कर रही थीं। ❖ भारत में ईस्ट इण्डण्डया कम्पनी का र्ास्तर्र्क र्र्स्तार सन् 1612 में तब हुआ जब तत्कालीन मुगल बादशाह जहााँ गीर ने र्िटे न की महारानी एर्लजाबेथ प्रथम के राजदू त, सर टॉमस रो को सू रत में एक व्यापाररक केन्द्र स्थार्पत करने का अर्धकार र्दया। ❖ भारत में अंग्रेजी राज की औपचाररक शुरुआत सन् 1757 में प्लासी के यु द्ध के पश्चात् मानी जाती है जब बंगाल के नबार् ने अपने अर्धकार क्षेत्र को अंग्रेजों को सौंप र्दया था। ❖ इसके बाद यही व्यापाररक कम्पनी धीरे -धीरे एक राजनीर्तक शण्डक्त में बदल गई र्जसने बाद में भारत पर शासन र्कया। ❖ अब इस कम्पनी के पास सहायक सरकार तथा सैन्य शण्डक्तयााँ भी थी, जो सन् 1858 में इसके र्र्घटन तक बनी रही, जब अंग्रेजी सरकार ने भारत सरकार अर्धर्नयम 1858 के तहत र्िर्टश अधीन भारत को अंग्रेजी सरकार के अधीन कर र्दया। Saksham BPSC 3 पुततगाब्रिय ों एिों डच ों के साथ अोंग्रेज ों का सोंघर्त क्रम कोंपनी का नाम आने का िर्त ❖ 17र्ीं शताब्दी के शुरुआती 3 दशकों में अं ग्रेजों को सोंख्या पुतवगार्लयों का सामना करना पडा। ❖ 1630 में मैब्रडि ड सोंब्रि के पश्चात अं ग्रेजों और 1. पुतवगाली 1498 पुतवगार्लयों की शत्रुता समाप्त हुई। ❖ 1634 ई. में सू रत ण्डस्थत अंग्रेजी कारखाने के अध्यक्ष 2. ईस्ट इं र्िया कंपनी (UK) 1600 और गोर्ा ण्डस्थत पुतवगाली र्ायसराय के बीच एक दू सरी संर्ध हुई, र्जसके अनुसार भारत के 3. िच (नीदरलैंि) 1602 र्ार्िण्डिक मामलों में दोनों दे शों ने एक-दू सरे की सहायता करने का र्निवय र्लया। 4. िे र्नश (िे नमाकव) 1616 ❖ 1654 ई. में पुतवगार्लयों ने पू र्व के व्यापार पर अंग्रेजों के अर्धकार को स्वीकार कर र्लया और 1661 की 5. फ्ां स 1664 संर्ध के अंतगवत भारत मे िचों के र्र्रुद्ध दोनों एकजुट हो गए। ❖ िचों ने मसाले के व्यापार से न केर्ल पुतवगार्लयों को र्नष्कार्सत कर र्दया था, अर्पतु दर्क्षि-पूर्ी एर्शया से अंग्रेजों को भी भगाया था। ❖ यद्यर्प िचों की रुर्च मु ख्य रूप से मसाला उत्पादक द्वीपों में थी, पर उन्ोंने पुर्लकट (1610), सूरत (1616), र्चनसुरा (1653), कार्सम बाजार, बरं गगोर, पटना, बालासोर, नागपट्टनम (1659) और कोर्चन (1663) में अपने कारखाने भी खोल रखे थे। ❖ 1653-54 के बाद िच और अंग्रेजों की शत्रुता मुठभे ड की ण्डस्थर्त में पहुं च गई। ❖ 1667 में िच भारत में स्थार्पत अंग्रेजी अड्ों को छोडने के र्लए राजी हो गए और अंग्रेजों ने इं िोनेर्शया पर अपना दबार् छोड र्दया। इस प्रकार दोनों शण्डक्तयों ने पारस्पररक समझौता कर र्लया। ❖ 1795 में अंग्रेजों ने िचों को भारत से र्नकाल बाहर र्कया र्जससे उनका भारत अर्धकार क्षेत्र समाप्त हो गये । अोंग्रेज ों के व्यापार एिों ब्रिस्तार का प्रभाि: ❖ अंग्रेजों ने शीघ्र ही अरब सागर और फारस की खाडी पर अपना एकार्धकार कर र्लया। Saksham BPSC 4 ❖ अपनी समकालीन यूरोपीय तथा भारतीय शण्डक्तयों को परार्जत करने के बाद, अंग्रेजों ने भारत में अपना राजनीर्तक प्रसार प्रारं भ कर र्दया, तार्क व्यापाररक आर्श्यकताएं पूरी की जा सकें। ❖ इसी क्रम में अं ग्रेज, भारत में मुगलों की र्ैकण्डिक शण्डक्त के रूप में उभरे । ❖ 1764 ई. तक बंगाल-र्र्जय के बाद से तो अंग्रेजों ने र्िर्टश औद्योर्गक क्रार्त की आर्श्यकताओं के अनुरूप व्यापार को स्वरूप प्रदान र्कया। ❖ अोंग्रेज ों का भारत में प्रिेश: कोंपनी स्थापना िर्त ❖ 1599ई. में जॉन ब्रमिडे न हॉि र्िर्टश यात्री थल मागव से भारत आया। 1599ई. में इं ग्लैंि में एस्तादो द इं र्िया(पुतवगाली कंपनी) 1948 मचेंट एिर्ेंचर नामक एक व्यापाररक दल ने “दी गिनतर एों ड कोंपनी ऑफ़ मचेंि ऑफ़ र्ेररर्गंदे ओस्त ईर्दशे कंपनी (िच ईस्ट इं र्िया 1602 िि े ब्रडों ग इन िू द ईस्ट इों डीज” की स्थापना की कंपनी) जो बाद में ईस्ट इण्डिया कोंपनी कहलाई। र्िर्टश ईस्ट इं र्िया कंपनी 1600 (1599) 31 र्दसम्बर 1600 को महारानी एर्लजाबेथ प्रथम ने एक रॉयल चाटव र जारी कर इस िे न ईस्ट इं र्िया कंपनी 1616 कंपनी को 15 र्र्षों के र्लए पू र्ी दे शों के साथ व्यापार करने का एकार्धकार पत्र प्रदान कम्पने दे स ईनदे श ओररयंटले श (फ़्ां र्ससी कंपनी) 1664 र्कया। ❖ 1609 में र्िर्टश सम्राट जे म्स प्रथम ने कंपनी को अर्नर्श्चत काल के र्लए व्यापाररक एकार्धकार प्रदान र्कया। ❖ अंग्रेजी ईस्ट इं र्िया कम्पनी की प्रथम समु द्री यात्रा 1601 में जार्ा, सुमात्रा एर्ं मलक्का के र्लए हुई। ❖ 1600 ई. में लन्दन के व्यापाररयों द्वारा र्िर्टश ईस्ट इण्डण्डया कम्पनी की औपचाररक स्थापना हुई। ❖ 1608 में ब्रिब्रियम हॉब्रकन्स सूरत पहुं चा। ❖ र्ह मुगल सम्राि जहााँगीर के दरबार में उपण्डस्थत हुआ। ❖ हॉर्कन्स को अर्धक सफलता प्राप्त नहीं हुई क्ोंर्क मुगल दरबार में पु तवगार्लयों का अर्धक प्रभार् था। ❖ 1612 में अंग्रेज कैप्टन थॉमस बेस्ट ने स्वाली(सुर्ली तट) नाम के स्थान पर पुतवगाली सेना को बुरी तरह परार्जत कर र्दया। ❖ मुगलों ने अंग्रेजों की इस र्ीरता से प्रसन्न होकर उन्ें सू रत, कम्बाया तथा अहमदाबाद में व्यापार करने की आज्ञा दे दी। ❖ 1616 ई. में िॉमस र ईस्ट इण्डण्डया कम्पनी का राजदू त बन कर भारत आया। ❖ टॉमस रो को अपेक्षाकृत अर्धक सफलता र्मली तथा मुगलों की राजकीय सीमा में अंग्रेजों को व्यापार करने की आज्ञा र्मल गई। ❖ शहजादे शाहजहााँ ने अंग्रेजों पर अपनी अर्धक कृपा दृर्ि र्दखाई तथा उन्ें बंगाल, भडौच तथा आगरा के क्षेत्रों में व्यापार करने र्क आज्ञा प्रदान की। ❖ 1662 में चार्ल्व र्द्वतीय को पुतवगार्लयों से बम्बई दहे ज के रूप में प्राप्त हुआ। ❖ 1707 में औरं गजेब की मृत्यु तथा तेजी से घटती मुगल साम्राि र्क शण्डक्त ने कम्पनी को एक ऐसा अर्सर प्रदान र्कया र्जसका लाभ उठाकर कम्पनी, राजनैर्तक सत्ता की स्थापना की ओर ते जी से बढ़ी। Saksham BPSC 5 ❖ कम्पनी ने 1717 ई. में फर्रतखब्रसयर से तीन फरमान प्राप्त र्कए र्जससे न केर्ल कम्पनी के व्यापार को बढ़ार्ा र्मला बण्डि एक राजनैर्तक शण्डक्त के रूप में उसकी साख भी मजबूत हुई। ❖ व्यापाररक एकार्धकार के यु द्ध में पहले र्िर्टश ईस्ट इण्डण्डया कम्पनी को पुतवगाली एर्ं िच व्यापाररयों से युद्ध करना पडा एर्ं बाद में फ्ां सीर्सयों से। भारत में ब्रिस्तार/ फैण्डरि य ों की स्थापना 1609 है रर नामक पहला अंग्रेजी जहाज, हॉब्रकन्स के नेतृत्व में भारत आया। कैप्टन हॉर्कन्स सूरत में एक कारखाना स्थार्पत करने के र्लए जहााँ गीर के दरबार में पहुं चे, लेर्कन सफल नहीं हुए। पुतवगार्लयों के र्र्रोध का सामना करना पडा। 1611 मसूलीपट्टनम में व्यापार शु रू र्कया और बाद में 1616 में एक कारखाना स्थार्पत र्कया। 1612 कैप्टन थॉमस बे स्ट ने सू रत के पास समुद्र में पुतवगार्लयों को हराया। 1613 में थॉमस एल्डिथत ने सूरत में एक कारखाना स्थार्पत करने के र्लए जहां गीर से अनुमर्त प्राप्त। 1615 जेम्स प्रथम के एक मान्यता प्राप्त राजदू त सर थॉमस र , जहां गीर के दरबार में आए, फरर्री 1619 तक र्हां रहे । 1632 गोलकुंिा के सु ल्तान द्वारा जारी ग ल्डन फरमान प्राप्त र्कया। 1662 जब चार्ल्व र्द्वतीय ने पुतवगाली राजकुमारी कैथरीन से शादी की, तो पुतवगाल के राजा द्वारा बॉम्बे क राजा चार्ल्त ब्रितीय क दहे ज के रूप में उपहार में र्दया गया था। 1687 पर्श्चमी प्रेसीिें सी को सूरत से बॉम्बे स्थानां तररत कर र्दया गया। बोंगाि और अोंग्रेज: ❖ 1717 में मुगल बादशाह फरुवखर्सयर ने मुर्शवद कुली खान को बंगाल का सूबेदार र्नयुक्त र्कया और 1719 में उसे ओर्िशा की सूबेदारी भी दे दी। ❖ मुर्शवद कुली खान स्वतंत्र बंगाल के संस्थापक थे। ❖ उसने अपनी राजधानी ढाका से मुर्शवदाबाद स्थानां तररत कर दी। ❖ उन्ोंने इजारे दारी प्रिाली शुरू की, भूर्म सु धार र्कये और ताकाबी कृर्र्ष ऋि भी र्दया। ❖ बोंगाि में कारखाने: हुगली (1651) ,कार्समबाजार, पटना और राजमहल। ❖ सर्वप्रथम सन 1651 में अंग्रेजों ने बंगाल के सूबेदार शाहशुजा की अनुमब्रत से हुगली में अपना गोदाम बनाया। ❖ सुतानती, कार्लकाता और गोर्र्ंदपुर तीनो गां र् को र्मलाकर जॉब चानोक ने कलकत्ता शहर की नीर् रखी और कंपनी ने यही पर फ ित ब्रिब्रियम ब्रकिे की स्थापना की और चार्ल्त आयर को प्रथम प्रेसीिें ट र्नयुक्त र्कया गया । Saksham BPSC 6 ❖ कलकत्ता को अंग्रेजो ने 1700 में पहिा प्रेसीडें ि नगर घोर्र्षत र्कया। 1774 से 1911 तक कलकत्ता र्िर्टश भारत की राजधानी बना रहा। ❖ र्र्र्लयम हे जेज बोंगाि का प्रथम अोंग्रेज गिनतर था। बोंगाि के निाब िर्त निाब 1713-1727 ई मुशीद कुली खान 1727-1739 ई शुजाउद्दीन 1739-1740 ई सरफज खान 1740-1756 ई अलीर्दी खान 1756-1757 ई र्सराज-उद-दौला 1757-1760 ई मीर जाफ़र 1760-1763 ई मीर कार्सम 1763-1765 ई मीर जाफ़र 1765-1766 ई नज्म उद दौला 1766-1770 ई शैफ-उद-दौला 1770-1775 ई मुबारकुद्दौला  PW Web/App: https://smart.link/7wwosivoicgd4 Saksham BPSC 1 दै ब्रिक क्लास िोि् स Saksham BPSC आधुब्रिक इब्रिहास Lecture – 06 बंगाल में ब्रिब्रिश ब्रिस्तार Saksham BPSC 2 बंगाल में ब्रिब्रिश ब्रिस्तार बंगाल अलीिदी खां (1740-1756 ईस्वी) ❖ 1740 ईस्वी में , अलीवर्दी खाां ने गिरिया के यु द्ध में बांिाल के नवाब सिफिाज खाां को हिाकि बां िाल का नवाब बना। ❖ अलीवर्दी खाां ने यूिोगियोां की तुलना मधुमक्खी से की है । ❖ अलीवर्दी खाां ने अिनी सबसे छोटी बेटी के बेटे गसिाज-उर्द्-र्दौला को नवाब बनवाया। ब्रसराज-उद् -दौला (1756- 57 ईस्वी) ❖ 1756 ईस्वी में , महज 22 वर्ष की अवस्था में गसिाज-उर्द्-र्दौला बांिाल का नवाब बना। ❖ नवाब ने सभी यूिोिीय कांिगनयोां को बांिाल में गकलेबांर्दी िोकने का आर्दे श गर्दया, गकांतु अांग्रेजोां ने इस िि ध्यान नहीां गर्दया व गकलेबांर्दी किते िहे । ❖ 4 जून 1756 को नवाब ने अांग्रेजोां की कागसम बाजाि फैक्ट्र ी िि आक्रमण किके कब्ज़ा कि गलया औि अांग्रेजोां को बांिाल से गनकाल गर्दया तथा कलकत्ता का नाम बर्दलकि अलीनिि कि गर्दया। Saksham BPSC 3 काल कोठरी कांड (20 जूि 1756 ईस्वी) ❖ कलकत्ता की काल कोठिी में घटी घटना भाितीय इगतहास की प्रमुख घटनाओां में से एक है । ❖ 20 जून, 1756 ई. को बांिाल के नवाब गसिाजुद्दौला ने निि िि क़ब्ज़ा कि गलया। ❖ कलकत्ता स्थस्थत अगधकाां श अांग्रेज़ ििागजत होने िि जहाज़ोां द्वािा नर्दी के मािष से भाि चुके थे औि जो थोडे से भािने में असफल िहे , वे बन्दी बना गलये िये। ❖ बांर्दी अांग्रेजोां को गक़ले के भीति ही एक कोठिी में िखा िया था, जो 'काल कोठिी' नाम से गवख्यात है । इस कोठिी को 'ब्लैक हॉल' के नाम से भी जाना जाता है । ❖ यह घटना भाित में गिगटश साम्राज्यवार्द के आर्दशीकिण का एक सनसनीखेज मुक़र्दमा औि गववार्द का गवर्य बनी। ❖ नवाब ने कलकत्ता िि इसगलए आक्रमण गकया, क्ोांगक कांिनी ने सात वर्ीय युद्ध 1756-1763 ई. की आशांका में अिने प्रगतद्वां गद्वयोां से सुिक्षा हे तु निि की गक़लेबांर्दी का काम नवाब के कहने के बावजूर्द नहीां िोका। ❖ ऐसा माना जाता है गक, बांिाल के नवाब ने 146 अांग्रेज़ बांगर्दयोां, गजनमें स्थियााँ औि बच्चे भी सस्थिगलत थे , को एक 18 फुट लांबे, 14 फुट 10 इां च चौडे कमिे में बन्द कि गर्दया था। ❖ 20 जून, 1756 ई. की िात को बांर्द किने के बार्द, जब 23 जून को प्रातः कोठिी को खोला िया तो, उसमें 23 लोि ही जीगवत िाये िये। जीगवत िहने वालोां में 'हॉलवेल' भी थे, गजन्हें ही इस घटना का िचगयता माना जाता है । ❖ इस घटना की गवश्वसनीयता को इगतहासकािोां ने सांगर्दग्ध माना है , औि इगतहास में इस घटना का महत्व केवल इतना ही है , गक अांग्रेज़ोां ने इस घटना को आिे के आक्रामक युद्ध का कािण बनाये िखा। ❖ इस प्रकाि से कलकत्ता (वतष मान कोलकाता) का ितन प्लासी युद्ध की िूवष िागठका माना जाता है । ❖ अलीिगर की संब्रध अलीनिि की सांगध, 9 फ़िविी 1757 ई. को बांिाल के नवाब गसिाजु द्दौला औि ईस्ट इां गिया कांिनी के बीच हुई, गजसमें अांग्रेज़ोां का प्रगतगनगधत्व क्लाइव औि वाटसन ने गकया था। अांग्रेज़ोां द्वािा कलकत्ता िि र्दु बािा अगधकाि कि लेने के बार्द यह सांगध की िई। इस सांगध की शतों गनम्नगलस्थखत थी- ✓ ईस्ट इां गिया कांिनी को मुग़ल बार्दशाह के फ़िमान के आधाि िि व्यािाि की समस्त सुगवधाएाँ गफि से र्दे र्दी िईां। ✓ कलकत्ता में गक़ले की मिित की इजाजत भी र्दे र्दी िई। ✓ कलकत्ता में गसक्के ढालने का अगधकाि भी उन्हें र्दे गर्दया िया। नवाब के द्वाि कलकत्ता िि अगधकाि किने से अांग्रेज़ोां को जो क्षगत हुई थी, उसका हजाष ना (2 किोड रुिये ) र्दे ना भी स्वीकाि गकया िया औि र्दोनोां िक्षोां ने शाां गत बनाये िखने का एक-र्दूसिे से वायर्दा गकया। इस सांगध िि हस्ताक्षि किने के एक महीने बार्द अांग्रेज़ोां ने इसका उल्लांघन कि, कलकत्ता से कुछ मील र्दूि िां िा नर्दी के गकनािे की फ़्ाां सीसी बस्ती चन्द्रनिि िि आक्रमण किके उस िि अिना अगधकाि कि गलया। उसके र्दूसिे महीने जून में अां ग्रेज़ोां ने मीि ज़ाफ़ि औि नवाब के अन्य गविोधी अफ़सिोां से गमलकि गसिाज-उर्द्-र्दौला के गवरुद्ध र्ड्यांत्र िचा। इस र्ड्यांत्र के िरिणाम स्वरूि 23 जून, 1757 ई. को प्लासी की लडाई हुई। ❖ प्लासी का युद्ध (23 जूि 1757 ईस्वी) प्लासी का िहला युद्ध 23 जू न 1757 को बां िाल के मुगशषर्दाबार्द के र्दगक्षण में 22 मील र्दूि नगर्दया गजले में भािीिथी नर्दी के गकनािे 'प्लासी' नामक स्थान में हुआ था। Saksham BPSC 4 प्लासी का युद्ध बांिाल के नवाब औि गिगटश कांिनी के मध्य हुआ था। गिगटश कांिनी के सेना का से नािगत िॉबटष क्लाइव था तथा गसिाज-उर्द्-र्दौला की सेना सेनािगत मीि जाफि था। कांिनी की सेना ने िॉबटष क्लाइव के नेतृत्व में नवाब गसिाज़ुद्दौला को हिा गर्दया था। गसिाज-उर्द्-र्दौला की सेना में जहााँ एक ओि 'मीि मर्दन', 'मोहन लाल' जैसे र्दे शभक्त थे , वहीां र्दूसिी ओि मीि जाफ़ि जैसे कुस्थित गवचािोां वाले धोखेबाज़ भी थे। गकांतु इस युद्ध को कांिनी की जीत नहीां मान सकते क्ोांगक युद्ध से िूवष ही नवाब के से ना नायक मीि जाफि, उसके र्दिबािी, तथा िाज्य के अमीि सेठ जित सेठ आगर्द से क्लाइव ने र्ड्यांत्र कि गलया था। नवाब की िूिी सेना ने युद्ध में भाि भी नहीां गलया था। मीि जाफ़ि एवां िाय र्दु लषभ अिनी सेनाओां के साथ गनस्थिय िहे । नवाब ििागजत हुए औि भाि िया, गजसे मीि जाफि के िुत्र ने माि िाला। के.एम.िगणक्कि के अनुसाि, 'यह एक सौर्दा था, गजसमें बांिाल के धनी सेठोां तथा मीि जाफ़ि ने नवाब को अां ग्रेज़ोां के हाथोां बेच िाला'। मीर जाफर (1757-60 ईस्वी) ❖ प्लासी के युद्ध के बार्द मीि जाफि बांिाल का नवाब बना। ❖ मीि जाफि बां िाल का िहला कठिु तली नवाब था। उसे क्लाइव का िधा भी कहा जाता है । ❖ 1760 ईस्वी में मीि जाफि ने त्यािित्र र्दे गर्दया था औि उसके भतीजे/र्दामार्द मीि कागसम को बांिाल का नवाब बनाया िया । ❖ िोि- सि जर्दु नाथ सिकाि के अनुसाि, “23 जून 1757 को भाित के मध्यकाल का नत होता है औि आधुगनक काल प्रािां भ होता है ।” मीर काब्रसम (1760-63 ईस्वी) ❖ यह बांिाल का कठिुतली नवाब नहीां था। ❖ मीि कागसम ने वद्धष मान, गमर्दनािुि औि चटिाां व की जमीांर्दािी अांग्रेजोां को र्दे र्दी। ❖ मीि कागसम ने अिनी िाजधानी को मुगशषर्दाबार्द से मुांिेि स्थानाां तरित कि गर्दया । ❖ अब अांग्रेजोां ने मुग़ल बार्दशाह फरुषखगशयि द्वािा 1717 ईस्वी में गर्दए िए शाही फिमान/र्दस्तक का र्दु रुियोि किना प्रािां भ कि गर्दया।  PW Web/App: https://smart.link/7wwosivoicgd4 Saksham BPSC 1 दै ब्रिक क्लास िोि् स Saksham BPSC आधुब्रिक इब्रिहास Lecture – 07 अवध और मैसूर में ब्रिब्रिश ब्रवस्तार Saksham BPSC 2 अवध और मैसूर में ब्रिब्रिश ब्रवस्तार बक्सर का युद्ध (22-10-1764 ईस्वी) ❖ पृष्ठभूब्रम अंग्रेज ं ने मुग़ल बादशाह फर्रुखशशयर द्वारा शदए गए दस्तक का दु र्रपय ग करना प्रारं भ कर शदया। नवाब मीर काशिम ने हुगली के बंदरगाह क कर मु क्त घ शित कर शदया और अंग्रेज ं ने नवाब क अपदस्थ करके मीर जाफर क पुनः बंगाल का नवाब बनाया। मीर काशिम, मुग़ल बादशाह व अवध के नवाब के िाथ शमलकर एक शिगुट बनाया। ❖ बक्सर का युद्ध यह युद्ध मुगल बादशाह शाह आलम शद्वतीय, अवध का नवाब शुजाउद्दौला तथा बंगाल का अपदस्थ नवाब मीर काशिम की िम्मिशलत िेना और अं ग्रेज ं के मध्य हुआ था। इि युद्ध में शिशटश िे ना के 5000 िैशनक हे क्टर मुनर के नेतृत्व में तथा शिगुट (तीन ं के िम्मिशलत िेना) की 50000 िैशनक ं ने भाग शलया था। इि युद्ध में अं ग्रेज ं की शवजय हुई। ❖ इस युद्ध का पररणाम व महत्व इलाहाबाद की संब्रध (12 अगस्त 1765 ईस्वी)- यह िंशध मु गल बादशाह शाह आलम शद्वतीय और रॉबटु क्लाइव (अंग्रेज) के मध्य हुआ था। 1. मुगल बादशाह ने बंगाल, शबहार व उड़ीिा की दीवानी ईस्ट इं शिया कंपनी क दे शदया। 2. इिके बदले ईस्ट इं शिया कंपनी ने मु गल बादशाह क 26 लाख र्रपया वाशिुक दे ना स्वीकार शकया। 3. उत्तरी है दराबाद का क्षेि भी मुगल बादशाह ने ईस्ट इं शिया कंपनी क दे शदया। इलाहाबाद की संब्रध (16 अगस्त 1765 ईस्वी)- यह िंशध अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा रॉबटु क्लाइव के बीच हुआ था। 1. ईस्ट इं शिया कंपनी क 50 लाख र्रपये बतौर युद्ध के हजाु ना के रूप में शदया गया। 2. कड़ा और इलाहाबाद के शजले अवध के नवाब िे लेकर मुगल बादशाह क दे शदया गया। िोि- इलाहाबाद की िंशध के िमय नज्मुद्दौला बंगाल का नवाब था। बंगाल में द्वै ध/दोहरा शासि- द्वै ध/ द हरा शािन का अथु ित्ता का द केंद्र ह ना है । बं गाल में ित्ता का द केंद्र शिशटश और बं गाल का नवाब था। बंगाल में राजस्व प्रशािन अं ग्रेज ं के अधीन था जबशक शेि प्रशािन नवाब के अधीन था। राजस्व प्रशासि के अधीि शाब्रमल थे- 1. करार पण 2. कर विूली 3. कर आवंटन प्रश्न- बक्सर के युद्ध का कारण, पररणाम व महत्व की चचाु करें । प्रश्न- बक्सर के युद्ध ने प्लािी के युद्ध के अधू रे शनणुय क पू रा कर शदया। शटप्पणी करें । बक्सर युद्ध का महत्व 1. शिशटश िैन्य कुशलता शिद्ध हुई। Saksham BPSC 3 2. भारतीय िैन्य ख खलापन उजागर हुआ। 3. भारतीय नवाब ं की नेतृत्व अक्षमता उजागर हुआ। 4. इलाहाबाद की िंशध िे भारतीय नवाब ं क िंदेश शदया गया शक हमारे म्मखलाफ शकया गया गुटबाजी बहुत नु किानदे ह िाशबत ह गा। 5. द्वै ध शािन िे बड़े पैमाने पर धन शमला शजिका प्रय ग िैन्य िंरचना क मजबूत करने में शकया गया शजििे शिशटश िाम्राज्यवाद क बल शमला। 6. बंगाल के नवाब क जनता की नजर में बदनाम शकया गया शजििे भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना का मागु प्रशस्त हुआ। अतः हम कह िकते हैं शक बक्सर ने प्लािी के अधू रे शनणुय क पू रा कर शदया। अवध ❖ स्वतंि अवध के िंस्थापक िआदत खां बु रहान-उल-मु ल्क थे। ❖ अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने बक्सर के युद्ध और इलाहाबाद की िंशध में भाग शलया तथा पानीपत के तृतीय यु द्ध में अहमदशाह अब्दाली के तरफ िे लड़ा था। ❖ नवाब आिफ-उद् -दौला ने अवध की राजधानी फैजाबाद िे हस्तां तररत करके लखनऊ कर शदया। ❖ नवाब ने लखनऊ में रूमी दरवाजा व इमामबाड़ा बनवाया। ❖ जेम्स आउटर म के कुशािन के ररप टु के आधार पर अवध के नवाब वाशजद अली शाह क अपदस्थ करके अवध क शिशटश राज्य में शमला शलया गया।  PW Web/App: https://smart.link/7wwosivoicgd4 Saksham BPSC 1 दै ब्रिक क्लास िोि् स Saksham BPSC आधुब्रिक इब्रिहास Lecture – 08 मैसूर और पंजाब में ब्रिब्रिश ब्रिस्तार Saksham BPSC 2 मैसूर और पंजाब में ब्रिब्रिश ब्रिस्तार मैसूर ❖ 1565 ईस्वी में तालीकोटा की लड़ाई के बाद विजयनगर के खंडहरों पर मै सूर का उदय हुआ। ❖ विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद, 1565 ईस्वी में वहन्दू िावडयार िं श द्वारा मैसूर राज्य को स्वतं त्र राज्य घोवित कर वदया गया। ❖ िोवडयार िंश के अंवतम शासक विक्का कृष्णराज वद्वतीय के शासनकाल में िास्तविक सत्ता दे िराज(दलिाई या सेनापवत) और नंजराज (सिाा विकारी या वित्त एिं राजस्व वनयंत्रक) के हाथों में आ गयी थी। ❖ ये क्षेत्र पेशिा और वनज़ाम के बीि वििाद का वििय बन गया था। ❖ है दर अली ने अपने जीिन की शुरुआत एक सैवनक के रूप में की थी। ❖ 1755 ईस्वी में है दर अली वडं डीगुल का फौजदार बना। ❖ है दर अली ने फ्ां सीवसयों की सहायता से एक आिुवनक शस्त्रागार बनिाया। ❖ 1761 ईस्वी में है दर अली ने मैसूर के राजिं श को हटाकर मैसूर राज्य पर अपना कब्ज़ा कायम कर वलया। Saksham BPSC 3 ❖ है दर अली ने फ़्ां स की सहायता से मैसूर को और अविक शक्तिशाली बनाने का प्रयास वकया। यही अंग्रेजों ि मैसूर के बीि झगड़े का मुख्य कारण बना। आं ग्ल-मैसूर युद्ध प्रथम आं ग्ल-मैसूर युद्ध (1767-1769 ईस्वी) ❖ कारण- मैसूर-फ्ां सीसी वमत्रता एिं अंग्रेजों का दवक्षण की राजनीवत में सविय भागीदारी करना था। ❖ अंग्रेज मराठों और है दराबाद के वनजाम के साथ एक वत्रगु ट बनाना िाहते थे। ❖ है दर अली ने मराठों को 35 लाख रुपये दे कर गु ट तोड़ वदया। ❖ है दर ने काफी ितुराई और कूटनीवतक कौशल का प्रदशान वकया। उसने तटस्थता बनाए रखने के वलए मराठों को भुगतान वकया और विवजत क्षे त्रों को साझा करने का िादा करके वनज़ाम को अपना सहयोगी बनने के वलए राजी वकया। ❖ वनज़ाम के साथ वमलकर है दर अली ने अकोट के निाब पर हमला बोल वदया । ❖ यह युद्ध अं ग्रेज़ों और है दर अली के मध्य लड़ा गया। ❖ युद्ध वबना वकसी पररणाम के डे ढ़ ििा तक जारी रहा। ❖ है दर ने अपनी रणनीवत पररिवतात की और अिानक मद्रास पर आिमण कर वदया इससे मद्रास में अव्यिस्था एिं दहशत फैल गई। ❖ अंग्रेज़ों ने वििशता में है दर अली की शतों पर 4 अप्रैल, 1769 को मद्रास की संवि की। इस संवि से कैवदयों एिं विवजत क्षेत्रों का आदान-प्रदान हुआ। Saksham BPSC 4 वकसी अन्य राज्य द्वारा आिमण वकए जाने की क्तस्थवत में है दर अली को अंग्रेज़ों ने सहायता प्रदान करने का िादा वकया। ब्रििीय आं ग्ल-मैसूर युद्ध (1780-84 ईस्वी) ❖ ििा 1771 में जब मराठा से ना ने मैसूर पर आिमण वकया था तब अंग्रेज़ मद्रास की संवि का पालन करने में विफल रहे । है दर अली ने उन पर विश्वास भंग करने का आरोप लगाया। ❖ है दर अली ने सेना की बंदूकों, शोरा एिं सीसा की आिश्यकताओं को पूरा करने के मामले में फ्ााँ सीवसयों को अविक सािन संपन्न पाया। नतीजतन उसने मालाबार तट पर फ्ााँ सीवसयों के अविकृत क्षे त्र माहे के माध्यम से मैसूर में फ्ााँ सीसी युद्ध सामग्री का आयात करना शुरू कर वदया। दोनों के बढ़ते संबंिों ने अंग्रेज़ों की विंताएाँ बढ़ा दीं। ❖ अंग्रेज़ों ने माहे को अपने अविकार में लाने का प्रयास वकया जो वक है दर अली के संरक्षण में था। ❖ है दर अली ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध मराठों एिं वनजाम के साथ गठबंिन वकया। ❖ उसने कनाा टक पर आिमण वकया और अकोट पर कब्ज़ा कर वलया तथा ििा 1781 में कनाल बेली के अिीन अंग्रेज़ी सेना को परावजत कर वदया। ❖ इस बीि अंग्रेज़ों (आयरकूट के नेतृत्त्व में) ने है दर की तरफ से मराठों और वनजाम दोनों को अलग कर वदया लेवकन है दर अली ने साहसपूिाक अंग्रेज़ों का सामना वकया, उसे निंबर 1781 में पोटोनोिो में केिल एक बार पराजय का सामना करना पड़ा। ❖ है दर अली ने अपनी से नाओं को पुनः संगवठत वकया एिं अंग्रेज़ों को परावजत कर उनके सेनापवत ब्रे थिेट को बंदी बना वलया। ❖ 7 वदसंबर, 1782 को कैंसर के कारण है दर अली की मृत्यु हो गई। ❖ उसके पुत्र टीपू सुल्तान ने वबना वकसी सकारात्मक पररणाम के एक ििा तक युद्ध जारी रखा। ❖ एक अवनणाा यक युद्ध से तंग आकर दोनों पक्षों ने शां वत का विकल्प िुना और मैंगलोर की संवि (मािा 1784) हुई, इसके तहत दोनों पक्षों ने एक दू सरे से जीते गए क्षे त्रों को िापस लौटा वदया। िृिीय आं ग्ल-मैसूर युद्ध (1790-92 ईस्वी) ❖ तृतीय आं ग्ल-मैसूर युद्ध तब शुरू हुआ जब टीपू ने अंग्रेज़ों के एक सहयोगी त्रािणकोर पर आिमण कर वदया, त्रािणकोर ईस्ट इं वडया कंपनी के वलये काली वमिा का एकमात्र स्रोत था। ❖ अंग्रेज़ों ने त्रािणकोर का साथ वदया एिं मै सूर पर आिमण कर वदया। ❖ ििा 1790 में टीपू सुल्तान ने जनरल मीडोज़ के नेतृत्त्व में वब्रवटश सेना को हराया। ❖ ििा 1791 में लॉडा कानािावलस ने नेतृत्व सं भाला और बड़े सैन्य बल के साथ अंबूर एिं िेल्लोर होते हुए बैं गलोर तथा िहााँ से श्रीरं गपटनम तक पहुाँ िा। ❖ मराठों एिं वनजाम के समथा न के साथ अंग्रेज़ों ने दू सरी बार श्रीरं गपटनम पर आिमण वकया। ❖ टीपू ने अं ग्रेज़ों का डटकर सामना वकया परं तु सफल नहीं हो सका। ❖ ििा 1792 में श्रीरं गपटनम की संवि के साथ युद्ध समाप्त हुआ। इस संवि के तहत मैसूर क्षेत्र का लगभग आिा वहस्सा वब्रवटश, वनजाम एिं मराठों के गठबंिन द्वारा अविग्रहीत कर वलया गया था। इसके अवतररि टीपू से तीन करोड़ रुपए युद्ध क्षवत के रूप में भी वलये गए। युद्ध क्षवत पूवता का आिा भुगतान तु रंत वकया जाना था जबवक शेि भुगतान वकश्ों में वकया जाना था, वजसके वलये टीपू के दो पुत्रों को अंग्रेज़ों द्वारा बंिक बना वलया गया था। Saksham BPSC 5 टीपू को अपनी सेना 50% तक कम करनी पड़ी। चिुथथ आं ग्ल-मैसूर युद्ध (1799 ईस्वी) ❖ ििा 1796 में जब िोवडयर िंश के वहं दू शासक की मृत्यु हो गई, तो टीपू ने स्वयं को सुल्तान घोवित कर वदया और वपछले युद्ध में अपनी अपमानजनक पराजय का बदला लेने का वनणाय वकया। ❖ ििा 1798 में लॉडा िेलेजली को सर जॉन शोर के पश्चात नया गिनार जनरल बनाया गया। ❖ फ्ााँ स के साथ टीपू के बढ़ते संबिों के कारण िेलेजली की विताएाँ बढ़ गई। ❖ टीपू सुल्तान ने अंग्रेज़ों के आवश्रत बन जाने के संवि प्रस्ताि को अस्वीकार कर वदया। ❖ टीपू पर विश्वासघात के इरादे से अरब, अफगावनस्तान एिं फ्ााँ सीसी द्वीप (मॉरीशस) और िसाा य में गुप्तिर भेजकर अंग्रेज़ों के विरुद्ध िड्यंत्र रिने का आरोप लगाया गया। ❖ 17 अप्रैल, 1799 को युद्

Use Quizgecko on...
Browser
Browser