मूल अधिकार और कर्तव्य (Fundamental Rights and Duties) PDF

Summary

इस दस्तावेज़ में भारतीय संविधान के मूल अधिकारों और कर्तव्यों का विवरण दिया गया है। इसमें संविधान के विभिन्न भागों और अनुच्छेदों का वर्णन है।

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# मूल अधिकार (Fundamental Rights) और मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) भारतीय संविधान में ## मूल अधिकार (Fundamental Rights) - मूल अधिकार भारतीय संविधान के भाग III में वर्णित हैं। - ये अधिकार नागरिकों को उनके जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करने के लिए प्रदान किए गए हैं। - भारतीय संविधान में निम्...

# मूल अधिकार (Fundamental Rights) और मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) भारतीय संविधान में ## मूल अधिकार (Fundamental Rights) - मूल अधिकार भारतीय संविधान के भाग III में वर्णित हैं। - ये अधिकार नागरिकों को उनके जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा की रक्षा करने के लिए प्रदान किए गए हैं। - भारतीय संविधान में निम्नलिखित मूल अधिकारों का उल्लेख है: 1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) 2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) 3. जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21) 4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28) 5. संस्कृति और शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 29-30) 6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32-35) - इन मूल अधिकारों का उद्देश्य नागरिकों को उनके मूल अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए संवैधानिक उपचार प्रदान करना है। ## मूल कर्तव्य (Fundamental Duties) - मूल कर्तव्य भारतीय संविधान के भाग IV-A में वर्णित हैं। - ये कर्तव्य नागरिकों को उनके देश, समाज और संस्कृति के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रदान किए गए हैं। - भारतीय संविधान में निम्नलिखित मूल कर्तव्यों का उल्लेख है: 1. भारत की एकता और अखंडता की रक्षा करना (अनुच्छेद 51ए) 2. संविधान का सम्मान करना और उसके प्रावधानों का पालन करना (अनुच्छेद 51ए) 3. देश की सुरक्षा और एकता के लिए काम करना (अनुच्छेद 51ए) 4. भारतीय संस्कृति की रक्षा और प्रगति करना (अनुच्छेद 51ए) 5. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और संवर्धन करना (अनुच्छेद 51ए) 6. सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए काम करना (अनुच्छेद 51ए) 7. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान करना (अनुच्छेद 51ए) 8. राष्ट्रीय संपत्ति का संरक्षण और संवर्धन करना (अनुच्छेद 51ए) 9. सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान करना और उसका संरक्षण करना (अनुच्छेद 51ए) 10. वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवतावादी मूल्यों को बढ़ावा देना (अनुच्छेद 51ए) - इन मूल कर्तव्यों का उद्देश्य नागरिकों को उनके देश, समाज और संस्कृति के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रेरित करना है। ## भारतीय संविधान सभा - भारतीय संविधान सभा की स्थापना 6 दिसंबर 1946 को हुई थी। - इस सभा का मुख्य उद्देश्य भारत के लिए एक संविधान तैयार करना था। - संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे, जिनमें से 299 सदस्य भारत के विभाजन के बाद शामिल हुए थे। - संविधान सभा के कुछ प्रमुख सदस्यों में राजेन्द्र प्रसाद, बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि शामिल थे। - संविधान सभा ने अपना कार्य 1 दिसंबर 1946 से आरम्भ कर दिया और 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 165 दिन बैठक की। - इस सभा ने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया, जो 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। ## भारतीय संविधान के कुछ महत्वपूर्ण अनुच्छेदों की सूची - भारतीय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद हैं, जो 22 भागों में विभाजित हैं। ### **भाग I: संघ और इसके क्षेत्र** 1. अनुच्छेद 1: भारत का नाम और क्षेत्र 2. अनुच्छेद 2: संघ के क्षेत्र में बदलाव 3. अनुच्छेद 3: नए राज्यों का निर्माण और पुराने राज्यों का विलय ### **भाग III: मूल अधिकार** 1. अनुच्छेद 14: समानता का अधिकार 2. अनुच्छेद 15: धर्म, जाति, लिंग, या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध 3. अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का निषेध 4. अनुच्छेद 19: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार 5. अनुच्छेद 21: जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार ### **भाग IV: नीति निर्देशक सिद्धांत** 1. अनुच्छेद 38: राज्य का कर्तव्य - समाजवादी राज्य की स्थापना 2. अनुच्छेद 39: राज्य का कर्तव्य - समाज में समानता और न्याय की स्थापना 3. अनुच्छेद 41: राज्य का कर्तव्य - शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था ### **भाग V: संघ** 1. अनुच्छेद 52: राष्ट्रपति का पद 2. अनुच्छेद 53: राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य 3. अनुच्छेद 61: राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया 4. अनुच्छेद 71: उपराष्ट्रपति का पद और शक्तियाँ ### **भाग VI: राज्य** 1. अनुच्छेद 153: राज्यपाल का पद 2. अनुच्छेद 154: राज्यपाल की शक्तियाँ और कार्य 3. अनुच्छेद 161: राज्यपाल के निर्वाचन की प्रक्रिया 4. अनुच्छेद 163: मुख्यमंत्री का पद और शक्तियाँ ## भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble) "हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समानता प्राप्त करने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को बढ़ावा देने के लिए, इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।" इस प्रस्तावना में भारत के संविधान के मुख्य उद्देश्यों और सिद्धांतों को बताया गया है, जिनमें शामिल हैं: - संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न और समाजवादी गणराज्य - धर्मनिरपेक्ष और लोकतंत्रात्मक शासन - सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय - विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता - प्रतिष्ठा और अवसर की समानता - व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को बढ़ावा देना

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