12th Chapter Notes (Chemistry) PDF

Summary

These chapter notes detail various types of solutions, including their components (solvents and solutes). Different types of solutions (solid, liquid, gaseous) and their properties are also discussed, along with solubility.

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# 12th CHAPTER NOTES (हस्तलिखित) ## विषय - रसायन विज्ञान ## अध्याय - 2 ## विलयन ### विलयन के प्रकार - दो या दो से अधिक अवयवों के समांगी मिश्रण को विलयन कहा जाता है। - जैसे नमक तथा जल का मिश्रण, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन का मिश्रण, चीनी तथा जल का मिश्रण आदि। ### समांगी तथा असमांगी मिश्रण #### समा...

# 12th CHAPTER NOTES (हस्तलिखित) ## विषय - रसायन विज्ञान ## अध्याय - 2 ## विलयन ### विलयन के प्रकार - दो या दो से अधिक अवयवों के समांगी मिश्रण को विलयन कहा जाता है। - जैसे नमक तथा जल का मिश्रण, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन का मिश्रण, चीनी तथा जल का मिश्रण आदि। ### समांगी तथा असमांगी मिश्रण #### समांगी मिश्रण - मिश्रण जिनके अवयवों के अंतर को देखा नहीं जा सकता है, संमागी मिश्रण कहलाते हैं। - समांगी मिश્રણ के संघटन एवं गुण सभी जगह एक समान होते हैं। - उदाहरण - जल तथा नमक का विलयन (मिश्रण), जल तथा चीनी का विलयन, जल तथा नींबू के रस का मिश्रण, नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन का मिश्रण, ब्रांज आदि। #### असमांगी मिश्रण - मिश्रण जिनके अवयवों को नंगी आँखों से देखा जा सकता है, असमांगी मिश्रण या विषमांगी मिश्रण कहलाते हैं। - असमांगी मिश्रण के संघटन तथा गुण एक समान नहीं होते हैं। - असमांगी मिश्रण या विषमांगी मिश्रण को अंग्रेजी में हेट्रोजिनियस कहते हैं। - उदाहरण - तेल तथा जल का मिश्रण, रेत तथा चीनी का मिश्रण, धुंआ तथा हवा का मिश्रण आदि। ### विलायक तथा विलेय - विलयन में सामान्यतः जो अवयव अधिक मात्रा में उपस्थित होता है, विलायक कहलाता हैं। - विलायक विलयन की भौतिक अवस्था निर्धारित करता है, जिसमें विलयन विद्यमान होता है। - विलायक को अंग्रेजी में "शाल्वेंट" कहा जाता हैं। - विलयन में जो अवयव कम मात्रा में उपस्थित रहता है, विलेय कहलाता हैं। - किसी भी विलयन में विलेय एक या एक से अधिक हो सकता है। - दूसरे शब्दों में विलयन में विलायक के अतिरिक्त एक या अधिक अवयव विलेय कहलाते हैं। - उदाहरण- चीनी तथा जल के विलयन में चीनी की मात्रा कम तथा जल की मात्रा अधिक होते हैं। अतः चीनी तथा जल के विलयन में चीनी विलेय तथा जल विलायक है। ### विलयनों के प्रकार - विलयन के घटक या अवयव ठोस, द्रव या गैस हो सकते हैं। - विलयन को उनके अवयवों के आधार पर तीन प्रकार में बाँटा जा सकता है- 1. गैसीय विलयन 2. द्रव विलयन 3. ठोस विलयन #### (1) गैसीय विलयन - विलयन जिसमें विलायक गैसीय अवस्था में होते हैं, गैसीय विलयन कहा जाता हैं। - गैसीय विलयन को तीन प्रकार में बाँटा जा सकता है। - गैस गैस विलयन - द्रव गैस विलयन - ठोस गैस विलयन #### (2) द्रव विलयन - विलयन जिसमें विलायक द्रव अवस्था में होता है, द्रव विलयन कहा जाता है। - द्रव विलयन विलेय के अनुसार पुनः तीन भागों में बाँटा जा सकता हैं - गैस- द्रव विलयन - ठोस - द्रव विलयन - द्रव - द्रव विलयन #### (3) ठोस विलयन - विलयन जिसमें विलायक ठोस अवस्था में हो, ठोस विलयन कहा जाता है। - ठोस विलयन विलेय की अवस्था के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं। - ठोस - ठोस विलयन - गैस - ठोस विलयन - द्रव - ठोस विलयन ### विलयन की सान्द्रता को व्यक्त करना - विलयन की इकाई आयतन में उपस्थित विलेय की मात्रा विलयन की सान्द्रता कहलाती है। - किसी विलयन के सघंटन को सान्द्रता के द्वारा व्यक्त किया जाता है। - सान्द्रता को गुणात्मक तथा मात्रात्मक दोनों तरह से व्यक्त किया जाता है। - विलयन की सान्द्रता को मात्रात्मक रूप से व्यक्त किया जाना - मात्रात्मक रूप से विलयन की सान्द्रता को पाँच तरह से परिभाषित किया जा सकता है. 1. **द्रव्यमान प्रतिशत (W/W)** - विलयन की सान्द्रता द्रव्यमान प्रतिशत के रूप में निम्न तरह से परिभाषित किया जा सकता है। - विलयन में उपस्थित अवयव का द्रव्यमान / विलयन के अवयव का द्रव्यमान % = विलयन का कुल द्रव्यमान X100 - अतः विलयन के कुल द्रव्यमान में उपस्थित विलयन के प्रव्यमान का प्रतिशत विलयन के अवयव का द्रव्यमान % कहलाता है। 2. **आयतन प्रतिशत (VIN)** - विलयन की सान्द्रता आयतन % को निम्न प्रकार से व्यक्त किया - अवयव का आयतन / विलयन का कुल आयतन X100 = अवयव का आयतन प्रतिशत 3. **द्रव्यमान आयतन प्रतिशत (W/V)** - 100 ML विलयन में धुले हुए विलेय का द्रव्यमान - आयतन प्रतिशत कहलाता हैं। - विलयन की सान्द्रता द्रव्यमान आयतन प्रतिशत में इकाई औषधियाँ तथा फार्मेसी में उपयोग में आती है। 4. **पार्टस पर (प्रति) मिलियन** - जब विलेय की मात्रा अत्यंत्व सूक्ष्म होती है, - अवयव के भागों की सं / विलयन में उपस्थित सभी अवयवों के कुल भागों की सं० X100 = पार्टस पर (प्तति) मिलियन - प्रतिशत की तरह ही पार्ट्स पर मिलियन सान्द्रता को भी द्रव्यमान- हत्यमान, आयतन आयतन तथा हत्यमान-आयतन में प्रदर्शित किया जा सकता है। 5. **मोल - अंश** - मोल - अंश = अवयव के मोलों की संख्या / सभी अवयवों के कुल मोलों की सं० 6. **मोलरता** - एक विलयन में धुले हुए विलेय के मोलों की संख्या को उस विलयन को मोलरता (M) कहा जाता है। - मोलरता = विलेय के मोल / विलयन का ली. में आयतन 7. **मोललता** - किसी विलयन की मोललता (m) 1kg विलायक में उपस्थित विलेय के मोलों की संख्या के रूप में परिभाषित की जाती है। अर्थात् - मोललता (m) = विलेय के मोल / विलायक का किलोग्राम में द्रव्यमान ### ठोस तथा गैस की द्रवों में विलेयता #### विलेयता - एक विलायक की निश्चित मात्रा में घुली हुई किसी पदार्थ की अधिकतम मात्रा उस पदार्थ की अधिकतम विलेयता कहलाता है। - विलेयता, विलेय एवं विलायक की प्रकृति तथा ताप एवं दाब पर निर्भर करती है। #### ठोसों की द्रवों में विलेयता - किसी भी द्रव में सभी ठोस नहीं घुलता हैं। - जैसे चीनी तथा नमक जल में आसानी से घुल जाता है। लेकिन बेन्जीन में नहीं घुलता हैं। #### समान - समान को घोलता हैं - यह देखा गया है कि ध्रुवीय विलेय, ध्रुवीय विलायकों में घुलते है जबकि अध्रुवीय विलेय अध्रुवीय विलायकों में। ### संतृप्त विलयन 1. **ताप एवं दाब पर जब किसी विलयन में विलेय की और अधिक मात्रा नहीं घोली जा सके, तो ऐसा विलयन संतृप्त विलयन कहलाता है।** 2. **वह विलयन जो बिना घुले विलेय के साथगतिक साम्य में होता हैं, संतृप्त विलयन कहलाता है।** ### असंतृप्त विलयन - ताप एवं दाब पर जब किसी विलयन में विलेय की और अधिक मात्रा घोली जा सके, तो ऐसा विलयन असंतृप्त विलयन कहलाता है। ### हेनरी का नियम - गैस की विलायक में विलेयता तथा दाब में बीच मात्रात्मक संबंध सर्वप्रथम अंग्रेज रसायनशास्त्री हेनरी ने बतलाया। - हेनरी द्वारा बतलाये गये संबंध को हेनरी का नियम कहते हैं। - हेनरी के नियम के अनुसार, स्थिर ताप पर किसी गैस की द्रव में विलेयता ‘गैस के दाब पर’ के समानुपाती होता है। - यदि विलयन में गैस के मोल अंश को उसकी विलेयता का माप मानें कि किसी विलयन में गैस की मोल अंश उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है। - अतः सामान्य रूप से हेनरी के नियम के अनुसार किसी गैस का वाष्प अवस्था में आंशिक दाब (p), उस विलयन में गैस के मोल अंश (४) के समानुपाती होता हैं। अथवा - p = KHX - यहाँ KH हेनरी स्थिरांक है तथा आंशिक दाब एवं X मोल अंश हैं। - समीकरण (1) के अनुसार, दाब पर KH का मान जितना अधिक होगा, द्रव में गैस की विलेयता उतनी ही कम होगी। ### हेनरी के नियम का उपयोग 1. **दाब बढ़ने पर द्रव में गैस की विलेयता बढ़ती है इसलिए सोडा जल तथा शीतल पेय में CO₂ की विलेयता बढ़ाने के लिए बोतल को अधिक दाब पर बंद किया जाता है।** 2. **बेंड्स** ### द्रवीय विलयन का वाष्प दाब - विलायक के द्रव होने पर द्रवीय विलयन बनता है। - विलेय एक गैस, ठोस या द्रव कुछ भी हो सकता है। - द्रवीय विलयन में एक या अधिक अवयव वाष्प-शील हो सकते हैं। - जब एक द्रवीय विलयन को एक बंद पात्र या जार में रखा जाता है तो विलयन के कुछ अणु वाष्पीकृत होकर विलयन के ऊपर स्थित खाली जगह में जमा होने लगते है। - बंद पात्र में विलयन के ऊपर उसके वाष्पीकृत अवस्था वाले अणुओं द्वारा विलयन की सतह पर लगाये जाने वाले दाब द्रवीय विलयन का वाष्प दाब कहलाता है। ### द्रव - द्रव विलयनों का वाष्प दाब - एक बंद पात्र में एक द्विअंगी विलयन लेने पर, विलयन के दोनों अवयव तब तक वाष्पीकृत होते हैं, जब तक कि दोनों अवयवों के वाष्प प्रावस्था तथा द्रव प्रावस्था के बीच एक साम्य नहीं स्थापित हो जाता है। ### राउल्ट का नियम - फ्रेंसियस मार्ट राउल्ट, जो एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक थे, ने द्रव - द्रव द्विआंगी विलयन के वाष्प दाब तथा मोल अंश के बीच मात्रात्मक संबंध बतलाया था, जिसे राउल्ट नियम कहा जाता है। - राउल्ट नियम के अनुसार, वाष्पशील द्रवों के विलयन में प्रत्येक अवयव का आंशिक दाब विलयन में उसके मोल अंश के समानुपाती होता है। - मान लिया कि एक बंद पात्र में द्रव 1 और 2 का एक द्विअगी विलयन है। - मान लिया कि द्रव 1 का आंशिक दाब = P₁ - द्रव २ का आंशिक दाब = P2 - मान लिया, विलयन का साम्य अवस्था में कुल वाष्प दाब Pt तथा विलयन के दोनों अवयवों का मोल अंश क्रमशः X₁ तथा X2 है। - अतः राउल्ट के नियम के अनुसार, विलयन के अवयव 1 के लिए p₁∝x₁ - ⇒ p₁ = pix₁ - उसी प्रकार, विलयन के अवयव २ के लिए - ⇒ p2∝x2 - ⇒ p2 = p2 x2 - जहाँ p₁ और p2 विलयन 1 तथा 2 के शुद्ध अवयवों का क्रमशः आंशिक वाष्प दाब है। - अब, डाल्टन के आंशिक दाब के नियम के अनुसार पात्र में विलयन अवस्था का कुल दाब (px) विलयनों के अवयवों के आंशिक दाब के जोड़ के बराबर होता हैं। - अर्थात्, px = p₁ + p2 - अतः समीकरण (1) तथा समीकरण (2) से - pt = pix₁ + p2x2 - [∵ X₁ + x2 = 1, X₁ = 1-x2] - ∴ px = (1 - x2) p₁ + x2p2 - px = p₁ - pix2 + x2 p2 - px = p₁ - x2(p₁+p₂) - px = p₁ + (p₂ + p₁) x2 - III - उसी प्रकार, x2 = 1 - X1 - IV - अतः px = p₁ + (p₁ + p₂) x1 - किसी विलयन के लिए आंशिक दाब p₁ या p2 का X₁ तथा X2 के विरुद्ध आलेख - जब X का मान 1 होता है तो रेखा I बिन्दु p₁ से होकर गुजरती है. - जब X2 का मान 1 होता है तो रेखा II बिन्दु p₂ से होकर गुजरती है. - उसी प्रकार X2 का X₁ के विरुद्ध खींचा गया ग्राफ - रेखा Ⅲ भी रेखीय अर्थात् एक सरल रेखा होती है। - X2 का न्यूनतम मान x2 = 0 तथा अधिकतम मान X2 = 1 है। - यहाँ पर विलयन 1 के अवयव २ की तुलना में कम वाष्पशील हैं। - अर्थात् - यदि p₁ तथा p2 क्रमशः अवयव 1 तथा 2 के वाष्पीय मोल अंश है तब डाल्टन के आंशिक दाब के नियम के अनुसार - तथा - p₁ = yıpT - p2 = y2p2 - सामान्य रूप में p₁ = yıpT ### राउल्ट का नियम; हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति - राउल्ट के नियम के अनुसार, किसी विलयन में उसके वाष्पशील घटक का वाष्प दाब उसके मील अंश का समानुपाती होता है। - अथर्थात् - p₁ = x₁p₁ - जहाँ P₁ वाष्पशील अवयव का वाष्प दाब, X₁ तथा p₁ शुद्ध घटक का वाष्प दाब है। इसे समानुपाती स्थिरांक भी कह सकते हैं। - यदि किसी द्रवीय विलयन में घुलनशील घटक गैस हो, तो यह घटक हमेशा गैसीय रूप में ही रहता है। - द्रवीय विलयन में गैस की घुलनशीलता हेनरी के नियम से निर्धारित की जाती है। - हेनरी के नियम के अनुसार, किसी गैस का वाष्प अवस्था में आंशिक दाब (p), उस विलयन में गैस के मोल अंश (x) का समानुपाती होता है। - अर्थात - p = KHX - जहाँ, आंशिक दाब, X गैस का मोल अंश तथा KH समानुपाती स्थिरांक है। - इस प्रकार, राउल्ट का नियम और हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति हैं. - KH का मान p₁ के मान के बराबर हो जाता है। ### ठोस पदार्थों का द्रवों में विलयन एवं उनका वाष्पदाब #### वाष्प दाब - किसी ताप पर द्रव वाष्पित होता है तथा साम्यावस्था पर द्रव के वाष्प का ’, द्रव प्रवस्था पर डाला गया दाब उस प्र के वाप्प दाब कहलाता हैं। - शुद्ध द्रवों की सारी सतह द्रव के अणुओं से घिरी रहती है यदि किसी विलायक में एक अवाष्पशील विलेय डालकर विलयन बनाया जाता है तो इस विलयन का वाष्पदाब केवल विलायक के वाष्पदाब के कारण होता है। - विलयन की सतह पर विलेय व विलायक दोनों के अणु उपस्थित होते हैं। ### आदर्श एवं अनादर्श विलयन #### आदर्श विलयन - वह विलयन जो प्रत्येक सान्द्रता पर राउल्ट के नियम का पालन करते हैं उसे आदर्श विलयन कहते हैं। #### आदर्श विलयन के गुण 1. आदर्श विलयन बनाने में मिश्रित संथेल्पी में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए । अथर्थात् ∆H = 0 2. आदर्श विलयन के मिश्रण पर आयतन में कोई परिवर्तन नहीं होता है । अर्थात् △V = 0 3. आदर्श विलयन में भाग लेने वाले विलयन के अणुओं की संरचना, आकार एवं रासायनिक गुण बराबर होने चाहिए। #### आदर्श विलयन के उदाहरण - ब्रोमोएथेन और क्लोरोस्थेन का विलयन - बेंजीन और टॉलूईन का विलयन - ब्रोमो बेंजीन और क्लोरों बेंजीन का विलयन - n - हेक्सेन और n - हेप्टेन का विलयन #### अनादर्श विलयन - वह विलयन जो प्रत्येक सान्द्रता पर राउल्ट के नियम का पालन नहीं करते हैं उन्हें अनादर्श विलयन कहते हैं। - अनादर्श विलयनों का वाष्पदाब राउल्ट के नियम द्वारा प्रस्तुत वाष्पदाब के या तो अधिक होता है या कम होता है। लेकिन किसी भी स्थिति में समान नहीं होता है। - जब विलयन का वाष्पदाब अधिक होता है। तो यह विलयन राउल्ड के नियम से धनात्मक विचलन दशर्शाता है लेकिन विलयन का वाष्पदाब कम होता है तो यह विलयन राउल्ट के नियम से ऋणात्मक विचलन दर्शाता है। - अनादर्श विलयन में अणुओं की संरचना, आकार एवं रासायनिक गुण समान नहीं होते हैं। #### अनादर्श विलयन के उदाहरण - एथिल एल्कोहल और ऐसीटोन का विलयन - कार्बन टेट्राक्लोराइड और क्लोरोफॉर्म का' विलयन - एसीटोन और क्लोरोफॉर्म का विलयन ### अणुसंख्य गुणधर्म और आण्विक द्रव्यमान की गणना #### अणुसंख्य गुण - - किसी विलयन के वे भौतिक गुण जो इकाई आयतन में उपस्थित विलेय के कणों की संख्या पर निर्भर करते है न की उनकी प्रकृति पर, उन्हें अणुसंख्य गुण कहते हैं। - ये निम्न है। 1. वाष्पदाब 2. क्वथनांक में उन्नयन 3. हिमांक 4. परासरण दाब 5. वाष्पदाब का आपेक्षिक अवनमन - जब किसी शुद्ध विलायक में अवाष्पशील विलेय घोला जाता है, तो उसका वाष्पदाब कम हो जाता है, अर्थात् विलयन का वाष्पदाब शुद्ध विलायक से कम होता है, इसे वाष्पदाब में अवनमन कहते हैं। - माना शुद्ध विलायक व विलयन के वाष्पदाब क्रमश: P₂ तथा P₁ है। अत: वाष्पदाब का आपेक्षित अवनमन = (P₂ - P₁) / P₂ - माना किसी विलयन में विलायक व विलेय के मोलों की संख्या क्रमशः n₁ व n₂ है। तथा उनके मोल अंश क्रमशः X₁ व X₂ है तो विलेय के मोल - X₁ = n₁ / nı + n₂ - राउल्ट नियम से - (P₂ - P₁) / P₂ = n₂ / nı + n₂ - तुन विलयन के लिए n₁ >> n₂ n₂ ≈ n₁ - (Pı - P₁) / P₂ = n₂ / n₁ - चूँकि n₁ / W₁ = M₁ - अतः (Pı - P₁) / P₁ = W₁M₁ / W₁M₂ ### क्वथनांक - वह ताप जिस पर किसी द्रव का वाष्पदाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर हो जाता है उस ताप को द्रव का क्वथनांक कहते हैं। - एक वायुमण्डलीय या 1.013 बार पर शुद्ध जल का क्वथनांक 373.15K होता है। ### क्वथनांक का उन्नयन - जब किसी शुद्ध विलायक में कोई अवाष्पशील विलेय पदार्थ को विलीन किया जाता है तो विलायक के वाष्पदाब में कमी के कारण विलयन का क्वथनांक, विलायक क्वथनांक से अधिक हो जाता है। अथर्थात् - 66 शुद्ध विलायक में कोई अवाष्पशील विलेय के घोलने पर विलायक के क्वथनांक में होने वाली वृद्धि को क्वथनांक में उन्नयन कहते हैं। - क्वथनांक का उन्नयन एक अनुसंख्यक गुणधर्म है। - यदि किसी विलयन में विलायक का क्वथनांक T₁ तथा विलयन का क्वथनांक T₂ है तो क्वथनांक का उन्नयन △T₀ = T₂ - T₁ - किसी विलयन का क्वथनांक उन्नयन △T₀, विलयन में विलेय की मोललता M के अनुक्रमानुपाती होता है - अत: - या - △T₀αM - △T₀ = KьM - जहाँ Kь एक स्थिराक है जिसे क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक या मोलल उन्नयन स्थिरांक कहते हैं। - चूंकि मोललता M = ω / m X 1000 तो क्वथनांक उन्नयन स्थिराक - △T₀ = 1000 X KьXW / m X W - जहाँ - W = विलेय का भार - m = विलेय का अणुभार - W = विलायक का भार ### हिमांक में अवनमन - जब किसी शुद्ध विलायक में कोई विद्युत अपघट्य पदार्थ मिलाया जाता है तो विलायक का हिमांक कम हो जाता है। - हिमांक में उत्पन्न इस कमी को हिमांक में अवनमन कहते हैं। - इसे △Tƒ से प्रदर्शित करते हैं। - हिमांक में अवनमन एक अणुसंख्यक गुणधर्म है। - यदि किसी विलयन में विलायक का हिमांक T₁ व विलयन का हिमांक T₂ हो तो हिमांक में अवनमन - △Tƒ = T₁ - T₂ - किसी विलयन का हिंमाक में अवनमन विलयन में विलेय की मोललता के समानुपाती होता है। अर्थात् - △Tƒ = KƒM - जहाँ Kƒ एक स्थिरांक है जिसे मोलल हिमांक अवनमन स्थिरांक कहते है। - यदि M = 1 - △Tƒ = Kƒ - अर्थात् यदि विलयन की मोललता एकांक है तो इस दशा में हिमांक अवनमन स्थिरांक विलयन के हिमांक में अवनमन के बराबर होता है। ### परासरण एवं परासरण दाब #### परासरण - विलायक के अणुओं का अर्थ पारगम्य झिल्ली में से होकर शुद्ध विलायक से विलयन की ओर प्रवाह परासरण कहलाता है। ##### अर्थ पारगम्य झिल्ली - वे झिल्लियां जिनमें से केवल विलायक के अणुओं का प्रवाह होता है अर्थात् इनमें से केवल विलायक के अणु ही आर-पार निकल सकते है। विलेय पदार्थ के अणुओं का प्रवाह नहीं होता है। अर्ध पारगम्य झिल्ली कहलाती है। #### परासरण दाब - अर्ध पारगम्य झिल्ली द्वारा विलायक से पृथक किए गए विलयन में विलायक के प्रवेश को रोकने के लिए विलयन के प्रवेश को रोकने के लिए विलयन पर लगाए गए आवश्यक बाह्य बल को परासरण दाब कहते है। इसे π से प्रदर्शित करते हैं। - परासरण दाब एक अणुसंख्यक के गुणधर्म है। - परासरण दाब, ताप पर मोलरता के अनुक्रमानुपाती होता है। अर्थात् - π = MRT - जहाँ - M = मोलरता - R = गैस नियतांक - T = केल्विन में ताप - चूँकि M = मोलों की संख्या / आयतन = n / V - तब परासरण दाब π = nRT / V - परन्तु मोलों की संख्या = भार / अणु भार - तब परासरण दाब π = WRT / mv - जहाँ - W = विलेय का भार - m = विलेय का अणुभार #### परासरण दाब के नियम - परासरण दाब के तीन नियम है 1. बॉयल वांट हाँउ नियम 2. चार्ल्स वांट हॉउ नियम 3. आवोगाद्रो वाँट हॉउ नियम ### असामान्य मोलर द्रव्यमान - ऐसे मोलर द्रव्यमान जो सामान्य मोलर प्रत्यमान की तुलना में अधिक या कम प्राप्त होते हैं उन्हें विलेय पदार्थ का असामान्य मोलर द्रव्यमान कहते है, यह विलेय पदार्थ के विलयन में संगुणन या आयनन के कारण होता है। - वांट हॉफ ने एक वांट हॉफ गुणांक का प्रतिपादन किया इस गुणांक की सहायता से विलेय के संगुणन या आयनन की मात्रा को जात किया जा सकता है। - वांट हॉफ गुणांक को i द्वारा व्यक्त करते है। - i = प्रेक्षित अणु संख्यक गुण / सैद्धांतिक अणु संख्यक गुण

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