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रजिस्ट्री सं. डी.एल.- 33004/99 REGD. No. D. L.-33004/99 सी.जी.-डी.एल.-अ.-15032024-253066 xxxGIDHxxx...

रजिस्ट्री सं. डी.एल.- 33004/99 REGD. No. D. L.-33004/99 सी.जी.-डी.एल.-अ.-15032024-253066 xxxGIDHxxx CG-DL-E-15032024-253066 xxxGIDExxx असाधारण EXTRAORDINARY भाग II—खण्ड 3—उप-खण्ड (ii) PART II—Section 3—Sub-section (ii) प्राजधकार से प्रकाजित PUBLISHED BY AUTHORITY सं. 1272] नई दिल्ली, बृहस्ट्पजतिार, माचच 14, 2024/फाल्गुन 24, 1945 No. 1272] NEW DELHI, THURSDAY, MARCH 14, 2024/PHALGUNA 24, 1945 सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रालय (दिवयांगिन सिजिकरण जिभाग) अजधसूचना नई दिल्ली, 12 माचच, 2024 का.आ. 1338(अ).—के न्रीय सरकार दिंांगिन अजधकार अजधजनयम, 2016 (2016 का 49) की धारा 56 द्वारा प्रित्त िजि का प्रयोग करते हुए और सामाजिक न्याय और अजधकाररता मंत्रालय, दिंांगिन सिजिकरण जिभाग द्वारा तारीख 25 अप्रैल 2016 को िारी की गई अजधसूचना संख्या 16-21/2013-डीडी-3 और संख्या 16-9/2014-डीडी-3 [का. आ. 76 (अ) तारीख 4 िनिरी, 2018] को अजधक्ांत करते हुए, इसके द्वारा दकसी ंजि में जिजिजनर्िचष्ट दिंांगतां की सीमा का जनधाचरण करने के जलए जििेषज्ञों की उप-सजमजतयों की जसफाररिों पर जिचार करने के बाि, दकसी ंजि में जनम्नजलजखत जिजनर्िचष्ट दिंांगतां की सीमा का जनधाचरण करने के प्रयोिन के जलए मागचििशी जस्ांत अजधसूजचत करती है, जिनका ब्यौरा उपाबंध में दिया गया है, अर्ाचत् - i. गजतजिषयक दिंांगता; ii. िृजि बाजधता; iii. श्रिण बाजधता और िाक् एिं भाषा दिवयांगता 1914 GI/2024 (1) 2 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] iv. जिजनर्िचष्ट सीख दिंांगता, बौज्क दिंांगता और ऑरटज्म स्ट्पेक्ट्रम जिकार; v. मानजसक रुग्णता; vi. रि जिकार; vii. बहु जिकार; और viii. जचरकाजलक तंजत्रका संबंधी जिकार रटप्पण 1:- दिंांगिन अजधकार अजधजनयम, 2016 (2016 का 49) की धारा 57 के अनुसार, राज्य सरकार या संघ राज्य क्षेत्र प्रिासक या िैसा भी मामला हो, अपेजक्षत अहचताएं और अनुभि रखने िाले ंजियों को प्रमाणन प्राजधकारी के रूप में पिाजभजहत करें ग,े िो दिंांगता प्रमाण पत्र िारी करने के जलए सक्षम होंगे और उस अजधकाररता तर्ा जनबंधनों और ितें को भी अजधसूजचत करें गे जिनके अधीन रहते हुए प्रमाणन प्राजधकारी अपने प्रमाणन कृ त्यों का जनष्पादित करें गे। रटप्पण 2:- महाजनिेिक स्ट्िास्ट््य सेिाएं, स्ट्िास्ट््य और पररिार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार को उन मामलों पर जिजनश्चय करने का प्राजधकार िहां होगा िहां उि मागचििशी जस्ांतों के संबंध में पररभाषां या िगशी करण या मूल्यांकन प्रदक्या के जनिचचन से संबंजधत मामलों में कोई जििाि या संिेह उत्पन्न हो। [फा. सं. पी-13013/12/2023-यूडीआईडी/आईटी/सांजख्यकी] रािीि िमाच, संयक्ट् ु त सजचि अनुलग्नक दिंांगिन अजधकार अजधजनयम, 2016 (2016 का 49) के तहत िाजमल दकसी ंजि में जनधाचररत दिंांगता की सीमा के मूल्यांकन के उद्देश्य हेतु दििा-जनिेि [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र :असाधारण 3 I. गजतजिषयक दिंांगता पररभाषा - "गजतजिषयक दिंांगता" का अर्च मस्ट्कु लोस्ट्के लटल या तंजत्रका-तंत्र या िोनों की पीडा के पररणामस्ट्िरूप स्ट्ियं या िस्ट्तुं के चलन संबध ं ी गजत से संबजं धत जिभेिक गजतजिजधयों के जनष्पािन के जलए एक ंजि की अक्षमता से है। खंड क: चरम सीमा (ऊपरी और जनचली चरम सीमा) के स्ट्र्ायी िारीररक ह्रास (पीपीआई) के मूल्यांकन के जलए दििाजनिेि 1.1. ऊपरी चरम सीमा की स्ट्र्ायी िारीररक ह्यस (पीपीआई) के मूल्यांकन के जलए दििाजनिेि (क) अनुमान और पररमाप तब दकया िाएगा िब नैिाजनक जस्ट्र्जत जचदकत्सा उपचार से अजधकतम सुधार के चरण तक पहुुँच चुकी हो। सामान्यतः समय अिजध उस जचदकत्सा जचदकत्सक द्वारा जनधाचररत की िानी है िो प्रमाणपत्र के मानक प्रपत्र के अनुसार पीपीआई प्रमाणपत्र िारी करने के जलए इस मामले का मूल्यांकन कर रहा है। (ख) ऊपरी चरम सीमा िो घटकों; भुिा घटक और हार् घटक में जिभाजित की गई है। (ग) भुिा घटक के कायच के नुकसान के पररमाप में चलन संबध ं ी गजत की सीमा, मांसपेिीय ताकत और सहयोजित गजतजिजधयों के नुकसान का माप करना िाजमल है। (घ) हार् घटक के कायच के नुकसान के पररमाप में पकड, संिेिना और ताकत का जनधाचरण करना िाजमल है। पकड जनषेधक, पार्श्वचक चुटकी, बेलनाकार पकड, गोलाकार पकड और हुक पकड का आकलन करने के जलए मूल्यांकन दकया िाना चाजहए । (ङ) संपूणच चरम सीमा का ह्यस िोनों घटकों की बाजधतां के संयोिन पर जनभचर करती है। (च) कु ल दिंांगता की प्रजतितता 100 प्रजतित से अजधक नहीं होगी। (छ) दिंांगता को पूणाांक के रूप में प्रमाजणत दकया िाना चाजहए और एक अंि के रूप में नहीं । (ि) दिंांगता की प्रजतितता (पूरे िरीर के संबंध में दिवयांगता की प्रजतितता ििाचने के जलए भारत में सामान्यत: सहमत प्रणाली के अभाि में) ऊपरी चरम सीमा के संबंध में जनर्िचष्ट की िानी है िो भारत म गत कई िषषों से उपयोग में है। (झ) गजतिील (लोकोमोटर) दिंांगता के जलए धारा ग (जिच्छेिन िाले ंजियों में स्ट्र्ायी िारीररक हाजन) को छोडकर, अस्ट्र्ायी दिंांगता प्रमाणपत्र लक्षणों के 6 महीने बाि िारी दकया िाएगा। स्ट्र्ायी दिंांगता के जलए, 18 िषच की आयु के बाि प्रमाणपत्र दिया िाएगा और प्रत्येक 10 साल में पुन: मूल्यांकन दकया िाना चाजहए, िहां दिवयांगिन द्वारा अनुरोध दकया गया हो या दकसी जिषय जििेषज्ञ द्वारा जसफाररि की गई हो। 1.2.1. भुिा (ऊपरी चरम सीमा) घटक भुिा घटक का कु ल मूल्य 90 प्रजतित है। 4 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] 1.2.2. िोडों की गजतिीलता की सीमा (आरओएम) के मूल्यांकन के जस्ान्त (क) भुिा घटक में अजधकतम आरओएम के जलए िैल्यू (मान) 90 प्रजतित जनयत की गई है। (ख) जिजभन्न िोडों की भागीिारी के जलए अजधमानता (िेटेि) नीचे उल्लेख दकए गए अनुसार है; कं धा = 20 प्रजतित तक, कोहनी = 20 प्रजतित तक, कलाई = 10 प्रजतित तक, हार् = 40 प्रजतित तक, िारीररक अंग की भागीिारी की सीमा पर जनभचर करते हुए आगे पररकजलत की िाती है (हल्का - 1 / 3 से कम, मध्यम - 2 / 3 तक, या गंभीर - लगभग पूरा ) । यदि ऊपरी चरम सीमा में एक से अजधक िोड िाजमल है, तो प्रत्येक िोड में प्रजतितता की हाजन ऊपर दिए गए अनुसार अलग से पररकजलत की िाती है और दफर एक सार् िोडी िाती है। 1.2.3. मांसपेजियों की ताकत के मूल्यांकन के जस्ान्त : (क) मांसपेजियों की ताकत िस्ट्ती (मैनुअल) प्जत द्वारा िाुँच की िा सकती है और मांसपेजियों की ताकत पर जनभचर करते हुए जचदकत्सा अनुसंधान पररषि (एमआरसी), लंिन, यू.के. द्वारा जसफाररि दकए गए अनुसार 0-5 तक ग्रेड िी िा सकती है (पररजिि - I ) । (ख) मांसपेिी िजि की हाजन को नीचे दिए गए अनुसार प्रजतितता िी िा सकती है: (i) एक िोड के चारों ओर की मांसपेिी के ताकत की हाजन की माध्य प्रजतितता 0.30 से गुणा की िाती है | (ii) यदि मांसपेिी ताकत की हाजन में एक से अजधक िोड िाजमल होते हैं तो प्रत्येक िोड में प्रजतितता की औसत हाजन अलग से पररकजलत की िाती है और दफर एक सार् िोडी िाती है िैसा दक ऊपर गजतिीलता की हाजन के जलए जनधाचररत की गई है। 1.2.4. समजन्ित गजतजिजधयों के मूल्यांकन के जस्ान्त : (क) समजन्ित गजतजिजधयों के जलए कु ल मान 90 प्रजतित जनयत दकया गया है। (ख) िस जिजभन्न समजन्ित गजतजिजधयों की प्रपत्र क (पररजिि - II - ऊपरी चरम सीमा के जलए मूल्यांकन प्रपत्र) में दिए अनुसार िाुँच की िानी चाजहए। (ग) प्रत्येक गजतजिजध के जलए मान 9 प्रजतित जनयत दकया गया है। (घ) संिभच के जलए जिजभन्न िोडों की औसत सामान्य सीमा पररजिि - III पर है । 1.2.5. भुिा घटक के जलए मूल्यों का संयोिन : भुिा घटक के कायच की हाजन का कु ल मूल्य संयुि सूत्र का प्रयोग करते हुए आरओएम की हाजन, मांसपेिी ताकत और समजन्ित गजतजिजधयों का मान संयोिन द्वारा प्राप्त दकया िाता है । ख (90−क) क+ 90 िहां क = उच्चतर मान और ख = जनम्नतर मान है। 1.3.1. हार् घटक: (क) हार् घटक के जलए कु ल मान 90 प्रजतित जनयत दकया गया है । (ख) हार् की कायाचत्मक बाजधता पकडन संबंधी हाजन, संिेिना हाजन और ताकत संबध ं ी हाजन के रूप में ंि की िाती है। [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र असाधारण : 5 1.3.2. पकडन संबध ं ी मूल्यांकन के जस्ान्त : पकडन के जलए कु ल मान 30 प्रजतित जनयत दकया गया है। इसमें जनम्नजलजखत िाजमल हैं: (क) प्रजतरोध – 8% के जलए - तिचनी उं गली - 2% - मध्य उं गली - 2% - अंगूठी उं गली - 2% - छोटी उं गली - 2% - से िाुँच दकया गया (ख) पार्श्वचक चुटकी - 5% ― रोगी के अंगूठे और तिचनी उं गली के पार्श्वचक पक्ष के बीच एक चाबी पकडने के जलए कहकर िांच की िाता है। (ग) बेलनाकार पकड - 6% के जलए i. लगभग 4 इंच आकार की बडी िस्ट्तु ― 3% ii. 1-2 इंच आकार की छोटी िस्ट्तु ― 3% - द्वारा िांच की िाती है। (घ) गोलाकार पकड - 6% के जलए i. लगभग 4 इंच आकार की बडी िस्ट्तु ― 3% ii. 1-2 इंच आकार की छोटी िस्ट्तु ― 3% - के जलए िांच की िाती है। (ङ) हुक पकड― 5% ― रोगी को एक बैग को उठाने के जलए कहकर िांच की िाती है। 1.3.3. संिेिना के मूल्यांकन के जस्ांतः (क) हार् में संिेिना के जलए कु ल मान 30% है। (ख) इसका मूल्यांकन नीचे दिए गए जितरण के अनुसार दकया िाएगाः (i) संिेिना को पूरी क्षजत अंगूठा (र्ंब) रे – 9% तिचनी उं गली – 6% मध्य उं गली – 5% अंगूठी उं गली – 5% 6 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] छोटी उं गली – 5% (ii) संिेिना की आंजिक क्षजत : अंगूठे / उं गजलयों में संिेिना की क्षजत के प्रजतित के अनुसार मूल्यांकन दकया िाना चाजहए । 1.3.4. ताकत के मूल्यांकन के जस्ांत (क) ताकत के जलए कु ल मान 30% है। (ख) इसमें िाजमल हैं: (i) पकड ताकत – 20% (ii) चुटकी की ताकत – 10% हार् की िजि की िांच हैंड डाइनेमो मीटर या नैिाजनक जिजध ( पकड प्जत) द्वारा की िानी चाजहए। अजधग्रजहत जस्ट्र्जतयों (रोग / चोट इत्यादि) के कारण प्रमुख ऊपरी चरम सीमा (ज्यािातर िाईं और की ऊपरी चरम सीमा) की भागीिारी िाले वयजियों के मामलों में 10% अजधमानता िोडी िाती है और यह िन्मिात जिसंगजतयां, जस्ट्र्जतयां, हाजन या जिकृ जतयां िाले वयजियों के जलए नहीं है। ऊपरी चरम सीमा को कम करने के जलए, अजतररि अजधमानता जनम्नानुसार है: पहले 1” – कोई अजतररि अजधमानता नहीं। पहले 1” के बाि प्रत्येक 1" के जलए - 2% अजतररि अजधमानता अजतररि अजधमानता - जनम्नजलजखत सहयोगी कारकों को कु ल 10 प्रजतित तक अजतररक्ट्त अजधमानता िी िा सकती है यदि िे मानक उपचार के बाििूि महत्िपूणच, जनरं तर और स्ट्र्ायी हैं। (i) जिकृ जत कायाचत्मक जस्ट्र्जत में – 3% गैर कायाचत्मक जस्ट्र्जत में-– %6 (ii) ििच हल्के (कायच के सार् र्ोडा सा होना) – 3% मध्यम (कायच के सार् होना) – 6% गंभीर (कायच के सार् काफी हि तक होना) – 9% (iii) संिेिना का नुकसान आंजिक नुकसान – 6% तक पूणच नुकसान – 9% (iv) िरटलताएं [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र असाधारण : 7 सतही िरटलताएं – 3% अंिरूनी िरटलताएं – 6% पीपीआई का कु ल % दकसी भी मामले में 100% से अजधक नहीं होगा । दिंांगता का प्रजतित (पूरे िरीर के संबंध में ििाचने के जलए भारत में सामान्यत: सहमत प्रणाली के अभाि में) ऊपरी चरम सीमा के संबंध में बताया िाना चाजहए िो भारत में जपछले कई िषषों से उपयोग में है । दिंांगता का % पूणाांक में उजल्लजखत दकया िाना है और एक अंि के रूप में नहीं । 1.3.5. हार् घटक के मान का संयोिन : हार् घटक के कायच की हाजन का अंजतम मान पकडने, संिेिना और ताकत के हाजन के मान को िोडकर प्राप्त दकया िाता है। 1.3.6. चरम सीमा के जलए मान का संयोिन : भुिा घटक की बाजधता और हार् घटक की बाजधता के मान संयुि सूत्र उपयोग करके पररकजलत दकया िाना चाजहए: ख (90−क) क+ 90 िहां क = उच्चतर मान और ख = जनम्नतर मान है। 2. जनचली चरम सीमा में स्ट्र्ायी िारीररक बाजधता के मूल्यांकन के जलए दििाजनिेि जनचली चरम सीमा में कायच के नुकसान का माप िो घटकों में जिभाजित दकया िाता है, नामत: गजतिीलता घटक और जस्ट्र्रता घटक | 2.1.1. गजतिीलता घटक गजतिीलता घटक के जलए कु ल मान 90 प्रजतित है जिसमें गजतिीलता की सीमा (आरओएम) और मांसपेिी की ताकत िाजमल है। 2.1.2. गजतिीलता की सीमा के मूल्यांकन का जस्ांत : (क) गजतिीलता घटक में गजतिीलता की अजधकतम सीमा के जलए मान 90% है। (ख) नीचे दिए अनुसार समीपस्ट्र् और मध्यम िोडों की भागीिारी को उजचत अजधमानता िी गई है: कू ल्हा = 35% तक, घुटना = 35% तक, टखना = 20% तक, अंग की भागीिारी की सीमा पर जनभचर ( हल्का 1 / 3 से कम, मध्यम - 2 / 3 तक, या गंभीर - लगभग कु ल) करते हुए आगे पररकजलत की िाती है। यदि अंग के एक से अजधक िोडों को िाजमल दकया िाता है तो प्रजतित में आरओएम का औसत नुकसान एक िोड के संबंध में अलग से पररकजलत दकया िाना चाजहए और दफर उस जििेष अंग के संबंध में गजतिीलता और ताकत के नुकसान की गणना करने के जलए एक सार् िोड दिया िाना चाजहए। 2.1.3. मांसपेिी ताकत के मूल्यांकन का जस्ांतः (क) चरम सीमा में अजधकतम मांसपेिी ताकत के जलए मूल्य 90% है। 8 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] (ख) मांसपेजियों की ताकत की मैन्युअल प्जत द्वारा िांच की िा सकती है और मांसपेिी समूह में िेष ताकत पर जनभचर करते हुए 0-5 तक ग्रेड िी िा सकती है । (ग) मैनुअल मांसपेजियों की ताकत के जलए ग्रेडडंग नीचे दिए गए अनुसार प्रजतितता में िी िा सकती है: मांसपेिी ताकत का संख्यात्मक स्ट्कोर गुणात्मक स्ट्कोर %में ताकत का नुकसान 0 िून्य 100 1 रेस एजक्ट्टजिटी 80 2 कमिोर 60 3 बद़िया 40 4 अच्छा 20 5 सामान्य 0 (घ) अंग के संबंध में हाजन की गणना करने के जलए िोड के चारों ओर मांसपेजियों की ताकत के नुकसान की औसत प्रजतितता 0.30 से गुणा की िाती है । (ङ) यदि एक से अजधक िोड को िाजमल करते हुए मांसपेजियों की ताकत की हाजन होती है, तो अंजतम मूल्य ऊपर जनधाचररत दकए गए अनुसार िोडकर पररकजलत की िाती है । 2.1.4. गजतिीलता घटक के जलए मूल्यों का संयोिन : आरओएम की हाजन और मांसपेजियों की ताकत के नुकसान के मान को संयोिन सूत्र की सहायता से पररकजलत दकया िाना है : ख (90 − क) क+ 90 िहां क = उच्चतर मान और ख = जनम्नतर मान है। 2.2. जस्ट्र्रता घटक (क) जस्ट्र्रता घटक के जलए कु ल मान 90% है। (ख) पररजिि II में प्रपत्र ख (जनचली चरम सीमा के जलए मूल्यांकन प्रपत्र) में दिए गए अनुसार नैिाजनक प्जत द्वारा इसका िांच दकया िाएगा। इसमें िस गजतजिजधयां हैं, जिनकी िांच करने की आिश्यकता है, और प्रत्येक गजतजिजध में नौ प्रजतित (9%) का मान है । प्रत्येक गजतजिजध के संबंध में प्रजतित का मूल्यांकन प्रत्येक गजतजिजध के संबध ं में जस्ट्र्रता की हाजन की प्रजतित पर जनभचर करती है । 2.3. अजतररि अंक जिकृ जत, ििच, अिकुं चन, संिेिना की हाजन और हार् पैर छोटा होना (िॉटचडनंग) इत्यादि के जलए अजतररि अंक (हाजन का % ) दिए िाते हैं । [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र असाधारण : 9 हार्-पैर के छोटा होने के जलए (सही में छोटा है और स्ट्पि छोटा नहीं है) प्रर्म 1/2” - िून्य प्रर्म 1/2" के बाि प्रत्येक 1/2" - 4% संब् समस्ट्यां िैसे जिकृ जत, ििच, अिकुं चन आदि के जलए िोडे िाने हेतु अजधकतम अजतररि अंक 10% (हार्-पैर के छोटा होने को छोडकर) हैं। (क) जिकृ जत कायाचत्मक जस्ट्र्जत में - 3% गैर-कायाचत्मक जस्ट्र्जत में - 6% (ख) ििच हल्का (कायच के सार् र्ोडा सा होना) - 3% मध्यम (कायच के सार् होना) - 6% गंभीर (कायच के सार् काफी हि तक होना) - 9% (ग) संिेिना का नुकसान आंजिक हाजन - 6% पूणच हाजन - 9% (घ) िरटलताएं बाहरी िरटलताएं - 3% गहरी िरटलताएं - 6% खंड खः 3. री़ि की हड्डी की स्ट्र्ायी िारीररक हाजन के मूल्यांकन के जलए दििा-जनिेि मूल दििाजनिेि: 3. 1. री़ि की हड्डी की चोटों या जिकृ जत के कारण होने िाली स्ट्र्ायी िारीररक हाजन, समय के सार् बिल सकती है, री़ि की हड्डी के संबंध में िारी प्रमाण पत्र की समीक्षा दिंांगता प्रमाणन के जलए मानक दििाजनिेिों के अनुसार की िानी चाजहए । 3. 2. री़ि की हड्डी के संबंध में स्ट्र्ायी िारीररक हाजन (पूरे िरीर के संबंध में ििाचने के जलए भारत में सामान्यत: सहमत प्रणाली के अभाि में) का मूल्यांकन गत कई िषषों से भारत में उपयोग दकए गए अनुसार दकया िाना चाजहए । 3.3 ििच िाले घाि (रोमेरटक क्षजत) 3.3.1 सिाचइकल स्ट्पाइन चोटें : 10 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] सं. सिाचइकल स्ट्पाइन चोटें री़ि की हड्डी के संबध ं में पीपीआई की प्रजतितता i. एक या िो आसन्न किेरुकां का 25% या अजधक संकोचन जिसमें पीछे 20% के तत्िों (पोस्ट्टेरीयर एलीमेंट) की कोई भागीिारी नहीं है, तंजत्रका िड की भागीिारी नहीं है, गिचन में मध्यम अकड और लगातार पीडा है । ii. गिचन की मोच सजहत मध्यम जिस्ट्र्ापन / ऐंठन के रे जडयोलॉजिकल सबूत के सार् पीछे के तत्ि (पोजस्ट्टयर एलीमेंट) में नुकसान 10% क) संलयन के सार् ठीक होना, कोई स्ट्र्ायी गजतिील या संिेिी पररितचन नहीं ख) रे जडयोलॉजिकल प्रििचनीय अजस्ट्र्रता के सार् लगातार ििच । 25% iii. गंभीर जिस्ट्र्ापन : क) जबना दकसी अिजिि गजतिील या संिेिी भागीिारी के संलयन के 10% सार् या संलयन के जबना स्ट्पष्ट से काफी कमी ख) संलयन के सार् अपयाचप्त कमी और लगातार रे जडक्ट्यूलर ििच 15% 3.3.2 सिाचइकल इंटरिरटेब्रल जडस्ट्क क्षजत: सं. सिाचइकल इंटरिरटेब्रल जडस्ट्क क्षजत : री़ि की हड्डी के संबध ं में पीपीआई की प्रजतितता i. लगातार ििच के सार् जडस्ट्क क्षजत का 10% उपचाररत मामला लेदकन कोई न्यूरोलॉजिकल कमी नहीं ii. ििच और अजस्ट्र्रता के सार् जडस्ट्क क्षजत का 15% उपचाररत मामला 3.3.3 र्ोरै जसक और र्ोरैकोलम्बर स्ट्पाइन इंिरी: सं. र्ोरै जसक और र्ोरैकोलम्बर स्ट्पाइन इंिरी री़ि की हड्डी के संबध ं में पीपीआई की प्रजतितता i. दकसी न्यूरोलॉजिकल प्रत्यक्षीकरण के जबना एक किेरुकां को 10% िाजमल करते हुए %50से कम का संपीडन ii. पोस्ट्टेररयर तत्िों, ठीक हुए, दकसी न्यूरोलॉजिकल प्रत्यक्षीकरण के 20% जबना लगातार ििच, ििाचईं गई संलयन की भागीिारी से एकल किेरुकाय या अजधक को िाजमल करते हुए %50से अजधक संपीडन iii. संलयन के सार् (ii) के अनुसार िही, के िल पीठ के भारी उपयोग होने 15% [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र असाधारण : 11 पर ििच iv. लगातार ििच के सार् फ्रैक्ट्चर या फ्रैक्ट्चर जिस्ट्र्ापन से रे जडयोलॉजिकल 30% से प्रििचनीय अजस्ट्र्रता 3.3.4 लंबर और लुब ं ोसैक्ल स्ट्पाइनः फ्रैक्ट्चर सं. लंबर और / या लुब ं ोसैक्ल स्ट्पाइन फ्रैक्ट्चर री़ि की हड्डी के संबध ं में पीपीआई की प्रजतितता i. एक या िो आसन्न किेरूकां का 25% या उससे कम संपीडन, कोई 10% जनजित पैटनच नहीं, कोई न्यूरोलॉजिकल कमी नहीं ii. पीछे के तत्िों (पोस्ट्टेररयर एजलमेंट), में खराबी से 25% से अजधक 20% संपीडन। लगातार ििच और अकडन, संलयन के सार् या संलयन के जबना ठीक हुए, 10 दकलोग्राम से अजधक भार उठाने में असमर्चता। iii. ििच के सार् जनचले लंबर या लुंबोसैक्ल री़ि में रे जडयोलॉजिकल 30% प्रििचनीय अजस्ट्र्रता 3.3.5 इं टरिेर्टचब्रल जडस्ट्क क्षजत: सं. इं टरिेर्टचब्रल जडस्ट्क क्षजत री़ि की हड्डी के संबध ं में पीपीआई की प्रजतितता i. लगातार ििच का उपचाररत मामला 10% ii. लगातार ििच और अजस्ट्र्रता का उपचाररत मामला 20% iii. लगातार ििच के उपचाररत मामले और ििन उठाने की गजतजिजधयों 25% में मध्यम सुधार iv. ििच और अकडन के उपचाररत मामले, जिससे भारी सामान उठाने 30% िाली अपेजक्षत सभी गजतजिजधयों में सुधार की आिश्यकता होती है। 4. जबना ििच िाली (नॉन रोमेरटक) क्षजत: स्ट्कोजलयोजसस और / या दकफोसॉजलयोजससः 4.1. स्ट्कोजलयोजसस एक ऐसी जस्ट्र्जत है जिसमें एक ंजि की री़ि की हड्डी में पार्श्वचक, या िाएं ि बाएं िक्ता हो िाती है। हालांदक स्ट्कोजलयोजसस एक जत्र-आयामी जिकृ जत है, जिसमें एक्ट्स-रे पर, स्ट्कोजलयोजसस िक्ताएं अक्ट्सर एक साधारण "एस" या "सी" आकार की तरह दिखाई िे सकती हैं। 12 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] 4.2. स्ट्कोजलयोजसस को रे जडयोग्राफ के सार् पररभाजषत दकया गया है जिसमें संपूणच री़ि की हड्डी के एंरटरो - पोस्ट्टेररयर िृजि के सार्-सार् पार्श्वचक िृजि का एक खडी जस्ट्र्जत में एक्ट्स-रे िाजमल है। कोब की जिजध का उपयोग करके िक् आयाम जडग्री में मापा िाता है। एक सीधी री़ि की हड्डी में 0 जडग्री का िक् होता है; 10 जडग्री से अजधक दकसी भी िक् को स्ट्कोजलयोजसस माना िाता है । 0 जडग्री और 10 जडग्री के बीच को " पोस्ट्चरल असमानता" माना िाता है िो दक सही में स्ट्कोजलयोजसस नहीं है। पार्श्वचक रेजडयोग्राफ का उपयोग र्ोरै जसक दकफोजसस (या राउं डबैक उपजस्ट्र्जत) और लंबर लोरडोजसस (एसिैक) की मात्रा जनधाचररत करने के जलए दकया िाता है। 4.3. सामान्य तौर पर, स्ट्कोजलयोजसस की गंभीरता िक्ता की जडग्री पर जनभचर करती है चाहे यह महत्िपूणच अंगों के कायच को, जििेष रूप से फे फडे और दिल के कायषों को प्रजतकू ल रूप से प्रस्ट्ताजित करती हो। स्ट्र्ायी िारीररक हाजन की प्रजतितता को नीचे दिए अनुसार पररकजलत दकया िाता है: समूह कोब एंगल स्ट्र्ायी िारीररक हाजन की % समूह 1 जडग्री 20-10 1 से 5% समूह 2 जडग्री 30-21 6 से 9% समूह 3 जडग्री 50-31 10 से 19% समूह 4 जडग्री 75-51 20 से 29% समूह 5 जडग्री 100-76 30 से 39% समूह 6 जडग्री 125-101 40 से 60% समूह 7 जडग्री या अजधक 126 60 से 70% 4.4. स्ट्कोजलयोजसस या दकफोसॉजलयोजसस िाले ंजि का, यदि उपजस्ट्र्त हो तो, कार्श्डय च ोरे सजस्ट्परे टरी सीमां के जलए मूल्यांकन दकया िाना चाजहए। संबंजधत खंड के तहत दििाजनिेिों में उल्ले ख दकए गए अनुसार नैिाजनक मूल्यांकन या प्रासंजगक िांच से भागीिारी की गंभीरता के अनुसार स्ट्र्ायी की प्रजतितता में अजतररक्ट्त अजधमानता िी िानी चाजहए। 4.5. गंभीर प्रकार के स्ट्कोजलयोजसस के मामलों में कार्श्डय च ोपल्मोनरी कायच की िांच और सामान्य से जिचलन की प्रजतितता का मूल्यांकन जनम्नजलजखत सरल जिजधयों में से एक का पालन करते हुए दकया िाएगा िो भी मूल्यांकन के समय नैिाजनक रूप से अजधक जिश्िसनीय होगी। इस प्रकार प्राप्त संयुक्ट्त सूत्र द्वारा िोडा िाएगा। (क) छाती का जिस्ट्तार छाती की गजतिीलता का आकलन करने के जलए छाती जिस्ट्तार एक सरल, दकफायती और जबना चीर-फाड की नैिाजनक / बेडसाइड िांच है। इसकी इंरा-रे टर और इंटर-रे टर जिवसनीयता काफी हि तक स्ट्िस्ट्र् आबािी और वसन रोग िाले ंजियों में प्रिर्श्िचत की गई है। आंक्ट्यलोडसंग स्ट्पॉजन्डलाइरटस, न्यूमोर्ोरै क्ट्स, प्लूरल एफ्यूिन, एस्ट्बेस्ट्टस से [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र असाधारण : 13 संबंजधत प्लूरल फाइब्रोजसस, और छाती की िीिार जिकृ जत िाले जिषयों में छाती के जिस्ट्तार और फे फडों के कायच के बीच एक सहसंबंध बताया गया है। छाती के जिस्ट्तार को पसली डपंिरे के 2 अलग-अलग स्ट्तरों पर एक मापने िाले टेप का उपयोग करके मापा िाना चाजहए। ऊपरी छाती के जिस्ट्तार को पररभाजषत करने के जलए उपयोग दकए िाने िाले िारीररक माकच र क्ट्ले जिकु लर लाइन के स्ट्तर पर तीसरा इंटरकोस्ट्टल स्ट्पेस और पांचिें र्ोरे दकक किेरुक की जस्ट्पनस प्रदक्याएं हैं। जनचले छाती के जिस्ट्तार को पररभाजषत करने के जलए, सीफॉइड प्रदक्या की नोक और िसिें िक्ष किेरुक की जस्ट्पनस प्रदक्या का उपयोग माकच र के रूप में दकया िाता है। ंजि (सब्िेक्ट्ट) को जनिेि दिए िाते हैं और पयाचप्त समझ सुजनजित करने के जलए प्रदक्या का प्रििचन दकया िाता है। छाती के ंास के 2 माप गहरी वसन और जनःवसन दक्या के अंत में जलए िाते हैं। जनर्िचि िारीररक माकच रों के अनुसार, ऊपरी और जनचली छाती के जिस्ट्तार को जनःवसन ंास से वसन ंास को घटाकर प्राप्त दकया िाता है। ंजि(सब्िेक्ट्ट) अपनी बाहों को अपनी तरफ रखकर बैठा है, जिसमें िरीर का धड और छाती खुला हुआ है। परीक्षक ंजि के िरीर के चारों ओर अंगूठे और तिचनी उं गली से मापने िाले टेप के िोनों जसरों को पकडते हुए ऊपरी छाती के जिस्ट्तार का 1 माप और दफर जनचले छाती के जिस्ट्तार का 1 माप लेता है। मापने िाले टेप को कसकर पकडने के बिले आराम से पकडना चाजहए। छाती के जिस्ट्तार और िारीररक बाध्यता की सीमा के संबंध में एक अन्य मानकीकृ त सािचभौजमक रूप से स्ट्िीकायच जिजध की कमी में, जनम्नजलजखत प्रस्ट्ताजित है क्ट्योंदक यह जपछले कई िषषों से उपयोग में है- सं. अजधकतम छाती जिस्ट्तार स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का % 1 4 से.मी. से अजधक िून्य 2 3 से.मी. से 4 से.मी. से कम 5 3 2 से.मी. से 3 से.मी. से कम 10 4 1 से.मी. से 2 से.मी. से कम 15 5 1 से.मी. से कम 20 (ख) एक सांस में जगनती: यह एक सरल जबना चीर-फाड की नैिाजनक / बेडसाइड स्ट्क्ीडनंग िांच है जिसका उपयोग कभी-कभी वसन मांसपेजियों की ताकत का आकलन करने के जलए दकया िाता है। यह अजधकतम वसन लेकर और एक ही सांस में सामान्य आिाि में जितना संभि हो उतने िेर तक / उच्च संख्या की जगनती करके दकया िाता है। माप के बीच एक जमनट के आराम के बाि िो बार प्रयास ििच दकए िा सकते हैं। यह उपयोगी हो सकता है िब औपचाररक महत्िपूणच क्षमता माप मुजश्कल है या संभि नहीं है। एकल सांस की गणना के संबंध में एक मानकीकृ त सािचभौजमक रूप से स्ट्िीकायच जिजध के अभाि में, जनम्नजलजखत प्रस्ट्ताजित है क्ट्योंदक यह जपछले कई िषषों से उपयोग में है- सं. एक सांस में जगनती : स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का % 1 40 से अजधक िून्य 2 31 से 40 5 14 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] 3 21 से 30 10 4 11 से 20 15 5 5 से 10 20 6 5 से कम 25 संयुक्ट्त सूत्र का उपयोग करके अजतररि अजधमानता को िोडा िाना है: ख (90 − क) क+ 90 िहां क = उच्चतर मूल्य और ख = जनम्नतर मूल्य है। 4.6. धड असंतल ु न: उपरोि पीपीआई के अलािा, धड असंतुलन के संबंध में भी मूल्यांकन दकया िाना चाजहए । धड असंतुलन के संबंध में मानकीकृ त सािचभौजमक स्ट्िीकायच जिजध के अभाि में, गत कई िषषों से उपयोग दकए गए अनुसार जनम्नजलजखत प्रस्ट्ताजित है। धड असंतुलन को ग्लुटील क्ीि से प्लंब लाइन की िूरी को सी7 री़ि से एक प्लंप लाइन द्वारा मापा िाना चाजहए | सं. प्लंब लाइन का जिचलन स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का % 1. 1.5 से.मी.तक 4 2. 1.6 - 3.0 से.मी. 8 3. 3.1 - 5.0 से.मी. 16 4. 5.1 से भी या उससे अजधक 32 सं. जसर का सी 7 री़ि पर झुकाि स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का % 1. 15⁰ तक 4 2. 15⁰ से अजधक 10 नीचे दिए गए अनुसार संब् समस्ट्याएं: सीधे िोडे िाने के जलए लेदकन धड (रंक) के संबध ं में पीपीआई का कु ल मूल्य 100% से अजधक नहीं होना चाजहए । (क) ििच क्.सं. गजतजिजधएडीएल) *) सीमा का जिस्ट्तार स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का% 1. एडीएल के सार् हल्की बाधा 4 2. एडीएल की मध्यम बाधा 6 3. एडीएल की गंभीर बाधा 10 * एडीएल – िैजनक िीिन की गजतजिजधयां [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र असाधारण : 15 (ख) कॉस्ट्मेरटक अपीयरें स : - कपडों के सार् कोई स्ट्पि जिरूपण नहीं – िून्य - हल्का जिरूपण - 2% - गंभीर जिरूपण - 4% (ग) पैरों की लंबाई में जिसंगजतः - प्रर्म 1 / 2” छोटी - िून्य - पहले 1 / 2” के बाि प्रत्येक 1/2" – 4% (घ) तंजत्रका संबध ं ी कमी ― ऐसे मामलों में पीपीआई के मूल्यांकन के जनधाचररत तंत्र के अनुसार तंजत्रका संबध ं ी कमी की गणना की िानी चाजहए । इस प्रकार प्राप्त मूल्य को संयक्ट् ु त सूत्र के उपयोग से िोडा िाना चाजहए । 4.7. कु बडपन (दकफोजसस) कु बडपन री़ि की हड्डी में एक सामान्य से अजधक बडा मोड है, िो आमतौर पर ऊपरी पीठ में होता है । र्ोरै दकक कु बडापन (स्ट्कोजलयोजसस ररसचच सोसाइटी के अनुसार) की सामान्य सीमा 20 जडग्री -40 जडग्री के बीच होती है, और 40 जडग्री से अजधक कोई भी िक्ता असामान्य मानी िाती है । जनम्नजलजखत संिोधनों के सार् ऊपर जनधाचररत स्ट्कोजलयोजसस के जलए उपयोग दकए गए समान दििाजनिेिों पर मूल्यांकन दकया िाना चाजहए: री़ि की हड्डी में कीफोरटक जिकृ जत स्ट्र्ायी िारीररक हाजन 40 से कम िून्य 41-50° 10% 51-60° 20% 61-70° 30% 71-80° 40% 81-90° 50% 91-100° 60% 4.8. धड असंतल ु न:- बाहरी कान से जगराया िाने िाला प्लंब लाइन आमतौर पर टखने के स्ट्तर पर जगरता है । सामान्य से जिचलन को टखना पूिि च तशी िोड लाइन से प्लंब लाइन तक मापा िाए। टखने की आगे की िोड से प्लंब लाइन तक की िूरी स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का प्रजतित 5 से से कम.मी. 4% तक 5 से 10 से.मी. 8% तक, िूरी पर जनभचर करते हुए 16 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] 10 से 15 से.मी. 16% तक, िूरी पर जनभचर करते हुए 15 से से अजधक.मी. 32% तक, िूरी पर जनभचर करते हुए इसे सीधे िोडा िाता है। 4.9. जिजिध ितें : री़ि की हड्डी की िे जस्ट्र्जतयां, िो कठोरता और ििच आदि के कारण हैं लेदकन ऊपर सूचीब् नहीं हैं, का मूल्यांकन जनम्नानुसार दकया िाता है:- सं. जस्ट्र्जत स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का प्रजतित 1. ििच के जिषयपरक लक्षण, कोई अनैजच्छक मांसपेजियों की ऐंठन नहीं िून्य है, िो स्ट्पि संरचनात्मक जिकृ जत से स्ट्पि नहीं होती है 2. ििच, लगातार मांसपेिी ऐंठन और री़ि की हड्डी की कठोरता, हल्के 20 रे जडयोलॉजिकल पररितचनों से कायम होती है और जनयजमत उपचार की आिश्यकता है (औषधीय उपाय-ििाइयां और गैर) 3. मध्यम रे जडयोलॉजिकल पररितचनों के सार् उि ii के समान और 25 जनयजमत उपचार की आिश्यकता है औषधीय -ििाइयां और गैर) (उपाय 4. री़ि की हड्डी के दकसी एक क्षेत्र से िुडे हुए गंभीर रे जडयोलॉजिकल 30 पररितचनों के सार् उि ii के समान और जनयजमत उपचार की आिश्यकता है (औषधीय उपाय-ििाइयां और गैर) 5. संपूणच री़ि की हड्डी के सार् उि iv के समान और जनयजमत उपचार 40 की आिश्यकता है (औषधीय उपाय-ििाइयां और गैर) खंड गः 5. जिच्छेिन (एम्प्यूटीस) िाले ंजियों में स्ट्र्ायी िारीररक हाजन के मूल्यांकन के जलए दििाजनिेि: 5.1. मूल दििाजनिेि: (क) एकाजधक जिच्छेिन (एम्प्युरटि) के मामलों में, स्ट्र्ायी हाजन की % संयुक्ट्त सूत्र का उपयोग करके गणना की िानी है: ख (90 − क) क+ 90 िहां क = उच्चतर मूल्य और ख = जनम्नतर मूल्य है । (ख) यदि स्ट्टंप प्रोस्ट्र्ेजसस दफंटंग के जलए उपयुि नहीं है तो मूल्य में 5% अजतररि अजधमानता िोडा िाए । (ग) समीपस्ट्र् िोड, न्यूरोमा, संक्मण आदि की कठोरता के रूप में दकसी भी िरटलता को कु ल 10% तक अजतररि अजधमानता िी िानी चाजहए । [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र असाधारण : 17 (घ) अजधगृजहत जिच्छेिन (एम्प्युटेिन) में प्रमुख ऊपरी अंग (अजधकतर ंजियों में िायां ऊपरी अंग) की भागीिारी को 10% अजतररि अजधमानता िी िानी चाजहए । 5.2. ऊपरी अंग का जिच्छेिन : सं. ऊपरी अंग के जिच्छेिन का स्ट्तर स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का प्रजतित 1. फोरनाटचर एम्प्युटेिन- 100 2. कं धा जिच्छेिन 90 3. भुिा के ऊपरी 1/3 तक रांस ह्युमरल (कोहनी के ऊपर) 85 4. भुिा के जनचली 1/3 तक रांस ह्युमरल (ऊपर कोहनी) 80 5. कोहनी जिच्छेिन 75 6. अग्र भुिा के रांस रे जडयल ऊपरी ( कोहनी के नीचे)1/3 तक 70 7. अग्र भुिा के रांस रे जडयल नीचले (कोहनी के नीचे)1/3 तक 65 8. क्ु के नबगच ऑप्टेिन या एम्प्युटेिन 65 9. कलाई जिच्छेिन 60 10. कापचल हजड्डयों में से हार् 55 11. हार् का आंजिक जिच्छेिन (सभी मेटाकापेल के िाफ्ट के स्ट्तर 30 पर); पूरा अंगूठा 12. सीएम में से या 1 एमसी िोड में से अंगूठा 30 13. मेटाकापोफ्लैंिल िोड में से या समीपस्ट्र् फैं लक्ट्स में से अंगूठा 25 जिच्छेिन 14. अंतर फै लांजगल िोड में से या जडस्ट्टल फै लेंक्ट्स में से अंगूठा 15 जिच्छेिन 15. समीपस्ट्र् फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या तिचनी उं गली का एमपी 15 िोड में से जिच्छेिन समीपस्ट्र् फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या मध्य उं गली का एमपी 5 िोड में से जिच्छेिन समीपस्ट्र् फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या अंगूठी उं गली का एमपी 3 िोड में से जिच्छेिन समीपस्ट्र् फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या छोटी उं गली का एमपी 2 िोड में से जिच्छेिन 16. मध्य फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या तिचनी उं गली का पीआईपी 10 18 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] िोड में से जिच्छेिन मध्य फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या मध्य उं गली का पीआईपी 4 िोड में से जिच्छेिन मध्य फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या अंगूठी उं गली का पीआईपी 2 िोड में से जिच्छेिन मध्य फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या छोटी उं गली का पीआईपी 1 िोड में से जिच्छेिन 17. जडस्ट्टल फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या तिचनी उं गली का 5 डीआईपी िोड में से जिच्छेिन जडस्ट्टल फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या मध्य उं गली का डीआईपी 2 िोड में से जिच्छेिन जडस्ट्टल फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या अंगूठी उं गली का 1 डीआईपी िोड में से जिच्छेिन जडस्ट्टल फै लंक्ट्स में से जिच्छेिन या छोटी उं गली का 1 डीआईपी िोड में से जिच्छेिन 5.3. नीचले अंग का जिच्छेिन : सं. नीचला अंग के जिच्छेिन का स्ट्तर: स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का % 1. डहंड नाटचर 100 2. जहप जडसार्टचकुलेिन 90 3. िांघ के ऊपरी 1/3 तक रांस फे मोरल (घुटने के ऊपर) 85 4. िांघ के नीचे 1/3 के ऊपर रांस फे मोरल (घुटने के ऊपर) 80 5. घुटने में से 75 6. पैर के ऊपरी 1/3 तक रांस रटजबयल ( घुटने के नीचे) 70 7. पैर के नीचे 1/3 तक रांस रटजबयल (घुटने के नीचे) 60 8. टखने में से 55 9. साइम्स 50 10. मध्य पैर तक ( मेटारैसचल िोडों के स्ट्तर के समीपस्ट्र् - टासो) 40 11. आगे के पैर तक ( मेटारैसचल िोडों के स्ट्तर तक िूरस्ट्र् - टासो) 30 12. पैर की सभी उं गजलयां की हाजन 20 [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र असाधारण : 19 13. पैर की पहली उं गली का नुकसान 10 14. पैर की िूसरी उं गली का नुकसान 4 15. पैर की तीसरी उं गली का नुकसान 3 16. पैर की चौर्ी उं गली का नुकसान 2 17. पैर की पांचिी उं गली का नुकसान 1 6. चरम सीमा की िन्मिात कजमयों की स्ट्र्ायी िारीररक हाजन के मूल्यांकन के जलए दििाजनिेि िन्मिात अंग िोष का सामान्य अर्च िन्म के समय उस अंग की आंजिक अर्िा पूणच अनुपजस्ट्र्जत है। यह र्ोडा बहुत (स्ट्पोराजडक) या रोग के अनेक लक्षणों का समािेि हो सकता है। िषषों से जिजिध अंग िगशी करण प्रणाजलयों का प्रयोग दकया िा रहा है। िषच 1998 से अंतराचष्ट्रीय रूप में अजधग्रजहत िगशी करण की ितचमान एिं स्ट्िीकृ त प्रणाली आईएसपीओ (इंटरनेिनल सोसाइटी फॉर प्रोसर्ेरटक्ट्स एिं आर्ोरटक्ट्स) िगशी करण प्रणाली है। िन्मिात अंग िोष के सामान्य उिाहरणों में िन्मिात ऊिचजस्ट्र् िोष, समीपस्ट्र् नाभीय ऊिचजस्ट्र् िोष एिं जनम्न अंग में िन्मिात रटजियल िोष एिं ऊपरी अंग में िन्मिात रे जडयल अनुिध्ै यच कमी (रे जडयल क्ट्लब हैंड) और िन्मिात अल्नर अनुिध्ै यच कमी िाजमल है । अनुप्रस्ट्र् कजमयां 6.1. कायाचत्मक रूप से िन्मिात अनुप्रस्ट्र् अंग कजमयां अजधगृजहत जिच्छे िनों से तुलनीय हैं और इसे िन्मिात जिच्छेिन के रूप में कहा िा सकता है। हालांदक, कु छ मामलों में जिच्छेिन का संिोधन एक कृ जत्रम अंग दफट करने के जलए आिश्यक है । 6.2. इसजलए जपछले अध्याय में दिए गए जिच्छे िनों के मामलों में पीपीआई के मूल्यांकन के जलए लागू दििाजनिेिों के आधार पर अनुप्रस्ट्र् अंग की कमी का मूल्यांकन जनम्नानुसार दकया िाना चाजहए : स्ट्तर स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का % अनुप्रस्ट्र् कमी िायी बांह पूणच (कं धा जिच्छेिन) 90% अनुप्रस्ट्र् कमी पूणच िांघ में (जहप जडसर्टचक्ट्यूलेिन) 90% अनुप्रस्ट्र् कमी समीपस्ट्र् ऊपरी बांह (कोहनी के ऊपर) 85% अनुप्रस्ट्र् कमी नीचे िांघ पर घुटने के ऊपर), 1/3 नीचे) 80% अनुप्रस्ट्र् कमी अग्र भुिा पूणच (कोहनी जिच्छेिन) 75% अनुप्रस्ट्र् कमी नीचे अग्र भुिा (कोहनी के नीचे) 65% अनुप्रस्ट्र् कमी कापचल पूणच (िनकलाई जिच्छे) 60% अनुप्रस्ट्र् कमी मेटाकापचल पूणच (कापचल हजड्डयों में से जिच्छेिन) 55% 20 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] अनुिध्ै यच कजमयां मूल दििाजनिेि 6.3. अंगों की अनुिध्ै यच कजमयों के मामलों में, उजचत जिचार कायाचत्मक हाजन के जलए दिया िाएगा । 6.4. ऊपरी अंग में, आरओएम की हाजन, मांसपेजियों की ताकत में हाजन और पकडने िैसे हार् के कायच में हाजन आदि की िांच पीपीआई के मामले का मूल्यांकन करते समय परीक्षण दकया िाएगा । 6.5. जनचले अंग में जस्ट्र्रता घटक की नैिाजनक प्जत और जनचले अंग के छोटा होने को उजचत अजधमानता िी िाएगी । 6.6. कायाचत्मक मूल्यांकन के अलािा, ऊपरी चरम सीमा और नीचले चरम सीमा के जिच्छेिन में पीपीआई के मूल्यांकन के जलए दििाजनिेिों में दिए गए जितरण के अनुसार खोए हुए िोड / िरीर के जहस्ट्से को भी मूल्य दिया िाना चाजहए । इस प्रकार प्राप्त दकए गए मान संयोिन सूत्र की मिि से िोडे िाएगें । 6.7. अग्र भुिा में एकल हड्डी के नुकसान के मामलों में मूल्यांकन बांह (आमच) घटक के मूल्यां कन के जस्ांतों पर आधाररत होगा, जिसमें आरओएम, मांसपेिी की िजि और समजन्ित गजतजिजधयों का मूल्यांकन िाजमल है। इस प्रकार प्राप्त दकए गए मान संयोिन सूत्र की मिि से एक सार् िोडे िाएगें । 6.8. पैर में एक हड्डी के नुकसान के मामलों में मूल्यांकन नीचली चरम सीमा की गजतिीलता घटक और जस्ट्र्रता घटकों के मूल्यांकन के जस्ांतों के आधार पर होना चाजहए । इस प्रकार प्राप्त दकए गए मान संयोिन सूत्र की मिि से एक सार् िोडे िाएगें । खंड घः क्ट्लब फु ट और कु छ अन्य गजतिीलता जस्ट्र्जतयों िाले वयजियों में स्ट्र्ायी िारीररक हाजन के मूल्यांकन के जलए दििाजनिेि 7. क्ट्लब फु टः क्ट्लब फु ट पैर की एक सामान्य जिकृ जत है। यह प्राय: िन्म के समय िेखा िाता है। यद्यजप इसी प्रकार की अन्य जिकृ जतयां अन्य कु छ पररजस्ट्र्जतयों में भी िेखी िा सकती है । जिकृ जत हल्के , मध्यम अर्िा गंभीर हो सकती है। भारत में क्ट्लब फु ट जिकार की गंभीरता का सामान्यत: मूल्यांकन जक्ट्लजनकल सेंटंग िफीक पीरानी द्वारा जिकजसत समंकन (स्ट्कोंरं ग) जिजध का प्रयोग करते हुए दकया िाता है। यह छह जक्ट्लजनकल संकेतों (पि पांि के तीन संकेत एिं मध्य पांि के तीन संकेत) पर आधाररत है। प्रत्येक संकेत के जलए समंकन 0 (सामान्य), 0.5 (आंजिक रूप से असामान्य) अर्िा 1 ( गंभीर रूप से असामान्य) के रूप में है । जिकृ जत की मात्रा ‘’समंकन’’ है और यह "पावच पांि समंकन" "मध्य पांि समंकन " तर्ा "समग्र समंकन" के रूप में ििच की िाती है । पावच पैर समंकन (एचएस) पोस्ट्टेररयर क्ीस (पीसी), ररजिड ईक्ट्यीनस (आरई) एिं एम्पटी हील (इएच) के जलए समंकनों का संकलन है। एचएस मूल्य 0 ( जिकृ जत नहीं) से 3 (गंभीर जिकृ जत) तक के संकुचन के बाि का पररमाप है। मध्य पैर का समंकन (एमएस) मीजडयल क्ीि (एमसी), सीएलबी तर्ा तालु का पाश्िच जसर (एलएचटी) की समंकन का योग है। एमएस मूल्य 0 (कोई जिकार नहीं) से 3 (गंभीर जिकार) तक के मध्य रूप से संकुचन का पररमाप है। [भाग II—खण्ड 3(ii)] भारत का रािपत्र असाधारण : 21 कु ल समंकन (टीएस) एचएस और एमएस का िोड है । टीएस मूल्य 0 (कोई जिकार नहीं) से 6 (गंभीर जिकार) तक के समग्र जिकार का पररमाप है । क्ट्लब फु ट के संबंध में मानकीकृ त सािचभौजमक रूप से स्ट्िीकायच जिजध के अभाि में, जपछले कु छ िषषों के जलए उपयोग दकए गए अनुसार स्ट्र्ायी िारीररक हाजन की गणना हेतु जपरानी गंभीरता समंकन का प्रयोग करते हुए जनम्नजलजखत समंकन प्रणाली प्रस्ट्ताजित है:- कु ल समंकन स्ट्र्ायी िारीररक हाजन का % 0 0 0.5 3 1 7 1.5 10 2 14 2.5 17 3 20 3.5 24 4 27 4.5 31 5 35 5.5 37 6 40 नोट:- (i) दिंांगता को पूणच संख्या के रूप में प्रमाजणत दकया िाना है और एक अंि के रूप में नहीं । (ii) दिंांगता उसकी जनचली चरम सीमा के संबंध में प्रमाजणत की िानी है िैसा दक जपछले कई िषषों से भारत में उपयोग दकया िाता है (पूरे िरीर के संबंध में ििाचते हुए भारत में सामान्य रूप से सहमत प्रणाली के अभाि में) (iii) जद्वपक्षीय भागीिारी के मामले में, % पीपीआई प्रत्येक ओर के जलए पररकजलत की िाती है और दफर संयोिन सूत्र उपयोग दकया िाता है। (iv) कु ल दिंांगता का प्रजतित 100% से अजधक नहीं होगा । 8.1. जलम्फे डेमा जचरकाजलक जलम्फे डेमा एक महत्िपूणच जस्ट्र्जत है चाहे उसे प्रार्जमक या माध्यजमक के रूप में िगशी कृ त दकया गया हो और सामान्य से प्रोटीन युि रि का एक संग्रह के रूप में इसका िणचन नहीं दकया िा सकता। यह नरम ऊतकों, त्िचा, लसीका िाजहकां और नोड को प्रभाजित करने िाली एक पुरानी क्षयकारी और सूिन संबंधी प्रदक्या है और इसका पररणाम गंभीर हो सकता है और अक्ट्सर सूिन को जनजष्क्य कर सकता है । 22 THE GAZETTE OF INDIA : EXTRAORDINARY [PART II—SEC. 3(ii)] जलम्फे डेमा चरम सीमां, धड, पेट, जसर और गिचन तर्ा बाहरी िननांग में उपजस्ट्र्त हो सकता है और प्रार्जमक मामलों में िीिनकाल में कभी भी जिकजसत हो सकता है; जद्वतीयक मामले िल्य जचदकत्सा या आघात के तुरंत बाि हो सकते हैं, िो कु छ महीनों के भीतर, कु छ िषषों में, या इलाि के बाि बीस साल या इससे ज्यािा हो सकता है। 8.2. इसकी गंभीरता जनम्नानुसार मूल्यांदकत और ग्रेड की िाती है:  ग्रेड सबसे बडे-िृश्यमान अंतर के डबंि ु परजनकट जनरीक्षण पर िारीररक संरचना का सूिन या अस्ट्पिताजपट्टींग एजडमा के मुद्दे पर मात्रा या पररजध में  से  अंत:अंग जिसंगजत ।  ग्रेड सबसे बडेे़ िृश्यमान अंतर के डबंि ु परिारीररक संरचना का आसानी से स्ट्पि रूप से अस्ट्पितात्िचा की परतों का जिस्ट्मरणसामान्य िारीररक रचना से आसानी से स्ट्पि जिचलन के मुद्दे पर मात्रा या पररमाण में  से  अंत:अंग जिसंगजत ।  ग्रेड जलम्फोर्रच यासामान्य िारीररक रचना से सकल जिचलनिैजनक िीिन की गजतजिजधयों के सार् हस्ट्तक्षेप के मुद्दे पर मात्रा या में  से अजधक अंत:अंग जिसंगजत ।  ग्रेड जमजलगनेनसी िृज् (अर्ाचतजलम्फैं ग्यसोरकोमा)ििाचई गई जिच्छेिन जलम्फे डमा अक्षम करना। जलम्फोडेमा के संबंध में मानकीकृ त सािचभौजमक रूप से स्ट्िीकायच जिजध के अभाि में, जपछले कई िषषों से प्रयोग दकए िाने के अनुसार स्ट्र्ायी िारीररक हाजन की गणना हेतु प्रस्ट्ताजित जिजध जनम्नजलजखत है: जलम्फोडेमा ग्रेड स्ट्र्ायी िारीररक हाजन 1 10% से कम 2 10-39% इस ग्रेड के भीतर गंभीरता पर जनभचर करते हुए 3 40-50% इस ग्रेड के भीतर गंभीरता पर जनभचर करते हुए 4 51 से 70% इस ग्रेड के भीतर गंभीरता पर जनभचर करते हुए रटप्पण:- (i) दिंांगता को पूणच संख्या के रूप में प्रमाजणत दकया िाना है और एक अंि के रूप में नहीं। (ii) दिंांगता उसकी चरम सीमा के संबंध में प्रमाजणत की िानी है । िैसा दक भारत में गत कई िषषों से प्रयोग में है (पूरे िरीर के संबंध में ििाच

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