11th Biology Chapter 1 - जीव जगत PDF

Summary

This document covers the fundamental concepts of biology, including the definition of biology, its branches, and the characteristics of living organisms. The document also details growth, reproduction, metabolism, and other key concepts.

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# अध्याय-1 जीव जगत [The Living world] ## जीव विज्ञान (Biology) जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत जीव धारियों का अध्ययन किया जाता है। - Biology दो शब्दों से मिलकर बना है: - Bio - logos - Bio का अर्थ है "जीवन" (life) - logos का अर्थ है "अध्ययन" (study) - अर्थात जीवन का अध्ययन करना ही B...

# अध्याय-1 जीव जगत [The Living world] ## जीव विज्ञान (Biology) जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत जीव धारियों का अध्ययन किया जाता है। - Biology दो शब्दों से मिलकर बना है: - Bio - logos - Bio का अर्थ है "जीवन" (life) - logos का अर्थ है "अध्ययन" (study) - अर्थात जीवन का अध्ययन करना ही Biology (जीवन विज्ञान) कहलाता है। **Note:** जीव विज्ञान शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम लैमार्क (Lamark) एवं ट्रैविवरेस नामक वैज्ञानिक ने सन 1801 ई० में किया था। लैमार्क फ्रान्स के तथा ट्रैविवरेस जर्मन वैज्ञानिक थे। ## जीव विज्ञान की शाखायें जीव विज्ञान की मुख्यतः यो शाखायें है: - जन्तु विज्ञान (Zoology) - वनस्पति विज्ञान (Botany) - विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत हम जन्तुओं का अध्ययन करते है जन्तु विज्ञान कहलाता है। - विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत हम वनस्पतियों (पेड़-पौधो) का अध्ययन करते हैं। **Note:** जन्तु विज्ञान के जनक अरस्तू हैं। **Note:** वास्पति विज्ञान के जनक क्रियो प्रस्तात हैं। ## सजीव- - जिनमें विभिन्न जैविक क्रियाये जैसे पोषण; उपापचय, श्वसन, उत्सर्जन, गति वृद्धि, जनन आदि क्रियाये होती हैं वे सजीव कहलाते हैं। - या वे जिनमें स्वप्रतिकृतिः; विकासशील तथा स्वनियमनकारी पास्परिक क्रियाशील तन्ह है। - जो मध्‌य उद्‌दीपनो के प्रति अनुक्रिया की क्षमता रखते हैं। (PPT में इसको लिखना है ५ बैगरी उदाहरण - मनुष्य बन्दर, गाम, घोड़ा। बकरी इत्यादि ## सजीवों के लक्षण या जीवधारियों के लक्षण: 1. वृद्धि (Growth)- जीवों के भार, आकार एव संख्या में बढ़ोतरी को वृद्धि कहते है। - मनुष्य का वजन बढ़ना, मनुष्य के लम्बाई में वृद्धि इत्यादि जीवों में वृद्धि के लक्षण है। **Note:** कुछ निर्जिव भी वृद्धि करते है जैसे पर्वत, रेत के टीले - निजित में वृद्धि वाध्य होती है तथा सजीवों में विशिष्ट आन्तरिक होती है। वे लक्षण जो सिर्फ सजीवो में पाये जाते हैं। 2. बहुकोशिकिम - जीवों में वृद्धि कोशिका विभाजन द्वारा होती है। - पादपों (पेड़-पौधों । में यह वृद्धि जीवन पर्यन्त होती रहती है। (पूरे जीवन वृद्धि होती है) - जन्तुओं में वृद्धि एक निश्चित आयु तक होती है। 3. एक कोशिकिय जीव भी अपनी वृद्धि कोशिका विभाजन के द्वारा करते हैं। (इसे माइक्रोस्कोप की सहायता से देब सकते है) - उदाहरण- अमीबा, पैरामिशियम, यूग्लीना बट **Note:** - वृद्धि सजीवों का लक्षण है किन्तु यह विशिष्ट लक्षण नहीं है। 4. जनन (Reproduction) - जनको द्वारा अपने समान सन्तान उत्पन्न कसा जनन कहलाता है। - Type of Reproduction: - Sexual Reproduction (लैगिक जनन) - Asexual Reprodution (अलेझिंक जनन) - अलैगिक जनन अधिकतर एक कोशिकिय जीवो में होता है। **Note:** - जनन, सजीवों का एक विशिष्ट लक्षण नहीं है। क्यो कि जनन की सभी सजीवों में नहिचता है।। निर्जिव में नहीं होता है। - उदाहरण - बच्चर, बन्ध्य कामगार मधुमक्खी, बन्ध पुरुष इत्यादि में जनन नहीं होता है। इस लिये जान सजीवों का मुख्य लक्षण नहीं है। - बहुकोशिकिय जीवों में लैशिंक जनन होता है। - एक को शिकिय जीवों में अलैगिक जनन होता है - 'जीवाणू व प्रोटोजोबा में विखण्डन द्वारा - कबक में अर्धगिक जनन बीजाणुओं द्वारा तथा खण्डन द्वारा - भीस्ट व हाइड्रा में जनन मुकुलन द्वारा - का व्लेनेरिया में जनन पुनुरुप्रभवन द्वारा होता है। 5. उपापचय (metabolism) - - हमारे शरीर में होने वाले समस्त रासायनिक क्रियाये उपापचय क्रिया है। - किसी में निर्जिव में उपापचयी क्रियाये नहीं होती है। - उपाधयी उपापचयी क्रिया केवल सजीलों में सम्पन्न होती है। इस लिये यह एक सजीतों का विशिष्ट लक्षण है। - उपापचयी क्रिया दो प्रकार की होती है, - उपचय (Amobolism) - अपचय (Catabolism) - **उपचय क्रिया-** इसमें सरल अनुभों से जटिल अनुभों का निर्माण होता है। - **जैसे-** प्रकाश संश्लेषण में C, H, O की सहायता से जटिल कार्बोहाइड्रेट अणुओ का निर्माण होता है। - $6CO_2 + 12H_2O \xrightarrow{सूर्यका प्रकाश} C_6H_{12}O_6 + 6H_2O +6O_2↑$ - **अपचय क्रिया** - जिसमें जटिल अनु, सरल अणुओं में टूटकर ऊर्जा प्रदान करते हैं। - **जैसे-** श्वसन में कार्बोहाड्रेट के अणु जल व कार्बन डाई आक्साइड में विघटित होकर ऊर्जा प्रदान करते हैं। - $C_6H_{12}O_6 + 6O_2 \xrightarrow{एंजाइम} 6CO_2 + 6H_2O + 30T$ 6. संवेदनशीलता तथा अनुकूलता (Sensitivity and Adoptibility) - सभी जीव अपने चारों तरफ के वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का अनुभव करके उसके प्रति प्रतिक्रिया करते है जिसे संवेदन शीलता कहते हैं। - **जैसे-** जब शरीर पर चोट लगती है तो हमे अनुभव होता है की चोट लग गई, झुईमुई के पत्ते te. - वाध्य वातावरण के अनुसार स्वयं को बालना या अपने संस्चना व क्रियाओ में परिवर्तन करते हैं। जिसे अनुकूलता कहते है। - **जैसे-** गर्मीयो के मौसम में शरीर से पसीना निकलना, जाहो के मौसम में गर्म कपड़े पहनना - संवेदनशीलता तथा अनुकूलता केवल सजीवों में पाई जाती है इस लिये यह जीवों का विशिष्ट लक्षण है। 7. जीवन चक्क (life cycle). - जन्म → वयस्क → जनन → वृद्धावस्था → मृत्यु - सभी जीव जीवन चक्र का अनुसरण करते हैं। - अका जन्म होता है, वे विकसीत होते है, जनन करते है कुछ समय पश्चात वृद्धावस्था प्राप्त करते हैं। अन्त में अकी मृत्यु हो जाती है। - अतः जीवों में विविधत क्रियाये होते हैं। जिन्हे सम्मिलित रूप से जीवन चह कहते हैं। - जीवन चह सभी सजीवो का विशिष्ट लक्षण होता है। 8. जीवद्रव्य (Protoplasm) - - पाये जाने वाले बी सभस्त कोशिका के अन्दर द्रव्य को जीव द्रव्य कहते है। - सभी जीव कोशिका से बने होते हैं - जीवित जीव की सबसे महत्वपूर्ण लक्षण कोशिका होती है। - जीव प्रव्य में सभी जैविक क्रियाये होती है। - जीव दृष्य में होने वाले समस्त भौतिक, एवं रासायनिक परिवर्तनो और जीव द्रव्य व वातावरण के बीच आदान-प्रदान कि क्रियाये ही जैविक क्रियाये कहलाती है। - यह जीवो का विशिष्ट लक्षण है। 9. कोशिका संरचना (all Structure) - - कोशिका जीवों के शरीर की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है। - कोशिका के प्रकार: - प्रो कैरियोटिक (Pro-Karyotic) - जीवाणु, माइ‌क्रोप्लाषमा - प्राचीन प्रकार की कोशिका - यूकैरियोटिक (Eu- Karyotic)-पादप, जन्तु, कवक व प्रोटिस्टा - आधुनिक प्रकार की कोशिका - को शिका संरचना जीवो का एक विशिष्ट लक्षण होता है। - एक कोशिकीय जीव- भूग्लीना, पैरामिशियम, अभीबा - बहु‌कोशिकीय जीव - पादप, मानव मछलिया 10. गति (Movement)- - गति जीवधारियो का मुख्य लक्षण है। - जन्तु भोजन निर्माण के लिये एक स्थान से इसो स्थान तक जाते है। - यह जीव धारियो का विशिष्ट लक्षण होता है। 11. श्वसन (Respiration)- - जीव ऊर्जा को प्राप्त करने के लिये आविसजन का प्रयोग करते हैं। - $C_6H_{12}O_6 + 6O_2 \xrightarrow{} 6CO_2 + 6H_2O + 673 kcal$ - श्वसन एक अपन्चयी क्रिया है, जिसमें ऊर्जा अपघटन होती है। - श्वसन क्रिया के प्रकार: - कबु वायवीय श्वसन- ऐसा श्वसन जिसमें आक्सिजन को उपयोग में लाया जाया जाता है। - $6641206+602 \xrightarrow{} 6CO_2 + 6H_2O + 673 Kl$ - अवायवीय वसन - ऐसा श्वसन जिसमें आविसजन को उपयोग में नहीं लाया जाता है। - $ C_6H_{12}O_6 \xrightarrow{} लैक्टिक अम्ल +28 kcal$ 12. पोषण (Nutrition)- - हमारे शरीर के सामान्य रूप से क्रिया करने के लिये ऊर्जा की आवश्यकता होती है। और ऊर्जा के लिये भोजन ग्रहण करते है। इसी को पोषण कहते हैं। - पोषण के आधारवर जीवधारियों के प्रकार: - स्वपोषी, जो अपना भोजन स्वयं बनाते हो - उदा०- पेब पेड़-पौधे, प्रकाश संश्लेषी व रसायन संश्लेषी जीवाणु - परपोजी जो अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते है। - उदा०- सभी जन्तु - जीवों / सजीवों द्वारा वातावरण से पोषक पदार्थ का ग्रहण करना पोषण कहलाता है। 13.उत्सर्जन - शरीर में बनने वाले अपशिष्ट पदार्थ को शरीर से बाहर निकालना - $C_6H_{12}O_6 + 6O_2 \xrightarrow {} 6CO_2 + 6H_2O + 673 KCal$ ## जैव-विविधता (Biodiversity) - हमारे चारों तरफ विभिन्न प्रकार के जीवों की उपस्थिति को जैव-विविधता कहते है। - वैज्ञानिको के अनुसार वर्तमान में पृथ्वी पर जीवों की लगभग तीन करोड़ जातियों उपस्थित है लेकिन वैज्ञानिको द्वारा खोजी नाई जातियों की संख्या लगभग २० लाख (१५ लाख जन्तु और 5 लाख वनस्पति) है। ## वर्गिकी एवं वर्गीकरण वनि विज्ञान (Taxonomy and Systematics) - वर्गिकी का अर्थ है, वर्गीकरण में प्रयोग किये जाने वाले सिद्धो तो एवं विधियों का अध्ययन करना - भिभवा जीवों की पहचान, नामकरण एवं बुर्गीकरण को वर्गिकी (Taxonomy) कहते हैं। - वार्मिकी शह डी कण्डोले ने दिया था। ## वर्गीकरण विज्ञान (Systematics) - इसके अन्तर्गत जीवों के प्रकार एवं विविधता का अध्ययन किया जाता है साथ ही साथ उनके बीन्च पाये जाने वाले सम्बन्धो का अध्ययन किया जाता है - सिस्टमेटिक्स शह लेटिन शह सिस्टेमा से लिया गया है जिसका अर्थ जीवों की नियमित व्यवस्था से है। - सिस्टेमेटिक्स शह का सर्वप्रथम प्रयोग कैरोलस लीनियस ने किया था इन्होने अपनी पुस्तक के टाइट‌ल का नाम सिस्तोमा नेचर (systoma natura) रखा। ## वर्गीकरण के मौलिक सिद्धांत 1. पहचान (Identificationा)- इसमें जीवों के लाक्ष्णीक गुणों के अनुसार अका पहचान करते हैं। ताकि अको उसी वर्ग में रख सके। - वार्गिकी के अनुसार हम किसी जीव का सही नाम, सही स्थिती को चुनना ही पहचान कहलाता है। - किसी जीव के पहचान हेतु उसके गुणों का अध्ययन किया जाता है। - पहचान के लिये जीव की आकारिकी व शारीरिकी का मदद लेते हैं। 2. नामकरण (Naming or nomenclature) – - किती जीव को एक विशेष नाम दिया जाय जो पूरे विश्व में उसी नाम से जाना जाय। - जैसे - आम (Mango) - मैजिलेश इण्डिका (Mangifera indiea) - मटर (Pea) - पाइसम सेटाइवम (Pisum sativum) - पौधों का नामकरण वनस्पतिक नामकरण की अन्तराष्ट्रीय नियमावली ICBN (Intrnational Code of Botanical Nomenclature) के आधार पर करते है। - जन्तुओ का नामकरण, जन्तुं नामकरण की अन्र्तराष्ट्रीय नियमावली ICZN (Internatio nal Code of Zoological Nomenclature) के आधार पर करते हैं। 3. द्विनाम करण पक्षी - वैज्ञानिक नाम (Scientific Names) - द्वि नामकरण पद्धति (Binomial Nomenclature)- - द्विनामकरण पद्धति का सर्वप्रथम प्रयोग स्वीडेन के वनस्पति वैज्ञानिक के रोलस लीनियस (Carales Linnaeus) ने किया। - द्वि-नामकरण पद्धति का वर्णन इन्होने अपनी पुस्तक सिस्टेमा नेचुरी (systema natural) में किया - इस पद्धति में प्रत्येक जीत के दो शलो वाला एक वैज्ञानिक नाम दिया गया। इसमें पहलाशा जीव के वंश का नाम (Generic name) व दूसरा शह उसके जाति नाम (Specific name) प्रदर्शित करता है। - इसमें हमेशा वेश नाम को प्रजाति/जाति नाम से पहले लिखते है। - सामान्यमाम - उदा हेर्न- - बाध - पैन्यरा टाइग्निस (Panthera tigris) - शेर - पै-धेरा लिओ (Panthera leo) - तेंदूख - पैन्थेरा पार्डस (Panthera pardus) - द्वि नामकरण पद्धति के नियम ( Rules for Binomial Nomenclature) - इसमें जैविक नाम को प्रायः लेटिन भाषा में लिखते है। होते है जिन्हे तिरछे अक्षरों में (italic) लिखते है। - जैविक नाम में पहला शह वेश का माम होता है जब कि दूसरा किन शह जाति का नाम होता है। - वैज्ञानिक नाम को जब ताइप करते है तो इसे itallic में लिखा जाता है। - और जब हाथ से लिखते है तो दोनो शही को अलग- अलग रेखांकित करते है। - पहल अक्षर वंश का नाम बताता है, बडे अक्षर से शुरू करते है। - जब कि दूसरा, जाति संकेत पद में छोटा अक्षर होना चाहिये - ६१ - आम मैजीजोरा इंडिका (Mangifera indica) - कुछ जीवों के वैज्ञानिक नाम - सामान्य नाम - वैज्ञानिक नाम - मानव (Human) - Homo sapiens (होमो सेपियन्स) - कबूतर (Pigeon) - कोलम्बा लिविया (Columba livia) - तुलसी (Tulsi) - ओसिमम सॅक्टम (Ocimum Sanctum) - मटर (lea) - पाइसम सेटाइखम (Pisum Satiuvm) - घरेलू मक्खी (Home fly) - मस्का डोमेस्तिका (musca domestica) 4. वर्गीकरण (Classification1- - जीवने को विभिन्न श्रेणियों में श्रेणी बह करने की क्रिया को वर्गीकरण कहते है। पौधो व जन्तुओ को विभिन्न श्रेणी में बालते हैं। - या- जीवो को वर्षों में वर्गीकृत करना वर्गीकरण कहलाता है। - कुल सात वर्गो में जीवों को रखा गया है- - कुल सात Taxon है। - जगत (Kingdom) - संघ (division) - वर्ग (Class) - गण (order) - कुल (Family) - वंश (Genus) - जाति (Species) - टैक्सान की अवधारणा - - टैक्सान इकाई का प्रयोग वर्ग में सामिल वास्तविक जैविक जीव के लिये किया जाता है। 5. वर्गकीय क्रम बहुता (Taxonomic Hierarchy) - वर्गीकरण एकल सोपान प्रक्रम नहीं है बल्कि इसमें पवानुक्रम सोपान होते हैं। - जिसमें बिः प्रत्येक सोपान पद या वर्ग (rank of Category) को प्रदचिति करता है। - पदानुक्रम का मतलब होता है कि वस्तुओं के समूह को एक-दूसरे पर रखना - उदाहरण- जाति, वंश, कुल, गण, वर्ग, वंश, (species) (genus) (ton) (order) (Clam) (Phylum) जगत (Kingdom) family 6. जाति या प्रजाति (Species) - - जीवों का वह समूह जिसमें मौलिक समानता होती है उसे जाति या प्रजाति कहते है। - जैसे - lio में सभी शेरो को रखा गया - Hyris जाति में सभी बातों को रखा गया 7. वंश (Guna) - वंश में एक से अधिक जाति होते हैं। - जसे -१)Panthera (पं.भेरा) में तीन जाति io, tigris, paradus (चीता) - सोलेनम - आलू, तमाटर, बेगन 8. कुल (family)- कुल में सम्बन्धित केश आते हैं। - जैसे-१) खोले ने सीकुल में सोलेनम पिट्भूनिया, धतुरा वंश को रखा गया है। - फेलिडि कुल में पैोरा, फेलिस को रखा (बिल्ली) गया है। (बाध, शेर, चीता) - वंश जाति की तुलना में कम समानता प्रदर्शित करते हैं। 9. गण (order)- - एक गण में एक से अधिक कुल आते है। - जैसे - १) पोलि मोनिएल्स गण में सोलेनेसी तथा कोनवोलव्यूलेशी कुल आते हैं। (पादप) - प्राणी कारनीवोरा गण में फेनिडी तथा के नीडी कुलों को रखा गया है। 10. वर्ग (Clay) - - एक वर्ग में एक से अधिक गण आहे - जैसे - प्राइमेटा गण जिसमें बंदर, गोरिल्ला तशा गिब्बान आते है और कारनी वोरा गाण जिसमें बाघ, बिल्ली तथा कुल्ला आते है को मैमे लिया वर्ग में रखा गया है। 11. संघ (Phylum) - or division) - - Phylum शह जन्तु के लिये प्रयोग करते है। तथा division शह पौधों के लिये प्रयोग किया जाता है। - एक संघ में एक से अधिक वर्ग आते हैं। - जैसे- पृष्ड रज्जु (नोतोकार्ड) तथा पृष्ठीय खोखला तत्तिका तेह के होने के आधार पर इसे को डेटा संघ में रखा गया है। 12. जगत (Kingdom) - - Kingdom में रख्क से अधिक संघ आहे - कुल पाँच Kingdom बनाये गये हैं। - मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवल, पादप, जन्तु - एक-2 जगत में एक से अधिक संघ आते हैं। - ६१- जन्तु - 11 संघ - पाँधे - 5 संघ इत्यादि ## जैव-विविधता ( Biodiversity) - - पृथ्वी पर पाये जाने वाले समस्त जीवों के जातियों की संख्या को जैव-विविधता कहते है। - पृथ्वी पर अब तक 17 से 18 मिलियन जातियाँ खोजी नाई है। - जिसमें से 70% जन्तु, २२% पादप ख्व 8% सूक्ष्म जीव है। - जन्तु (70%) 70% कीड़े-मकोड़े (आथ्रोपोडा संघ) - आथ्रोपोहा संघ सबसे बड़ा संघ है। - पूरे विश्व में 12 मेगा विविधता देश है (मेशा-विविधता - जीवो की सबाने अधिक जातियाँ। - भारत में कुल पौधों की जातियों 45 हजार से अधिक है। एवं जन्तुओं की संख्या इसकी दो गुनी है। ## जीवों के अध्ययन के लिये साधन- 1. संग्रहालय (museum) - - संग्रहालय एक ऐसा स्थान होता है जहाँ जीवों को मृत करके, सुखकर रखा जाता है। - संग्रहालय प्रायः, शैक्षिक संस्थानो जैसे विद्यालय तथा कोले जो में स्थापित किये जाते है' - संग्रहालय में अध्ययन के लिये परिरश्चित पौधों तथा प्राणियों के नमूने होते हैं। - पौधों तथा प्राणियों के नमूनों को सुबाकर परिरक्षित करते हैं। - कीटों को एकत करके मारने के बाद डिब्बों में पिन लगाकर रखा जाता है। - बेड़े प्राणी, पक्षी तथा स्तनधारी को प्रायः परिरक्षित घोल में डालकर जारों में भरकर परि रक्षित करते हैं। - संग्रहालय में प्रायः प्राणियों के ककोल भी रखे जाते हैं। - प्रमुख संग्रहालय के नाम- - नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, लन्दन - फरिस्ट म्यूजियम, अंडमान निकोबार द्विप - नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री, दिल्ली - प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम, मुंबई - इंडियन म्यूजियम कोलकाता - महाराजा सवाई मान सिंह भूभूजियम, जयपुर 2. प्राणी उपवन अथवा चिड़िया घर (200) - - प्राणी उपवन एक ऐसा स्थान होता जहाँ हम जीबक की जीवित जीवों को रखते है। - प्राणी अपनवा उपवनों में विभिन्न प्रकार के प्राणी उपलब्ध होते है। आहार- प्रकृति तथा व्यवहा को सीजने का अवसर प्राप्त हो - चिड़िया घर में सभी प्राणियों को अके प्राकृतिक आवासों वाली परिस्थियों में रखा जाता है और इसी उद्यान को चिड़ि‌या घर कहते है। - इसे देखने के लिये बहुत सारे लाग तथा बचे आते हैं। 3. कुषीं अथवा चाबी (Key)- - कुजीं हमें जीवों को पहचानने में मदद करता है यह समानताओं एवं असमानताओं ५८ आधारित होता है। - इसके दो विकल्प होते हैं- हाँ और नही - जैसे - जीत का शरीर सुबी है- है। नहीं - यह एक अन्य साधन सामग्री है जिसका प्रयोग समानताओं तथा असमानतओं के आधार पर पौधों तथा प्राणियों के पहचान में किया जाता है। यह कुजीं विपर्यासी लक्षणों जो प्रायः जोड़ों जि युग्मित कहते हैं के आधा ५८ होती। - कुपीं दो विपरित विकल्पों को चुनने को दिखाती है। इसके परिणाम स्वरूप एक को मान्यता तथा दूसरे को अमान्यता प्राप्त होती है। - कुजी में प्रत्येक कथन मार्ग दर्शन का कार्य करती है। - पहचानने के लिये प्रत्येक वर्गिकी संवर्ग जैसे कुल, वंश तथा जाति के लिये अलग वर्गिकी कुजी' की आवश्यकता होती है। - विस्तृत वर्णन लिखने के लिये नियम पुस्तिका, मोनोग्राफ तथा सूची पहा की आवश्यकता पड़ती है। - मोनोग्राफ (पुस्तक जिसमें एक विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई हो 4. फ्लोरा - - ल्लोश किती पौधे के आवास और उसके लक्षणों के बारे में बताता है। 5. वनस्पति उद्यान (Botanical garden)- - इस वनस्पति उद्यान में जीवित पच्चिो का संग्रहण होता है। इसमें पौधों की स्पीशीज को पहचान करने के लिये उगाया जाता है। - इसमें प्रत्येक पौधे पर एक लेबल लगा होता है जिसमें वैज्ञानिक । वनस्पति नाम तथा उसके कुल का नाम लिखा होता है। - प्रसिद्ध वनस्पति उद्यान- - बोटेनिकल गार्डन क्यूि (इंग्लैंड) - इंडियन बोटेनिकल गार्डन हावड़ा (भारत) - नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्‌यूट लखनऊ 6. हरबेरियम - इसमें वनस्पति संग्रहालय में पश्चिों के एका नमूनों को कागज की शीट पर सुखाकर, दनाकर परिरक्षित करते हैं। - ताकि भविष्य में झका अध्ययन किया जा सके। - हरबेरियम की शीत पर एक लेबल लगा होता है जिस पर पौधे को एकत करने की तिथि, स्थान, पौधे का इंग्लिश, स्थानीय तथा वैज्ञानिक नाम, कूल तथा एकत करने वाले का नाम लिखा होता है।

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