PDF विजयनगर साम्राज्य की नायंकर और आयंकर व्यवस्था PDF
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Madhupur College
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यह दस्तावेज़ विजयनगर साम्राज्य में नायंकर और आयंकर व्यवस्था का वर्णन करता है, जिसमें भूमि कराधान, नायकों की जिम्मेदारियां और कृषि का महत्व शामिल है।
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विजयनगर साम्राज्य में नायंकर एवं आयंकर व्यवस्था:- **नायंकर व्यवस्था** विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमख ु प्रशासनिक व्यवस्था थी, जिसे साम्राज्य के संस्थापक राजा, हरिहर और बक् ु का द्वारा शरू ु किया गया था। इस व्यवस्था का मख् ु य उद्दे श्य साम्राज्य के दरू -दराज के क्षेत्रों पर प्रभावी नियंत्...
विजयनगर साम्राज्य में नायंकर एवं आयंकर व्यवस्था:- **नायंकर व्यवस्था** विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमख ु प्रशासनिक व्यवस्था थी, जिसे साम्राज्य के संस्थापक राजा, हरिहर और बक् ु का द्वारा शरू ु किया गया था। इस व्यवस्था का मख् ु य उद्दे श्य साम्राज्य के दरू -दराज के क्षेत्रों पर प्रभावी नियंत्रण और प्रशासन सनि ु श्चित करना था। नायंकर व्यवस्था में "नायक" प्रमख ु होते थे, जिन्हें साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों की दे खरे ख और प्रशासन की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। नायंकर व्यवस्था के मख् ु य बिंद:ु 1. **नायकों की नियक्ति ु **: नायक साम्राज्य के प्रमख ु शासकों द्वारा नियक्ु त किए जाते थे और उन्हें भमिू का एक विशेष क्षेत्र सौंपा जाता था। यह क्षेत्र उनके शासन के अंतर्गत होता था, और वे उस क्षेत्र के सैन्य और प्रशासनिक कार्यों की दे खरे ख करते थे। 2. **कर और सैनिक योगदान**: नायकों को अपने क्षेत्र से कर एकत्र करने का अधिकार होता था। बदले में , उन्हें साम्राज्य के लिए सैनिकों और सैन्य सामग्री की व्यवस्था करनी होती थी। यद् ु ध के समय नायकों को अपनी सेनाएं राजा की सेना में शामिल करनी होती थीं। 3. **स्वायत्तता**: नायकों को उनके क्षेत्रों में काफी हद तक स्वायत्तता दी गई थी, लेकिन वे सीधे तौर पर विजयनगर के राजा के अधीन होते थे। उन्हें साम्राज्य के प्रति वफादार रहना होता था और समय-समय पर राजा को कर और सैनिक समर्थन दे ना होता था। 4. **नायक की शक्तियाँ**: नायक न केवल सैनिक और कर प्रशासन के लिए जिम्मेदार होते थे, बल्कि वे न्यायिक और सांस्कृतिक मामलों में भी अधिकार रखते थे। उन्होंने अपने क्षेत्रों में मंदिरों और अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं के संरक्षण का भी कार्य किया। 5. **विरासत और उत्तराधिकार**: कई नायक अपने क्षेत्रों को वंशानग ु त रूप से संचालित करते थे, लेकिन उनका उत्तराधिकार हमेशा राजा की स्वीकृति पर निर्भर करता था। यदि कोई नायक साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह करता था या असफल होता था, तो राजा उसे पद से हटा सकता था। इस प्रकार, नायंकर व्यवस्था ने विजयनगर साम्राज्य को प्रभावी रूप से शासित करने में मदद की, खासकर इसके विशाल और विविध क्षेत्रों में । विजयनगर साम्राज्य में आयंकर व्यवस्था :- विजयनगर साम्राज्य में **आयंकर व्यवस्था** एक महत्वपर्ण ू आर्थिक और प्रशासनिक प्रणाली थी, जो भमि ू से संबधि ं त कराधान पर आधारित थी। इस व्यवस्था के तहत भमि ू के उपयोग और उपज पर कर एकत्र किया जाता था। यह व्यवस्था राज्य की आर्थिक समद् ृ धि और प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपर्ण ू थी। **आयंकर व्यवस्था** के मख् ु य बिंद:ु 1. **कर निर्धारण**: भमि ू की उर्वरता, उपज की मात्रा, और खेती की स्थिति के आधार पर कर निर्धारित किया जाता था। कर को फसल उत्पादन के अनस ु ार तय किया जाता था, और इसे उपज का एक निश्चित हिस्सा राज्य को दे ना होता था। 2. **राजस्व का उद्दे श्य**: राज्य की सेना, प्रशासनिक तंत्र, और सार्वजनिक कार्यों को सच ु ारू रूप से चलाने के लिए आयंकर से प्राप्त धन का उपयोग किया जाता था। इससे विजयनगर साम्राज्य के शासकों को उनकी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं, जैसे मंदिर निर्माण, जलाशयों और सड़कों के निर्माण में मदद मिलती थी। 3. **विभिन्न प्रकार के कर**: आयंकर के अंतर्गत मख् ु य रूप से भमि ू कर (लैंड टै क्स) लिया जाता था, लेकिन इसके अलावा व्यापार और वाणिज्य पर भी कुछ कर लगाए जाते थे। बाजारों में व्यापारियों से भी कर वसलू ा जाता था। 4. **कर संग्रहण**: कर संग्रहण की प्रक्रिया आमतौर पर नायकों और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा की जाती थी। नायक अपने क्षेत्रों से कर संग्रह करते थे और उसे राज्य को भेजते थे। कर मख् ु य रूप से अनाज या नकद के रूप में लिया जाता था। 5. **किसानों की भमि ू का**: किसान इस व्यवस्था का मख् ु य हिस्सा थे, क्योंकि वे भमि ू पर खेती करते थे और फसल पैदा करते थे। किसानों को उपज का एक हिस्सा राज्य को दे ना पड़ता था। हालांकि, यदि किसी वर्ष उपज कम होती थी या कोई प्राकृतिक आपदा होती थी, तो कर में छूट दी जा सकती थी। 6. **कर माफी और छूट**: विजयनगर साम्राज्य में कुछ धार्मिक और सामाजिक संस्थानों को कर में छूट दी जाती थी। विशेष रूप से मंदिरों और धार्मिक संगठनों को करों से मक् ु त रखा जाता था। आयंकर व्यवस्था ने विजयनगर साम्राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबत ू किया और उसे एक विशाल और समद् ृ ध साम्राज्य के रूप में विकसित होने में मदद की। इस व्यवस्था ने प्रशासन और जनता के बीच संबध ं ों को भी सव्ु यवस्थित किया, जिससे साम्राज्य की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता सनि ु श्चित हुई।