मानव कंकाल तंत्र (Human Skeleton System) PDF

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Agrasen Institute of Paramedical, Deoli (Tonk)

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human anatomy skeleton system anatomy biology

Summary

इस दस्तावेज़ में मानव कंकाल तंत्र (Human skeleton system) के बारे में जानकारी दी गई है। इसमें हड्डियों के प्रकार, विभाजन, और मानव शरीर में उपस्थिति के तरीके के बारे में विवरण दिया गया है। यह संयोजी ऊतकों, अस्थि और उपास्थि के बारे में जानकारी भी प्रदान करता है।

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# मानव कंकाल तंत्र (Human skeleton System) ## मानव कंकाल तंत्र का परिचय - हड्डियों का बना हुआ एक ढाँचा (Structure) जो मानव शरीर को आकार आकृति के साथ-साथ गति प्रदान करने में सहायक होता है, कंकाल तंत्र कहलाता है। - मानव का कंकालीय ढाँचा संयोजी ऊतक का बना होता है, जिसे कंकाल ऊतक कहते है। (skeletal...

# मानव कंकाल तंत्र (Human skeleton System) ## मानव कंकाल तंत्र का परिचय - हड्डियों का बना हुआ एक ढाँचा (Structure) जो मानव शरीर को आकार आकृति के साथ-साथ गति प्रदान करने में सहायक होता है, कंकाल तंत्र कहलाता है। - मानव का कंकालीय ढाँचा संयोजी ऊतक का बना होता है, जिसे कंकाल ऊतक कहते है। (skeletal tissue) - यह कंकाल ऊतक दो प्रकार का होता है- - अस्थि (Bone) - उपास्थि (Cartilage) ## अस्थि (Bone) - अध्ययन - आस्ट्‌ियोलॉजी - अस्थियों का निर्माण कोलैजन तंतुओं तथा कैल्शियम व मैग्नीशियम के लवणों से होता है। - अस्थियों का 38% भाग ओसीन प्रोटीन तथा 62% भाग कैल्शियम फास्फेट व मैग्नीशियम फास्फेट का बना होता है। ## उपास्थि (Cartilage) - अध्ययन - कॉन्ड्रियोलॉजी - उपास्थियों का निर्माण कोलैजन व पीले कॉण्ड्रिन प्रोटीन, श्वेत इलास्टिक तंतुओ से होता है। ## कंकाल तंत्र का विभाजन - शरीर में उपस्थिति के आधार पर - बाहाय कंकाल (Exoskeleton) - यह शरीर की बाहाय सतह पर स्थित होता है. - इसमें मृत ऊतक पाए जाते है। - उदाहरण - विभिन्न जंतुओं के कवच, पक्षियों के पंख, महालियो एवं सरीसृपों के शरीर पर उपस्थित बालों एवं नाखून आदि को बाह्य कंकाल - अन्त: कंकाल (Endoskeleton) - यह शरीर के अंदर स्थित होता है। - इसमें जीवित ऊतक पाए जाते है। - उदाहरण- इस प्रकार का कंकाल इकाइनोडर्मेटा संघ के जीवों (तारामछली, समुद्री अर्चिन, ब्रिटल स्टार आदि) में तथा कार्डेटा संघ के अन्तर्गत सम्मिलित । जीवों (स्तनधारी, मछली, पक्षी, सरीसृप आदि) में पाया जाता है। ## कंकाल तंत्र का विवरण - 206 अस्थियाँ - **अक्षीय कंकाल** (Axial skeleton) (80 अस्थियाँ) - खोपडी (skull) (11 अस्थियाँ) - मेरुदण्ड (Vertebral Column) (जन्म के समय 33, व्यस्क व्यक्ति में 26 अस्थियाँ) - पसलियाँ (Ribs) (24 अस्थियां) - उरोस्थि (Sternum) (2अस्थि) -**उपांगीय कंकाल** (Appendicular Skeleton) (126 अस्थियाँ) - अग्रपाद (हाथ) (30+30= 60 अस्थियाँ) - पश्चपाद (पैर) (30+30= 60 अस्थियाँ) - अंशमेखला (कंधे में) (2+ 2 = 4 अस्थियाँ) - श्रोणिमेखला (कमर में) (1+1 = 2 अस्थियाँ) ## अक्षीय कंकाल (Axial Skeleton) - इस भाग में कुल 80 अस्थियाँ पाई जाती है। - खोपड़ी (skull) - मनुष्य की खोपड़ी में कुल 28+0=29 अस्थिया पाई जाती है। - हायेंड 28+0=29 - मस्तिस्क - कपाल (Cranium) = 8 अस्थियाँ - कान (Ear) = 3+3=6 अस्थियाँ - चेहरे में (facial bone) = 14 अस्थियाँ - हॉइड अस्थि (1 अस्थि) - मानव खोपड़ी में अस्थियों का विवरण - कपाल (Cranium) - ऑक्सिपिटल 2 - पैराटाइल 2 - फ्रेण्टल 1 - टेम्पोरल 2 - स्फीनॉइड 1 - एथमॉइड 1 - चेहरे में अस्थियाँ (Facial Bones) - नेजल 2 - वोमर 1 - टरबाइनल 2 - लैक्राइमल 2 - जाइगोमैटिक 2 - पैलेटाइन 2 - मैक्सिला 2 - मंडिबल 1 (मानव शरीर की सबसे मजबूत अस्थि) - मेरुदण्ड (Backbone) - मेरुदण्ड को कशेरुक दण्ड अथवा रीढ़ की हड्‌डी भी कहा जाता है. - बच्चों में कशेरुकाओं की संख्या 33 होती है, जबकी व्यस्क व्यक्ति में कशेरुकाओं की संख्या 26 होती है. - **मेरुदण्ड में कशेरुकाओं का विभाजन** - ग्रीवा (Cervical) (7 कशेरुकाएँ) - वक्ष (Thoracic) (12 कशेरुकाएँ) - कटि (Lumbar) (5 कशेरुकाएँ) - त्रिकास्थि (Sacrum) (5 कशेरुकाएँ) - अनुत्रिकास्यि (Coccyx) (4 कशेरुकाएँ) - पसलियाँ (Ribs) - मनुष्य में कुल 24 या 12 जोड़ी पसलियाँ पाई जाती है। - प्रथम 7 जोड़ी पसलियों को वास्तविक पसलियाँ कहा जाता है. - 8 वे, १ वे, 10 वे जोडे की पसलियों को झूठी। गौण पसलियाँ (false Ribs) कहते है. - 11 वे व 12 वे जोड़े की पसलियाँ मुक्त पसलियाँ/ तैराकी पसलियाँ (floating Ribs) कहते है. - उरोस्थि (Sternum or Breast bone) - यह लम्बी एवं चपटी अस्थि वक्ष के बीच में गर्दन के नीचे पेट के ऊपर तक स्थित होती है. - पस‌लियों के सामने के सिरे इसी की लम्बाई के अनुदिश दोनो ओर से जुडे होते है. ## उपांगीय कंकाल (Appendicular skeleton) - यह भाग 126 अस्थियों से मिलकर बना होता है- - अग्रपाद (हाथ) = 30+30= 60 अस्थियाँ - ऊपरीबाहु ट्यूमरस 2 - प्रबाहु रेडियस व अलना 2+2 - कलाई कार्पल्स 8+0=16 - होली मेटाकार्पल्स 10 - अंगुलियाँ फैलेंजिम 28 - पश्चपाद (Hind Limbs) - जाँघ फीमर 1+1= 2 - पिंडली टिबिया एवं फिबुला 2+2 - घुटना पैटेला 1 - टखना टार्सल्स 14 - तलुवा मेटाटार्सल्स 20 - अँगुलास्थियों फैलेंजिस 28 - वक्ष (Thorax) - अंशमेखला स्कैफला 2 - क्लैविकिल 2 (कॉलरवान की आU) - कूल्हा (Hip) - श्रोणिमेखला इनोमिलेट 2 - सैक्रम 1 - कॉनिक्स 1 ## अस्थिमज्जा (Bone marrow) - मोटी एवं लम्बी अस्थियों में एक खोखली गुहा पाई जाती है, जिसे मज्जा गुहा कहते है. - मज्जा गुहा में एक विशेष प्रकार का अर्द्ध तरल पदार्थ भरा होता है, जिसे अस्थिमज्जा (Bone marrow) कहते है. - **अस्थिमज्जा के प्रकार** - लाल अस्थिमज्जा (Red Bone marrow) - इसमें RBC व प्लेटलेट्स का निर्माण होता है. - पीली अस्थिमज्जा (yellow Bone marrow) - इसमें WB.C. का निर्माण होता है. ## **स्नायु (Ligament)** - अस्थि से अस्थि को जोड़ने वाली संरचना को स्नायु (लिगामेण्ट) कहते है। - यह एक प्रकार का तंतुमय ऊतक (fibrous tissue) होता है। ## कण्डरा / टेन्डन - हड्डियों को मासपेशियों से जोडने वाली संरचना को कण्डरा / टेन्डन कहते है। - यह एक लचीला एवं मजबूत तंतुमय ऊतक होता है। ## कंकाल तंत्र के रोग - **गठिया रोग (Gout)** - जोड़ो में सूजन आना - गठिया रोग होने के कारण रक्त में यूरिक अम्ल का स्तर बढ़ जाता है, यह यूरिक अम्ल क्रिस्टलों के रूप में जोडों (Joints) टेंडन तथा जोड़ो के आसपास के ऊतको में जमा हो जाता है. - गठिया को 'राजाओं की बीमारी' तथा 'धनी लोगो की बीमारी' भी कहा जाता है. - **आस्ट्‌ियोपोरोसिस / अस्थि सुषिरता** - यह एक बढ़ती उम्र से संबंधित बीमारी है, जिसमें हड्डि‌याँ कमजोर हो जाती है तथा अस्थियों के टूटने की सम्भावना बढ़ जाती है. - आस्टि‌योपोरोसिस में अस्थि खनिज घनत्व कम हो जाता है हड्डियों की प्रोटीन की मात्रा एक प्रकार से असामान्य हो जाती है. - यह रोग हार्मोन (एस्ट्रोजन) की कमी, कैल्शियम एवं विटामिन डी की कमी आदि के कारण होता है. - **सूखा रोग - रिकेट्स** - विटामिन D कैल्शियम व फास्फोरस की कमी से बच्चो की हड्डियों में आने वाली कमजोरी को सूखा रोग कहते है. - **टिटैनी** - शारीरिक तरल में कैल्शियम की कमी होने पर पेशियों में जल्दी-जल्दी होने वाले संकुचन को टिटैनी कहते है. ## अस्थि सन्धियाँ - **अध्ययन - आर्थोलॉजी (Arthrology)** - प्रत्येक अस्थि संधि पर जुड़ी अस्थियों के मध्य एक गुहा पाई जाती है, जिसे साइनोवियल गुटा कहते है। - इस गुहा में एक साइनोवियल द्रव्य भरा रहता है। - **पूर्ण संधि (perfect Joint):** - यह संधि गति करने में पूर्णतः स्वतंत्र होती है। - **(i) कन्दुक खलिका संधि (Ball and Socket Joint):** - उदाहरण - अंशमेखला एवं हृयूमरस की संधि, फीमर एवं श्रोणिमेखला की संधि - **(ii) कब्जा संधि (Hinge Joint):** - उदाहरण - कोहनी में, घुटने में तथा अगुलियों के पोरो की संधियाँ - **(iii) धुरी / खूँरी संधि या घूर्णी संधि (Pivot Joint):** - उदाहरण - द्वितीय कशेरुका तथा खोपड़ी के मध्य। - **(iv) फिसलन संधि / समतल संधि (Gliding Joint):** - उदाहरण - रेडियस, अलना तथा कलाई की कार्पल्स अस्थियों की संधि । - **(v) काठी संधि (Saddle Joint):** - उदाहरण - हाथ के अंगूठे के कार्पल्स व मेटाकार्पल्स अस्थियों की संधि । - **अपूर्ण संधि (Imperfect Joint):** - अपूर्ण संधि में हड्डियों के बीच साइनोवियल द्रव्य तथा स्नायु नहीं पाए जाते है, क्योकि ऐसी संधियों में बहुत थोड़ी गति या घुमाव होता है. - उदाहरण - कशेरुकाओ के बीच की अस्थियों की संधि । श्रोणिमेखला की प्यूबिक अस्थियो की संधि । - **अचल संधि (fixed Joint):** - अचल संधि से जुड़ी हुई अस्थियाँ बिल्कुल भी गतिशील नहीं होती है अर्थात् इनमें घुमाव अथवा गति का अभाव होता है, ये अस्थियां एक दूसरे से बहुत पास जुड़ी रहती है. - उदाहरण - खोपड़ी (Skull) की अस्थियों की संधि। # पेशी तंत्र (Muscular system) - हमारे शरीर में अस्थि तंत्र तथा बाहाय त्वचा के बीच अधिकांश भाग माँसपेशियों से निर्मित होता है. - पेशियों का अध्ययन - मायोलॉजी / सार्कोलॉजी - जन्तुओं की एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने एवं अंगो को हिलाने की क्षमता पेशी ऊतक के कारण ही होती है. - पेशी कोशिकाएँ भ्रूण के मीसोडर्म से बनते है। (अपवाद- आँखो की आइरिस एवं सिलियरी काय की पेशियाँ है। जो भ्रूण के एक्टोडर्म से बनती है।) - पेशियों मानव शरीर का लगभग 40-50% भाग बनाते है. - मनुष्य में कुल 639 पेशियाँ पाई जाती है. - सर्वाधिक पेशियाँ - पीठ में (180) - पेशियों का निर्माण करने वाली प्रोटीन - एक्टिन व मायोसिन - पेशियों का लाल रंग - मायोग्लोबिन प्रोटीन के कारण - **पेशियाँ तीन प्रकार की होती है-** - **रेखित पेशियाँ** (Voluntary muscles) - इन्हें कंकालीय पेशियाँ/ दैहिक पेशियाँ कहा जाता है. - अधिकांशतः ये पेशियाँ हड्डियों से जुड़ी होती है. - इनकी आकृति बेलनाकार होती है. - प्रत्येक पेशी तंतु बहुकेन्द्रिकीय कोशिका द्रव्य रखता है. - इन पेशियों में लेक्टिक अम्ल का निर्माण होता है. - कंकाल पेशियों में क्षणिक अनैच्छिक संकुचन से कंपकपी (shivering) होती है. - **अरेखित पेशी / अनैच्छिक्षक पेशी / चिकनी पेशी** (Involuntary muscles) - ये पेशियाँ खोखले आंतरांगो की दीवारों (आहारनाल, मूत्राशय, पित्राशय, श्वासनांगो, गर्भाशय, योनि, रुधिर वाहिनियों) शिश्न, प्लीहा, त्वचा की उर्मिश में पाई जाती है. - ये तर्क आकार की अशाखित, एक केन्द्रिकीय होती है. - **हृद्रय पेशियाँ** (Cardiac Muscles) - यह केवल हृद्रय की दीवारों में स्थित होती है. - रचना में ये रेखित पेशियों के समान व कार्य में अनैच्छिक पेशियों के समान होती है. - ये बेलनाकार शाखित व एककेन्द्रिकीय होती है.

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