UP Board Class 12 Hindi Model Paper 2024 PDF

Summary

This is a Hindi Language model paper for Class 12 from the UP Board, 2024. It contains a variety of questions testing various aspects of the subject, including questions on literary analysis and other important components. The questions cover a wide range of topics within the Hindi curriculum covering various literary forms, such as prose, poetry, playwrights, and so on.

Full Transcript

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िाि................................... 101 (OP) अिुक्रिााँ क................................. यूपी बोर्ड परीक्षा - 2024 कक्षा -12 (साहिहयिक हििंदी) समय : 3 घंटे 15 ममनट के वि प्रश्नपत्र पूर्ाांक – 100 निर्देश : (i) प्रारम्भ के 15 नििट परीक्षार्थियोों को प्रश्न-पत्र पढ़िे के र्िए निर्ािररत है। (ii) इस प्रश्न पत्र िें र्दो खण्ड हैं। र्दोिोों खण्डोों के सभी प्रश्नोों के उत्तर र्देिा अनिवायि है। (iii) सभी प्रश्नोों हेतु निर्ािररत अोंक उिके सम्मुख अोंनकत हैं । (खण्ड – क) 𝟏 × 𝟏𝟎 = 𝟏𝟎 1. (क) आनर्दकाि का िाि 'आर्ारकाि’ नकस इनतहासकार िे रखा है? a. हजारीप्रसार्द निवेर्दी b. िहावीर प्रसार्द निवेर्दी c. शान्तिनप्रय निवेर्दी d. िोहि अवस्थी (ख) ‘र्दो सुखिे’ के रचनयता हैं – a. अिीर खुसरो b. अबुि फजि c. ख्वाजा अहिर्द d. अब्दुरिहिाि (ग) निम्नर्िर्खत िें से कौि अपिी व्यों ग्य - रचिाओों के र्िए प्रर्सद्ध हैं ? a. श्यािसुन्दर र्दास b. गुिाब राय c. हररशों कर परसाई d. रािचन्द्र शुक्ल (घ) 'रूपक रहस्य' रचिा है a. भारतेन्दु हररश्चन्द्र की b. श्यािसुन्दर र्दास की c. वासुर्देवशरण अग्रवाि की d. जैिेन्द्र कु िार की ( ङ ) 'शेखर: एक जीविी' रचिा की नवर्ा है - a. उपन्यास b. सों स्मरण c. आत्मकथा d. यात्रावृत्त 2. (क) निम्न िे से सही सुिेर्ित िही है- a. भारत भारती– चररत काव्य b. रािचररतिािस – प्रबों र् काव्य c. पद्मावत – िहाकाव्य d. पृथ्वीराज रासो – िहाकाव्य (ख) निम्नर्िर्खत िें से कौि - सी ‘निरािा’ जी की रचिा िािी जाती है ? a. परशुराि की प्रतीक्षा b. युगाोंत c. यािा d. निरुपिा (ग) तुिसीर्दास के बचपि का िाि क्या था - a. रािबोिा b. सीताराि c. गणपनत d. रािचन्द्र (घ) ' रीनतिुक्त काव्यर्ारा के कवी िहीों हैं - a. घिािन्द b. नबहारी c. बोर्ा d. आिि (ङ) अज्ञेय की प्रथि काव्यकृ नत कौि सी है - a. बावरा अहेरी b. इत्यिि c. र्चोंता d. भग्नर्दूत 3. निम्नर्िर्खत अवतरणोों को पढ़कर नर्दए गद्ाोंशोों पर आर्ाररत प्रश्नोों के उत्तर र्दीर्जए – 𝟏𝟎 अोंक र्रती िाता की कोख िें जो अिूल्य निर्र्यााँ भरी हैं , र्जिके कारण वह वसुन्धरा कहिाती है , उससे कौि पररर्चत ि होिा चाहेगा ? िाखोों - करोडोों वर्षों से अिेक प्रकार की र्ातुओ ों को पृर्थवी के गभि िें पोर्षण नििा है । नर्दि -रात बहिे वािी िनर्दयोों िे पहाडोों को पीस-पीसकर अगर्णत प्रकार की निनियोों से पृर्थवी की र्देह को सजाया है । हिारे भावी आर्थिक अभ्युर्दय के र्िए इि सबकी जााँ च - पडताि अत्यि आवश्यक है । क. र्रती को वसुन्धरा क्योों कहते हैं ? ख.नकसिे पृर्थवी की र्दे ह को सजाया है ? ग. आर्थिक नवकास के र्िए क्या आवश्यक है ? घ. रेखाोंनकत अोंश की व्याख्या कीर्जए । ङ. उक्त गद्ाोंश के पाठ का शीर्षिक और िेखक का िाि बताइए । अथवा जन्म िेिे वािे प्रत्येक व्यनक्त के भरण - पोर्षण की , उसके र्शक्षण की र्जससे वह सिाज के र्जम्मेर्दार घटक के िाते अपिा योगर्दाि करते हुए अपिे नवकास िें सिथि हो सके , उसके र्िए स्वस्थ एवों क्षिता की अवस्था िें जीनवकोपाजिि की , और यनर्द नकसी कारण से वह सों भव ि हो , तो भरण - पोर्षण की तथा उर्चत अवकाश की व्यवस्था करिे की र्जम्मेर्दारी सिाज की है । प्रत्येक सभ्य सिाज इसका नकसी ि नकसी रूप िें निवािह करता है । प्रगनत के यही िुख्य िािर्दण्ड हैं । अत : न्यूिति जीवि - स्तर की गारों टी , र्शक्षा , जीनवकोपाजिि के र्िए रोजगार , सािार्जक सुरक्षा और कल्याण को हिें िूिभूत अर्र्कार के रूप िें स्वीकार करिा होगा । क. िेखक की दृनि िें सभ्य सिाज के क्या र्दानयत्व हैं ? ख. ' घटक ' तथा ' िािर्दण्ड ' शब्द का अथि स्पि कीर्जए । ग. रेखाोंनकत अोंश की व्याख्या कीर्जए । घ. सिाज का र्जम्मेर्दार घटक कौि है – ङ. गद्ाोंश के पाठ का शीर्षिक और िेखक का िाि बताइए । 4. निम्नर्िर्खत पद्ाोंशोों को पढ़कर पद्ाोंशोों पर आर्ाररत प्रश्नोों के उत्तर र्दीर्जए – 𝟏𝟎 अोंक जि पों जर - गत अब अरे अर्ीर , अभागे , वे ज्वर्ित भाव थे स्वयों तुझी िें जागे । पर था के वि क्या ज्वर्ित भाव ही िि िें ? क्या शेर्ष बचा था कु छ ि और इस जि िें ? कु छ िूल्य िहीों वात्सल्य - िात्र , क्या तेरा ? पर आज अन्य - सा हुआ वत्स भी िेरा । थूके , िुझ पर त्रैिोक्य भिे ही थूके । जो कोई जो कह सके , कहे , क्योों चूके ? छीिे ि िातृपर्द नकिु भरत का िुझसे , रे राि , र्दुहाई करूाँ और क्या तुझसे ? i. प्रस्तुत पद्ाोंश का सन्दभि र्िर्खए । ii. रेखाोंनकत अोंश की व्याख्या कीर्जए । iii. 'अन्य सा हुआ वत्स भी िेरा ' का आशय स्पि कीर्जए । iv. इस पद्ाोंश िें अर्भव्यक्त रस का िाि र्िर्खए । v. कै के यी नकससे र्दुहाई करती है ? अथवा र्दुुः ख की नपछिी रजिी बीच नवकसता सुख का िवि प्रभात ; एक परर्दा यह झीिा िीि र्छपाये है र्जसिें सुख गात । र्जसे तुि सिझे हो अर्भशाप , जगत की ज्वािाओों का िूि ; ईश का वह रहस्य - वरर्दाि कभी ित इसको जाओ भूि ।। i. प्रस्तुत पों नक्तयोों िें नकि र्दो पात्रोों के बीच वाताििाप हो रहा है ? ii. ईश्वर का रहस्यियी वरर्दाि क्या है ? iii. प्रस्तुत पों नक्तया कौि कह रहा है ? iv. पद्ाोंश का सन्दभि र्िर्खए | v. सुख का िवीि प्रभात कब आता है ? 5. क ) निम्नर्िर्खत िें से नकसी एक िेखक की जीविी , सानहर्त्यक पररचय र्देते हुए उिकी रचिाओों का उल्लेख कीर्जए : 5 i) वासुर्देवशरण अग्रवाि ii) डॉ० ए० पी० जे० अब्दुि किाि iii) हजारी प्रसार्द निवेर्दी ख ) निम्नर्िर्खत िें से नकसी एक कनव का सानहर्त्यक पररचय र्देते हुए उिकी रचिाओों का उल्लेख कीर्जए : 5 i) भारतेंर्दु हररश्चों र्द ii) जगन्नाथ र्दास ‘रत्नाकर’ iii) सन्तिर्दािन्द होरािन्द ‘वात्स्यायि’ । 6. कहािी - तत्त्ोों के आर्ार पर ' पों चिाइट ' अथवा ' किििाशा की हार ' कहािी की सिीक्षा कीर्जए । 5 अथवा ' बहार्दुर ' अथवा ' किििाशा की हार ' कहािी के प्रिुख पात्र का चररत्र र्चत्रण कीर्जए । 7. स्वपनठत खण्डकाव्य के आर्ार पर नकसी एक खण्डकाव्य के एक प्रश्न का उत्तर र्दीर्जए : 5 क) 'रन्तिरथी' खण्डकाव्य के आर्ार पर 'कणि' की चाररनत्रक नवशेर्षताओों का उल्लेख कीर्जए । अथवा 'रन्तिरथी' खण्डकाव्य की नकसी प्रिुख घटिा का उल्लेख कीर्जए । ख) " सत्य की जीत ' खण्डकाव्य की िुख्य नवशेर्षताओों का वणिि अपिे शब्दोों िें र्िर्खए | अथवा 'सत्य की जीत' खण्डकाव्य के िायक का चररत्र - र्चत्रण कीर्जए । ग) 'त्यागपथी' खण्डकाव्य का िायक कौि है ? उसका चररत्र र्चत्रण कीर्जए । अथवा 'त्यागपथी' खण्डकाव्य के नितीय सगि की कथावस्तु अपिे शब्दोों िें र्िर्खए । घ) ‘िुनक्तयज्ञ' खण्डकाव्य के िायक की चाररनत्रक नवशेर्षताओों का उल्लेख कीर्जए । अथवा ' िुनक्तयज्ञ' खण्डकाव्य को कथावस्तु सों क्षेप िें अपिे शब्दोों िें र्िर्खए । ङ) 'आिोक वृत्त' खण्डकाव्य के पों चि सगि 'असहयोग आन्दोिक' का कथािक र्िर्खए । अथवा 'आिोक वृत्त' खण्डकाव्य के प्रिुख पात्र की चाररनत्रक नवशेर्षताओों का उल्लेख कीर्जए । च) ‘श्रवणकु िार' खण्डकाव्य के 'अर्भशाप' सगि की कथावस्तु र्िर्खए । अथवा 'श्रवणकु िार' खण्डकाव्य की नवशेर्षताओों का उल्लेख कीर्जए । खण्ड- ख 8. निम्नर्िर्खत अवतरणोों का सन्दभि-सनहत नहन्दी िें अिुवार्द कीर्जए। (क) अतीते प्रथिकल्पे चतुष्पर्दाुः र्सोंहों राजाििकु विि् । ित्स्या आिन्दित्स्यों , शकु ियुः सुवणिहोंसि् । तस्य पुिुः सुवणिराजहोंसस्य र्दुनहता होंसपोनतका अतीव रूपवती आसीत् । स तस्यै वरिर्दात् यत् सा आत्मिर्श्चत्तरुर्चतों स्वानििों वृणुयात् इनत । होंसराजुः तस्यै वरों र्दत्त्ा नहिवनत शकु निसङ्के सों न्यपतत्। िािाप्रकाराुः होंसियूरार्दयुः शकु निगणाुः सिागत्य एकन्तस्मि् िहनत पार्षाणतिे सों न्यपति्। अथवा सप्तर्दशवर्षािर्ण यावत् अिरत्वप्राप्त्युपायों र्चियि् िूिशङ्करुः ग्रािार्द् ग्राि , िगरान्नगरों , विार्द् विों , पवितात् पवितिभ्रित् परों िानवन्दतानततराों तृनप्ति् । अिेकेभ्यो नविद्भ्य : व्याकरण - वेर्दािार्दीनि शास्त्रार्ण योगनवद्ाश्च अर्शक्षत् । िििर्दातटे च पूणाििन्दसरस्वतीिाम्नुः सों न्यार्सिुः सकाशात् सों न्यासों गृहीतवाि् ' र्दयािन्दसरस्वती ' इनत िाि च अङ्गीकृ तवाि् । अथवा (ख) व्यनतर्षजनत पर्दाथाििािरुः कोऽनप हेतुुः ि खिु बनहरुपार्ीि् प्रीतयुः सों श्रयिे । नवकसनत नह पतङ्गस्योर्दये पुण्डरीकों द्रवनत च नहिरिावुद्गतेुः चन्द्रकािुः ।। अथवा जयन्ति ते िहाभागा जि - सेवा - परायणाुः । जरािृत्युभयों िान्तस्त येर्षाों कीनतितिोुः क्वर्चत् ।। निम्नर्िर्खत प्रश्नोों िें से नकन्ीों र्दो के उत्तर सों स्कृ त िें र्दीर्जए । 9. (क) अन्यर्दा भोज : कु त्र अगच्छत् ? (ख) राजहोंस : पनर्षन्मध्ये कस्मै र्दुनहतरि् अर्दर्दात् ? (ग) िािवीयिहोर्दयस्य प्रारन्तम्भकी र्शक्षा कु त्र अभवत् ? (घ) वासुर्देव कस्य र्दौत्येि कु त्र गत:? 10. (क) 'वीभत्स' अथवा ‘भयािक रस’ की पररभार्षा उर्दाहरण सनहत र्िर्खए । 2 (ख) 'उपिा' अथवा 'यिक' अिों कार की पररभार्षा उर्दाहरण सनहत र्िर्खए । 2 (ग) 'रोिा' अथवा 'चौपाई' का िक्षण एवों उर्दाहरण र्िर्खए । 2 11. निम्नर्िर्खत िें से नकसी एक नवर्षय पर अपिी भार्षा - शैिी िें निबन्ध र्िर्खए – 9 (क) वतििाि र्शक्षा प्रणािी के गुण - र्दोर्ष (ख) र्दूरर्दशिि की उपयोनगता (ग) िेरे जीवि की अनवस्मरणीय घटिा (घ) स्वर्देश प्रेि (ङ) वतििाि सिय िें सिाचार - पत्रोों का िहत्त् 12. (क) (i) 'िायक:' का सन्तन्ध-नवच्छे र्द है – 1 a. िै + अक : b. िाय + अक : c. िाय + क d. िौ + अक : (ii) 'गुन्तित:' का सन्तन्ध-नवच्छे र्द है 1 a. गुि् + नफत: b. गुों + नफत: c. गुि + नफत: d. गुि् + नफत: (iii) 'प्रेजते' का सन्तन्ध-नवच्छे र्द है 1 a. प्र + एजते b. प्रे + एजते c. प्र + इजते d. प्रेज् + अते (ख) (i) ‘िीिाम्बुजि्' िें सिास है – 1 a. बहुव्रीनह सिास b. कििर्ारय सिास c. अव्ययीभाव सिास d. निगु सिास (ii) ‘र्दशािि:’ िें सिास है 1 a. िन्द्व-सिास b. निगु-सिास c. कििर्ारय-सिास d. बहुव्रीनह-सिास 13. क- (i) ‘गत:’ िें प्रत्यय है – 1 (a) क्त (b) त्व (c) ितुप् (d) अिीयर् (ii) ‘दृष्ट्वा’ िें प्रत्यय है - 1 (a) तव्यत् (b) क्त्वा (c) वतुप (d) ितुप ख- निम्नर्िर्खत रेखाोंनकत पर्दोों िें से नकसी एक पर्द िें प्रयुक्त नवभनक्त तथा उससे सम्बन्तन्धत नियि का उल्लेख कीर्जए । 2 a. िातुुः हृर्दयों कन्याों प्रनत र्िग्धों भवनत । b. छात्रासु िता श्रेष्ठा । c. अहिनप त्वया सार्ं यास्यानि । 14. अपिे छोटे भाई को एक पत्र र्िर्खए, जो अपिा सिय व्यथि के कायों िें बबािर्द कर रहा है और अपिे अध्ययि के प्रनत सचेत िहीों है। 8 अथवा आप ‘शों करगों ज कॉिोिी’ िे रहते हैं और िगर पार्िका के सफाई कििचारी ठीक से सफाई कायि िहीों कर रहे हैं, र्जससे स्थाि-स्थाि पर गों र्दगी व र्दुगंर् फैिी हुई है। इस सम्बों र् िे अर्र्शार्षी अर्र्कारी को एक र्शकायती पत्र र्िर्खए।

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