Hindi Sanskrit Verbs - PDF
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This document provides the Sanskrit verb conjugations in Hindi. It gives an overview of different tenses like present, future, and past tenses. Includes examples on how to use the verbs to create a sentence.
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धातु रूप की परिभाषा संस्कृत व्याकरण में क्रियाओं के मल ू रूप को धातु कहा जाता है , जो संस्कृत के शब्दों का निमााण करता है । संस्कृत व्याकरण में क्रियाओं के मल ू रूप को धातु कहते हैं। धातु ही संस्कृत शब्दों के निमााण का मल...
धातु रूप की परिभाषा संस्कृत व्याकरण में क्रियाओं के मल ू रूप को धातु कहा जाता है , जो संस्कृत के शब्दों का निमााण करता है । संस्कृत व्याकरण में क्रियाओं के मल ू रूप को धातु कहते हैं। धातु ही संस्कृत शब्दों के निमााण का मल ू तत्त्व है । धातु रूप के तीन पुरुष होते है – 1. प्रथम पुरुष (Third Person) 2. मध्यम पुरुष (Second Person) 3. उत्तम पुरुष (First Person) प्रत्येक परु ु ष के तीन वचन होते हैं – 1. एकवचि (Singular Number) 2. द्वववचि (Dual Number) 3. वहुवचि (Plural Number) परु ु ष एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथम पुरुष मध्यम पुरुष उत्तम पुरुष संस्कृत में पुरुष/सवािाम के Topic को िीचे ददए गये link पर क्ललक करके समझे ---- https://youtu.be/l9J7uwHYp5w?si=xj_Fh4L8pAgoexa1 प्रथम पुरुष पठ् धातु के लट् लकाि में रूप – वततमान काल (Present Tense) संस्कृत में लट् लकार का प्रयोग वतामाि काल को व्यलत करिे के ललए क्रकया जाता है । पठ धातु के लट् लकार में रूप निम्िललखित हैं- पुरुष एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथम पुरुष पठनत पठत: पठक्तत मध्यम परु ु ष पठलस पठथः पठथ उत्तम पुरुष पठालम पठावः पठामः पठ् धातु के लट् लकाि में वाक्य औि उदाहिण- वह पढ़ता है । – सः पठनत। वह पढ़ती है । – सा पठनत। वे दोिों पढ़ते हैं। – तौ पठतः। वे दोिों पढ़ती हैं। – ते पठतः। वे सब पढ़ते हैं। – ते पठक्तत। वे सब पढ़ती हैं। – ता पठक्तत। तम ु पढ़ते हो। – त्वं पठलस। तम ु दोिों पढ़ते हो। – यव ु ां पठथः। तम ु सब पढ़ते हो। – यूयं पठथ। मैं पढ़ता हूूँ। – अहं पठालम। हम दोिों पढ़ते हैं। – आवां पठावः। हम सब पढ़ते हैं। – वयं पठामः। पठ् धातु के लट् ृ लकाि में रूप – भववष्यत ् काल (Future Tense) संस्कृत में लट् ृ लकार का प्रयोग सामातय भववष्य काल की घटिाओं को व्यलत करिे के ललए क्रकया जाता है । पठ के धातु रूप लट् ृ लकार में इस प्रकार हैं- परु ु ष एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथम पुरुष पदठष्यनत पदठष्यतः पदठष्यक्तत मध्यम पुरुष पदठष्यलस पदठष्यथः पदठष्यथ उत्तम पुरुष पदठष्यालम पदठष्यावः पदठष्यामः पठ् धातु के लट् ृ लकाि में उदाहिण- सः पदठष्यनत। = वह पढ़े गा। सः कुत्र पदठष्यनत? = वह कहाूँ पढ़े गा? ते पदठष्यक्तत। = वे सब पढ़ें गे। पठ् धातु के लङ् लकाि में रूप – भत ू काल (Past Tense) लङ् लकार का प्रयोग अिद्यति भूतकाल की क्रिया को व्यलत करिे के ललए क्रकया जाता है । पठ के धातु रूप लङ् लकार में निम्ि हैं- पुरुष एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथम पुरुष अपठत ् अपठताम ् अपठि ् मध्यम परु ु ष अपठः अपठतम ् अपठत उत्तम पुरुष अपठम ् अपठाव अपठाम पठ् धातु के लट् लकाि में उदाहिण- उसिे पढ़ा। – स: अपठत ्। उि दोिों िे पढ़ा। – तौ अपठताम ्। उि सबिे पढ़ा। – ते अपठि ्। तम ु िे पढ़ा। – त्वम ् अपठः। तम ु दोिों िे पढ़ा। – युवाम ् अपठतम ्। तम ु सबिे पढ़ा। – यूयं अपठत। मैंिे पढ़ा। – अहम ् अपठम ्। हम दोिों िे पढ़ा। – आवाम ् अपठाव। हम सबिे पढ़ा। – वयम ् अपठाम ्। पठ् धातु के ववधधललङ् लकाि में रूप – चाहहए के अथत में (Potential Mood) ववधधललङ् लकार का प्रयोग चादहए के अथा में होता है । पठ धातु के ववधधललङ् लकार में रूप इस प्रकार हैं- परु ु ष एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथम पुरुष पठे त ् पठे ताम ् पठे युः मध्यम पुरुष पठे ः पठे तम ् पठे त उत्तम परु ु ष पठे यम ् पठे व पठे म पठ् धातु के ववधधललङ् लकाि में उदाहिण- उसे पढ़िा चादहये। – सः पठे त ्। उि दोिों को पढ़िा चादहये। – तौ पठे ताम ्। उि सबको पढ़िा चादहये। – ते पठे युः। तुम्हें पढ़िा चादहये। – त्वं पठे ः। तुम दोिों को पढ़िा चादहये। – युवां पठे तम ्। तुम सबको पढ़िा चादहये। – यूयं पठे त। मुझे पढ़िा चादहये। – अहं पठे यम ्। हम दोिों को पढ़िा चादहये। – आवां पठे व ्। हम सबको पढ़िा चादहये। – वयं पठे म। पठ् धातु के लोट् लकाि में रूप – अनुज्ञावाचक (Imperative Mood) लोट् लकार का प्रयोग आज्ञा दे िे के भाव को प्रकट करिे के क्रकया जाता है । पठ धातु के लोट् लकार में रूप निम्ि हैं- पुरुष एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथम पुरुष पठतु पठताम ् पठततु मध्यम पुरुष पठ पठतम ् पठत उत्तम परु ु ष पठानि पठाव पठाम पठ् धातु के लोट् लकाि में उदाहिण- वह पढ़े । – सः पठतु। वे दोिों पढ़े । – तौ पठताम ्। वे सब पढ़े । – ते पठततु। तुम पढ़ो। – त्वं पठ। तुम दोिों पढ़ो। – युवां पठतम ्। तुम सब पढ़ो। – यूयम ् पठत। मैं पढ़ूँू । – अहं पठानि। हम दोिों पढ़े । – आवां पठाव। हम सब पढ़े । – वयं पठाम। शब्दरूप वालय की सबसे छोटी इकाई को शब्द कहते हैं। शब्दों के अिेक रूप (संज्ञा, सवािाम, ववशेषण आदद) होते हैं। संस्कृत भाषा में प्रयोग करिे के ललए इि शब्दों को ‘पद’ बिाया जाता है । संज्ञा, सवािाम आदद शब्दों को पद बिािे हेतु इिमें प्रथमा, द्ववतीया आदद ववभक्लतयाूँ लगाई जाती हैं। इि शब्दरूपों का प्रयोग (पुक्ललङ्ग,् स्त्रीललङ्ग और िपुंसकललंङ्ग ् तथा एकवचि, द्वववचि और बहुवचि में लभति-लभति रूपों में ) होता है । इतहें सामातयतया शब्दरूप (Shabd Roop) कहा जाता है । संस्कृत में आठ ववभक्लतयाूँ रहती हैं, क्जतहें कताा कारक, कमा कारक, करण कारक, संप्रदाि कारक, अपादाि कारक, संबंध कारक, अधधकरण कारक, और सम्बोधि कारक कहा जाता है। शब्दरूप को समझिे से पहले कारातत शब्दों को समझे , link पर click करे -- https://youtu.be/VybPlUFWoQ0?si=cPz-tKKjr_CByWGz अकािाांत शब्द पुल्लांग िाम के शब्दरूप ववभलक्त एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथमा रामः रामौ रामाः द्वववचन रामम ् रामौ रामाि ् तत ृ ीय रामेण रामाभ्याम ् रामैः चतुथी रामाय रामाभ्याम ् रामेभ्यः पांचमी रामात ् रामाभ्याम ् रामेभ्यः षष्ठी रामस्य रामयोः रामाणाम ् सप्तमी रामे रामयोः रामेषु सम्बोधन हे राम! हे रामौ! हे रामाः! िोट: अष्टमी ववभक्लत को संबोधि के रूप में प्रयोग क्रकया जाता हैं | दे व, बालक, वक्ष ृ , सय ू ,त सिु , असिु , मानव, अश्व, गज, ब्राह्मण, क्षत्रिय, शद्र ू , छाि, लशष्य, हदवस, लोक, ईश्वि, भक्त आहद के शब्द रूप िाम के सामान ही होंगे बस नाम change होंगे | बालक शब्द के रूप के हहांदी अथत ननम्नललखित हैं: ववभलक्त एकवचन द्वववचन बहुवचन बालकः बालकौ बालकाः प्रथमा (बालक, बालक िे) (दो बालकों, दो बालकों िे) (अिेक बालकों, अिेक बालकों िे) बालकम ् बालकौ बालकाि ् द्ववतीया (बालक को) (दो बालकों को) (अिेक बालकों को) बालकेि बालकाभ्याम ् बालकैः (बालक से, बालक के (दो बालकों से, दो बालकों के (अिेक बालकों से, अिेक बालकों के तत ृ ीया द्वारा) द्वारा) द्वारा) बालकाभ्याम ् बालकेभ्यः बालकाय (दो बालकों को, दो बालकों के (अिेक बालकों को, अिेक बालकों के चतुथी (बालक को, बालक के ललए) ललए) ललए) बालकात ्/बालकाद् (बालक बालकाभ्याम ् बालकेभ्यः पांचमी से) (दो बालकों से) (अिेक बालकों से) बालकस्य बालकयोः बालकािाम ् (बालक का, बालक के, (दो बालकों का, दो बालकों के, दो (अिेक बालकों का, अिेक बालकों के, षष्ठी बालक की) बालकों की) अिेक बालकों की) बालके बालकयोः बालकेषु सप्तमी (बालक में , बालक पर) (दो बालकों में , दो बालकों पर) (अिेक बालकों में , अिेक बालकों पर) हे बालक! हे बालकौ! हे बालकाः! सम्बोधन (हे बालक!) (हे दो बालकों!) (हे अिेक बालकों!) अकािान्त नपांस ु कललङ्ग शब्द नोट:- अकारातत िपुंसकललङ्ग शब्दों के तत ृ ीया ववभक्लत से सप्तमी ववलभलत तक के रूप अकारातत पुक्ललंग शब्दों के रूपों की भाूँनत ही होते हैं। अकािान्त नपुांसकललङ्ग सांज्ञा शब्द रूप लमि, वन, अिण्य, मुि, कमल, पुष्प आहद के रूप भी इसी प्रकाि होंगे जैसे आगे फल के हदए गये हैं | फल रूप इस प्रकार हैं – आकािान्त स्तिीललङ्ग िमा के रूप – Shabd Roop ववभलक्त एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथमा रमा रमे रमा: द्ववतीया रमाम ् रमे रमा: तत ृ ीया रमया रमाभ्याम ् रमालभ: चतथ ु ी रमायै रमाभ्याम ् रमाभ्य: पंचमी रमाया: रमाभ्याम ् रमाभ्य: षष्ठी रमाया: रमयो: रमाणाम ् सप्तमी रमायाम ् रमयो: रमासु सम्बोधि हे रमे ! हे रमे ! हे रमा: ! लता, बाला, ववद्या आहद सभी आकािान्त स्तिीललङ्ग शब्दों के रूप भी इसी प्रकाि होंगे। इकािाांत शब्द कवव शब्द इकािान्त पनत , सखि , हरि, भप ू नत िाजा, अलनन आग, अनतधथ मेहमान, अरि, ऋवष, कवप, धगरि, नतधथ, जलधध, पाखण, बलल, मुनन, िवव, िलश्म, िालश, ववधध, सलन्ध आहद। ववभलक्त एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथमा कववः कवी कवयः द्ववतीया कववम ् कवी कवीि ् तत ृ ीया कवविा कववभ्याम ् कववलभः चतुथी कवये कववभ्याम ् कववभ्यः पंचमी कवेः कववभ्याम ् कववभ्यः षष्ठी कवेः कव्योः कवीिाम ् सप्तमी कवौ कव्योः कववषु सम्बोधि हे कवे ! हे कवी ! हे कवयः ! ईकािाांत शब्द नदी शब्द रूप ववभलक्त एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथमा िदी िद्यौ िद्यः द्ववतीया िदीम ् िद्यौ िदीः तत ृ ीया िद्या िदीभ्याम ् िदीलभः चतुथी िद्यै िदीभ्याम ् िदीभ्यः पंचमी िद्याः िदीभ्याम ् िदीभ्यः षष्ठी िद्याः िद्योः िदीिाम ् सप्तमी िद्याम ् िद्योः िदीषु सम्बोधि हे िदी ! हे िद्यौ ! हे िद्यः ! काली, गहृ हणी, गोपी, गौिी, जगती, जननी, तिी, धािी, धी, नगिी, नटी, दे वी, जननी, नदी, नािी, पत्नी, पुिी, पथ् ृ वी, पावतती, भधगनी, युवती, िाज्ञी, लक्ष्मी, वाणी, शैली, श्री, सिी, स्तिी, सती आहद के शब्द रूप भी इसी प्रकाि होंगे | उकािाांत शब्द लशष्य, मन,ु नि, हस्तती, वक्ष ृ , भवन, लसांह, अण,ु इक्षु, इन्द,ु ऋत,ु गरु ु , जन्तु, तन्त,ु तरु, दयाल,ु धातु, प्रभ,ु पश,ु बन्धु, भान,ु त्रबन्द,ु मत्ृ यु, मनु, रिप,ु लघ,ु वाय,ु वेण,ु ववष्ण,ु शम्भ,ु शिु, लशश,ु लसन्ध,ु हे तु आहद शब्द भी इसी प्रकाि बनांगे | गुरू के रूप – Shabd Roop ववभलक्त एकवचन द्वववचन बहुवचन प्रथमा गुरुः गुरू गुरवः द्ववतीया गरु ु म् गरू ु गरू ु ि् तत ृ ीया गुरुणा गुरुभ्याम ् गुरुलभः चतुथी गुरवे गुरुभ्याम ् गुरुभ्यः पंचमी गरु ोः गरु ु भ्याम ् गरु ु भ्यः षष्ठी गुरोः गुववः गुरुणाम ् सप्तमी गुरौ गुववः गुरुषु सम्बोधि हे गरु ो ! हे गुरू ! हे गरु वः ! साधु के रूप – Shabd Roop ऊकािान्त शब्द रूप वधू) शब्द ऋकािान्त शब्द रूप ‘वपत’ृ (वपता) शब्द