Personality Development PDF
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मध्य प्रदेश
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This document is study material for undergraduate students in Madhya Pradesh for a personality development course. It covers topics like personality, success, and failure, time management, and communication skills. The material is aimed at helping students improve their personality and gain employment skills.
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उच्च शिक्षा विभाग, मध्यप्रदे ि स्नातक प्रथम वर्ष के ववद्यार्थषयों के लिए अध्ययन सामग्री व्यावसाययक ववर्य व्यक्तित्ि विकास (Personality Development) कायाषिय आयक् ु त, उच्च लिक्षा, मप्र पाांचवी मांजिि, सतपड़...
उच्च शिक्षा विभाग, मध्यप्रदे ि स्नातक प्रथम वर्ष के ववद्यार्थषयों के लिए अध्ययन सामग्री व्यावसाययक ववर्य व्यक्तित्ि विकास (Personality Development) कायाषिय आयक् ु त, उच्च लिक्षा, मप्र पाांचवी मांजिि, सतपड़ ु ा भवन, भोपाि- 622004 वेबसाइट: https://highereducation.mp.gov.in उच्च लिक्षा ववभाग, मध्यप्रदे ि राष्ट्रीय लिक्षा नीयत 2020 के अांतगषत स्नातक प्रथम वर्ष के ववद्यार्थषयों के लिए व्यावसाययक ववर्य की पाठ्य सामग्री के सांकिनकताष 1. डॉ रामबाबू मेहर 2. डॉ बि ृ ेि कुमार िाटव 3. डॉ वांदना िाट 4. डॉ मदन धनोरा 5. डॉ ददिीप कुमार कुिवाह 6. डॉ अरुण कुमार लमश्रा 7. श्री कैिाि ठाकरे 8. श्री रािेि गढ़वाि 9. श्री राकेि लसांह कनेि 10. कु वैिािी भूमरकर कायाषिय आयुक्त, उच्च लिक्षा, मप्र पाांचवी मांजिि, सतपुड़ा भवन, भोपाि-622004 वेबसाइट: https://highereducation.mp.gov.in/ प्रातकथन उच्च लिक्षा ववभाग, मध्य प्रदे ि द्वारा राष्ट्रीय लिक्षा नीयत 2020 के अांतगषत व्यावसाययक पाठ्यक्रम का प्रमुख उद्दे श्य ववद्यार्थषयों को उनकी रूर्च के अनस ु ार ववलभन्न पाठ्यक्रमो में अध्ययन की सुववधा उपिब्ध करवाना है जिससे ववद्याथी अपनी रूर्च के अनुसार पाठ्यक्रम का चयन कर सके एवां उस क्षेत्र में रोिगार प्राप्त कर सके। व्यावसाययक लिक्षा मे नए कौिि सीखना और रोिगार हालसि करना िालमि है । व्यजक्तत्व ववकास एक महत्वपण ू ष व्यावसाययक पाठ्यक्रम है िो ववद्यार्थषयों के सवाांगीण ववकास के लिए अत्यन्त आवश्यक है । व्यजक्तत्व ववकास अत्यर्धक प्रासांर्गक ववर्य है । कॅररयर में उन्नयत के अवसर के लिए व्यजक्तगत और व्यावसाययक ववकास महत्वपण ू ष है। व्यजक्तत्व ववकास ववद्यार्थषयों को बढती हुई प्रयतस्पधाष में रोिगार के अवसर उपिब्ध करवाने में मदद करता है । व्यजक्तत्व ववकास ववद्यार्थषयों को अपनी वास्तववक क्षमताओां की खोि कर उन्हें उन्नत बनाने में सहायता करता है । एक अच्छे व्यजक्तत्व के साथ ववद्याथी को बेहतर समझते है एवां चीिों को दृजष्ट्टकोण से दे खने की कोलिि करते है जिससे ववद्याथी को व्यजक्तगत और पेिेवर िीवन में आगे बढ़ने में मदद लमिती है । व्यजक्तत्व ववकास की अध्ययन सामग्री को रोचक एवां सरि भार्ा में प्रस्तुत ककया गया है । पाठ्यक्रम के अनरू ु प सभी माड्यि ू से सांबांर्धत अध्ययन की पररिजब्धयों को िालमि ककया गया है एवां प्रत्येक माड्यि ू के अांत में अभ्यास हे तु ववववध प्रश्नों (अयत िघु उत्तरीय, िघु उत्तरीय एवां दीघष उत्तरीय प्रश्न) को िालमि ककया गया। आिा है कक प्रस्तुत अध्ययन सामग्री स्नातक स्तर के ववद्यार्थषयों के लिए अत्यांत उपयोगी होगी। यन:सांदेह यह अध्ययन सामग्री ववद्यार्थषयों के व्यजक्तत्व में अवश्य ही यनखार िायेगी एवां रोिगार के अवसर उपिब्ध कराने में सहायक लसद्ध होगी। डॉ धीरे न्र िुक्ि वविेर् कतषव्यस्थ अर्धकारी उच्च लिक्षा ववभाग, मध्य प्रदे ि व्यािसाययक विषय : व्यक्तित्ि विकास व्यािसाययक विषय : व्यक्तित्ि विकास अनुक्रमणिका माड्यल ू विषय पष्ृ ठ संख्या I व्यक्तित्ि, सफलिा और असफलिाओं का 01-30 सामना करना II समय एिं िनाि प्रबंधन िथा रोजगारपरकिा- 31-64 लक्धध III संचार कौिल और डिक्जटल शिष्टाचार 65-107 प्रायोगगक एिं मौणिक परीक्षा में पूछे जाने 108-111 िाले संभाविि प्रश्न संदभभ ग्रन्थ सच ू ी 112-113 मॉड्यूल-1 व्यक्तित्ि, सफलिा और असफलिाओं का सामना करना पाठ्यक्रम अध्ययन की पररलक्धधयााँ (Learning Outcomes) 1. ववद्याथी व्यजक्तत्व की अवधारणा, पररभार्ा, व्यजक्तत्व ववकास में सहायक तत्व एवां वविेर्ताओां को समझ सकेगा। 2. ववद्याथी सफिता, सफिता प्राप्त करने में बाधाएँ, सफिता के लिए जिम्मेदार कारकों को समझ सकेगा। 3. ववद्याथी आदत की अवधारणा, पररभार्ा, आदतों के प्रकार व ् प्रभावी आदतें, असफिता के अथष, असफिता के लिए जिम्मेदार कारकों, असफिताओां से सीखना, असफिताओां पर काबू पाना को समझ सकेगा। 4. ववद्याथी ववश्वास का अथष, ववश्वास की िजक्त एवां ववश्वास के अभ्यास को समझ सकेगा। 5. ववद्याथी स्वॉट का अथष एवां SWOT स्वॉट का मल् ू याकांन कैसे करें , और उपयोग से पररर्चत हो सकेगा। 6. ववद्याथी िक्ष्य का अथष, SMART िक्ष्य का अथष एवां स्माटष िक्ष्यों के उपयोग समझ सकेगा। 1 व्यक्तित्ि की अिधारिा (Concept of Personality) िब कोई व्यजक्त अपनी प्रयतकक्रया व्यक्त करता है और दस ू रों से सांचार करता है , वह व्यजक्तत्व कहिाता है। इसके ववपरीत, इसका मतिब यह भी हो सकता है कक व्यजक्तयों का स्वयां को समझना और दे खना और दस ू रों पर उनका प्रभाव क्या है ? इसमें बाह्य और आांतररक मापने योग्य िक्षणों का स्वरूप, साथ ही व्यजक्त और जस्थयत के मध्य सांवाद िालमि हैं। व्यजक्तत्व की अवधारणा ककसी व्यजक्त के आांतररक और बाह्य गण ु ों से यनधाषररत होती है , िो उनके व्यवहार को प्रभाववत करती है। व्यजक्तत्व एक एकीकृत प्रणािी है जिसमें व्यजक्त के दोनों पहिू िालमि हैं: वांिगत और अर्धगलमत(सीखा हुआ)। ये दोनों पक्ष एक दसू रे पर यनभषर हैं और अिग नहीां हो सकते। एडिर ने व्यजक्तत्व िब्द का सवषप्रथम प्रयोग ककया। व्यजक्तत्व िब्द अांग्रेिी के “personality” िब्द का दहांदी रूपाांतर है। पसषनल्टी िब्द की उत्पवत्त िैदटन भार्ा के ” Persona” से हुई है। जिसका अथष है "नकाब या मुखौटा"। यह व्यजक्त के बाह्य स्वरूप से सम्बांर्धत था, इसका व्यजक्त के आांतररक स्वरूप से कोई िेना दे ना नहीां था। िेककन धीरे - धीरे व्यजक्तत्व के अन्तगषत व्यजक्त के आन्तररक स्वरूप को भी िालमि कर लिया गया और अब व्यजक्तत्व को व्यजक्त के िरीररक, मानलसक और सामाजिक गुणों के योग को बताने के लिए प्रयोग ककया िाता है। यह व्यजक्त के ववचारों, भावनाओां, व्यवहार, दृजष्ट्टकोण, पहनावा आदद का एक अद्भुत सांगम है , िो उसकी अन्तः कक्रया में अन्य व्यजक्तयों के साथ स्पष्ट्ट झिकता है। यही कारण है कक व्यजक्तत्व एक व्यजक्त के सभी गुणों, िक्षणों, क्षमताओां और वविेर्ताओां का एक सांग्रह है । व्यक्तित्ि की पररभाषा (Definition of Personality) िैशियल(1949) के अनस ु ार "व्यजक्तत्व व्यजक्त के सभी व्यवहारों का वह समायोजित सांकिन है, िो उसके सहयोर्गयों में स्पष्ट्ट रूप से ददखिायी दे ।" बबग िथा हण्ट के अनुसार "ककसी व्यजक्त के समस्त व्यवहार, प्रयतमानों और उसकी वविेर्ताओां का योग ही उसका व्यजक्तत्व है।" िैलन्टाईन के अनुसार "व्यजक्तत्व िन्मिात और अजिषत प्रववृ त्तयों का योग है।" मॉटभन वप्रंस के अनुसार "व्यजक्तत्व व्यजक्त के िन्मिात तथा अजिषत स्वभाव मूि प्रववृ त्तयों भावनाओां तथा इच्छाओां का योग होता है।" 2 ऑलपोटभ (1937) के अनुसार, “व्यजक्तत्व व्यजक्त के भीतर उन मनोिारीररकतन्त्रो का गयतिीि या गत्यात्मक सांगठन है िो वातावरण में उसके अपूवष समायोिन को यनधाषररत करते है।” व्यक्तित्ि की वििेषिाएाँ (personality characteristics) व्यजक्तत्व की प्रमख ु वविेर्ताएँ यनम्नलिखखत हैं- 1) आत्मचेिना : आत्मचेतना व्यजक्तत्व की प्रमख ु वविेर्ता होती है। आत्मचेतना से अलभप्राय है ‘स्वयां का ज्ञान’। वास्तववकता तो यह है कक िब व्यजक्त में आत्मचेतना िागत ृ होती है तभी व्यजक्तत्व का अजस्तत्त्व स्पष्ट्ट होता है। बािकों एवां पिुओां में आत्मचेतना का गुण नहीां पाया िाता है । बािक िब बड़ा होता है तो वह अपनी ओर वस्तुपरक दृजष्ट्टकोण से दे खना िुरू करता है। 2) दृढ़ इच्छािक्ति : व्यजक्तत्व की एक और वविेर्ता है दृढ़ इच्छािजक्त। आत्म सांतुष्ट्टी एवां सफिता अजिषत करने के लिए दृढ़ इच्छािजक्त का होना अयत आवश्यक है। बबना दृढ़ इच्छािजक्त के कोई भी व्यजक्त ककसी कायष क्षेत्र में सफि नहीां हो सकता। सफिता के लिखर को छूने के लिये दृढ़ इच्छािजक्त और यनरन्तरता का होना अयत आवश्यक है। 3) गयििीलिा : व्यजक्तत्व "गयतिीि" होता है। मानव व्यजक्तत्व के गण ु िन्म से मत्ृ यु तक बदिते रहते हैं िो व्यजक्तत्व को गत्ययात्मकता एवां समायोिन प्रदान करते हैं। 4) सामाक्जकिा : सामाजिकता भी व्यजक्त के व्यजक्तत्व का एक महत्वपूणष दहस्सा है। व्यजक्तत्व बनाने में समाि का महत्व अनदे खा नहीां ककया िा सकता। सामाजिकता में एक व्यजक्त समाि के हर सदस्य से िुड़ता है , िो उसे आत्मचेतना के साथ-साथ सामाजिक चेतना भी दे ता है। यह सामाजिक सम्पकष व्यजक्त को कई अिग-अिग अनुभव दे ता है , िो व्यजक्तत्व के ववकास में महत्वपूणष हैं। सामाजिकता के माध्यम से व्यजक्तत्व ववकलसत होना स्वाभाववक है , िो व्यजक्त के सामाजिक ववकास में भी भलू मका यनभाता है। 5) समायोजन : समायोिन और व्यजक्तत्व में गहरा सम्बन्ध होता हैं। व्यजक्तत्व पयाषवरण के अनुकूि होता है। हर व्यजक्त को हर तरह के आांतररक या वाह्य वातावरण से समायोिन करना व्यजक्तत्व ववकास के लिए सहायक होता है । मरफी ने कहा कक “अच्छे व्यजक्तत्व का अथष है वातारण में समायोिन की िजक्त का होना।” 3 6) यनरं िरिा : वुडवथष कहते हैं, "यनरां तरता, व्यजक्तत्व की महत्त्वपूणष वविेर्ता है।" व्यजक्त के व्यवहार, सांवेग, ववचार, अलभववृ त्त, क्षमताओां में यनरां तरता एवां प्रगयतिीि आदद िो उन्हें उन्नयतिीि बनती है । 7) लचीलापन : डैिीयि ने कहा कक समायोिन और िचीिापन ये ‘व्यजक्तत्व’ के महत्वपूणष तत्व हैं। व्यजक्त को वातावरण और अपनी अांतः िजक्तयों से िड़ना पड़ता है। इस सांघर्ष से व्यजक्तत्व में कई बदिाव आते रहते हैं, िो व्यजक्तत्व की प्रकृयत को गयतिीि बनाते हैं। व्यजक्तत्व हमेिा बदिता रहता है। 8) यनदे शिि लक्ष्य: मनष्ट्ु य का व्यव्हार मख् ु यतः िक्ष्य यनदे लित होता है । उसके हर व्यवहार में कोई न कोई उद्दे श्य यछपा हुआ है। उसके व्यजक्तत्व के बारे में सहि अनुमान िगाने के लिए उसके व्यवहार और िक्ष्यों को िानना आवश्यक है। कहते हैं कक एक व्यजक्त या व्यजक्तत्व को समझने के लिए हमें उसके िक्ष्य और ज्ञान पर ववचार करना िरूरी हो िाता है। 9) स्िास््य : एक अच्छे व्यजक्तत्व के लिए िारीररक और मानलसक स्वास््य महत्वपूणष है। िारीररक और मानलसक स्वास््य की कमी से व्यजक्तत्व पूरी तरह ववकलसत नहीां हो सकता। 10) एकीकरि : जिस प्रकार व्यजक्त के िरीर का कोई अांग अकेिे कायष नही करता है। उसी तरह, व्यजक्तत्व का कोई भी भाग अकेिे काम नहीां कर सकता। नैयतक, सामाजिक, मानलसक, िारीररक, सांवेगात्मक आदद व्यजक्तत्व के तत्व हैं। दस ू रे िब्दों में हम कह सकते हैं कक व्यजक्तत्त्व सम्पूणष इकाई के रूप में कायष करता है। 11) व्यिहारों का समायोक्जि संकलन : व्यजक्तत्व व्यजक्त के व्यवहारों का समायोजित सांकिन है िो वह अपने वातावरण में दस ू रों से करता है । 12) वििेषिाओं का योग : व्यजक्त में व्यवहार की ववलभन्न वविेर्ताएँ पाई िाती है इन वविेर्ताओां का योग ही व्यजक्तत्व है । 13) जन्मजाि ि अक्जभि : व्यजक्तत्व में िन्मिात व अजिषत गण ु पाए िाते है । 4 व्यक्तित्ि के विकास में सहायक ित्त्ि (Elements helpful in personality development) 1. स्ियं पर विश्िास : िीवन में सफिता का एकमात्र उपाय स्वयां के ऊपर ववश्वास रखना है। व्यजक्तत्व को ववकलसत करने के लिए स्वयां पर भरोसा करना पहिा कदम है। हमेिा स्वयां से कहें कक मैं यह काम कर सकता हूँ, यह मेरी जिम्मेदारी है। िीवन में सफिता की प्रेरक और प्रेरणादायक कहायनयाँ पढ़ें , िो आगे बढ़ने का उत्साह दे ती हैं, क्योंकक िब सादहत्य और ववचारों से िुड़े रहते हैं, तब मानलसकता भी वैसी ही बनती िाती है। 2. सकारात्मक सोच : सकारात्मक ववचार आत्मववश्वास बढ़ाते हैं और व्यजक्तत्व सुांदर बनाते हैं। िीवन में कई ऊँची-नीची पररजस्थयतयाां आती हैं, िेककन सकारात्मक सोच रखने वािा व्यजक्त हमेिा सही रास्ते को दे खता है। सकारात्मक सोच हर िगह आवश्यक है , चाहे वह ववचारों या कायों से सांबांर्धत हों। 3. िारीररक भाषा में सध ु ार : “पहिा सुख यनरोगी काया” मुहावरे में बहुत कुछ कहा गया है, िेककन इन मद् ु दों में सबसे पहिे िरीर पर काम करना चादहए, क्योंकक एक अच्छा मन एक अच्छे िरीर में बसता है। व्यजक्तगत ववकास (personal development) के लिए िारीररक भार्ा को बेहतर बनाना महत्वपूणष है। 4. विनम्रिा : ववनम्रता और उदारता व्यजक्तत्व ववकास का सहायक तत्व है। ववनम्रता के व्यावहाररक आधार को िीवन से िोड़े। छोटों के प्रयत प्रेम और बड़ों के प्रयत सम्मान ववनम्रता की कांु िी होती है । 5. यनरन्िर सीिना : व्यजक्त को हमेिा िीवन में कुछ न कुछ सीखते रहना चादहए। इयतहास गवाह है कक महान व्यजक्तत्व हमेिा सीखने को तत्पर रहते है। 6. श्रिि व्यक्तित्ि : िब भी कोई बात करे तो ध्यान से सुनें। श्रवण व्यजक्तत्व ववकास हेतु एक प्रभाविािी साधन है । 7. प्रभािी व्यक्तियों से संपकभ : नए एवां अिग-अिग प्रभावी व्यजक्तयों से लमिना िीवन को एक नए स्तर पर िे िाता है। इससे िीवन में सांस्कृयत और िीवन िैिी के बारे में बहुत कुछ सीखने को लमिता है , िो व्यजक्तत्व ववकलसत करने के लिए बहुत महत्वपूणष है। 5 8. िुि रहना ि कृिज्ञिा : खुि रहने का सबसे अच्छा तरीका है कक आपके पास िो कुछ भी है उसका सहर्ष उपयोग ,आनांद िेते हुए उसके लिए परमेश्वर को धन्यवाद दें व कृतज्ञता प्रकट करे । खुि रहना भी व्यजक्तत्व ववकास में सहायक है । 9. ईमानदारी : स्वयां व अन्य के प्रयत ईमानदार रहे। ईमानदार रहें गे तो हर िगह सराहना लमिेगी। िीवन में सबसे महत्वपूणष ववश्वास है ; अगर ववश्वास टूट गया तो कफर भरोसा करना मजु श्कि होगा। सफलिा तया है ? (What is success?) सामान्यतया यह अवधारणा है कक िब आर्थषक, िरीररक और मानलसक िजक्त के अनुसार अपना िक्ष्य बनाते हैं और िब उसे प्राप्त कर िेते हैं, तब एक िीत का अनुभव होता है सुख की अनुभूयत होती है, यही सफिता है। सफिता, असफिता के ववपरीत है । अपेक्षाओां की एक यनजश्चत सीमा को सांतुष्ट्ट करने की जस्थयत या पररजस्थयत को सफिता कहा िाता है। सामान्य अथो में "वाांयछत िक्ष्यों की प्राजप्त ही सफिता है"। सफिता का अथष है ककसी िक्ष्य या उद्दे श्य को प्राप्त करना या परू ा करना। सफि होने के लिए ककसी की इजच्छत आकाांक्षाओां एवां उद्दे श्यों को प्राप्त करना आवश्यक है। आत्मववश्वास सफिता का आधार है । अगर इांसान के अांदर आत्मववश्वास है तो वह सफि होकर ददखाता ही नहीां, बजल्क दस ू रों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन िाता है। इांसान िो सोच सकता है और जिसमें यकीन करता है , वह उसे हालसि भी कर सकता है , िेककन इसके लिए उसके अांदर आत्मववश्वास होना बहुत िरूरी है। 6 सफलिा प्राप्ि करने में बाधाएाँ (Obstacles to achieving success) 1. दृढ़ विश्िास में कमी- ऐसे व्यजक्त जिनमें दृढ़ ववश्वास की कमी पाई िाती है , वे उद्दे श्य में कभी सफि नहीां हो पाते हैं। 2. योजना का अभाि - ककसी भी काम के लिए पहिे से योिना का होना यनताांत ही आवश्यक हैI। यदद योिना बनाने में अयनच्छा िैसा अवगण ु या योिना अधरू ी है , तो कभी भी सफिता प्राप्त नहीां हो सकती। 3. िॉटभकट ढूंढना - िॉटषकट की तकनीक कभी-कभी काम को आसान तो बनाती है िेककन असफिता का कारण भी बनती है I आसान तरीका अपनाकर तय समय के लिए समस्या का समाधान तो ककया िा सकता है , िेककन यह स्थायी नहीां होताI इसके लिए मेहनत और समय की िरूरत पड़ती है I। 4. साहस में कमी - साहसी व्यजक्त हर पररजस्थयत में स्वयां को सांभाि एवां यनयांबत्रत कर िेते हैं और आगे बढ़ते रहते हैंI साहस वह कड़ी है िो आम और खास व्यजक्तयों के बीच का फकष बताती है और साहसी व्यजक्त ही सफि होते है I। 5. गलयियों से न सीिना - गियतयाां हर इांसान से होती है , िेककन वपछिी गियतयों से नहीां सीखना और इसे बार-बार दोहराना सबसे बड़ी भि ू है I बुद्र्धमान व्यजक्त न लसफष अपनी बजल्क दस ू रों की भी गियतयों से भी सीखते हैं और सफि होते हैंI। 6. आलस्य - आिस्य सफिता का सबसे बड़ा ित्रु है I आिसी व्यजक्तयों को अपनी असफिता का कारण बताने के लिए एक नहीां बजल्क कई बहाने होते हैंI ऐसे व्यजक्त यनरां तर असफिता की ओर बढ़ते रहते हैं और कभी भी सफि नहीां हो पाते है ।I 7. जोणिम से बचना - हर िक्ष्य प्राजप्त में िोखखम प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में अवश्य उपजस्थत रहता है I यदद खतरा उठाने से बचते रहें गे तो कभी भी सफि नहीां हो पाएांगे I िोखखम से बचना असफिता का सबसे बड़ा कारण है I। 8. अिसरों को न पहचाना - िीवन में कई अवसर आते हैंI िेककन कई व्यजक्त इसे पहचान नहीां पाते और असफि हो िाते हैं।I 9. िर - डर हमेिा असुरक्षा की भावना को पैदा करना है I इससे आत्मववश्वास में कमी आती है साथ ही यह हमारी क्षमता और योग्यता को भी नष्ट्ट कर दे ता है I डर वास्तववक या काजल्पक हो सकता है , िेककन यह असफिता का कारण बनता है I। 7 10. स्िाथभ और लालच - हमेिा अर्धक पाने का िािच सब कुछ नष्ट्ट कर सकता है I इतना ही नहीां िािच और स्वाथष से आत्मववश्वास में भी कमी आती है I। 11. लक्ष्य का यनधाभरि न होना - स्पष्ट्ट िक्ष्य का यनधाषरण न होने से व्यजक्त असफिता की तरफ िाता है I व्यजक्त को सफिता के लिए अपना अांयतम िक्ष्य यनधाषररत करना चादहएI। 12. निाचार का ना होना - नवाचार का ना होना भी सफिता में बाधक होता है I पररजस्थयत के अनस ु ार पररवतषन स्वीकार नहीां करना भी असफिता का एक कारण है ।I सफलिा के शलए क्जम्मेदार कारक (factors responsible for success) 1. लक्ष्य:- सफिता प्राजप्त में िक्ष्य एक प्रमुख कारक है िब तक िक्ष्य का यनधाषरण नहीां होता है तब तक सफिता प्राप्त नहीां कर सकते है क्योकक बबना िक्ष्य के पररश्रम करना अँधेरे में तीर चिाने के सामान है I। 2. दृढ़ संकल्प :- सफिता प्राजप्त में दृढ़ सांकल्प एक प्रमुख कारक है िब तक हम ककसी कायष को िेकर दृढ़ सांकल्प नहीां करें गे तब तक हम सफिता को प्राप्त नहीां कर सकते है । बबना दृढ़ सांकल्प के सफिता प्राप्त करने का ववचार सोते हुए स्वप्न दे खने के समान है I। 3. कायभयोजना :- ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त करने के लिए कायष की सही कायषयोिना होना यनताांत आवश्यक है बबना कायषयोिना के ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त नहीां की िा सकती है I। 4. कठठन पररश्रम और लगन :- कदठन पररश्रम और िगन सफिता प्राजप्त के लिए यनताांत आवश्यक है बबना इसके ककसी कायष में सफिता प्राजप्त की सोचना एक कोरी कल्पना के समान है।I 5. आत्मविश्िास :- आत्मववश्वास सफिता प्राजप्त में एक सहायक तत्त्व है , इसके बबना ककसी कायष में सफिता प्राप्त नहीां की िा सकती हैI िीवन में सफिता के लिए आत्मववश्वास उतना ही आवश्यक है जितना कक िीवन में आक्सीिनI। 6. सकारात्मक दृक्ष्टकोि :- ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त करने के लिए सकारात्मक दृजष्ट्टकोण होना यनताांत आवश्यक है , बबना सकारात्मक दृजष्ट्टकोण के ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त नहीां की िा सकती है क्योकक सकारात्मक दृजष्ट्टकोण ही हमे ककसी कायष को करने के लिए हमेिा प्रेररत करता रहता है ।I 8 7. जबाबदे ही :- ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त करने के लिए कायष के प्रयत िबाबदे ही होना यनताांत आवश्यक है I, क्योकक ककसी कायष के प्रयत अपनी जिम्मेदारी से कायष करना हमे सफिता की तरफ अग्रसर करता हैI। 8. अनुिासन :- अनुिासन सफिता प्राप्त करने की कांु िी हैI, अनुिासन हर व्यजक्त के िीवन के लिए बहुत ही महत्वपूणष है िो व्यजक्त िीवन में अनुिासन कायम कर िेता है वो व्यजक्त िीवन में सफिता प्राप्त कर िेता है ।I 9. निाचार :- सफि िोगो में नवाचार को सहर्ष स्वीकार करने की क्षमता होती है अथाषत पररजस्थयत अनस ु ार पररवतषन को स्वीकार करने वािे व्यजक्त ही सफिता प्राप्त करते है I। आदि (HABIT) सामान्यतः व्यजक्त िो कुछ करने का आदी हो िाता है उसे उसकी आदत कहते हैंI िैस-े चाय पीने की आदत, समय से उठने की आदत इत्यादद। मनोववज्ञान में आदत को ऐसे सीखे हुए व्यवहार के रूप में लिया िाता है िो बार-बार दोहराने से स्वचालित हो िाता हैI। दस ू रे िब्दों में , “आदत एक सीखा हुआ कायष या अजिषत व्यवहार है , िो स्वतः होता रहता है। पररभाषा : गैरेट के अनुसार -“आदत उस व्यवहार को ददया िाने वािा नाम है , िो इतनी अर्धक बार दोहराया िाता है कक यांत्रवत ् हो िाता है।” लैिेल के अनुसार -“आदत, कायष का वह रूप है , िो आरम्भ में स्वेच्छा से और िान-बूझकर ककया िाता है , पर िो बार-बार ककए िाने के कारण स्वतः होता है।” मरसेल के अनुसार -“आदतें , व्यवहार करने की और पररजस्थयतयों एवां समस्याओां का सामना करने की यनजश्चत ववर्धयाँ होती है ।" आदिों के प्रकार (Types of Habits) सामान्यतः आदतों को दो वगों में ववभाजित ककया िाता है -अच्छी आदतें और बुरी आदतें । मनोवैज्ञायनक बरनािभ (Bernard) ने आदतों को 3 वगों में ववभाजित ककया है - िारीररक आदतें (Physical Habits), मानलसक आदतें (Mental Habits) सांवेगात्मक आदतें (Emotional Habits) 9 मनोवैज्ञायनक वैिेनटीन (Valentine) ने आदत का वगीकरण यनम्नलिखखत प्रकार से ककया है : 1. भाषा सम्बन्धी आदिें (Habits of Speech)- इनका सम्बन्ध बोिने से होता है। जिस प्रकार दस ू रे बोिते हैं, उसी प्रकार बोिकर इन आदतों का यनमाषण करते हैं। यदद लिक्षक िब्दों का गित उच्चारण करता है , तो बािकों में भी वैसी ही आदत हो िाती है। 2. िारीररक अशभलाषा-सम्बन्धी आदिें (Habits of Physiological Craving) - इनका सम्बन्ध िरीर की अलभिार्ाओां की पयू तष से होता है ; िैसे-लसगरे ट पीना या पान खाांना। 3. याक्न्िक आदि (Mechanical Habits) - इनका सम्बन्ध िरीर की ववलभन्न गयतयों से होता है और हम इनको बबना ककसी प्रकार के प्रयास से करते हैं; िैसे- कोट के बटन िगाना या िूते के फीते बाँधना। 4.भािना सम्बन्धी आदिें (Habits of Feeling) - इनका सम्बन्ध व्यजक्त की भावनाओां से होता है ; िैसे-प्रेम, घण ृ ा या सहानुभूयत की भावना। 5.विचार सम्बन्धी आदिें (Habits of Thought) - इनका सम्बन्ध आांलिक रूप से व्यजक्त के ज्ञान और आांलिक रूप से उसकी रुर्चयों एवां इच्छाओां से होता है, िैसे-समय तत्परता, तकष या कारण सम्बन्धी ववचार। 6.नैयिक आदिें (Moral Habits) - इनका सम्बन्ध नैयतकता से होता है, िैस-े सत्य बोिना या पववत्र िीवन व्यतीत करना। 7.नाडी-मण्िल सम्बन्धी आदिें (Nervous Habits) - इनका सम्बन्ध मजस्तष्ट्क के ककसी प्रकार से होता है। ये व्यजक्त के सांवेगात्मक असांतुिन (Emotional Instability) को व्यक्त करती हैं; िैस-े नाखून या किम चबाना। प्रभािी आदिें विकशसि करना (Develop effective habits) अमेररकी वैज्ञायनक ववलियम िेम्स के अनस ु ार प्रभावी आदतों के यनमाषण के लिए यनम्नलिखखत चार उपाय का होना आवश्यक है - 1. दृढ़ संकल्प :- ककसी भी प्रभावी आदत को ववकलसत करने के लिए व्यजक्त का दृढ़सांकल्पी होना यनताांत आवश्यक हैI। िब ककसी कायष की यनजश्चत योिना बन िाती है तो उसे प्रारम्भ करने में आसानी होती है । 2. क्रक्रयान्ियन :- िब कोई व्यजक्त ककसी कायष के प्रयत दृढ़सांकल्पी होता है तो उसे सांकल्प के अनुसार तुरांत ही कायष िुरू कर दे ना चादहए तभी वह कायष ककया िा 10 सकता है, केवि सोचने मात्र से कोई कायष पूरा नहीां होता हैI। िैसे-िब कोई ववद्ध्याथी अध्यापन के लिए समय सारणी तैयार करता है तो उसे उसी क्षण से कायष प्रारम्भ कर दे ना चादहएI। 3. यनरं िरिा :- िब तक कोई आदत स्थायी ना हो िाये तब तक उसके यनमाषण के लिए यनरां तर प्रयत्न करना चादहएI। िैसे- बािक साइककि चिाना सीखना चाहता है तो उसमे यनरां तरता रखना होगी यदद यनरां तरता नहीां रखता है तो वह साइककि नहीां सीख सकता। 4. अभ्यास :- नई आदत को यनयलमत रूप से अभ्यास करते रहना चादहए िब तक वह स्थायी नहीां बन िाती। िैसे यदद कोई अच्छा गायक बनना चाहता है, तो उसे यनयलमत रूप से गाने का अभ्यास करना होगा। असफलिा तया है ? (What is failure?) ववफिता या असफिता ककसी वाांछनीय या इजच्छत उद्दे श्य को पूरा न कर पाने की सामाजिक अवधारणा है | आमतौर पर इसे सफिता के ववपरीत रूप में दे खा िाता है I। सफिता और असफिता एक ही लसक्के के दो पहिु हैं Iिब कोई भी व्यजक्त ककसी काम को करना चाहता है तो वह व्यजक्त उसी काम में िग िाता है ताकक वह उस काम में कामयाब हो सके और अगर वह व्यजक्त उस काम में कामयाब नही होता है तो उसे ही असफिता कहते हैं। ककसी जस्थयत में सफिता या ववफिता की डडग्री को अिग-अिग पयषवेक्षकों या प्रयतभार्गयों द्वारा अिग-अिग दे खा िा सकता है , िैसे कक जिस जस्थयत को कोई ववफिता मानता है , कोई अन्य उसे सफिता, योग्य सफिता या तटस्थ जस्थयत मान सकता है। 11 असफलिाओं को प्रभाविि करने िाले कारक (Factors affecting failures) 1. लक्ष्य का अभाि :- असफिता में िक्ष्य का अभाव एक प्रमुख कारक है िब तक हम िक्ष्य का यनधाषरण नहीां करते हैं तब तक हम असफि होते रहें गे,I क्योकक बबना िक्ष्य के पररश्रम करना अँधेरे में तीर चिाने के सामान है I 2. दृढ़ संकल्प की कमी :- जिन िोगो में दृढ़ सांकल्प की कमी होती है वे व्यजक्त छोटी- छोटी बाधाये आने पर मागष से भटक िाते हैं तथा िक्ष्य से ववचलित होकर असफि हो िाते है। 3. कायभयोजना का अभाि :- ककसी भी कायष में असफि होने में कायष की सही कायषयोिना का न होना प्रमुख कारक है । बबना सही कायषयोिना के ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त नहीां की िा सकती है I। िक्ष्य यनधाषररत करने के बाद एक व्यवजस्थत योिना का होना यनताांत आवश्यक है अन्यथा कायष में असफिता ही प्राप्त होगी। 4. कठठन पररश्रम और लगन की कमी :- कदठन पररश्रम और िगन सफिता प्राजप्त के लिए यनताांत आवश्यक है बबना इसके ककसी कायष में सफिता प्राजप्त की सोचना एक कोरी कल्पना के समान है। 12 5. आत्मविश्िास का अभाि :-आत्मववश्वास सफिता प्राजप्त में एक सहायक तत्व है बबना इसके ककसी कायष में सफिता प्राप्त नहीां की िा सकती है I िीवन में सफिता के लिए आत्मववश्वास उतना ही आवश्यक है जितना कक िीवन में आक्सीिन। 6. सकारात्मक दृक्ष्टकोि का न होना :- ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त करने के लिए सकारात्मक दृजष्ट्टकोण होना यनताांत आवश्यक है I बबना सकारात्मक दृजष्ट्टकोण के ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त नहीां की िा सकती है क्योंकक सकारात्मक दृजष्ट्टकोण ही कायष को करने के लिए हमेिा प्रेररत करता रहता है । 7. जबाबदे ह न होना :- ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त करने के लिए कायष के प्रयत िबाबदे ही होना यनताांत आवश्यक है क्योकक ककसी कायष के प्रयत जिम्मेदारी का अभाव कायष की असफिता की तरफ अग्रसर करता है । 8. अनुिासन हीनिा:- अनुिासन सफिता प्राप्त करने की कांु िी है।I अनुिासन हर व्यजक्त के िीवन के लिए बहुत ही महत्वपूणष है िेककन िो व्यजक्त िीवन में अनुिासन का पािन नहीां करते है वों िीवन में िक्ष्य प्राजप्त में मुख्यतः असफि होते है। 9. निाचार को स्िीकार न करना:- सफि िोगो में नवाचार को सहर्ष स्वीकार करने कक क्षमता होती है नवाचार अथाषत पररजस्थयत अनस ु ार नवीन उपायों द्वारा पररवतषन नवाचार के प्रयत िदटिता असफिता का कारण होती हैं। असफलिाओं से सीिना (learning from failures) हर व्यजक्त िीवन में कभी ना कभी तो असफि िरूर हुआ है । िब असफि होते हैं तो और बेहतर तरीके से िान पाते हैं कक िीवन में क्या चाहते हैं और क्यों चाहते हैं? अगर आप ने असफिता का सामना ककया है तो आपको खुद पर ववश्वास करने की िरूरत है। असफिता एक बुरा अांत नहीां बजल्क एक अच्छी िुरुआत साबबत हो सकती है। यहाँ कुछ ऐसे महत्वपण ू ष कारक बताए िा रहे है, जिनके माध्यम से अपनी असफिताओां से सीख सकते हैं। 1. असफलिा को स्िीकारना : असफिता को स्वीकार करने की खूबी आपके पास भी होनी चादहए। गियतयों को छुपाना और ना स्वीकार करना, असफिता का दोर् दस ू रों को दे ना, आदद आगे चिकर गित साबबत होते है । व्यजक्त अपनी गियतयों से कई महत्वपूणष और बेहतरीन सबक सीखते हैं। 13 2. यनरं िर अभ्यास : अभ्यास व्यजक्त को पररपूणष बनाता है। ककसी भी कायष में सफि होने का एकमात्र तरीका अभ्यास है। अगर ककसी योग्यता अथवा क्षमता में यनम्न हैं तो उस पर बार बार अभ्यास करे तो चाहे वह कोई ववर्य हो, कौिि हो, लसफष और लसफष अभ्यास से ही उस ववर्य में पारां गत हो सकते हैं। िैसे मांच पर बोिने में डर िगता है, हाथ पैर काँपने िगते है या अच्छे से बोि नही पा रहे तो अपनी इस कमिोरी को मात्र अभ्यास से ही सध ु ार सकते हैं दृढ़ता और िगातार प्रयास से ककया गया श्रम को सफिता की ओर िे िाने में मदद करता है। अगर प्रयास में ववफि होते हैं तो इसका अथष ये है कक हमारे द्वारा ककये गए श्रम में कुछ कमी रह गयी है। अगर हम कुछ प्रयासों के बाद हार िाते हैं या कफर यनराि हो िाते हैं और कफर से कोलिि नहीां करते हैं तो हम कभी भी सफि नही हो पाएांगे। सफि होने के लिए अपनी गियतयों और अनुभवों से कुछ सीखना चादहए। 3. गलयियों से सबक : असफिता के बारे में बहुत अर्धक सोचने पर अनावश्यक तनाव पैदा होगा। ये सब सोचने की बिाय इस ववर्य पर सोचें कक असफिता क्यों लमिी और कहाँ गिती हुई? ववचार करें कक हुईं गियतयों को कैसे सही कर सकते हैं और उनसे सबक िें। असफिताओां के बारे में सोचने पर ध्यान केंदरत करने के बिाय गियतयों से सीखने पर ध्यान केंदरत करें । 4. समय का सही प्रबंधन : समय सबसे बड़ा धन है इसे न तो बना सकते हैं और न ही इसे खरीद या बेच सकते हैं। यदद समय सही प्रबांधन कर लिया तो यकीन मायनए आपने आधी सफिता प्राप्त कर िी। एक कहावत है कक समय के समान मूल्यवान कुछ भी नहीां है, धन भी नहीां, क्योंकक अर्धक धन प्राप्त कर सकते हैं िेककन अर्धक समय कभी नहीां लमिेगा। 5. असफल होने के कारिों को जाने : असफि होने के कारणों को िानने की कोलिि करना और उनकी सूची बनाना अयत आवश्यक है ताकक गियतयों और कारणों को समझ, तत्पश्चात सध ु ार के क्षेत्रो को र्चजन्हत कर पन ु ः सकारात्मक प्रयास कर सके। यदद असफिता के कारणों को िान लिया तो सफिता का मागष प्रिस्त हो िायेगा। 6. िुि रहना : िब ककसी कायष को करते हैं, तो सफिता में कई प्रकार कक बाधाएां आती हैं िो कक असफिता का कारण बनती हैं। मन दख ु ी हो िाता है , तो कदम ववचलित होने िगते हैं, सफिता से दरू होने िगते हैं। ऐसी पररजस्थयत में मन को दख ु ी न करे बजल्क खुि रहे जिससे िक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अडडग रहेगे। िीवन की एक सीख है - पररजस्थयत 14 कैसी भी हो, खुि रहो। िब हर पररजस्थयत में खुि रहते हैं तो अर्धक उत्पादक, सहि और उत्साही बन िाते हैं। 7. आत्मविश्िास : असफिता से व्यजक्तयों का आत्मववश्वास कम हो िाता है। स्वयां पर भरोसा करें और कफर से कोलिि करें । िब ककसी काम में असफिता लमिती हैं तो व्यजक्त आिा हीन हो िाता है। असफिता का सामना करने के लिए हमें साहस रखना चादहए। एक चीांटी दीवार पर चिते हुए बार-बार र्गर िाती है , िेककन हार नहीां मानती। वह आगे बढ़ती है, और सफिता प्राप्त कर ही िेती है। ध्यान रखे कक ''कोई भी आपको तब तक नही हरा सकता, िब तक खद ु से न हार िाओ ।'' 8. सकारात्मक विचारों पर ध्यान : सफिता के पीछे हिारों कारण हैं। सभी ऐसे हिारों उदाहरण िानते हैं िहाां महान व्यजक्त सफि होने से पहिे कई बार असफि हुए, िेककन कफर भी िब असफिता आती है तो प्रेरक उदाहरणों को भूि िाते हैं और र्चांतन करने िगते है कक कोलिि करने से क्या फायदा है। असफिता का भय हावी न होने दे और भय को मन से बाहर यनकािने की कोलिि करें । ददन का प्रारां भ सकारात्मक ववचारों से िुरू करें क्योंकक ऐसा करने पर अपनी असफिताओां से सांघर्ष करना सीख िाते हैं। 9. असफलिा के बाद यनराि न हों : बचपन में बहुत कहायनयाां सुनी हैं िैसे कछुआ और खरगोि की, चीांटी की। चीांटी पहाड़ पर चढ़ने की बार-बार कोलिि करती है , कई बार र्गर िाती है , िेककन वह यनराि नहीां होती और कोलिि करती रहती है , और अांततः वह सफि हो िाती है। इन सब बातों से हमें लसफष यही सीख लमिती है कक हमें हर समय कोलिि करनी चादहए। यदद िगातार कोलिि कर रहे हैं, तो कोई भी अवरोध के मागष में नहीां आ सकता। सफि व्यजक्त कभी भी र्चांयतत, या हत्तोत्सादहत नहीां होता तथा कभी आत्मववश्वास नहीां खोता। असफलिाओं पर काबू पाना (Overcoming setbacks) 1. लक्ष्य:- असफिता पर काबू पाने में िक्ष्य का यनधाषरण एक प्रमख ु कारक है िब तक हम िक्ष्य का यनधाषरण नहीां करते हैं तब तक हम असफि होते रहें गे,I क्योकक बबना िक्ष्य के पररश्रम करना अँधेरे में तीर चिाने के सामान है । 2. दृढ़ संकल्प:- असफिता पर काबू पाने के लिए व्यजक्त का दृढ़ सांकल्पी होना िरुरी है । व्यजक्त छोटी-छोटी बाधाये आने पर मागष से भटक िाते हैं तथा िक्ष्य से ववचलित हो असफि हो िाते है । दृढ़ सांकल्पी होने से असफिताओां पर काबू पाया िा सकता हैं। 15 3. कायभयोजना:- ककसी भी कायष की कायषयोिना सही नही है तो असफिता ही प्राप्त होगी। असफिता पर काबू पाने के लिए सही कायषयोिना होना आवश्यक हैI। िक्ष्य यनधाषररत करने के बाद एक व्यवजस्थत योिना का होना यनताांत आवश्यक है अन्यथा कायष में असफिता ही प्राप्त होगी। 4. कठठन पररश्रम और लगन :- असफिता पर काबू पाने के लिए कदठन पररश्रम और िगन यनताांत आवश्यक है बबना इसके असफिता पर काबू पाना एक कोरी कल्पना के समान हैI। 5. आत्मविश्िास :-आत्मववश्वास सफिता प्राजप्त में एक सहायक तत्व है बबना इसके ककसी कायष में असफिता ही प्राप्त होगी। िीवन में सफिता के लिए आत्मववश्वास उतना ही आवश्यक है जितना कक िीवन में आक्सीिनI। 6. सकारात्मक दृक्ष्टकोि :- ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त करने के लिए सकारात्मक दृजष्ट्टकोण होना यनताांत आवश्यक है I बबना सकारात्मक दृजष्ट्टकोण के ककसी भी कायष में सफिता प्राप्त नहीां की िा सकती है क्योंकक सकारात्मक दृजष्ट्टकोण ही कायष को करने के लिए हमेिा प्रेररत करता रहता है । 7. जबाबदे ह :- ककसी भी कायष के प्रयत िबाबदे ही न होना असफिता का घोतक है असफिता पर काबू पाने के लिए कायष के प्रयत जिम्मेदारी होना चादहए। 8. अनि ु ासन :- अनि ु ासन सफिता प्राप्त करने की कांु िी है।I अनि ु ासन हर व्यजक्त के िीवन के लिए बहुत ही महत्वपूणष है िेककन िो व्यजक्त िीवन में अनुिासन का पािन नहीां करते है उन्हें िीवन में असफिता ही प्राप्त होती है। 9. निाचार को स्िीकारना :- सफि िोगो में नवाचार को सहर्ष स्वीकार करने कक क्षमता होती है नवाचार अथाषत पररजस्थयत अनुसार नवीन उपायों द्वारा पररवतषन नवाचार के प्रयत िदटिता असफिता का कारण होती हैं। 11. युक्तिकरि :- कुछ व्यजक्त पहिी बार में सभी कायों में सफि होते है । इनमे से अर्धकाांि बार बार प्रयास कर िक्ष्य को प्राप्त करते है यनरां तर प्रयास से असफिता पर काबू पाया िा सकता है। 16 विश्िास की िक्ति (Power of belief) "मन के हारे हार है , मन के िीते िीत। कहे कबीर हरर पाइए मन ही की परतीत।" ववश्वास एक ऐसा िब्द है िो हमे ककसी भी जस्थयत या व्यजक्त के ऊपर होता है और ऐसे में हम उस व्यजक्त या जस्थयत को खद ु ब खद ु सत्य मानने िगते है। िो चीि हमें ददखाई न दे और उसे हम मानने िगते है यही ववश्वास कहिाता है। जिस प्रकार भगवान को हमने नही दे खा कफर भी उसे सत्य मान िेते हैं, इसे ही ववश्वास कहते हैं। ववश्वास का मतिब ही है कक िब हम ककसी ऐसी चीज़ पर यकीन कर रहे हैं, जिसे हमने कभी दे खा नहीां है पर मन में उस चीज़ के होने की आिा हमें उस चीज़ पर ववश्वास करने की ओर िे िाती है। ववश्वास पूरी तरह से सकारात्मक रहकर ही ककया िा सकता है। ववश्वास सकारात्मकता का ही एक पहिू है। दोनों को एक दस ू रे से अिग नहीां ककया िा सकता। िहाां सकारात्मकता होती है वहाां ववश्वास होता है और िहाां ववश्वास होता है वहाां सकारात्मकता होती है। ववश्वास में इतनी िजक्त है कक यह एक पहाड़ को अपनी िगह से दहिा सकती है। नामुमककन ददखने वािी चीिें भी ववश्वास की िजक्त से आसानी से प्राप्त की िा सकती हैं। मनुष्ट्य को एक वरदान प्राप्त है कक वह पूणष ववश्वास से जिस चीज़ की इच्छा या कामना करे गा उसे वह चीज़ आसानी से प्राप्त हो िाएगी। आि का मनुष्ट्य स्वयां पर ही ववश्वास नहीां करता तो अपनी िजक्तयों पर कहाां से ववश्वास करे गा, कफर ववश्वास की िजक्त पर ववश्वास करने की बात तो बहुत दरू की है। बचपन से हमारे माता वपता ने िो उनके माता वपता से सीखा वह आगे चि कर बच्चों को लसखाया कक हमें अपनी चादर से ज्यादा पैर नहीां फैिाने चादहए। जिससे हम अपनी असि क्षमताओां को भूिकर को एक आम मनुष्ट्य समझ बैठे है , जिसे अपनी खुद की िजक्तयों का बोध नहीां है। िब तक हमारे अांदर ववश्वास कक िजक्त िाग्रत नही हो सकती तब तक हमारे साथ कोई नई चीज़ या चमत्कार नहीां हो सकता। िेककन जिस ददन ववश्वास की िजक्त िान गये और इसके आगे अपना लसर झुकाकर खुद को समवपषत कर ददया उसी ददन हमारे साथ चमत्कार होने िुरू हो िाएांगे। सफिता ववश्वास की िजक्त से घदटत होने िग िाएगी, इसे ही ववश्वास की िजक्त कहते है। ऐसा ववश्वास प्राप्त करने के लिए हमें अभ्यास करना होता हैं। 17 विश्िास की िक्ति (Power of Faith) 1. भगिान के िचनों का आश्िासन- ववश्वास हमारी अांगुलियों के साथ नहीां रह रहा है यह भगवान और हमारे लिए उसके वचनों में एक दृढ़ ववश्वास है । 2. बशलदानी जीिन िैली- ववश्वास ईश्वर को हमारा प्रथम औ सवोत्तम दे ता है। 3. यनरं िर ईश्िर का बीज- ववस्वास एक बार का यनणषय नहीां है। ववश्वास परमेश्वर में ववश्वास करना और प्रत्येक ददन उसका अनस ु रण करना है। 4. कठठन बािों का पालन करिा है- ववश्वास का िीवन िायद ही कभी 'आसान' होता है। परमेश्वर की आज्ञाकाररता अर्धकतर हमारी सांस्कृयत के ववपरीत होती है, और िायद आपके पररवार के भी। 5. जब हम समझ नहीं पािे हैं िो भगिान पर भरोसा करिे हैं- हम अर्धकतर भगवान की बड़ी तस्वीर नहीां दे खते है। आमतौर पर हम लसफष अगिा कदम दे खते है, कफर अगिा। कभी- कभी अगिा कदम हमारे लिए समझ में नहीां आता है , िेककन ववश्वास, ववश्वास करता है कक भगवान के पास एक योिना है और इसे पूरा करने की िजक्त है। 6. एक िाश्िि ध्यान रििा है- हमारे लिए भगवान के सबसे अच्छे बचन िाश्वत है, वे इस िीवन में परू ी तरह से महसस ू नहीां होंगे। 7. असंभि को करने के शलए भगिान पर भरोसा करें - पररजस्थयतयाां दग ु म ष िग सकती है, िेककन ववश्वास िानता है कक ईश्वर सवषिजक्तमान है। विश्िास का अभ्यास (Practice of faith) जिन चीिों के होने पर हमारा ववश्वास पहिे से ही बना होता है तो वह चीिें या तो हमारे िीवन में पहिे से ही होती है या कुछ समय बाद हो िाती है। पर जिस चीज़ पर हमें ववश्वास नहीां होता उसे पाने के लिए हमें ववश्वास लसद्ध करना पड़ता है। िो कक एक बहुत ही कदठन कायष है। इसे ववश्वास की लसद्र्ध प्राप्त करना कहते हैं। ववश्वास को लसद्ध करने में हमारे मन की बहुत बड़ी भूलमका होती है। जिस चीज़ पर हमारा मन यकीन नहीां करता उस पर हमें ववश्वास होना मुजश्कि होता है और जिस चीज़ को िेकर हमारा मन ककसी तरह का कोई भी सवाि उठाना बांद कर दे ता है उस पर हमें ववश्वास हो िाता है। ववश्वास कभी भी हमारी ताककषक बुद्र्ध से िुड़ा नहीां होता। यह पूणष रूप से अताककषक होता है। इसका सम्बन्ध अचेतन मन से होता हैं। तकषसांगत बातों पर ववश्वास करना सरि होता है क्योंकक 18 तकष के पीछे हमेिा कारण होता है। यह कायष चेतन मन करता है िेककन अताककषक बातों पर यकीन करना ही ववश्वास दिाषता है। हमारी इस सजृ ष्ट्ट में सभी की सभी चीिें अद्भुत है। हमारा ववज्ञान अभी तक बहुत सी चीज़ों के पीछे का कारण तकष से िानने की कोलिि कर रहा है। ववश्वास को लसद्ध करने के लिए हमें सब से पहिे एक बड़ा िक्ष्य यनधाषररत करना होगा। यह िक्ष्य ऐसा होना चादहए जिसके पण ू ष होने का हमें आसानी से ववश्वास ना हो। अब हमें मन में यह यकीन करना है कक हमारा िक्ष्य पहिे से ही परू ा हो चक ु ा है। कल्पना करें कक वह कायष पण ू ष हो चक ु ा है। हमारे मन को कायष पण ू ष का दृश्य ददखाना पड़ेगा। हमारा चेतन मन हमें बार-बार अिग-अिग तकष दे कर उस िक्ष्य से भटकाने की कोलिि िगातार करता ही रहेगा। िेककन को पूणष रूप से अताककषक होकर को ववश्वास के प्रयत समवपषत करना है। िब हमारा मन ककसी भी तरह का कोई भी तकष दे तब हमने यह सोचना है कक हम कुछ नहीां िानते और हम को उस िजक्त के प्रयत पूणष समवपषत करते हैं। इस तरह करने से हमारा मन ककसी भी तरह के तकष ववतकष दे ना बांद कर दे गा और हमारा ववश्वास लसद्ध हो िाएगा और उसी क्षण हमारा िक्ष्य भी सच में पूणष हो िायेगा। इस तरह हमारा ववश्वास लसद्ध हो िाएगा। ववश्वास की िजक्त को मिबत ू कर ववश्वास के अभ्यास को सिक्त व व्यावहाररक बनाया िा सकता है ववश्वास की िजक्त को मिबूत बनाने के लिए यनम्न उपाय है: 1.अच्छी आदिें : िीवन में अच्छी आदतें िैसे कक सुबह िल्दी उठना, अच्छा खान पान, साफ़ सुथरे कपड़े पहनना, दान पुण्य करना, अच्छे व्यजक्तयों की सांगत करना, काम समय पर पूरा करना, दस ू रों की मदद करना आदद अच्छी चीिें अपनानी चादहए। दस ू रों की मदद करने से हमारा आत्मववश्वास और बढ़ने िगता है। ऐसा करने से हमारा आत्म सम्मान भी बढ़ता है। िब सारा ददन अच्छे कायष करते है तब एक सकारात्मक उिाष आती है। 2.सकारात्मक सोच : हर रोि िीिे के सामने खड़े होकर अच्छी-अच्छी बातें बोिे। जिसे Affirmation कहा िाता है। ऐसी अच्छी बातें अगर हम खुद को बार-बार बोिते रहते हैं तो हमारे अवचेतन मन (Subconscious mind) में यह सब बातें चिी िाती हैं। सकारात्मक सोचने से हमारे सारे कायष भी सकारात्मक हो िाते हैं। हमारा आत्मववश्वास हमारी सकारात्मक सोच का ही पररणाम होता है। 19 3.मन िांि रिना : जितना ज्यादा हम मन को िाांत रखेंगे उतनी ज्यादा अांतर मन की िजक्तयाँ हमारे िीवन में प्रकट होने िगेगी। इसके लिए हमें मन को पूणष रूप से िाांत करना होगा और इसके लिए हमें कुछ प्रयास करने की िरूरत नहीां होती, क्योंकक कोई भी प्रयास हमें और भी अिाांत बना दे गा। ऐसा करने के लिए हमें िाांत रहकर बस लसफष हािातों का साक्षी बनना होगा। मन को िाांत रखकर हम आजत्मक िाांयत प्राप्त करने के और भी निदीक आ िाते है। 4.स्ियं को पहचानना : इस सांसार में िहाँ हम भौयतक िरीर को सब कुछ मान बैठे हैं। वहीां हम सच्चे आजत्मक स्वरूप से बहुत दरू हो गए हैं। हम एक आत्मा हैं। यह बात हम भूि चुके हैं। िो व्यजक्त इस बात को याद रखता है। वह इस भौयतक सांसार में रहकर भी इस सांसार के भौयतकवाद से ऊपर उठ िाता है। ऐसा व्यजक्त सारे कमष आजत्मक िाांयत, आजत्मक ववकास और दस ू रों की भिाई के लिए करता है। 5.आकषभि के यनयम : ये एक ऐसी तकनीक है जिससे िो चाहते है वह चीि पा सकते है । िो बनना चाहते है, वह बन सकते हैं क्योंकक इस ब्रह्माांड में कुछ भी नामुमककन नहीां है । बस मन में ववश्वास रखते हुए आगे बढ़ते रहना चादहए। बस इस िजक्त के बारे में पता होना चादहए। वह िो भी चीि माांगे तो परू े ववश्वास के साथ उसी चीि की ऊिाष में रहे , जिस चीि को वह प्राप्त करना चाहता है। तो वह चीि या तो ही उसके िीवन में प्रकट हो िाएगी या कफर ऐसा कोई ववचार उसको लमि िायेगा जिससे वह चीि उसको लमि िाएगी। 6.स्ियं से प्यार : कई बार हम ही दस ू रों की परवाह करने में िगे रहते हैं। जिससे हम सेहत ख़राब कर िेते हैं और परवाह नहीां करते। ऐसा असर उन व्यजक्तयों के साथ होता है, िो व्यजक्त अपना महत्व नही िानते। ऐसे व्यजक्त जिांदगी िीने का असिी मकसद िो खुद को खि ु ी दे ना है वह बहुत अच्छे से भि ू चक ु े है। असि में र्चांता, डर, तनाव और इनसे होने वािी सारी की सारी बीमाररयाँ केवि इन्हीां व्यजक्तयों को होती है। इससे बचने के लिए सबसे पहिे स्वयां को महत्व दे ना सीखे। 20 स्िॉट विश्लेषि (Swot analysis) स्वॉट ववर्ध 1960 के दिक में स्टै नफोडष ररसचष इांस्टीट्यूट के अल्बटष हम्री द्वारा बनाई गई थी। SWOT Analysis एक प्रकार का टूि है जिसकी मदद से ककसी व्यजक्त की िजक्तयों, कमिोररयों, अवसरों और खतरो यायन चन ु ौयतयों का पता िगाया िाता है। SWOT र िब्दों से लमिकर बना एक िब्द है। SWOT = S+W+O+T जिसका अथष है: िजक्त, कमिोरी, अवसर, खतरा। इसकी मदद से व्यजक्त के मूल्याांकन में आसानी होती है और कांपनी अथवा व्यजक्त के लिए यनणषय िेना आसान हो िाता है। िेककन वतषमान में हमारे िीवन के ववलभन्न क्षेत्रो में इस तकनीक का व्यापक रूप से उपयोग ककया िा रहा है इसकी सहायता से िजक्त, कमिोरी, अवसर और खतरे की खोि कर सकते है। SWOT चार िब्दों से लमिकर बना एक िब्द है- S ->Strengths यायन खबू बयाां, ताकत W ->Weaknesses यायन कमिोररयाां, अवगुण O ->Opportunities यायन अवसर T ->Threats यायन बाधाएां, खतरे 1. िाकि (Strengths) - स्वयां की ताकत क्या है ? ककस काम में मादहर है ? ऐसा कौन सा काम है जिसे आप कर नही सकते है । अपनी ताकत को पहचाने। कुछ व्यजक्तयों व छात्रों को िगता है कक उनकी कोई स्रें थ नहीां है िेककन ऐसा नहीां है। हर इांसान में कोई न कोई ताकत िरूर होती है , बस िरूरत है तो उसे पहचाने की। 2. कमजोररयां (Weakness) - स्वयां की कमिोरी क्या है ? अक्सर व्यजक्त दस ू रों की कमिोररयों का फायदा उठाकर उनसे आगे यनकिने का प्रयास करते हैं िो कक बबल्कुि उर्चत नहीां है। अपनी कमिोररयों को दस ू रे इांसान के आगे िादहर नहीां करना चादहए बजल्क िो भी अांदर कमिोररयाां िगती है उन्हें एक िगह लिख कर एक प्िायनग बनानी चादहए कक अपनी कमिोरी को ताकत में कैसे बदि सकते हैं। एक कहावत है कक "अगर इांसान एक बार कुछ करने की सच्चे ददि से ठान िें तो वो उसे पूरा करकर ही रहता है।" 21 3. अिसर (Opportunities)- िीवन में सबसे बेस्ट ऑपच्युयष नटी अथाषत अवसर क्या लमिे है? क्या उन अवसरों को पाने में सफि हो पाए? यदद नहीां हो पाए तो सोचो ऐसी क्या कमी रह गई थी िो कक अवसर लमिने के बाद भी उसे पाने में सक्षम नहीां हो पाए? कहते हैं कक जिांदगी का दस ू रा नाम ही अवसर है। िीवन में हर ककसी को कई अच्छे अवसर लमिते हैं, अब सवाि ये उठता है कक उन अवसरों का ककतना फायदा उठा पाए या नहीां। 4. ििरे (Threats)-यहाां थ्रेट का मतिब धमकी से नहीां बजल्क डर और खतरे से है। हर ककसी को ककसी न ककसी पर?