पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन PDF

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plant reproduction biology floral anatomy

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This document provides an overview of sexual reproduction in flowering plants. It details different parts of a flower and their functions, covering topics like the structure and function of stamens and carpels, as well as processes like pollination and fertilization. The document appears to be study notes.

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जीव ववज्ञान S अध्याय-2: पुष्पी पादपों में 41 E S लैंगिक प्रजनन 85 S 60 LA 96 C 86 M O IV SH SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन पुष्पीय पादपो में लैंगिक ज...

जीव ववज्ञान S अध्याय-2: पुष्पी पादपों में 41 E S लैंगिक प्रजनन 85 S 60 LA 96 C 86 M O IV SH SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन पुष्पीय पादपो में लैंगिक जनन पुष्प रूप ांतरित पिोह होत है। यह एन्जियोस्पर्म क जनन ग ां होत है । एक पुष्प र्ें च ि भ ग होते है जो चक्रों र्ें व्यवस्थित होते है - S 41 E S 85 S 60 LA 96 C 1. बाह्यद्लपुुंज (sepals) 86 M यह पुष्प क सबसे ब हिी चक्र होत है । इनक िांग हि होत है इनके एकल सदस्य को ब ह्यद्ल (calayx) कहते है। O IV SH 2. दलपुुंज (patals) यह पुष्प की िांगीन पांखुड़ियों क चक्र होत है । इनके एकल सदस्य को द्ल (corolla) कहते है । दलदलपुांज (petals) तथ ब ह्यदलपुांज (sepal) पुष्प के सह यक अांग है । (1) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 3. जायाुंि (carpels) S यह पुष्प क र् द जनन ांग (Male reproductive organ) है । इसके एकल सदस्य को 41 E (gynocium) कहते है । S 85 S 60 LA 96 C 86 M 4. पुमुंि (androcium) O यह पुष्प क नि जनन ग ां (Female reproductive orgon) है । इसके एकल को पुांकेसि IV (stamens) कहते है । SH पुर्ांग (stamen) तथ ज यँग (gynocium) पुष्प के जनन ांग (reproductive orgon) है । पुष्प की खेती किन फ्लोरिकल्चि (floriculture) कहते है । (2) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन पुुंकेसर की सुंरचना (Structure of Stamens) पुांकेसि के तीन भ ग होते हैं - 1. पि गकोष (Anther) 2. योजी (Connective) 3. पुतन्तु (Filaments) S परािकोष की सुंरचना (Structure of Anther) 41 E पि गकोष पुांकेसि क उपिी फुल हुआ भ ग होत है। पि गकोष द्विप ललत, चतुकोष्ठकीय होत है। S 85 S 60 LA 96 C 86 M य नन के पि गकोष दो प ललयों र्ें बांट होत है । तथ प्रत्येक प ली दो कोष्ठको र्ें बांटी होती है एक O लम्बवत ख ांच प्रव िक दोनों प ललयो को अलग किते हुए तन्तु तक ज त है । IV SH पि गकोष की प्रत्येक कोष्ठको र्ें लघुनबज णुध ननय ँ प ई ज ती है । लघुबीज णुध नी (Microsporangium) (3) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन लघुबीज णुध नी एक थैली है लजसर्ें लघुबीज णु क ननर् मण होत है इसर्ें पि गर् तृ कोलिक (pollen mother cell) य लघुबीज णु र् तृ कोलिक प यी ज ती है । इन लघुबीज णु र् तृ कोलिक ओ ां के ि ि पि गकणों (pollen) क ननर् मण होत है । S 41 E S 85 S लघुबीज णुध नी की सांिचन र्ें च ि भभलिय ँ होती हैं – 60 LA 1. बाह्यत्वचा (epidermis) 96 C यह सबसे ब हिी पित है जो लघुबीज णुध नी की सुिक्ष क क यम कित है। 86 M O IV SH 2. अन्तगिसीयम (endothesium) यह ब ह्यत्वच (epidermis) के अन्दि की ओि प यी ज ती है। यह सुिक्ष तथ पि गकोष के स्फुटन क क यम किती है । (4) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 3. मध्यपरत (middle layer) S 41 E यह अन्तभथसीयर् (endothesium) के अन्दि की औि 2-3 कोलिक ओ की पित होती है। S 85 S 60 LA 96 C 86 M 4. टेपपटम (tapitum) O यह र्ध्य पित के अांदि की ओि की पित होती है । यह बहुकेन्द्रकी तथ सघन जीवद्रव्य व ली कोलिक ओ ां से बनी होती है । IV SH इसक क यम बीज णुजन उिकों को पोषण प्रद न किन होत है । (5) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन इसके ि ि वस युक्त युनबस कणों क स्त्र व ड़कय ज त है। लजन कणों र्ें स्पोिोपोलेननन होत है । तथ स थ ही इसके ि ि IAA (इन्डोल एससटटक अम्ल) ह र्ोन क स्त्र व होत है । योजी (Connective) यह पि गकोष को पुतत ां ु से जोित है। पुतांतु (Filaments) S यह तांतु पुष्प से पुष्प सन से जुड िहत है। 41 E लघुबीजाणुजनन (Microsporogenesis) S 85 S पि गर् तृ कोलिक (Pollen mother cell) से लघुबीज णु (Microspore) बनने की प्रड़क्रय 60 LA लघुबीज णुजनन (Microsporogenesis) कहल ती है । पुष्प के बनने के सर्य जब पुांकेसि बन िह होत है । तो इनकी लघुबीज णुध ननयों र्ें 96 C बीज णुजन उिक (sporogenous tissue) प ये ज ते है । इन बीज णुजन उिक (sporogenous tissue) र्ें पि गर् तृ कोलिक एँ (PMC) होती है । 86 M O IV SH पि गर् तृ कोलिक ओ ां (PMC) र्ें अर्द्मसत्र ू ी ववभ जन से च ि अगुलणत लघुबीज णु (n, Microspore) बनते है । जो एक स थ एक ही भभती र्ें व्यवस्थित होते है । लजसे लघुबीज णु चतुष्क (tedrad) कहते है । लघुबीज णु चतुष्क (tedrad) की भभलि कैलोज न र्क क बोह इडर ेट से बनी होती है । (6) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन लघुबीज णु चतुष्क (tedrad) की प्रत्येक कोलिक र्ें सर्सूत्री ववभ जन (mitosis) होत है , लजससे दो कोलिक युक्त (क नयक व जनन कोलिक ) पि गकण (Pollen) क ननर् मण होत है। परािकण का स्फुटन (Dehisence of Pollen Grain) पि गकोष (anther) से पि गकण (pollen grain) क ब हि ननकलन स्फुटन (dehisence) कहल त है । यह ननम्न प्रक ि होत हैं - S पि गकोि की टेपीटर् व र्ध्यपित (भर्ड़डल लेयि) नष्ट हो ज ती है। 41 E अन्तथीससयर् की कोलिक ओ ां र्ें जल की ह नन से उनकी कोलिक भभती ससकुि ज ती है । लजससे S इन कोलिक ओ र्ें स्टोभर्यर् (stomium) पि दब व पित है । लजससे इन कोलिक ओ र्ें दि ि 85 S हो ज ती है एव पि गकण र्ुक्त हो ज ते है । 60 LA परािकण (Pollen grain) 96 C यह नि युग्मकोद्भिद (male gamete) होत है । यह गोल क ि तथ इसक व्य स 25-50mm होत है। 86 M पि गकण र्ें दो भभलिय ँ (layer) होती है । लजनको चोल कहते हैं - O 1. ब ह्यचोल (Exin) IV 2. अन्तचोल (Intine) SH बाह्यचोल (Exin) यह ब हिी भभलि (outer layer) है । यह कठोि व स्पोिोपोलेननन (sporopolllenin) की बनी होती है। स्पोिोपोलेननन (Sporopollenin) एक क बमननक पद थम है जो उच्च त पर् न , अम्लों व क्ष िको के प्रनत अभधक प्रनतिोधी होत है । इसक प चन किने व ल एांज इर् अभी तक खोज नहीां गय है । (7) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन ब ह्यचोल असतत (Discontinous) होती है। इस पि कुछ लछद्र (pore) प ए ज ते है। लजन्हें जनन लछद्र (germinal pore) कहते है । इस पि स्पोिोपोलेननन अनुपस्थित है । अन्तचोल (Intine) यह आांतरिक भभलि (inner layer) है। यह पतली व सतत (Continous) होती है । यह सेलुलोज व पेन्जिन की बनी होती है । S अन्तचोल (Intine) र्ें जनन लछद्र अनुपस्थित होते है । 41 E परिपक्व पि गकण र्ें दो प्रक ि की कोलिक एँ होती हैं - S 1. क नयक कोलिक (vegetative cell) 85 S 2. जनन कोलिक (generative cell) 60 LA काययक कोशिका (vegetative cell) 96 C ये बिी व अननयभर्त केन्द्रकव ली कोलिक है । तथ ख घ प्रद थम युक्त होती है। यह जनन लछद्र ि ि ननकलने व ली पि ग नललक (pollen tube) क ननर् मण किती है । ये अगुलणत 86 M (Haploid) होती है। O जनन कोशिका (generative cell) IV ये छोटी तथ तकुमरूपी (cone shape) तथ क नयक कोलिक के जीवद्रव्य र्ें तेिती िहती है । ये SH अगुलणत (Haploid) होती है। जनन कोलिक र्ें सर्सूत्री ववभ जन (mitosis) से दो नि युग्मक (male gamete) बनते है । जो दोहिे ननषेचन र्ें भ ग लेते है । पराि उत्पाद(pollen product) पि गकण पोषक पद थम युक्त होते है। इसक उपयोग क यमक्षर्त वृर्द्क दव इय ँ बन ने र्ें ड़कय ज त है । लजन्हें पि ग उत्प द कहते है। घोिो व एथलीट की क यमक्षर्त बढ़ ने के लीए पि ग उत्प दो क प्रयोग किते है। (8) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन पि गकण र्ें उपस्थित असांतृप्त वस अम्ल UV ड़किणों से सुिक्ष किते है । अतः इनक प्रयोग त्वच क्रीर् बन ने र्ें ड़कय ज त है । परािकणों की जीवन क्षमता (Viability of Pollen Grain) वह अवभध लजसर्ें पि गकण क यमक्षर् हो य ननषेचन र्ें भ ग लेने की क्षर्त िखते हो, पि गकणों की जीवन क्षर्त (pollen viability) कहल ती है । यह त पर् न व आदमत पि ननभमि S किती है । जो 30 भर्नट से कई र्हीनों तक होती है। जैसे- 41 E अन जो र्ें 30 भर्नट S र् लवेसी व ि जेसी कई र्हीने, पुि तत्व खुद ई के दौि न खोज गय खजूि ड़फयोननक्स 85 S डेिललफेि 2000 स लों ब द अांकुरित हुआ थ । 60 LA परािककट (pollen kit) टेपीटर् ि ि स्त्र ववत भचपभचप ि स यननक पद थम जो पि गकणों को कीटो से भचपकने र्ें सह यत 96 C कित है । पि गड़कट (pollen kit) कहल त है । 86 M परािपुटी (pollen sec) O च िों लघुबीज णुध ननय ां ववकससत होकि एक थैली य ध नी क ननर् मण किते है । लजसर्ें IV पि गकण ठस ठस भिे िहते है इस थैली को पि गपुटी (pollen sec) कहते है। SH परािकणों द्वारा एलजीी (Pollen grain as an allergen) पि गकणों र्ें उपस्थित प्रोटीन र् नव र्ें एलजीी उत्पन्न किती है । ऐसे पि गकणों को एलजमन कहते है । जैसे ग जि घ स (प थोननयर्) के पि गकण ि ि र् नव र्ें एलजीी उत्पन्न की ज ती है । िुरुबीजाणुजनन एवुं भूणणकोष िुरुबीजाणुजनन (Megasporogenesis) गुरुबीज णुर् तृ कोलिक (Megaspore Mother Cell) से गुरुबीज णु के ननर् मण की प्रड़क्रय को गुरुबीज णुजनन कहते है । (9) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन पुष्प के बनने के सर्य अांड िय र्ें प ये ज ने व ले बीज ण्ड र्ें केवल एक ही द्विगुलणत S (Diploid) कोलिक प यी ज ती है , लजसे गुरुबीज णुर् तृ कोलिक (Megaspore 41 E Mother Cell) कहते है । S गुरुबीज णुर् तृ कोलिक र्ें अर्द्मसत्र ू ी ववभ जन से च ि गुरुबीज णु (megaspore) क 85 S ननर् मण होत है। ये च िों गुरुबीज णु िैद्भखक क्रर् (Linear order) र्ें ववन्य ससत होकि 60 LA गुरुबीज णु चतुष्क (megaspore tetrad) बन ते है। जो बीज ड ां क य से ढके िहते है । गुरुबीज णु चतुष्क की तीन कोलिक एँ नष्ट हो ज ती है । ननभ ग की ओि स्थित केवल एक गुरुबीज णु कोलिक ही भूणमकोष क ननर् मण किती है । लजसे एकबीज णुज ववक स कहते 96 C है । 86 M गुरुबीज णु की एक कोलिक र्ें वृलर्द् तथ ववभ जन होत है । लजससे 2 ,4 , 8 केन्द्रकों O क ननर् मण होत है। आठ केन्द्रकों र्ें से तीन केन्द्रक बीज ांडि ि की ज ते है । तथ दो सह य कोलिक ओ ां IV (synergids call) व एक अांडकोलिक (Egg cell) क ननर् मण किते है । SH दोनों सह यक कोलिक (synergids call) व एक अांडकोलिक (Egg cell) भर्लकि अण्डसम्मुचय य अण्ड उपकिण (Egg Apparatus) बन ते है । 3 केन्द्रक ननभ ग (Chalaza) की ओि ज कि प्रनतव्यस त ां (Antipodal cell) कोलिक क ननर् मण किते है। िेष 2 केन्द्रक ध्रुवीय केन्द्रक (Polar nucleus) कहल ते है । जो र्ध्य र्ें ही िहते है । ये दोनों ध्रुवीय केन्द्रक सांयुक्त होकि द्विगुलणत द्वितीयक केन्द्रक (Secondary nucleus) क ननर् मण किते है , लजसे सांलीन केन्द्रक (Definitive nucleus) भी कहते है । भूणणकोष (Embryo sac) (10) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन यह प दप क र् द युग्मकोदभभद (female gametophyte)है। लजस प्रक ि पि गकण नि युग्म्कोद्भिद होत है । सभी प दपों एक बीज ड ां र्ें केवल भूणमकोष होत है। एक भूणमकोष र्ें 8 केन्द्रक व 7 कोलिक एँ होती है । S 41 E भूणमकोष र्ें ननम्न कोलिक एँ होती हैं - S 1. अांड कोलिक (egg cell) 85 S 2. सह य कोलिक (synergids call) 60 LA 3. प्रनतव्यस ांत कोलिक (Antipodal cell) 4. केन्द्रन्द्रक कोलिक (Central cell) 96 C अुंड कोशिका (egg cell) 86 M इसकी सांख् ँ एक है । अांड कोलिक ननषेचन के सर्य नि युग्मक (Male gamete) के स थ O जुडकि द्विगुलणत भूणम (Embryo) क ननर् ण म किती है । IV SH सहायक कोशिका (synergids call) (11) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन भूणमकोष र्ें दो सह यक कोलिक एँ (synergids call) होती है जो बीज ांडक य से पोषक पद थम क अविोषण किती तथ पि गनललक को बीज ण्ड की ओि आकर्षषत किने व ले िस यनों क स्त्र व किती है । सह यक कोलिक एँ (synergids call) तथ अांड कोलिक (egg cell) भर्लकि अांड उपकिण बन ते है। प्रततव्यसाुंत कोशिका (Antipodal cell) S 41 E भूणमकोष ननभ ग (Chalaza) की ओि की तीन कोलिक एँ प्रनतव्य सांत कोलिक एँ (Antipodal) S होती है। ननषेचन के ब द ये नष्ट हो ज ती है । 85 S केन्द्रिक कोशिका (Central cell) 60 LA भूणमकोष के र्ध्य र्ें दो ध्रुवीय केन्द्रक होते है। जो एक नि युग्मक से ननषेभचत होकि त्रत्रगुलणत भूणमपोष (Endosperm) क ननर् मण किते है । 96 C 86 M O IV SH परािण एवुं इसके प्रकार (12) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन परािण (pollination) प दपों र्ें युग्मक ि न न्तिण (gamete transfer) यह प्रड़क्रय पि गण ि ि होती है । पि गकोष के स्फूटन के पश्च त पि गणकणों क स्त्रीकेसि के वनतक ग्र तक ज न पि गण कहल त है । पि गकण के स्रोत के आध ि पि (depending on the source of pollen) पि गण ननम्न S प्रक ि क होत है। 41 E 1. स्वपि गण (Self Pollenation) S 2. पिपि गण (Xenogamy) 85 S स्वपरािण (Self Pollenation) 60 LA इस प्रक ि के पि गण र्ें पि गकण उसी प दप के पुष्प पि पहुँ चते है । 96 C यह दो प्रक ि क होत हैं - स्वयुग्मन (Autogamy) 86 M जब पुष्प के पि गकण उसी पुष्प के वनतक ग्र तक पहुचते है तो यह स्वयुग्मन कहल त है। O IV सजात पुष्पी परािण (Geitonogamy) जब पुष्प के पि गकण उसी प दप के अन्य पुष्प के वनतक ग्र तक ज ते है तो उसे सज त पुष्पी SH पि गण कहते है । स्वयुग्मन तथ सज त पुष्पी पि गण को सस्थम्मललत रूप से स्वपि गण (Self Pollenation) कहते है । स्वपि गण ननम्न परिस्थिनतयों र्ें होत है – प दप उभयललिंगी (Hermaphrodite) होत है , तो उनर्े स्वपि गण (Autogamy) होत है । (13) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन प दप के पुष्प र्ें सर्क ल परिपक्वत (Homogam,y) प ई ज नी च टहए। य नन पुकेंसि व स्त्रीकेंसि एक स थ परिपक्व होन च टहए। कुछ पुष्प कभी अन वृत नहीां होते अथ तम कभी द्भखलते नहीां एसे पुष्पों को अनुन्मीय पुष्प (cleistogamus) कहते है । अनुन्मीय पुष्पों र्ें स्वपि गण होत है। जैसे – व योल (स र् न्य पनसी ), ओक्जेललस तथ कोर्ोलीन (कनकौआ) स्वपरािण के लाभ ( Advantages of Self Pollenation) S 41 E 1. यह सिल होत है । S 2. पि गकण व्यथम नहीां होते अतः इनकी कर् सांख् र्ें आवश्यकत होती है। 85 S 3. प दपों र्ें िुर्द् वांिक्रर् बन िहत है ह ननक िक जीन ज नत र्ें नहीां आते। 60 LA 4. पुष्प को र्किन्द स्र ववत किने की आवश्यकत नही होती। स्वपरािण से हायनयााँ ( Disadvantages of Self Pollenation) 96 C 1. बीजों र्ें सांकि ओज के गुण कर् होते है । 2. प दप ववक स की सम्भ वन एँ कर् होती है । 86 M 3. प दपों र्ें उत्प दकत कर् होती है । O परपरािण (Cross pollonation) IV जब पि गकण पि गकोष से दुसिे प दप के पुष्प के वनतक ग्र (stigma) पि पहुचते है , तो उसे SH पिपि गण कहते है। इसे xenogamy भी कहते है । पिपि गण के ललए ननम्न परिस्थिनतय ां होती हैं - पुष्प एकललिंगी (Unisexual) होत है । जबपुष्प र्ें ववषर्क ल परिपक्वत (Dichogamy) प ई ज ती हो। पुष्प र्ें स्वबध्यत (Self-sterility) प ई ज ती है अथ त म उसी पुष्प के पि गकण वनतक ग्र पि अांकुरित नहीां हो सकते। (14) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन स्त्रीकेसि पुकेसि की अपेक्ष अभधक लम्बी होती है। लजसे ववषर्वर्ततक त्व (Heterostyly) कहते है । पुष्प उस्थन्मलय (chasmagamous flower) होते है । परपरािण से लाभ (Advantages of Cross Pollenation) 1. बीज बिे आक ि के तथ भ िी होते है । 2. प दपों र्ें सांकि ओज के गुण अभधक होते है। S 3. प दपों ववभभन्नत एँ आती है । 41 E S परपरािण से हायनयााँ ( Disadvantages of Cross Pollenation) 85 S 1. अभधक र् त्र र्ें पि गकणों की आवश्यकत होती है। 60 LA 2. पि गकणों के नष्ट होने की सम्भ वन अभधक होती है । 3. प दपों र्ें िुर्द् वांिक्रर् नहीां िहत । 96 C 4. ह ननक िक जीन क सर् वेि होत है । परपरािण के प्रकार (Types of Cross pollonation) 86 M पिपि गण र् ध्यर् के आध ि पि ननम्न प्रक ि क होत है – O जल पि गण (hydrophily) IV व यु पि गण (anemophily) SH कीट पि गण (entomophily) – कीट के र् ध्यर् से पि गण जन्तु पि गण (zoophily) – जन्तुओ ां के ि ि पि गण पक्षी पि गण (ornithophily) – पक्षी के ि ि पि गण चर्ग दि पि गण(chiropteriphily) – चर्ग दि के ि ि पि गण स्लग व घेंघ पि गण (malacophily) – घेंघ के ि ि पि गण पि ग स्त्रीकेसि सांकषमण परािकण की पहचान (Identification of pollen) (15) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन जब पि गकण पि गण के ि ि वनतक ग्र पि पहुँ च ज ते है । तो पि गकण व वनतक ग्र के ि स यननक घटकों के र्ध्य पिस्पि ड़क्रय ि ि यह सुननलश्चत ड़कय ज त है , ड़क वनतक ग्र पि पहुँ चने व ल पि गकण ठीक उसी ज ती क है । क्योंड़क पि गण के ि ि गलत प्रक ि के पि गकण (दूसिी प दप ज नत क ) भी उसी वनतक ग्र पि आ ज ते है । स्त्रीकेसि र्ें पि गकण की पहच न किने की क्षर्त होती है । की पि ग गलत है , य सही प्रक ि क है । S यड़द पि ग सही प्रक ि क होत है तो पि गकण र्ें अांकुिण होने लगत है । 41 E S यड़द पि गकण गलत प्रक ि क होत है , तो स्त्रीकेसि ि ि पि ग की अस्वीकृनत ड़कय ज त है 85 S लजससे पि गकण र्ें अांकुिण नहीां हो प त । 60 LA पि गकण की पहच न किने के पश्च त पि गनललक (Pollen Tube) क ननर् मण होत है। पि गनललक (Pollen Tube) िस यन नुवनम के ि ि बीज ांड की ओि ज ती है । 96 C परािकण का अुंकुरण (Germination of Pollen grain) 86 M पि गकण की जनन कोलिक र्ें सर्सूत्री ववभ जन के ि ि दो नि युग्मकों क ननर् मण होत है O तथ जनन लछद (germ pores) र्ें से होते हुई एक पि गनललक (Pollen Tube) क ननर् मण IV होत है। परािनशलका का बीजाुंड में प्रवेि (Entry of pollen tube in ovule) SH एक पि गनललक (Pollen Tube) र्ें दो नि युग्मक होते है। लजनक ननर् मण जनन कोलिक ि ि होत है। पि गनललक वर्ततक से होते हुए अांड िय तक ज ती है । तथ अांड िय र्ें पहुँ चने के पश्च त बीज ड ां र्ें प्रवेि किती है । यह प्रवेि तीन प्रक ि से होत हैं– यनभािी प्रवेि (chalaogamy) पि गनललक (Pollen Tube) बीज ड ां र्ें ननभ ग र्ें से होकि प्रवेि किती है। (16) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन अुंडद्वारी / बीजाुंडद्वारी प्रवेि (porogamy) पि गनललक (Pollen Tube) क बीज ांड र्ें पवेि बीज ड ां ि ि र्ें से होत है। उदाहरण betula, casurina. अध्यावरणी प्रवेि (mesogamy) पि गनललक क बीज ड ां र्ें क प्रवेि अध्य विण र्ें से होत है । S उदाहरण cucurbita and populus 41 E S परािनशलका का भूणण कोष में प्रवेि 85 S पि गनललक क प्रवेि बीज ांड र्ें प्रवेि कैस भी हो पिन्तु भूणमकोष र्ें वह बीज ांडि ि से ही प्रवेि 60 LA किती है । बीज ांडि िी ससिे पि उपस्थित तन्तुरुपी सर्ुच्चय (filliform apparatus) पि ग नललक के प्रवेि 96 C को ड़दि ननदेलित किती है । 86 M तन्तुर्य सर्ुच्चय के र् ध्यर् से पि गनललक एक सह य कोलिक र्ें प्रववष्ट किती है। O पि गनललक जब भूणमकोष र्ें प्रवेि कि ज ती है तो यह भूणमकोष के र्ध्य र्ें पहुँ च कि नि युग्मकों को र्ुक्त किती है। IV उपिोक्त वणमत सभी प्रक्रर् (पि ग की पहच न, अांकुिण, पि गनललक क बीज ांड व भूणक म ोष र्ें SH प्रवेि) पि ग स्त्रीकेसि सांकषमण (Pollen Pistil Interaction) कहल त है। दोहरा यनषेचन, भूणणपोष, भूणण और बीज दोहरा यनषेचन (Double Fertilization) पि गनललक से नियुग्मक र्ुक्त होने के पश्च त एक नि युग्मक अांड कोलिक से सांलनयत होत है । इसे सत्यननषेचन (True Fertilization) कहते है । सत्यननषेचन (True Fertilization) से द्विगुलणत युग्मनज (Zygote) क ननर् मण होत है। (17) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन सत्य ननषेचन [ नि युग्मक + अांड कोलिक = युग्मनज] पि गनललक र्ें उपस्थित दूसि नियुग्मक दोनों धुवीीय केन्द्रकों से सांलनयत होकि त्रत्रगुलणत प्र थभर्क भूणमपोष कोलिक (Primary Endosperm Cell) क ननर् मण कित है। इसे त्रत्रक सांलयन (Triple Fusion) कहते है । त्रत्रकसांलयन [नि युग्मक +ध्रुवीय केन्द्रक = प्र थभर्क भूणमपोष कोलिक ]. S इस प्रक ि भूणमकोष र्ें दो ब ि ननषेचन होत है । इसललए इसे दोहि ननषेचन (Double 41 E Fertilization) कहते है । S भूणणपोष का तवकास (Development of Endosperm) 85 S त्रत्रकसांलयन से बनी प्र थभर्क भूणमपोष कोलिक (Primary Endosperm Cell) र्ें ब ि-ब ि 60 LA ववभ जन होने से भूणमपोष क ननर् मण होत है । इसकी कोलिक एँ पोषक पद थम युक्त होत है । जो ववक सिील भूणम को पोषण प्रद न किती है । 96 C प दपो र्ें तीन प्रक ि के भूणमपोष प ये ज ते हैं - 86 M र्ुक्त केन्द्रकी भूणमपोष /केन्द्रन्द्रकीय भूणम पोष (Free Nuclear Endosperm) O इस प्रक ि के भूणमपोष र्ें प्र थभर्क भूणमपोष कोलिक (Primary Endosperm Cell) के केन्द्रक IV र्ें ववभ जन होत है । लेड़कन कोलिक भभलि क ननर् मण नहीां होत । लजससे बहुकेन्द्रन्द्रकी सांिचन बन ज ती है । ऐस पॉलीप्टेलस द्विनबजपत्री प दपों र्ें प य ज त है । SH उद हिण – न रियल (Cocos nucifera) क तिल द्रव। कोशिकीय भूणणपोष (Cellular Endosperm) इस प्रक ि के भूणमपोष क ननर् मण प्र थभर्क भूणमपोष कोलिक (Primary Endosperm Cell) र्ें केन्द्रक ववभ जन के स थ–स थ कोलिक भभलि क भी ननर् मण होत है । ऐस स र् न्यत : गेर्ोद्वपटेलस द्विबीजपत्रत्र प दपो र्ें होत है । उद हिण – धतुि , द्वपटु ननय आड़द। (18) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन है लोतबयल भूणणपोष (Helobial Endosperm) इस प्रक ि के भूणमपोष र्ें कोलिकीय व केन्द्रन्द्रकीय दोनों प्रक ि की व्यवि प यी ज ती है। प्र थभर्क भूणमपोष कोलिक (Primary Endosperm Cell) र्ें िुरुआती ववभ जन होते है । तो इसर्ें कोलिक भभलि बनती है , पिन्तु ब द र्ें केवल केन्द्रक ववभ जन होत है । भूणण का तवकास (Development of Embryo) S द्विगुलणत युग्मनज से भूणम क ननर् मण होने की प्रड़क्रय भूणोदभव (embryogenesis) कहल ती 41 E है । जब भूणमपोष क ननर् मण हो ज त है । तो युग्मनज र्ें ववभ जन प्र िम्भ होत है। लजससे S ववक सिील भूणम को पोषण प्र प्त होत िहत है । 85 S प्र िम्भ र्ें द्विबीजपत्री तथ एकबीजपत्री भूणम क ववक स एक सर् न होत है। लेड़कन ब द र्ें इसके 60 LA ववक स की प्रड़कय अलग-अलग होती है। पद्वबीजपत्री भूणण का तवकास 96 C इस प्रक ि के भूणम ववक स क अध्ययन Capsella Bursa-pastoris न र्क क्रुसीफेिी प दप र्ें 86 M ड़कय गय । O इनर्ें युग्मनज दो असर् न कोलिक ओ ां र्ें ववभक्त हो ज त है। लजन्हें आध िी कोलिक (Basal IV cell –बीज ड ां ि ि की औि supensor cell) तथ अग्रि कोलिक (Apical cell) कहते है । आध िी कोलिक र्ें अनुप्रि ववभ जन से 6 -10 कोलिक ओ से बनी सांिचन बनती है । जो SH ननलम्बक (surpenser) कहल त है । ननलम्बक की प्रथर् कोलिक आकि र्ें बिी होती है लजसे चुषक ांग (sucker) कहते है ।अांनतर् कोलिक जो अग्रि कोलिक के प स होती है वह स्फीनतक (hypophysis) क ननर् मण किती है । जो ववकससत होकि र्ुलगोप (radicle tip) बनती है । अगि कोलिक र्ें दो अनुदैध्यम तथ एक अनुप्रि ववभ जन होत है लजससे 8 कोलिक ओ के दो चक्र प्र प्त होते है । ऊपिी चक्र (epibasal) की च ि कोलिक एँ बीजपत्रों व प्र ांकुि क ननर् मण किती है तथ ननचले चक्र (hypobasal) की च ि कोलिक एँ बीजपत्रोंपरिक व र्ूल ांकुि क ननर् ण म किती है । (19) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन एपीबेसल तथ ह इपोबेसल (ऊपिी व ननचल चक्र) की च ि-च ि कोलिक एँ अष्टक बन ती है। अष्टक की कोलिक ओ ां र्ें परिनत ववभ जन (periclinal) होते है लजससे ब ह्यत्वच जन (protoderm) प्रोकेंनबयर् (प्र केस्थम्बयर्) तथ भित उतक (ववभज्योतक) क ननर् मण होत है। प्र िम्भ र्ें भूणम गोल क ि होत है । लेड़कन ब द र्ें यह बीजपत्रों के ववक स के क िण हृदय क ि (heart shaped) हो ज त है । परिपक्व भूणम र्ें दो बीजपत्र एांव एक भूणीीय अक्ष होत है । भूणीीय अक्ष क बीजपत्रों के स्ति से ऊपि क भ ग बीजपत्रोपरिक (epicotyl) होत है । लजसक अांनतर् S ससि (terminal end) प्र ांकुि (plumcle) होत है। 41 E भूणीीय अक्ष क बीजपत्रों के स्ति क ननचल भ ग बीजपत्र ध ि (hypocoty) होत है। लजसक S अन्द्रन्तर् ससि र्ुलांक ि (radicle) होत है। जो र्ुलगोप से ढक िहत है । 85 S 60 LA एकबीजपत्री भूणण का तवकास (Development of Monocot Embryo) इस प्रक ि के भूणम के ववक स क अध्ययन Luzula forsteri र्ें ड़कय ज त है 96 C इसर्ें भूणम क ववक स सेलजटेरिय (sagittaria) प्रक ि क कहल त है । 86 M एकबीजपत्री भूणम र्ें अष्टक स्ति तक क ववक स द्विबीजपत्री के सर् न ही होत है । O युग्मनज से ववभ जन से दो कोलिक एँ (अग्रि तथ आध िी ) बनती है । IV अग्रि कोलिक र्ें अनुदैध्यम ववभ जन से आठ कोलिक एँ बनती है । SH ऊपि के स्ति की कोलिक एँ बीजपत्रोंपरिक व प्र ांकुि बनती है । एकबीजपत्री र्ें एक ही बीजपत्र बनत है । लजसे प्रिल्क (scutellum) स्कुटेल्म कहते है । नीचे क स्ति र्ूल ांकुि तथ बीजपत्र ध ि बन त है । र्ुल कुि तथ प्र क ां ु ि पि आच्छ दी आविण (covering sheaths) बनत है लजन्हें क्रर्िः र्ूल ांकुि चोल (coleorrhiza) तथ प्र ांकुि चोल (coleoptile) कहते है । बीज और इसका तवकास एांलजयोस्पर्म र्ें लैंभगक जनन क अांनतर् परिण र् बीज होत है। (20) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन एक बीज र्ें बीज विण, बीजपत्र तथ एक भूणीीय अक्ष होत है । बीज क ननर् मण बीज ड ां से होत है । बीज ांड क अध्य वणम बीज विण बन त है। ब ह्य अध्य विण के ि ि टेस्ट तथ आांतरिक अध्य विण के ि ि टेगर्ेन क ननर् मण होत है । बीज ांडक य प्र य: नष्ट हो ज त है । पिन्तु कुछ प दपों र्ें यह परिभूणमपोष क ननर् मण कित है । जैसे – क ली भर्चम तथ चकुांदि आड़द। S बीज ांडवृन्त बीजवृन्त र्ें परिवर्ततत हो ज त है । 41 E S ह इलर् बीज के ऊपि एक धब्बे के रूप र्ें िह ज त है। 85 S बीज ांडि ि बीज र्ें एक लछद्र के रूप र्ें िहत है । लजसके ि ि अांकुिण के सर्य जल क अविोषण 60 LA होत है । परिपक्व बीज र्ें जल की र् त्र बहुत कर् होत है तथ उप पचयी ड़क्रय एँ बहुत धीर्ी गनत से होत 96 C है एांव भूणम ननष्क्रय अवि र्ें होत है , इसे प्रसुन्द्रप्त (dorminancy) कहते है । 86 M O IV SH एकबीजपत्री बीज की सुंरचना (Structure of Monocot Seed) इसर्ें एकबीजपत्र होत है । ये भूणमपोषी होत है । भूणमपोष के भीतिी स्ति को एद्वपभथललय्र् स्ति कहते है । ब हिी स्ति को एल्युि न स्ति कहते है । उद हिण – गेंहू, ब जि , र्क्क , घ स आड़द पद्वबीजपत्री के बीज की सरचना (Structure of Dicot Seed) (21) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन इसर्ें दो बीजपत्र होते है । तथ इनर्ें भूणमपोष नहीां होत । ये अभूणमपोषी होते है । इसक अपव द अिण्डी है , जो द्विबीजपत्री होते हुए भी भूणमपोषी होते है । उद हिण – चन , र्टि, र्ूांगफली, ग्व ि आड़द | S 41 E S 85 S 60 LA 96 C 86 M O IV SH (22) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन NCERT SOLUTIONS अभ्यास (पृष्ठ सुंख्या 43-44) प्रश्न 1 एक आवृतबीजी पुष्प के उन अांगों के न र् बत एँ , जह ँ नि एवां र् द युग्मकोभभद् क ववक स होत है? उिि- एक आवृतबीजी पुष्प र्ें नि युग्मकोद्भिद क ववक स पि गकोि के पि गपुटी र्ें होत है तथ S र् द युग्मकोद्भिद क ववक स बीज ड ां के बीज ांडक य र्ें होत है । 41 E प्रश्न 2 लघुबीज णुध नी तथ गुरुबीज णुध नी के बीच अन्ति स्पष्ट किें। इन घटन ओ ां के दौि न S ड़कस प्रक ि क कोलिक ववभ जन सम्पन्न होत है? इन दोनों घटन ओ ां के अांत र्ें बनने व ली 85 S सांिचन ओ ां के न र् बत इए। 60 LA उिि- 96 C लघुबीजाणुधानी िुरुबीजाणुधानी 1 यह ब ह्य त्वच , र्ध्य स्ति तथ टेपीटर् से यह ब ह्य तथ अन्तःअध्य विण से घघिी िहती 86 M घघिी िहती है । है । O 2 पि गकण र् तृ कोलिक से सूक्ष्म बीज णु गुरुबीज णु र् तृ कोलिक से गुरुबीज णु IV बनते हैं जो ड़क पि गकोि के च िों कोनों (megaspore) बनते हैं जो ड़क अण्ड िय पि ववकससत होते हैं । (ovary) र्ें ववकससत होते हैं । SH 3 सूक्ष्म बीज णु र् तृ कोलिक के अधमसूत्री गुरुबीज णु र् तृ कोलिक के अधमसत्र ू ी ववभ जन ि ि अनेक पि गकणों (pollen ववभ जन से गुरुबीज णुओ ां grains) क ननर् मण होत है। (megaspores) क ननर् मण 4 पि गकोि के स्फुटन पि पि गकण ववर्ुक्त गुरुबीज णु से भ्रूणकोष (embryo sac) होते हैं । पि गकण नि युग्मकोद्भिद् बन ते बनत जो र् द युग्मकोद्भिद् बन त है । हैं । इन घटन ओ ां के दौि न अधमसत्र ू ी ववभ जन होत है । लघुबीज णुजनन के अन्त र्ें लघुबीज णु अथव पि गकण बनते हैं तथ गुरुबीज णुजनन के अन्त र्ें च ि गुरूबीज णु बनते हैं । (23) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन प्रश्न 3 ननम्नललद्भखत िब्द वललयों को सही ववक सीय क्रर् र्ें व्यवस्थित किें- पि गकण, बीज णुजन ऊतक, लघुबीज णु चतुष्क, पि गर् तृ कोलिक , नि युग्मक। उिि- बीज णुजन उिक → पि गर् तृ कोलिक → लघुबीज णुचतुष्क → पि गकण → नि युग्मक। प्रश्न 4 एक प्र रूपी आवृतबीजी बीज ण्ड के भ गों क ववविण ड़दख ते हुए एक स्पष्ट एवां स फ- S सुथि न र् ड़ां कत भचत्र बन इए। 41 E उिि- S 85 S 60 LA 96 C 86 M O IV SH प्रश्न 5 आप र् द युग्मकोभभद् के एकबीज णुज ववक स से क्य सर्झते हैं ? उिि- गुरुबीज णुजनन के फलस्वरूप बने गुरुबीज णु चतुष्क (tetrad) र्ें से तीन नष्ट हो ज ते हैं । तथ केवल एक गुरुबीज णु ही सड़क्रय होत है जो र् द युग्मकोभभद् क ववक स कित है। गुरुबीज णु क केन्द्रक तीन, सूत्री ववभ जनों ि ि आठ केन्द्रक बन त है । प्रत्येक ध्रुव पि च ि-च ि केन्द्रक व्यवस्थित हो ज ते हैं। भ्रूणकोष के बीज ण्डि िी ध्रुव पि स्थित च िों केन्द्रक र्ें से तीन (24) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन केन्द्रक कोलिक एँ अण्ड उपकिण (egg apparatus) बन ते हैं, जबड़क ननभ गी ससिे के च ि केन्द्रकों र्ें से तीन केन्द्रक एन्टीपोडल कोलिक एँ (antipodal cells) बन ते हैं । दोनों ध्रुवों से आये एक-एक केन्द्रक, केन्द्रीय कोलिक र्ें सांयोजन ि ि ध्रुवीयकेन्द्रक (polar nucleus) बन ते हैं । चूांड़क र् द युग्मकोद्भिद् ससफम एक ही गुरुबीज णु से ववकससत होत है , अत: इसे एक बीज णुज ववक स कहते हैं। प्रश्न 6 एक स्पष्ट एवां स फ-सुथिे भचत्र के ि ि परिपक्व र् द युग्मकोदभभद के 7-कोलिकीय, 8- S न्यूक्लिएट (केन्द्रकीय) प्रकृनत की व्य ख् किें। 41 E उिि- S 85 S 60 LA 96 C 86 M O IV SH ड़क्रय िील गुरूबीज णु के ड़क्रय िील गुरूबीज णु के केंद्रक सर्सूत्री ववभ जन के ि ि दो केंद्रकी बन ते हैं , जो ववपिीत ध्रुवों को चले ज ते हैं औि 2-न्युड़कल्येट भ्रूणकोि की िचन किते हैं । दो अन्य क्रभर्क सर्सूत्री केन्द्रकीय ववभ जन के परिण र्स्वरूप 4-केंद्रीय (न्युड़कल्येट) औि तत्पश्च त 8- केंद्रीय (न्युड़कल्येट) भ्रूणकोि की सांिचन किते हैं। अभी तक जीवद्रव्यक ववभ जन नहीां हुआ है । अब भभलि कोलिक र् द युग्मकोद्भिद य भ्रूणकोि के सांगठन क रूप लेती है । आठ र्ें से 6- न्युिीआई भभलि कोलिक ओ ां से घघिी होती हैं औि कोलिक ओ ां र्ें सांयोलजत िहते हैं। िेष बचे दो न्युिीआई ध्रुवीय न्युिीआई कहल ते हैं , जो अांडउपकिण के नीचे बिे केंद्रीय कोलिक र्ें स्थित (25) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन होते हैं। बीज ांडि िी ससिे पि तीन कोलिक एँ एक स थ सर्ूहीकृत होकि अांडउपकिण य सर्ुच्चय क ननर् मण किती हैं । इस अांड उपकिण के अांतगमत दो सह यलिक एँ तथ एक अांडकोलिक ननटहत होती है । तीन अन्य कोलिक एँ ननभ गीय (कैल जल) छोि पि होती हैं , प्रनतव्य स ांत कहल ती है। वृहद केंद्रीय कोलिक र्ें दो ध्रुवीय न्युिीआई होती हैं। इस प्रक ि एक र् द युग्मकोद्भिद परिपक्व होने पि 8-न्युड़कलीकृत वस्तुतः 7 कोलिकीय होत है । प्रश्न 7 उन्मील पि गणी पुष्पों से क्य त त्पयम है ? क्य अनुन्मीललय पुष्पों र्ें पि-पि गण सम्पन्न S होत है? अपने उिि की सतकम व्य ख् किें। 41 E उिि- वे पुष्प लजनके पि गकोि तथ वर्ततक ग्र अन वृत (exposed) होते हैं , उन्मील पि गणी पुष्प S कहल ते हैं । 85 S 60 LA उद हिण- व योल , ऑक्जेललस। अनुन्मीललय पुष्पों र्ें पि-पि गण नहीां होत है। अनुन्मीललय पुष्प अन वृत नहीां होते हैं । अतः इनर्ें 96 C पि-पि गण सम्भव नहीां होत है । इस प्रक ि के पुष्पों के पि गकोि तथ वर्ततक ग्र प स-प स स्थित होते हैं । पि गकोि के स्फुटटत होने पि पि गकण वर्ततक ग्र के सम्पकम र्ें आकि पि गण किते हैं। 86 M अतः अनुन्मीललय पुष्प स्व-पि गण ही किते हैं । O प्रश्न 8 पुष्पों ि ि स्व-पि गण को िोकने के ललए ववकससत की गयी दो क यमनीनतयों क ववविण IV दें। SH उिि- पुष्पों ि ि स्व-पि गण िोकने के ललए ववकससत की गई दो क यमनीनत हैं - 1. कुछ प्रज नतयों र्ें पि ग अवर्ुक्तक्त एवां वर्ततक ग्र ग्र ह्यत सर्क ललक नहीां होती हैं , लजससे स्वपि गण को िोक ज सकत है । 2. कुछ प्रज नतयों र्ें पि गकोि एवां वर्ततक ग्र भभन्न ि नों र्ें अवस्थित होने के क िण प दप र्ें पि ग वर्ततक ग्र के सांपकम र्ें नहीां आ प ते हैं । यह स्वपि गण को िोकती है । प्रश्न 9 स्व-अयोग्यत क्य है ? स्व-अयोग्यत व ली प्रज नतयों र्ें स्व-पि गण प्रड़क्रय बीज की िचन तक क्यों नहीां पहुँ च प ती है ? (26) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन उिि- स्व-अयोग्यत पुष्पीय पौधों र्ें प यी ज ने व ली ऐसी प्रयुक्तक्त है लजसके फलस्वरूप पौधों र्ें स्व-पि गण (self-pollination) नहीां होत है। अतः इन पौधों र्ें ससफम पि-पि गण (cross pollination) ही हो प त है । स्व-अयोग्यत दो प्रक ि की होती है - 1. तवषमरूपी (Heteromorphic)- इस प्रक ि की स्व-अयोग्यत र्ें एक ही ज नत के पौधों के वर्ततक ग्र तथ पि गकोिों की स्थिनत र्ें भभन्नत होती है अतः पि गनललक की वृलर्द् S वर्ततक ग्र र्ें रुक ज ती है । 41 E 2. समकारी (Homomorphic)- इस प्रक ि की स्व-अयोग्यत वविोधी-S अलील्स S (opposition-S-alleles) ि ि होती है। उपिोक्त क िणों के फलस्वरूप स्व-अयोग्यत 85 S व ली ज नतयों र्ें स्व-पि गण प्रड़क्रय बीज की िचन तक नहीां पहुँ च प ती है । 60 LA प्रश्न 10 बैभगिंग (बोि वस्त्र विण) य थैली लग न तकनीक क्य है? प दप जनन क यमक्रर् र्ें यह कैसे उपयोगी है ? 96 C उिि- पुष्पों के व र्ततक ग्र को अव लां छत पि गों से बच ने के ललए इसके र् द जनन भ गों को थैली 86 M से आवृत ड़कए ज ने की तकनीक बैभगिंग य थैली लग न तकनीक कहल ती है। यह तकनीक प दप O जनन क यमक्रर् र्ें उपयोगी है क्योंड़क इसर्ें अपेलक्षत पि ग के ि ि पि गण ड़कय ज त है तथ IV पुष्पों के व र्ततक ग्र को अव ांलछत पि गों से बच य ज त है। प्रश्न 11 त्रत्र-सांलयन क्य है ? यह कह ँ औि कैसे सम्पन्न होत है ? त्रत्र-सांलयन र्ें सस्थम्मललत SH न्यूिीआई क न र् बत एँ। उिि- पि गनललक से र्ुक्त दोनों नि केन्द्रकों र्ें से एक र् द केन्द्रक से सांयोजन कित है । दूसि नि केन्द्रक भ्रूणकोष र्ें स्थित द्वितीयक केन्द्रक (2n) से सांयोजन कित है । द्वितीयक केन्द्रक र्ें दो केन्द्रक पहले से होते हैं तथ नि केन्द्रक से सांलयन के पश्च त् केन्द्रकों की सांख् तीन हो ज ती है । तीन केन्द्रकों क यह सांलयन, त्रत्रसांलयन (triple fusion) कहल त है । त्रत्रसांलयन की प्रड़क्रय भ्रूणकोष र्ें होती है तथ इसर्ें ध्रुवीय केन्द्रक अथ त म ् द्वितीयक केन्द्रक व नि केन्द्रक सस्थम्मललत होते हैं । (27) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन प्रश्न 12 एक ननषेभचत बीज ण्ड र्ें, युग्मनज प्रसुन्द्रप्त के ब िे र्ें आप क्य सोचते हैं ? उिि- ननषेचन के पश्च त् बीज ण्ड र्ें युग्मनज (zygote) क ववक स होत है । बीज ण्ड के अध्य विण दृढ़ होकि बीज विण (seed coat) बन ते हैं। बीज ण्ड के ब हिी अध्य विण से बीजकवच तथ भीतिी अध्य विण से अन्तः कवच बनत है । भ्रूणपोष र्ें भोज्य पद थम एकत्रत्रत होने लगते हैं । जल की र् त्र धीिे-धीिे कर् हो ज ती है , अतः कोर्ल बीज ण्डे कि व िुष्क हो ज त है । धीिे-धीिे बीज ण्ड के अांदि की क र्तयकी ड़क्रय एँ रुक ज ती हैं तथ युग्मनज से बन नय भ्रूण S सुप्त वि र्ें पहुँ च ज त है। इसे युग्मनज प्रसुन्द्रप्त कहते हैं। बीज विण से घघि , एकत्रत्रत भोजन 41 E युक्त तथ सुसप्त ु भ्रूण युक्त यह िचन , बीज (seed) कहल ती है । S प्रश्न 13 इनर्ें ववभेद किें- 85 S 60 LA a. बीजपत्र ध ि तथ बीजपत्रोपरिक। b. प्र ांकुि चोल तथ र्ूल क ां ु ि चोल। c. अध्य विण तथ बीज चोल। 96 C d. परिभ्रूण पोष तथ फलभभलि। 86 M उिि- O a. बीजपत्र ध ि तथ बीजपत्रोपरिक- IV बीजपत्राधार बीजपत्रोपररक SH 1 बीजपत्र ध ि र्ें बीजपत्रों के स्ति से नीचे बीजपत्रोपरिक बीजपत्र के स्ति के ऊपि बेलन क ि प्रोटीन होती है । भ्रूणीय अक्ष की प्रोटीन होती है । 2 यह र्ूल ांत ससि य र्ूलज के िीष त ां पि सर् प्त यह प्र ांकुि य स्तांभ ससिे पि प्र यः सर् प्त होती है तथ र्ूल गोप ि ि आवृत होती है । होती है। b. प्र ांकुि चोल तथ र्ूल क ां ु ि चोल- प्राुंकुर चोल मूलाुंकुर चोल 1. बीजपत्रोपरिक र्ें प्रिोह िीषम तथ कुछ प्रिल्क के नीचले ससिे पि भ्रूणीय अक्ष र्ें एक आड़द क ललक पणम होते हैं , जो एक गोल क ि औि र्ूल आविण एक नबन ववभेड़दत (28) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन खोखल -पणीीय सांिचन को घेिते हैं , लजसे पतम से आवृत होत है , लजसे र्ूल ांकुि चोल प्र ांकुि चोल कहते हैं। कहते है । c. अध्य विण तथ बीज चोल- अध्यावरण बीजचोल 1 बीज ांड को च िों ओि से घेिे सांिक्षक आविण को बीजचोल बीज के ऊपि सख्त सांिक्ष त्मक S अध्य विण कहते हैं । आविण को कहते हैं । 41 E d. परिभ्रूण पोष तथ फलभभलि- S पररभ्रूण पोष फल भभशि 85 S 1 अवलिष्ट उपस्थित बीज ांडक य अांड िय की दीव ि, फल की दीव ि (लछलके) के रूप र्ें 60 LA परिभ्रूण पोष कहते हैं । ववकससत होती है लजसे फलभभलि कहते हैं । प्रश्न 14 एक सेब को आभ सी फल क्यों कहते हैं ? पुष्प क कौन-स भ ग फल की िचन कित 96 C है ? 86 M उिि- सेब र्ें फल क ववक स पुष्प सन (thalamus) से होत है । इसी क िण इसे आभ सी फल O (false fruit) कहते हैं। फल की िचन , पुष्प के ननषेभचत अण्ड िय (ovary) से होती है। IV SH प्रश्न 15 ववपुांसन से क्य त त्पयम है ? एक प दप प्रजनक कब औि क्यों इस तकनीक क प्रयोग कित है ? (29) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन उिि- पि ग के प्रस्फुटन से पहले पुष्प कललक से पि ग कोि क ननष्क सन ववपुांसन कहल त है । एक प दप प्रजनक इसक उपयोग इसके वर्ततक ग्र को अव ांलछत पि गों से बच ने के ललए कित है । यह कृत्रत्रर् सांकिीकिण र्ें उपयोगी है जह ँ अपेलक्षत पि गों की आवश्यकत होती है । प्रश्न 16 यड़द कोई व्यक्तक्त वृलर्द् क िकों क प्रयोग किते हुए अननषेकजनन को प्रेरित कित है तो आप प्रेरित अननषेकजनन के ललए कौन-स फल चुनते हैं औि क्यों? उिि- वृलर्द् क िकों के प्रयोग ि ि अननषेकजनन हे तु हर् केले क चयन किेंगे क्योंड़क यह बीज S िटहत होत है । 41 E S प्रश्न 17 पि गकण भभलि िचन र्ें टेपीटर् की भूभर्क की व्य ख् कीलजए। 85 S उिि- लघुबीज णुध नी के सबसे आांतरिक पतम टेद्वपटर् होती है। यह ववक सिील पि गकणों को 60 LA पोषण देती है । यह पि गकणों की सुयोग्यत पहच नने के ललए एांज इर्, हॉर्ोन तथ वविेष प्रोटीन स्र ववत कित है। परिपक्व पि गकण के ब हिी भ ग पि पि गण स्र ववत कित है। 96 C 86 M O IV SH (अ) एक आवश्यक पि गकोि क अनुप्रिक ट; (ब) भभलिपतो को प्रदर्शित किते हुए एक लघुबीज णुध नी क ववस्तरित। प्रश्न 18 असांगजनन क्य है ? इसक क्य र्हत्त्व है ? उिि- अलैंभगक जनन की एक स र् न्य ववभध लजसर्ें नये पौधे क ननर् मण युग्मकों के सांलयन के नबन ही होत है , असांगजनन (apomixis) कहल ती है । असांगजनन र्ें गुणसूत्रों क ववसांयोजन (30) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541) 02 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन व पुनःसांयोजन (segregation and recombination) नहीां होत है । अतः इसर्ें पौधे के ल भद यक गुणों को अननलश्चत सर्य तक सुिलक्षत िख ज सकत है । S 41 E S 85 S 60 LA 96 C 86 M O IV SH (31) SHIVOM CLASSES - WhatsApp for Notes (8696608541)

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