Hindi Class 10 Model Question Paper 2 PDF

Summary

This is a Hindi model question paper for class 10. It has multiple-choice and descriptive questions. It covers various aspects of the Hindi curriculum, including prose, poetry, grammar, and literature.

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मॉडल प्रश्न पत्र – 2 कक्षा - 10 विषय – विन्दी समय : 3 घण्टे 15 वमनट पूर्ाांक- 70...

मॉडल प्रश्न पत्र – 2 कक्षा - 10 विषय – विन्दी समय : 3 घण्टे 15 वमनट पूर्ाांक- 70 वनर्देश : i) सभी प्रश्न अवनिायय िैं । ii) इस प्रश्नपत्र के र्दो खण्ड खण्ड अ तथा खण्ड ब िैं। iii) खण्ड – अ में 1 अंक के 20 बहुविकल्पीय प्रश्न िैं जिनके उत्तर ओ० एम० आर० उत्तर पत्रक पर र्देने िैं। iv) खण्ड – अ के प्रत्येक प्रश्न का वनर्देश पढ़कर के िल प्रर्दत्त ओ० एम० आर० उत्तर पत्रक पर िी उत्तर र्दें। (v) प्रश्न के अंक उसके सम्मु ख अंवकत िैं। vi) खण्ड ब में 50 अंक के िर्यनात्मक प्रश्न िैं । vii) खण्ड ब में सभी प्रश्नों के उत्तर एक साथ िी करें । viii) प्रथम प्रश्न से आरम्भ कीजिए तथा अन्तिम प्रश्न तक करते िाइए िो प्रश्न न आता िो उस पर समय नष्ट न कीजिए । खण्ड – ‘अ’ बहुविकल्पीय ( िस्तुविष्ठ ) प्रश्न (20 अंक) 1. विम्ि में से शुक्ल युग के लेखक है: (A) महावीर प्रसाद (B) प्रेमचंद (C) गिरधर दास (D) प्रताप नारायण गमश्र 2. ‘कफ़ि’ ि ‘पूस की रात’ कहािी के लेखक हैं: (A) जयशंकर प्रसाद (B) प्रेमचंद (C) सुदशशन (D) यशपाल 3. ‘वसंदूर की होली’ के िाटककार हैं: (A) जयशक ं र प्रसाद (B) रामकु मार वमाश (C) लक्ष्मीनारायण गमश्र (D) हररकृ ष्ण ‘प्रेमी’ 4. ‘रूस में पच्चीस मास’ यात्रािृत्त के लेखक हैं: (A) डॉ. निेंद्र (B) प्रभाकर माचवे (C) रामवृक्ष बेनीपुरी (D) राहुल सांकृत्यायन 5. ‘बाजे पायवलया के घुं घरू’ के लेखक कौि हैं: (A) कन्हैयालाल गमश्र ‘प्रभाकर’ (B) देवेन्द्र सत्यार्थी (C) मांखनलाल चतुवेदी (D) रामवृक्ष बेनीपुरी 6. रीवतकाल को ‘अलक ं ृ त काल’ वकस विद्वाि िे कहा है? (A) गवश्वनार्थ प्रसाद गमश्र ने (B) गमश्रबंधुओ ं ने (C) रामचंद्र शुक्ल ने (D) जॉजश गियसशन ने 7. विम्िवलवखत में से कौि-सी कृ वत रीवतकालीि कवि देि की िहीं है? (A) कगवगप्रया (B) भाव गवलास (C) भवानी गवलास (D) रस गवलास 8. ‘वद्विेदी युग’ की विशेषता (प्रिृवत्त) है: (A) इगतवृत्तात्मकता (B) श्रृिं ार एवं प्रेम (C) नारी शौन्दयश का गचत्रण (D) इनमे से कोई नहीं 9. 1943 ई. में प्रकावशत ‘तारसप्तक’ का संप ादि वकसिे वकया? (A) रामगवलास शमाश (B) सगचचदानंद हीरानंद वात््यायन ‘अज्ञेय’ (C) प्रभाकर माचवे (D) गिररजा कु मार मार्थु र 10. ‘राम की शविपूजा’ ि ‘कु कु रमुत्ता’ वकसकी रचिा है? (A) सूयशकांत गत्रपाठी ‘गनराला’ (B) जयशंकर प्रसाद (C) रामनरे श गत्रपाठी (D) महादेवी वमाश 11. ‘बुरे समय को देखकर, गंजे तू क्यों रोय, वकसी भी हालत में तेरा, बाल ि बांका होय’ उपयुुि पंवियों में कौि-सा रस है? (A) वीर रस (B) करुण रस (C) श्रृंिार रस (D) हा्य रस 12. “उस काल मारे क्रोध के , ति कााँपिे उिका लगा मािो हिा के िेग से, सोता हुआ सागर जगा । उपयुुि रेखांवकत पंवि में कौि-सा अलंकार है? (A) उपमा अलक ं ार (B) रूपक अलक ं ार (C) उत्प्रेक्षा अलंकार (D) श्लेष अलंकार 13. िील सरोरूह स्याम तरुि अरुि बाररज ियि। कराऊाँ सो मम उर धाम, सदा छीरसागर सयि ।। उपयुुि पंवियों में प्रयुि छंद है: (A) सोरठा (B) दोहा (C) रोला (D) कु ण्डगलया 14. विम्िवलवखत में से वकस शब्द में ‘अिु’ उपसगु का प्रयोग िहीं हुआ है? (A) अनुकरण (B) अनुशासन (C) अनुत्तीणश (D) अनुवाद 15. ‘िीलकण्ठ’, ‘वत्रिेत्र’, ‘चतुभुज’ समस्तपद में प्रयुि समास है: (A) द्वंद्व (B) बहुव्रीगह√ (C) गद्विु (D) अव्ययीभाव 16. ‘बादल’ का पयाुयिाची शब्द िहीं है: (A) नीरद, तोयद (B) अंबुद, पयोद (C) जलद, पार्थोद (D) जलज, पक ं ज 17. ‘युष्मद्’ (तुम) सिुिाम शब्द का तृतीया एकिचि रूप है: (A) युवाम् (B) त्वया (C) त्वत् (D) तुभ्यम् 18. ‘आाँधी आयी और हम घर भागिे लगे।’ रचिा के आधार पर इस िाक्य का प्रकार है: (A) सरल वाक्य (B) गमश्र वाक्य (C) संयुक्त वाक्य (D) इनमें से कोई नहीं 19. ‘महात्मा बुद्ध िे विश्व को शावं त का सदं ेश वदया।’ इस िाक्य का िाच्य बताइए: (A) कतृशवाचय (B) कमशवाचय (C) भाववाचय (D) इनमें से कोई नहीं 20. ‘िह अचािक चला गया।’ िाक्य में प्रयुि ‘अचािक’ पद का व्याकरविक पररचय है: (A) संज्ञा (B) सवशनाम (C) गिया-गवशेषण (D) गिया खण्ड ब (ििुिात्मक प्रश्न) 21. विम्िवलवखत में से वकसी एक गद्ांश पर आधाररत सभी प्रश्नों के उत्तर दीवजए: (क) ईष्याश की बडी बेटी का नाम गनं दा है। जो व्यगक्त ईष्याशलु होता है, वही व्यगक्त बुरे गक्म का गनंदक भी होता है। दूसरों की गनं दा वह इसगलए करता है गक इस प्रकार दूस रे लोि जनता अर्थवा गमत्रों की आँखों से गिर जाएँिे और तब जो ्र्थान ररक्त होिा, उस पर अनायास मैं ही बैठा गदया जाऊँिा । (i) उपयुशक्त िद्ांश का संदभश गलगखए । (ii) िद्ाश ं के रे खागं कत अश ं की व्याख्या कीगजए। (iii) ईष्याशलु व्यगक्त दूसरों की गनंदा क्यों करता है? अथिा (क) कु संि का ज्वर सबसे भयानक होता है। यह के वल नीगत और सवृगत्त का ही नाश नहीं करता, बगकक बुगि का भी क्षय करता है। गकसी युवा पुरुष की संिगत यगद बुरी होिी, तो वह उसके पैरों में बँधी चक्की के समान होिी, जो उसे गदन-गदन अवनगत के िड् ढे में गिराती जाएिी और यगद अचछी होिी तो सहारा देने वाली बाहु के समान होिी, जो उसे गनरंतर उन्नगत की ओर ले जाएिी । (i) उपयुशक्त िद्ांश का संदभश गलगखए । (ii) िद्ाश ं के रे खागं कत अश ं की व्याख्या कीगजए। (iii) कु सिं की तुलना गकससे की ियी है? 22. विम्िवलवखत में से वकसी एक पद्ांश पर आधाररत सभी प्रश्नों के उत्तर दीवजए: (क) चाह नहीं, मैं सुरबाला के िहनों में िूँर्था जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में गबंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरर डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के गसर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ, मुझे तोड लेना बनमाली, उस पर्थ में देना तुम फें क। मातृ-भूगम पर शीश चढाने, गजस पर्थ जावें वीर अनेक। (i) उपयुशक्त पद्ांश का संदभश गलगखए । (ii) पद्ांश के रे खांगकत अंश की व्याख्या कीगजए । (iii) पुष्प वनमाली के समक्ष अपनी कौन-सी इचछा (चाह) प्रकट करता है? अथिा (ख) ऊधौ जाहु तुमगहं हम जाने । ्याम तुमगहं ह्ाँ कौ नगहं पठयौ, तुम हौ बीच भुलाने।। ब्रज नाररगन सौं जोि कहत हौं, बात कहत न लजाने। बडे लोि न गववेक तुम्हारे , ऐसे भए अयाने ।। हमसौं कही लई हम सगह कै , गजय िुगन लेहु सयाने। कहँ अबला कहँ दसा गदिंबर, मष्ट करौ पगहचाने।। साँच कहौ तुमकौ अपनी सौं, बूझगत बात गनदाने। सूर ्याम जब तुमगह पठायौ, तब नैकहुँ मुसकाने ।। (i) उपयुशक्त पद्ांश का संदभश गलगखए ।. (ii) पद्ांश के रे खांगकत अंश की व्याख्या कीगजए । (iii) ‘ब्रज नाररगन सौं जोि कहत हौं, बात कहत न लजाने।’ से क्या तात्पयश है? ्पष्ट कीगजए । 23. िीचे वदए गए संस्कृ त गद्ांश में से वकसी एक का संदभु-सवहत वहन्दी में अिुिाद कीवजए: (क) वाराण्यां प्राचीनकालादेव िेहे-िेहे गवद्ायााः गदव्यं ज्योगताः द्ोतते । अधुनाऽगप अत्र सं्कृ तवाग्धारा सततं प्रवहगत, जनानां ज्ञानञ्च वधशयगत । अत्र अनेके आचायाशाः मूधशन्यााः गवद्वासं ाः वैगदकवाङ्मय्य अध्ययने अध्यापने च इदानीं गनरतााः। न के वलं भारतीयााः अगपतु वैदेगशकााः िीवाश णवाण्यााः अध्ययनाय अत्र आिचछगन्त गनाःशुककं च गवद्ां िृहणगन्त । अथिा (ख) एकदा बहवाः जनााः धूमयानम् (रे ल) आरुह् निरं प्रगत िचछगन्त ्म। तेषु के गचत् िामीणााः के गचचच नािररकााः आसन्। मौनं ग्र्थतेषु तेषु एकाः नािररकाः िामीणान् उपहसन् अकर्थयत् “िामीणााः अद्ागप पूवशवत् अगशगक्षतााः अज्ञाश्च सगन्त । न तेषां गवकासाः अभवत् न च भगवतुं शक्नोगत ।” त्य तादृशं जकपनं श्रुत्वा कोऽगप चतुराः िामीणाः अब्रवीत् “भद्र नािररक ! भवान् एव गकगञ्चत् ब्रवीतु यतो गह भवान् गशगक्षताः बहुज्ञाः च अग्त।” इदम् आकण्यश स नािररकाः सदपश िीवाम् उन्नमय्य अकर्थयत्, “कर्थगयष्यागम, परं पूवश समयाः गवधातव्याः ।” 24. िीचे वदए गए सस्ं कृ त पद्ांश में से वकसी एक का सदं भु- सवहत वहन्दी में अिुिाद कीवजए : (क) सार्थशाः प्रवसतो गमत्रं गकं ग्वन् गमत्रं िृहे सताः आतुर्य च गकं गमत्रं गकंग्वन् गमत्रं मररष्यताः ।। अथिा (ख) बन्धनं मरणं वागप जयो वागप पराजयाः । उभयत्र समो वीराः वीर भावो गह वीरता ।। 25. अपिे पवठत खण्डकाव्य के आधार पर विम्िवलवखत प्रश्नों में से वकसी एक प्रश्न का उत्तर दीवजए (क) (i) ‘मुगक्तदूत’ खण्डकाव्य के आधार पर महात्मा िाँधी का चररत्र-गचत्रण कीगजए । (ii) ‘मुगक्तदूत’ खण्डकाव्य के गद्वतीय सिश का सारांश गलगखए । (ख) (i) ‘ज्योगत जवाहर’ खण्डकाव्य की कर्थाव्तु संक्षेप में गलगखए । (ii) ‘ज्योगत जवाहर’ खण्डकाव्य के आधार पर जवाहरलाल नेहरू का चररत्र-गचत्रण कीगजए । (ि) (i) ‘अिपूजा’ खण्डकाव्य के आधार पर श्रीकृ ष्ण का चररत्र-गचत्रण कीगजए । (ii) ‘अिपूजा’ खण्डकाव्य के तृतीय सिश का सारांश अपने शब्दों में गलगखए । (घ) (i) ‘मेवाड मुकुट’ खण्डकाव्य के गद्वतीय सिश ‘लक्ष्मी’ का सारांश गलगखए । (ii) ‘मेवाड मुकुट’ खण्डकाव्य के नायक का चररत्र – गचत्रण कीगजए । (ङ) (i) ‘जय सुभाष’ खण्डकाव्य के आधार पर उसके नायक का चररत्र-गचत्रण कीगजए । (ii) ‘जय सुभाष’ खण्डकाव्य के प्रर्थम सिश की कर्थाव्तु गलगखए । (च) (i) ‘कमशवीर भरत’ खण्डकाव्य के आधार पर कै के यी का चररत्र-गचत्रण कीगजए । (ii) ‘कमशवीर भरत’ खण्डकाव्य के गद्वतीय सिश ‘राजभवन’ की कर्थाव्तु गलगखए । (छ) (i) ‘तुमुल’ खण्डकाव्य का सारांश अपने शब्दों में गलगखए । (ii) ‘तुमुल’ खण्डकाव्य के आधार पर मेघनाद का चररत्र-गचत्रण कीगजए । (i) (ज) ‘मातृ-भूगम के गलए’ खण्डकाव्य के नायक चन्द्रशेखर आजाद का चररत्र-गचत्रण कीगजए । (ii) ‘मातृ-भूगम के गलए’ खण्डकाव्य के तृतीय सिश (बगलदान) की कर्थाव्तु सक्ष ं ेप में गलगखए। (झ) (i) ‘कणश’ खण्डकाव्य की कर्थाव्तु संक्षेप में गलगखए । (ii) ‘कणश’ खण्डकाव्य के आधार पर कणश का चररत्र-गचत्रण कीगजए । 26. (क) वदए गए लेखकों में से वकसी एक लेखक का जीिि-पररचय देते हुए उिकी एक प्रमुख रचिा का उल्लेख कीवजए: (i) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (ii) आचायश रामचंद्र शुक्ल (iii) पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी (iv) रामधारी गसहं ‘गदनकर’ (ख) वदए गए कवियों में से वकसी एक कवि का जीिि-पररचय देते हुए उिकी एक प्रमुख रचिा का उल्लेख कीवजए: (i) मैगर्थलीशरण िुप्त (ii) गबहारीलाल (iii) महाकगव सूरदास (iv) सुभद्रा कु मारी चौहान 27. अपनी पाठ् य-पु्तक के सं्कृ त खण्ड से कण्ठ्र्थ एक श्लोक गलगखए जो इस प्रश्न-पत्र में न आया हो । 28. आपके गवद्ालय के पु्तकालय में गहन्दी की पु्तकों एवं पत्र-पगत्रकाओ ं का अभाव है। इन्हें मँिाने का अनुरोध करते हुए अपने गवद्ालय के प्रधानाचायश को पत्र गलगखए । अथिा अगखल भारतीय वाद-गववाद प्रगतयोगिता में प्रर्थम पुर्कार गवजेता गमत्र को एक बधाई-पत्र गलगखए । 29. विम्िवलवखत में से वकन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर संस्कृ त में दीवजए: (i) चन्द्रशेखराः काः आसीत्? (ii) वीराः के न पूज्यते? (iii) वाराणसी निरी क्यााः नद्ााः कू ले ग्र्थता? (iv) ज्ञानं कु त्र सम्भवगत? 30. विम्िवलवखत में से वकसी एक विषय पर विबंध वलवखए: (i) सडक सुरक्षा, जीवन-रक्षा (ii) मेरे सपनों का भारत (iii) जल है तो कल है (iv) साप्रं दागयकता : एक अगभशाप (v) जीवन में कम्प्यूटर का महत्त्व

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