हिंदी मुहावरे PDF

Summary

इस दस्तावेज़ में हिंदी के मुहावरे और उनके अर्थ दिए गए हैं। मुहावरों का प्रयोग हिंदी भाषा में अलंकारिक और विशेष अर्थों के लिए किया जाता है। यह दस्तावेज छात्रों और हिंदी भाषा सीखने वालों के लिए उपयोगी है।

Full Transcript

मुहावरे  वाक्य में जिस शब्द समूह का साधारण अर्थ न होकर ववशेष अर्थ होता है ,उसे मुहावरा कहते है ।  ‘मुहावरा’ पूरा वाक्य नह ीं बजकक वाक्याींश होता है ।  ‘मुहावरा’ अपने शाजब्दक अर्थ को छोड़कर ककसी ववशेष अर्थ का बोध कराता है ।  मुहावरे का अर्थ प्रसींग के अनुसार होता है ।  मुहावरे का प्रयोग स्वतींत्र...

मुहावरे  वाक्य में जिस शब्द समूह का साधारण अर्थ न होकर ववशेष अर्थ होता है ,उसे मुहावरा कहते है ।  ‘मुहावरा’ पूरा वाक्य नह ीं बजकक वाक्याींश होता है ।  ‘मुहावरा’ अपने शाजब्दक अर्थ को छोड़कर ककसी ववशेष अर्थ का बोध कराता है ।  मुहावरे का अर्थ प्रसींग के अनुसार होता है ।  मुहावरे का प्रयोग स्वतींत्र रूप से नह ीं ककया िाता, बजकक यह वाक्य के बीच में प्रयुक्त होता है और वाक्य का अींग बन िाता है ।  मुहावरे का िब वाक्य में प्रयोग ककया िाता है , तो उसकी किया,ल ींग,वचन,कारक आकद प्रसींग के अनुसार बद िाते हैं । पद्य-भाग 1.कबीर-साखी आपा खोना (अहीं कार नष्ट करना) - भवक्त और अहीं कार सार्-सार् नह ीं च सकते। ईश्वर को पाने के ल ए आपा खोना ह पड़ता है । अँलधयारा लमटना (अज्ञान समाप्त होना) - महात्मा िी के अमृत वचन सुनकर मेरे सामने छाया सब अँलधयारा लमट गया। मींत्र गना (उपाय काम आना) - वपता ने वववेकानींद को साींसाररक मागथ पर च ाने के सारे उपाय ककए, ककींतु कोई भी मींत्र न ग सका। घर ि ाना (स्वयीं को खत्म करना) - दे शभवक्त के मागथ पर च ने वा े िाींलतकाररयों को पह े अपना घर ि ाना पड़ता है । 2.मीरा-पद ाि रखना (सम्मान की रक्षा करना) - इस बार ओ ींवपक में एक स्वणथ िीतकर हमारे लनशानेबाि ने भारत की ाि रख ी। 3.वबहार -दोहे व्यर्थ नाचना (बेकार की भागदौड़) - अज्ञान में पड़ा हुआ मनुष्य िीवन-भर व्यर्थ नाचते-नाचते उम्र खो दे ता है । 4.मैलर् ीशरण गुप्त-मनुष्यता बाहू बढाना (सहायता करना)- परमात्मा हर दख ु ी को उबारने के ल ए बाहू बढाता है । ववपवि ढके ना (सींकटों को दरू करना)- िुझारू ोग अपने सामने आई हर ववपवि को ढके कर आगे बढ िाते हैं । 5.वीरे न डीं गवा -तोप मुँह बींद होना (चुप होना, शाींत होना)- जिस कदन से वह चोर करता पकड़ा गया है , उसका मुँह बींद हो गया । 8. कैफी आज़मी-कर च े हम कफदा Page 1 of 8 लसर झुकना (परास्त होना)- पाककस्तान-भारत के बीच चार युद्ध हुए हैं । सभी में पाककस्तान का लसर झुका है । मौत से ग े लम ना (सहषथ बल दान दे ना)- इीं स्पेक्टर मोहन चींद्र शमाथ ने आतींकवाकदयों के किकाने पर सीधे आिमण ककया और मौत से ग े लम गया। लसर पर कफन बाँधना (बल दान के ल ए तैयार होना)- िो बहादरु कुछ कर गुिरना चाहते हैं , वे लसर पर कफन बाँधकर कमथ ककया करते हैं । हार् तोड़ना (करारा िवाब दे ना, युद्ध का िवाब करारे युद्ध से दे ना) - िो भी तुम्हारे ववरुद्ध हार् उिाए, तुम उसके हार् तोड़ दो। हार् उिना (आिमण होना)- इससे पह े कक शत्रु का हार् तुम्हार ओर उिे , तुम उसे करारा िवाब दो । गद्य-भाग 1.प्रेमचींद-बड़े भाई साहब प्राण सूखना (डर गना)- सामने शेर को दहाड़ता दे खकर मेरे प्राण सूख गए। पहाड़ होना ( बड़ मुसीबत होना)- मींच पर खड़े होकर दो घींटे बो ना मेरे ल ए पहाड़ र्ा। हँ सी-खे होना (छोट -मोट बातें)- पूरे बोडथ में प्रर्म आना कोई हँ सी-खे नह ीं है । आँख फोड़ना ( बड़े ध्यान से पढना)- मैं रात भर पढ पढकर आँखें फोड़ता रहा और इधर पर क्षा स्र्लगत हो गई। खून ि ाना (कष्ट उिाना)- माता वपता अपनी सींतान को सुख-सुववधा दे ने के ल ए कदन-रात खून ि ाते हैं । पास फटकना (निद क िाना)- प्राचायथ महोदय का रौबदाब इतना र्ा कक कोई उनके पास तक नह ीं फटक पाता र्ा। गाढ कमाई (मेहनत की कमाई)- कोई भी मनुष्य अपनी गाढ कमाई को यूँ ह नह ीं उड़ा सकता। गती बात (चुभती हुई बात)- बड़े भाई साहब ऐसी-ऐसी गती बात कहते र्े कक मन ववचल त हो उिता र्ा। जिगर के टु कड़े -टु कड़े होना (कद पर भार आघात गना)- बम धमाकों में अपने पुत्र की मौत दे खकर माँ का जिगर टु कड़े -टु कड़े हो गया। कहम्मत टू टना (साहस समाप्त होना)- बच्चे की मृत्यु का समाचार सुनकर वपता की कहम्मत टू ट गई। िान तोड़ मेहनत करना (खूब पररश्रम करना)- खे ों में प्रर्म आने के ल ए ड़के िान तोड़ मेहनत करते हैं । हार् डा ना (काम शुरू करना)- वह बेचारा जिस भी काम में हार् डा ता है , उसी में घाटा होता है । नक्शा बनाना (योिना बनाना)- मैंने रात भर क के कायथिम के नक्शे बनाए। पर तुमने प -भर में कायथिम समाप्त कर कदया। उड़ िाना (समाप्त होना)- भाई भोिन के सामान में से खीर कहाँ उड़ गई ? दबे पाँव आना (चोर -चोर आना)- रात को वबक ी ऐसे दबे पाँव आई कक मुझे उसके आने का पता ह नह ीं च ा। Page 2 of 8 साये से भागना (नाम से ह डरना)- आिक सख्ती इतनी है कक सभी कमथचार बॉस के साये से ह भागते हैं । प्राण लनक ना ( भयभीत होना)- वावषथक पर क्षा का नाम सुनकर ना ायक छात्रों के प्राण लनक िाते हैं । घुड़ककयाँ खाना (डाँट-डपट सहना)- भाई साहब! आप प्यार से समझाया करो। आपकी घुड़ककयाँ खाना मेरे वश में नह ीं है । आड़े हार्ों ेना (जखींचाई करना, किोरतापूणथ व्यवहार करना)- बम धमाकों में सरकार की कढ ाई दे खकर मीकडया वा ों ने मुख्यमींत्री को आड़े हार्ों ल या। घाव पर नमक लछड़कना (दख ु ी को और दख ु ी करना)- गृहमींत्री की मक्कार -भर बातों ने धमाकों से सहमे ोगों के घावों पर नमक लछड़क कदया। खून ि ाना (बहुत मेहनत करना)- माता-वपता अपना खून ि ाकर पैसे कमाते हैं और बेटा उनसे गु छरें उड़ाता है । तीर मारना (बड़ सफ ता पाना)- आस्रे ल या को एक बार हराकर भारतीय किकेट ट म ऐसे खुश र्ी मानो उसने कोई तीर मार ल या हो। हे कड़ िताना (घमींड कदखाना)- स्वयीं को ऊँचा समझने वा े ोग हे कड़ िताने से बाि नह ीं आते।। त वार खीींचना ( ड़ाई के ल ए तैयार रहना)- वह स्वभाव से इतना उग्र है कक बात-बात पर त वार खीींच ेता है । टू ट पड़ना (तेिी से झपटना)- िैसे ह भोिन शुरू हुआ, पूर बरात खाने पर टू ट पड़ । कदमाग होना (घमींड होना)- िब से उसने स्कू में प्रर्म स्र्ान प्राप्त ककया है , उसे कदमाग हो गया है । नाम लनशान लमटाना (सब कुछ नष्ट करना)- भारत की सरकार को चाकहए कक वह आतींकवाकदयों का नाम लनशान लमटा डा े। चुक ू भर पानी दे ने वा ा (ककिन समय में सार् दे ने वा ा)- िो ोग दलु नया के सार् बुरा व्यवहार करते हैं , अींत में उन्हें कोई चुक ू भर पानी दे ने वा ा भी नह ीं लम ता। द न-दलु नया से िाना (कह ीं का न रहना)- अगर तुम इस तरह बेईमानी करते रहे तो नौकर के सार्-सार् द न-दलु नया से भी िाओगे। लसर कफरना (घमींड होना)- िब से उसकी िमीन वबकी है और घर में पैसा आया है , उसका लसर कफर गया है । अींधे के हार् बटे र गना (अयोग्य को कोई महत्त्वपूणथ वस्तु लम ना)- उस अनपढ को इीं िीलनयर पत्नी क्या लम ी, अींधे के हार् बटे र ग गया। हार् गना (प्राप्त होना)- बड़ मुजकक से नौकर हार् गी है , इसे सँभा कर रखना। अींधा-चोट लनशाना पड़ना (अचानक ह कोई चीज़ लम ना)- प्रलतयोलगता में प्रर्म आया दे ख उसे बुवद्धमान न मान बैिना। बस कभी-कभी अींधा-चोट लनशाना पड़ िाता है । दाँतों पसीना आना (बहुत अलधक परे शानी उिाना)- शाद -ब्याह में इतने अलधक काम र्े कक उन्हें लनपटाते-लनपटाते दाँतों पसीना आ गया। ोहे के चने चबाना (बहुत ककिनाई उिाना)- एवरे स्ट चोट पर चढाई करना ोहे के चने चबाना है । Page 3 of 8 चक्कर खाना (भ्रम में पड़ना)- उसकी ऊटपटाँग बातें सुनकर मैं चक्कर खा गया। बे-लसर-पैर की बातें (बेकार की ऊटपटाँग बातें)- उसकी बे-लसर-पैर की बातें सुनते-सुनते मेरा मार्ा भन्ना गया। राह ेना (पीछा छोड़ना, च े िाना)- कोई काम हो तो रुको, वरना राह ो। पन्ने रँ गना (बेकार में ल खना)- अच्छे ववद्यार्ी र्ोड़ा ककींतु िीक ल खते हैं । वे व्यर्थ में पन्ने नह ीं रँ गते। पापड़ बे ना (ककिन काम करना)- सफ ता पानी है तो सब प्रकार के पापड़ बे ने को तैयार रहो। आटे -दा का भाव मा ूम होना (ककिनाई का सामना करना)- कभी नौकर ढू ँ ढने लनक ा तो तभी तुम्हें आटे -दा का भाव मा ूम होगा। ज़मीन पर पाँव न रखना ( बहुत खुश होना) -जिस कदन मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार लम ा, उस कदन मैं पाँव िमीन पर नह ीं रख पा रहा र्ा। लगरह बाँधना (अच्छी तरह मन में वबिाना)- आि यह बात लगरह बाँध ो कक आतींकवाद को कुच े वबना दे श में शाींलत नह ीं हो सकती। प्राण े ेना (मार डा ना)- अब तक आतींकवाद बहुत बेकसूर ोगों के प्राण े चुके हैं । हार् से न िाना (चूकना)- यह सुनहरा मौका हार् से न िाने दे ना। शब्द चाटना (अच्छी तरह पढना)- मुझे प्रर्म आने का शौक इतना र्ा कक मैं पुस्तक का एक-एक शब्द चाट िाता र्ा। मुिभेड़ होना (सामना होना, क ह होना)- यकद कभी मेर उससे मुिभेड़ हुई तो मैं उसे नाकों चने चबवा दँ ग ू ा। हार्-पाँव फू िाना (परे शानी दे खकर घबरा िाना)- गुड ीं ों के हार्ों में बींदक ू ें दे खकर उसके हार्-पाँव फू गए। पैसे-पैसे को मुहताि होना (बहुत गर ब और मिबूर होना)- अिय की कींपनी डू ब गई तो उसका पररवार पैसे-पैसे का मुहताि हो गया। मुँह चुराना (शमथ के मारे बचना)- उधार ेने के बाद प्रायः उधार ेने वा ा अपने ऋणदाता से मुँह चुराने गता है । हार्ों में ेना (काम का जिम्मा ेना)- िब से मैंने यह धींधा हार्ों में ल या है , मेर चाँद हो गई है । बेराह च ना (ग त काम करना)- माता-वपता बच्चों पर इसल ए लनगरानी रखते हैं कक कह ीं वे बेराह न च ें। ज़हर गना (बहुत बुरा गना)- डाँट खाने वा े बच्चे को डाँट का एक-एक शब्द िहर गता है । नतमस्तक होना (लसर झुकाकर मानना)- ेखक बड़े भाई की एक-एक तरकीब के सामने नतमस्तक हो िाता र्ा। िी चाना (मन में ा च आना)- क्या करूँ, इतनी सार लमिाइयाँ दे खकर मेरा िी चा उिता है । 2. डायर का एक पन्ना-सीताराम सेकसररया रीं ग कदखाना (प्रभाव या स्वरूप कदखाना)- तुम इसे इतना सीधा न समझो। ऐन मौके पर तुम्हें यह ऐसा रीं ग कदखाएगा कक इसे भू नह ीं पाओगे। Page 4 of 8 िीं डा पड़ना (ढ ा पड़ना)- पता नह ,ीं भारत सरकार आतींकवाकदयों को कुच ने के माम े में िीं ड क्यों पड़ िाती है । टू ट िाना (वबखर िाना)- मृत्यु के सार् मनुष्य के सारे सपने टू ट िाते हैं । ज़ुकम ढाना (अत्याचार करना)-अींग्रेिों ने भारतीय िनता पर अनलगनत ज़ुकम ढाए। 3. तताँरा-वामीरो कर्ा- ी ाधर मींड ोई सुध-बुध खोना (अपने वश में न रहना)- वामीरो की सुींदरता को दे खकर तताँरा सुध-बुध खो बैिा। बाट िोहना (प्रतीक्षा करना)- भारतवासी ऐसी सरकार की बाट िोह रहे हैं िो आतींकवाद को कुच कर रख दे । आँखों में तैरना (मन में प्रकट होना)- एकाींत क्षणों में सार बीती बातें आँखों में तैरने गती हैं । खुशी का किकाना न रहना (बहुत अलधक खुशी होना)- 20-20 किकेट का वकडथ कप िीतने पर दे शवालसयों की खुशी का किकाना न रहा। आग-बबू ा होना (बहुत िोध में आना)- बच्चों की नारे बािी सुनकर प्राचायथ महोदय आग बबू ा हो गए। राह न सूझना (उपाय न लम ना)- चारों ओर आग से लघर िाने पर मैं ऐसा घबराया कक मुझे कोई राह न सूझी। सुराग न लम ना (पता न लम ना)- यह तो मोद सरकार ह र्ी जिसने आतींकवाकदयों को कुछ ह कदनों में पकड़ ल या। वरना शेष सरकारों को तो बरसों तक आतींकवाकदयों के सुराग भी नह ीं लम ते। आवाज़ उिाना (ववरोध करना)- हमें अन्याय के जख ाफ आवाज़ उिानी चाकहए। एक-एक प पहाड़ होना-(प्रतीक्षा का समय मुजकक से बीतना)-ववदे श से अपने पुत्र के आने की खबर सुनने के बाद माँ के ल ए एक-एक प पहाड़ हो रहा र्ा। एकटक लनहारना (दे खते ह रह िाना)- ववदे शी पयथटक तािमह को एकटक लनहारते रहे । अपना राग अ ापना (अपनी ह बात कहना)- अपने अहीं कार में चूर रावण ने ककसी की बात नह ीं सुनी,वह अपना राग अ ापता रहा । 4. अब कहाँ दस ू रे के दख ु से दख ु ी होने वा े-लनदा फाज़ ी द वार खड़ करना ( बाधा उत्पन्न करना)- लमत्र है या शत्रु? िहाँ भी िाता है , वह ीं मेरे सामने द वार खड़ कर दे ता है । डे रा डा ना (स्र्ायी रूप से रहना)- ये अपराधी यूँ ह पकड़ में नह ीं आते। मह नों इनकी राह में डे रा डा े बैिना पड़ता है । मारे -मारे कफरना (परे शान रहना)- राम और उसका भाई कई सा ों से नौकर के ल ए मारे -मारे कफर रहे हैं ,परीं तु अभी तक उन्हें नौकर नह ीं लम ी । 5. पतझर में टू ट पवियाँ-रवीन्द्र के ेकर हवा में उड़ना (र्ोर्ी बातें करना, ऊपर बातें करना,यर्ार्थ से दरू होना)- उसकी बातों पर न िाना। उसे हवा में उड़ने की आदत है । 6. कारतूस-हबीब तनवीर Page 5 of 8 आँखों में धू झोंकना (धोखा दे ना)- इस बार पुल स की आँखों में धू झोंकने के ल ए आतींकवाकदयों ने स्कू ी बैग में बम रखवाए। हार् न आना (पकड़ा न िाना)- पता नह ,ीं हमार पुल स क्या करती रहती है । आतींकवाद वारदात करके जखसक िाते हैं , वे कभी हार् नह ीं आते। मुट्िी भर (र्ोड़े -से)- आतींकवाद मुट्िी भर भी हों तो भी िन-िीवन को र्राथ दे ते हैं । कूट-कूटकर भरना (भावना का बहुत अलधक प्रब होना)- आतींकवाकदयों के मन में द्वे ष की भावना कूट- कूटकर भर रहती है । काम तमाम करना (िान से मार डा ना)- पुल स इीं स्पेक्टर शमाथ ने एक ह गो ी में गुींडे का काम तमाम कर डा ा। नज़र रखना (लनगरानी करना)- गुप्तचर ववभाग का काम यह है कक वह हर गलतववलध पर निर रखे। िान बख्शी करना (िान छोड़ दे ना)- ो, इस बार मैं तुम्हें िान बख्शी करता हूँ। कफर से मेरे रास्ते में न आना। हक्का-बक्का (है रान) - लसींह धोनी की आलतशी पार दे खकर आस्रे ल या के जख ाड़ हक्के-बक्के रह गए। बुरा-भला कहना (खरी-खोटी सुनाना)- वकी ने वज़ीर अ ी को बुरा-भ ा कहा। ‘सींचयन' में प्रयुक्त मुहावरे 1.हररहर काका-लमलर् ेश्वर फूट आँख नह ीं सुहाना (िरा भी अच्छा न गना)- ये ाफ्टर चैन पर आने वा े फूहड़ हँ सौड़ मुझे फूट आँख नह ीं सुहाते। आँख भर आना (आँसू आना)- इीं स्पेक्टर शमाथ की ववधवा को वब खते दे खकर सबकी आँख भर आई। धमा-चौकड़ मचाना (उपद्रव करना) – आि ये ोग गाडथ की बिाय धमाचौकड़ मचा रहे हैं - मािरा क्या है ? कद पसीिना (दया का भाव िागना)- अनार् बा क को रोते दे खकर वहाँ खड़े सभी ोगों का कद पसीि गया। तू-तू, मैं-मैं (झगड़ा होना)- मैं तो तुम्हें अींतरीं ग लमत्र समझता र्ा। तुम तो अभी से तू-तू, मैं-मैं पर उतर आए। रीं गे हार् पकड़ना (ग ती करते हुए पकड़ना)- पुल स ने चोर को रीं गे हार् पकड़ा। कफर भी वह अगर-मगर करता रहा। खून खौ ना (िोध उफनना)- चोर को सफेद झूि बो ते दे खकर मेरा खून खौ उिा। दध ू की मक्खी (बेकार वस्तु, अनुपयोगी)- आिक की ना ायक सींतानें अपने बूढे माता-वपता को दध ू की मक्खी समझती हैं । लगद्ध दृवष्ट (बुर नज़र)- पाककस्तान ककमीर पर सदा-से लगद्ध दृवष्ट गाए बैिा है । Page 6 of 8 फरार होना (भाग िाना)- चोर पुल स को दे खते ह फरार हो गया। तूती बो ना (प्रभाव होना, दबदबा होना)- दे श में आिक नरें द्र मोद की तूती बो रह है । मुँह खो ना (रहस्य बताना)-अगर मैंने अध्यापक के सामने मुँह खो कदया तो सबको सज़ा लम ेगी। गूँगेपन का लशकार होना (भयवश बो न पाना)-हररहर काका की जस्र्लत अच्छी नह ीं र्ी,वह गूँगेपन का लशकार हो गए। खोि-ख़बर ेना (िानकार प्राप्त करना)- कहने को तीन भाई र्े,परीं तु ककसी ने उनकी खोि-ख़बर नह ीं ी। तन-बदन में आग गना (िोलधत होना)- हररहर काका पर अत्याचार होते दे ख ेखक के तन-बदन में आग ग गई। कान खड़े होना (सचेत होना)- रात को बतथन लगरने की आवाज़ें सुनकर हम सब के कान खड़े हो गए। हार् से लनक ना (अवसर चूकना)- महीं त ककसी भी सूरत में ज़मीन हार् से लनक ने नह ीं दे ना चाहता र्ा। भनक तक न गना (आभास न होना)- चोरों की योिना की ककसी को भनक तक न गी। िी-िान से िुटना (सख्त मेहनत करना)- रमेश अपनी योिना को कायथ रूप दे ने के ल ए िी-िान से िुट गया। पदाथफाश होना (भेद खु ना)- एक-न-एक कदन अपरालधयों का पदाथफाश हो ह िाता है । 2. सपनों के-से कदन- गुरुदया लसींह तार-तार होना (बुर तरह कट-फट िाना)- काँटों में उ झकर उसके कपड़े तार-तार हो गए। तरस खाना (दया करना)- तेर छोट उम्र पर तरस खाकर छोड़ रहा हूँ, वरना ईंट-से-ईंट बिा दे ता। आँख बचाना (लछपाना)- मैंने आँख बचाने की बहुत कोलशश की ककींतु उसके हत्र्े चढ ह गया। ढाढस बँधाना (कहम्मत दे ना)- कद ेर पुल स अलधकार मोहनचींद्र शमाथ की ववधवा को ढाढस बींधाने वा ों का ताँता गा हुआ र्ा। हाय-हाय करना (अपने कष्टों का रोना रोना)- तुम तो र्ोड़ा-सा भी कष्ट नह ीं सहते। िरा-सी आँच गते ह हाय-हाय करने गते हो। कदन लगनना (अधीर होना)- द वा ी कब आएगी-हम तो बस कदन लगन रहे हैं । सस्ता सौदा (आसान उपाय)- एम.बी.बी.एस. के ल ए दस ू र बार प्रवेश-पर क्षा दे ने की बिाय डें ट कॉ ेि में दाजख ा ेना सस्ता सौदा है । खा खीींचना (बुर तरह पीड़ा पहुँचाना)- मास्टर िी ने धमकाते हुए कहा कक मैं काम न करने वा ों की खा खीींच ूँगा। चमड़ उधेड़ना (बुर तरह पेश आना)- अगर तुम गुींडागदी से बाि न आए तो चमड़ उधेड़ दँ ग ू ा। छाती धक-धक करना (है भयभीत होना)-गजणत की पर क्षा के नाम से मेर छाती धक-धक करने गती है । 3.टोपी शुक् ा-राह मासूम रिा Page 7 of 8 कद फड़कना (बेचन ै होना)- बेट की शाद के कदन नज़द क आते ह माँ का कद फड़कने गा। कद मसोसकर रहना (इच्छा को मन में दबा कर रहना)- मैं डॉ बनना चाहती र्ी, ेककन पैसों की तींगी के कारण मन मसोसकर रह गई। बरस पड़ना (एकदम से िोलधत हो िाना)- दे र रात घर ौटे पुत्र को दे खकर वपता उस पर बरस पड़े । मुँह न गाना (प्यार न करना)- बुिुगों का अपमान करने वा े ोगों को कोई मुँह नह ीं गाता। ज़ुकम ढाना (अत्याचार करना)-अींग्रेिों ने भारलतयों पर बहुत ज़ुकम ढाए र्े। आत्मा में उतरना (गहराई में उतरना)- ा बहादरु शास्त्री िी की सादगी सभी की आत्मा में उतर गई र्ी। स्वगथ लसधारना (मृत्यु होना)- राम की दाद स्वगथ लसधार गईं। Page 8 of 8

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