एकता सारांश प्रश्नोत्तर PDF

Summary

इस दस्तावेज़ में मैथिलीशरण गुप्त द्वारा लिखित 'एकता' कविता का सारांश और प्रश्नोत्तर शामिल हैं। कविता राष्ट्रीय एकता और प्रेम पर केंद्रित है। यह कविता, विविधता में एकता पर प्रकाश डालती है।

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एकता मैथिलीशरण गुप्त कवि पररचयः- मैथिलीशरण गप्ु त आधनु िक काल के द्वििेदी यग ु ीि प्रनतनिथध कवियों में से एक है। 'भारत- भारती' एिं 'साकेत' इिकी प्रमुख प्रनतनिथध रचिाएँ है। गुप्त के काव्य की सबसे बडी विशेषता है- (राष्ट्रीयता) इसका ज्िलंत प्रमाण है - इिकी 'ए...

एकता मैथिलीशरण गुप्त कवि पररचयः- मैथिलीशरण गप्ु त आधनु िक काल के द्वििेदी यग ु ीि प्रनतनिथध कवियों में से एक है। 'भारत- भारती' एिं 'साकेत' इिकी प्रमुख प्रनतनिथध रचिाएँ है। गुप्त के काव्य की सबसे बडी विशेषता है- (राष्ट्रीयता) इसका ज्िलंत प्रमाण है - इिकी 'एकता' शीषषक कविता। 'एकता' शीषषक कविता 'भारत-भारती' के ललए गया है। 'भारत-भारती' स्िाधीिता आंदोलि में भाग लेिे िाले दे शभक्तों की गीता रही है। इसमें कवि िे राष्ट्रीयता को जन्म देिे िाली भाििाओं को व्यक्त ककया है । साराांश:- इस कविता में कवि दे श की जिता को एकजट ु होकर सौहादष और प्रेम कायम करिे की प्रेरण दे ते है। कवि लोगों को गले की हार के समाि एक माला में गंिकर दे श में शांनत स्िावित करिे के ललए एकजट ु ता का स्िागत करते है। साम्प्प्रदानयक भेद-भािों को लमटाकर विविधता में एकता के फल खखलिा है इस बात की प्रेरणा दे ते है। िस्तत ु ः दे श में रहिे िाले सभी िागररक मेल-जोल बिाकर रहे । साम्प्प्रदानयक भेदभाि को लमटाकर अंतरात्मा से एकता स्िावित करे यही कवि का आशय है। मि में जो अज्ञािता भरी हुई है उि सबको त्यागकर िरस्िर लमल-जुलकर रहिे के ललए कवि कहते है। सब लोगों को मि से एक जुट होकर कायष करिा है िही एकता कहलाती है। केिल बाह्य अिाषत शरीर के मेल से एकता िहीं बि सकता और बाहरी तौर िर बात कर लेिे से मि की नििी हुई बात स्िष्ट्ट िहीं हो सकती। हमारे आचरण से भले भेद हो लेककि प्रेम का बंधि िहीं टटिा चाहहए। कवि के अिस ु ार 'एकता लोगों में अद्भत अलौककक शक्क्त का निमाषण करिे में सक्षम हो सकती है। एकता के द्िारा ही मुक्ककल कायष सरल हो सकते हैं। कवि िे उदाहरण देकर समझाया है कक कैसे-एक और एक एकादश हो जाते हैं तिा ककस प्रकार शन्य के साि अलग अलग अंक लमलिे िर उसका दस गुिा बढ जाता है। कवि का माििा है कक प्रत्येक व्यक्क्तको केिल औिचाररकता के ललए िहीं बक्कक हृदय से बन्धु माििा चाहहए । कवि का माििा है कक प्रत्येक व्यक्क्त की केिल औिचाररकता के ललए िहीं बक्कक हृदय से बन्धु माििा चाहहए और िे कहते है कक सुखों के सौहाद्र िातािरण में ही िहीं दःु खों के समय में भी साि-साि विचरण करिे से एकता के सत्र मजबत होते हैं। अििे दख ु को एक दसरे के साि बाँटोगे तो उसका भोज हटकर सुख प्राप्त होगा और शोक के समय सभी तुम्प्हारे साि रहकर सांत्ििा दें गे। जो व्यक्क्त दसरों के प्रनत उदार भाििा िही रखता है उसे सब लोग दर रखते है। उसका कारण िह स्ियं है, उसके अवििेक बुक्दद से ही िह सबसे दरी बिा ललया होता है। बाहरी और आंतररक दोिो रूि से लमल जुलकर रहिा चाहहए। एकता की भाििा को ग्रहण करके हम सभी कहििाइयों का सामिा कर सकते हैं। कवि का कहिा है कक व्यक्क्त के आचार-विचार भले ही लभन्ि-लभन्ि हो लेककि व्यिहार में सामंजस्य की भाििा रहिी चाहहए। तभी संसारमें सुख और शांनत कायम हो सकता है। ईकिर का रूि सिषत्र विद्यमाि के इसललए सभी भेद-भािों को भलकर एकता के सत्र में बंध जाए। भगिाि ही कहते है कक िे अलग अलग रूि धारण ककए हुए है। उिके िाम का प्रयोग करते हुए लोग भेद भाि करते है यह गलत बात है। भगिाि तो िरे संसार में हर जीि जंतु में व्याप्त है। जो व्यक्क्त सभी में भगिाि का दशषि प्राप्त करता है िही उिकी कृिा प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कक मैथिलीशरण गुप्त िे 'एकता' शीषकष कविता में लोगों को राष्ट्र के ककयाण के ललए एक सत्र में बाँधिा चाहा है और इसमें कवि के प्रयास को सफलता भी लमली है। एक शब्द या िाक्य में उत्तर ललखिए : कवि सभी दे श बंधु लमलकर क्या बिािे को कह रहे हैं ? हार/माला कवि दे शिालसयों को ककसके गले का हार बििे को कह रहे हैं? दे श कवि दे शिालसयों से ककस उद्दे कय की बात कर रहे हैं? सुख - शांनत क्या सांप्रदानयक भेद से एकता लमट सकती है? िहीं सांप्रदानयक भेद की तल ु िा कवि िे ककससे की है? लभन्ि-लभन्ि फलों आिसी मेल बढािे के ललए कवि क्या िोडिे की बात करते हैं? अवििेक मि के लमलि से ककसका जन्म होता है? एकता एकता से कैसी शक्क्त लमलती है ? अद्भत ु /अलौककक कवि िे दो एक (1 और 1) को ककस रूि में दे खा है? ग्यारह/11 कवि िे शन्य के योग से अंक को ककतिे गि ु े होिे की बात कही है? दस/10 कवि िे सभी को क्या माििे को कहा है? अििा बंधु द ु : ख घटािे से सभी क्या िाएंगे ? सुख दख ु घटािे िर शोक में ककसके गीत गाएंगे? सांतििा आचार में भेद होकर भी व्यिहार कैसा होिा चाहहए ? प्रेमिणष भगिाि ककसे तजिे को कहते हैं? भेद भाि भगिाि उसे ककसमें भजिे की बात कहते है? सिषभत भगिाि ककसको मािता है? जो भगिाि को मािता है 'एकता' कविता के रचिाकार कौि हैं? मैथिलीशरण गुप्त

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