UNIT-3 अवमंदित सरल आवर्ती दोलक PDF
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This document provides a detailed explanation of damped harmonic motion. It includes topics such as potential energy, force equations, and damping forces. The content also covers the concept of critical damping, and it contains mathematical formulas relevant to the subject matter.
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# UNIT-3 ## अवमंदित सरल आवर्ती दोलक ### स्वेच्छिक विभव रूप में दोलन की गति :- - संरक्षी बल क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा स्थिति का सतत् फलन होती हो - U = U (x, y, z) - स्थितिज ऊर्जा की ऋणात्मक प्रवणुता कण पर कार्यरत बल को व्यक्त करती है। - F = - ∇U ### X - दिशा में कार्यरत बल - Fx = - ∂U/∂x यदि कण...
# UNIT-3 ## अवमंदित सरल आवर्ती दोलक ### स्वेच्छिक विभव रूप में दोलन की गति :- - संरक्षी बल क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा स्थिति का सतत् फलन होती हो - U = U (x, y, z) - स्थितिज ऊर्जा की ऋणात्मक प्रवणुता कण पर कार्यरत बल को व्यक्त करती है। - F = - ∇U ### X - दिशा में कार्यरत बल - Fx = - ∂U/∂x यदि कण की स्थितिज ऊर्जा व स्थिति के मध्य गतफ खींचा जाए तो गतफ निम्न प्रकार प्राप्त होता है: - जब कण की स्थितिज ऊर्जा व स्थिति के मध्य गतफ खींचते हैं तो इस वक्र का ढलाण (∂U(x)/∂x) कण पर कार्यरत बल को व्यक्त करता है। - यदि ∂x का मान शून्य होतो कण पर कार्यरत बल का मान शून्य होगा तथा यह कण की संतुलन की अवस्था कहलाती है। संतुलन की अवस्था को दो भागों में बाँटा गया है - - स्थायी संतुलन की अवस्था - अस्थायी संतुलन की अवस्था 1. **अस्थायी संतुलन की अवस्था**: वह बिंदु जहाँ से कण को प्रतिस्थापित करने पर कण वापस लौटकर उस बिंदु पर नहीं आता है, अस्थायी संतुलन की अवस्था कहलाती है। इन बिंदुओं पर कण की स्थितिज ऊर्जा का मान बहुत अधिक होता है। गतफ में ये बिंदु व ही तथा इन बिंदुओं पर बल का मान शून्य होगा। 2. **स्थायी संतुलन की अवस्था**: वह बिंदु जहाँ पर कण को प्रतिस्थापित करा जाए तो कण वापस लौटकर उस बिंदु पर आ जाता है। ऐसे बिंदु को स्थायी संतुलन की अवस्था कहते है। तथा इन बिंदुओं पर क स्थितिज ऊर्जा का मान न्यूनतम होता है तथा गतफ में ये बिंदु ९, रिवा तथा इन बिंदुओं पर बल का मान भी शून्य होता है। जब इन बिंदुओ से कण को विस्थापित किया जाता है तो कण न्यूनतम उत्तस्थितिज ऊर्जा वाले बिंदु के ईद-गिर्द दोलनीय गति करना प्रारंभ कर देता है जिससे इस स्थायी संतुलन की स्थिति में इर्द-गिर्द १ व B के मध्य के क्ष परिबुद्ध क्षेत्र को विभव रूप कहते हैं। तथा विभव रूप में उच्चतम व न्यूनतम ऊर्जा के अंतर को बंधन ऊर्जा कहते हैं। ## दोलनीय गति का समी ज्ञात करने के लिए बिंदु P (x = xg) पर स्थितिज ऊर्जा का न्यूनतम मान परम० हा - स्थितिज ऊर्जा Un का ट्रेलर विधि से प्रसार करने पर - U(x) = U(x0) + (x-x0)/ 2U/x=xo + (x-x0)3/23U/x=xo + (x-x0)4/24U/x=xo etc. - स्थायी संतुलन की अवस्था के लिए U(x) = न्यूनतम - ∂U/∂x = 0 - ∂²U/∂x² > 0 (नियतांक) ## अवमंदन बल :- - जब पिंड किसी माध्यम में गति करता है तो माध्यम में उसके गति के विरुद्ध एक बल कार्य करता है (श्यान बल, घर्षण बल) जो पिंड की गति का विरोध करते हैं। अवमंदन बल कहलाते हैं। - अवमंदन बल पिंड के वेग के समानुपाती होता है पर गति की दिशा के विपरीत । - Fd = - λV - λ = अवमंदन बल नियतांक - न्यूटन के द्वितीय नियम से F = ma = mdv - (2) - समी (ⅰ) व (२) से mdv = - λ dt ## अवमंदित सरल आवर्ती दोलक :- - अवमंदन बल (घर्षण व श्यान बल) की अनुपस्थिति मे दोलक के आयाम व ऊर्जा नियत रहते हैं। परंतु जब दोलक पर अवमंदन बल कार्य करता है तो दोलक के आयाम व ऊर्जा मे लगातार कमी होती रहती है तथा कुछ समय पश्चात् दोलक विराम अवस्था में आ जाता है। ऐसे दोलक को अमंदित सरल आवर्ती दोलक कहते हैं। - अवमंदित सरल आवर्ती दोलक पर प्रत्यानन बल कार्य करता है। जिसकी दिशा गति की दिशा के विपरीत होती है तथा पिंड पर कार्यरत प्रत्यानयन बल पिंड के विस्थापन के अनुक्रमानु पाती होता है। - F1 = -Ku (ⅰ) - k = प्रत्यान्नयन बल नियंताक - पिंड पर कार्यरत अवमंदन बल पिंड के वेग के अनु क्रमानुपाती पर दिशा में विपरीत होता है। - Fg = - λV - λ = अवमंदन बल नियतांक - पिंड पर कार्यरत परिणामी बल F= F₁ + F2 - F = - kn - λV - (3) - न्यूटन के द्वितीय नियम से F = ma = mdv = m d²x/dt² - md²x/dt² = -Kn - λ dx/dt - d²x/dt² + λ/ m dx/dt + K/ m x = 0 - (4) - माना ω₀² = K/m (दोलक की स्वभाविक आवृत्ति) - d²x/dt² + λ/ m dx/dt + ω₀² x = 0 - (5) - माना समी. (5) का व्यापक हल x = e αt है । - dx/dt = αeαt - d²x/dt² = α²eαt - उपरोक्त मान को समी. (5) में रखने पर- - α² eαt + 2 α λ/m eαt + ω₀² eαt = 0 - (α² + 2 α λ/m + ω₀²) eαt = 0 - eαt ≠ 0 ( यदि α = 0 होगा तो x = 0) (कथन मिथ्या है) - α² + 2 α λ/m + ω₀² = 0 - α = - λ/m ± √(λ/m)² - 4 ω₀²/2 - अतः x के संभव हल -x = e [- λ/m + √(λ/m)² - 4 ω₀²]t + -x = e [- λ/m - √(λ/m)² - 4 ω₀²]t + - x का व्यापक हल -x = A e [- λ/m + √(λ/m)² - 4 ω₀²]t + + B e [- λ/m - √(λ/m)² - 4 ω₀²]t - यहाँ A व B नियतांक है। ### CASE-I→ न्यून अवमंदन की स्थिति - √(λ/m)² - 4 ω₀² = √ - √ wo² - λ2/m² = iw - x = A [ef-riiw]+] + B [e[-r-iwJ7] - x = ert [Aeiwt+B.e-iwt] - x = e-rt [A [cos(wt) + i s'im (wt) C + B [cos (wt)-isim (wit)) - x = e-rt [(A+B) (0) (wit) + j (A - B) sin (wt)] - माना A+B = x. sin θ i (A-B) = xo Cos θ - x = e-rt Xosing cos (wt) + no los sin (wit) - x = x. 8** [ sin θ cos (W1) + cos θ sin (wy)] - x = x. 8-rd sin (wt + θ) - (日) - at t = 0 Komax = xo sin ($) - **न्यून अवमंदन की स्थिति में सरल आवमंदित - दोलक का आवतकाल** - अवमंदित दोलक की आवर्त - w = √ Wo² - λ2/m² -**आवर्तकाल** - T = 2π/ω - T = 2π/ ✓ Wo2 - λ²/m² - **मुक्त दोलक का आवर्तकाल** - T = 2π/ω₀ - **न्यून अवमंदन की स्थिति में अवमंदित दोलक का आवर्तकाल मुक्त दोलक के आवर्तकाल से अधिक होता है।** - **न्यून अवमंदन की स्थिति में अवमंदित दोलक का आयाम :-** - A = x0 e-λt/m - t = 1/8 - A = x0 e-λ/8m - A = 0.368 x0 - T = 1/8 वह समय अंतराल है जिसमें दोलक का आयाम अधिकतम आयाम का 37% रह जाता है यह समय अंतराल विश्रांति काल कहलाता है। ### क्रांतिक अवमंदन की स्थिति :- - √γ²-wo² = γ (अल्प) - समी: (6) से x = A e [- γ + √γ²-wo²]t + + B e [- γ -√γ²-wo²]t - x = e-γt [Aert + Bert] - x = e-γt [Aert + Bert] + e-γt [Aert + Bert] - x = e-γt [(A+B) e γt + γ (A-B) e-γt ] / 2 - यहाँ P = A + B - Q = γ (A-B) - x = e-γt [P + Q] / 2 ### अति अवमंदन की स्थिति :- - यदि γ> Wo - √γ²- Wo² = γ (गामा) - समी. (6) से - x = A e [- γ + √γ²-wo²]t + + B e [- γ -√γ²-wo²]t - x = e-γt [Aert + Bert] - x = e-γt [Aert + Bert] + e-γt [Aert + Bert] - x = e-γt [(A+B) e γt + (A - B) e-γt ] / 2 - यहा e γt + e-γt / 2 = cosh (γt) - e γt - e-γt / 2 = sinh (γt) - A + B = K sinh (γt) - A-B = K cosh (γt) - x = e-γt [ K sinh (γt) cosh (γt) + K cosh (γt) sinh (γt)] / 2 - x = K e-γt sinh (γt + θ) - x = x0 e-γt sinh (γt + θ) - **अवमंदित सरल आवर्ती दोलक की ऊर्जा गतिज ऊर्जा :-** - न्यून अवमंदित सरल आवर्ती दोलक की न्यून अवमंदन की स्थिति मे विस्थापन की समी. x = xo ert sin (wt + θ) - (ⅰ) - अवमंदित दोলক का वेग - - V = dx/dt - V= d [xo ert sin (wt + θ) ] / dt - V = xo [- γert sin(wt + θ) + wt cos(wt + θ) ] - V = xo ert [- γ sin (wt + θ) + ω cos (wt + θ)] - यदि अवमंदित दोलक का द्र. m है तो गतिज ऊर्जा- - EK = 1/2 mv2 - EK = 1/2 m x02e-2γt [γ2 sin2 (wt + θ) + ω2 cos2 (wt + θ) - 2 γω sin (wt + θ). cos (wt + θ)] - EK = 1/2 m x02e-2γt [γ2 sin2 (wt + θ) + ω2 cos2 (wt + θ) - γω sin (2wt + 2θ)] - (2) - औसत गतिज ऊर्जा - - <EK > = 1/2 m x02e-2γt [γ2 <sin2 (wt + θ)> + ω2 <cos2 (wt + θ)> - γω < sin (2wt + 2θ) >] - <EK > = 1/2 m x02e-2γt [γ2 / 2 + ω2 / 2 - γω / 2] - <EK > = 1/2 m x02e-2γt (γ2 + ω2) / 2 - (3) - यून अवमंदन की स्थिति मे W = √ wo2 - γ2/m² - W2 + γ2 / m² = wo2 - wo2 = (W2 + γ2 / m²) - (4) - समी (3 ) व (4) से - - <EK> = 1/4 m x02 w02 e-2γt - (5) ### स्थितिज ऊर्जा - अवमंदित सरल आवर्ती दोलक की स्थितिज ऊर्जा को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जाता है। - U = 1/2 mω² x² - न्यून अवमंदन की स्थिति में सरल आवर्ती दोलक की विस्थापन की समी. - - x = x0 e-γt/m sim (wt + θ) - (2) - समी (ⅰ) व (२) से - यहाँ x = x0 e-γt/m sim (wt + θ) - U= 1/2 mω² x02 e-2γt/m sin2 (wt + θ) - <U> = 1/2 mω² x02 e-2γt/m <sin2 (wt + θ)> - <U> = 1/2 mω² x02 e-2γt/m - (3) ### कुल ऊर्जा - अवमंदित सरल आवर्ती दोलक की कुल ऊर्जा :- - < E > = < EK > + < U > - < E > = 1/4 mω² x02 e-2γt + 1/2 mω² x02 e-2γt - < E > = 1/2 mω² x02 e-2γt - सरल आवर्ती दोलक की कुल ऊर्जा - - < E >max = 1/2 mω² x02 - < E > = < E > max e-2γt - यदि t = 1/2γ हो तो - < E > = < E >max e -1 - < E > = < E >max / e - < E > = 0.368 < E >max - t = 1/2γ वह समय अंतराल है जिसमें ऊर्जा अधिकतम ऊर्जा का 37% रह जाती है ऊर्जा विश्रांति काल कहलाता है - τ = 1/γ - τ = 2π/m ### शक्ति ह्यास :- - अवमंदित सरल आवर्ती दोलक की माध्य कुल ऊर्जा में कमी की दर शक्ति ल्हास को व्यक्त करती है। - P = - d < E > / dt - (ⅰ) - अवमंदित सूदोलक की कुल माध्य ऊर्जा- - <E> = 1/2 mω² x02 e-2γt - (2) - समी ⅰ) व (ⅱ) से - - <P>= -d [1/2 mω² x02 e-2γt] / dt - <P>= γ mω² x02 e-2γt - <P>= 2γ <E> - परंतु ऊर्जा विश्रांति काल τ = 1/γ - <P>= <E>/τ ### विशेषता गुणांक:- - अवमंदित सरल आवर्ती दोलक की ऊर्जा घास की दर के सापेक्ष स ऊर्जा संग्रहण की क्षमता विशेषता गुणांकु कों व्यक्त करती है। इसे ऐसे व्यक्त करते हैं - Q = संग्रहित ऊर्जा / अधिास की दर - Q = 2π / τ x < E > / < P > - Q = 2π / τ x < E > / 2γ < E > - Q = π / γτ - Q = ω τ - **अवमंदित सरल आवर्ती दोलक की आवृर्ती** ω= 2π/τ - Q = ω τ ### न्यून अवमंदन की स्थिति मे - - W = √ Wo²_γ²/m² - γ >> Wo - W ≈ wo - Q = ω₀ τ ### न्यून अवमंदन की स्थिति में आवृत्ति :- - W = √ Wo² - γ²/m² - W = Wo√1- γ²/m²wo² - (1) - ऊर्जा विश्रान्ति काल से τ = 1/γ - τ = 2π/mω - (2) - समी. (1) व (ii) से - - W = Wo√1-4π²τ²/m² ### विशेषता गुणांकु से ① = ω₀τ ### अवमंदन बल के अधीन गतिशील कण के वेग का समी. हाँ? (A) V = Voe-λt/m + (B) V = Voe-λt/m (C) V = Voe-λt/m (D) V = Voe-λt/m ### अवमंदन बल के अधीन गतिशील कण का वेग व समय के मध्य का गतक हो? (A) (B) (C) (D) ### अवमंदन बुल की स्थिति मे विश्रांति काल की स्पष्टु व्याख्या कि विश्रांति काल वह समय अंतराल है जिसमें - (A) विस्थापन अधिकतम विस्थापन 50% रह जाता है (B) वेग अधिकतम वेग का 50% रह जाता है। (C) वेग विस्थापन का 37% रह जाता है। (D) वेग अधिकतम वेग का 36.8% रह जाता है। ### अवमंदित दोलक की विस्थापन की समी॰ है - (A) d²x/dt² + ω₀ ² = 0 (B) d²x/dt² + ω₀² dx/dt = 0 (C) d²x/dt² + 2γ dx/dt + ω₀²x = 0 (D) None of these ### न्यून अवमंदन की स्थिति मे सरल आवर्ती दोलक के विस्थापन की समी. हो (A) x = x0 e-γt/m sim (wt + θ) (B) x = x0 e-γt/m sim (wt + θ) (C) x = x0 e-γt/m cos (wt + θ) (D) x = x0 e-γt/m cos (wt + θ) ### न्यून अवमंदन की स्थिति में इकाई प्र. का अवमंदन नियतांक (γ) व मुक्त सरल आवर्ती दोलक की कोणीय आवर्ती wo मे संबंध है। (A) γ< wo (B) γ = wo (C) γ> wo (D) None of these ### क्रांतिक अवमंदन की स्थिति में इकाई ६. का अवमंदन नियतांक (γ) व मुक्त सरल आवर्ती दोलक की कोणीय आवर्ती wo मे संबंध है। (A) γ< wo (B) γ = wo (C) γ> wo (D) NOT ### अति अवमंदन की स्थिति में (A) γ< wo (B) γ = wo (C) γ> wo (D) NOT ### न्यून अवमंदन की स्थिति में विश्रांति काल की परिभाषा है - (A) वेग अधिकतम वेग का 37% रहेगा। (B) आयाम अधिकतम आयाम का 37% रहेगा। (C) ऊर्जा अधिकतम ऊर्जाकी 37% रहेगी (D) NOT ### न्यून अवमंदन की स्थिति में अवमंदित दोलक की आवर्ती का समी किस तरह अवमंदन के पदल मे गुणांशके पदों मे व्यक्त किया जाता है? (A) ω = ω₀ √1- γ²/mω₀² (B) ω = √1- γ²/mω₀² (C) ω = ω₀ √1- γ² / mω₀² (D) ω = ω₀ √1+ γ² / mω₀² ### क्रांतिक अवमंदन की स्थिति में अतमंदित दोलक के विस्थापन का समी. (A) x = e-γt [P + γt] (B) x = e-γt [P - γt] (C) x = e-γt [P - γt] (D) x = e-γt [P + γt + γ²/2t²] ### क्रांतिक अवमंदन की स्थिति मे विस्व समय के मध्य गतफ है। (A) (B) (C) (D) ### अति अवमंदन की स्थिति में अवमंदित दोलक का विस्. का समी. हो? (A) x = x0 e-γt/m sin (γt + θ) (B) x = x0 e-γt/m sin (γt + θ) (C) x = x0 e-γt/m sinh (γt + θ) (D) x = x0 e-γt/m sinh (γt - θ) ### अति अवमंदन की स्थिति में अद्मंदित दोलक की विस्. व समय के मध्य गतफ होता है। (A) (B) (C) (D) ### न्यून अवमंदन की स्थिति में अतमंदित दोलक की औसत गतिज ऊर्जा होती है। (A) <K> = 1/2 m ω₀² x02 (B) <K> = 1/2 m ω₀² x02 e-2γt (C) <K> = 1/4 m ω₀² x02 e-2γt (D) <K> = 1/8 m ω₀² x02 e-2γt ### न्यून अवमंदन की स्थिति में स्थितिज ऊर्जा होती है (A) <U> = 1/2 m ω₀² x02 (B) <U> = 1/2 m ω₀² x02 e-2γt (C) <U> = 1/4 m ω₀² x02 e-2γt (D) <U> = 1/16 m ω₀² x02 e-2γt ### न्यून अवमंदन की स्थिति मे अतमंदित दोलक की कुल औसत ऊर्जा < E > = 1/2 m ω₀² x02 e-2γt