Bihar Board Class 12th Hindi Solutions (गद्य Chapter 2): उसने कहा था PDF

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This document provides solutions to the questions in class 12, Hindi (गद्य Chapter 2) for the Bihar board. It details the character analysis and summary of "उसने कहा था" a short story. The solutions cover questions related to the characters, plot and themes.

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Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 2 उसने कहा था प्रश्न 1. ‘उसने कहा था’ कहानी कितने भागों में बँटी हुई है? कहानी के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है? उत्तर– “उसने कहा था” कहानी पाँच भागों में विभक्त की गई है। इस पूरी कहानी में तीन. भागों में युद्ध का वर्णन है। द्वितीय, तृतीय...

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 2 उसने कहा था प्रश्न 1. ‘उसने कहा था’ कहानी कितने भागों में बँटी हुई है? कहानी के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है? उत्तर– “उसने कहा था” कहानी पाँच भागों में विभक्त की गई है। इस पूरी कहानी में तीन. भागों में युद्ध का वर्णन है। द्वितीय, तृतीय तथा चतुर्थ भाग में युद्ध के दृश्य हैं। प्रश्न 2. कहानी के पात्रों की एक सूची तैयार करें । उत्तर– कहानी में कई पात्र हैं जिनमें से कु छ प्रमुख हैं और कु छ गौण। कहानी के पात्रों के नाम निम्नलिखित हैं– लहनासिंह (नायक), सूबेदारनी, सूबेदार हजारासिंह, बोधासिंह (सूबेदार का बेटा), अतरसिंह (लड़की का मामा), महासिंह (सिपाही), वजीरासिंह (सिपाही), लपटन साहब आदि। प्रश्न 3. लहनासिंह का परिचय अपने शब्दों में दें। उत्तर– लहनासिंह एक वीर सिपाही है। वह ‘उसने कहा था’ कहानी का प्रमुख पात्र तथा नायक है। लेखक ने कहानी में उसके चरित्र को पूरी तरह उभारा है। कहानी में उसके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरकर सामने आती हैं- 1. कहानी का नायक–कहानी का समस्त घटनाक्रम लहनासिंह के आस–पास घटता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वो कहानी का प्रमुख पात्र तथा नायक है। 2. सच्चा प्रेमी–लहनासिंह एक सच्चा प्रेमी है। बचपन में उसके हृदय में एक अनजान भावना ने जन्म लिया जो प्रेम था। यद्यपि उसे अपना प्रेम न मिल सका लेकिन फिर भी उसने सच्चाई से उसे अपने हृदय में बसाए रखा। 3. बहादुर तथा निडर–लहनासिंह बहादुर तथा निडर व्यक्तित्व का स्वामी है। तभी तो वह बैठे रहने से बेहतर युद्ध को समझाता है। 4. चतुर : लहनासिंह बहादुर होने के साथ–साथ काफी चतुर भी है। इसीलिए उसे लपटन साहब के नकली होने का शक हो गया और उसने चतुराई से उसका भांडा फोड़ दिया। 5. सहानुभूति तथा दयालुपन : लहनासिंह के चरित्र में सहानुभूति तथा दया भाव भी विद्यमान है। इसीलिए वह भीषण सर्दी में भी अपने कम्बल और जर्सी बीमार बोधासिंह को दे देता है। 6. वचन पालन : सूबेदारनी ने लहनासिंह से अपने पति और बेटे के प्राणों की रक्षा करने की बात कही थी। लेकिन लहना सिंह ने उसे एक वचन की तरह निभाया और इसके लिए अपने प्राण भी न्योछावर कर दिया। प्रश्न 4. पाठ से लहना और सूबेदारनी के संवादों को एकत्र करें । उत्तर– पाठ में लहनासिंह और सूबेदारनी के बीच कु छ संवाद हैं जो निम्नलिखित हैं– बचपन का संवाद– “तेरे घर कहाँ है?” “मगरे में–और तेरे !” “माँझे में; यहाँ कहाँ रहती है?” “अतरसिंह की बैठक में, वे मेरे मामा होते हैं।” “मैं भी मामा के यहाँ हूँ, उनका घर गुरु बाजार में है।” इतने में दू कानदार………….लड़के ने मुस्कु राकर पूछा–”तेरी कु ड़माई हो गई?” इस पर लड़की कु छ आँखें चढ़ाकर ‘धत्’ कहकर दौड़ गई। …………लड़के ने फिर पूछा–”तेरी कु ड़माई हो गई?” और उत्तर में वही ‘धत्’ मिला। एक दिन जब फिर लड़के ने वैसे ही हँसी में चिढ़ाने के लिए पूछा तब लड़की, लड़के की संभावना के विरुद्ध बोली–”हाँ, हो गई।” “कब?” “कल–देखते नहीं यह रे शम से कढ़ा हुआ सालू!” सूबेदार के घर का संवाद “मुझे पहचाना?” “नहीं।” “तेरी कु ड़माई हो गई? ‘धत्’–कल हो गई–देखते नहीं रे शमी बूटोंवाला सालू–अमृतसर में–”सूबेदारनी कह रही है–”मैंने तेरे को आते ही पहचान लिया। ………तुम्हारे आगे मैं आँचल पसारती हूँ।” प्रश्न 5. “कल, देखते नहीं यह रे शम से कढ़ा हुआ सालू।” वह सुनते ही लहना की क्या प्रतिक्रिया हुई? उत्तर– “कल, देखते नहीं यह रे शम से कढ़ा हुआ सालू।” वह सुनते ही लहना को काफी गुस्सा आया। साथ ही वह अपनी सुध–बुध ही खो बैठा। इसीलिए घर वापस आते समय एक लड़के को नाली में धके ल दिया। एक खोमचे वाले के खोमचे बिखेर दिए। एक कु त्ते को पत्थर मारा और एक सब्जीवाले की रे ड़ी पर दू ध उड़ेल दिया। एक वैष्णवी (पूजा–पाठ करनेवाली) औरत से टकरा गया जिसने उसे अंधा कहा। तब जाकर वह अपने घर पहुँचा।। प्रश्न 6. “जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरनेवालों को मुरब्बे नहीं मिला करते”, वजीरासिंह के इस कथन का क्या आशय है? उत्तर– “जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरनेवालों को मुरब्बे नहीं मिला करते” वजीरासिंह के इस कथन का आशय है कि वहाँ युद्ध के मैदान में अत्यधिक ठं ड पड़ रही है जिस कारण ऐसा लगता है कि मानो उनकी जान ही निकल जाएगी। वैसे भी इस स्थिति में इतने लोगों को निमोनिया हो रहा है कि उन्हें मरने के लिए स्थान भी नहीं मिल रहा है। https://www.evidyarthi.in/ प्रश्न 7. ‘कहती है, तुम राजा हो, मेरे मुल्क को बचाने आए हो।’ वजीरा के इस कथन। में किसकी और संके त है। उत्तर– ‘कहती है, तुम राजा हो, मेरे मुल्क को बचाने आए हो।’ वजीरा के इस कथन में फ्रांस की मेम की ओर संके त हैं। प्रश्न 8. लहना सिंह के गाँव में आया तुर्की मौलवी क्या कहता था? उत्तर– लहना के गाँव में आया तुर्की मौलवी कहता था कि जर्मनी वाले बड़े पंडित हैं। वेद पढ़–पढ़कर उसमें से विमान चलाने की विद्या जान गए हैं। गौ को नहीं मारते। हिन्दुस्तान में आ जाएँ गे तो गौ हत्या बंद कर देंगे। मंडी में बनियों को बहकाता था कि डाकखाने से रुपए निकाल लो, सरकार का राज्य जाने वाला है। प्रश्न 9. ‘लहनासिंह का दायित्व बोध और उसकी बुद्धि दोनों ही स्पृहणीय है।’ इस कथन की पुष्टि करें । उत्तर– लहनासिंह एक बहुगुण सम्पनन व्यक्तित्व का स्वामी है। उसके चरित्र में विद्यमान गुण, समस्त कहानी में दिखाई पड़ते हैं। लेकिन उसका दायित्व बोध और बुद्धि दोनों ही स्पृहणीय हैं। वह बचपन में एक लड़की से मिला और उससे हृदयगत प्रेम कर बैठा। यद्यपि वह न तो अपना प्रेम प्रकट कर सका और न ही उस लड़की को पा सका। फिर भी जब कई वर्षों बाद वह उसी लड़की से सूबेदारनी के रूप में मिला तो उसकी एक प्रार्थना के बदले में अपने प्राण तक दे दिए। यह उसका दायित्व बोध ही था जिसे उसने मरकर ही पूरा किया। वहीं जब नकली लपटन साहब धोखे से कु छ सिपाहियों को दू सरी जगह भेज देता है तो लहनासिंह अपनी बुद्धि के बल पर उसकी असलियत भाप लेता है और फिर उसे सबक भी सिखाता है। प्रश्न 10. प्रसंग एवं अभिप्राय बताएँ : मृत्यु के कु छ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती है।’ जन्म–भर की घटनाएँ एक–एक करके सामने आती हैं। सारे दृश्यों के रं ग साफ होते हैं; समय की धुंध बिल्कु ल ऊपर से छट जाती है।. उत्तर– यह प्रसंग उस समय का है जब लहनासिंह घायल हो जाता है और बोधासिंह को अस्पताल ले जाया जाता है। उसी अंत:स्थिति में लहनासिंह वजीरा से पानी मांगता है और लहना अतीत की यादों में खो जाता है। इन पंक्तियों का अभिप्राय यह है कि मृत्यु के पहले व्यक्ति के मानस की स्मृति में जीवन भर की भोगी हुई घटनाएँ एक–एक कर सामने आने लगती हैं जिसमें किसान जीवन का यथार्थ, लहनासिंह का सपना, गाँव–भर की याद, सूबेदारनी का वचन इत्यादि शामिल है। मृत्यु शाश्वत सत्य है। मृत्यु हरे क व्यक्ति को वरण करती है। कहा भी गया है–’मौत से किसको रूस्तगारी हैं, आज मेरी तो कल तेरी बारी है।’ जीवन के अन्तिम क्षण में मानस पटल के साफ–धवल आईने पर स्मृतियों की रे खाएँ पूर्वानुभावों से सिक्त होकर एक बार फिर सजीव और स्पन्दित हो जाती हैं और यादाश्त की कई परतें अपने आप खुलने लगती हैं। मृत्यु एक ऐसा पड़ाव है जहाँ अतीत का मोह और आगे जाने की चाह दोनों के समाहार से द्वन्द्व की स्थिति पैदा होती है। है है है याँ यही कारण है कि जब लहनासिंह घायल होता है, मृत्यु शय्या पर पड़ा रहता है तो मोहवश पुरानी स्मृतियाँ यानि उसका इतिहास अपने आगोश में उसे पुनः बाँधती हैं और उसी अतीत के सुखद क्षणों में पुनः जी लेने के लिए उसे उत्तेजित करती हैं। हर आदमी अके ला है और अन्ततः मृत्यु को प्राप्त होता है। इस सच्चाई को बहुत समय तक झुठलाया नहीं जा सकता। यही कारण है कि मानव–मस्तिष्क के ऊपर संदर्भ में कोहरा छाया रहता है, लेकिन जब यह सच्चाई अपने यथार्थ में सच्चाई को एकबारगी प्रकट कर देने को तैयार हो जाती है और मौत बिल्कु ल स्पष्ट रूप में सामने आ जाती है तो मृत्यु के कु छ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती है। जन्म भर की घटनाएँ एक– एक करके सामने आने लगती है। सारे उद्देश्यों के रं ग साफ होते हैं समय की धुंध उस पर से बिल्कु ल छट जाती है। प्रश्न 11. मर्म स्पष्ट करें (क) अब के हाड़ में यह आम खूब फलेगा। चाचा भतीजा दोनों यहीं बैठकर आम खाना। जितना बड़ा भतीजा है उतना ही यह आम है। जिस महीने उसका जन्म हुआ था उसी महीने में इसे लगाया था। (ख) “और अब घर जाओ तो कह देना कि मुझे जो उसने कहा था वह मैने कर दिया।” उत्तर– (क) प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी का है। इन पंक्तियों में लहनासिंह का सपना था कि उसका अपने गाँव में बाग हो जिसमें खरबूजे और आम पर फू ले जिसे वह अपने भतीजे के साथ खाए। लहनासिंह स्वप्नवादी व्यक्ति है। ग्राम्य संस्कृ ति में जन्म लेने की वजह से उसका स्वप्न कल्पतरु की भाँति पुष्पित तथा पल्लवित हुआ है। किसानी संस्कृ ति जिस तरह से उन्मुक्त वातावरण का द्योतक होती है ठीक उसी तरह से वह वहाँ के जन–जीवन में जान फूं क देने के लिए मानव–मस्तिष्क के अन्दर स्वच्छन्द तथा उन्मुक्त आकाश को विस्तार देता है। आत्मीयता के बोध से लवरे ज लहनासिंह का स्वप्न एक बार फिर स्मृतियों में कौंधने लगता है जब वह जीवन की आखिरी छोर पर खड़ा है। सुखद स्वप्न का साकार न होना हृदयगत भावनाओं को जहाँ ठे स पहुँचाती है वहीं दू सरी ओर स्मृतियों की रे खाओं में दग्ध बिजली की आग भी पैदा करता है। लहनासिंह जिस वर्ष आम रोपता है उसी वर्ष उसका भतीजा जन्म लेता है। मधुस्मृतियों का महज यह संयोग ही है जो स्वप्न भविष्य में साकार होकर लहनासिंह को दोहरा आनन्द प्रदान करने वाला है।” लेकिन ऐसा जब नहीं होता है तो किसानों तथा फौजदारी के परितः चुना हुआ उसका हृदयगत भाव एक बार फिर उमड़ता है और स्मृतियों में सुखद स्वप्न को ठे स पहुंचाता है। (ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी का है, इन पंक्तियों में उस समय का वर्णन है जब लहनासिंह मरणासन्न स्थिति में है, शत्रुओं की गोलियाँ शरीर में लगी है। उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। बीते हुए दिन की स्मृतियाँ उसे झकझोर रही है। ऐसी स्थिति में वह वजीरा से कहता है कि वह (वजीरा) जब घर जाएगा तो उस (सुबेदारनी) को कह देगा कि लहना सिंह को उसने जो कहा था, उसने (लहना) वह पूरा कर दिया अर्थात् उसने सूबेदार हजारा सिंह एवं उसके पुत्र बोधासिंह के प्राणों की रक्षा अपने जीवन का बलिदान कर की है। उसने अपने वचन का पालन किया है। इस प्रकार विद्वान लेखक ने यहाँ पर लहना सिंह के उदार चरित्र का वर्णन किया है। लहना सिंह ने उच्च जीवन सिद्धान्तों के पालन का आदर्श प्रस्तुत किया है। उसका जीवन कर्तव्य परायणता, निष्ठा, उच्च नैतिक मूल्य तथा अपने वचन का पालन करने का एक अनुकरणीय उदाहरण है। https://www.evidyarthi.in/ प्रश्न 12. कहानी का शीर्षक ‘उसने कहा था’ क्या सबसे सटीक शीर्षक है? अगर हाँ तो क्यों, आप इसके लिए कोई दू सरा शीर्षक सुझाना चाहेंगे, अपना पक्ष रखें। उत्तर– “उसने कहा था” कहानी की घटनाओं में स्वाभाविक नाटकीयता है जिसकी परिणति मानस–पटल पर विषाद एवं सहानुभूति की अमिट रे खा के रूप में होती है। इसका कथानक मानवीय संवेदना को झकझोर देता है। “उसने कहा था” शीर्षक किसी घटना विशेष की ओर संके त करती है एवं जिज्ञासा का : सृजन करता है। जाने की उत्सुकता बनी रहती है। एक सटीक तथा उपयुक्त शीर्षक के लिए उसकी कहानी की विषयवस्तु का सम्यक् एवं सजीव परिचय देना है। उसकी सार्थकता पाठक में उत्सुकता की सृष्टि करने पर भी निर्भर करती है। इस कहानी में वातावरण की सृष्टि करने में लेखक को अपूर्व सफलता प्राप्त हुई है। आरम्भ से ही एक कौतूहल पाठक को अपने प्रभाव में बाँध लेता है और कहानी के उत्कर्ष बिन्दु पर पहुँचकर विराम लेता है। इसके अतिरिक्त कहानी का प्रभाव मन में गूंजता रहता है। लहना सिंह अपनी किशोरावस्था में एक अनजान लड़की के प्रति आसक्त हुआ था किन्तु वह उससे प्रणय–सूत्र में नहीं बँध सका। कालान्तर में उस लड़की का विवाह सेना में कार्यरत एक सूबेदार से हो गया। लहना सिंह भी सेना में भरती हो गया। अचानक अनेक वर्षों बाद उसे ज्ञात हुआ कि सूबेदारनी (सूबेदार की पत्नी) ही वह लड़की है जिससे उसने कभी प्रेम किया था। सूबेदारनी ने उससे निवेदन किया कि वह उसके पति तथा सेना में भर्ती एकमात्र पुत्र बोधा सिंह की रक्षा करे गा। लहना सिंह ने कहा था कि वह इस वचन को निभाएगा और अपने प्राणों का बलिदान कर उसने अपनी प्रतिज्ञा का पालन किया। अत: इस शीर्षक से अधिक उपयुक्त कोई अन्य शीर्षक नहीं हो सकता। यह सबसे सटीक शीर्षक है। अत: मेरे विचार में कोई भी अन्य शीर्षक इतना सार्थक नहीं होगा। मेरे द्वारा अन्य शीर्षक देना सर्वथा अनुपयुक्त होगा। प्रश्न 13. ‘उसने कहा था’ कहानी का के न्द्रीय भाव क्या है? वर्णन करें । उत्तर– ‘उसने कहा था’ प्रथम विश्वयुद्ध (लगभग 1915 ई.) की पृष्ठभूमि में लिखी गयी कहानी है। गुलेरीजी ने लहनासिंह और सूबेदारनी के माध्यम से मानवीय संबंधों का नया रूप में नहीं बंध सका सेना में भरती हो गया जिससे उसने कभी प्रेम कथा प्रस्तुत किया है। लहना सिंह सूबेदारनी के अपने प्रति विश्वास से अभिभूत होता है क्योंकि उस विश्वास की नींव में बचपन के संबंध है। सूबेदारनी का विश्वास ही लहना सिंह को उस महान त्याग की प्रेरणा देता है। कहानी एक और स्तर पर अपने को व्यक्त करती है। प्रथम विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर यह एक अर्थ में युद्ध–विरोधी कहानी भी है। क्योंकि लहनासिंह के बलिदान का उचित सम्मान किया जाना चाहिए था परन्तु उसका बलिदान व्यर्थ हो जाता है और लहनासिंह का करूण अंत युद्ध के विरुद्ध में खड़ा हो जाता है। लहनासिंह का कोई सपना पूरा नहीं होता। भाषा की बात। प्रश्न 1. निम्न शब्दों से विशेषण बनाएँ और उनका वाक्य प्रयोग करें । जल, धर्म, नमक, विलायत, फौज, किताब। उत्तर– जल–जलीय–मछली जलीय जीव है। धर्म–धार्मिक–महात्मा गाँधी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। नमक–नमकीन–समुद्र का पानी नमकीन होता है। विलायत–विलायती–हजारा सिंह विलायती अफसर था। फौज–फौजी–सोहन फौजी है। किताब–किताबी–यदु किताबी कीड़ा है। प्रश्न 2. दिए गए शब्दों के समानार्थी शब्द लिखें मुर्दा, लहू, घाव, झूठ, चकमा, चिट्ठी, घर, राजा, रचना। उत्तर– मुर्दा – लाश, मृतक, शव लहू – खून, रक्त घाव – जखम, नासूर झूठ – असंगत, असत्य चकमा – धूर्तता, धोखा चिट्ठी – पत्र घर – गृह, आलय राजा – नृप, आलय रचना – कृ ति प्रश्न 3. रचना के आधार पर इन वाक्यों की प्रकृ ति बताएँ (क) राम, राम यह भी कोई लड़ाई है। (ख) परसों ‘रिलीफ’ आ जाएगी और फिर सात दिन की छु ट्टी। (ग) कहती है, तुम राजा हो, मेरे मुल्क को बचाने आए हो। (घ) इस पर लड़की कु छ आँखें चढ़ाकर ‘धत्’ कहकर दौड़ गई और लड़का मुंह देखता रह गया। (ङ) हाँ देश क्या है, स्वर्ग है। (च) मैं तो बुलेल की खड्ड के किनारे मरूं गा। उत्तर– (क) सरल वाक्य (ख) संयुक्त वाक (ग) मिश्र वाक्य (घ) संयुक्त वाक्य (ङ) मिश्र वाक्य (च) मिश्र वाक्य। प्रश्न 4. उत्पत्ति की दृष्टि से इन शब्दों की प्रकृ ति बताएँ आवाज, कयामत, आँसू, दही, बिजली, क्षयी, बेईमान, सोत, बावलियों, https://www.evidyarthi.in/ खाद, सिगड़ी, बादल। उत्तर– आवाज – विदेशज कयामत – विदेशज आँसू – तद्भव दही – तद्भव बिजली – देशज क्षयी – तत्सम बेईमान – देशज सोत – तद्भव बावलियों – देशज खाद – देशज सिगड़ी – देशज बादल – देशज

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