Bapu कविता का सारांश PDF

Summary

This document analyzes Mahatma Gandhi's personality through the lens of the 'Bapu' poem. It explores the contrasting facets of his character, both gentle and firm, and places his actions within the context of historical events. The document also discusses various aspects of Gandhi's life and political career.

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## गांधी जी का व्यक्तित्व - रामधारी सिंह दिनकर ने बताया है कि गाँधी जी में कोमल और कठोर दोनों भावों का समावेश है ('बापू' कविता के माध्यम से। गाँधी जी ने अपने जीवन में सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को अपने जीवन का आधार बनाया है। उन्होंने इसके पालन में कठोरता से काम लिया है। यह तीनों भाव जितने कोमल...

## गांधी जी का व्यक्तित्व - रामधारी सिंह दिनकर ने बताया है कि गाँधी जी में कोमल और कठोर दोनों भावों का समावेश है ('बापू' कविता के माध्यम से। गाँधी जी ने अपने जीवन में सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को अपने जीवन का आधार बनाया है। उन्होंने इसके पालन में कठोरता से काम लिया है। यह तीनों भाव जितने कोमल हैं, उसके पालन के लिए उतने ही कठोर अनुशासन की जरूरत पड़ती है। जहाँ आप राय हटे, आपका कोमल भाव समाप्त हो जाता है। कोई भी मनुष्य सारे जीवन सत्य, प्रेम, अहिंसा का पालन करे, यह संभव नहीं है। उसे उस समय की तत्कालीन परिस्थिति सत्य का आचरन न करने के लिए विवश करती हैं लेकिन गाँच्ची जी ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने सत्य, प्रेम, हँसा जैसे कोमल भावों को पालन करने के लिए अपने व्यक्तित्व को कठोर बना दिया। जिस समय गाँधी सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे कोमल भावों को अपने जीवन में अपनाते हैं और दक्षिण अफ्रीका, उसी समय संपूर्ण विश्व में प्रथम युद्ध के बादल मंडरा रहे थे। जहाँ कदम-कदम पर मनुष्य हिंसक हो जाता है, वहाँ पर अहिंसा का पालन करना संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त जहाँ लोगों में एक दूसरे के प्रति प्रेम के भाव की कमी है, वहाँ लोगों से प्रेम करना असंभव सा प्रतीत होता है। जहाँ संपूर्ण विश्व अपनी स्वार्थ- सिद्‌ध के लिए झूठ का सहारा लेती है, वहाँ सत्य का पालन करना और भी कठिन हो जाता है। जटिल व्यक्तित्व इसलिए रामधारी सिंह दिनकर 'बापू' कविता के माध्यम से यह बताते हैं कि बापू का दो व्यक्तित्व है, एक सरल व्यक्तित्व और एक जटिल व्यक्तित्व । इस जटिल व्यक्तित्व को दिनकर जी ने अंगारों से संबोधित किया है। दिनकर कहते हैं - "संसार पूप्यता जिन्हें तिलक, रोली, फूलों के हारों से मैं उन्हें पूजता आया हूँ बापू! अब तक अंगारों से ।" इस पंक्ति के माध्यम से रामधारी सिंह दिनकर कहते हैं कि संसार गाँधी के कोमल व्यक्तित्व की पूजा करता है लेकिन संसार गरियकी के इस पाटल व्यक्तित्व की पूजा करताई जो अंगारों जैसा है। ### बापू कविता का सारांश लिखें। (अथवा बापू के संबंधित अन्य प्रश्न) #### भूमिका अंगारों जैसा व्यक्तित्व (रामधारी सिंह दिनकर कहते हैं ..... गाँधी के दो व्यक्तित्व - सरल व जटिल इतिहास ..... 1st parea of poem... कविता के माध्यम से कवि कहते हैं ..... संसार सरल व्यक्तित्व को पूजता है।) चेतना नयी भर जाते हैं (कवि ने बापू कविता के माध्यम से बताया कि ..... के पहले गर्म । नम्र विचारधारा थी ..... गाँधीवादी विचारधारा को जनता का सर्मथ्यन मिला ..... 1917 ..... चंपारन आंदोलन में गाँधी ने अंग्रेजों से अपनी बात मनवाई ..... लोग उनपर भरोसा करने लगे।) रौशनी छिटकती है जग में (प्रभावशाली विचारधारा .... जग को प्रकाशित ..... दुनिया मानती है।) सहते ही नहीं दिया करते ( असहयोग आंदोलन ..... सविनय अवज्ञा आंदोलन..... भारत छोड़ो आंदोलन → "करो या मरो" - M.G.) गाँधी किसी भी आंदोलन को पूरा करने से पहले ही वापस ले लेते थे। असहयोग आंदोलन को गाँधी ने हिंसा का नाम देकर कहा कि जनता तैयार नहीं है, सहते हैं। सविनय अवज्ञा आंदोलन में कई लोग जेल में जाते हैं फिर गाँधी- इरविन समझौता → सहते हैं। ← भारत छोड़ो आंदोलन करो या मरो, कहा कि भारत की जनता जाने, वापस नहीं लेते आंदोलन → जवाब देना, सहना नहीं।. आदेश पिचर का देते हैं, इतिहास उच्चर झुक जाता है (भारत की आज़ादी की सारी लड़ाई को भूल लोग गाँधीवादी विचारधारा मानते हैं। com बोलते हैं, होता है, रोकने कहते है, रुकता है।) युग-युग (हर युग में कोई न कोई विचारधारा पूरे दुनिया में रखने वाले महापुरुष आते है जैसे एम गौतम बुद्ध, गाँधी आदि ।) हम स्ववश नहीं तब तक जब तक धरती पर जीवित है यह नर (Pg 2). जिनकी सही..... • सदियों तक जातका के बाद भी उनके विचार लोगों के मन में राज करती है। eg.- बापू कविता का सारांश • दिनकर की प्रमुख नि रचनाएँ गाँधी की भारत में Polo career • गाँधी की राजनितिक (career) यात्रा • गाँधी की प्ररिचय ● बापू कविता के माध्यम से गाँच्ची के व्यक्तित्व पर चर्चा करें (दो व्यक्तित्व → सरल, कठोर) ### OBJECTIVES • बापू कविता नोआखली की घटना पर आधारित है। • वज्रपात, बलिदान व अघटन घटना, क्या समाधान गाँधी की मृत्यु के बाद लिखा गया था।, • नोआखली की घटना 1946 में ← वर्तमान बांग्लादेश | • वज्रपात का अर्थ क्या है ? गाँधी की मृत्यु को वज्रपात से संबोधित किया। • बलिदान का अर्थ ? देश के लिए, अपनी विचारधाराग के कारण जिससे वह तनिक भी विचलित नहीं होते, उसी की वजह से उन्होंने अपने प्राण न्योछावर क हैं।