Baapu Kavita Summary PDF
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St. Xavier's College
2022
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Summary
This document is a summary of the poem "Baapu" by Ramdhari Singh Dinkar. It analyzes the poem's portrayal of Mahatma Gandhi's complex personality, highlighting both his gentle and resolute qualities. Dinkar's poetic exploration explores Gandhi's role in shaping modern Indian history.
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# बापू - सारांश ## 22 March 2022, Tuesday "बाूपू" कविता राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा लिखा गया है। जिसका प्रकाशन 1947 में हुआ था। इस कविता की रचना उस समय हुई थी, जब बापू नोआखाली की यात्रा कर रहे थे। लेकिन देश के दुर्भाग्य से इस कविता का भाव - क्षेत्र नोआखाली तक ही सीमित नहीं रहा। देखेकिन...
# बापू - सारांश ## 22 March 2022, Tuesday "बाूपू" कविता राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा लिखा गया है। जिसका प्रकाशन 1947 में हुआ था। इस कविता की रचना उस समय हुई थी, जब बापू नोआखाली की यात्रा कर रहे थे। लेकिन देश के दुर्भाग्य से इस कविता का भाव - क्षेत्र नोआखाली तक ही सीमित नहीं रहा। देखेकिन कौन जानता था दिनकर ने इस पुस्तक को बापू को समर्पित करते हुए पुस्तक की भूमिका में लिखा है "यह छोटी-सी पुस्तक विराट के चरणों में वामन का दिया हुआ क्षुद्र उपहार है। साहित्य - कला से परे, इसका एकमात्र महत्व भी इतना ही है।" रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के उन गिने-चुने कवियों में से है, जिन्हें राष्ट्रकवि और जनवादी कवि दोनों का दर्जा प्राप्त है। राष्ट्रकवि के रूप में उनका रुझान राष्ट्र तथा तत्कालीन क्रांतियों में भी रहा । जिसके परिणाम स्वरूप उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक अपनी कलम चलाई। वह महात्मा गांधी जी के विचारों से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने बापू को समर्पित चार कविताएं संकलित की । यह चारों कविताएं है- 1. बापू 2. महाबलिदान 3. वज्रपात 4. अपघर घरना, क्या समाधान ## 23 March 2022, Wednesday रामधारी सिंह 'दिनकर' बापू कविता के माध्यम से यह बताया है कि गाँधी के व्यक्तित्व में कोमल और कठोर दोनों भावों का समावेश है। गांधीजी ने अपने जीवन में कठोरता से काम अपनाना पड़ता है। उसके भावों का समावेश है। गांधीजी ने अपने जीवन में सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को आधार बनाया, उन्होंने इसके पालन में कठोरता से काम लिया है। ये तीनों भाव जितने कोमल है, उसके लिए उतने ही कठोर अनुशासन को अपनाना पड़ता है। जहाँ आप सारे जीवन इसे भावों को जटिल बना देते हैं। कोई भी मनुष्य सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को जटिल बना दे, आपके कोमल भाव हो जाते है। कोई भी मनुष्य उनको संभव नहीं है, उसे उस समय की तत्कालीन परिस्थिती से विवश करती है, लेकिन गांधी ऐसा नहीं करते है। उन्होंने सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को पालन करने के लिए अपने व्यक्तित्व को जटिल बना दे, संभव नहीं है। कोई भी मनुष्य सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को जटिल बना दे, आपके कोमल भाव हो जाते है। कोई भी मनुष्य उनको संभव नहीं है, उसे उस समय की तत्कालीन परिस्थिती से विवश करती है, लेकिन गांधी ऐसा नहीं करते है। उन्होंने सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को पालन करने के लिए अपने व्यक्तित्व को जटिल बना दे, संभव नहीं है। कोई भी मनुष्य सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को पालन करने के लिए अपने व्यक्तित्व को जटिल बना देते हैं, आपके कोमल भाव हो जाते है। कोई भी मनुष्य उनको संभव नहीं है, उसे उस समय की तत्कालीन परिस्थिती से विवश करती है, लेकिन गांधी ऐसा नहीं करते है। उन्होंने सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को पालन करने के लिए अपने व्यक्तित्व को जटिल बना देते हैं, आपके कोमल भाव हो जाते है। कोई भी मनुष्य उनको संभव नहीं है, उसे उस समय की तत्कालीन परिस्थिती से विवश करती है, लेकिन गांधी ऐसा नहीं करते है। उन्होंने सत्य, प्रेम, अहिंसा जैसे भावों को पालن کرنے के लिए अपने व्यक्तित्व को जटिल बना ## 24 March 2022, Thursday बापू के माध्यम से महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व के बारे में चर्चा किए है। इनका मानना है कि बापू को बोरे में चर्चा किए है। इनका मानना है कि बापू को व्यक्तित्व देखने में जितना सरल है, उसको सम्पूर्ण जीक पालन करना कठोर काम है, इसलिए दिनकर ने इनके व्यक्तित्व को अंगारों जैसा बताया है। 'दिनकर' कहते हैं: > "संसार पूजता जिन्हें तिलक, > रोली, फूलों के टारों से, > मैं उन्हें पूजता आया हूँ > बापू ! अब तक अंगोरों से । > अंगार, विभूषण, जो आते है, > विद्युत पी कर, यह उनका > ऊँघती शिजाओं की लौ में > चेतना नई भर जाते हैं।" कवि इनके व्यक्तित्व के बारे में चर्चा करते हुए कटते है कि इनका व्यक्तित्व ऐसा है मानो बिजली के समान है, जिस प्रकार विद्युत के आ जाने से प्रकाश आ जाता है उसी प्रकार जब महात्मा गांधी भारत की धरती पर आते हैं और यहां की जन-आन्दोलन में भाग लेते हैं तो यहां की जनता में नई आशा जग जाती है और नई तरीके से भारत के आंन्दोलन में कूद पड़ते है और अमें एक नई चेतना भर जाती है। ## 25 March 2022, Friday कवि कहते है महात्मा गांधी जैसे वीरों का हार अंगार ही है। जब पहली बार वह चंपारण आन्दोलन (1917) में भाग लेते है और जन-आन्दोलन करते हैं तो वहां की जनता का महात्मा गांधी पर भरोसा बन जाता है। इसी भरोसा के कारण महात्मा गांधी चंपारण में कृषकों का हक दिलवाते हैं। इस आन्दोलन के बाद महात्मा गांधी जिधर चलते है, इतिहास उधर ही मुड़ जाता है। कवि के शब्दों में - > "अंगार हार उनका, जिनकी > सुन हाँक समय रूक जाता हे। > आदेश जिधर दे, > इतिहास उधर झुक जाता है।" कवि महात्मा गांधी के बारे में कहते हैं कि आप पुरे दुनिया को एक नई ज्योती देने आए है। आपका काम हिंसा को खत्य करना आहिंसा, प्रेम, भाईचारा, मनुष्य से दूसरे मनुष्य के लिए प्रेम भरने है। आप एक मनुष्य का दूत है। आप का काम कर रहे हैं। कवि अपने कविता में कहते भी है - > "तू सहज शांति का दूत, > मनुज के प्रेम का अधिकारी ।" ## 26 March 2022, Saturday कवि कहते है गांधी जी की क्रांति ने इतिहास सचा है, क्योंकि सभी देशों की आजादी का इतिहास खून से रंगा हुआ है, युद्ध की आग से निर्मित है, मनुष्य की बुद्धि को रचा गया है, लेकिन भारत की आजादी का इतिहास सत्य, प्रेम और अहिंसा से रचा गया है। कवि कहते है कि इस इतिहास पर कोई चलना चाहे तो चल सकता है। 'दिनकर' के शब्दों में > "चलना चाहे, संसार चले, > डगमग होते हो पाँव अगर तो > पकड़ प्रेम का तार चले।" गर्व करने का कारण 'दिनकर' अपने आप पर गर्व कर है, क्योंकि यह है कि मैं उस युग में पैदा हुआ हूँ जिस युग में बापू पैदा लिए है, उनको ऐसा लगता है कि मुझे वहीं पवन हूं कर जा रहा जो पवन बापू को हुआ होगा, यही सब बाते सोचकर 'दिनकर' Sunday 27 मन ही खुश हो रहे है। कवि के शब्दों में - > "बापू ! मैं तेरा समयुगीन; > है बात बड़ी, पर कहने दे। > लघुता को मूल तनिक > गरिया के महासिन्धु में बहने दे।"