Maharashtra State Textbook of Science and Technology class 9 PDF
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St. Peter's School
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Summary
This is a science and technology textbook for class 9 in India. The text focuses on connecting scientific concepts to everyday life, using examples and activities to illustrate various scientific phenomena. It encourages exploration and critical thinking.
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शासि निण्णय क्रमांक : अ यास- (प्.क्र.4 ) एसडी-4 नदिांक 5.4. के अिुसार सम वय सनमनत का ि ि नकया िया । नद... को हु इस सनमनत की बै क में यह िा ्यिुसतक नििा्णररत करिचे हचेतु मा यता प्दाि की ि । नव ाि आैर प् द्योनिकी...
शासि निण्णय क्रमांक : अ यास- (प्.क्र.4 ) एसडी-4 नदिांक 5.4. के अिुसार सम वय सनमनत का ि ि नकया िया । नद... को हु इस सनमनत की बै क में यह िा ्यिुसतक नििा्णररत करिचे हचेतु मा यता प्दाि की ि । नव ाि आैर प् द्योनिकी ि व कषिा महाराष् रा य िा ्यिुसतक निनम्णती व अ यासक्रम संशोिि मंड , िुणचे - आपके समाट्थिोन में PP द््वारा पा ्यपुसतक के पहिे प का.. ode द््वारा नडनजटि पा ्यपुसतक और प्तयेक पा में नदए गए.. ode द््वारा आपको पा से संबंनरत अ ययन अ यापन के निए उपयुक्त करिावय सानहतय उपि र होगा । A प्िमावृखतत : © महाराष् रा य िा ्यिुसतक निनम्णती व अ यासक्रम संशोिि मंड , िुणचे - 4 4 िुिमु्ण ण : इस पुसतक का स्वा्थनरकार महाराष्ट् रा य पा ्यपुसतक नननम्थती ्व अ यासरिम संशोरन मंड के अरीन सुरनक्षत है। इस पुसतक का कोई भी भाग महाराष्ट् रा य पा ्यपुसतक नननम्थती ्व अ यासरिम संशोरन मंड के संचािक की निसखत अनुमनत के नबना प्कानशत नहीं नकया जा सकता । ‘w»¶ g‘Ýd¶H$ : मुििृष्ठ एवं सिावट : lr‘Vr àmMr aqdÐ gmR>o ी नववचेकािंद नशवशंकर िाटीि क. आशिा अडवाणी शासत्र नविय सनमती : ड. चं शचेिर वसंतराव मु मकर, अ यक्ष अषिरांकि : ड. नदिीप सदानश्व जोग, सदसय रासी ग्ानिकस, मंुबई ड. अभय जेरे, सदसय संयोिक ड. सुिभा नननतन न्वराते, सदसय ी रािीव अ ण िाटो चे रिीमती मणानिनी देसाई, सदसय न्वशेषानरकारी, शासत्र न्वभाग रिी गजानन नश्वाजीरा्व सूय्थ्वंशी, सदसय पा ्यपुसतक मंड , पुणे रिी सुरीर याद्वरा्व कांब े, सदसय रिीमती नदपािी रनंजय भािे, सदसय ािांतरकारः ड. निनिमा मु िंुद रिी राजी्व अरुण पाटो े, सदसय-सनच्व ीमती अिुिमा एस. िाटीि समीषिक ः ीमती माया ही. िा क शासत्र नविय अ यास िट : ीमती प्नतमा नतवारी ड. प्भाकर नागनार क्षीरसागर रिी प्शांत पंडीतरा्व को से ड. शेख मोह मद ्वाकी द्ीन एच. रिी सुकमार रिेनणक न्विे नवियत ः ी संिय ारद्वाि ड. न्वषणू ्व े रिी दयाशंकर न्वषणू ्वैद्य ड. मो. शानकर बशीर शचेि ड. गायत्री गोरखनार च कडे रिीमती कांचन राजेंद्र सोरटे ीमती मंिुिा नत्रिा ी, नम ा ड. अजय नदगंबर महाजन रिीमती अंजिी िक्मीकांत खडके ािांतर संयोिक ः ड. अिका िोतदार, रिीमती श्वेता नदिीप ाकूर रिीमती मननषा राजेंद्र दही्वेिकर नवशचेिानिकारी, नहंदी रिीमती पुषपिता गा्वंडे रिीमती योती मेडनपि्वार संयोिि सहायक ः स संधया नविय उिासिी, रिी राजेश ्वामनरा्व रोमन रिी शंकर नभकन राजपूत नविय सहायक, नहंदी रिी हेमंत अ युत िाग्वणकर रिी मोह मद आनतक अ दुि शेख रिी नागेश नभमसे्वक तेिगोटे रिी मनोज रहांगडा े निनम्णनत रिीमती नद ी चंदननसंग नबशत रिीमती योती दामोदर करणे ी सख तािंद आ चे रिी न्वश्वास भा्वे मु य नननम्थनत अनरकारी ी रािें नवसिुतचे निमंनत्रत सदसय ः कािद नननम्थनत अनरकारी ड. सुषमा नदिीप जोग जी.एस.एम. नरिम्वो्व प्काशक ड. पुषपा खरे मु णादचेश ी नववचेक उततम िोसावी ड. जयदीप सा ी ननयंत्रक रिी संदीप पोपटिाि चोरनडया मु क पा ्यपुसतक नननम्थती मंड , रिी सनचन अशोक बारट े प्भादे्वी, मुंबई-. B C D प्सताविा न्वद्यार नमत्रो, आप सभी का न ्वीं कक्षा में स्वागत है । नए पा यरिम ् पर आराररत न्व ान और प् द्योनगकी की इस पा यपु ् सतक को आपके हारों में देते हए हमें न्वशेष आनंद का अनुभ्व हो रहा है । प्ारनमक सतर से अब तक आपने न्व ान का अ ययन न्वनभन्न पा ्यपुसतकों द्ारा नकया है । न ्वीं कक्षा से आप न्व ान की मूिभूत संकलपनाओं और प् द्योनगकी का अ ययन एक अिग सष्टकोण से और न्व ान की न्वन्वर शाखाओं के मा यम से कर सकेंगे । न्व ान और प् द्योनगकी की पा यपु ् सतक का मूि उद्ेशय अपने दैननक जी्वन से संबंनरत न्व ान और प् द्योनगकी समन ए और दूसरोें को सम ाइए है । न्व ान की संकलपनाओं, नस ांतों और ननयमों को सम ते समय उनका वय्वहार के सार सहसंबंर सम िें । इस पा यपु ् सतक से अ ययन करते समय रो ा याद कीनजए , बताइएँ तो इन कृनतयों का उपयोग पुनरा्वसतत के निए कीनजए । प्ेक्षण कीनजए और चचा्थ कीनजए आ करके देखें जैसी अनेक कृनतयों से आप न्व ान सीखने ्वािे हैं । इन सभी कृनतयों को आप अ्वशय कीनजए । रो ा सोनचए , खोनजए , न्वचार कीनजए जैसी कृनतयाँ आपकी न्वचार प्नरिया को प्ेरणा देगी । पा ्यपुसतक में अनेक प्योगों का समा्वेश नकया गया है । ये प्योग, उनका काया्थन्वय और उस समय आ्वशयक प्ेक्षण आप स्वयं सा्वरानीपू्वक्थ कीनजए तरा आ्वशयकतानुसार आपके नशक्षकों, माता-नपता और कक्षा के सहपान यों की सहायता िीनजए । आपके दैननक जी्वन की अनेक रटनाओं में न्वद्यमान न्व ान का रहसयो ाटन करने ्वािी न्वशेषतापूण्थ जानकारी और उस पर आराररत न्वकनसत हई प् द्योनगकी इस पा यपु ् सतक की कृनतयों के मा यम से सपष्ट की गई हैं । ्वत्थमान तकनीकी के गनतशीि युग में संगणक, समाट्थिोन आनद से तो आप पररनचनत ही हैं । पा यपु ् सतक से अ ययन करते समय सूचना ए्वं संचार प् द्योनगकी के सारनों का सुयोगय उपयोग कीनजए, नजसके कारण आपका अ ययन सरितापू्व्थक होगा । कृनत और प्योग करते समय न्वनभन्न उपकरणों, रासायननक सामनग्यों के संदभ्थ में सा्वरानी बरतें और दूसरों को भी सतक्क रहने को कहें । ्वनसपनत, प्ाणी से संबंनरत कृनतयाँ, अ्विोकन करते समय पया्थ्वरण सं्वर्थन का भी प्यतन करना अपेनक्षत है, उनहें हानन नहीं पहँचने का यान रखना आ्वशयक ही है । इस पा ्यपुसतक को पढ़ते समय, अ ययन करते समय और सम ते समय उसका पसंद आया हआ भाग और उसी प्कार अ ययन करते समय आने ्वािी परेशाननयाँ, नननम्थत होने ्वािे प्शन हमें जरूर बताएँ । आपको आपकी शैक्षनणक प्गनत के निए हानद्थक शुभकामनाएँ । (ड. सुनिि बा. मिर) पुणे संचािक नदनांक : 8 अप्ैि , अक्षय ततीया महाराष्ट् रा य पा ्यपुसतक नननम्थती ्व भारतीय स र नदनांक : 8 ्वैशाख अ यासरिम संशोरन मंड , पुणे E नशषिकों के निए तीसरी से पाँच्वीं कक्षा तक पररसर अ ययन के मा यम से दैननक जी्वन के सरि न्व ान को आपने न्वद्यानर्थयों को बताया है तरा ी से आ ्वीं की पा ्यपुसतकों द्ारा न्व ान से पररनचत कर्वाया है । न्व ान नशक्षण का ्वासतन्वक उद्ेशय यह है नक दैननक जी्वन में रनटत होने ्वािी रटनाओं के बारे में तक्कपूण्थ और न्व्वेकपूण्थ न्वचार नकया जा सके । न ्वीं कक्षा के न्वद्यानर्थयों की आयु को यान में रखते हए आसपास रनटत होने ्वािी रटनाओं के बारे में उनकी नज ासा, उन रटनाओं के पी े पे काय्थकारणभा्व खोजने की शोर ्वसतत और स्वयं नेतत्व करने की भा्वना इन सबका अ ययन के निए समुनचत उपयोग करने के अ्वसर न्वद्यानर्थयों को देना आ्वशयक है । न्व ान सीखने की प्नरिया में अ्विोकन, तक्क, अनुमान, तुिना करने और प्ा जानकारी का अनुप्योग करने के निए प्योग क शलय आ्वशयक है इसनिए प्योगशािा में नकए जाने ्वािे प्योग कर्वाते समय इन क शलयों को न्वकनसत करने का प्यतन अ्वशय करना चानहए । न्वद्यानर्थयों द्ारा आने ्वािे सभी अ्विोकनों के पा यां ् कों को स्वीकार करके अपेनक्षत ननषकष्थ तक पहँचने के निए उनहें सहायता करना चानहए । न्वद्यानर्थयों के न्व ान संबंरी उ नशक्षण की नीं्व मा यनमक सतर के दो ्वष्थ होते हैं, इस कारण हमारा दानयत्व है नक उनकी न्व ान न्वषय के प्नत अनभरुनच सम और संपन्न हो । न्वषय, ्वसतु और क शलय के सार ्वै ाननक सष्टकोण और सज्थनातमकता न्वकनसत करने के निए आप सभी हमेशा की तरह ही अग्णी होंगे । न्वद्यानर्थयों को अ ययन में सहायता करते समय िो ा याद कीनिए जैसी कृनत का उपयोग करके पा के पू्व्थ ान का पुन:परीक्षण नकया जाना चानहए तरा न्वद्यानर्थयों को अनुभ्व से प्ा ान और उसकी अनतररक्त जानकारी एकनत्रत करके पा की प्सता्वना करने के निए पा यां ् श के प्ारंभ में बताइए तो जैसे भाग का उपयोग करना चानहए । यह सब करते समय आपको यान में आने ्वािे प्शनों, कृनतयों का भी अ्वशय उपयोग कीनजए । न्वषय ्वसतु के बारे में सपष्टीकरण देते समय आ करके दचेिें (यह अनुभ्व आपके द््वारा देना है) तरा करें और दचेिें इन दो कृनतयों का उपयोग पा ्यपुसतक में प्मुख रूप से नकया गया है । पा ्यांश और पू्व्थ ान के एकनत्रत अनुप्योग के निए िो ा सोनचए , इसचे सदैव धयाि में रखिए के मा यम से न्वद्यानर्थयों के निए क महत््वपूण्थ सूचनाएँ या आदश्थ मूलय नदए गए हैं । िोनिए, िािकारी प्ाप्त कीनिए, क्या आि िाितचे ह? िररचय वै ानिकों का, संसिािों के काय्ण जैसे शीष्थक पा ्यपुसतक से बाहर की जानकारी की कलपना करने के निए, अनतररक्त जानकारी प्ा करने के निए स्वतंत्र रूप से संदभ्थ खोजने की आदत िगने के निए हैं । यह पा यपु् सतक के्वि कक्षा में पढ़कर और सम ाकर नसखाने के निए नहीं हैं, अनपतु इसके अनुसार कृनत करके न्वद्यानर्थयों द्ारा ान कसे प्ा नकया जाए, इसका माग्थदश्थन करने के निए है । पा ्यपुसतक का उद्ेशय सिि करने के निए कक्षा में अन पचाररक ्वाता्वरण होना चानहए । अनरक से अनरक न्वद्यानर्थयों को चचा्थ, प्योग और कृनत में भाग िेने के निए प्ोतसानहत कीनजए । न्वद्यानर्थयों द्ारा नकए गए उपरिमों, प्कलपों आनद के न्वषय में कक्षा में प्नत्वेदन प्सतुत करना, प्दश्थनी िगाना, न्व ान नद्वस के सार न्वनभन्न महत््वपूण्थ नदन मनाना जैसे काय्थरिमों का आयोजन अ्वशय कीनजए । पा ्यपुसतक में न्व ान और प् द्योनगकी की न्वषय्वसतु के सार सूचना ए्वं संचार प् द्योनगकी को समानहत नकया गया है । न्वनभन्न संकलपनाओं का अ ययन करते समय उनका उपयोग करना आ्वशयक होने के कारण उसे अपने माग्थदश्थन के अंतग्थत कर्वा िीनजए । मुि िृष्ठ एवं मििृष्ठ : पा ्यपुसतक की न्वनभन्न कृनतयाँ, प्योग और संकलपना नचत्र DISCLAIMER Note : All attempts have been made to contact copy righters (©) but we have not heard from them. We will be pleased to acknowledge the copy right holder (s) in our next edition if we learn from them. F षिमता नविाि ः ि व कषिा सिीव िित िा्ण 1. प्ानणयों और ्वनसपनतयों की न्वनभन्न जी्वनप्नरियाओं में 1. काय्थ और जा्थ का परसपर संबंर सपष्ट करके अंतर सपष्ट करना। दैननक जी्वन के काय्थ का प्कार पहचानना।. सजी्व जगत के रासायननक ननयंत्रण की जानकारी का. दैननक जी्वन के काय्थ, जा्थ और शसक्त पर उपयोग करके उससे दैननक जी्वन की रटनाओं को सपष्ट आराररत उदाहरणों के कारणों को सपष्ट करना और करना । गनणतीय उदाहरण हि करना। 3. तकों के न्वनभन्न प्कारों के म य अंतर अचूक संरचना 3. ्वनन से संबंनरत न्वनभन्न संकलपनाओं का दैननक के आरार पर सपष्ट करना। जी्वन में महत््व सपष्ट करके न्वनभन्न प्शनों को हि करना। 4. प्नतजैन्वकों की नननम्थनत में सूक्मजी्वों का महत््व/उपयोग 4. सोनार ( ) की आकृनत बना सकना सपष्ट करना। और उसका सपष्टीकरण कर सकना।. सजी्वों की न्वन्वर जी्वन प्नकयाओं और सूक्मजी्वों के. मान्वीय कान का ्वनन के संदभ्थ में काय्थ आकृनत बीच काय्थकारण संबंर सपष्ट करना। द्ारा सपष्ट करना।. हाननकारक सूक्मजी्वों के कारण उतपन्न होने ्वािे रोग और. दप्थण के न्वनभन्न प्कारों को पहचान सकना और उनको दूर करने के उपाय सपष्ट करके स्वयं के और समाज दप्थणों द्ारा प्ा होने ्वािे प्नतनबंबों का ्वै ाननक के स्वास य का यान रखना। सपष्टीकरण देकर उनकी रेखाकृनत खींचना।. ्वनसपनतयों का ्वै ाननक ्वग करण कर सकना।. प्योगों द्ारा गुनणत प्नतनबंबों की सं या ात. मान्वी उतसज्थन संसरान और तंनत्रका तंत्र की आकृनत करना। अचूक बनाकर उनका हमारे जी्वन के निए महत््व सपष्ट. दैननक जी्वन में उपयोग में िाए जाने ्वािे न्वनभन्न करना। दप्थणों के पी े न पे ्वै ाननक कारणों को खोजना। 9. मान्वीय शरीर की अंत:स्ा्वी ग्ंनरयों के संप्ेरकों का शरीर िदाि्ण के न्वकास के निए महत््व और स्वम ता, अनतउततेजकता, 1. न्वश्व के पदार की रचना में नननहत न्व ान बताकर अनतभा्वुकता जैसी समसयाओं के ्वै ाननक कारणों को पदार्थ के स्वरूप, रचना और आकार को सपष्ट सपष्ट कर सकना। करना ।. रासायननक संयोग, द्रवयमान की अन्वनानशता, ससरर आहार और िोिण अनुपात के ननयमों की जाँच करके ननषकष्थ प्ा 1. तक सं्वर्थन और उसका कृनष और कृनषपूरक वय्वसायों करना । में होने ्वािा उपयोग सपष्ट करके उसके संदभ्थ की प्नरिया 3. अणु द्रवयमान और मोि संकलपना बता सकना और की जानकारी दे सकना । य नगकों के अणुसूत्र पहचानना, निखना और उसके बारे में सपष्टीकरण दे सकना ।. सामानजक न्वकास के निए न्वन्वर कृनषपूरक वय्वसायों का 4. दैननक उपयोगी पदार का सूचकों की सहायता से महत््व सम ाना । ्वग करण करके उनके उपयोग प्योग के आरार पर 3. आहार ंखिा, जा्थ नपरानमड के बीच के सहसंबंर का सपष्ट करना । न्वशिेषण कर सकना ।. अ िों, क्षारकों, रातुओं और अरातुओं पर होने 4. प्ाकृनतक चरि के परर्वत्थनों के कारणों को खोजना । ्वािे प्भा्व का प्योग के आरार पर परीक्षण कर. वयसक्तगत और सामानजक स्वास य को संकट में िाने ्वािे सकना। रटकों की जानकारी का न्वशिेषण करके दूर करने के उपाय. सूचक, अ ि ्व क्षारक के संबरं की सहायता समाज बताना । के अंरन्वश्वास, रूनढ़यों का ननमू्थिन कर सकना।. न्वनभन्न रोगों के पररणामों को जानकर स्वयं की जी्वनशैिी. प्ाकृनतक सूचकों को नननम्थत करना । बदिना ।. दैननक उपयोगी रासायननक पदार की पररणामकारकता सपष्ट करना । G प्ाकनतक संिदा और आिदा प्बंिि िनत, बि और यंत्र 1. आरुननक न्व ान और प् द्योनगकी का म सम 1. गनत संबंरी समीकरणों को प्नतसरानपत करना और उसके न्वभाग के काय पर होने ्वािा पररणाम सपष्ट आरार पर गनणतीय उदाहरण हि करना। करना।. न्वसरापन और ्वेग, दूरी, समय और ्वेग के आरार पर आिेख. रर और पररसर के कचरे का ्वग करण कर सकना। द्ारा सूत्रों की नननम्थनत कर सकना। 3. कचरे से उ्व्थरक नननम्थनत और कचरे का पुन्थप्योग 3. दैननक जी्वन की न्वनभन्न रटनाओं में नननहत गनत और गनत करना। संबंरी ननयमों के काय्थकारण संबंर का परीक्षण करना। 4. पररसर स्व ता के निए काय्थ करके अनय िोगों को उसके निए प््वतत करना। नवशव. आपदा प्बंरन तंत्र कसे काया्थसन्वत नकया जाता है, 1. दूरबीनों की सहायता से अंतररक्ष का अ्विोकन करना। उसके बारे में जानकारी संकनित करके उसका. आरुननक प् द्योनगकी और अंतररक्ष न्व ान का मान्वीय प्सतुतीकरण करके दैननक जी्वन में आने ्वािी न्वकास के निए योगदान सपष्ट करना। आपदाओं का सामना कर सकना। 3. दूरबीनों के न्वन्वर प्कार सपष्ट करना। सूचिा एवं संचार प् द्योनिकी 1. संगणक प् द्योनगकी के कारण समाज, न्वतत, न्व ान, उद्योग जैसे क्षेत्रों में हए आमूिाग् परर्वत्थनों को उदाहरणसनहत बताना।. संगणक द्ारा न्वनभन्न समसयाओं के ननराकरण के निए जानकारी प्ा करना। 3. न्व ान की संकलपनाएँ सपष्ट करने के निए संगणक का उपयोग करना। 4. संगणक की काय्थप्णािी में नननम्थत होने ्वािी समसयाएँ पता करके उनहें हि करना।. संगणक द्ारा प्ा की गई जानकारी पर प्नरियाएँ करना। अिुक्रमनणका A.H«$. िा का िाम n¥îR> H«$. 1. िनत के नियम........................................................................................ 1 2. काय्ण और िा्ण.....................................................................................1 3. िारा नवद्युत........................................................................................3 4. य का मािि......................................................................................46 5. अमि, षिारक तिा िवण...........................................................................5 6. विसिनतयों का वि करण...........................................................................75 7. िररतंत्र के िा्ण प्वाह.............................................................................. 1. उियु और उि वी सू मिीव...................................................................... िया्णवरण यवसिािि.............................................................................. 6 1. सूचिा एवं संचार प् द्योनिकी : प्िनत की ि नदशा.............................................. 1 11. प्काश का िरावत्णि............................................................................... 115 12. धवनि का अधययि................................................................................ 12 13. काब्णि : एक मह विूण्ण तततव.................................................................... 13 14. हमारचे उियोिी िदाि्ण.............................................................................. 15 15. सिीवों की िीवि प्नक्रयाएँ....................................................................... 163 16. आिुवंनशकता और िररवत्णि...................................................................... 17 17. िैव प् द्योनिकी की िहचाि..................................................................... 1 4 1. अंतररषि अविोकि : दूरबीिें (दूरदश )........................................................... 2 H 1. िनत के नियम Ø िनत Ø नवसिािि और दूरी Ø तवरण Ø यूटि के िनत संबंिी नियम और समीकरण निंड की िनत ( otion o an ect) नीचे नदए गए क न-क न-से उदाहरणों में आपको गनत की अनुभूनत होती है? गनत के होने या ना बताइए तो होने का सपष्टीकरण आप कसे करेंगे? 1. पक्षी का उ ना।. रुकी हई रेिगा ी। 3. ह्वा में उ ने ्वािे रास-पात। 4. पहा पर ससरत-ससरर पतरर। दैननक जी्वन में हम न्वनभन्न नपंडों की गनत देखते हैं। कई बार हम नपंडों की गनत प्तयक्ष रूप से नहीं देख सकते, जैसे नक बहने ्वािी ह्वा। उपयु्थक्त उदाहरणों की भाँनत हम अनेक उदाहरण बता सकते हैं। ्वे क न-से हैं? नवचार कीनिए 1. आप बस में सिर कर रहे हैं। कया आपके प ोस में बै ा हआ वयसक्त गनतशीि है?. नकसी नपंड के गनतशीि होने या न होने को ननसशचत करने के निए आपको क न-क न-सी बातों का न्वचार करना प ेगा? आपने नप िी कक्षा में पढ़ा है नक गनत एक सापेक्ष संकलपना है। यनद कोई नपंड अपने चारों र के नपंडों के संदभ्थ में अपना सरान परर्वनत्थत कर रहा हो तो, हम कह सकते हैं नक ्वह नपंड गनतशीि है और यनद ्वह अपने चारों र के नपंडों के संदभ्थ में अपना सरान परर्वनत्थत न करे तो हम कह सकते हैं नक ्वह ससरर है। नवसिािि और दूरी A ( isplacement and istance) B आ करके दचेिें (अ) नवद्यािय 1. आकृनत 1.1 (अ) में नदखाए अनुसार रागे की र 1200 मीट सहायता से तरा के बीच की दूरी अिग-अिग मीटर 13 प्कार से नानपए। माि्ण. अब पुन: से तक की दूरी सीरी खंनडत रेखा द्ारा दशा्थए गए पर से नापें । आपके मतानुसार नकस 5 मीटर पर से नापी गई दूरी योगय है ? कयों? शीति और प्शांत का र माि्ण (आ) संिीता का र िो ा सोनचए 1.1 नवद्यािय और र की खसिनत 1. शीति न्वद्यािय जाते समय अपनी सहेिी संगीता के रर जाकर निर न्वद्यािय गई। आकृनत 1.1 (आ) देसखए ।. िेनकन प्शांत सीरे न्वद्यािय गया। यनद दोनों एकसमान चाि से चिे हों तो क न कम समय में न्वद्यािय पहँचेगा? कयों? कया उपयु्थक्त उदाहरण में प्तयक्ष तय की गई दूरी और यरार्थ दूरी में अंतर होगा? कयाें? 1 दूरी का अर्थ दो नबंदुओं के बीच गनतशीि रहने पर नपंड द्ारा प्तयक्ष रूप से तय नकया गया पर है। न्वसरापन का अर्थ गनतशीिता के प्ारंभ और अंनतम नबंदु के बीच की सबसे कम दूरी है। 1. आकृनत 1. (अ) में दशा्थए अनुसार स्वरािी हर नदन प्ात: 1 मीटर िो ा सोनचए नत्र या्वािे ्वतताकार मैदान के नकनारे पर च र िगाती है। नबंदु से चिने की शुरुआत करके एक च र पूण्थ करने पर उसके द्ारा तय की (अ) गई दूरी और उसका न्वसरापन नकतना होगा?.. आकृनत 1. (आ) में नदखाए अनुसार यनद एक गा ी नबंदु P से ननकिकर सरान तक गई और पुन: सरान P पर ्वापस आई तो उसके द्ारा तय की गई दूरी और उसका न्वसरापन नकतना होगा? (आ) ® ® 1.2 दूरी और नवसिािि P 3 मीटर नकसी नपंड का न्वसरापन शूनय होने पर भी नपंड द्ारा प्तयक्ष रूप से तय की गई दूरी शूनय नहीं हो सकती। चाि और वचेि ( peed and elocit ) 1. सनदश ( ectors) और अनदश ( calars) रानश का कया अर्थ है? िो ा याद कीनिए. दूरी ( istance), चाि ( peed), ्वेग ( elocity), समय ( ime), न्वसरापन ( isplacement) में से सनदश और अनदश रानशयाँ क न-सी हैं? तय की गई कि दूरी चाि िगा हआ कि समय इसचे सदैव धयाि में रखिए नकसी नपंड द्ारा इकाई समय में एक ही नदशा में तय 1. चाि और ्वेग की इकाइयाँ समान होती हैं। की गई दूरी को ्वेग ( elocity) कहते हैं। यहाँ इकाई उनकी प्णािी में इकाई m/s और समय का अर्थ एक सेकंड, एक नमननट, एक रंटा इतयानद प्णािी में इकाई cm/s है । हो सकता है। ब ी इकाई द्ारा समय नापने पर एक ्वष्थ भी. चाि दूरी से संबंनरत है तो ्वेग न्वसरापन से इकाई समय हो सकता है। इकाई समय में होने ्वािे संबंनरत है। न्वसरापन को ्वेग कहते हैं। 3. यनद गनत सरि रेखा में है तो चाि और ्वेग का मान समान होता है अनयरा ्वे अिग-अिग हो न्वसरापन सकते हैं। ्वेग समय इकाई समय में होने ्वािे न्वसरापन को ्वेग कहते हैं। 2 नप िे उदाहरण (प रि.1) में शीति और संगीता के ररों के बीच की दूरी सरि रेखा में मीटर है। संगीता के रर और न्वद्यािय की दूरी सरि रेखा में 1 मीटर है और शीति के रर और न्वद्यािय की दूरी सरि रेखा में 13 मीटर है। यनद शीति को संगीता के रर जाने के निए नमननट िगे और ्वहाँ से न्वद्यािय जाने के निए 4 नमनट िगे तो, दूरी मीटर शीति की पर पर चाि 1 मीटर/नमननट समय नमननट दूरी 1 मीटर शीति की पर पर चाि मीटर/नमननट समय 4 नमननट कि दूरी 1 मीटर शीति की औसत चाि. मीटर/नमननट कि समय 9 नमननट प्तयक्ष न्वसरापन 13 मीटर शीति का औसत ्वेग = समय 9 नमननट शीति का ्वेग 44. 3 मीटर/नमननट चाि और नदशा का वचेि िर होिचे वािा प् ाव सनचन मोटर साइनकि से सिर कर रहा है। सिर करते समय नन ननिसखत प्संगों में कया रनटत हआ बताइए। (आकृनत 1.3 देसखए) 1. सनचन द्ारा मोटर साइनकि से सिर करते समय, गनत की नदशा बदिते हए मोटर साइनकि की चाि बढ़ाने या कम करने से ्वेग पर कया प्भा्व होगा?. कया सनचन के सिर करते समय नकसी मो के आने पर चाि और ्वेग समान होंगे? सनचन द्ारा मोटर साइनकि की चाि ससरर रखकर नदशा बदिने से ्वेग पर कया प्भा्व होगा? 3. रुमा्वदार रासते पर मोटर साइनकि चिाते समय सनचन द्ारा मोटर साइनकि की चाि और नदशा दोनों परर्वनत्थत करने से ्वेग पर कया प्भा्व होगा? उपयु्थक्त प्संगों से यह सपष्ट होता है नक ्वेग, चाि और नदशा दोनों पर ननभ्थर करता है और ्वेग आगे नदए अनुसार बदिता है। 1. चाि परर्वनत्थत करके और नदशा ्वही रखकर।. नदशा परर्वनत्थत करके और चाि ्वही रखकर। 3. चाि और गनत की नदशा दोनों परर्वनत्थत करके। 1.3 वचेि िर होिचे वािा प् ाव इसचे सदैव धयाि में रखिए चाि का मापन दूरी/समय के अनुसार स्व्थप्रम गैिेनियो ने नकया। ह्वा में ्वनन का ्वेग 343. m/s और प्काश का ्वेग 3 x 1 m/s है। प ्वी की सूय्थ के पररत: पररभ्मण करने की चाि 9 m/s है । 3 एकरचेिीय एकसमाि और असमाि िनत ( ni orm and on ni orm otion along a straight line) अमर, अकबर और एंरनी उनकी स्वयं की गा ी से अिग-अिग ्वेग से सिर कर रहे हैं। उनकी अिग-अिग समय में तय की गई दूरी नीचे तानिका में दी गई है। ी के समय अमर द्वारा तय की ि दूरी अकबर द्वारा तय की ि दूरी एंििी द्वारा तय की ि दूरी अिुसार नकमी में नकमी में नकमी में..3 1 14. 4 3.3 4 4..3 1 95. 1 1 4 िो ा सोनचए 1. अमर, अकबर और एंरनी द्ारा सिर करते समय नोट की गई दूररयों के निए समय नकतना है? यनद नपंड समान समय में. ननसशचत समय में समान दूरी नकसने तय की है? असमान दूरी तय करता है तो 3. कया अकबर द्ारा ननसशचत समय में तय की गई दूरी समान है? उसकी गनत को असमान गनत 4. अमर, अकबर और एंरनी द्ारा ननसशचत समय में तय की गई दूरी का न्वचार कहते हैं, जैसे - भी ्वािे रासते करते हए उनकी चाि नकस प्कार की हैं? पर ्वाहनों की गनत या साइनकि यनद नपंड द्ारा समान समय में समान दूरी तय की जाती है तो उसकी गनत को चिाने की गनत । एकसमाि िनत कहते हैं। तवरण ( cceleration) आ करचेके दचेिें 1. 1 मीटर िंबाई ्वािी एक पनारी (निी) िो।. आकृनत 1.4 के अनुसार पनारी का एक नसरा जमीन पर नटकाकर उसका दूसरा नसरा जमीन से क चाई पर हार से पक ें। 3. एक ोटी गेंद िेकर उसे पनारी के चे भाग की र से ो दें। ििारी 4. गेंद के नीचे आते समय उसके ्वेग का अ्विोकन करें ।. कया गेंद के पर से नीचे आते समय, उसका ्वेग सभी सरानों िेंद पर समान रा?. प्ारंभ में, बीच में और जमीन के पास आते समय ्वेग कसे बदिता है, उसका अ्विोकन करें। 1.4 वचेि में िररवत्णि 4 बचपन में आप सभी निसिप ी पर खेिे होंगे। निसिप ी से निसिते समय प्ारंभ में ्वेग कम होता है, बीच में ्वह बढ़ता है और अंत में ्वह कम होकर इसचे सदैव धयाि में रखिए शूनय हो जाता है, यह हमें पता है। इस ्वेग परर्वत्थन की दर को ही हम त्वरण कहते हैं। 1. जब गनत की शुरुआत होते समय नपंड न्वराम अ्वसरा में ्वेग में परर्वत्थन त्वरण होता है तब नपंड का प्ारंनभक समय ्वेग नकतना होता है? यनद प्ारंनभक ्वेग u समय t के पशचात बदिकर अंनतम ्वेग v हो जाता है. जब गनत के अंत में नपंड तो... न्वरामा्वसरा में आता है तब (v-u) उसका अंनतम ्वेग नकतना अंनतम ्वेग - प्ारंनभक ्वेग त्वरण a a होगा? समय t यनद कोई गनतशीि नपंड ननसशचत समय में ्वेग बदिता है तो उस नपंड की गनत को त्वररत गनत कहते हैं। गनतशीि नपंड में दो प्कार के त्वरण हो सकते हैं। 1. यनद समान समय में ्वेग में समान परर्वत्थन होता है तो एकसमान त्वरण होता है ।. यनद समान समय में ्वेग में असमान परर्वत्थन होता है तो असमान त्वरण होता है । ििातमक, णातमक और शू य तवरण रनातमक, णातमक और शूनय त्वरण नकसी नपंड का त्वरण रनातमक या णातमक हो सकता है। जब नकसी नपंड का ्वेग बढ़ता है तब त्वरण रनातमक होता है। यहाँ त्वरण ्वेग की नदशा में होता है। जब नकसी ्वसतु का ्वेग कम होता है तब त्वरण णातमक होता है। णातमक त्वरण को अवतवरण या मंदि ( eceleration) कहते हैं। यह ्वेग की न्वपरीत नदशा में होता है। ्वेग ससरर रहने पर त्वरण शूनय होता है। एकसमाि िनत के निए दूरी - समय आिचेि नीचे दी गई तानिका में एक गा ी द्ारा ननसशचत समय में तय की गई दूरी दी गई हैं। तानिका के अनुसार समय X अक्ष पर तरा दूरी Y अक्ष पर िेकर आकृनत 1. में आिेख बनाइए । कया दूरी और समय के बीच समानुपात का संबंर Y आिेख द्ारा सपष्ट होता है? िैमािा : अषि 1 सचेमी 1 सचेकड 14 अषि 1 सचेमी 2 मीटर समय दूरी (सेकंड) (मीटर) 1 1 दूरी 1 15 (मीटर) 3 3 4 4 4 75 9 X 1 1 3 4 1.5 दूरी - समय आिचेि समय (सचेकड) 5 एकसमान गनत में नपंड समान समयान्वनर में िो ा सोनचए समान दूरी तय करता है । यह दूरी-समय आिेख की सरि रेखा दशा्थती है । दूरी समय आिेख की सरि रेखा का ाि (slope) ननकािने पर ्वह कया दशा्थता है? असमाि िनत के निए दूरी - समय आिचेि दी गई साररणी में बस द्ारा ननसशचत समय में तय की गई दूररयाँ दी गई हैं। समय को X - अक्ष पर तरा दूरी को Y- अक्ष पर िेकर आकृनत 1. में आिेख बनाइए। कया दूरी और समय के बीच समानुपात का संबंर आिेख की सहायता से सपष्ट होता है? समय दूरी (सेकंड) (मीटर) 5 7 1 12 15 3 25 41 3 3 1.6 दूरी - समय आिचेि यहाँ समयानुसार दूरी में असमान परर्वत्थन होता है। अत: यहाँ गनत असमान है । एकसमान गनत और असमान गनत के दूरी-समय आिेखों में आपको कया अंतर िो ा सोनचए नदखाई नदया? Y एकसमाि िनत के निए वचेि समय आिचेि िैमािा : अषि 1 सचेमी 1 टं ा एक रेिगा ी नकमी प्नत रंटे अषि 1 सचेमी 1 नकमी टं ा के एकसमान ्वेग से सतत रूप से गनतशीि है। इस एकसमान गनत के निए ्वेग और समय का परर्वत्थन ्वेग-समय आिेख (आकृनत 1. ) में दशा्थया गया है । वचेि 4 1. रेिगा ी द्ारा से 4 रंटों के बीच नकमी ंटा 3 तय की गई दूरी कसे ात की जा सकती है? 1. कया से 4 रंटों के बीच रेिगा ी t1 t2 द्ारा तय की गई दूरी और आकृनत X के एक चतुभु्थज के क्षेत्रिि 1 3 4 का संबंर है कया? यहाँ गा ी का समय ( ंटा) त्वरण नकतना है? 1.7 वचेि - समय आिचेि 6 एकसमाि तवररत िनत के निए वचेि समय आिचेि ननसशचत समया्वनरनुसार कार के ्वेग में होने ्वािे परर्वत्थन साररणी में नदए गए हैं । Y समय ्वेग िैमािा : अषि 1 सचेमी 5 सचेकड (सेकंड) (मी/से) अषि 1 सचेमी मी सचेकड 4 5 4 1 1 वचेि 15 4 3 मी सचे 3 4 25 4 1 E 3 4 3 X 1 1 3 3 4 समय (सचेकड) 1. वचेि - समय आिचेि आकृनत 1. का आिेख दशा्थता है नक, 1. ननसशचत समया्वनर में ्वेग में समान परर्वत्थन होता है। यह ्वेग त्वररत है और त्वररत एकसमान है। प्तयेक नमननट में ्वेग में नकतना परर्वत्थन होता है?. सभी एकसमान त्वररत गनत के निए ्वेग-समय आिेख सरि रेखा होता है। 3. असमान त्वररत गनत के निए ्वेग-समय आिेख समयानुसार त्वरण में होने ्वािे परर्वत्थन के अनुसार नकसी भी आकार का हो सकता है। आकृनत 1. के आिेख की सहायता से कार द्ारा 1 सेकंड से सेकंड की समया्वनर के बीच तय की गई दूरी हम रेिगा ी के नप िे उदाहरण की तरह ात कर सकते हैं, िेनकन यहाँ कार का ्वेग ससरर न रहकर एकसमान त्वरण के कारण सतत रूप से परर्वनत्थत हो रहा है। से समय हम दी गई समया्वनर के बीच कार के औसत ्वेग का उपयोग करके कार द्ारा तय की गई दूरी ात कर सकते हैं। आिेख द्ारा नदखाई देता है नक कार का औसत ्वेग 3 +1 = 4 मीटर/सेकंड है । इसे दी गई समया्वनर अरा्थत 1 सेकंड से गुणा करने पर कार द्ारा तय की गई दूरी प्ा होती है। दूरी 4 मीटर/सेकंड 1 सेकंड 4 मीटर नप िे उदाहरण की तरह कार द्ारा तय की गई दूरी चतुभु्थज के क्षेत्रिि के बराबर होगी, इसकी प ताि करके देसखए। A( ABCD ) = A ( AECD ) + A ( ABE ) आिचेि ि नत ारा िनत संबंिी समीकरण (E ations o otion sing graphical method) नयूटन ने नंपंड की गनत का अ ययन नकया और बाद में गनत संबंरी तीन समीकरण का समु य प्नतपानदत नकया। एक रेखा में गनतशीि नपंड के न्वसरापन, ्वेग, त्वरण और समय में संबंर इन समीकरणों द्ारा सरानपत नकया गया है। 7 एक नपंड प्ारंभ में u ्वेग से सरि रेखा में गनतशीि है। t समय के अंतग्थत त्वरण के कारण ्वह अंनतम ्वेग v प्ा करता है और उसका न्वसरापन s है तो तीन समीकरणों का समु य इस प्कार दे सकते हैं, v u + at यह ्वेग समय संबंर दशा्थता है । 1 s ut + at यह न्वसरापन - समय संबंर दशा्थता है । 2 v u + as यह न्वसरापन - ्वेग संबंर दशा्थता है । हम देखेंगे नक ये समीकरण आिेख प नत से कसे प्ा नकए जा सकते हैं। वचेि समय संबंि का समीकरण एक समान त्वररत ्वेग से गनतमान नपंड के ्वेग में समयानुसार होने ्वािा परर्वत्थन आकृनत 1.9 में आिेख की सहायता से दशा्थया गया है। नपंड आिेख के नबंदु से गनतशीि होता है। समयानुसार नपंड का ्वेग बढ़ता जाता है और समय t के पशचात नपंड आिेख के नंबंदु तक पहँचता है। नपंड का प्ारंनभक ्वेग u नपंड का अंनतम ्वेग v कािा्वनर t नबंदु से Y अक्ष के समांतर रेखा खींचें। ्वह X अक्ष को नबंदु पर प्नत ेनदत करती है । नबंदु से X अक्ष के समांतर रेखा खींचें। ्वह रेखा को नबंदु पर प्नत ेनदत करती है । नपंड का अंनतम ्वेग त्वरण (a) समय (अंनतम ्वेग - प्ारंनभक ्वेग) समय ( - ) v t at (i) ( - ) ्वेग आिेख के अनुसार.... + v +...( और ) u v at + u............(i से) v u + at यह गनत संबंरी पहिा ननयम है । E समय t 1. वचेि - समय आिचेि नवसिािि - समय संबंि का समीकरण माना नकसी नपंड ने एकसमान त्वरण a के अनुसार समय t मे दूरी s तय की है । आकृनत 1.9 के आिेख के अनुसार ्वसतु द्ारा तय की गई दूरी चतुभु्थज के क्षेत्रिि द्ारा ात की जा सकती है। s चतुभु्थज का क्षेत्रिि आयत का क्षेत्रिि + नत्रभुज का क्षेत्रिि 1 s ( )+( ) 2 परंतु u, t और ( t) at ---( ) --- (i) से 1 s u t+ at t 2 1 2 गनत संबंरी दूसरा समीकरण s ut + at है । 2 नवसिािि - वचेि संबंि का समीकरण आकृनत 1.9 के आिेख से, नपंड द्ारा तय की गई दूरी चतुभु्थज के क्षेत्रिि द्ारा ात की जा सकती है, यह हम देख चुके हैं। चूंनक चतुभु्थज एक समिंब चतुभु्थज है अत: समिंब चतुभु्थज के सूत्र का उपयोग करके हम नपंड द्ारा तय की गई दूरी ात कर सकते हैं। s समिंब चतुभु्थज का क्षेत्रिि s 1 समांतर भुजाओं की िंबाइयों का योगिि समांतर भुजाओं के बीच की िंब दूरी 2 s 1 ( + ) परंतु , u, v और t 2 1 s 2 ( u + v) t ------ (ii) (v-u) परंतु, a t इसचे सदैव धयाि में रखिए (v-u) t ------------(iii) a नजस समय नपंड त्वररत होता है उस समय उसका ्वेग परर्वनत्थत होता है। ्वेग में होने ्वािा 1 (v-u) s (u + v) परर्वत्थन ्वेग के पररमाण या नदशा या दोनों ही 2 a परर्वनत्थत होने के कारण होता है। (v+u) ( v-u) s a as (v+u) ( v-u) v2-u v u + as यह गनत संंबंरी तीसरा समीकरण है । एकसमाि वृतताकार िनत ( ni orm Circ lar otion) आ करके दचेिें र ी के सेकंड के काँटे की नोंक का अ्विोकन कीनजए। उसके चाि और ्वेग के बारे में कया कहा जा सकता है? र ी के काँटे की नोंक की चाि ससरर रहती है परंतु उसके न्वसरापन की नदशा ननरंतर बदिने के कारण उसका ्वेग ननरंतर बदिता रहता है। सेकंड के काँटे की नोंक के ्वतताकार पर पर रूमने के कारण इस गनत को एकसमान ्वतताकार गनत कहते हैं। इस प्कार की गनत के अनय क न-से उदाहरण आप बता सकते हैं? 9 करके दचेखिए और नवचार कीनिए 1. आकृनत 1.1 में नदखाए अनुसार एक ्वगा्थकार पर बनाइए।. उस ्वगा्थकार पर पर एक भुजा के म यभाग के एक नबंदु पर पेंनसि रखकर एक च र पूण्थ कीनजए। 3. एक च र पूण्थ करते समय आपको नकतनी बार नदशा बदिनी प ी, उसे नोट कीनजए। 4. अब यही कृनत पंचभुज, षटभुज, अष्टभुज पर पर कीनजए और आपको नकतनी बार नदशा बदिनी प ी, उसे नोट करें।. यनद भुजाओं की सं या बढ़ाते हए उसे असं य नकया जाए तो नकतनी बार नदशा बदिनी प ेगी और पर का आकार क न-सा होगा? अरा्थत भुजाओं की सं या बढ़ाते जाएँ तो बार-बार नदशा बदिनी प ती है और भुजाओं की सं या बढ़ाते हए उसे असं य करने पर पर ्वतताकार होगा। 1.1 नदशा में िररवत्णि जब नपंड ससरर चाि से ्वतताकार पर पर गनतशीि ्वतताकार गनत में गनतशीि नपंड t समय के पशचात होता है तब ्वेग में होने ्वािा परर्वत्थन के्वि गनत की अपने मूि सरान पर पुन: आता है तो नपंड की चाि नदशा बदिने से होता है। इस कारण ्वह त्वररत ्वेग होता नन ननिसखत सूत्र की सहायता से ात की जा है। जब कोई नपंड एकसमान चाि से ्वतताकार पर पर सकती है। जाता है तब उस गनत को एकसमान ्वतताकार गनत कहते पररनर हैं। उदाहरणार्थ, एकसमान चाि रुमने्वािा गुिेि के चाि समय पतरर की गनत, साइनकि के पनहए के नकसी भी नबंदु की गनत। r v r ्वतत की नत्र या t िोनिए दैननक जी्वन में ्वतताकार गनत से गनतशीि होने ्वािे उदाहरणों को खोनजए। एकसमाि वृतताकार वचेि की नदशा ात करिा आ करके दचेिें एक गोि रूमने ्वािी चकती िो। उसके नकनारे पर पाँच रुपए का एक नस ा रखें । आकृनत 1.11 में दशा्थए अनुसार चकती को गोि नस ा रुमाएँ। चकती को अनरक ्वेग से रुमाने पर, अ्विोकन करें नक नस ा क न-सी नदशा में िेंका जाता है। चकती पर नस ा न्वनभन्न सरानों पर रखकर इस कृनत को पुन:-पुन: करें और ननरीक्षण चकती करें नक प्तयेक बार नस ा क न-सी नदशा में िेंका जाता है। 1.11 चकती के िर का नस ा 10 नस ा ्वतताकार चकती की नत्र या के िंब्वत रहने ्वािी सपश्थ रेखा की नदशा में जाएगा। नस ा िेंके जाते समय नजस ससरनत में होगा उसके अनुसार ्वह न्वशेष नदशा में िेंका जाएगा अरा्थत् नस ा ्वतताकार नदशा में रूमते समय गनत की नदशा प्तयेक नंबंदु के पास परर्वनत्थत होती है। हि नकए िए उदाहरण उदाहरण 1 : एक सखिा ी ्वतताकार माग्थ पर द ते समय सेकंड में 4 मीटर दूरी द कर पुन: प्ारंनभक सरान पर ्वापस आता है। उसकी औसत चाि और औसत ्वेग नकतना होगा? दतत : तय की गई कि दूरी 4 मी. कि न्वसरापन मीटर (उसके पुन: प्ारंनभक सरान पर आने के कारण) िगा हआ कि समय सेकंड औसत चाि ?, औसत ्वेग ? तय की गई कि दूरी 4 औसत चाि 1 मीटर/सेकंड िगा हआ कि समय कि न्वसरापन औसत ्वेग मीटर/सेकंड िगा हआ कि समय 25 उदाहरण 2 : एक ह्वाई जहाज 3. m/s2 के त्वरण से 3 सेकंड रा्वन पर पर द ने के बाद ह्वा में उ ता है तो ह्वाई जहाज ने उ ने के पहिे नकतनी दूरी तय की? दतत : a 3. m/s2, t 3 सेकंड, u o , s ? 1 1 s ut + at2 3 + 3. 3 2 144 m. 2 2 उदाहरण 3 : एक कंगारू की नक्षनतज के िंब नदशा में उदाहरण 4 : एक मोटरबोट न्वरामा्वसरा से. m ची िाँग मारने की क्षमता होने पर उस कंगारू ननकिकर एकसमान त्वरण से जाती है। यनद ्वह की ह्वा में िाँग मारने की चाि नकतनी होगी? सेकंड में 1 मीटर / सेकंड का ्वेग प्ा करती है दतत : तो नननम्थत त्वरण और नदए गए समय में तय की गई a 9. m/s2 दूरी नकतनी होगी? s. m दतत : v u ? प्ारंनभक ्वेग (u) मीटर/सेकंड, v2 u2 + as अंनतम ्वेग (v) 1 मीटर/सेकंड, ( )2 u2 + (-9. ) (. ) त्वरण ्वेग की कि समय (t) सेकंड न्वपरीत नदशा में होने के कारण ण नचह्न का उपयोग नकया है। त्वरण ? u2 - 49 गनत संबंरी पहिे समीकरण से त्वरण, u2 49 त्वरण v-u 1 - 3 मीटर/ सेकंड 2 u m/s t 5 11 गनत संबंरी दूसरे समीकरण से, तय की गई दूरी 1 2 s ut + at 2 1 s + 3 2 2 75 37.5 मीटर यूटि के िनत संबंिी नियम ( ewton s aws o otion) सा क्यों होता होिा? 1. ससरर अ्वसरा ्वािी कोई ्वसतु बि िगाए नबना जगह से नहिती नहीं है।. टेबि पर रखी पुसतक उ ाने के निए आ्वशयक पया्थ बि द्ारा टेबि उ ाया नहीं जाता। 3. टहनी नहिाने पर ्वक्ष से िि नीचे नगरते हैं। 4. न्वद्युत द्ारा रूमने ्वािा पंखा बंद करने पर भी पूण्थ रूप से रुकने के पहिे ्वह क समय तक रूमता रहता है। उपयु्थक्त रटनाओं के कारणों को खोजने पर हमें यह सपष्ट होता है नक नंपंड में ज त्व होता है। नपंड का ज त्व नपंड के द्रवयमान से संबंनरत होता है, यह आपने सीखा है। नयूटन के गनत संबंरी पहिे ननयम में पदार्थ के इसी गुणरम्थ का ्वण्थन नकया गया है इसनिए उसे ज त्व का ननयम भी कहते हैं। यूटि का िनत संबंिी िहिा नियम ( ewton s irst aw o otion) एक नगिास में बािू भर िीनजए। उस नगिास पर एक गतता रसखए। गतते पर आ करके दचेिें पाँच रुपए का एक नस ा रसखए। अब गतते को गिी द्ारा रपकी मारें। कया होता है उसका अ्विोकन करें। संतुनित और असंतुनित बि ( alanced and n alanced orce) आपने रससी खींचने का खेि खेिा होगा। जब तक दोनों र से प्युक्त बि समान होता है तब तक रससी का म यभाग ससरर रहता है। यहाँ दोनों र से प्युक्त बि समान रहने अरा्थत बि संतुनित रहने के कारण बि प्युक्त करने पर भी रससी का म यभाग ससरर रहता है परंतु जब एक नसरे द्ारा प्युक्त बि बढ़ता है, उस समय प्युक्त बि असंतुनित हो जाते हैं और पररणामी बि अनरक बि के नसर की र प्युक्त होता है और रससी का म य उस नदशा में सरकता है। यनद नकसी निंड िर को ी बाह्य असंतुनित बि काय्णरत िह होता तो उसकी नवरामावसिा अिवा सरि रचेिा में एक समाि िनत में साततय रहता है। कोई नंपंड न्वरामा्वसरा अर्वा सरि रेखा में एकसमान गनत की अ्वसरा में होता है तब उस पर नकसी भी प्कार का बि काय्थरत नहीं होता सा नहीं है। ्वासतन्वक रूप से उस नपंड पर न्वनभन्न बाह्य बि काय्थरत होते हैं परंतु उनके एक-दूसरे को ननषिि करने के कारण कि पररणामी बि शूनय होता है। नयूटन के पहिे ननयम द्ारा ज त्व का अरा्थत नपंड की गनत संबंरी अ्वसरा अपने आप परर्वनत्थत न होने का सपष्टीकरण नदया जाता है। इसी प्कार नपंड की न्वरामा्वसरा या नपंड की सरिरेखा में एकसमान गनत में परर्वत्थन करने ्वािे या परर्वत्थन के निए उद््यत करने ्वािे असंतुनित बि का सपष्टीकरण नदया जाता है। ज त्व संबंरी सब उदाहरण नयूटन के गनत संबंरी पहिे ननयम के उदाहरण हैं। 12 यूटि का िनत संबंिी दूसरा नियम ( ewton s second aw o otion) अ. 1. अपने नमत्र को समान आकार की ाससटक और रब की गेंदे चाई से नीचे आ करके दचेिें डािने के निए कहें।. आप गेंदों को पक ें। आप क न-सी गेंद सरिता से पक सकते हैं? कयों? आ. 1. आपके नमत्र को एक गेंद रीरे से िेंकने के निए कहें और आप उसे पक ने का प्यतन करें।. अब उसी गेंद को आप अपने नमत्र को जोर से िेंकने के निए कहें और आप उसे पक ने का प्यतन करें। नकस समय आप गेंद सरिता से पक सके? कयों? एक नपंड द्ारा दूसरे नपंड पर नकए गए सं्वेग में पररमाण और नदशा दोनों होते हैं। सं्वेग की नदशा आरात (ट र) का पररणाम उस नपंड के ्वेग की नदशा में होती है। द्रवयमान और उसके ्वेग दोनों पर ननभ्थर प्णािी के अनुसार सं्वेग की इकाई g m/s और करता है अरा्थत् बि का पररणाम प्ा करने प्णािी में gm cm/s है । के निए नपंड के द्रवयमान और ्वेग को एकत्र जब नपंड पर प्युक्त नकया गया असंतुनित बि ्वेग में जो ने ्वािा गुणरम्थ कारणीभूत है। इस परर्वत्थन करता है तो ्वही बि सं्वेग में भी परर्वत्थन करता है। गुणरम्थ को नयूटन ने सं्वेग द्ारा संबोनरत नपंड के सं्वेग में परर्वत्थन िाने के निए आ्वशयक बि सं्वेग नकया। परर्वत्थन की दर पर ननभ्थर करता है। संवचेि ( oment m) (P) : नपंड के ्वेग और द्रवयमान के गुणनिि को सं्वेग कहते हैं। P mv सं्वगे एक सनदश रानश है। संवचेि िररवत्णि की दर प्यु बि के समािुिाती होती है और संवचेि का िररवत्णि बि की नदशा में होता है। माना, द्रवयमान, m का एक नपंड प्ारंनभक ्वेग u से जाते समय उसके गनत की नदशा में बि प्युक्त करने से समय t के पशचात नपंड का ्वेग हो जाता है। नपंड का प्ारंनभक सं्वेग mu , समय t के पशचात नपंड का अंनतम ्वेग mv सं्वेग परर्वत्थन की दर सं्वेग में होने ्वािा परर्वत्थन समय mv- mu m( v- u) सं्वेग परर्वत्थन की दर ma t t नयूटन के गनत संबंरी दूसरे ननयम के अनुसार, सं्वेग परर्वत्थन की दर प्युक्त बि के समानुपाती होती है। ma ma ( एक ससररांक है उसका मान 1 है ।) m a 13 दो न्वनभन्न द्रवयमानों तरा प्ारंभ में न?