पर्यावरण और उसका प्रदूषण PDF

Document Details

DelightfulEinstein5745

Uploaded by DelightfulEinstein5745

Tags

environmental pollution environmental science sources of pollution environmental issues

Summary

इस दस्तावेज़ में पर्यावरण और प्रदूषण के बारे में जानकारी दी गई है। यह दस्तावेज़ विस्तृत जानकारी प्रदान करता है कि मानव गतिविधियाँ पर्यावरणीय संकटों का कारण कैसे बन सकती हैं और विभिन्न प्रकार के संकटों के उदाहरण दिए गए हैं।

Full Transcript

# 31 पर्यावरण और उसका प्रदूषण ## 31.1 भूमिका पृथ्वी ही केवल ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन संभव है। जीवों को जीवित रहने के लिए शुद्ध वायु, जल और मृदा की आवश्यकता होती है। मानव जनसंख्या और मानवगतिविधियों में निरन्तर वृद्धि से वायु, जल और मृदा तथा अन्य प्राकृतिक स्त्रोत प्रदूषित होते जा रहे है और जीवों के उप...

# 31 पर्यावरण और उसका प्रदूषण ## 31.1 भूमिका पृथ्वी ही केवल ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन संभव है। जीवों को जीवित रहने के लिए शुद्ध वायु, जल और मृदा की आवश्यकता होती है। मानव जनसंख्या और मानवगतिविधियों में निरन्तर वृद्धि से वायु, जल और मृदा तथा अन्य प्राकृतिक स्त्रोत प्रदूषित होते जा रहे है और जीवों के उपयोग के लिए अनुपयुक्त हो गये हैं। इस पाठ में आप पूदूषकों के स्रोत और पर्यावरण पर उनके प्रभाव के संबंध में पढ़ेगें। ## 31.2 उद्देश्य इस पाठ को पढ़ने के बाद आप : - पर्यावरण की परिभाषा बता पाएंगे, - जीवमंडल की परिभाषा बता Паегe, - पर्यावरण के संकटों की विवेचना कर सकेंगे, - प्रदूषकों की परिभाषा बता पाएंगे, - प्रदूषकों के स्रोतो को सूचीबद्ध कर पाएंगे, - पर्यावरण, जीवों और विशेषकर मानवों पर प्रदूषकों के प्रभावों की विवेचना कर सकेंगे। ## ३1.3 पर्यावरण जीव विभिन्न प्रकारों के प्रतिवेशों जैसे जल, मृदा और वायु में रहते हैं। विभिन्न प्रकार के जीव इन प्रतिवेशों में हिस्सा बांटते हैं। प्रतिवेश ही जीवों का 'पर्यावरण' है। पर्यावरण में (i) भौतिक (अजीवित) अथवा अजैधिक घटक और (ii) जीवित अथवा जैविक घटक सम्मलित होते हैं। अजैविक घटकों में जल, वायु, मृदा, उर्जा, विकिरण आदि सम्मलित हैं। जैविक घटकों में सूक्ष्माणु जैसे जीवाणु, शैवाल, कवक आदि, पौधे, ਜ਼ੰਤੂ आदि सम्मलित हैं। जीव के प्रतिवेश (वातावरण) के जीवित और अजीवित घटकों का कुल योग पर्यावरण है। पृथ्वी के सभी भाग जीवों की अन्तरजीविता के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं। पृथ्वी का वह भाग जहाँ जीव जीवित रह सकते हैं और प्रजनन कर सकते हैं जीव मंहत कहलाता है। ## 31.4 पर्यावरण के संकटों की प्रकृति पर्यावरण को कई तरीको से क्षति पहुँचती है। नीचे कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं: **(i)** वाहनों द्वारा जीवाश्म इंधनो (पेट्रोल और डीजल) का दहन वातावरण में कार्बन मोनोआक्साइड, (CO) कार्बन डाइआक्साइड (CO₂) और सल्फर डाइआक्साइड (SO₂) छोड़ता है। सल्फर डाइ आक्साइड वातावरण में जल कणों से संयुक्त होकर सल्फ्यूरिक अम्ल (H₂SO₄) छोड़ता है। सल्फ्यूरिक अम्ल से वातावरण में अम्लीय वर्षा होती है। **(ii)**(क) मृदा से कैल्शियम जैसे पोषको का निक्षालन, और (ख) चूना पत्थर और मार्बल जैसे क्षारकीय पदार्थ का संक्षारण होता है। **(iii)** पीड़क नाशी विशेषकर डीडीटी (डाइक्लोरो डाइफिनाइल ट्राइक्लोरो इथेन) और डाइएल्ड्रीन जिनका उपयोग मच्छरों और कृषि पीड़को को मारने के लिए किया जाता है जल और वायु के महत्वपूर्ण प्रदूषक हो गये हैं। प्राकृतिक दशाओं में पीड़कनाशी दीर्घ काल तक मृदा में स्थायी बने रहते हैं और मृदा और जल में उनकी मात्रा निरन्तर प्रयोग से बढ़ती रहती है। **(iv)** विभिन्न उद्योग आविपालु प्रदूषकों जैसे लंड (Pb), केडमियम (Cd), जिंक (Zn), आर्सेनिक ((As), निकैल (Ni), और मर्करी (Hg) के प्रमुख स्रोत हैं। ये आविषालु धातुएँ पर्यावरण के लिए बड़ा संकट उपस्थित करती हैं। **(v)** औद्योगिक अपशिष्टों में निलम्बित पदार्थ, घुले ठोस, आविषालु धातुऐं, रसायन, सान्द्र अम्ल, क्षार, तैल और रंजक होते हैं। ये पदार्थ जल में धुली ऑक्सीजन को कम करते है और उसकी जैविक सक्रियाओं में व्यवधान उपस्थित करते हैं और अंत में जलीय जीवन को नष्ट होता है। **(vi)** रेफरीजिरेटरों में प्रयुक्त किए जानेवाले क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs) तथा विभिन्न प्रकार के स्प्रे अथवा सॉल (उदाहरण इत्र, वायु शुद्धक आदि) ऑजोन स्तर में ऑजोन छिद्र बनाते हैं। इन छिद्रों से होकर पराबैंगनी विकिरण पृथ्वी तक पहुँचते हैं और विकिरणों को CO₂ और जल वाष्प अवशोषित कर लेते हैं। अवशोषित विकिरण अधिक और अधिक ताप उत्पन्न करते हैं और इससे 'विश्व तापन' (ग्लोबल वार्मिंग) और 'हरित गृह प्रभाव' (ग्रीन हाऊस इफेक्ट) जैसी क्रिया को जन्म देते हैं। इस संबंध में आप पाठ 32 में पढ़ोगे। ये विश्व समस्यायें है। हमारे देश में प्रदूषण के कारण होनेवाले पर्यावरणीय संकटों के दो दृष्टांत नीचे दिए गए है: **(i)** मथुरा तेन्नशोधक कारखाने से निकलने वाले वहिः स्राव ताजमहल के लिए गंभीर संकट बन रहे हैं। **(ii)** भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्टरियों में 2 दिसम्बर, 1984 को मिक (मिथाइल आइसोसाइनेट) के रिमाय से होने वाली दुर्घटना। इस दुर्घटना में हजारों लोगों की जान गयीं और मिक गैस से प्रभावित अन्य लोगों के स्वास्थ पर गंभीर प्रभाव पड़ा। # पाठगत प्रश्न 31.1 1. पर्यावरण की परिभाष दीजिए। 2. पर्यावरण के घटक कौन से है? 3. जैविक घटकों से आप क्या समझते हैं? 4. दो आविषालु धातुओं का नाम बताइये जो जल को प्रदूषित करती हैं? 5. ऑजोन स्तर पर CFC का क्या प्रभाव पड़ता है? # 31.5 प्रदूषण प्राचीन समय में मानव बस्तियां नदियों के किनारों के साथ साथ बसी जिनसे मानवों का कुछ आधारीय सुविधायें मिली। जैसे जैसे मानव की जन संख्या बढ़ी लोगों ने अन्य स्थानों की ओर प्रस्थान किया। उन्होंने आश्रय बनाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों जैसे पेड़ और मृदा का उपभोग करना प्रारंभ किया। लोग जहाँ रहते थे उन स्थानों पर अपशिष्ट पदार्थ एकत्रित होना शुरू हुआ। मानव ने अपिशिष्ट को निपटाने (स्वच्छता) के उपाय किए। इसके बाद मानव ने अपनी सुविधा की सामग्री बनाने के लिए उद्योग स्थापित किए। पीड़क नाशियों और रासायनिक उर्वरकों को कारखानों में बनाया और उन्हे बढ़ती जनसंख्या के लिए अधिक खाद्य उत्पादन के लिए उपयोग किया। पीड़कनाशियों और रसायनों ने प्राकृतिक जलराशियों जैसे कि समृद्र, नदी, झील और तालाब में बहकर जलीय जीवों के स्वास्थ को प्रभावित किया। पीने योग्य जल कम हो गया। इस प्रकार के सभी अपशिष्टों को जो मानव गतिविधियों से उत्पन्न हुए तथा जिन्होंने प्राकृतिक पर्यावरण को संदूषित किया "प्रदूषक" कहलाते हैं। प्राकृतिक वातावरण में मानव की गतिविधियों द्वारा जोड़े गए पदार्थों को 'प्रदूषक' कहते है। प्रदूषकों के अतिरिक्त प्राकृतिक संसाधनो जैसे कि जल, वायु और पृथ्वी की गुणवत्ता में ह्रास 'प्रदूषण' कहलाता है। # 31.6 प्रदूषकों के प्रकार | प्रदूषक | | - | | प्राकृतिक | मानवोद्भवी (मानव निर्मित) | | प्राकृतिक प्रदूषक | प्राथमिक प्रदूषक | द्वितीयक प्रदूषक | जंगलों में कभी कभी बिजली गिरने से आग लग जाती है। पेड़ जलकर कार्बन डाइ आक्साइड CO₂ वातावरण में छोड़ते हैं। नृदा अपरदन (भूक्षरण) विविक्त पदार्थ और धूल को वायु में निलंम्बित कर देता है। प्राकृतिक झरनों द्वारा रहकर ये जलराशियों में प्रवेश कर जाते हैं। ज्वालामग्बी विस्फोटो से पर्यावरण में प्रक्षक बढ़ते हैं। # पाठगत प्रश्न 31.2 1. प्रदूषक की परिभाषा दीजिए। 2. प्राकृतिक प्रदूषण के दो स्रोतों के नाम बताइये। # 31.7 प्रदूषको के स्त्रोत तालिका 31.1 से वायु के विभिन्न प्रदूषकों, उनके स्रोत और प्रभाव देखे जा सकते हैं। | वायु के प्रमुख प्रदूषक | स्रोत | प्रभाव | | - | - | - | | SO2 | वाहनीय दहन, जीवाश्म इंधन का जलना | आंखों में जलन, अम्लीय वर्षा | | CO, CO₂ | वाहनीय दहन तथा अन्य हाइड्रोकार्बनो का जलना | ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीन हाऊस, प्रभाव, CO का हीमोग्लोबिन के प्रति अधिक आकर्षण होता है जिससे मिलकर वह आविषालु पदार्थ कार्बोक्सी-हीमोग्लोबिन बनाती है। | | धुंआ, फ्लाईऐश और शूट | थर्मल पावर स्टेशन | श्वास रोग | | लेड, मरकरी | गैसोलिन से उत्पन्न वाहनो का धुंआ, पेन्ट, संग्रहित बैटरियां, जीवाश्म इंधन दहन | तंत्रिकातंत्र और परिवहन तंत्र को प्रभावित करते हैं जिससे तंत्रिका और मस्तिष्क को क्षति पहुँचती है। | | सी.एफ.सी. | प्रशीतक | गुर्दा (बृक्क) क्षति, ऑजोन ह्रास | तालिका 31.2 से विभिन्न प्रकार के जल प्रदूषक उनके स्रोत और प्रभाव देखे जा सकते हैं। | जल के प्रमुख प्रदूषक | स्त्रोत | प्रभाव | | - | - | - | | पीड़कनाशी और कीटनाशी जैसे डीडीटी, बीएचसी | कृषि, मच्छर प्रतिकर्षी | मछलियों, परभक्षी पक्षियों और स्तनधारियों के लिए आविषालु | | प्लास्टिक | घर और उद्योग | मछलियों और पशुओं जैसे गायों को मारता है | | अपमार्जक (डिटर्जेन्ट) | घर और उद्योग | शैवाल और जलीय खरपतवारों की अतिवृद्धि, घुली ऑक्सीजन में कमी | | मरकरी (पारा) | क्लोरिन से जल का विसंक्रमण, कागज और ब्लीचिंग पाउडर कारखाने | जल की सतह पर तैरनेवाले जीवों के लिए घातक, बुरा स्वाद और गन्द, मानव में कैन्सर उत्पन्न कर सकते हैं। | | लेड (सीसा) | लेडयुक्त गैसोलिन | जीवों के लिए आविषालु | | अम्ल (पापा) | प्राकृतिक बाष्पन और घुले औद्योगिक अपशिष्ट, कनकनाशी | मनुष्यों के लिए अत्यधिक आविषालु | | तलछट | प्राकृतिक अपरदन, उर्वरक तथा अन्य कारखानों का बहिःस्राव, खुदाई और निर्माण गतिविधियाँ | जल में ऑक्सीजन स्वांगीकरण की योग्यता में कमी। | # 31.8 ध्वनि (शोर) प्रदूषण अवांछित ध्वनि को शोर कहा जा सकता है। शहर से परिपूर्ण हो गए हैं जो यातायात वाहनों (विशेषकर प्रतिदिन शीर्ष घंटो के समय), लाऊडस्पीकर और भवन निर्माण कार्य से उत्पन्न होता है। कारखानों में भी कर्मियों को लम्बे समय तक प्रतिदिन अधिक शोर का समाना करना पड़ता है। शोर को 'डेसीबल' (db) में मापते हैं जो कि ध्वनि की तीव्रता को अभिव्यक्त करने का पैमाना है। उदाहरण के लिए बहुत शांत कमरे का ध्वनि स्तर 20 db, कारों और घरेलू उपकरणों का 70 db और ट्रकों के हॉर्न का 110 db ध्वनि होता है। शोर का हानिकारक प्रभाव मानव शरीर पर पड़ता है। 70-80 का शोर चिढ़न और क्षोभ उत्पन्न करत है। इस स्तर से उपर श्वसन दर प्रभावित हो सकती है, रक्तवाहिनियां संकुचित हो सकती है; आहार नाल की गति बिगड़ सकती है, ग्रंथिय-लवण प्रभावित हो सकते हैं। लम्बे समय तक उच्च शोर स्तर के प्रभाव से सुनने की शक्ति में कम हो सकती है। विभिन्न क्षेत्रों के लिए अब मानकों का निर्धारण कर दिया गया है। हस्पतालों, न्यायालयों, स्कूलों तथा अन्य प्रतिष्ठानों के चारो ओर 100 मीटर तक क्षेत्र 'शांत क्षेत्र' घोषित कर दिए गए हैं। वाहनो का हार्न बजाना, पटाखे छोड़ना, लाउडस्पीकर बजाना और हॉकरों द्वारा तेज आवाज में अपनी वस्तुए बेचना प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। शोर का स्तर 50 db से कम रखा जाना चाहिए। इसी प्रकार के नियंत्रण कारखानों और वाणिज्यिक संगठनों के लिए भी निर्धारित कर दिए गए है। # पाठगत प्रश्न 31.3 1. SO₂ और CO का एक एक प्रभाव मानव पर बताऐं। 2. लेड और सीएफसी के एक एक स्रोत का नाम बताऐं। 3. तालाब को प्रदूषित कर रहे अपमार्जको का क्या प्रभाव होता है? # 31.9 आपने क्या सीखा : - प्रतिवेश (वातावरण) जिसमें हम रहते है हमारा पर्यावरण है। - पर्यावरण के दो घटक होते है: भौतिक अथवा अजैविक और जीवित जीव अथवा जैविक । - प्रदूषक वे पदार्थ होते है जिन्हे प्राकृतिक प्रतिवेश में छोड़ा जाता है। - प्रदूषकों का विपरीत प्रभाव हमारे पर्यावरण और जीवित जीवों पर पड़ता है। - SO2, CO, और CO; धुंआ, Pb, Hg. CFC वायु को प्रदूषित करते हैं। इनके स्त्रोत और प्रभाव भिन्न होते हैं। - पीड़कनाशी, प्लास्टिक, अपमार्जक, क्लोरीन, मरकरी, जल को प्रदूषित करते हैं और जलीय जीवन को संकट में डाल देते हैं। - अवांछित ध्वनियों को शोर कहते हैं। इन्हे 'डेसीबल' में मापते हैं। एक विशेष डेसीबल के मनुष्य पर शोर के विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। # पाठांत प्रश्न 1. पर्यावरण क्या है? 2. मानव निर्मित प्रदूषकों की व्याख्या कीजिए। 3. चार प्रमुख जन्न प्रदूषकों के नाम, उनके स्त्रोत और प्रभाव लिखिए। # अपने उत्तरों की जाँच कीजिए ## पाठगत प्रश्न 31.1 1. पर्यावरण : वायु, जल, पृथ्वी और जीवित जीव सम्मलित रूप से पर्यावरण कहलाते है। 2. पर्यावरण के घटक पर्यावरण के दो घटक होते है: (i) जैविक घटक (ii) अजैविक घटक 3. जैविक घटक : सूक्ष्माणु, पौधे, जन्तु जिनमें मानव सम्मलित है। 4. आविषालु धातु : लेड, मरकरी 5. भाग 31.4 देखिए ## पाठगत प्रश्न 31.2 1. प्रदूषक : कोई भी पदार्थ जो अपनी अधिक सांद्रता में उपस्थित होता है जैसे कि CO₂; CO; SO₂ 2. भाग 31.6.1. 3. प्रदूषक जैसे कि SO3, Co₂, Pb, Cd, Hg डीडीटी वायु, जल और मृदा की गुणता को प्रभावित करते हैं। 4. प्राकृतिक प्रक्रम जो वायु प्रदूषण उत्पन्न करते हैं: ज्वालामुखी विस्फोट, मृदा अपरदन, प्राकृतिक रेडियोएक्टिवता। ## Paठगत प्रश्न 31.3 1. तालिका 31.1 देखिए 2. तालिका 31.1 देखिए 3. तालिका 31.2 देखिए ## पाठांत प्रश्न 1. भाग 31.3 देखिए 2. भाग 31.6.2 देखिए 3. तालिका 31.2 देखिए

Use Quizgecko on...
Browser
Browser