अम्ल, क्षारक एवं लवण PDF

Summary

This document is about acids, bases, and salts. It explains different types of indicators and their uses. It also illustrates the chemical reactions that occur when acids and bases react with each other, different metals, and metal carbonates.

Full Transcript

विज्ञान अध्याय-2: अम्ल, क्षारक एिं लिण 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण संसूचक :- वे पदार्थ जो अपने रंग में पररवर्थन कर दुसरे पदार्ों के सार् अम्लीय या क्षारकीय व्यवहार करर्े हैं उन्हें संसूचक कहा जार्ा है संसूचक के प्रकार : वैसे र्ो संसूचक बहुर् प्रकार के होर्े है परन्तु इनके समान्य...

विज्ञान अध्याय-2: अम्ल, क्षारक एिं लिण 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण संसूचक :- वे पदार्थ जो अपने रंग में पररवर्थन कर दुसरे पदार्ों के सार् अम्लीय या क्षारकीय व्यवहार करर्े हैं उन्हें संसूचक कहा जार्ा है संसूचक के प्रकार : वैसे र्ो संसूचक बहुर् प्रकार के होर्े है परन्तु इनके समान्य प्रकार इस प्रकार है : (i) प्राकृविक संसूचक :- वे सूचक जो प्राकृतर्क स्रोर्ों के प्राप्त होर्े है प्राकृतर्क संसूचक कहलार्े है | जैसे - ललटमस, हल्दी, चाइना रोज, लाल गोभी आदद| ललटमस :- ललटमस ववलयन बैंगनी रंग का रंजक होर्ा है जो र्ैलाफाइटा समूह के लाईकेन के पौधे से तनकला जार्ा है | ललटमस ववलयन जब न र्ो अम्लीय होर्ा है न ही क्षारकीय, र्ब इसका रंग बैगनी होर्ा है ललटमस पत्र दो रंगों का होर्ा है - नीला एवं लाल| अम्ल नीले ललटमस पत्र को लाल कर देर्ा है जबदक क्षार लाल ललटमस पत्र को नीला कर देर्ा है हल्दी :- हल्दी भी एक अन्य प्रकार का प्राकृतर्क सूचक है | यह पीला रंग का होर्ा है , कई बार आपने देखा होगा जब दकसी सफ़ेद कपड़ों पर सब्जी का दाग लग जार्ा है और जब इसे साबुन (क्षारीय प्रकृतर्) से धोर्े है र्ो यह उस दाग के धब्बे को भूरा - लाल कर देर्ा है | 1. अम्ल के सार् हल्दी के रंग में कोई पररवर्थन नहीं होर्ा है | 2. क्षारक के सार् इसका रंग भूरा - लाल हो जार्ा है | (ii) संश्लेविि संसूचक :- ये वे सूचक है जो प्राकृतर्क नहीं होर्े अपपर्ु ये रसायतनक पदार्ों द्वारा बनाए गए होर्े है | जैसे - मेथर्ल ऑरेंज एवं दफनोल्फ्थेलीन आदद| इनका उपयोग अम्ल एवं क्षारक की जा ाँच के ललए होर्ा है | (iii) गंधीय संसूचक :- कुछ ऐसे पदार्थ होर्े हैं लजनकी गंध अम्लीय या क्षारकीय माध्यम में बदल जार्ी है | ऐसे पदार्ों को गंधीय सूचक कहर्े हैं | जैसे - वैतनला, प्याज एवं लौंग आदद| (iv) सािवविक सूचक :- सावथत्रत्रक सूचक अनेक सूचकों का थमश्रण होर्ा है | ललटमस, मेथर्ल ऑरेंज एवं दफनोल्फ्थेलीन आदद जैसे सूचकों के उपयोग से दकसी ववलयन के केवल अम्लीय या क्षारीय प्रकृतर् का ही पर्ा लगाया जा सकर्ा है परन्तु इस (1) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण सावथत्रत्रक सूचक के प्रयोग से अम्ल या क्षारक की प्रकृतर् के सार् - सार् उनकी प्रबलर्ा की माप का माप भी बर्ार्ा है | अम्ल एिं क्षारक का रासायननक गुणधमव अम्ल की धािु से अभिक्रिया :- अम्ल धार्ु से अथभदिया कर संगर् धार्ु की लवण और हाइड्र ोजन गैस प्रदान करर्ा है अम्ल + धािु → लिण + हाइड्र ोजन गैस लजिंक के सार् हाइड्र ोक्लोररक अम्ल की अथभदिया से लजिंक क्लोराइड् और हाइड्र ोजन गैस बनर्ा है | 2HCl + Zn → ZnCl2 + H2 (हाइड्र ोक्लोररक अम्ल) (लजिंक) (लजिंक क्लोराइड्) (हाइड्र ोजन गैस') सोदड्यम के सार् हाइड्र ोक्लोररक अम्ल की अथभदिया से सोदड्यम क्लोराइड् और हाइड्र ोजन गैस बनर्ा है | 2HCl + 2Na → 2NaCl + H2 (हाइड्र ोक्लोररक अम्ल) (सोदड्यम) (सोदड्यम क्लोराइड्) (हाइड्र ोजन गैस)\ धार्ु लजिंक की सल्फ्यूररक अम्ल के सार् अथभदिया से लजिंक सल्फेट और हाइड्र ोजन गैस का तनमाथण होर्ा है | H2 SO4 + Zn → ZnSO4 + H2 H2 SO4 + Zn → ZnSO4 + H2 (सल्फ्यूररक अम्ल) (लजिंक) (लजिंक सल्फेट) (हाइड्र ोजन गैस) हाइड्र ोजन गैस की जााँच :- जब हम दकसी धार्ु का दकसी अम्ल से अथभदिया करार्े है र्ो यह संगर् लवण और हाइड्र ोजन गैस उत्पन्न करर्ा है | अथभदिया के इस अवथध के दौरान, जब हम एक जलर्ी हुई मोमबत्ती इस गैस के पास ले जार्े है र्ो यह पॉप ध्वतन उत्पन्न होर्ी है | पॉप ध्वतन यह बर्ार्ी है दक उत्पन्न गैस हाइड्र ोजन है | (2) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण धािु कार्बोनेट /धािु हाइड्र ोजनकार्बोनेट के साथ अम्ल की अभिक्रिया :- चूनापत्थर, चाक और संगमरमर कैल्शियम काबोनेट के ववथभन्न रूप है |सभी धार्ु काबोनेट और हाइड्र ोजनकाबोनेट अम्ल के सार् अथभदिया कर संगर् लवण, काबथन ड्ाइऑक्साइड् और जल प्रदान करर्ा है | इस अथभदिया का समान्य रूप इस प्रकार है धार्ु काबोनेट + अम्ल → लवण + काबथन ड्ाइऑक्साइड् + जल उदाहरण : कैल्शियम क्लोराइड्, हाइड्र ोक्लोररक अम्ल के सार् अथभदिया कर कैल्शियम क्लोराइड्, काबथन ड्ाइऑक्साइड् और जल प्रदान करर्ा है | CaCO3 + 2HCl → CaCl2 + CO2 + H2O (कैल्शियम काबोनेट) (हाइड्र ोक्लोररक अम्ल) (कैल्शियम क्लोराइड्) (काबथन ड्ाइऑक्साइड्) (जल) नाइट्टर क अम्ल, सोदड्यम काबोनेट के सार् अथभदिया कर सोदड्यम नाइटर ेट, काबथन ड्ाइऑक्साइड् और जल बनार्ा है | 2NHO3 + Na2CO3 → NaNO3 + CO2 + 2H2O (नाइट्टर क अम्ल) (सोदड्यम काबोनेट) (सोदड्यम नाइटर ेट) (काबथन ड्ाइऑक्साइड्) (जल) इसी प्रकार ये तनम्न अथभदिया भी संपन्न होगी: सोदड्यम काबोनेट + हाइड्र ोक्लोररक अम्ल → सोदड्यम क्लोराइड् + काबथन ड्ाइऑक्साइड् + जल कैल्शियम काबोनेट + सल्फ्यूररक अम्ल → कैल्शियम सल्फेट + काबथन ड्ाइऑक्साइड् + जल धािु हाइड्र ोजन कार्बोनेट और अम्ल की अभिक्रिया :- समान्य सूत्र (3) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण धार्ु हाइड्र ोजन काबोनेट (बाईकाबोनेट) + अम्ल → लवण + काबथनड्ाइऑक्साइड् + जल उदाहरण: सोदड्यम बाईकाबोनेट, हाइड्र ोक्लोररक अम्ल से अथभदिया कर सोदड्यम क्लोराइड्, काबथन ड्ाइऑक्साइड्, और जल बनार्ा है | NaHCO3 + 2HCl → NaCl + CO2 + H2O (सोदड्यम बाईकाबोनेट) (हाइड्र ोक्लोररक अम्ल) (सोदड्यम क्लोराइड्) (काबथन ड्ाइऑक्साइड्) (जल) धािु एिं क्षारक की अभिक्रिया :- क्षारक धार्ुओ ं से अथभदिया कर संगर् धार्ु का लवण और हाइड्र ोजन गैस बनार्े हैं | सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड् लजिंक के सार् अथभदिया कर सोदड्यम लिन्केट और हाइड्र ोजन गैस देर्ा है | 2NaOH(aq) + Zn(s) → Na2 ZnO2(aq) + H2(g) (सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड्) (लजिंक) (सोदड्यम लिन्केट) (हाइड्र ोजन गैस) सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड् एल्युमुतनयम के सार् अथभदिया कर सोदड्यम एलुथमनेट और हाइड्र ोजन गैस देर्ा है | 2NaOH(aq) + 2Al(s) + 2H2O → 2NaAlO2(aq) + 2H2(g) (सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड्) (एल्युमीतनयम) (जल) (सोदड्यम एलुथमनेट) (हाइड्र ोजन गैस) उदासीनीकरण अभिक्रिया :- (4) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण अम्ल और क्षारक की आपसी अथभदिया से लवण और जल का तनमाथण होर्ा है इस प्रकार की अथभदिया को उदासीनीकरण अथभदिया कहर्े हैं | उदासतनकरण अथभदिया को समान्य सूत्र में इस प्रकार से ललखा जार्ा है : क्षारक + अम्ल → लवण + जल अम्ल और क्षारक की अथभदिया सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड्, हाइड्र ोक्लोररक अम्ल से अथभदिया कर साधारण नमक और जल बनार्ा है | NaOH(aq) + HCl(aq) → NaCl(aq) + H2O (सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड्) (हाइड्र ोक्लोररक अम्ल) (सोदड्यम क्लोराइड्) (जल) सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड्, नाइट्टर क अम्ल से अथभदिया कर सोदड्यम नाइटर ेट और जल बनार्ा है | NaOH(aq) + HNO3 (aq) → NaNO3 (aq) + H2O (सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड्) (नाइट्टर क अम्ल) (सोदड्यम नाइटर ेट) (जल) सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड्, सल्फ्यूररक अम्ल से अथभदिया कर सोदड्यम सल्फेट और जल बनार्ा है | NaOH(aq) + H2SO4 → NaSO4(aq) + H2O (5) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण (सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड्) (सल्फ्यूररक अम्ल) (सोदड्यम सल्फेट) (जल) धािु-ऑक्साइड् का अम्लों के साथ अभिक्रिया :- सभी धार्ु-ऑक्साइड् क्षारकीय प्रकृतर् की होर्ी हैं इसललए ये अम्ल के सार् अथभदिया कर लवण एवं जल बनार्ी है यह तबल्कुल उदासीनीकरण अथभदिया की र्रह ही होर्ी है| आयरन (III) ऑक्साइड् सल्फ्यूररक अम्ल से अथभदिया कर आयरन सल्फेट और जल बनार्ा है | Fe2O3 + 3H2SO4 → Fe2 (SO4)3 + 3H2O (फेरस III ऑक्साइड्) (सल्फ्यूररक अम्ल) ( फेरस सल्फेट) (जल) कॉपर ऑक्साइड् हाइड्र ोक्लोररक अम्ल से अथभदिया कर कॉपर क्लोराइड् एवं जल प्रदान करर्ा है | CuO + 2HCl → CuCl2 + H2O (कॉपर ऑक्साइड्) (हाइड्र ोक्लोररक अम्ल) (कॉपर क्लोराइड्) (जल) कैल्शियम ऑक्साइड्, हाइड्र ोक्लोररक अम्ल से अथभदिया कर कैल्शियम क्लोराइड् एवं जल प्रदान करर्ा है | CaO(aq) + 2HCl(aq) → CaCl2 (aq) + H2O (कैल्शियम ऑक्साइड्) (हाइड्र ोक्लोररक अम्ल) (कैल्शियम क्लोराइड्) (जल) क्षारक और अधािु ऑक्साइड् का अभिक्रिया :- अधार्ुओ ं की प्रकृतर् अम्लीय होर्ी है जो क्षारक से अथभदिया कर लवण एवं जल बनार्ा है , यह अथभदिया उदासीनीकरण अथभदिया के समान ही होर्ा हैं | क्षारक + अधात्विक ऑक्साइड् → लवण + जल सोदड्यम हाइड्र ोक्साइड्, काबथन ड्ाइऑक्साइड् से अथभदिया कर सोदड्यम काबोनेट और जल देर्ा है | 2NaOH(aq) + CO2 (g) → Na2CO3(s) + H2O (सोदड्यम हाइड्र ोक्साइड्) (काबथन ऑक्साइड्) (सोदड्यम काबोनेट) (जल ) लिण :- लवण अम्ल एवं क्षारक के उदासीनीकरण अथभदिया का आयतनक उत्पाद है | (i) अम्लीय लिण :- अम्लीय लवण प्रबल अम्ल एवं दुबथल क्षारक के आपसी अथभदिया के फलस्वरूप प्राप्त होर्ा है | अम्लीय लवण: NH4Cl (6) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण HCl + NH4OH → NH4Cl + H2O (प्रबल अम्ल) (दुबथल क्षारक) (अम्लीय लवण) (ii) उदासीन लिण :- उदासीन लवण प्रबल अम्ल एवं दुबथल क्षारक के आपसी अथभदिया से प्राप्त होर्ा है | उदासीन लवण: NaCl HCl + NaOH → NaCl + H2O (प्रबल अम्ल) (प्रबल क्षारक) (उदासीन लवण) (iii) क्षारकीय लिण :- क्षारकीय लवण प्रबल क्षारक एवं दुबथल अम्ल की आपसी अथभदिया से प्राप्त होर्ा है | क्षारकीय लवण: NaC2H3O2 HC2H3O2 + NaOH → NaC2H3O2 + H2O (दुबथल अम्ल) (प्रबल क्षारक) (क्षारकीय लवण) िनुकरण :- जल में अम्ल या क्षारक थमलाने पर आयन की सांद्रर्ा (H3O+/ OH-) में प्रतर् इकाई आयर्न में कमी हो जार्ी है | इस प्रदिया र्ो र्नुकरण कहर्े हैं | अम्ल और क्षारक को र्नुकृर् दकया जार्ा है | pH स्केल :- दकसी ववलयन में उपस्थिर् हाइड्र ोजन आयन की सांद्रर्ा ज्ञार् करने के ललए एक स्केल ववकससर् दकया गया है लजसे pH स्केल कहर्े हैं | इस स्केल में 1 से 14 र्क अंक अंदकर् रहर्े है जो दकसी अम्ल या क्षारक की प्रबलर्ा और दुबथलर्ा के सार्-सार् उनके मान की बर्ार्ा है | यह एक प्रकार का सावथत्रत्रक सूचक होर्ा है | हाइड्र ोतनयम आयन की सांद्रर्ा जीर्नी अथधक होगी उसका pH उर्ना ही कम होगा| दकसी भी उदासीन ववलयन के pH का मान 7 होगा| यदद pH स्केल में दकसी ववलयन का मान 7 से कम है र्ो यह अम्लीय होगा| 7 से कम होने पर H+ आयन की सांद्रर्ा बढर्ी है | अर्ाथर् अम्ल की शल्शि बढ़ रही है | यदद pH का मान 7 से अथधक है वह क्षार होगा| 7 से अथधक होने पर OH- की की सांद्रर्ा बढर्ी है अर्ाथर् क्षारक की शल्शि बढ़ रही है | (7) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण प्रर्बल अम्ल :- लजस ववलयन में अथधक संख्या में H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल प्रबल अम्ल कहलार्े हैं | दुर्बवल अम्ल :- जबदक कम H+ आयन उत्पन्न करने वाले अम्ल दुबथल अम्ल कहलायेंग|े लजस ववलयन में OH- आयन अथधक संख्या में होर्े हैं उसे प्रबल क्षारक कहर्े हैं | दुर्बवल क्षारक :- लजस ववलयन में OH- संख्या में होर्े हैं उन्हें दुबथल क्षारक कहर्े हैं | हमारा रि 7.35 - 7.45 pH परास के बीच कायथ करर्ा है जो औसर्न pH मान 7.4 होर्ा है | यदद रि का pH मान 7.45 से अथधक हो जार्ा है ऐसी अविा का एल्केलोससस कहर्े है और यदद रि का pH का मान 7.35 से कम हो जार्ा है , ऐसी अविा को एससड्ोससस कहर्े हैं | दैननक जीिन में pH का महत्व :- i. रक्त और हमारा शरीर :- हमारा शरीर 7.0 से 7.8 pH परास के बीच कायथ करर्ा है । जीववर् प्राणी केवल संकीणथ pH परास (पररसर) range में ही जीववर् रह सकर्े हैं । वर्ाथ के जल की pH मान जब 5.6 से कम हो जार्ी है र्ो वह अम्लीय वर्ाथ कहलार्ी है। अम्लीय ििाव की हाननयााँ :- अम्लीय वर्ाथ का जल जब नदी में प्रवाट्हर् होर्ा है र्ो नदी के जल के pH का मान कम हो जार्ा है । ऐसी नदी में जलीय जीवधाररयों की उत्तरजीववर्ा कठिन हो जार्ी है। ii. भमटटी की अम्लीयिा :- कई बार दकन्ही कारणों से अर्वा अम्लीय वर्ाथ के कारण थमटटी का pH मान कम हो जाने से इस भूथम से अच्छी उपज नहीं थमलर्ी है , चू ाँदक अच्छी उपज के ललए पौधों को एक ववलशष्ट pH परास की आवश्यकर्ा होर्ी है | थमटटी में अम्लीय गुण बढ़ जाने से पौधों को नुकसान पहुाँ चर्ा है , लजससे फसल अच्छी नहीं होर्ी है | भमटटी के pH परास को ठीक करने से उपाय :- थमटटी के अम्लीयर्ा ख़त्म करने के ललए थमटटी में चाकपाउड्र या चूना थमलाया जार्ा है र्ादक इसकी अम्लीयर्ा ख़त्म करके थमटटी की प्रकृतर् क्षारीय बन जाय| (8) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण iii. अम्लीय माध्यम में िोजन का पचना :- pH का महि हमारे आमाशय से उत्पन्न हाइड्र ोक्लोररक अम्ल (HCl) से भी है | यह भी एक ववलशष्ट pH पर उदर (पेट) को तबना हातन पहुाँ चाये भोजन के पाचन में सहायर्ा करर्ा है| समान्यर्: हमारा उदर का pH परास लगभग 1.5 - 3.5 के बीच कायथ करर्ा है | इनमें भी ये तनम्न दो स्थितर्या ाँ होर्ी हैं | (a) अल्प अम्लिा :- कुछ व्यल्शियों में HCl का स्राव बहुर् कम होर्ा है लजससे उनके भोजन नहीं पचर्ा अर्वा कम पचर्ा है | ऐसी अविा को अल्प - अम्लर्ा (अपच) कहर्े है | ऐसे व्यल्शि को अपने भोजन के सार् अम्लीय पदार्थ जैसे तनम्बू या ससरका लेना पड़र्ा है , अर्वा पाचक-रस उत्पन्न करने वाली और्धीया ाँ लेना पड़र्ा है | (b) अवि-अम्लिा :- उदर में अत्यथधक अम्ल उत्पन्न होने की स्थितर् में व्यल्शि उदर में ददथ एवं जलन का अनुभव करर्ा है | इस ददथ या जलन से मुि होने के ललए ऐन्टाससड् लेना पड़र्ा है | (प्रवि-अम्ल औिधध) :- ऐन्टाससड् अम्ल के प्रभाव को कम करने वाले दुबथल क्षारक होर्े है | जैसे - थमल्क ऑफ़ मैग्नेलशया (मैग्नले शयम हाइड्र ोऑक्साइड्), एल्युमीतनयम हाइड्र ोऑक्साइड् र्र्ा सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड् जैसे दुबथल क्षारक ऐन्टाससड् के संघटक में शाथमल होर्े है | ये अम्लीय प्रभाव को उदासीन कर देर्े हैं | (i) दन्त-क्षय :- समान्यर्: मुाँह का pH 5.5 रहर्ा है | यदद इसका मान 5.5 से कम हो जाए र्ो दन्त-क्षय प्रारंभ हो जार्ा है | दा ाँर्ों का इनैमल (दत्तवल्क) कैल्शियम फोस्फेट का बना होर्ाहै जो शरीर का सबसे किोर पदार्थ है | यह दा ाँर्ों की बाहर से बचाव करर्ा है | जब मुाँह का pH 5.5 से कम हो जार्ा है र्ो यह धीरे-धीरे संक्षाररर् होने लगर्ा है | मुाँह का pH कम होने का कारण :- जब हम भोजन या कोई मीिी चीज खार्े हैं र्ो भोजन के पश्चार्् मुाँह में अवलशष्ट शकथरा एवं खाद्य पदार्थ रह जार्े है लजस पर मुाँह में उपस्थिर् बैक्टीररया उसका तनम्नीकरण करर्े है और उससे अम्ल उत्पन्न करर्े है | यह अम्ल इनेमल को नष्ट कर देर्ा है जो दंर्-क्षय का प्रमुख कारण बनर्ा है | दन्त-क्षय से र्बचाि :- भोजन के बाद मुाँह साफ करने से इससे बचाव दकया जा सकर्ा है । मुाँह की सफाई के ललए क्षारकीय दंर्-मंजन का उपयोग करने से अम्ल की आथधक्य (9) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण मात्रा को उदासीन दकया जा सकर्ा है लजसके पररणामस्वरूप दंर् क्षय को रोका जा सकर्ा है । क्लोर-क्षार प्रक्रिया :- जब सोदड्यम क्लोराइड् (साधारण नमक) के जलीय ववलयन से ववद्युर् धारा प्रवाट्हर् की जार्ी है र्ो यह ववयोलजर् होकर सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड्, क्लोरीन गैस और हाइड्र ोजन गैस प्रदान करर्ा है | इस प्रदिया को क्लोर-क्षार प्रदकया कहर्े हैं | इस प्रदिया का रासायतनक समीकरण तनम्न है : 2NaCl(aq) + 2H2O(l) → 2NaOH(aq) + Cl2 (g) + H2(g) सोक्रड्यम क्लोराइड् का विद्युि अपघटन :- जब सोदड्यम क्लोराइड् के जलीय ववलयन से ववद्युर् प्रवाट्हर् की जार्ी है र्ो इसके एनोड् से क्लोरीन गैस और कैर्ोड् से हाइड्र ोजन गैस उत्पन्न करर्ा है | सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड् ववलयन इसके कैर्ोड् के पास बनर्ा है | क्लोर-क्षार प्रक्रिया के उत्पाद :- (1) सोदड्यम हाइड्र ोऑक्साइड् (2) क्लोरीन गैस (3) हाइड्र ोजन गैस सोक्रड्यम हाइड्र ोऑक्साइड् का उपयोग :- (i) इसका उपयोग धार्ुओ ं से ग्रीज हटाने के ललए दकया जार्ा है | (ii) साबुन और अपमाजथक बनाने में दकया जार्ा है | (iii) इसका उपयोग कागज बनाने में भी दकया जार्ा है | (10) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण (iv) और इसका उपयोग कृत्रत्रम फाइबर बनाने में दकया जार्ा है | क्लोरीन गैस का उपयोग :- (i) क्लोरीन गैस का उपयोग जल की स्वच्छर्ा के ललए दकया जार्ा है | (ii) स्थस्वथमिंग पूल में (iii) PVC, CFCs और कीटाणुनाशक बनाने ने दकया जार्ा है | (iv) और इसका उपयोग रोगाणुनाशक बनाने में भी दकया जार्ा है | हाइड्र ोजन गैस का उपयोग :- (i) इसका उपयोग ईंधन के ललए दकया जार्ा है | (ii) इसका उपयोग मागथरीन बनाने के ललए दकया जार्ा है | (iii) और इसका उपयोग खाद के ललए अमोतनया बनाने के ललए दकया जार्ा है | हाइड्र ोक्लोररक अम्ल का उत्पादन :- क्लोरीन और हाइड्र ोजन क्लोर-क्षार प्रदिया के महिपूणथ उत्पादन है , लजनका उपयोग हाइड्र ोक्लोररक अम्ल के उत्पादन में दकया जार्ा है | (11) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण हाइड्र ोक्लोररक अम्ल एक महिपूणथ रसायन है लजसका उपयोग तनम्न पदार्ों के उत्पादन में दकया जार्ा है | (i) दवाइयों के तनमाथण में, (ii) सौन्दयथ प्रसाधन के तनमाथण में, (iii) अमोतनयम क्लोराइड् के तनमाथण में और (iv) इस्पार् के सफाई के ललए प्रयोग होर्ा है | विरंजक चूणव का उत्पादन :- क्लोर-क्षार प्रदिया से प्राप्त क्लोरीन और सुखे बुझे हुए चूने की दिया से ववरंजक चूणथ का तनमाथण होर्ा है | इस प्रदिया का रासायतनक समीकरण तनम्नललखखर् है Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O विरंजक चूणव का उपयोग :- (i) वस्त्र उद्योग में सूर्ी एवं ललनेन के ववरंजन के कागि की पैफक्टर ी में लकड़ी के मज्जा एवं लाउं ड्र ी में साफ कपड़ों के ववरंजन के ललए (ii) कई रासायतनक उद्योगों में एक उपचायक के रूप में, एवं (iii) पीने वाले जल को जीवाणुओ ं से मुि करने के ललए रोगाणुनाशक के रूप में र्बेक्रकिंग सोड्ा का उत्पादन :- इस यौथगक का रासायतनक नाम सोदड्यम हाइड्र ोजनकाबोनेट (NaHCO3) है । कच्चे पदार्ों में सोदड्यम क्लोराइड् का उपयोग कर इसका तनमाथण दकया जार्ा है । इसका रासायतनक समीकरण तनम्न है NaCl + H2O + CO2 + NH3 → NH4Cl + NaHCO3 (अमोतनयम क्लोराइड्) (सोदड्यम हाइड्र ोजन काबोनेट) इस प्रदकया के दो महिपूणथ उत्पाद है (i) अमोतनयम क्लोराइड् और (ii) बेदकिंग सोड्ा र्बेक्रकिंग सोड्ा का उपयोग :- (12) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण i. सोड्ा का उपयोग आमर्ौर पर रसोईघर में स्वाददष्ट खस्ता पकौड़े बनाने के ललए दकया जार्ा है । ii. कभी-कभी इसका उपयोग खाने को शीघ्रर्ा से पकाने के ललए भी दकया जार्ा है । iii. यह एक दुबथल क्षारक भी है लजसका उपयोग कई बार अतर्-अम्लर्ा की स्थितर् में की जार्ी है | यह ऐन्टैससड् का संघटक भी है | iv. इसका उपयोग सोड्ा-अम्ल अत्वग्नशामक में भी दकया जार्ा है | v. इसका उपयोग बेदकिंग पाउड्र को बनाने में दकया जार्ा है | i. खाना पकार्े समय जब इसे गमथ दकया जार्ा है र्ो तनम्न अथभदिया होर्ी है : र्बेक्रकिंग पाउड्र का ननमावण :- बेदकिंग सोड्ा एवं टाटथररक अम्ल जैसा मंद खाध्य अम्ल के थमश्रण से बेदकिंग पाउड्र का तनमाथण होर्ा है| जब बेदकिंग पाउड्र को जल में थमलाकर गमथ दकया जार्ा है र्ो यह काबथन ड्ाइऑक्साइड् जल और अम्ल का सोदड्यम लवण प्रदान करर्ा है लजसकी तनम्न अथभदिया होर्ी है : NaHCO3 + H+ → CO2 + H2O + अम्ल का सोदड्यम लवण इस अथभदिया से काबथन ड्ाइऑक्साइड् उत्पन्न होर्ा है जो ब्रेड् या केक को फुलाने, स्पोंजी बनाने या मुलायम बनार्ा है | (13) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण NCERT SOLUTIONS प्रश्न (पृष्ठ संख्या 20) प्रश्न 1 आपको र्ीन परखनललया ाँ दी गई हैं । इनमें से एक में आसववर् जल एवं शेर् दो में से एक में अम्लीय ववलयन र्र्ा दूसरे में क्षारीय ववलयन है । यदद आपको केवल लाल ललटमस पत्र ददया जार्ा है र्ो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्ो की पहचान कैसे करेंगे? उत्तर- अगर लाल ललटमस पेपर का रंग नीले रंग में बदल जार्ा है , र्ो यह एक क्षार है और अगर कोई रंग पररवर्थन नहीं होर्ा है , र्ो यह या र्ो अम्लीय या आसववर् जल है । इस प्रकार, क्षार ववलयन की आसानी से पहचान की जा सकर्ी है । A, B और C के रूप में र्ीन परखनललयों को थचपिर् करें। A में से ववलयन की एक बूंद लाल ललटमस पेपर पर ड्ालर्े हैं । ववलयन B और C के सार् भी यही दोहरार्े हैं । यदद इनमें से कोई भी लाल रंग को नीले रंग में पररवर्तर्र् करर्ा है , र्ो यह क्षार है । इसप्रकार, र्ीन में से, एक की पहचान हो गई है । शेर् दो में से कोई भी अम्लीय या आसववर् जल हो सकर्ा है। अब क्षार ववलयन की एक बूंद शेर् दो ववलयनों में से प्रत्येक की एक बूंद के सार् थमलश्रर् करर्े हैं और दफर थमश्रण की बूंदों की प्रकृतर् की जांच करर्े हैं । अगर थमश्रण का रंग नहीं बदलर्ा है , र्ो दूसरा दूसरा ववलयन आसववर् जल है और अगर रंग में कोई पररवर्थन होर्ा है , र्ो दूसरा ववलयन अम्लीय है । क्योंदक अम्लीय और क्षारीय ववलयन एक-दूसरे को बेअसर कर देर्े हैं। इस प्रकार, हम र्ीन प्रकार के ववलयनों के बीच भेद कर सकर्े हैं । प्रश्न (पृष्ठ संख्या 24) प्रश्न 1 पीर्ल एवं र्ा ाँबे के बर्थनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाट्हए? उत्तर- पीर्ल एवं र्ा ाँबे के बर्थनों में दही एवं खट्टे पदार्थ इसललए नहीं रखने चाट्हए क्योंदक दही में मौजूद लैक्टक्टक अम्ल होर्े है । जो पीर्ल एवं र्ा ाँबे के बर्थनों से अथभदिया करके हातनकारक (ववर्ैला) यौथगक बनार्े है । लजसके कारणवश ये खाने लायक नहीं रह जार्े है। (14) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण प्रश्न 2 धार्ु के सार् अम्ल दक अथभदिया होने पर सामान्यर्ः कौन सी गैस तनकलर्ी है? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए। इस गैस की उपस्थितर् की जा ाँच आप कैसे करेंगे? उत्तर- धार्ु के सार् अम्ल दक अथभदिया होने पर सामान्यर्ः हाइड्र ोजन गैस तनकलर्ी है | 2NaOH + Zn = Na2ZnO2 + H2 जा ाँच- जलर्ी हुई मोमबर्ी को परखनली के मुंह के पास ले जाने पर फट–फट अर्ाथर्् पॉप ध्वतन उत्पन्न होर्ी है। प्रश्न 3 कोई धार्ु यौथगक ‘A’ र्नु हाइड्र ोक्लोररक अम्ल के सार् अथभदिया करर्ा है र्ो बुदबुदाहट उत्पन्न होर्ी है । इससे उत्पन्न गैस जलर्ी मोमबत्ती को बुझा देर्ी है। यदद उत्पन्न यौथगकों में एक से कैक्टियम क्लोराइड् हैं , र्ो इस अथभदिया के ललए संर्ुललर् रासायतनक समीकरण ललखखए। उत्तर- धार्ु के यौथगक ‘A’ CaCO3 (कैक्टियम काबौनेट) है । प्रश्न (पृष्ठ संख्या 27) प्रश्न 1 HCl, HNO3 आदद जलीय ववलयन में अम्लीय अथभलक्षण क्यों प्रदर्शशर् करर्े हैं , जबदक ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोि जैसे यौथगकों के ववलयनों में अम्लीयर्ा के अथभलक्षण नहीं प्रदर्शशर् होर्े हैं ? (15) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण उत्तर- HCl, HNO3 आदद जलीय ववलयन में H+आयन बनर्ा है लजसके कारण ये अम्लीय अथभलक्षण को प्रदर्शशर् करर्े हैं , जबदक ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोि जैसे यौथगकों के ववलयनों में H+आयन नहीं बनर्ा है लजसके कारण ये अम्लीयर्ा के अथभलक्षण नहीं प्रदर्शशर् होर्े हैं। प्रश्न 2 अम्ल का जलीय ववलयन क्यों ववद्युर् का चालन करर्ा है ? उत्तर- अम्ल का जलीय ववलयन ववद्युर् का चालन करर्ा है क्योंदक अम्ल जलीय ववलयन में H+आयन उत्पन्न करर्ा है लजसके कारण ये ववद्युर्् धारा का प्रवाह होर्ा है । प्रश्न 3 शुष्क हाइड्र ोक्लोररक गैस शुष्क ललटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलर्ी है ? उत्तर- अम्ल जलीय ववलयन में ववघट्टर् होकर हाइड्र ोजन आयन (H+) उत्पन्न करर्े हैं जो उनकी अम्लीयर्ा के अथभलक्षण को प्रदर्शशर् करर्े हैं । शुष्क हाइड्र ोक्लोररक गैस और शुष्क ललटमस पत्र दोनों में ही जल का आभाव होने के कारण हाइड्र ोजन आयन उत्पन्न नहीं हो पार्े हैं । इसललए शुष्क हाइड्र ोक्लोररक गैस शुष्क ललटमस पत्र के रंग को नहीं बदलर्ी है। प्रश्न 4 अम्ल को र्नुकृर् करर्े समय यह क्यों अनुशसं सर् करर्े हैं दक अम्ल को जल में थमलाना चाट्हए, न दक जल को अम्ल में? उत्तर- अम्ल को र्नुकृर् करर्े समय यह अनुशंससर् करर्े हैं दक अम्ल को जल में थमलाना चाट्हए, न दक जल को अम्ल क्योंदक जल को सांद्र अम्ल में थमलने से वह र्ीव्र अथभदिया कर ववस्फोट करर्े है । इसके कई दुष्पररणाम हो सकर्े है । इसललए हमें कभी भी जल को अम्ल में नहीं थमलाना चाट्हए बत्वल्क हमें अम्ल को जल में थमलाना चाट्हए। प्रश्न 5 अम्ल के ववलयन को र्नुकृर् करर्े समय हाइड्र ोतनयम आयन H3O+ की संlद्रर्ा कैसे प्रभाववर् हो जार्ी है ? उत्तर- अम्ल के ववलयन को र्नुकृर् करर्े समय हाइड्र ोतनयम आयन (H3O+) की सांद्रर्ा कम होने लगर्ी है । जैसे-जैसे हम उसमे जल की मात्रा बढ़ार्े है , उसमें प्रतर् इकाई आयर्न में हाइड्र ोतनयम आयन (H3O+) की मात्रा कम होने लगर्ी है और अम्ल की अम्लीयर्ा घट जार्ी है। (16) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण प्रश्न 5 जब सोदड्यम हाइड्र ॉक्साइड् ववलयन में अथधक क्षारक थमलार्े हैं र्ो हाइड्र ॉक्साइड् आयन (OH–) की सांद्रर्ा कैसे प्रभाववर् होर्ी है ? उत्तर- क्षार में हाइड्र ॉक्साइड् आयन (OH-) की सांद्रर्ा अथधक होर्ी है । इसललए जब सोदड्यम हाइड्र ॉक्साइड् ववलयन में आथधक्य क्षारक थमलार्े है र्ो हाइड्र ॉक्साइड् आयन (OH-) की सांद्रर्ा और अथधक हो जार्ी है । प्रश्न (पृष्ठ संख्या 31) प्रश्न 1 आपके पास दो ववलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं । ववलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं ववलयन ‘B’ के pH का मान 8 है । दकस ववलयन में हाइड्र ोजन आयन की सांद्रर्ा अथधक है ? इनमें से कौन अम्लीय है र्र्ा कौन क्षारकीय? उत्तर- यदद ववलयन के pH का मान 7 से अथधक है र्ो वह क्षारीय है और यदद pH का मान 7 से कम है र्ो वह अम्लीय है । इसललए ववलयन 'A' अम्लीय है और ववलयन 'B' क्षारीय है। अम्लीय ववलयन में हाइड्ोजन आयन की सांद्रर्ा अथधक होर्ी है इसललए ववलयन 'A' में हाइड्र ोजन आयन की सांद्रर्ा अथधक है । प्रश्न 2 आयन की सांद्रर्ा का ववलयन की प्रकृतर् पर क्या प्रभाव पड़र्ा है ? उत्तर- जैसे– जैसे हाइड्र ोजन आयन H+ (aq) आयन दक सांद्रर्ा बढर्ी है ववलयन और अथधक अम्ल होर्ा है। प्रश्न 3 क्या क्षारकीय ववलयन में H+(aq) आयन होर्े हैं ? अगर हा ाँ, र्ो यह क्षारकीय क्यों होर्े हैं ? उत्तर- क्षारकीय ववलयन में H+ (aq) आयन भी होर्े हैं परन्तु इनकी सांद्रर्ा OH- (aq) आयन की सांद्रर्ा से बहुर् कम होर्ी है। OH-(aq) आयन की सांद्रर्ा अथधक होने के कारण ही ये क्षारीय होर्े है । प्रश्न 4 कोई दकसान खेर् की मृदा की दकस पररस्थितर् में तबना बुझा हुआ चूना (कैक्टियम ऑक्साइड्), बुझा हुआ चूना (कैक्टियम हाइड्र ॉक्साइड्) या चॉक (कैक्टियम काबोनेट) का उपयोग करेगा? (17) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण उत्तर- कोई दकसान खेर् की मृदा की अम्लीय पररस्थितर् में तबना बुझा हुआ चूना (कैक्टियम ऑक्साइड्), बुझा हुआ चूना (कैक्टियम हाइड्र ॉक्साइड्) या चॉक (कैक्टियम काबोनेट) का उपयोग थमट्टी को उदासीन बनाने के ललए करेगा। प्रश्न (पृष्ठ संख्या 36) प्रश्न 1 CaOCl2 यौथगक का प्रचललर् नाम क्या है ? उत्तर- CaOCl2 यौथगक का प्रचललर् नाम ववरंजक चूणथ है । प्रश्न 2 उस पदार्थ का नाम बर्ाइए जो क्लोरीन से दिया करके ववरंजक चूणथ बनार्ा है । उत्तर- शुष्क बुझा हुआ चूना क्लोरीन से दिया करके ववरंजक चूणथ बनार्ा है । प्रश्न 3 किोर जल को मृदु करने के ललए दकस सोदड्यम यौथगक का उपयोग दकया जार्ा है ? उत्तर- किोर जल को मृदु करने के ललए सोदड्यम काबौनेट लजसे धोने का सोड्ा भी कहर्े है । प्रश्न 4 सोदड्यम हाइड्र ोजनकाबोनेट के ववलयन को गमथ करने पर क्या होगा? इस अथभदिया के ललए समीकरण ललखखए| उत्तर- सोदड्यम हाइड्र ोजनकॉबोनेट के ववलयन को गमथ करने पर यह सोदड्यम कॉबोनेट, जल र्र्ा कॉबथन ड्ाईऑक्साइड् बनर्ा है। प्रश्न 5 प्लास्टर ऑफ़ पेररस की जल के सार् अथभदिया के ललए समीकरण ललखखए। 1 उत्तर- प्लास्टर ऑफ़ पेररस [CaSO4. H ] जल के सार् अथभदिया करके लजप्सम 2 2O [CaSO4.2H2O] बनर्ा है । (18) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण प्रश्न (पृष्ठ संख्या 37-39) प्रश्न 1 कोई ववलयन लाल ललटमस को नीला कर देर्ा है , इसका pH संभवर्ः क्या होगा? a. 1 b. 4 c. 5 d. 10 उत्तर- d. 10 प्रश्न 2 कोई ववलयन अंड्े के पपसे हुए कवच से अथभदिया कर एक गैस उत्पन्न करर्ा है जो चूने के पानी को दुथधया कर देर्ी है । इस ववलयन में क्या होगा? a. NaCl b. HCl c. LiCl d. KCl उत्तर- b. HCl स्पष्टीकरण- क्योंदक अंड्े के पपसे हुए कवच में कैक्टियम काबोनेट [Caco3] होर्ा है जो HCl से दिया करके काबथन ड्ाइआक्साइड् गैस उत्पन्न करर्ा है। काबथन ड्ाइआक्साइड् गैस चूने के पानी को दुथधया कर देर्ी है। (19) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण प्रश्न 3 NaOH का 10ml ववलयन, HCl के 8ml ववलयन से पूणथर्ः उदासीन हो जार्ा है। यदद हम NaOH के उसी ववलयन का 20ml लें र्ो इसे उदासीन करने के ललए HCl के उसी ववलयन की दकर्नी मात्रा की आवश्यकर्ा होगी? a. 4ml b. 8ml c. 12ml d. 16ml उत्तर- d. 16ml स्पष्टीकरण- क्योंदक लजस अनुपार् में क्षार है उसी अनुपार् में अम्ल थमलाने से पूणथर्ः उदासीन हो जार्ा है । प्रश्न 4 अपच का उपचार करने के ललए तनम्न में से दकस और्थध का उपयोग होर्ा है ? a. एंटीबायोट्टक (प्रतर्जैववक) b. एनालजेससक (पीड़ाहारी) c. ऐन्टैससड् (प्रतर्अम्ल) d. एंटीसेलिक (सड्नरोधी) उत्तर- c. ऐन्टैससड् (प्रतर्अम्ल) स्पष्टीकरण- क्योदक ऐन्टैससड् पेट में अम्ल की अथधकर्ा को कम करर्ा है । प्रश्न 5 तनम्न अथभदिया के ललए पहले शब्द-समीकरण ललखखए र्र्ा उसके बाद संर्लु लर् समीकरण ललखखए- (20) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण (a) र्नु सल्फ्यूररक अम्ल दानेदार लजिंक के सार् अथभदिया करर्ा है। (b) र्नु हाइड्र ोक्लोररक अम्ल मैग्नीलशयम पट्टी के सार् अथभदिया करर्ा है । (c) र्नु सल्फ्यूररक अम्ल ऐलुथमतनयम चूणथ के सार् अथभदिया करर्ा है । (d) र्नु हाइड्र ोक्लोररक अम्ल लौह के रेर्न के सार् अथभदिया करर्ा है। उत्तर- प्रश्न 6 एल्कोहोल एवं ग्लूकोज जैसे यौथगको में भी हाइड्र ोजन होर्े है लेदकन इनका वगीीकरण अम्ल दक र्रह नहीं होर्ा है । एक दियाकलाप द्वारा इसे सातबर् कीलजए। उत्तर- ग्लूकोि, ऐल्कोहॉल, हाइड्र ोक्लोररक अम्ल, सल्फ्रयूररक अम्ल आदद का ववलयन लीलजए। एक कॉकथ पर दो कीलें लगाकर कॉकथ को 100mL के बीकर में रख दीलजए। अब दकलों को 6 वोल्ट की एक बैटरी के दोनों टर्ममनलो के सार् एक बल्ब र्र्ा स्थस्वच के माध्यम से जोड़ दीलजए। अब बीकर में र्ोड़ा र्नु HCl ड्ालकर ववद्युर् धारा प्रवाट्हर् कीलजए। इसी दिया को र्नु (21) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण सल्फ्रयूररक अम्ल के सार् दोहराइए। एल्कोहोल एवं ग्लूकोज जैसे यौथगको में भी हाइड्र ोजन होर्े है लेदकन इनका वगीीकरण अम्ल दक र्रह नहीं होर्ा है क्योंदक ये H+ आयन नहीं बनार्ा है । प्रश्न 7 आसववर् जल ववधुर् का चालक क्यों नहीं होर्ा जबदक वर्ाथ जल होर्ा है ? उत्तर- आसववर् जल एक शुद्ध रूप है और यह दकसी भी प्रकार आयनों से मुि होर्ा है । ववध्युर् के संचालन के ललए आयनों की आवश्यकर्ा होर्ी है इसललए, यह ववध्युर् का संचालन नहीं करर्ा है । जबदक वर्ाथ का जल शुद्ध नहीं होर्ा है। इसमें वार्ावरण की आंलशक अशुलद्धया ाँ थमली हुई होर्ी है । अर्ः यह ववध्युर् का संचालन करर्ा है । प्रश्न 8 जल की अनुपस्थितर् में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होर्ा है ? उत्तर- अम्ल जलीय ववलयन में ववघट्टर् होकर हाइड्र ोजन आयन (H+) उत्पन्न करर्े हैं जो उनकी अम्लीयर्ा के अथभलक्षण को प्रदर्शशर् करर्े हैं । जल की अनुपस्थितर् के कारण हाइड्र ोजन आयन उत्पन्न नहीं हो पार्े हैं। इसललए जल की अनुपस्थितर् में अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होर्ा है । प्रश्न 9 पा ाँच ववलयनो A, B, C, D व E की जब सावथत्रत्रक सूचक से जांच दक जार्ी है र्ो pH के मान िमशः 4, 1, 11, 7 एवं 9 प्राप्त होर्े है । कौन सा विलयन- a. उदासीन है? b. प्रबल क्षारीय है ? c. प्रबल अम्लीय है ? (22) 02 अम्ल, क्षारक एवं लवण d. दुबथल अम्लीय है ? e. दुबथल क्षारीय है ? pH के मानो को हाइड्र ोजन आयन की सांद्रर्ा के आरोही िम में व्यवस्थिर् कीलजए। उत्तर- विलयन pH का मान सािवविक सूचक से जांच A 4 दुबथल अम्लीय है । B 1 प्रबल अम्लीय है । C 11 प्रबल क्षारीय है । D 7 उदासीन है। E 9 दुबथल क्षारीय है । H+ आयन की सांद्रर्ा जैसे-जैसे बढर्ी है pH का मान उसी प्रकार घटर्ा है । C

Use Quizgecko on...
Browser
Browser