Class 12th Physics - मंजिल बैच - 2025 PDF

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This document is a crash course for class 12th physics, specifically for the Bihar Board, covering topics in wave optics. Focuses on understanding wave behavior and properties. This document, a part of Disha Online Classes material, contains notes and study guides in Hindi.

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Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course...

Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY (A Unit of Disha Online Classes) मंजिल बैच-2025 For: - Class – 12th Science (Bihar Board) विषय :- भौवतकी अध्याय- 10 तरंग प्रकालिकी By – Krishna Sir Under the Guidance Of Sanjay Sir COURSE FEATURES ❖ Live Classes ❖ PDF Notes ❖ Recorded Classes ❖ Model Paper ❖ Class Pdf ❖ Guess Question ❖ Doubt Classes ❖ Question Bank App:- https://play.google.com/store/apps/details?id=co.dishaonlineclasses YouTube:- https://youtube.com/@DishaArtsClasses इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY ❖ तरं ग प्रकालिकी:- भौवतकी की िह िाखा लजसके सन् 1675 (न्यूटन) → कलणका लसद्ांत का प्रवतपादन वकया अंतगयत प्रकाि को तरंग के रूप में माना जाता है, उसे इस लसद्ांत के अनुसार:- तरंग प्रकालिकी कहते हैं| ✓ प्रकाि भारहीन तथा अदृश्य कणों का पुं ज है| ❖ तरं ग (Wave):- वकसी माध्यम में हिचि/विछोभ है| ✓ न्यूटन का कलणका लसद्ांत ने प्रकाि का पराितयन, वकसी माध्यम में िह हिचि या विछोभ जो विना रूप अपितयन एिं सरि रेलखय्य गवत का व्याख्या वकया| िदिे एक स्थान से दुसरे स्थान तक उजाय िे जाता है, Note:- (i) न्यूटन का कलणका लसद्ांत व्यवतकरण, उसे तरंग कहते हैं| विितयन एिं ध्रुिण को व्याख्या नहीं कर पाया| (ii) प्रकाि विरि माध्यम की अपेक्षा सघन माध्यम में तरं ग (Wave) अलधकतम चाि से गवत करता है| → सन् 1850 में फूको ने प्रयोग के आधार पर यह लसद् अनुप्रस्थ तरं ग अनुदैध्यय तरं ग वकया जि में प्रकाि की चाि िायु में प्रकाि की चाि से कम होती है| 1. अनुप्रस्थ तरं ग:- माध्यम का तरंग लजसमें इसकी सं चरण → इस प्रकार न्यूटन का कलणका लसद्ांत असफि रहा| की वदिा कण के िं िित हो| सन् 1678 में → वक्रलिऑन हाइगेंस ने प्रकाि के लसद्ांत Ex:- तनी हुई डोरी, प्रकाि की तरं ग, जि के सतह का प्रवतपादन वकया| इस लसद्ांत के अनुसार:- प्रकाि कणों का पुं ज नहीं िस्प्ि तरंग है| हाईगेंस का तरं ग लसद्ांत:- प्रकाि की ध्रुिण की व्याख्या नहीं कर पाती है| यं ग एिं फ्रेनि ने लसद् वकया वक प्रकाि अनुप्रस्थ िैद्युत चुम्बकीय तरंग है| हाईगेंस का लसद्ांत:- दो क्रमागत श्रंग या गतय के िीच की दूरी → तरं गदै ध्यय (𝝀) इस लसद्ांत के अनुसार, 2. अनुदैध्यय तरं ग:- िह तरंग लजसमें माध्यम का कण तरं ग “प्रकाि वकसी स्त्रोत से तरंग के रूप में सं चरण इधर-उधर कम्पन्न करता है| वनकिती है, लजसे सं चरण के लिए वकसी माध्यम की जरुरत होती है| ✓ तरंग के सं चरण के लिए हाईगेंस ने ईथर माध्यम की कल्पना की| ✓ यह तरंग सभी वदिाओं में प्रकाि की चाि से गवत करता है| ✓ प्रकाि की चाि = 𝟑 × 𝟏𝟎𝟖 𝒎/𝒔 Eg: एक लसरे से िं धे स्प्रंग को खींचकर छोड़ने पर उत्पन्न ❖ तरं गाग्र (Wavefront):- जि वकसी प्रकाि स्त्रोत से तरं ग प्रकाि उत्सलजयत होती है, तो तरंग उस माध्यम के कण सन् 1637 में देकाते (दाियवनक) → प्रकाि सूक्ष्म कण को कम्पन्न कराता है म माध्यम के कण वकसी क्षण इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY वििेष में समान किा में होती है, उस विं दु को तरंगाग्र हाइगेंस के वितीयक तरं वगकाओं का लसद्ांत:- वकसी कहते हैं| प्राथवमक तरंगाग्र के प्रत्येक विं दु पर तरंवगकाओं के ✓ सभी तरंवगकाओं को वमिाने िािी पथ को तरंगाग्र उपस्प्स्थवत वितीयक प्रकाि के स्त्रोत की तरह व्यिहार कहते हैं| करती है| ✓ तरंगाग्र प्रकाि की वकरण के िं िित होती है| तरं ग के प्रकार:- ❖ प्रकाि के स्त्रोत आकार के आधार पर तरं गाग्र तीन प्रकार के होते हैं| (i) गोिीय या गोिाकार तरं गाग्र (ii) िेिनाकार तरं गाग्र ✓ वितीयक प्रकाि के स्त्रोत से उत्पन्न तरंगाग्र को वितीयक (iii) समति तरं गाग्र तरंगाग्र करती कहते हैं| (i) गोिीय या गोिाकार तरं गाग्र (Spherical ✓ हाइगेंस ने अग्र तरंगाग्र को कहा वक ये उजाय को िहन Wavefront):- यवद प्रकाि के स्त्रोत विं दु जैसा हो तो करती हैं| समान दूरी पर उत्पन्न तरंगाग्र को गोिीय तरंगाग्र कहते हैं| हाइगेंस के लसद्ांत के दोष:- (i) जि तरंगाग्र अग्रवदिा में िढती है, तो उजाय का िहन करती है, िेवकन पश्च तरंगाग्र के िारे में हाइगेंस ने उजाय के िहन को स्पष्ट नहीं वकया| जो हाइगेंस तरंग लसद्ांत का दोष है| (ii) इसका लसद्ांत ध्रुिण की व्याख्या नहीं कर पाया| (ii) िेिनाकार तरं गाग्र:- जि प्रकाि का स्त्रोत रेखीय हो तो (iii) माइकल्सन मोरिे ने ईथर माध्यम को प्रायोवगक रूप उससे उत्पन्न तरंगाग्र को िेिनाकार तरंगाग्र कहते हैं| से नाकार वदया| या, िारीक रेखा लछद्र से उत्पन्न तरंगाग्र को ✓ हाइगेंस के तरं ग लसद्ांत से प्रकाि के पराितयन की िेिनाकार तरंगाग्र कहते हैं| व्याख्या:- पराितयन के वनयम ∠आपतन कोण = ∠पराितयन कोण ∠𝒊 = ∠𝒓 ✓ प्रकाि के पराितयन में प्रकाि की चाि, प्रकाि की आिरवत तथा तरंगदैध्यय नहीं िदिी है| ✓ तरंगाग्र प्रकाि की वकरण के िं िित होती है| (iii) समति तरं गाग्र:- जि प्रकाि स्त्रोत विं दु या रेखीय हो माना वक 𝒙𝒚 एक पराितयक परष्ठ है, लजसपर 𝑨𝑩 एक िेवकन िहुत अलधक दूरी पर हो तो उससे उत्पन्न तरंगाग्र को समति तरंगाग्र आपवतत होती है तथा 𝑨′ 𝑩′ परािवतयत समति तरंगाग्र कहते हैं| तरंगाग्र है| इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY 𝑁′ 𝐴′ 𝑁′ 𝑁′ 𝑖 90° 𝑖 −𝑖 𝑖 90° − 𝑖 माध्यम 1 𝑋 𝐴 𝐵′ 𝑌 𝑖 𝐵′ 𝑃′ 𝐴 𝑟 𝑃 𝐴 90° − 𝑟 माध्यम 2 𝑟 𝑁 𝑁 𝐴′ 𝑁 𝑁 माना वक प्रकाि की चाि C है| B से 𝐵 ′ तक की दूरी माना वक 𝑷𝑷′ अपितयक परष्ठ है जो माध्यम −𝟏 तथा 𝐵𝐵′ = 𝑐𝑡 (दूरी = चाि × समय) − (𝑖) माध्यम −𝟐 को अिग करता है तथा 𝑨𝑩 आपवतत तरंगाग्र इसी प्रकार A से 𝐴′ तक की दूरी है तथा माध्यम 1 प्रकाि 𝒗𝟏 तथा माध्यम 𝟐 प्रकाि 𝒗𝟐 𝐴𝐴′ = 𝑐𝑡 − (𝑖𝑖) है| समी० (i) तथा (ii) से, जि तरंगाग्र B से 𝑩′ पर पहुुँचती है, उसे समय A 𝐴𝐴′ = 𝐵𝐵′ = 𝑐𝑡 से 𝐴′ पर पहुुँचती है| ∆𝐴𝐴′ 𝐵 तथा ∆𝐴𝐵𝐵′ में दूरी 𝐵𝐵′ = 𝑣1 𝑡 − (𝑖 ) 𝐴𝐵′ = 𝐴𝐵′ (उभयवनष्ठ है) 𝐴𝐴′ = 𝐵𝐵′ = 𝑐𝑡 दूरी 𝐴𝐴1 = 𝑣2 𝑡 − (𝑖𝑖) ∠𝐴𝐵𝐵′ = ∠𝐴𝐴′ 𝐵′ = 90० समकोण ∆𝐴𝐵𝐵′ में इस प्रकार 𝐵𝐵′ sin 𝑖 = − (𝑖𝑖𝑖) ∆𝐴𝐴′ 𝐵 ′ तथा ∆𝐴𝐵𝐵′ सिाांगसम है| 𝐴𝐵′ ∠𝐵𝐴𝐵′ = ∠𝐴′ 𝐵 ′ 𝐴 इसी प्रकार से ∆𝐴𝐴′ 𝐵′ में, ∠𝑖 = ∠𝑟 𝐴𝐴′ sin 𝑟 = − (𝑖𝑣 ) Proved 𝐵𝐵′ समी० (iii) में समी० (iv) से भाग देने पर, हाइगेंस के तरं ग लसद्ांत से प्रकाि के अपितयन की sin 𝑖 𝐵𝐵′ व्याख्या:- = sin 𝑟 𝐴𝐵′ 𝐴𝐴′ ❖ अपितयन:- जि प्रकाि एक माध्यम से दूसरी माध्यम में 𝐴𝐵′ प्रिेि करती है, तो अपने पूिय पथ से विचलित हो जाती समी० (i) एिं (ii) से, है| sin 𝑖 𝐵𝐵 ′ 𝑉1 𝑡 = = ✓ अपितयन के िाद प्रकाि की चाि तथा तरंगदैध्यय िदि sin 𝑟 𝐴𝐴′ 𝑉2 𝑡 sin 𝑖 𝑉1 जाती है| िेवकन आिरवत नहीं िदिती है| = = वनयतांक sin 𝑟 𝑉2 𝐬𝐢𝐧 𝒊 sin 𝑖 = वनयतांक = वनयतांक 𝐬𝐢𝐧 𝒓 sin 𝑟 इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY sin 𝑖 (ii) विनािी व्यवतकरण (Destructive =𝜇 sin 𝑟 Interference) Proved (i) सम्पोिी (रचनात्मक) व्यवतकरण:- तरंगों के अध्यारोपण तरं गों का अध्यरोपण लसद्ांत (Principle of के कारण लजन विन्दुओ ं पर पररणामी तीव्रता अलधक होती Superposition of waves):- जि वकसी माध्यम है, उसे सं पोिी (रचनात्मक ) व्यवतकरण कहते हैं| में दो से अलधक तरंगें चिती है, तो ये माध्यम में जहाुँ सं पोिी (रचनात्मक ) व्यवतकरण होता है, िहाुँ उपस्प्स्थत प्रत्येक कण को एक साथ प्रभावित करता है| चमकीिा धब्बा िनेगा| जि वकसी माध्यम में दो या दो से अलधक तरंगे गमन करती है तो माध्यम के वकसी विं दु पर स्प्स्थत कण का पररणामी विस्थापन अिग – अिग तरं गों िारा उत्पन्न विस्थापनों के सवदि योग के िरािर होता है | ✓ वकसी माध्यम में दो या दो से अलधक तरंगों िारा वकसी क्षण में वकसी विं दु पर अिग-अिग विस्थापन के (ii) विनािी व्यवतकरण:- तरंगों के अध्यारोपण के कारण पररणाम के सवदि योग को तरंगों का अध्यारोपण लजन विन्दुओ ं पर पररणामी तीव्रता कम होती है, उसे लसद्ांत कहते हैं| विनािी व्यवतकरण कहते हैं| ✓ माना वक 𝑌⃗ 1 तथा 𝑌⃗ 2 तरंगों िारा कण का अिग-अिग जहाुँ विनािी व्यवतकरण होता है, िहाुँ कािा धब्बा िनता विस्थापन है| है| पररणामी विस्थापन के लिए, 𝑌=𝑌 ⃗1 + 𝑌⃗2 या ⃗ =𝑌 𝑌 ⃗1 + 𝑌⃗2 + … … … ❖ तरं गों का व्यवतकरण (Interference of Wave):-  जि तरंगों का व्यवतकरण होता है, तो वनम्न स्प्स्थवत होती है ❖ व्यवतकरण का गलणतीय वििेचना या व्यवतकरण के  आिती समान होता है | फिस्वरूप पररणामी आयाम या तीव्रता के व्यं जक:-  आयाम – सामान या लभन्न होता है | माना वक वकसी माध्यम में दो तरंग अध्यारोवपत है, तथा  किा – सं िं द् (Coherent) होता है | वकसी क्षण दोनों तरंगों का विस्थापन 𝑦1 तथा 𝑦2 है, → जि वकसी माध्यम में दो या दो से अलधक तरंग एक 𝑦1 = 𝑎1 sin 𝜔𝑡 − (𝑖 ) 𝑦2 = 𝑎2 sin(𝜔𝑡 + 𝜙) − (𝑖𝑖) साथ एक वदिा में चिती है , तो अध्यारोपण के कारण जहाुँ 𝑎 = तरंग आयाम कु छ विं दु पर पररणामी तीव्रता अलधक या न्यूनतम हो जाती 𝜔 = कोणीय आिरवत है , लजसके कारण से उजाय का पुनवियतरण होता है, इस 𝜙 = किांतर घटना को व्यवतकरण कहते हैं| अध्यारोपण के लसद्ांत से,  व्यवि करण के प्रकार:- 𝑦 = 𝑦1 + 𝑦2 (i) सम्पोिी (रचनात्मक )व्यवतकरण (Constructive 𝑦 = 𝑎1 sin 𝜔𝑡 + 𝑎2 sin(𝜔𝑡 + 𝜙) Interference) ∵ sin(𝐴 + 𝐵) = sin 𝐴 cos 𝐵 + cos 𝐴 ∙ sin 𝐵 इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY 𝑦 = 𝑎1 sin 𝜔𝑡 𝐴 sin 𝜃 𝑎2 sin 𝜙 = + 𝑎2 [sin 𝜔𝑡 ⋅ cos 𝜙 + cos 𝜔𝑡 𝐴 cos 𝜃 𝑎1 + 𝑎2 cos 𝜙 ∙ sin 𝜙] 𝑎2 sin 𝜙 𝑦 = 𝑎1 sin 𝜔𝑡 + 𝑎2 sin 𝜔𝑡 cos 𝜙 + 𝑎2 cos 𝜔𝑡 tan 𝜃 = 𝑎1 + 𝑎2 cos 𝜙 ∙ sin 𝜙 𝑎2 sin 𝜙 (𝑎1 + 𝑎2 𝑐𝑜𝑠𝜙) sin 𝜔𝑡 + 𝑎2 cos 𝜔𝑡 ∙ sin 𝜙 𝜃 = tan−1 𝑎1 + 𝑎2 cos 𝜙 − (𝑖𝑖𝑖 ) पररणामी तरं ग आयाम इस समीकरण को sin(𝐴 + 𝐵) के रूप में िदिना है| माना वक 𝑅\𝐴 = √𝑎12 + 𝑎22 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 𝑎1 + 𝑎2 cos 𝜙 = 𝐴 cos 𝜃 − (𝑖𝑣 ) cos 𝜙 , 𝜙 = किांतर 𝑎2 sin 𝜙 = 𝐴 sin 𝜃 − (𝑣 ) 𝑅 → न्यूनतम के लिए ति समी० (iii) में, cos 𝜙 = −1 𝑦 = 𝐴 cos 𝜃 sin 𝜔𝑡 + 𝐴 sin 𝜃 cos 𝜔𝑡 यवद 𝜙 = 𝜋, 3𝜋, 5𝜋, 7𝜋 … … … 𝑦 = 𝐴(sin 𝜔𝑡 cos 𝜃 + cos 𝜔𝑡 sin 𝜃) सामान्य रूप में, 𝑦 = 𝐴 sin(𝜔𝑡 + 𝜃) 𝑦 = 𝑅 sin(𝜔𝑡 + 𝜃) (2𝑛 − 1)𝜋 अतः यह पररणामी तरं ग विस्थापन है| ति 𝑛 = 1, 2, 3 𝐴 या 𝑅 = पररणामी आयाम है, तथा 𝜃 पररणामी किांतर या (2𝑛 + 1)𝜋 है| 𝑛 = 0, 1, 2, 3 पररणामी आयाम (R या A) के लिए, 𝑅\𝐴 = √𝑎12 + 𝑎22 + 2𝑎1 𝑎2 (−1) समी० (iv) तथा (v) के िगय को जोड़ने पर 𝑅\𝐴 = √𝑎12 + 𝑎22 − 2𝑎1 𝑎2 [(𝑎1 + 𝑎2 cos 𝜙)2 + (𝑎2 sin 𝜙)2 ] = (𝐴 cos 𝜃)2 + (𝐴 sin 𝜃)2 𝑅\𝐴 = √(𝑎1 − 𝑎2 )2 ✓ यह विनािी व्यवतकरण का आयाम है | पररणामी 𝑎12 + 𝑎22 cos 2 𝜙 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 + 𝑎22 sin2 𝜙 आयाम न्यूनतम है| इस प्रकार विनािी व्यवतकरण 2 2 2 2 = 𝐴 cos 𝜃 + 𝐴 sin 𝜃 किांतर 𝝅 का गुणांक विषम होता है| 𝑎12 + 𝑎22 2 cos 𝜙 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 + 𝑎22 sin2 𝜙 𝑅\𝐴 = अलधकतम के लिए = 𝐴2 (sin2 𝜃 + cos 𝜃 2 ) 𝑎12 + 𝑎22 cos 2 𝜙 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 + 𝑎22 sin2 𝜙 ∵ 𝑅\𝐴 = √𝑎12 + 𝑎22 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 = 𝐴2 cos 𝜙 = +1 𝑎12 + 𝑎22 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 = 𝐴2 𝐴2 = 𝑎12 + 𝑎22 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 किांतर 𝜙 = 0, 2𝜋, 4𝜋, 6𝜋 … … … सामान्य रूप = 2𝑛𝜋 𝐴 = √𝑎12 + 𝑎22 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 𝑅 = √𝑎12 + 𝑎22 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 या, 𝑅 = √𝑎12 + 𝑎22 + 2𝑎1 𝑎2 cos 𝜙 𝑅 = √𝑎12 + 𝑎22 + 2𝑎1 𝑎2 𝜽 के लिए, 𝑅\𝐴 = √(𝑎1 + 𝑎2 )2 समी० (v) में (iv) से भाग देने पर यहाुँ 𝑅 → अलधकतम है जो सं पोिी या रचनात्मक व्यवतकरण का पररणाम है| इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY अतः सं पोिी या रचनात्मक व्यवतकरण के लिए किांतर 𝝅 का सम गुणांक है| 𝑅 ❖ यं ग के वि-लछद्र प्रयोग से सम्बं लधत मूिभूत िातें| 𝑆1 यं ग के वि-लछद्र प्रयोग में एक ही प्रकाि के स्त्रोत का 𝑥 प्रयोग होता है| 𝜃 𝑑 इस प्रयोग में प्रकाि का व्यवतकरण की घटना होती है| 𝜃 𝑆 लजसके कारण पदे पर समपोिी व्यवतकरण तथा विनािी 𝑄 𝑃 व्यवतकरण होता है| व्यवतकरण की घटना में रंगीन पट्टी प्राप्त होता है, लजसे 𝑆2 वफ्रंज कहते हैं| 𝐷 समपोिी व्यवतकरण के कारण दीप्त वफ्रंज तथा विनािी व्यवतकरण के कारण अदीप्त वफ्रंज प्राप्त होता है| 𝑥 − (𝑖 ) 𝜃= 𝐷 ❖ दीप्त वफ्रंज (Bright Fringe):- चुवक R पर पहुचने िािी 𝑆1 तथा 𝑆2 तरंगों के िम्बाई में ✓ जि वकसी स्थान पर एक तरंवगका का श्रंग तथा दुसरे अंतर है लजसे पथांतर कहते हैं| तरंवगका का भी श्रंग या एक का गतय दुसरे तरंवगका का 𝑆1 से 𝑆2 𝑅 पर एक िं ि डािा, भी गतय वमिता है तो उन स्थानों पर पररणामी आयाम तो 𝑆2 𝑁 पथांतर हुआ| इन दोनों तरंगों के आयाम के योग के िरािर होता है तो ∆𝑆2 𝑁𝑆1 में 𝑆2 𝑁 पथांतर है| उससे िना वफ्रंज को दीप्त वफ्रंज कहते हैं| 𝑆2 𝑁 sin 𝜃 = ❖ अदीप्त वफ्रंज (Dark Fringe):- जि वकसी स्थान पर 𝑆1 𝑆2 एक तरंवगका का श्रंग तथा दुसरे तरंवगका का गतय ∆ sin 𝜃 = 𝑑 वमिता हो, तो उस स्थानों पर पररणामी आयाम दो ∵ 𝜃 सूक्ष्म है| तरंवगकाओं आयाम के अंतर के िरािर होता है तो ∆ विनािी व्यवतकरण होती है, तो अदीप्त वफ्रंज िनता है| sin 𝜃 = 𝜃 = − (𝑖𝑖) 𝑑 ❖ यं ग के वि-लछद्र प्रयोग (Young double slit समी० (i) तथा (ii) से, 𝑥 ∆ Experiment):- माना वक S कोई एकिणी प्रकाि = 𝑑 𝑑 आपवतत हो रही है लजससे थोड़ा आगे 𝑆1 तथा 𝑆2 ∆𝐷 𝑥= − (𝑖𝑖𝑖 ) समान दूरी पर दो लछद्र है जो प्रकाि नए स्त्रोत के जैसा 𝑑 कायय करता है| 𝑆1 तथा 𝑆2 के िीच किांतर वनयत है| दीप्त वफ्रंज के लिए 𝑆1 तथा 𝑆2 किा सम्बद् है| समपोषी व्यवतकरण समकोण विभुज PQR में कािांतर (𝜙) = 2𝑛𝜋 𝜆 𝑅𝑄 पथांतर (∆) = × किांतर tan 𝜃 = 2𝜋 𝑃𝑄 𝜆 ∆= ×𝜙 यवद 𝜃 सूक्ष्म हो 2𝜋 𝑥 𝜆 tan 𝜃 ≈ 𝜃 = ∆= 2𝑛𝜋 𝐷 2𝜋 इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY ∆= 𝜆𝑛 (2𝑛 + 1)𝐷 𝑥′𝑛 = समी० (iii) ∆ का मान रखने पर 2𝑑 ∆𝐷 पुनः (𝑛 + 1)िीं की वफ्रंज के लिए 𝑥= [2(𝑛 + 1) + 1]𝜆𝐷 𝑑 ′ 𝜆𝑛𝐷 𝑥𝑛+1 = 𝑥= 2𝑑 𝑑 अदीप्त वफ्रंज की चौड़ाई यवद n दीप्त वफ्रंज हो, ′ 𝛽′ = 𝑥𝑛+1 − 𝑥𝑛′ 𝜆𝑛𝐷 [2(𝑛 + 1) + 1]𝜆𝐷 (2𝑛 + 1)𝜆𝐷 𝑥𝑛 = 𝛽′ = − 𝑑 2𝑑 2𝑑 𝑛𝜆𝐷 𝜆𝐷 𝑥𝑛 = 𝛽′ = [ 2(𝑛 + 1) − 2𝑛 + 1)] 𝑑 2𝑑 (𝑛 + 1) िीं दीप्त वफ्रंज 𝜆𝐷 ति 𝛽′ = [𝟐𝒏 + 𝟐 + 𝟏 − 𝟐𝒏 − 𝟏] 2𝑑 (𝑛 + 1)𝜆𝐷 𝑥𝑛+1 = 𝜆𝐷 𝑑 𝛽′ = 2. अत: दीप्त वफ्रंज की चौड़ाई 2𝑑 𝜆𝐷 𝛽 = 𝑥𝑛+1 − 𝑥𝑛 𝛽′ = 𝑑 (𝑛 + 1)𝜆𝐷 𝛽= − 𝑥𝑛 अतः अदीप्त वफ्रंज की चौड़ाई = दीप्त वफ्रंज की चौड़ाई 𝑑 𝜆𝐷 (𝑛 + 1)𝜆𝐷 𝑛𝜆𝐷 𝛽= 𝛽= − 𝑑 𝑑 𝑑 𝑛𝜆𝐷 + 𝜆𝐷 𝑛𝜆𝐷 वफ्रंज की चौड़ाई को प्रभावित करने िािा कारक:- 𝛽= − 𝑑 𝑑 (i) 𝛽 ∝ 𝜆 → यहाुँ वफ्रंज की चौड़ाई (𝛽) तरंगदैध्यय (𝜆) 𝑛𝜆𝐷 𝜆𝐷 𝑛𝜆𝐷 𝛽= + − के समानुपाती है| 𝑑 𝑑 𝑑 𝜆𝐷 अथायत तरंगदैध्यय िढ़ने पर वफ्रंज की चौड़ाई िढती 𝛽= 𝑑 है| िाि प्रकाि की वफ्रंजे नीिे प्रकाि की वफ्रंजें से अलधक यह दीप्त वफ्रंज की चौड़ाई है| चौड़ी होती है। अदीप्त वफ्रंज के लिए (ii) 𝛽 ∝ 𝐷 → यहाुँ वफ्रंज की चौड़ाई (𝛽) पदे और स्प्िट ∵ विनािी व्यवतकरण के लिए के िीच की दूरी (𝐷 ) के समानुपाती है किांतर (𝜙) = (2𝑛 + 1)𝜋 अथायत पदे और स्प्िट के िीच की दूरी िढ़ने पर 𝜆 पथांतर (∆) = × किांतर वफ्रंज की चौड़ाई िढ़ जाती है| 2𝜋 𝜆 (iii) 𝛽 ∝ 1 → यहाुँ वफ्रंज की चौड़ाई (𝛽) दोनों स्त्रोत ∆= (2𝑛 + 1)𝜋 𝑑 2𝜋 𝜆 (𝑆1 & 𝑆2 ) के दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है| ∆= (2𝑛 + 1) 2 अथायत दोनों स्त्रोतों के िीच की दूरी घटने पर वफ्रंज 𝜆 ∆= (2𝑛 + 1) की चौड़ाई िढती है| 2 अतः अदीप्त वफ्रंज, ❖ स्थाई व्यवतकरण के ितें:- ∆𝐷 (i) दोंनो प्रकाि के स्त्रोत लजससे तरंगें उत्सलजयत होता है, 𝑥′ = 𝑑 एक िलणयक होना चावहए- इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY यवद प्रकाि स्रोत एक िलणयत नहीं है तो प्रत्येक तरंग में कई ✓ विितयन की घटना की व्याख्या हाइगेंस के तरंग लसद्ांत रंग विद्यमान होंगे लजसके कारण प्रत्येक रंग अपना - अपना पर की जाती है| विितयन एक तरंग घटना है| व्यवतकरण प्रवतरूप िनायेगा लजसके कारण पररणामी विितयन के प्रकार:- व्यवतकरण स्पष्ट नहीं िनेगा | विितयन के दो प्रकार होते हैं- (ii) दोनों प्रकाि के स्त्रोत किा सम्बद् होना चावहए| (i) फ्रेसनि/फ्रेनि विितयन (iii) दोनों प्रकाि के स्त्रोत िगातार तरंगों को उत्सलजयत (ii) फ्रॉनहॉफर विितयन करते रहना चावहए| (i) फ्रेसनि/फ्रेनि विितयन:- जि प्रकाि स्त्रोत या पदाय या (iv) दोनों प्रकाि के स्त्रोत अत्यं त सं कीणय होना चावहए| दोनों विितयक परष्ठ (अिरोधक/िारक) से सीवमत दूरी पर हो (v) दोनों तरंगे एक ही वदिा में (सरि रेखा के अनुवदि) तो इससे होने िािी विितयन फ्रेनि विितयन कहिाता है| होना चावहए| → फ्रेनि विितयन में तरंगाग्र िेिनाकार या गोिीय होती है| समपोिी व्यवतकरण तथा विनािी व्यवतकरण में अंतर:- → फ्रेनि विितयन के प्रयोगिािा में अध्ययन के लिए िेंस समपोिी व्यवतकरण तथा विनािी व्यवतकरण में अंतर का उपयोग नहीं वकया जाता है| समपोिी व्यवतकरण विनािी व्यवतकरण (ii) फ्रॉनहॉफर विितयन:- जि प्रकाि के स्त्रोत से विितयन (i) समपोिी व्यवतकरण में (i) विनािी व्यवतकरण में परष्ठ या पदाय या दोनों असीवमत दूरी पर हो तो इससे होने प्रकाि की तीव्रता प्रकाि की तीव्रता न्यूनतम िािी विितयन को फ्रॉनहॉफर विितयन कहते हैं| अलधकतम होती है| होती है| → फ्रॉनहॉफर विितयन में समति तरंगाग्र होती है| (ii) समपोिी व्यवतकरण (ii) विनािी व्यवतकरण में → फ्रॉनहॉफर विितयन के लिए प्रयोगिािा में अध्ययन के में तरंगों की किांतर (𝜙) तरंगों की किांतर (𝜙) लिए िेंस का प्रयोग वकया जाता है| िून्य या 𝜋 का सम गुणक विषम गुणक होता है| फ्रेनि तथा फ्रॉनहॉफर में अंतर:- होता है| फ्रेनि तथा फ्रॉनहॉफर में अंतर (iii) समपोिी व्यवतकरण (iv) विनािी व्यवतकरण में फ्रेनि विितयन फ्रॉनहॉफर विितयन 𝜆 में तरंगों का पथांतर िून्य तरंगों का पथांतर का (i) विितयन से प्रकाि स्त्रोत ि (i) प्रकाि स्त्रोत एिं पदे 2 𝜆 या का समगुणक होता विषम गुणक होता है| पदे के िीच की दूरी सीवमत विितयक से अनं त दूरी पर 2 है| होती है| होते हैं| ❖ प्रकाि के विितयन (Diffraction of Light):- जि (ii) यह विितयन विना वकसी (ii) यह विितयन िेंस या वकसी अपारदिी अिरोध या िारक के कारण प्रकाि की िेंस या दपयण की सहायता के दपयण की सहायता से प्राप्त तरंगे मुड़ती है, तो इस घटना को प्रकाि का विितयन प्राप्त वकया जाता है| वकया जाता है| कहते हैं| (iii) इसमें वििवतयत तरंगाग्र (iii) इसमें वििवतयत या, वकसी अपारदिी अिरोधक अथिा िारक के वकनारों गोिीय या िेिनाकार होता तरंगाग्र समति होती है| से प्रकाि मुड़ जाने की घटना को प्रकाि का विितयन है| कहते हैं। (iv) इसमें दूरी सीवमत होती (iv) इसमें दूरी सीवमत नहीं ✓ अिरोध के वकनारे प्रकाि की मुड़ने की घटना को है| होता है| प्रकाि का विितयन कहते हैं| इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY 𝜆 पदाय sin 𝜃 = 𝜃 = − (𝑖𝑣 ) 𝑑 उत्ति िेंस उत्ति िेंस समी० (iii) एिं (iv) से तुिना करने पर 𝐿1 𝐿2 𝑥 𝜆 𝐴 = 𝐷 𝑑 𝑃1 𝜆𝐷 𝑥= 𝑑 𝜃 𝑑 𝑆 𝜃 𝑃 𝑂 𝜃 कें द्रीय उस्प्िष्ठ की चौड़ाई:- 𝑁 𝑃1′ कें द्रीय उस्प्िष्ठ की चौड़ाई = 𝑥 + 𝑥 = 2𝑥 𝐵 माना वक कें द्रीय उस्प्िष्ठ की चौड़ाई (𝛽) = 2𝑥 𝛽 = 2𝑥 𝐷 2𝜆𝐷 𝛽= 𝑑 माना वक विं दु 𝑃1 पर दो तरंग 𝐴𝑃1 तथा 𝐵𝑃1 आपवतत 𝛽 ∝ 𝜆 = तरंगदैध्यय होती है| तथा 𝐵𝑁 पथांतर है|` 𝛽 ∝ 𝐷 = पदाय और िारक के िीच समकोण विभुज 𝐴𝑁𝐵 में 1 𝛽∝ ∵ 𝐵𝑁 = ∆= पथांतर 𝑑 िं ि 𝐵𝑁 कोणीय उस्प्िष्ठ की चौड़ाई ∴ sin 𝜃 = = 𝜃 = 𝜃 + 𝜃 = 2𝜃 कणय 𝐴𝐵 𝜆 𝐵𝑁 2𝜃 = 2 × sin 𝜃 = 𝑑 𝐴𝐵 2𝜆 𝐵𝑁 = 𝑑 sin 𝜃 = ∆ कोणीय उस्प्िष्ठ की चौड़ाई = 𝑑 यवद विितयन वनवम्नष्ठ हो तो, ❖ प्रकाि का ध्रुिण (Polarization of light):- पथांतर (∆) तरंगदैध्यय के िरािर होता है| ✓ अध्रुवित प्रकाि को ध्रुवित प्रकाि में िदिने की प्रवक्रया 𝐵𝑁 = ∆= 𝜆 को प्रकाि की ध्रुिण कहते हैं| के न्द्रीय उस्प्िष्ठ की चौड़ाई ✓ इसमें िैद्युत क्षेि सवदि को एक वििेष वदिा में सं चरण समकोण विभुज 𝑂𝑃𝑃1 में, कराया जाता है| िं ि 𝑃𝑃1 tan 𝜃 = = अध्रुवित प्रकाि:- आधार 𝑂𝑃 𝑥 साधारण प्रकाि को अध्रुवित प्रकाि कहते हैं, लजसमें िैद्युत tan 𝜃 = − (𝑖 ) 𝑑 क्षेि सवदि (𝐸⃗ ) तरंग सं चरण की वदिा के िं िित करता िेवकन वनवम्नष्ठ की स्प्स्थवत में, है| जो सभी वदिाओं में होती है| 𝐵𝑁 = 𝜆 𝐵𝑁 = 𝑑 sin 𝜃 𝜆 = 𝑑 sin 𝜃 𝜆 sin 𝜃 = − (𝑖𝑖) 𝑑 यवद 𝜃 िहुत छोटा हो तो 𝑥 tan 𝜃 = 𝜃 = − (𝑖𝑖𝑖 ) 𝑑 इसी प्रकार, इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY पोिराइड/ध्रुिण (Polarizer):- िह उपकरण लजसके िारा अध्रुवित प्रकाि को ध्रुवित प्रकाि/समति ध्रुवित प्रकाि में िदिा जाता है, उसे पोिराइड कहते हैं| ध्रुिण/पोिराइड के उदाहरण:- 𝜇 = tan 𝑖𝑝 − (𝑖 ) → टू रमैलिन वक्रिि, वनकोि वप्रज्म स्नेि के वनयम से, sin 𝑖 पोिराइड या ध्रुिण के उपयोग:- 𝜇= sin 𝑟 (i) ध्रुवित प्रकाि को उत्पन्न करने में| sin 𝑖𝑝 𝜇= − (𝑖𝑖) (ii) ध्रुिक का उपयोग धुप िािे चश्मा में| sin 𝑟𝑝 (iii) 3D लचि जैसे हैिोग्राम को देखने के लिए समी० (i) ि (ii) से, (iv) फोटोग्राफी कै मरा में| sin 𝑖𝑃 tan 𝑖𝑝 = (v) गाड़ी के िीिे में चकाचौंध से िचने के लिए sin 𝑟𝑃 sin 𝑖𝑃 sin 𝑖𝑃 ध्रुिण कोण:- जि परािवतयत वकरण तथा अपिवतयत = cos 𝑖𝑃 sin 𝑟𝑃 वकरण के िीच का कोण 90० हो तो आपतन कोण को cos 𝑖𝑃 = sin 𝑟𝑃 ध्रुिण कोण कहते हैं| sin(90० − 𝑖𝑃 ) = sin 𝑟𝑃 90० = 𝑟𝑃 + 𝑖𝑃 िूिर का वनयम:- वकसी पदाथय का अपितयनांक (𝜇) 𝑟𝑃 + 𝑖𝑃 = 90० ध्रुिण कोण के स्पियज्या (𝑡𝑎𝑛𝑔𝑒𝑛𝑡 ) के िरािर होता अतः ध्रुिण कोण (𝒊𝑷 ) तथा अपितयन कोण (𝒓𝑷 ) परस्पर है| िं िित होती है| The end इस Notes का विवडयो िेक्चर दे खने के लिए नीचे वदए गए लिं क पर स्प्िक करें । इं टर साइंस की तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th (Physics) मंजिल बैमचंजिल – 2025 बैच Crash Course GEOGRAPHY You tube: 👉 11िीं और 12िीं (वहंदी और अंग्रेजी) के लिए https://www.youtube.com/@DishaOnline YouTube: Classes https://youtube.com/@dishahindienglish Telegram: Telegram: https://telegram.me/dishaonlineclasses https://telegram.me/dishahindienglish 👉 11िीं और 12िीं (Science) के लिए 👉मैवटिक और इं टर के िैच ज्वाइन करने के लिए Disha Youtube: Online Classes App download करें। https://youtube.com/@DishaScienceClasse App Link: s https://play.google.com/store/apps/details Telegram: ?id=co.dishaonlineclasses https://telegram.me/dishascienceclasses 👉वकसी भी सहायता के लिए आप कॉि /व्हाट्सएप कर 👉 11िीं और 12िीं (Arts) के लिए सकते है। YouTube: 7700879453 https://youtube.com/@DishaArtsClasses 6201320598 Telegram: 9234080284 https://telegram.me/dishaartsclass आप 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