गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल, आगे गैयाँ पाछें ग्वाल गावै मृदु बानि री। तैसी धुनि बाँसुरी की मधुर मधुर जैसी, बंक चितवनि मंद-मंद मुसकानि री। कदम बिटप के निकट तटिनी के तट, अटा चढ़ि चाह... गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल, आगे गैयाँ पाछें ग्वाल गावै मृदु बानि री। तैसी धुनि बाँसुरी की मधुर मधुर जैसी, बंक चितवनि मंद-मंद मुसकानि री। कदम बिटप के निकट तटिनी के तट, अटा चढ़ि चाहि पीत पट फहरानि री। रस बरसावैं तन-तपनि बुझावैं नैन।
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Understand the Problem
यह प्रश्न एक कविता का अंश है। यह कविता कृष्ण और गोपियों के सौंदर्य और प्रेम का वर्णन करती है। इसमें कृष्ण के रूप, उनकी बांसुरी की ध्वनि, और गोपियों पर उनके प्रभाव का वर्णन किया गया है।
Answer
यह कविता रसखान द्वारा रचित है।
यह कविता रसखान द्वारा रचित है, जिसमें कृष्ण के सौंदर्य और वृंदावन के रमणीय वातावरण का वर्णन किया गया है।
Answer for screen readers
यह कविता रसखान द्वारा रचित है, जिसमें कृष्ण के सौंदर्य और वृंदावन के रमणीय वातावरण का वर्णन किया गया है।
More Information
यह कविता कृष्ण-भक्ति काव्य परंपरा का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है।
Tips
इस कविता को समझने के लिए, ब्रज भाषा और कृष्ण भक्ति से संबंधित शब्दावली का ज्ञान होना आवश्यक है।
Sources
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