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Questions and Answers
विषाक्त पदार्थों के शरीर में प्रवेश करने की प्रक्रिया को क्या कहा जाता है?
विषाक्त पदार्थों के शरीर में प्रवेश करने की प्रक्रिया को क्या कहा जाता है?
- वितरण
- उत्सर्जन
- अवशोषण (correct)
- उपापचय
विषैले पदार्थों के संपर्क में आने के बाद शरीर में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए किस विषय का उपयोग किया जाता है?
विषैले पदार्थों के संपर्क में आने के बाद शरीर में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए किस विषय का उपयोग किया जाता है?
- औषधी विज्ञान (Pharmacology)
- जीवरसायन विज्ञान (Biochemistry)
- विषाक्तता विज्ञान (Toxicology) (correct)
- रोग विज्ञान (Pathology)
विषाक्तता विज्ञान में 'खुराक-प्रतिक्रिया संबंध' से क्या तात्पर्य है?
विषाक्तता विज्ञान में 'खुराक-प्रतिक्रिया संबंध' से क्या तात्पर्य है?
- शरीर के वजन के अनुसार दवा की खुराक
- विषाक्त पदार्थ के संपर्क की मात्रा और प्रभावों के बीच संबंध (correct)
- विभिन्न विषाक्त पदार्थों के बीच रासायनिक प्रतिक्रिया
- विषाक्त पदार्थ के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता
निम्नलिखित में से कौन सा व्यावसायिक विषाक्तता विज्ञान का उद्देश्य है?
निम्नलिखित में से कौन सा व्यावसायिक विषाक्तता विज्ञान का उद्देश्य है?
यदि कोई जहरीला पदार्थ शरीर के एक विशिष्ट अंग को प्रभावित करता है, तो इसे किस प्रकार की विषाक्तता के रूप में जाना जाता है?
यदि कोई जहरीला पदार्थ शरीर के एक विशिष्ट अंग को प्रभावित करता है, तो इसे किस प्रकार की विषाक्तता के रूप में जाना जाता है?
निम्नलिखित में से कौन सा विषाक्तता विज्ञान का क्षेत्र कानूनी मामलों में विषों और दवाओं के विश्लेषण से संबंधित है?
निम्नलिखित में से कौन सा विषाक्तता विज्ञान का क्षेत्र कानूनी मामलों में विषों और दवाओं के विश्लेषण से संबंधित है?
उस स्थिति को क्या कहा जाता है, जब किसी विषैले पदार्थ के संपर्क में आने के बाद होने वाले प्रभाव लंबे समय तक बने रहते हैं और ठीक नहीं होते?
उस स्थिति को क्या कहा जाता है, जब किसी विषैले पदार्थ के संपर्क में आने के बाद होने वाले प्रभाव लंबे समय तक बने रहते हैं और ठीक नहीं होते?
पर्यावरणीय विषाक्तता विज्ञान में निम्नलिखित में से किस पहलू पर ध्यान केंद्रित किया जाता है?
पर्यावरणीय विषाक्तता विज्ञान में निम्नलिखित में से किस पहलू पर ध्यान केंद्रित किया जाता है?
नैदानिक विषाक्तता विज्ञान (Clinical toxicology) में विष के प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित में से क्या शामिल है?
नैदानिक विषाक्तता विज्ञान (Clinical toxicology) में विष के प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित में से क्या शामिल है?
Flashcards
विष विज्ञान (Toxicology) क्या है?
विष विज्ञान (Toxicology) क्या है?
विषाक्त पदार्थों का जीवित जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभावों का अध्ययन।
खुराक-प्रतिक्रिया संबंध (Dose-response relationship) क्या है?
खुराक-प्रतिक्रिया संबंध (Dose-response relationship) क्या है?
एक्सपोजर (exposure) की मात्रा और प्रभावों के बीच संबंध।
एक्सपोजर पाथवे (Exposure pathways) क्या हैं?
एक्सपोजर पाथवे (Exposure pathways) क्या हैं?
विषैले पदार्थ के शरीर में प्रवेश करने के मार्ग (जैसे, अंतर्ग्रहण, साँस लेना)।
लक्षित अंग (Target organs) क्या हैं?
लक्षित अंग (Target organs) क्या हैं?
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क्रिया तंत्र (Mechanism of action) क्या है?
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पर्यावरण विष विज्ञान (Environmental Toxicology) क्या है?
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व्यावसायिक विष विज्ञान (Occupational Toxicology) क्या है?
व्यावसायिक विष विज्ञान (Occupational Toxicology) क्या है?
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नियामक विष विज्ञान (Regulatory Toxicology) क्या है?
नियामक विष विज्ञान (Regulatory Toxicology) क्या है?
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अवशोषण (Absorption)
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वितरण (Distribution)
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उपापचय (Metabolism)
उपापचय (Metabolism)
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उत्सर्जन (Excretion)
उत्सर्जन (Excretion)
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खुराक-प्रतिक्रिया संबंध (Dose-Response Relationship)
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देहली खुराक (Threshold Dose)
देहली खुराक (Threshold Dose)
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LD50 (घातक खुराक 50%)
LD50 (घातक खुराक 50%)
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NOAEL (कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा गया स्तर)
NOAEL (कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा गया स्तर)
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LOAEL (सबसे कम प्रतिकूल प्रभाव देखा गया स्तर)
LOAEL (सबसे कम प्रतिकूल प्रभाव देखा गया स्तर)
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खतरा पहचान (Hazard Identification)
खतरा पहचान (Hazard Identification)
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Study Notes
Here are the updated study notes in Hindi:
विषय: विष विज्ञान (Toxicology)
- विष विज्ञान जीवित जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर रासायनिक, भौतिक या जैविक एजेंटों के प्रतिकूल प्रभावों का अध्ययन है, जिसमें ऐसे प्रभावों की रोकथाम और सुधार शामिल है।
- यह विषैले पदार्थों की प्रकृति, घटना, क्रिया तंत्र और जोखिमों के आकलन की जांच करता है।
मूल अवधारणाएँ (Core Concepts)
- खुराक-प्रतिक्रिया संबंध: जोखिम की मात्रा और प्रभावों के स्पेक्ट्रम के बीच सहसंबंध।
- जोखिम मार्ग: वह मार्ग जिससे एक विषैला पदार्थ शरीर में प्रवेश करता है (जैसे, अंतर्ग्रहण, साँस लेना, त्वचा का अवशोषण)।
- लक्ष्य अंग: विशिष्ट अंग या सिस्टम जो मुख्य रूप से एक विष से प्रभावित होते हैं।
- क्रिया तंत्र: एक विषैला पदार्थ आणविक या सेलुलर स्तर पर अपने प्रभाव कैसे डालता है।
- जोखिम मूल्यांकन: विषों के संपर्क से प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों की संभावना और गंभीरता का मूल्यांकन।
विष विज्ञान के क्षेत्र (Areas of Toxicology)
- पर्यावरणीय विष विज्ञान (Environmental Toxicology): रासायनिक प्रदूषकों के पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव पर केंद्रित है।
- इसमें हवा, पानी और मिट्टी में प्रदूषकों के भाग्य, परिवहन और प्रभावों का अध्ययन शामिल है।
- व्यावसायिक विष विज्ञान (Occupational Toxicology): कार्यस्थल में रसायनों के संपर्क के स्वास्थ्य प्रभावों से संबंधित है।
- इसका उद्देश्य जोखिम सीमा और सुरक्षा प्रोटोकॉल स्थापित करके व्यावसायिक रोगों को रोकना है।
- नियामक विष विज्ञान (Regulatory Toxicology): विषैले पदार्थों से सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए नियमों के विकास और प्रवर्तन से संबंधित है।
- इसमें जोखिम के स्वीकार्य स्तरों को निर्धारित करना और नए रसायनों के सुरक्षा परीक्षण की आवश्यकता शामिल है।
- फोरेंसिक विष विज्ञान (Forensic Toxicology): इसमें कानूनी मामलों में विष विज्ञान का अनुप्रयोग शामिल है, जैसे कि आपराधिक जांच में मृत्यु या हानि के कारण का निर्धारण।
- इसमें दवाओं, जहरों और अन्य विषैले पदार्थों की उपस्थिति के लिए जैविक नमूनों का विश्लेषण शामिल है।
- नैदानिक विष विज्ञान (Clinical Toxicology): मनुष्यों में जहर और अन्य विषैले जोखिमों के निदान और उपचार पर केंद्रित है।
- इसके लिए मारक क्षमता, सहायक देखभाल और शरीर से विषों को हटाने के तरीकों का ज्ञान आवश्यक है।
विषाक्त प्रभावों के प्रकार (Types of Toxic Effects)
- तीव्र विषाक्तता (Acute Toxicity): प्रतिकूल प्रभाव जो एक एकल जोखिम या थोड़े समय में कई जोखिमों के बाद जल्द ही होते हैं।
- पुरानी विषाक्तता (Chronic Toxicity): प्रतिकूल प्रभाव जो एक विषैले पदार्थ के लंबे समय तक संपर्क में रहने के बाद होते हैं।
- स्थानीय विषाक्तता (Local Toxicity): प्रभाव जो विषैले पदार्थ के संपर्क स्थल पर होते हैं।
- प्रणालीगत विषाक्तता (Systemic Toxicity): प्रभाव जो विषैले पदार्थ के अवशोषित और वितरित होने के बाद पूरे शरीर में होते हैं।
- प्रतिवर्ती विषाक्तता (Reversible Toxicity): प्रभाव जिन्हें विषैले पदार्थ के संपर्क में आने के बाद उलटा किया जा सकता है।
- अपरिवर्तनीय विषाक्तता (Irreversible Toxicity): प्रभाव जो स्थायी होते हैं और जिन्हें उलटा नहीं किया जा सकता है।
विष गति विज्ञान (Toxicokinetics)
- अवशोषण (Absorption): वह प्रक्रिया जिससे एक विषैला पदार्थ शरीर में प्रवेश करता है।
- जोखिम के मार्ग, पदार्थ के रासायनिक गुणों और जीव के शरीर विज्ञान जैसे कारकों से प्रभावित होता है।
- वितरण (Distribution): वह प्रक्रिया जिसके द्वारा एक विषैला पदार्थ पूरे शरीर में पहुँचाया जाता है।
- रक्त प्रवाह, ऊतक पारगम्यता और प्लाज्मा प्रोटीन के बंधन जैसे कारकों पर निर्भर करता है।
- चयापचय (Metabolism): वह प्रक्रिया जिसके द्वारा शरीर द्वारा एक विषैला पदार्थ रासायनिक रूप से बदल दिया जाता है।
- या तो पदार्थ को विषहरण कर सकता है या इसे अधिक विषैले रूप में परिवर्तित कर सकता है।
- उत्सर्जन (Excretion): वह प्रक्रिया जिसके द्वारा एक विषैला पदार्थ शरीर से समाप्त हो जाता है।
- मुख्य रूप से गुर्दे (मूत्र) और यकृत (पित्त) के माध्यम से होता है, लेकिन फेफड़ों (साँस छोड़ना) या त्वचा (पसीना) के माध्यम से भी हो सकता है।
खुराक-प्रतिक्रिया संबंध (Dose-Response Relationship)
- एक विषैले पदार्थ की खुराक और प्रभाव के परिमाण के बीच संबंध का वर्णन करता है।
- थ्रेसहोल्ड खुराक (Threshold Dose): वह सबसे कम खुराक जिस पर एक निर्दिष्ट प्रभाव देखा जाता है।
- LD50 (घातक खुराक 50%) (Lethal Dose 50%): वह खुराक जो उजागर आबादी के 50% के लिए घातक है।
- NOAEL (कोई प्रतिकूल प्रभाव स्तर नहीं देखा गया) (No Observed Adverse Effect Level): उच्चतम खुराक जिस पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा जाता है।
- LOAEL (सबसे कम देखा गया प्रतिकूल प्रभाव स्तर) (Lowest Observed Adverse Effect Level): सबसे कम खुराक जिस पर प्रतिकूल प्रभाव देखे जाते हैं।
विषाक्तता को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Toxicity)
- खुराक (Dose): एक पदार्थ की मात्रा जिसके संपर्क में एक जीव आता है।
- जोखिम की अवधि (Duration of Exposure): वह समय की लंबाई जिसके लिए एक जीव एक पदार्थ के संपर्क में रहता है।
- जोखिम का मार्ग (Route of Exposure): वह तरीका जिससे एक जीव एक पदार्थ के संपर्क में आता है (जैसे, अंतर्ग्रहण, साँस लेना, त्वचा का अवशोषण)।
- व्यक्तिगत संवेदनशीलता (Individual Susceptibility): उम्र, लिंग, आनुवंशिकी और पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियों जैसे कारकों के कारण विषैले पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता में अंतर।
- अन्य पदार्थों के साथ बातचीत (Interactions with Other Substances): कई पदार्थों के संपर्क में आने से योगात्मक, सहक्रियात्मक या विरोधी प्रभाव हो सकते हैं।
जोखिम मूल्यांकन (Risk Assessment)
- खतरा पहचान (Hazard Identification): एक पदार्थ के संभावित प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों की पहचान करना।
- खुराक-प्रतिक्रिया मूल्यांकन (Dose-Response Assessment): एक पदार्थ की खुराक और प्रतिकूल प्रभावों की घटना के बीच संबंध को चिह्नित करना।
- जोखिम मूल्यांकन (Exposure Assessment): यह मूल्यांकन करना कि मनुष्य या अन्य जीव किस हद तक एक पदार्थ के संपर्क में हैं।
- जोखिम लक्षण वर्णन (Risk Characterization): खतरे, खुराक-प्रतिक्रिया और जोखिम की जानकारी के आधार पर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों की संभावना और गंभीरता का अनुमान लगाना।
विषाक्तता के तंत्र (Mechanisms of Toxicity)
- रिसेप्टर-मध्यस्थता विषाक्तता (Receptor-Mediated Toxicity): विषैले पदार्थ शरीर में विशिष्ट रिसेप्टर्स से बंधते हैं, जिससे घटनाओं की एक श्रृंखला होती है जिसके परिणामस्वरूप प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं।
- एंजाइम अवरोध (Enzyme Inhibition): विषैले पदार्थ एंजाइमों की गतिविधि में हस्तक्षेप करते हैं, जिससे सामान्य जैव रासायनिक प्रक्रियाएं बाधित होती हैं।
- ऑक्सीडेटिव तनाव (Oxidative Stress): विषैले पदार्थ प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों (ROS) के उत्पादन और शरीर की उन्हें विषहरण करने की क्षमता के बीच असंतुलन पैदा करते हैं, जिससे सेलुलर क्षति होती है।
- डीएनए क्षति (DNA Damage): विषैले पदार्थ डीएनए के साथ बातचीत करते हैं, जिससे उत्परिवर्तन या अन्य आनुवंशिक परिवर्तन होते हैं जो कैंसर या अन्य प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का कारण बन सकते हैं।
- एपोप्टोसिस और नेक्रोसिस (Apoptosis and Necrosis): विषैले पदार्थ प्रोग्राम किए गए कोशिका मृत्यु (एपोप्टोसिस) या अनियंत्रित कोशिका मृत्यु (नेक्रोसिस) को ट्रिगर करते हैं, जिससे ऊतक क्षति और अंग शिथिलता होती है।
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