स्वतन्त्रता के बाद: भारतीय इतिहास के सम्बन्ध में
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Questions and Answers

स्वतन्त्रता के बाद, भारतीय समाज और स्थानीय इतिहास में नई चुनौतियाँ आई थीं।

False

भारत का स्वतन्त्रता के बाद एक नया कल्प शुरू हुआ।

False

भारतीय इतिहास में नया मूलक प्रश्न का अभिप्राय हुआ।

False

भारतीय जनता पार्टी (BJP) 1984 से कई सरकारों में प्रमुखता पाने के बाद, भारत के राष्ट्रीय विशेषताओं का उपशम करने के लिए काम किया है।

<p>True</p> Signup and view all the answers

भारत ने स्वतन्त्रता के बाद विश्वविधि विश्वास से आगे बढ़ते अवस्थाओं में स्थापित हो पहुंचा है।

<p>True</p> Signup and view all the answers

स्वतन्त्रता के बाद, भारत के लोकतंत्र के सुधारों के कारण, राष्ट्रीय जनशक्ति का विकास में अधिक ध्रुवता मिली है।

<p>True</p> Signup and view all the answers

स्वतन्त्रता के बाद, भारतीय संस्थान के परियोजनाओं का विकास के अनुसार, नए कल्प शुरू हुए हैं।

<p>True</p> Signup and view all the answers

स्वतन्त्रता के बाद, भारतीय सरकार ने प्रमुख राष्ट्रीय विधानसभा (लोक सभा) में कई नए कानून पास किए हैं।

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स्वतन्त्रता के बाद, सिर्फ BJP प्रमुखता पाने के बाद, भारत में 'राष्ट्रीय विशेषता' का महत्वपूर्ण हिस्सा होना प्ररंभ हुआ है।

<p>False</p> Signup and view all the answers

Study Notes

स्वतन्त्रता के बाद: भारतीय इतिहास के सम्बन्ध में

भारत का स्वतन्त्रता के बाद, विश्वभरीय प्रगति के साथ-साथ विश्वविधि विश्वास के विन्यास में एक नया कल्प शुरू हुआ। यह नया कल्प के साथ भारतीय समाज और स्थानीय इतिहास के नई चुनौतियाओं का उदय हुआ। इस लेख में, हम यह नया चुनौती के अभिप्राय के साथ-साथ भारतीय इतिहास का एक नया मूलक प्रश्न समझा चाहेंगे:

  1. स्वतन्त्रता के बाद भारत का राजनीतिक सम्बन्ध: स्वतन्त्रता के बाद, भारत ने कई नये संरक्षण और राजनीतिक सुधारों का प्रयास किया है। प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 1984 से कई सरकारों में प्रमुखता पाने के बाद, भारत के राष्ट्रीय विशेषताओं का उपशम करने के लिए काम किया।

  2. स्वतन्त्रता के बाद भारत के विश्वविधि विश्वास: स्वतन्त्रता के बाद, भारत ने विश्वविधि विश्वास से बढ़ते अवस्थाओं में स्थापित हो पहुँचा। भारतीय सरकार ने प्रमुख राष्ट्रीय विधानसभा (लोक सभा) के द्वारा कई नया कानून पास किए जिन्हें संविधान के अनुसार विश्वविधि विश्वास को बढ़ाने के लिए मदद किया।

  3. राष्ट्रीय जनशक्ति का विकास: स्वतन्त्रता के बाद, भारत के लोकतंत्र के सुधारों के कारण, राष्ट्रीय जनशक्ति का विकास के जनरलाइजेशन में अधिक ध्रुवता मिली। राष्ट्रीय जनता के हर वर्ग ने स्वतन्त्रता के बाद अपनी नेतृत्व और सामर्थ्य के विकास के लिए अधिक प्रमुख भविष्यवानी के साथ काम किया।

  4. स्वतन्त्रता के बाद भारतीय संस्थान का विकास: स्वतन्त्रता के बाद, भारतीय संस्थान के परियोजनाओं का विकास के अनुसार नये कल्प शुरू हुए। भारतीय संस्थान ने एक नया निर्धारित संदर्भ प्राप्त होगा जिससे उनके राष्ट्रीय संविधान के अनुसार विकास की प्रशंसा की गई।

  5. **स्वतन्

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जानें स्वतन्त्रता के बाद भारत के राजनीतिक सम्बन्ध, विश्वविधि विश्वास, राष्ट्रीय जनशक्ति का विकास और भारतीय संस्थान के उदय के बारे में।

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