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भारत का इतिहास किस स्य़ता से आरंभ होता है?
भारत का इतिहास किस स्य़ता से आरंभ होता है?
हड़पाई स्य़ता
हड़पाई स्य़ता कहाँ फैली हुई थी?
हड़पाई स्य़ता कहाँ फैली हुई थी?
- पूर्वी एशिया
- पश्चिमी एशिया (correct)
- दक्षिण एशिया (correct)
- मध्य भारत
1920 में भारतीय पुरातत्त्व विभाग ने हड़पाई और मोहनजोदड़ो की खोज की।
1920 में भारतीय पुरातत्त्व विभाग ने हड़पाई और मोहनजोदड़ो की खोज की।
True (A)
हड़पाई स्य़ता के तीन चरण हैं: प्रारंभिक हड़पाई स्य़ता, __________ और उत्तर हड़पाई स्य़ता।
हड़पाई स्य़ता के तीन चरण हैं: प्रारंभिक हड़पाई स्य़ता, __________ और उत्तर हड़पाई स्य़ता।
हड़पाई स्य़ता के महत्त्वपूर्ण स्थलों को उनके खोजक के साथ मिलाइए:
हड़पाई स्य़ता के महत्त्वपूर्ण स्थलों को उनके खोजक के साथ मिलाइए:
हड़पाई स्य़ता की किस नदी के किनारे का संबंध है?
हड़पाई स्य़ता की किस नदी के किनारे का संबंध है?
हड़पाई स्य़ता का पहला उदाहरण कब का मिला?
हड़पाई स्य़ता का पहला उदाहरण कब का मिला?
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Study Notes
सिंधु घाटी सभ्यता
- भारत का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से शुरू होता है, जिसे हम हरप्पा सभ्यता के नाम से भी जानते हैं।
- यह सभ्यता लगभग 2500 ईसा पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग में फैली हुई थी, जो वर्तमान में पाकिस्तान और पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है।
- सिंधु घाटी सभ्यता मेसोपोटामिया, मिस्र, भारत और चीन की चार सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं से भी अधिक उन्नत थी।
- 1920 में, भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए सिंधु घाटी के उत्खनन से प्राप्त अवशेषों से हरप्पा और मोहनजोदड़ो जैसे दो प्राचीन नगरों की खोज हुई।
- भारतीय पुरातत्व विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल जॉन मार्शल ने सन 1924 में सिंधु घाटी में एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की।
हरप्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण स्थल
- हरप्पा: दयाराम साहनी (1921) द्वारा खोजा गया, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मोंटगोमरी जिले में रावी नदी के तट पर स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: मनुष्य के शरीर की बलुआ पत्थर से बनी मूर्तियाँ, अनाजागार, बैलगाड़ी
- मोहनजोदड़ो (मृतक का टीला): राखलदास बनर्जी (1922) द्वारा खोजा गया, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: विशाल स्नानागार, अनाजागार, कांसे की नर्तकी की मूर्ति, पशुपति महादेव की मुहर, दाढ़ी वाले मनुष्य की पत्थर की मूर्ति, बुने हुए कपड़े
- सुक्का गेडोर: टीन (1929) द्वारा खोजा गया, पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी राज्य बलूचिस्तान में दाश्त नदी के किनारे पर स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: हरप्पा और बेबीलोन के बीच व्यापार का प्रमाण
- चूहड़ड़ोः एन.जी. मजूमदार (1931) द्वारा खोजा गया, सिंधु नदी के तट पर सिंध प्रांत में स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: मनके बनाने की दुकान, कुत्ते के पदचिन्ह
- आमरी: एन.जी. मजूमदार (1935) द्वारा खोजा गया, सिंधु नदी के तट पर स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: हिरण के साक्ष्य
- कालिबंगन: घोष (1953) द्वारा खोजा गया, राजस्थान में घग्गर नदी के किनारे पर स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: अग्निवेदिकाएँ, ऊंट की हड्डियाँ, लकड़ी का हल
- लोथल: आर.राव (1953) द्वारा खोजा गया, गुजरात में कै बे कड़ी के नजदीक भोगवा नदी के किनारे पर स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: मानव निर्मित बंदरगाह, गोदीवाड़ा, चावल की भूसी, अग्निवेदिकाएँ, शतरंज के खेल के प्रमाण
- सुरकोतदा: जे.पी. जोशी (1964) द्वारा खोजा गया, गुजरात में स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: घोड़े की हड्डियाँ, मनके
- बनावली: आर.एस. बिष्ट (1974) द्वारा खोजा गया, हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: मनके, जौ,
- धौलावीरा: आर.एस. बिष्ट (1985) द्वारा खोजा गया, गुजरात में कच्छ के रण में स्थित है। महत्वपूर्ण खोजें: जल निकासी बंधन, जल कुण्ड
सिंधु घाटी सभ्यता के चरण
- सिंधु घाटी सभ्यता के तीन चरण हैं:
- आरंभिक हरप्पा सभ्यता (3300 ई.पू.-2600 ई.पू. तक): 'हाकरा चरण' से संबंधित, जो घग्गर-हाकरा नदी घाटी में स्थित है। हरप्पा लिप का पहला उदाहरण लगभग 3000 ई.पू. के समय का मिला है। इस चरण की विशेषताएँ एक केंद्रीय इकाई का होना तथा बढ़ते हुए नगरीय गुण थे। व्यापार विकसित हो चुका था और खेती के साक्ष्य भी मिले हैं। उस समय मटर, तिल, खजूर, ईख आदि की खेती होती थी।
- परिपक्व हरप्पा सभ्यता (2600 ई.पू-1900 ई.पू. तक): कोटदीजी नामक स्थान इस चरण को दर्शाता है। 2600 ई.पू. तक सिंधु घाटी सभ्यता अपनी परिपक्व अवस्था में प्रवेश कर चुकी थी। आरंभिक हरप्पा सभ्यता तक बड़े-बड़े नगरीय केंद्र विकसित हो चुके थे, जैसे- हरप्पा और मोहनजोदड़ो वर्तमान पाकिस्तान में और लोथल जो वर्तमान में भारत के गुजरात राज्य में स्थित है।
- उत्तर हरप्पा सभ्यता (1900 ई.पू.-1300 ई.पू. तक): सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का आरंभ 1800 ई.पू. से माना जाता है, 1700 ई.पू. तक आते-आते हरप्पा सभ्यता ...
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