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Questions and Answers
राजस्थानी लघु चित्र शैली में किस प्रकार के रंगों का प्रयोग किया जाता था?
राजस्थानी लघु चित्र शैली में किस प्रकार के रंगों का प्रयोग किया जाता था?
- नीले और हरे रंग के विभिन्न शेड्स
- केवल काले और सफेद रंग
- नारंगी, पीला और लाल जैसे चटक रंग (correct)
- हल्के और धुंधले रंग
मेवाड़ शैली में चित्रित सबसे सुंदर ग्रंथ कौन सा माना जाता है?
मेवाड़ शैली में चित्रित सबसे सुंदर ग्रंथ कौन सा माना जाता है?
- राग माला
- सुभाष चरितम
- पालम भागवत (correct)
- कल्प सूत्र
बूंदी शैली में किन विषयों पर चित्रांकन किया गया है, जो इसे अन्य शैलियों से अलग बनाते हैं?
बूंदी शैली में किन विषयों पर चित्रांकन किया गया है, जो इसे अन्य शैलियों से अलग बनाते हैं?
- देवी-देवताओं की पूजा
- केवल व्यक्ति चित्र
- कृष्ण लीला, रसिक प्रिया, राग रागिनी और लैला मजनू (correct)
- केवल ऐतिहासिक प्रसंग
बीकानेर लघु चित्र शैली में किस कला का प्रभाव अधिक दिखाई देता है?
बीकानेर लघु चित्र शैली में किस कला का प्रभाव अधिक दिखाई देता है?
किशनगढ़ लघु चित्र शैली में नारी सौंदर्य के प्रतीक के रूप में किसे चित्रित किया गया है?
किशनगढ़ लघु चित्र शैली में नारी सौंदर्य के प्रतीक के रूप में किसे चित्रित किया गया है?
जयपुर शैली में किस प्रकार के चित्रों का निर्माण हुआ, जो इसे विशिष्टता प्रदान करते हैं?
जयपुर शैली में किस प्रकार के चित्रों का निर्माण हुआ, जो इसे विशिष्टता प्रदान करते हैं?
'मारु रागनी' चित्र के चित्रकार कौन हैं और यह किस शैली में बना है?
'मारु रागनी' चित्र के चित्रकार कौन हैं और यह किस शैली में बना है?
'चौहान प्लेयर्स' चित्र किस शैली का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें क्या दर्शाया गया है?
'चौहान प्लेयर्स' चित्र किस शैली का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें क्या दर्शाया गया है?
'चित्रकूट में भारत राम से मिलते हुए' चित्र किस शैली में बना है और इसमें मुख्य रूप से क्या दर्शाया गया है?
'चित्रकूट में भारत राम से मिलते हुए' चित्र किस शैली में बना है और इसमें मुख्य रूप से क्या दर्शाया गया है?
निम्नलिखित में से कौन सा जोड़ा सही नहीं है?
निम्नलिखित में से कौन सा जोड़ा सही नहीं है?
Flashcards
लघु चित्र शैली क्या है?
लघु चित्र शैली क्या है?
छोटे आकार के चित्रों को कहते हैं, जो ताड़पत्रों, पुस्तकों और कागज़ पर बनाए जाते थे ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके।
राजस्थानी लघु चित्र शैली की शुरुआत कब हुई?
राजस्थानी लघु चित्र शैली की शुरुआत कब हुई?
15वीं शताब्दी में राजस्थान में आरम्भ हुई, जहाँ जैन धर्म के 'कल्प सूत्र' का चित्रण किया गया।
राजस्थानी चित्रों की विशेषताएं क्या हैं?
राजस्थानी चित्रों की विशेषताएं क्या हैं?
चेहरे में भाव, मानवीय संवेगों का चित्रण, सशक्त रेखाएँ, और नारंगी, पीला और लाल जैसे चटक रंगों का प्रयोग।
बूंदी शैली में किन विषयों पर चित्रण हुआ?
बूंदी शैली में किन विषयों पर चित्रण हुआ?
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बीकानेर लघु चित्र शैली की विशेषता क्या है?
बीकानेर लघु चित्र शैली की विशेषता क्या है?
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किशनगढ़ शैली किसके लिए प्रसिद्ध है?
किशनगढ़ शैली किसके लिए प्रसिद्ध है?
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"झूले पर कृष्ण" चित्र का वर्णन करें।
"झूले पर कृष्ण" चित्र का वर्णन करें।
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"मारु रागनी" चित्र का वर्णन करें।
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"बनी थानी" चित्र का वर्णन करें।
"बनी थानी" चित्र का वर्णन करें।
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"चौहान प्लेयर्स" चित्र का वर्णन करें।
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Study Notes
लघु चित्र शैली का परिचय
- लघु चित्र शैली छोटे आकार के चित्रों को कहा जाता है, जिन्हें अंग्रेज़ी में मिनिएचर पेंटिंग भी कहते हैं।
- पहले चित्र बड़े आकार में शिलाओं, गुफाओं और मंदिरों की दीवारों पर बनते थे।
- छोटे आकार के चित्र ताड़पत्रों, पुस्तकों और कागज़ पर बनने लगे ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सके।
- सबसे पहले लघु चित्र पाल शैली में बने।
राजस्थानी लघु चित्र शैली
- 15वीं शताब्दी में राजस्थान में लघु चित्रों की शुरुआत हुई।
- मेवाड़ में इन चित्रों की शुरुआत हुई, जहाँ जैन धर्म के ग्रंथ कल्प सूत्र का चित्रण किया गया।
- सुभाष चरितम भी एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें राजस्थानी शैली में लघु चित्र बनाए गए।
राजस्थानी चित्रों की विशेषताएं
- चेहरे में प्राण और भाव का प्रदर्शन।
- मानवीय संवेगों का चित्रण।
- सशक्त रेखाओं का प्रयोग।
- नारंगी, पीला और लाल जैसे चटक रंगों का प्रयोग।
- मेवाड़ में लोक कला का प्रभाव अधिक रहा।
मेवाड़ उपकेंद्र
- मेवाड़ में 15वीं शताब्दी में चित्रों का बनना शुरू हुआ।
- साहिबदिन और मनोहर मेवाड़ शैली के प्रमुख चित्रकार थे।
- मेवाड़ शैली में चित्रित सबसे सुंदर ग्रंथ पालम भागवत है।
- गीत गोविंद, ढोला मारु, रसमंजरी, रसिक प्रिया, सूर सागर, रामायण, और बिहारी सतसई भी मेवाड़ शैली में चित्रित किए गए।
- मेवाड़ में शाहपुरा, प्रतापगढ़, देवगढ़ और नाथद्वारा में लघु चित्र बने।
- नाथद्वारा पिछवाई चित्रण के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें श्री कृष्ण की जीवन लीलाओं को चित्रित किया जाता है।
बूंदी लघु चित्र शैली
- बूंदी कला में कृष्ण लीला, रसिक प्रिया, राग रागिनी और लैला मजनू जैसे विषयों पर चित्रण हुआ।
- लैला मजनू का चित्रांकन केवल बूंदी शैली में मिलता है।
- व्यक्ति चित्र और ऐतिहासिक प्रसंग भी बूंदी शैली में बने।
- बूंदी शैली मिश्रित रंगों के प्रयोग के लिए जानी जाती है।
- वास्तविक और काल्पनिक दुनिया के बीच समन्वय बूंदी शैली में दिखाया गया है।
जोधपुर लघु चित्र शैली
- जोधपुर की कला परंपरा मेवाड़ से प्रभावित थी।
- पाली और राग माला यहाँ के प्रारंभिक चित्र हैं।
- बारहमासा, रामायण, देवी देवताओं की पूजा और हरम के दृश्य भी चित्रित किए गए।
- जोधपुर में नागौर व्यक्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।
बीकानेर लघु चित्र शैली
- बीकानेर लघु चित्र शैली में मुगल कला तत्वों की भरमार है।
- उस्ताद अली राजा, साहिब दिन, रुकनुद्दीन, नूरुद्दीन और मुराद यहाँ के प्रमुख चित्रकार थे।
- देवी भागवत, राग माला, बारहमासा, हिंदुत्व त्योहारों, कृष्ण लीला, रामायण और नायक नायिका भेद जैसे विषयों पर चित्रांकन हुआ।
किशनगढ़ लघु चित्र शैली
- किशनगढ़ लघु चित्र शैली नारी सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
- बनी थानी यहाँ की सबसे सुंदर नारी आकृति है।
- राजा सावंत सिंह को कृष्ण और बनी थानी को राधा के रूप में चित्रित किया गया है।
- भवानी दास, सूरत रमानी और निहालचंद यहाँ के प्रमुख चित्रकार थे।
- रामायण के प्रसंग, आखेट के दृश्य और व्यक्ति चित्र यहाँ बने।
- निहालचंद ने बनी थानी का चित्र बनाया, जिससे वे अमर हो गए।
जयपुर लघु चित्र शैली
- जयपुर के मुगल दरबार के साथ रिश्ते थे, जिसके कारण यहाँ मुगल प्रभाव अधिक था।
- मोहम्मद शाह और शब राम यहाँ के चित्रकार थे।
- व्यक्ति चित्र, पौराणिक प्रसंग, राग रागनियां, रति क्रीड़ा जैसे चित्र यहाँ बने।
- जयपुर शैली में आदम कद आकृतियों के भी चित्र बने।
झूले पर कृष्ण
- यह चित्र कृष्ण को झूले पर बैठा हुआ दिखाता है, जबकि राधा नीचे बैठी हुई हैं।
- चित्रकार: दिन बाल।
- माध्यम: कागज पर जल रंग, टेम्परा तकनीक।
- शैली: बीकानेर शैली।
- वर्तमान में: राष्ट्र संग्रहालय, नई दिल्ली।
- वर्ष: 1683 ई.
मारु रागनी
- इस चित्र में एक राजा राजकुमारी को ऊंट पर सवार करके ले जा रहा है।
- चित्रकार: साहिबदिन।
- माध्यम: कागज।
- शैली: मेवाड़ शैली।
- वर्तमान में: राष्ट्र संग्रहालय, नई दिल्ली।
- ढोला राजा और मारु रानी मुख्य पात्र हैं।
बनी थानी
- यह चित्र नारी सौंदर्य का प्रतीक है।
- चित्रकार: निहालचंद।
- वर्ष: 1760 ई.
- किशनगढ़ शैली में बना है।
- बनी थानी के तीखे नक्श और खुली आँखों का चित्रण है।
चौहान प्लेयर्स
- इस चित्र में छह महिला आकृतियाँ घोड़े पर सवार होकर गेंद को पकड़ने का प्रयास कर रही हैं।
- शैली: जोधपुर शैली।
- वर्तमान में: राष्ट्र संग्रहालय, नई दिल्ली।
चित्रकूट में भारत राम से मिलते हुए
- इस चित्र में 49 आकृतियाँ हैं।
- रानियाँ और दासियाँ राम से मिलने आई हैं।
- भारत राम को वापस चलने के लिए कह रहे हैं।
- शैली: जयपुर शैली।
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