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Questions and Answers
निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य मेवाड़ क्षेत्र से संबंधित है, जिसमें पुरुष होली के अवसर पर लकड़ी की छड़ें लेकर नृत्य करते हैं?
निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य मेवाड़ क्षेत्र से संबंधित है, जिसमें पुरुष होली के अवसर पर लकड़ी की छड़ें लेकर नृत्य करते हैं?
- घुड़ला नृत्य
- गैर नृत्य (correct)
- ढोल नृत्य
- बम रसिया
निम्नलिखित में से किस नृत्य को प्रकाश में लाने का श्रेय जय नारायण व्यास को दिया जाता है, जिसमें 'थकना' शैली में ढोल बजाकर नृत्य शुरू किया जाता है?
निम्नलिखित में से किस नृत्य को प्रकाश में लाने का श्रेय जय नारायण व्यास को दिया जाता है, जिसमें 'थकना' शैली में ढोल बजाकर नृत्य शुरू किया जाता है?
- अग्नि नृत्य
- कच्ची घोड़ी
- गैर नृत्य
- ढोल नृत्य (correct)
रूपायन संस्थान (बोरुंदा) ने किस नृत्य को संरक्षण दिया, जिसमें कोमल कोठारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा, और यह चैत्र कृष्ण अष्टमी को शीतला अष्टमी के 8-10 दिन बाद गणगौर के समय सांतन देव की याद में किया जाता है?
रूपायन संस्थान (बोरुंदा) ने किस नृत्य को संरक्षण दिया, जिसमें कोमल कोठारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा, और यह चैत्र कृष्ण अष्टमी को शीतला अष्टमी के 8-10 दिन बाद गणगौर के समय सांतन देव की याद में किया जाता है?
- डांडिया नृत्य
- झांझी नृत्य
- घुड़ला नृत्य (correct)
- गरबा नृत्य
निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य भरतपुर और अलवर क्षेत्र में पुरुषों द्वारा किया जाता है?
निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य भरतपुर और अलवर क्षेत्र में पुरुषों द्वारा किया जाता है?
जसनाथी संप्रदाय के सिद्ध पुरुषों द्वारा बीकानेर में किस धार्मिक नृत्य को किया जाता है?
जसनाथी संप्रदाय के सिद्ध पुरुषों द्वारा बीकानेर में किस धार्मिक नृत्य को किया जाता है?
निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य भील जनजाति का सबसे प्रसिद्ध नृत्य है, जो लोकनाट्य में भी शामिल है?
निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य भील जनजाति का सबसे प्रसिद्ध नृत्य है, जो लोकनाट्य में भी शामिल है?
सिरोही में गरासिया जनजाति द्वारा बिना वाद्य यंत्र के किए जाने वाले नृत्य का नाम क्या है?
सिरोही में गरासिया जनजाति द्वारा बिना वाद्य यंत्र के किए जाने वाले नृत्य का नाम क्या है?
कथोड़ी जनजाति द्वारा नवरात्रों में किए जाने वाले नृत्य का नाम बताइए।
कथोड़ी जनजाति द्वारा नवरात्रों में किए जाने वाले नृत्य का नाम बताइए।
निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य राजस्थान का राज्य नृत्य है और नृत्यों की आत्मा कहलाता है?
निम्नलिखित में से कौन सा नृत्य राजस्थान का राज्य नृत्य है और नृत्यों की आत्मा कहलाता है?
राजस्थान के शास्त्रीय नृत्य कथक के प्रवर्तक कौन माने जाते हैं, और यह किस घराने से संबंधित है?
राजस्थान के शास्त्रीय नृत्य कथक के प्रवर्तक कौन माने जाते हैं, और यह किस घराने से संबंधित है?
Flashcards
गैर नृत्य
गैर नृत्य
मेवाड़ और बाड़मेर में होली पर पुरुषों द्वारा छड़ों से किया जाने वाला नृत्य।
ढोल नृत्य
ढोल नृत्य
यह जालौर का प्रसिद्ध नृत्य है, जो 'थकना' शैली में ढोल बजाकर शुरू किया जाता है।
घुड़ला नृत्य
घुड़ला नृत्य
चैत्र कृष्ण अष्टमी को शीतला अष्टमी के 8-10 दिन बाद, गणगौर के समय सांतन देव की याद में किया जाने वाला नृत्य।
बम रसिया
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चरकुला नृत्य
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डांग नृत्य
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अग्नि नृत्य
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गवरी या राई नृत्य
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वालर नृत्य
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कालबेलिया नृत्य
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Study Notes
राजस्थान के लोक नृत्य: एक विस्तृत अध्ययन
- राजस्थान के लोक नृत्य राज्य की संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
- प्रसिद्ध कलाविद देवीलाल समर ने नृत्यों को पहाड़ी, मैदानी और राजस्थानी भागों में वर्गीकृत करने का प्रयास किया, लेकिन यह वर्गीकरण व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया।
- राजस्थान में सबसे ज्यादा नृत्य उदयपुर जिले में होते हैं।
- राजस्थान के नृत्यों को मुख्य रूप से चार भागों में बांटा जा सकता है: क्षेत्रीय, धार्मिक, जातीय और व्यावसायिक नृत्य।
क्षेत्रीय नृत्य
- ये नृत्य किसी विशेष क्षेत्र में किए जाते हैं।
मेवाड़ क्षेत्र के नृत्य
- गैर नृत्य:
- मेवाड़ और बाड़मेर में होली के अवसर पर पुरुषों द्वारा किया जाता है।
- पुरुष लकड़ी की छड़ें लेकर नृत्य करते हैं।
- यह नृत्य पुरुष प्रधान है।
- सरगड़ा जाति द्वारा किया जाता है और वीर रस प्रधान होता है।
- पुरुष हाथों में तलवारें लेकर युद्ध कौशल का प्रदर्शन करते हैं। -दीपावली पर टोली बनाकर घर-घर जाकर किया जाता है।
- भवाई नृत्य:
- केकड़ी के बाघा जी इसके प्रवर्तक माने जाते हैं।
- रूप सिंह शेखावत, श्रेष्ठ सोनी, अस्मिता कला और तारा शर्मा इसके प्रसिद्ध कलाकार हैं।
- अस्मिता कला ने 111 मटके सिर पर रखकर नृत्य किया था।
- कृष्ण व्यास (जोधपुर) भारत के पहले भवाई नर्तक थे।
शेखावाटी क्षेत्र के नृत्य
- कच्ची घोड़ी:
- विवाह के अवसर पर किया जाता है।
- जवाहरलाल गहलोत और गोविंद पारीक इसके प्रसिद्ध कलाकार हैं।
- पुरुष, महिला के वेश में नृत्य करते हैं।
जालौर क्षेत्र के नृत्य
- ढोल नृत्य:
- जालौर का प्रसिद्ध नृत्य है।
- "थकना" शैली में ढोल बजाकर नृत्य शुरू किया जाता है।
- जय नारायण व्यास ने इस नृत्य को प्रकाश में लाने का श्रेय दिया जाता है।
मारवाड़ क्षेत्र के नृत्य
- घुड़ला नृत्य:
- चैत्र कृष्ण अष्टमी को किया जाता है।
- शीतला अष्टमी के 8-10 दिन बाद गणगौर के समय सांतन देव की याद में किया जाता है।
- यह नृत्य रात्रि में किया जाता है।
- रूपायन संस्थान (बोरुंदा) ने इसे संरक्षण दिया, कोमल कोठारी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- डांडिया नृत्य:
- मारवाड़ में खेला जाता है।
- झांझी नृत्य:
- मारवाड़ में महिलाओं द्वारा किया जाता है।
भरतपुर क्षेत्र के नृत्य
- बम रसिया:
- भरतपुर और अलवर क्षेत्र में पुरुषों द्वारा किया जाता है।
- चरकुला नृत्य:
- भरतपुर में महिलाओं द्वारा किया जाता है।
- सिर पर बैलगाड़ी के पहियों पर दीपक रखकर नृत्य किया जाता है।
अन्य क्षेत्रीय नृत्य
- हिंडोला नृत्य: जैसलमेर में पुरुष और महिला संयुक्त रूप से करते हैं।
- कानुडो नृत्य: बाड़मेर मे किया जाता है।
- बिंदोरी नृत्य: झालावाड़ में किया जाता है।
- ढोला मारू नृत्य: भवाई जाति द्वारा किया जाता है।
- भांगड़ा नृत्य: गंगानगर और हनुमानगढ़ में सिखों द्वारा किया जाता है।
- मोहिनी नृत्य: प्रतापगढ़ (दरियाबाद) में महिलाओं द्वारा विवाह के अवसर पर किया जाता है।
- मयूर नृत्य: अजमेर (ब्यावर) में बादशाह के मेले में किया जाता है।
- गरबा नृत्य: गुजरात से सटे क्षेत्रों में किया जाता है।
- पालीनोच नृत्य: बांसवाड़ा में विवाह के अवसर पर किया जाता है।
धार्मिक नृत्य
- ये नृत्य देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किए जाते हैं।
- डांग नृत्य: नाथद्वारा में वल्लभ संप्रदाय के द्वारा किया जाता है।
- शंकरिया नृत्य: गोगाजी के जागरण में कालबेलिया द्वारा किया जाता है।
- तेरहताली नृत्य: रामदेव जी के भक्तों द्वारा किया जाता है, कामड़ जाति की महिलाओं द्वारा बैठकर किया जाता है।
- अग्नि नृत्य: जसनाथी संप्रदाय के सिद्ध पुरुषों द्वारा बीकानेर में किया जाता है।
जातीय नृत्य
- ये नृत्य किसी विशेष जाति या जनजाति द्वारा किए जाते हैं।
भील जनजाति के नृत्य
- गवरी या राई नृत्य: भीलों का सबसे प्रसिद्ध नृत्य है, जो लोकनाट्य में भी शामिल है।
- नेजा नृत्य: विवाह के अवसर पर किया जाता है, जिसमें पुरुष नारियल को तोड़ते हैं।
- द्विचकरी नृत्य: महिला और पुरुष दो चक्र बनाकर नृत्य करते हैं।
- हाथीमना नृत्य: विवाह के अवसर पर किया जाता है।
- भगोरिया नृत्य: भीलों द्वारा जीवन साथी चुनने के लिए किया जाता है।
- युद्ध नृत्य: पुरुषों द्वारा किया जाता है, जिसमें शिकार की कला का प्रदर्शन होता है।
गरासिया जनजाति के नृत्य
- वालर नृत्य: सिरोही में गरासिया जनजाति द्वारा बिना वाद्य यंत्र के किया जाता है।
- माण्डल नृत्य: गरासिया स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
- कूद नृत्य: गरासियों का नृत्य है।
- जवारा नृत्य: गरासियों द्वारा किया जाता है।
कथोड़ी जनजाति के नृत्य
- मावलिया नृत्य: नवरात्रों में किया जाता है।
कंजर जनजाति के नृत्य
- चकरी नृत्य: कोटा (हाड़ौती) का प्रसिद्ध नृत्य है।
- धाकड़ नृत्य: कंजर जाति द्वारा हथियारों के साथ किया जाता है।
- लाठी नृत्य: कंजर जाति द्वारा जलाबा और वीरा के युद्ध की खुशी में किया जाता है।
डामोर जनजाति के नृत्य
- बरसिया नृत्य: मृत्यु के अवसर पर किया जाता है।
- वालरिया नृत्य: विवाह के अवसर पर किया जाता है।
कालबेलिया जनजाति के नृत्य
- गुलाबो: इस नृत्य की प्रसिद्ध कलाकार हैं।
- शंकरिया, पनिहारी, और बागड़िया: यह सभी कालबेलिया नृत्य हैं।
गुर्जर जनजाति के नृत्य
- चरी नृत्य: महिलाओं द्वारा किया जाता है।
मेव जनजाति के नृत्य
- रणबाजा नृत्य: अलवर क्षेत्र में मेव जाति द्वारा किया जाता है।
बंजारा जनजाति के नृत्य
- मछली नृत्य: पूर्णिमा की रात में कुंवारी स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
अन्य जातीय नृत्य
- कठपुतली नृत्य: नट जाति द्वारा किया जाता है।
- बोहरा बोरी नृत्य: होली पर हरिजन जाति द्वारा किया जाता है।
व्यावसायिक नृत्य
- भवाई, तेरहताली, कच्ची घोड़ी और ढोल नृत्य व्यावसायिक नृत्य के रूप में जाने जाते हैं।
घूमर नृत्य
- राजस्थान का राज्य नृत्य है और नृत्यों की आत्मा कहलाता है।
कथक नृत्य
- राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य है, जिसके प्रवर्तक भानु जी माने जाते हैं।
- यह जयपुर घराने से संबंधित है।
- बिरजू जी महाराज इसके प्रसिद्ध कलाकार हैं।
- पंडित बाबूलाल कथक नृत्य के गुरु माने जाते हैं।
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