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Fdlku क्या है?
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O`Qf'k lekt क्या दर्शाता है?
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विज्ञापन में 'यहाँ' कैसे व्यक्त किया गया है?
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फोकस क्या है जिसका संदर्भ लेख में दिया गया है?
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VkB का क्या अर्थ है?
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Lksygoha और l=kgoha के बीच क्या अंतर है?
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बौद्धिक गतिविधियाँ किस प्रकार की होती हैं?
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एक सामान्य स्थिति में धारणा क्यों महत्वपूर्ण है?
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ल्यू की प्रक्रिया में कौन सा पहलू शामिल है?
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सामाजिक भेदभाव के संदर्भ में 'धारणा' का क्या प्रभाव होता है?
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फोकस और धारणा में क्या समानता है?
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Fdlku की पहचान का क्या महत्व है?
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O`Qf'k lekt के अनुसार, का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
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Lksygoha और l=kgoha के संदर्भ में क्या कहा गया है?
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सूत्रों के अनुसार, एक मेट्रिक्स की विशेषता क्या है?
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एक सफ कमरे के आकार के मेट्रिक्स को किस विशेषता से पहचाना जा सकता है?
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मेट्रिक्स की जटिलता को प्रभावित करने वाला कौन सा कारक अधिक महत्वपूर्ण है?
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किस प्रकार के मेट्रिक्स को डायगोनल मेट्रिक्स कहा जाता है?
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एक कुशल मेट्रिक्स की विशेषता क्या है?
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एक मेट्रिक्स के वक्रता को दर्शाने वाला कौन सा उपाय है?
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मेट्रिक्स प्रबंधन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण फैक्टर कौन सा है?
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कभी-कभी एक मेट्रिक्स में तत्वों का योग क्या दर्शाता है?
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डायगोनल मेट्रिक्स के क्या गुण होते हैं?
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मेट्रिक्स में संकुचन क्या दर्शाता है?
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फोर्स और वर्क्स के मेट्रिक्स में क्या अंतर है?
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जब किसी मेट्रिक्स के तत्वों में नकारात्मकता बढ़ जाती है, तो उसे क्या कहा जाता है?
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मेट्रिक्स की सघनता का क्या प्रभाव पड़ता है?
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Study Notes
किसान, ज़मींदार और राज्य
- सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी के दौरान, भारत की लगभग 85% आबादी गांवों में रहती थी।
- छोटे किसान और ज़मींदार दोनों कृषि उत्पादन में शामिल थे और फ़सल के हिस्सों पर दावा करते थे, जिससे उनके बीच सहयोग, प्रतिस्पर्धा और संघर्ष पैदा हुए।
- मुगल राज्य ने कृषि उत्पादन से अपनी आय का बड़ा हिस्सा प्राप्त किया।
- राजस्व निर्धारित करने वाले, वसूलने वाले और हिसाब रखने वाले मुगल अधिकारी ग्रामीण जीवन पर नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश करते थे।
- व्यापार, मुद्रा और बाज़ार भी गाँवों में घुस गए, जिससे कृषि क्षेत्र शहरों से जुड़ गए।
किसान और कृषि उत्पादन
- गाँव, खेतिहर समुदाय की मूल इकाई थी।
- किसानों ने विभिन्न मौसमों में, ज़मीन की जुताई, बीज बोना, और कटाई जैसे कार्य किए।
- वे कृषि-आधारित उत्पादों जैसे शक्कर और तेल का भी उत्पादन करते थे।
- सूखी ज़मीन, पहाड़िया इलाके और जंगल भी कृषि के महत्वपूर्ण हिस्से थे।
- मध्यकालीन भारत की खेती व्यक्तिगत मिल्कियत के सिद्धांत पर आधारित थी।
स्त्रोतों की तलाश
- किसानों के बारे में सीधे जानकारी कम उपलब्ध है क्योंकि उन्होंने खुद दस्तावेज़ नहीं लिखे।
- ऐतिहासिक ग्रंथ और दस्तावेज़, विशेष रूप से मुगल दरबार में लिखे गए, खेती इतिहास को समझने के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
- आइन-ए-अकबरी, अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फ़ज़ल द्वारा लिखी गई, मुगल साम्राज्य के कृषि इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- इसमें राज्य की खेती संबंधी व्यवस्था, कर संग्रह, ज़मींदार और किसानों के बीच के संबंधों का ब्योरा है।
किसान और उनकी ज़मीन
- मुगलकालीन स्रोत किसानों को "रैयत" या "रिआया" के रूप में संदर्भित करते हैं।
- सोलहवीं शताब्दी के स्रोतों में "खुद-काश्त" और "पाहि-काश्त" किसानों के दो प्रकारों का उल्लेख है।
- "खुद-काश्त" किसान अपनी ज़मीन पर रहते और खेती करते हैं, जबकि "पाहि-काश्त" किसान दूसरे गाँवों से खेती करने के लिए आते हैं।
सिंचाई और तकनीक
- बाढ़ या सिंचाई के अन्य साधन वाली ज़मीन पर साल में तीन बार फ़सल उगाई जा सकती है।
- किसान विभिन्न सिंचाई तकनीकों का उपयोग करते थे, जैसे कुएँ से पानी निकालने के लिए रहट और बाल्टी, जो पशुओं द्वारा संचालित होते थे।
- बारिश, विशेष रूप से मानसून, भारतीय कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा था।
खेती, कर और आज़ादी
- 1600 से 1700 के बीच भारत की आबादी करीब 33% बढ़ी।
- ज़मीन पर राजस्व वसूली के लिए मुगल राज्य ने कई तरह के जुताई, वसूली और लेखांकन इंतज़ाम किए।
- किसानों, ज़मीदारों और राज्य के बीच बातचीत और झगड़े अक्सर होते थे।
ग्रामीण समुदाय
- जाति और अन्य सामाजिक विभाजन कृषि समाज को विभिन्न समूहों में बाँटते थे।
- खेती, मज़दूरी और पेशे के आधार पर विभिन्न समाज के लोग अक्सर अलग-अलग जगह रहते थे।
- ग्रामीण समाज में पंचायत और प्रमुख (मुक्द्दम या मंडल) गाँव के नियमनकर्ता होते थे, और समाज के अधिकांश मामलों की सुनवाई उनके द्वारा होती थी।
कृषि समाज में महिलाएँ
- महिलाओं की प्रजनन क्षमता और श्रम शक्ति को ज़रूरी माना जाता था।
- महिलाओं के पास संपत्ति के अधिकार थे और वे बाजार में सक्रिय होती थीं।
- महिलाओं को कई दस्तकारियों (जैसे सूत कातना, मिट्टी से बर्तन बनाना और कढ़ाई) में शामिल किया जाता था।
- समाज में महिलाओं की भूमिका पुरुषों की भूमिका से अलग थी।
जंगल और कबीले
- बसे हुए इलाकों के अलावा, भारत के विशाल हिस्से जंगलों या झाड़ियों से घिरे थे।
- जंगलों में रहने वाले लोग अक्सर शिकार, जंगल के उत्पादों और स्थानांतरीय कृषि पर निर्भर होते थे।
- जंगलवासियों के जीवन पर राज्य का भी प्रभाव पड़ता था, जैसे हाथी की पेशकश से।
- राज्य अक्सर जंगलों में प्रवेश करने व वस्तुओं की व्यापार में रुचि रखता था।
ज़मींदार
- ज़मींदार, ज़मीन के मालिक थे और ग्रामीण समाज में उच्च स्थान पर थे।
- उनका अधिकांश धन ज़मीन मालिकी से आता था, और वे राज्य के साथ भी तालमेल बिठाकर खास सेवाओं के बदले आय अर्जित करते हैं।
- ज़मींदारों के पास सैनिक ताकत भी होती थी।
- ज़मींदार अक्सर खेतिहारों को ऋण देते थे और खेती के औजारों की आपूर्ति करते थे।
भू-राजस्व प्रणाली
- मुग़ल साम्राज्य की आय का एक बड़ा हिस्सा ज़मीन पर कर से आता था।
- ज़मीन पर कर तय करने और वसूल करने के लिए सरकार ने एक विशेष तंत्र विकसित किया।
- स्थानीय ज़मीनों के ब्योरे व कर तय करने के लिए व्यापक सर्वेक्षण हुए।
- ज़मीन पर कर निर्धारण और संग्रह की अलग-अलग विधियाँ मौजूद थीं।
नक़द और व्यापार
- मुगल काल में, चाँदी की मुद्रा मुद्रा प्रणाली में और व्यापार के लिए व्यापक थी।
- चाँदी का बड़ा हिस्सा भारत आया।
- समुद्री मार्ग के अलावा व्यापार अन्य क्षेत्रों के लिए भी था।
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Description
इस प्रश्नोत्तरी में हम सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में भारत के किसान और ज़मींदारों की भूमिका पर चर्चा करेंगे। यह कृषि उत्पादन, मुगल राज्य की आर्थिक स्थिति और ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करेगा। आप इन सवालों के माध्यम से उस समय के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को समझ पाएंगे।