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Questions and Answers
जैन साहित्य को क्या कहा जाता है?
जैन साहित्य को क्या कहा जाता है?
आगम
आगम साहित्यों की रचना किसने की?
आगम साहित्यों की रचना किसने की?
श्वेताम्बर सम्प्रदाय के संतो ने
प्रारंभिक जैन साहित्य किस भाषा में लिखा गया है?
प्रारंभिक जैन साहित्य किस भाषा में लिखा गया है?
अर्द्ध मागदी भाषा
भद्रबाहु ने किस भाषा में कल्पसूत्र की रचना की?
भद्रबाहु ने किस भाषा में कल्पसूत्र की रचना की?
जैन ग्रंथ भगवती सूत्र हमें क्या जानकारी देता है?
जैन ग्रंथ भगवती सूत्र हमें क्या जानकारी देता है?
जैन साहित्य न्यायधम्मकहासुत्त हमें किसके बारे में बताता है?
जैन साहित्य न्यायधम्मकहासुत्त हमें किसके बारे में बताता है?
जैन साहित्य आचारांगसूत्र हमें किसके बारे में बताता है?
जैन साहित्य आचारांगसूत्र हमें किसके बारे में बताता है?
सभी जैन साहित्यों में सबसे प्राचीनतम जैन साहित्य कौन सा है?
सभी जैन साहित्यों में सबसे प्राचीनतम जैन साहित्य कौन सा है?
जैन साहित्य परिशिष्ट पर्व की रचना किसने की?
जैन साहित्य परिशिष्ट पर्व की रचना किसने की?
जैन धर्म के त्रिरत्न क्या है?
जैन धर्म के त्रिरत्न क्या है?
Flashcards
जैन साहित्य का दूसरा नाम क्या है?
जैन साहित्य का दूसरा नाम क्या है?
जैन साहित्य को 'आगम' कहा जाता है, जिसमें 12 अंग, 12 उपांग, 10 प्रकीर्ण, 6 छेदसूत्र और 4 मूलसूत्र शामिल हैं। इसकी रचना श्वेतांबर सम्प्रदाय के संतों ने की थी।
प्रारंभिक जैन साहित्य किस भाषा में था?
प्रारंभिक जैन साहित्य किस भाषा में था?
प्रारंभिक जैन साहित्य अर्ध मागधी भाषा में लिखा गया, जबकि बाद का जैन साहित्य संस्कृत और प्राकृत भाषा में लिखा गया था।
कल्पसूत्र की रचना किसने की?
कल्पसूत्र की रचना किसने की?
भद्रबाहु ने संस्कृत भाषा में कल्पसूत्र की रचना की है, जिसमें जैन निर्ग्रंथों (तीर्थंकरों) के जीवन चरित्र का उल्लेख है।
भगवती सूत्र क्या जानकारी देता है?
भगवती सूत्र क्या जानकारी देता है?
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न्यायाधम्मक सुत्त किससे संबंधित है?
न्यायाधम्मक सुत्त किससे संबंधित है?
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आचारांगसूत्र में क्या वर्णित है?
आचारांगसूत्र में क्या वर्णित है?
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सबसे प्राचीन जैन साहित्य कौनसा है?
सबसे प्राचीन जैन साहित्य कौनसा है?
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परिशिष्ट पर्व की रचना किसने की?
परिशिष्ट पर्व की रचना किसने की?
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जैन धर्म के त्रिरत्न क्या हैं?
जैन धर्म के त्रिरत्न क्या हैं?
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Study Notes
- जैन साहित्य को आगम कहा जाता है।
- आगम में 12 अंग, 12 उपांग, 10 प्रकीर्ण, 6 छेदसूत्र और 4 मूलसूत्र शामिल हैं।
- आगम साहित्य की रचना श्वेतांबर सम्प्रदाय के संतों ने की।
- प्रारंभिक जैन साहित्य अर्ध मागधी भाषा में लिखा गया।
- बाद का जैन साहित्य संस्कृत और प्राकृत भाषा में लिखा गया।
- भद्रबाहु ने संस्कृत भाषा में कल्प सूत्र की रचना की, जिसमें जैन निर्थंकरों के जीवन चरित्र का उल्लेख है।
- जैन ग्रंथ भगवती सूत्र से ज्ञात होता है कि 6 वी शताब्दी ईसा पूर्व में 16 महाजनपद हुआ करते थे।
- यह साहित्य महावीर स्वामी के जीवन चरित्र के बारे में बताता है।
- जैन साहित्य न्यायधम्मक सूत्रहमें महावीर स्वामी के शिष्यों के बारे में बताता है।
- जैन साहित्य आचरांगसूत्र जैन धर्मों के विभिन्न विधान और नियम कानूनों के बारे में बतलाता है।
- सभी जैन साहित्य में सबसे प्राचीनतम जैन साहित्य चौदह पूर्व था।
- जैन साहित्य परिशिष्ट पर्व की रचना हेमचंद्र ने की।
त्रिरत्न
- जैन धर्म के त्रिरत्न हैं: सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, और सम्यक आचरण।
- जैन धर्म में ऐसी मान्यता है कि अगर कोई भी इंसान त्रिरत्नों का पालन करता है तो वह सांसारिक बंधनों से छुटकारा पा सकता है।
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