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Questions and Answers
किस बात का अभाव से लेखक को अभागे मौत का खोजने पर मजबूर किया?
किस बात का अभाव से लेखक को अभागे मौत का खोजने पर मजबूर किया?
- स्त्री की भागने
- आत्महत्या करने
- खुद ही मौत का ज़िम्मेदार ठहराना
- भूख से मरने का श्रेय (correct)
लेखक ने स्त्री के साथ क्या हो गया था?
लेखक ने स्त्री के साथ क्या हो गया था?
- मरने का प्रयास
- मोहभंग
- सहानुभूति की भावना (correct)
- कुत्ते का प्यार
लेखक ने किस मंत्री पर टिप्पणी की है?
लेखक ने किस मंत्री पर टिप्पणी की है?
- भूख से मृत्यु
- संसद में
- आत्महत्या (correct)
- मौत के कारण
मृत्यु के संबंध में लेखक को हुआ क्या?
मृत्यु के संबंध में लेखक को हुआ क्या?
'कुर-कुर' करने पर, मरने वाले कुत्ते की हरकत से लेखक को क्या महसूस हुआ?
'कुर-कुर' करने पर, मरने वाले कुत्ते की हरकत से लेखक को क्या महसूस हुआ?
हरिशंकर परसाई की रचना में कौन-सी व्यंग्य भावना प्रकट की गई है?
हरिशंकर परसाई की रचना में कौन-सी व्यंग्य भावना प्रकट की गई है?
परसाई के अनुसार, किस व्यक्ति की क़ब्र पर चिराग जलाने जाते हूं?
परसाई के अनुसार, किस व्यक्ति की क़ब्र पर चिराग जलाने जाते हूं?
हरिशंकर परसाई के अनुसार, जीवन भर हम किसकी कब्र पर चिराग जलाते हैं?
हरिशंकर परसाई के अनुसार, जीवन भर हम किसकी कब्र पर चिराग जलाते हैं?
हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचना में, 'तुम जीवन का तिरस्कार और मरण सत्कार करते हो' का मतलब है:
हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचना में, 'तुम जीवन का तिरस्कार और मरण सत्कार करते हो' का मतलब है:
'हे पत्थर पूजने वालों! तुम्हें ज़िंदा आदमी की बात सुनने का...' - परसाई की इस पंक्ति में 'पत्थर पूजने वालों' का मतलब है:
'हे पत्थर पूजने वालों! तुम्हें ज़िंदा आदमी की बात सुनने का...' - परसाई की इस पंक्ति में 'पत्थर पूजने वालों' का मतलब है:
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Study Notes
हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचना
- लेखक ने अपने जीवन में स्त्री का अभाव होने के कारण अभागे मौत का खोजने पर मजबूर हुए थे ।
- लेखक ने एक मंत्री पर टिप्पणी की है, जिसके विषय में उन्हें पता चलता है ।
- मृत्यु के संबंध में लेखक को महसूस हुआ कि लोग जीवन का तिरस्कार करते हैं और मरण सत्कार ।
- 'कुर-कुर' करने पर, मरने वाले कुत्ते की हरकत से लेखक को महसूस हुआ कि लोग जीवन का तिरस्कार करते हैं ।
- हरिशंकर परसाई की रचना में व्यंग्य भावना प्रकट की गई है कि लोग जीवन का तिरस्कार करते हैं और मरण सत्कार ।
- परसाई के अनुसार, वह किसी व्यक्ति की क़ब्र पर चिराग जलाने जाते हैं, जिसका अर्थ है जीवन भर हम मृतक की कब्र पर चिराग जलाते हैं ।
- हरिशंकर परसाई के अनुसार, 'तुम जीवन का तिरस्कार और मरण सत्कार करते हो' का मतलब है कि लोग जीवन का तिरस्कार करते हैं और मरण सत्कार ।
- 'हे पत्थर पूजने वालों! तुम्हें ज़िंदा आदमी की बात सुनने का...' में 'पत्थर पूजने वालों' का मतलब है लोग जीवन का तिरस्कार करते हैं और मरण सत्कार ।
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