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Questions and Answers
कविता 'गंगा' के लेखक कौन हैं?
कविता 'गंगा' के लेखक कौन हैं?
- कैलाश गौतम (correct)
- सर्वेश्वर_dayal
- रामधारी सिंह दिनकर
- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन
गंगा नदी को भारतीय संस्कृति में पवित्र माना जाता है।
गंगा नदी को भारतीय संस्कृति में पवित्र माना जाता है।
True (A)
गंगा नदी के जलस्तर में कमी का क्या कारण बताया गया है?
गंगा नदी के जलस्तर में कमी का क्या कारण बताया गया है?
मानवजनित गतिविधियाँ और प्रदूषण
गंगा नदी का जल स्तर पिछले एक वर्ष में _______ फिट घट गया है।
गंगा नदी का जल स्तर पिछले एक वर्ष में _______ फिट घट गया है।
किस गतिविधि से गंगा नदी को प्रदूषित किया जा रहा है। इसे सही विकल्प से मिलाइए।
किस गतिविधि से गंगा नदी को प्रदूषित किया जा रहा है। इसे सही विकल्प से मिलाइए।
गंगा का क्या प्रतीक माना जाता है?
गंगा का क्या प्रतीक माना जाता है?
गंगा की पवित्रता बढ़ने के बजाय घट रही है।
गंगा की पवित्रता बढ़ने के बजाय घट रही है।
गंगा की दुर्दशा पर कवि के विचार क्या हैं?
गंगा की दुर्दशा पर कवि के विचार क्या हैं?
गंगा नदी की पहचान भारत में ________ नदी के रूप में है।
गंगा नदी की पहचान भारत में ________ नदी के रूप में है।
गंगा नदी के किनारे होने वाली गतिविधियाँ और उनके परिणाम मिलाइए:
गंगा नदी के किनारे होने वाली गतिविधियाँ और उनके परिणाम मिलाइए:
कविता गंगा में कवि ने किस भावनाओं का चित्रण किया है?
कविता गंगा में कवि ने किस भावनाओं का चित्रण किया है?
गंगा नदी को लोग अपना माता मानते हैं।
गंगा नदी को लोग अपना माता मानते हैं।
गंगा का पानी प्रदूषित होने के क्या कारण हैं?
गंगा का पानी प्रदूषित होने के क्या कारण हैं?
कैलाश गौतम ने अपनी कविता में गंगा की ________ का चित्रण किया है।
कैलाश गौतम ने अपनी कविता में गंगा की ________ का चित्रण किया है।
गंगा की छवि के साथ कवि ने किस चीज़ की समस्या को जोड़ा है?
गंगा की छवि के साथ कवि ने किस चीज़ की समस्या को जोड़ा है?
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Study Notes
गंगा कविता का सारांश
- कवि कैलाश गौतम ने 'गंगा' कविता के माध्यम से गंगा नदी और उसकी पवित्रता का वर्णन किया है।
- गंगा का पानी भारतीय संस्कृति में विश्वास और आशा का प्रतीक है।
- नदी की पवित्रता के चलते इसे पूजा जाता है, लेकिन मानवजनित गतिविधियों के कारण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
- गंगा को माँ के समान मानने वाली जनता आज उसकी पवित्रता को नजरअंदाज कर रही है, जिससे नदी की दुर्दशा हुई है।
गंगा की स्थिति और पर्यावरणीय समस्याएं
- वाराणसी जैसे प्रमुख धार्मिक शहरों में गंगा के जलस्तर में तेजी से गिरावट आई है; पिछले वर्ष में ढाई फिट पानी घट गया है।
- गंगा के किनारे स्थित घाटों से पानी का स्तर घट गया है, जिससे स्नान और पूजा की परंपराएं प्रभावित हो रही हैं।
- ऑक्सीजन की मात्रा में कमी और प्रदूषण ने गंगा के जीवन को संकट में डाल दिया है।
मानवीय स्वार्थ और प्राकृतिक संसाधनों का शोषण
- गंगा का जल उपयोग स्वार्थ से भरपूर गतिविधियों के लिए हो रहा है, जैसे कृषि, उद्योग और निर्माण।
- नदियों के प्रवाह में बाधा डालने के लिए बाँधों का निर्माण और नहरों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे गंगा का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है।
- गंगा के जल में अब गंदगी और अपशिष्ट के लिए स्थान बन रहा है, जिससे उसकी पवित्रता समाप्त हो रही है।
सांस्कृतिक दृष्टिकोण
- प्राचीन काल में गंगा की पहचान एक पवित्र नदी के रूप में थी, लेकिन आज यह एक अपवित्र जल क्षेत्र में बदल गई है।
- लोग गंगा में गंदगी डालने और अपशिष्ट छोड़ने में लापरवाह हो गए हैं, जिससे नदी की स्थिति बिगड़ रही है।
- सामाजिक परिवर्तनों के चलते जनता की मानसिकता में बदलाव आया है, जो गंगा की पवित्रता को अनदेखा कर रहा है।
गंगा की भावना और स्थिति
- कवि ने गंगा की उदासी और उसकी पीड़ा को स्पष्ट किया है, जो अपनी पवित्रता को खोने के दुःख में है।
- गंगा का जल पहले स्वतंत्र बहता था, लेकिन आज इसे विभिन्न कारणों से रोका जा रहा है।
- गंगा की पहचान माँ से मेहमान में बदल गई है, और वह अपनी स्थिति को देखकर चिंतित है।
सामाजिक जिम्मेदारी और जागरूकता
- कवि जनता से अपील करते हैं कि गंगा में गंदगी डालने से बचें, क्योंकि वह खुद कुछ नहीं कह सकती।
- समाज की यही लापरवाही गंगा की पवित्रता को खत्म कर रही है।
- गंगा के प्रति जिम्मेदारी और आस्था को पुनः जागृत करने की आवश्यकता है।
अंत में
- गंगा का अनुभव हिमालय से लेकर भारतीय भूमि तक के सफर का प्रतीक है, जो अब पवित्रता के स्थान पर गंदगी के कुएँ में बदल गई है।
- गंगा का शुद्ध जल भारतीय संस्कारों का हिस्सा था, और यह हम सब की जिम्मेदारी है कि इसे पुनः संरक्षित करें।
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