Class 10th Kabir Sahitya Chapter - Van Kabir Sakhi
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[संगीत] वेलकम शिक्षकों और सेव्यवादियों, आज हम लोग क्लास 10th के पाठ से एक चप्टर पढ़ने शुरुआत करते हैं। यह चप्टर "वैन कबीर सखी" है और पहले हमेशा हमारा मन अपनी बुराई से छोटी सी होना चाहिए। कबीर दास जी के अनुसार, जब हम अहंकार होते रहते हैं, तो हमारा मैन शांत रहेगा और सुनने वाले का भी मैन सुखमय होगा, और उसको भी शांति प्राप्त होगी। लेकिन, जब हम दूसरे लोगों के साथ संपर्क करते हैं, तो हमारा मैन अंधकार में जाता है। सेकंड टेंस में, ईश्वर निवास करता है हर मनुष्य के हृदय में, परंतु वह मनुष्य उसे नहीं देख रहता है, वहां ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, और अलग-अलग तीर्थ स्थानों में ढूंढता रहता है। कभी-कभी, जब मनुष्य के अंदर का अहंकार मिट जाता है, तब तो ईश्वर की प्राप्ति होती है। यह तौके दीपक के जलने पर उसके प्रकाश से अंधकार मिट जाता हुआ सीमा के साथ समाप्त होती है। अहंकार का प्रयोग अंधकार के लिए किया जाता है, मतलब "अंधेरे" के लिए अहंकार का इस्तेमाल किया गया है, और ईश्वर के लिए एकमात्र उसका इस्तेमाल होगा ओघासीय ज्ञान का मतलब । हम लोग केवल बुलेट पोइंट्स लौटाते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्यों, आंकड़ों, और संस्थाओं पर ध्यान दिया जाता है।

कबीर दास जी कहते हैं, "हम लोगों कोई भी तुम्हारा क्लोज रिलेटिव था या तुम्हारे दादा-दादी की दुखावता था, जब तक वह तुमसे दूर हो गया, तो डेथ हो गई।" जब दुख होता है, तो किसी भी तुम्हारे ऊपर कोई भी मंत्र या दावा का असर नहीं होता है। राम (ईश्वर) के वियोग में मनुष्य भी जीवित नहीं रहता, तो उसकी भी कुछ इसी तरीके से हालत होती है। अगर वह इंसान जीवित रहता है, तो उसकी हालत एक पागल के जैसी होती है, लोग उसे पागल समझते हैं, बिल्कुल सिक्स्थ सेंस की बात करते हैं। प्रभु (ईश्वर) के वियोग में मनुष्य भी डिस्कनेक्टेड होता है, तो वह प्रभु को पाने की आशा में हमेशा चिंता रहते हैं, उन्हें कभी भी चैन मिलता नहीं है, और वहोंने प्रभु को पाने की आशा में बिलकुल हिस्सा वर्जित रहते हैं, "कब मिलेंगे भगवान" का सवाल पूरा नहीं होता है।

जब किसी मनुष्य के शरीर के अंदर अपने प्रिया से बिछड़ने का सांप बसता है, तो मैंने यह सोचा है, "भगवान हमसे दूर है और भगवान को पाने के चक्कर में वो बहुत ज्यादा टेंशन के अंदर रहता है," तो उसकी भी कुछ इसी तरीके से हालत होती है। अगर वह इंस

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Explore the teachings of Kabir Das in the chapter 'Van Kabir Sakhi' from Class 10th. Learn about the importance of humility, ego, and seeking the divine presence within oneself. This quiz presents key points from the chapter.

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