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Questions and Answers
चौहान वंश की उत्पत्ति के संबंध में चंद बरदाई के मत का आधार क्या है?
चौहान वंश की उत्पत्ति के संबंध में चंद बरदाई के मत का आधार क्या है?
- ऋषि परशुराम द्वारा किया गया यज्ञ
- ऋषि वशिष्ठ द्वारा आबू पर्वत पर किया गया यज्ञ (correct)
- ऋषि भारद्वाज द्वारा किया गया यज्ञ
- विश्वामित्र द्वारा किया गया यज्ञ
बिजोलिया शिलालेख के अनुसार, चौहान वंश का गोत्र क्या है?
बिजोलिया शिलालेख के अनुसार, चौहान वंश का गोत्र क्या है?
- भारद्वाज गोत्र
- कश्यप गोत्र
- वत्स गोत्री ब्राह्मण (correct)
- वशिष्ठ गोत्र
निम्नलिखित में से किस चौहान शासक ने चांदी के सिक्के जारी किए जिन पर अपनी रानी का नाम अंकित था?
निम्नलिखित में से किस चौहान शासक ने चांदी के सिक्के जारी किए जिन पर अपनी रानी का नाम अंकित था?
- अर्णोराज
- अजयराज (correct)
- पृथ्वीराज तृतीय
- विग्रहराज चतुर्थ
अनासागर झील का निर्माण किस चौहान शासक ने करवाया?
अनासागर झील का निर्माण किस चौहान शासक ने करवाया?
विग्रहराज चतुर्थ द्वारा स्थापित संस्कृत पाठशाला को तोड़कर अढ़ाई दिन का झोपड़ा (मस्जिद) किसने बनवाया?
विग्रहराज चतुर्थ द्वारा स्थापित संस्कृत पाठशाला को तोड़कर अढ़ाई दिन का झोपड़ा (मस्जिद) किसने बनवाया?
किस चौहान शासक को 'कवि बंधु' के नाम से जाना जाता था?
किस चौहान शासक को 'कवि बंधु' के नाम से जाना जाता था?
तराइन का द्वितीय युद्ध किस वर्ष में हुआ था?
तराइन का द्वितीय युद्ध किस वर्ष में हुआ था?
रणथम्भौर में चौहान वंश की स्थापना किसने की?
रणथम्भौर में चौहान वंश की स्थापना किसने की?
अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण कब किया, जिसके परिणामस्वरूप मुहम्मद शाह और केहबरू को शरण देने पर विश्वासघात हुआ?
अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण कब किया, जिसके परिणामस्वरूप मुहम्मद शाह और केहबरू को शरण देने पर विश्वासघात हुआ?
किसने कहा था, "आज कुफ्र का घर इस्लाम का घर हो गया"?
किसने कहा था, "आज कुफ्र का घर इस्लाम का घर हो गया"?
जालौर में चौहान वंश की स्थापना किसने की?
जालौर में चौहान वंश की स्थापना किसने की?
सिवाना का नाम बदलकर खैराबाद किसने किया?
सिवाना का नाम बदलकर खैराबाद किसने किया?
सिरोही में देवड़ा चौहान वंश की स्थापना किसने की?
सिरोही में देवड़ा चौहान वंश की स्थापना किसने की?
बूंदी में हाड़ा चौहान वंश की स्थापना किसने की?
बूंदी में हाड़ा चौहान वंश की स्थापना किसने की?
कोटा को बूंदी से अलग करके किसने कोटा का राजा बनाया?
कोटा को बूंदी से अलग करके किसने कोटा का राजा बनाया?
आबू के परमार वंश का संस्थापक किसे माना जाता है?
आबू के परमार वंश का संस्थापक किसे माना जाता है?
मंडोर के प्रतिहार वंश का संस्थापक कौन था, जिन्हें अभिलेखों में ब्राह्मण बताया गया है?
मंडोर के प्रतिहार वंश का संस्थापक कौन था, जिन्हें अभिलेखों में ब्राह्मण बताया गया है?
कछवाहा वंश के अनुसार, वे किसके वंशज हैं?
कछवाहा वंश के अनुसार, वे किसके वंशज हैं?
किस कछवाहा शासक ने 1562 ईस्वी में साम्भर में अकबर की अधीनता स्वीकार की?
किस कछवाहा शासक ने 1562 ईस्वी में साम्भर में अकबर की अधीनता स्वीकार की?
सवाई जयसिंह ने जयपुर शहर की स्थापना कब की?
सवाई जयसिंह ने जयपुर शहर की स्थापना कब की?
Flashcards
चौहान वंश की उत्पत्ति
चौहान वंश की उत्पत्ति
चौहान वंश की उत्पत्ति ऋषि वशिष्ठ द्वारा आबू पर्वत पर किए गए यज्ञ से हुई।
बिजोलिया शिलालेख
बिजोलिया शिलालेख
1170 ईस्वी का शिलालेख, जो बताता है कि चौहान वत्स गोत्री ब्राह्मण थे।
वासुदेव चौहान
वासुदेव चौहान
चौहान वंश का संस्थापक माना जाता है और सांभर झील का निर्माण करवाया।
अजयराज
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अरुणोराज
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विग्रहराज चतुर्थ
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पृथ्वीराज द्वितीय
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तराइन का प्रथम युद्ध
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तराइन का द्वितीय युद्ध
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गोविंदराज
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कीर्तिपाल
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लुम्बा
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देवा
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माधव सिंह
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धूमराज
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हरिश्चंद्र
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कछवाहा वंश
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दूल्हाराय
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काकिलदेव
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भारमल
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Study Notes
चौहान वंश
- चौहान वंश की उत्पत्ति चंद बरदाई के अनुसार ऋषि वशिष्ठ द्वारा आबू पर्वत पर किए गए यज्ञ से हुई थी।
- चंद बरदाई की पुस्तक 'पृथ्वीराज रासो' में इसका उल्लेख है।
- यज्ञ से चार योद्धा उत्पन्न हुए: चौहान, चालुक्य, परमार, और प्रतिहार।
- चौहानों का दावा है कि वे अग्निकुंड से सबसे अंत में उत्पन्न हुए।
बिजोलिया शिलालेख
- बिजोलिया शिलालेख, 1170 ईस्वी का है, जो पार्श्वनाथ मंदिर में स्थित है।
- शिलालेख के अनुसार चौहान वत्स गोत्री ब्राह्मण हैं।
- वासुदेव चौहान ने सांभर झील का निर्माण करवाया था।
- विग्रहराज चतुर्थ ने दिल्ली को जीता था।
- शिलालेख सोमेश्वर के शासनकाल का है, जिन्होंने गांवों को 'डोली' (भूमि अनुदान) में जमीन दान दी।
- दशरथ शर्मा ने बिजोलिया शिलालेख के आधार पर चौहानों को ब्राह्मण बताया।
प्रमुख चौहान शासक
- वासुदेव चौहान को चौहान वंश का संस्थापक माना जाता है।
- गोविंद तृतीय ने महमूद गजनवी को गुजरात पर आक्रमण करने से रोका था।
- गोविंद तृतीय को जयानक द्वारा 'पृथ्वीराज विजय' में 'वेरिघट्ट' (दुश्मनों को मारने वाला) की उपाधि दी गई।
- अजयराज ने 1113 ईस्वी में अजमेर की स्थापना की।
- अजयराज ने चांदी के सिक्के जारी किए जिन पर अपनी रानी सोमलदेवी का नाम लिखवाया।
अरुणोराज
- अरुणोराज ने अनासागर झील का निर्माण करवाया, यह झील तुर्कों के खून से सनी धरती को साफ़ करने के बाद बनाई गयी थी।
- उसने पुष्कर में वराह मंदिर का निर्माण करवाया, जिसे बाद में जहांगीर ने तोड़ दिया और उसके सामने महल बनवाए।
- उसने मालवा के राजा नरवर्मन को हराया, लेकिन गुजरात के कुमारपाल से हार गया।
विग्रहराज चतुर्थ
- विग्रहराज चतुर्थ ने दिल्ली जीतने के बाद दिल्ली शिवालिक स्तंभ का निर्माण करवाया।
- उसने अजमेर में संस्कृत पाठशाला की स्थापना की, जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक ने तोड़कर अढ़ाई दिन का झोपड़ा (मस्जिद) बनाया।
- उन्होंने 'हरकेली' नामक नाटक लिखा। सोमदेव ने उनके दरबार में 'ललित विग्रहराज' लिखा।
- विग्रहराज चतुर्थ ने बिसलपुर शहर की स्थापना की।
- जयानक 'पृथ्वीराज विजय' में विग्रहराज को कवि बंधु कहते हैं।
- नरपति नाल्ह ने 'बीसलदेव रासो' में विग्रहराज चतुर्थ की प्रेम कहानी का वर्णन किया, जो गोडवाड़ बोली में है।
पृथ्वीराज द्वितीय
- पृथ्वीराज द्वितीय ने मेनाल में सोहेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया अपनी रानी सहावा देवी के नाम पर।
पृथ्वीराज तृतीय (पृथ्वीराज चौहान)
- कम उम्र में राजा बनने पर उनकी मां, कपूरी देवी ने शासन संभाला।
- उन्होंने भंडाणक जनजाति के विद्रोह को कुचल दिया।
- उन्होंने महोबा के युद्ध में परमार्दिदेव चंदेल को हराया।
- परमार्दिदेव चंदेल के सेनापति आल्हा और ऊदल थे।
तराइन के युद्ध
- तराइन का प्रथम युद्ध 1191 में पृथ्वीराज तृतीय और मुहम्मद गौरी के बीच हुआ, जिसमें पृथ्वीराज विजयी हुए।
- तराइन का द्वितीय युद्ध 1192 में हुआ, जिसमें गौरी विजयी हुआ। युद्ध भटिंडा को लेकर हुआ था, जिसे तबरहिंदा भी कहा जाता था।
- दिल्ली के पास पिथौरागढ़ किले का निर्माण करवाया। कला और संस्कृति विभाग की स्थापना की, जिसके मंत्री पद्मनाभ थे।
- उन्हें 'राय पिथौरा' और 'दल पुंगल' की उपाधियाँ मिलीं।
रणथम्भौर के चौहान
- गोविंदराज ने रणथम्भौर में चौहान वंश की स्थापना की। यह पृथ्वीराज चौहान के पुत्र थे।
- वीरनारायण इल्तुतमिश के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए।
- हम्मीर देव ने 17 युद्धों में से 16 जीते।
- जलालुद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर दो बार आक्रमण किया।
- अलाउद्दीन खिलजी ने 1301 में रणथम्भौर पर आक्रमण किया, जिसमें मुहम्मद शाह और केहबरू को शरण देने पर रतिपाल और रणमल ने विश्वासघात किया।
- हम्मीर की रानी रंगदेवी ने जौहर किया, और देवलदे ने जल जौहर किया।
- अमीर खुसरो ने कहा, "आज कुफ्र का घर इस्लाम का घर हो गया।"
- नुसरत खान अलाउद्दीन का सेनापति इस लड़ाई में मारा गया।
- हम्मीर देव ने 'शृंगार हार' नामक पुस्तक लिखी।
- हम्मीर के पिता जैत्रसिंह ने 32 वर्षों तक शासन किया, जिनकी स्मृति में 32 खंभों की छतरी बनाई गई।
- नयनचंद्र सूरी ने 'हम्मीर महाकाव्य' लिखा।
- जोधराज ने 'हम्मीर रासो' लिखा, जो अहीरवाटी बोली में है। चंद्रशेखर ने 'हम्मीर हठ' लिखा
जालौर के चौहान
- कीर्तिपाल ने जालौर में चौहान वंश की स्थापना की, जिन्हें सोनगरा चौहान भी कहा जाता है, सोनगिरी पहाड़ी पर किले के कारण यह नाम पड़ा।
- उदयसिंह ने इल्तुतमिश को हराया और मंडोर तथा नाडोल के किले छीने।
- चाचिंगदेव ने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की।
- चाचिंगदेव के समय नसीरुद्दीन महमूद और बलबन ने जालौर पर आक्रमण नहीं किया।
- कान्हड़देव के शासनकाल में 1308 में सिवाना पर आक्रमण हुआ, जहाँ सांतल और सोम ने शाका किया। अलाउद्दीन ने सिवाना का नाम बदलकर खैराबाद कर दिया।
- 1311 ईस्वी में जालौर पर आक्रमण हुआ, जहाँ कान्हड़देव और वीरमदेव ने शाका किया। जालौर का नाम बदलकर जलालाबाद कर दिया गया।
- बीका दहिया ने जालौर के किले का भेद बताया, जिसे उसकी पत्नी हीरादे ने मार दिया।
- पदमनाभ ने 'कान्हड़दे प्रबंध' और वीरमदेव सोंगरा री बात' नामक पुस्तकें लिखीं।
सिरोही के चौहान
- लुम्बा ने सिरोही में देवड़ा चौहान वंश की स्थापना की और आबू तथा चंद्रावती पर कब्जा किया।
- सहसमल ने 1425 में सिरोही शहर की स्थापना की।
- सुल्तान ने 1583 में दत्ताणी के युद्ध में अकबर को हराया।
- दुरसा आढ़ा ने 'राव सुरतान रा कवित' नामक पुस्तक लिखी।
- दुरसा आढ़ा की मूर्ति अचलगढ़ किले में स्थित है।
- दुरसा आढ़ा ने महाराणा प्रताप पर 'विरुद छ्हत्तरी' नामक पुस्तक लिखी।
- 1823 में शिवसिंह ने अंग्रेजों के साथ संधि की।
बूंदी के चौहान
- देवा ने बूंदी में हाड़ा चौहान वंश की स्थापना की।
- बरसिंह ने तारागढ़ किले का निर्माण करवाया।
- सुरजन ने 1569 में अकबर के साथ संधि की और रणथम्भौर का किला भेंट किया।
- इन्होने द्वारिका में रणछोड़ मंदिर बनवाया।
- चंद्रशेखर ने 'सुरजन चरित्र' लिखा।
- बुद्धसिंह ने नेह तरंग नामक पुस्तक लिखी।
- दलेल सिंह और उम्मेद सिंह के उत्तराधिकार के लिए लड़ाई हुई। मराठों ने उम्मेद सिंह का समर्थन किया था।
- विष्णु सिंह ने अंग्रेजों के साथ संधि की थी।
कोटा के चौहान
- माधव सिंह को शाहजहां ने 1631 में बूंदी से अलग करके कोटा का राजा बनाया।
- मुकुंद सिंह ने कोटा में अबली मीणी का महल बनवाया।
- भीमसिंह ने भगवान कृष्ण की भक्ति में अपना नाम कृष्णदास किया और कोटा का नाम नंदग्राम तथा शेरगढ़ का नाम बरसाना कर दिया।
- उन्होने सांवरिया जी का मंदिर बनवाया।
- उम्मेद सिंह ने 1817 में अंग्रेजों के साथ संधि की।
- उस समय कोटा के दीवान जालिम सिंह झाला थे। अंग्रेजों ने जालिम सिंह झाला के साथ पूरक संधि की और कोटा की सारी शक्ति दीवान को दे दी।
परमार वंश
- परमार वंश की उत्पत्ति आबू पर्वत से हुई।
आबू के परमार
- धूमराज को आबू के परमार वंश का संस्थापक माना जाता है।
- धरणीवराह ने अपने राज्य को नौ भागों में बांटा, जिससे वह नवकोटि मारवाड़ कहलाया।
- धंधुक के शासनकाल में विमल शाह ने देलवाड़ा में आदिनाथ जैन मंदिर (विमल वसही) का निर्माण करवाया।
- जम्स टॉड के अनुसार यह ताजमहल के बाद भारत की दूसरी सबसे सुन्दर इमारत है।
- धंधुक की बेटी लावणीदेवी ने बसंतगढ़ में सूर्य मंदिर और लखिनी बावड़ी का पुनर्निर्माण करवाया।
- धारावर्ष ने मुहम्मद गौरी, कुतुबुद्दीन ऐबक और इल्तुतमिश के खिलाफ लड़ाईयाँ लड़ीं। अचलगढ़ किले में उसकी मूर्ति में उसे तीन भैंसों (गौरी, ऐबक, इल्तुतमिश) को एक साथ बाँधते हुए दर्शाया गया है।
- धारावर्ष ने कासन्द्रा के युद्ध में मुहम्मद गौरी के खिलाफ नायिका देवी का साथ दिया।
- प्रहलादनदेव, धारावर्ष के भाई थे, जिन्होने 'पार्थ पराक्रम व्यायोग' नामक नाटक लिखा।
- प्रहलादनदेव ने पृथ्वीराज चौहान के आबू आक्रमण को विफल किया।
- सोमसिंह गुजरात के मंत्रियों, वास्तुपाल और तेजपाल के शासनकाल में देलवाड़ा में लूणवसही (नेमीनाथ मंदिर) का निर्माण हुआ, जिसे देवरानी जेठानी का मंदिर भी कहा जाता है।
मालवा के परमार
- भोज परमार ने चित्तौड़ में त्रिभुवननारायण मंदिर (समद्धेश्वर मंदिर) का निर्माण करवाया, जिसका मोकल ने जीर्णोद्धार करवाया।
वागड़ के परमार
- डम्बर सिंह को वागड़ में परमार वंश का संस्थापक माना जाता है जिसने अर्थुणा को अपनी राजधानी बनाया।
- मंडलीक ने पानाहेड़ा में मंडलेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया।
प्रतिहार वंश
- हरिश्चंद्र मंडोर के प्रतिहार वंश के संस्थापक थे, अभिलेखों में उन्हें ब्राह्मण बताया गया है। उन्हें रोहिल्लाधि की उपाधि भी दी गयी थी
- रज्जिल ने मंडोर प्रतिहार राजाओं की वंशावली की शुरुआत की
- नागभट्ट प्रथम ने राजधानी को मंडोर से मेड़ता स्थानांतरित किया।
- कक्कुक ने मुंगेर के युद्ध में भाग लिया, जो वत्सराज प्रतिहार और धर्मपाल के बीच लड़ा गया था। उन्होंने ज्योतिष, काव्य, तर्क, व्याकरण आदि का ज्ञान प्राप्त किया था।
- बाऊक ने बाऊक प्रशस्ति जारी की
- कक्कुक ने घटियाला में अभिलेख स्थापित करवाए और बाजार भी स्थापित किया
कछवाहा वंश
- कछवाहा वंश का मानना है कि वे कुश के वंशज हैं , इसलिए उन्हें रघुवंश तिलक कहा जाता है ।
- इसका उल्लेख 1612 ईस्वी के आमेर शिलालेख में किया गया है ।
- आमेर शिलालेख में कहा गया है कि मानसिंह भगवंत दास के पुत्र हैं और उन्होंने जम्मू और रामगढ़ के किले बनवाए हैं।
- दूल्हाराय : इन्होंने सबसे पहले दौसा पर कब्जा किया , जो इनकी पहली राजधानी बनी।
- इसके बाद उन्होंने रामगढ़ पर कब्जा किया , जो कछवाहों की दूसरी राजधानी बनी , जहाँ उन्होंने अपनी माँ , जमुआई माता का मंदिर बनवाया |
प्रमुख कछवाहा शासक
- काकिलदेव : उन्होंने आमेर पर कब्जा किया और अंबिकेश्वर मंदिर बनवाया , जिससे आमेर कछवाहों की तीसरी राजधानी बन गई।
- भारमल : 1562 ईस्वी में साम्भर में अकबर की अधीनता स्वीकार करने वाले पहले राजपूत राजा थे।
- अकबर ने उन्हें 5000 का मनसबदार बनाया ।
- भगवंत दास: उन्हें भी 5000 का मनसबदार बनाया गया ; अकबर ने उन पर विश्वास किया और उन्हें सुरजन को समझाने के लिए भेजा।
- जिसके बाद महाराणा प्रताप को समझाने भी भेजा , और बाद में उन्हें सात वर्षों के लिए पंजाब का गवर्नर बना दिया गया।
- उन्होंने सरनाल (गुजरात ) में मिर्ज़ा विद्रोह का दमन किया , जिसके लिए अकबर ने उन्हें नगाड़ा और झंडा देकर सम्मानित किया ।
- मानसिंह : उन्हें अकबर ने 7000 का मनसबदार बनाया ।
- जहाँगीर के सिंहासन पर बैठने के बाद , अकबर ने मानसिंह को काबुल , बिहार और बंगाल में तैनात किया ।
अफ़ग़ानिस्तान
- काबुल में मानसिंह ने पांच कबीलों (अफ़रीदी , यूसुफ़जई , कजई , रोशनिई , किरमानी)को हराया , जिसके बाद आमेर का झंडा पंचरंगा कर दिया गया।
- झंडे से पहले , आमेर का झंडा सफेद था , जिस पर एक आकृति बनी हुई थी , और इसे झाड़शाही कहा जाता था ।
बिहार
- बिहार में पुरी के जगन्नाथ मंदिर से नासिर खान और क़त्ल ख़ान को हराया ।
- जिसके बाद मानपुर शहर और रोहतासगढ़ किला बनवाया ।
- बंगाल में अकबर नगर का निर्माण करवाया (जिसे अब राजमहल कहा जाता है)।
- वहां के राजा केदार को हराया और शिला माता (देवी ) की मूर्ति लेकर आमेर में स्थापित की - इस कुलदेवी के साथ आमेर की इष्टदेवी जमवाय माता भी हैं। .
- मानसिंह ने वृंदावन में राधा गोविंद मंदिर का निर्माण करवाया।
- मानसिंह की पत्नी कनकावती ने अपने बेटे जगत सिंह की स्मृति में जगत शिरोमणि मंदिर बनवाया।
- उनके दरबार में पुण्डरीक विट्ठल थे , जिन्होंने रागमाला , राग चंद्रोदय , राग मंजरी और नर्तन निर्णय जैसी संगीत पर पुस्तकें लिखीं।
- मुरारी दास : उन्होंने मानप्रकाश लिखा ।
- जगन्नाथ : इन्होंने मानसिंह कीर्ति मुक्तावली लिखी।
- नरोत्तम : उन्होंने मान चरित रासो लिखा ।
- मानसिंह को अकबर द्वारा मिर्जा राजा और फ़र्ज़ंद (बेटा ) की उपाधि दी गई थी ।
- मिर्ज़ा राजा जयसिंह : उन्होंने तीन मुग़ल बादशाहों के साथ कार्य किया : जहाँगीर , शाहजहाँ और औरंगज़ेब ।
- शाहजहाँ ने उन्हें मिर्ज़ा राजा की उपाधि दी ।
- औरंगज़ेब ने उन्हें शिवाजी के खिलाफ भेजा , जिसके परिणामस्वरुप 1665 ईस्वी में पुरंदर की संधि हुई ।
- इतालवी यात्री निकोलो मनुकी , जो इस अभियान में एक तोपची था, ने स्टोरियो डो मोगोर नामक पुस्तक लिखी , जिसमें इस संधि और मुगलों के विषय में बताया गया ।
- मिर्ज़ा राजा जयसिंह ने जयगढ़ किले का निर्माण करवाया जिसका पहला नाम चील का टीला था।
- बिहारी : वे जयसिंह के दरबारी कवि थे , उन्होंने बिहारी सतसई की रचना की और वे ब्रजभाषा के महानतम कवियों में से एक थे ।
- उनके भांजे , कुलपति मिश्र , भी उनके दरबार में थे , जिन्होंने 52 पुस्तकें लिखीं।
- रायकवि ने जयसिंह चरित की रचना की।
सवाई जयसिंह
- उन्होंने सात मुग़ल बादशाहों के साथ कार्य किया
- औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद , उसके बेटों , आज़म और मुअज्ज़म के बीच उत्तराधिकार युद्ध में , सवाई जयसिंह ने आज़म का समर्थन किया ।
- मुअज्ज़म (बहादुर शाह प्रथम) ने आमेर पर विजय प्राप्त की और सवाई जयसिंह को हटा दिया और उनके छोटे भाई विजय सिंह को राजा बनाया।
- मुअज्जम ने आमेर का नाम बदलकर इस्लामाबाद या मोमिनाबाद कर दिया ।
- जिसके बाद सवाई जयसिंह , मारवाड़ के अजीत सिंह और मेवाड़ के अमर सिंह द्वितीय ने 1708 ईस्वी में देबारी समझौता किया। ,
- मुग़लों के खिलाफ अपने राज्य को पुनः प्राप्त करने के लिए।
- अजीत सिंह की सेनाओं ने 1708 ईस्वी में जोधपुर पर और 1709 ईस्वी में सवाई जयसिंह ने सांभर के युद्ध में आमेर पर पुनः कब्जा किया जिसमें उन्हें जीत मिली ।.
- सांभर झील पर जयपुर और जोधपुर के शासकों का संयुक्त नियंत्रण स्थापित हुआ ।
- समझौते के तहत, सवाई जयसिंह को मेवाड़ के शासक अमर सिंह द्वितीय की पुत्री , चंद्र कंवर से विवाह करना पड़ा, जिसके बाद यह समझौता तय पाया गया कि चंद्र कंवर से होने वाला पुत्र ही आमेर का सिंहासन संभालेगा। - सवाई जयसिंह को 1709 ईस्वी में सांभर झील पर मुगल नियंत्रण समाप्त किया और मराठों को गुजरात में रोकने के लिए मुगल सम्राट द्वारा मालवा भेजा गया । .
- सवाई जयसिंह ने मराठा समस्यायें के समाधान के लिए 1734 ईस्वी में हुरडा सम्मेलन का आयोजन किया , जिसकी अध्यक्षता मेवाड़ के जगत सिंह द्वितीय ने की थी ।
- उन्होंने बीकानेर के जोरावर सिंह के खिलाफ जोधपुर के अभय सिंह का समर्थन किया ।
- उन्होंने मुगलों और मराठों के बीच धौलपुर समझौते में मध्यस्थता की ।
- सवाई जयसिंह भारत के अंतिम हिंदू शासक थे जिन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया , जिसके लिए उन्होंने पंडित पुण्डरीक रत्नाकर को नियुक्त किया और जल महल महल बनवाया गया।
- दीप सिंह कुम्भाणी ने अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़ लिया।
जयपुर की स्थापना
- सवाई जयसिंह ने 18 नवंबर 1727 ईस्वी को जयपुर शहर की स्थापना की ।
- शहर के वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य थे ।
- उन्होंने सिटी पैलेस (चंद्र महल) बनवाया , जिसमें सात मंजिल और सबसे ऊपरी मंजिल , मुकुट मंदिर है।
- अपनी रानी के लिए , उन्होंने सिसोदिया रानी का महल बनवाया।
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