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Questions and Answers
ब्रायोफाइटा को 'पादप जगत का उभयचर' क्यों कहा जाता है?
ब्रायोफाइटा को 'पादप जगत का उभयचर' क्यों कहा जाता है?
- क्योंकि वे गैर-वैस्कुलर क्रिप्टोगैम हैं।
- क्योंकि वे थैलस और एम्ब्रियोफाइटा के बीच पाए जाते हैं।
- क्योंकि वे पहले स्थलीय पौधे हैं, लेकिन वृद्धि और निषेचन के लिए जल आवश्यक है। (correct)
- क्योंकि वे केवल जल में पाए जाते हैं।
पश्चिमी हिमालय को लिवरवर्ट का 'गोल्ड माइन' क्यों कहा जाता है?
पश्चिमी हिमालय को लिवरवर्ट का 'गोल्ड माइन' क्यों कहा जाता है?
- क्योंकि यहां लिवरवर्ट की दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं। (correct)
- क्योंकि यहां लिवरवर्ट की खेती की जाती है।
- क्योंकि यहां लिवरवर्ट से सोना निकाला जाता है।
- क्योंकि यहां लिवरवर्ट सोने के रंग के होते हैं।
ब्रायोफाइटा में राइजोइड्स का मुख्य कार्य क्या है?
ब्रायोफाइटा में राइजोइड्स का मुख्य कार्य क्या है?
- प्रजनन में मदद करना
- पौधे को स्थिर करना और जल और खनिजों को अवशोषित करना (correct)
- भोजन का परिवहन करना
- प्रकाश संश्लेषण करना
निम्नलिखित में से कौन सा ब्रायोफाइटा का सामान्य लक्षण नहीं है?
निम्नलिखित में से कौन सा ब्रायोफाइटा का सामान्य लक्षण नहीं है?
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन स्केल के बारे में सही है?
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन स्केल के बारे में सही है?
निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है?
ब्रायोफाइटा में पीढ़ी एकांतर (अल्टरनेशन ऑफ जनरेशन) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
ब्रायोफाइटा में पीढ़ी एकांतर (अल्टरनेशन ऑफ जनरेशन) के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
निम्नलिखित में से कौन सा रिक्सिया की एकलिंगाश्रयी (मोनोइकस) प्रजाति है?
निम्नलिखित में से कौन सा रिक्सिया की एकलिंगाश्रयी (मोनोइकस) प्रजाति है?
मार्केशिया के इलाटर्स की विशेषता क्या है?
मार्केशिया के इलाटर्स की विशेषता क्या है?
फ्यूनेरिया में पेरिस्टोमियल दांतों की संख्या कितनी होती है और वे किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं?
फ्यूनेरिया में पेरिस्टोमियल दांतों की संख्या कितनी होती है और वे किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं?
Flashcards
ब्रायोफाइटा
ब्रायोफाइटा
वर्षा के समय दीवारों के सहारे उगने वाले मखमल जैसे पौधे, जिनमें सत्य जड़ नहीं होती।
नॉन वैस्कुलर क्रिप्टोगेम्स
नॉन वैस्कुलर क्रिप्टोगेम्स
ब्रायोफाइटा को नॉन वैस्कुलर क्रिप्टोगेम्स भी कहा जाता है क्योंकि इनमें वैस्कुलर बंडल नहीं होते और पुष्प का विकास नहीं होता।
पादप जगत का उभयचर
पादप जगत का उभयचर
ब्रायोफाइटा को पादप जगत का उभयचर भी कहा जाता है।
जुप्सिस अर्जेंटियाना
जुप्सिस अर्जेंटियाना
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डाउजो निया सुपरबा
डाउजो निया सुपरबा
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स्फागनम
स्फागनम
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मुख्य पौधा
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राइजोइड्स का कार्य
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लैंगिक प्रजनन का प्रकार
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बीजाणुभिद् की पहली कोशिका
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Study Notes
ब्रायोफाइटा का परिचय
- ब्रायोफाइटा वर्षा के समय दीवारों के सहारे उगने वाले मखमल जैसे पौधे होते हैं।
- ये पौधे शुष्क होने पर सूख जाते हैं।
- इनमें सत्य जड़ नहीं होती, बल्कि जड़ जैसी संरचनाएं होती हैं जिन्हें राइजोइड्स कहते हैं।
- ब्रायोफाइटा में तना और पत्ती जैसी संरचनाएं होती हैं, लेकिन सत्य जड़ का अभाव होता है।
ब्रायोफाइटा शब्द का प्रयोग और ब्रायोलॉजी के जनक
- ब्रायोफाइटा शब्द का सबसे पहले प्रयोग रॉबर्ट ब्राउन ने किया था।
- हेडविग को ब्रायोलॉजी का जनक माना जाता है।
- प्रोफेसर शिवराम कश्यप को भारतीय ब्रायोफाइटा का जनक माना जाता है।
टिप्पो का वर्गीकरण
- टिप्पो ने ब्रायोफाइटा को एट्रैकिएटा के अंतर्गत शामिल किया, क्योंकि इनमें ट्रेकिड नहीं होते।
ब्रायोफाइटा के अन्य नाम
- ब्रायोफाइटा को नॉन वैस्कुलर क्रिप्टोगेम्स भी कहा जाता है, क्योंकि इनमें वैस्कुलर बंडल नहीं होते और पुष्प का विकास नहीं होता।
- ब्रायोफाइटा को पादप जगत का उभयचर (एम्फीबियन ऑफ़ प्लांट किंगडम) भी कहते हैं।
- ब्रायोफाइटा को एम्ब्रियोफाइटा का सबसे सरल और आदिम समूह भी माना जाता है।
- ब्रायोफाइटा को थैलोफाइटा और एम्ब्रियोफाइटा के बीच में रखा गया है।
पश्चिमी हिमालय का महत्व
- पश्चिमी हिमालय लिवरवर्ट का गोल्ड माइन कहलाता है।
ब्रायोफाइटा का प्रभुत्व और विकास
- ब्रायोफाइटा पृथ्वी पर लगभग 350 मिलियन वर्ष पहले प्रभावी हुए, पलियोजोइक और मेसोज़ोइक एरा में।
ब्रायोफाइटा के आकार
- सबसे छोटा ब्रायोफाइटा जुप्सिस अर्जेंटियाना है।
- सबसे बड़ा ब्रायोफाइटा डाउजो निया सुपरबा है।
- सबसे लंबा ब्रायोफाइटा फोंटिनेलिस होता है।
ब्रायोफाइटा का निवास स्थान
- ब्रायोफाइटा मुख्य रूप से शाकीय (हर्बेसियस) और स्थलीय (टेरेस्ट्रियल) होते हैं।
- ये नम और छायादार स्थानों पर उगना पसंद करते हैं।
ब्रायोफाइटा की वृद्धि और प्रजनन
- ब्रायोफाइटा बरसात के मौसम में वृद्धि करते हैं।
- ये पहले स्थलीय पौधे हैं, लेकिन इनकी वृद्धि और निषेचन के लिए जल आवश्यक है।
ब्रायोफाइटा की प्रजातियाँ
- ब्रायोफाइटा में 960 जेनेरा और लगभग 24,000 प्रजातियाँ हैं।
जलीय ब्रायोफाइटा
- रिक्सिया फ्लूटेंस, रिक्सियोकार्पस नेटेंस, और रिओला जलीय ब्रायोफाइटा हैं।
सप्रोफिटिक ब्रायोफाइटा
- बुक्स बामिया एफ़ाइला, क्रिप्टोथैलस मिराबिलिस, और मिनियम हॉर्नम सप्रोफिटिक ब्रायोफाइटा हैं।
ज़ेरोफाइटिक ब्रायोफाइटा
- पोलिट्रिकम डेस्टोर्म और पोलिट्रिकम टोरटूओसम ज़ेरोफाइटिक ब्रायोफाइटा हैं।
चट्टानों पर उगने वाले ब्रायोफाइटा
- पोरेला प्लैटिफाइला शुष्क चट्टानों पर पाया जाता है।
एपिफाइटिक ब्रायोफाइटा
- फुलानिया, रेडुला, और डेंड्रोसीरास एपिफाइटिक ब्रायोफाइटा हैं।
ब्रायोफाइटा के सामान्य नाम
- स्फागनम को पीट मास, टर्फ मास, बॉग मास, और कॉटन मास के नाम से जाना जाता है।
- फोंटिनेलिस को ब्रुक मॉस कहते हैं।
- डाउजो निया को ऑस्ट्रेलियन मॉस कहते हैं।
- फ्यूनेरिया को कॉमन मॉस, ग्रीन मॉस या कॉर्ड मॉस कहते हैं।
- पॉलीट्रिकम को हेयर कैप मॉस कहते हैं।
- पोगनेटम को गोल्डन मेडन हेयर मॉस कहते हैं।
- एंड्र्रिया को ग्रेनाइट मॉस कहते हैं।
ब्रायोफाइटा का वर्गीकरण
- ब्रायोफाइटा को तीन क्लास में बांटा गया है: हिपेटिकॉप्सिडा (लिवरवर्ट), एंथोसिरोटोप्सिडा (हॉर्नवर्ट), और ब्रायोप्सिडा (मोसेस)।
ब्रायोफाइटा के सामान्य लक्षण
- मुख्य पौधा युग्मकोद्भिद (गैमेटोफाइट) होता है।
- गैमेटोफाइट दो भागों में बंटा होता है: थैलोस और फोलियोस।
थैलोस
- छोटा, हरा, चपटा, पतला और सीधा होता है।
- पृष्ठाधारीय (डॉर्सवेंट्रल) होता है और इसमें द्विभाजीय शाखाएं होती हैं।
- प्रत्येक शाखा में दो लोब होते हैं।
- रिक्सिया और मार्केशिया में सिंगल मध्यशिरा (मिड्रिब) पाई जाती है।
- एंथोसिरास में मिड्रिब अनुपस्थित होती है।
- इसमें दो सतहें होती हैं: पृष्ठीय (डॉर्सल) और उदर (वेंट्रल)।
- पृष्ठीय भाग चिकना होता है और उदर भाग राइजोइड्स और स्केल प्रदान करता है।
राइजोइड्स
- राइजोइड्स यूनिकोषिकीय (यूनिसेल्यूलर) और अशाखित (अनब्रांched) होते हैं।
- राइजोइड्स दो प्रकार के होते हैं: स्मूथ वाल्ड (चिकनी भित्ति वाले) और ट्यूबरकुलेट वाल्ड (ग्रंथिल भित्ति वाले)।
- स्मूथ वाल्ड राइजोइड्स पेलिया और एंथोसिरास में पाए जाते हैं।
- ट्यूबरकुलेट वाल्ड राइजोइड्स रिक्सिया और मार्केशिया में पाए जाते हैं।
- रिक्सिया और मार्केशिया में राइजोइड्स एककोशिकीय होते हैं, जबकि फ्यूनेरिया में बहुकोशिकीय होते हैं।
- राइजोइड्स उच्च कुल के पौधों की जड़ों के अनुरूप होते हैं।
- राइजोइड्स पौधे को स्थिर करने और जल और खनिजों को अवशोषित करने का कार्य करते हैं।
स्केल
- स्केल उदर सतह से निकलते हैं।
- स्केल कुछ लिवरवर्ट में पाए जाते हैं, जैसे रिक्सिया और मार्केशिया।
- स्केल एंथोसिरास और मोसेस में अनुपस्थित होते हैं।
- स्केल बहुकोशिकीय होते हैं।
- स्केल का रंग बैंगनी होता है।
- स्केल दो प्रकार के होते हैं: लाग्यूलेट और अपेंडिकुलेट।
- मार्केशिया में दोनों प्रकार के स्केल पाए जाते हैं, जबकि रिक्सिया में केवल लाग्यूलेट स्केल पाए जाते हैं।
- स्केल बढ़ते हुए बिंदु की रक्षा करते हैं और नमी बनाए रखते हैं।
फोलियोस फार्म
- फोलियोस फार्म राइजोइड्स और पत्तियाँ धारण करते हैं।
- मोसेस में अतिरिक्त अक्षीय शाखाएँ (एक्स्ट्रा एक्सिलरी ब्रांचेस) पाई जाती हैं।
ब्रायोफाइटा की आंतरिक संरचना
- ब्रायोफाइटा नॉन वैस्कुलर क्रिप्टोगेम्स होते हैं, इसलिए इनमें जाइलम और फ्लोएम अनुपस्थित होते हैं।
- थैलोस आंतरिक रूप से एक प्रकार की कोशिकाओं (पैरेंकाइमा) से बना होता है।
- लोअर एपिडर्मिस: रिक्सिया एक जलीय प्रजाति है
- अप्पर एपिडर्मिस
- स्टोरेज रीजन
- फोटोसिंथेटिक रीजन
- एयर चेंबर
- एयरपोर
रिक्सिया के थैलोस की संरचना
- इसमें निचली एपिडर्मिस, राइजोइड्स, स्केल, ऊपरी एपिडर्मिस, स्टोरेज रीजन, फोटोसिंथेटिक फिलामेंट, एयर चेंबर और एयर पोर होते हैं।
- रिक्सिया ग्लाका में चार कोशिकीय फोटोसिंथेटिक फिलामेंट होते हैं।
- रिक्सिया क्रिस्टालाइना में आठ कोशिकीय फोटोसिंथेटिक फिलामेंट होते हैं।
जनन
- लैंगिक अंग बहुकोशिकीय और जैकेट युक्त होते हैं।
- लैंगिक प्रजनन अंड युग्मन प्रकार का होता है।
- पौधे एकलिंगाश्रयी (मोनोइकस) या द्विलिंगाश्रयी (डायोसियस) हो सकते हैं।
नर जननांग
- नर जननांग को एंथरीडियम कहते हैं।
- ये थैलोस की पृष्ठीय सतह पर या मेल रिसेप्टकल (एंथीडियोफोर) पर होते हैं।
- अधिकांश ब्रायोफाइटा में एंथरीडिया की उत्पत्ति बाह्यकोशिकीय होती है, लेकिन एंथोसिरास में अंतः कोशिकीय होती है।
मादा जननांग
- मादा जननांग को आर्चीगोनियम कहते हैं।
- सबसे बड़ी आर्चीगोनियम फ्यूनेरिया में पाई जाती है।
- आर्चीगोनियम की उत्पत्ति बाह्यकोशिकीय होती है।
- आर्चीगोनियम फ्लास्क के आकार की होती है और तीन भागों में बंटी होती है: स्टॉक, वेंटर और नेक।
निषेचन
- निषेचन के लिए जल आवश्यक है।
- एंथ्रोजोइड्स रसायनानुवर्तन द्वारा आकर्षित होते हैं।
- इस प्रकार का निषेचन जूआईडोगैमस कहलाता है। ज़ॉइड तैरकर आते हैं।
- युग्मनज (जाइगोट) बीजाणुभिद् (स्पोरोफाइट) की पहली कोशिका है।
- बीजाणु (स्पोर) युग्मकोद्भिद (गैमेटोफाइट) की पहली कोशिका है।
- सभी ब्रायोफाइटा समयुग्मकी (होमोस्पोरस) होते हैं।
पीढ़ी एकांतर
- ब्रायोफाइटा में पीढ़ी एकांतर विषमकारिक होती है।
- जीवन चक्र द्विगुणित-अगुणित प्रकार का होता है क्योंकि इसमें बीजाणुजनित अर्धसूत्री विभाजन होता है।
पीढ़ी एकांतर (अल्टरनेशन ऑफ जनरेशन)
- युग्मकोद्भिद अवस्था (गैमेटोफाइट स्टेज) अगुणित (n) होती है। बीजाणुभिद् अवस्था (स्पोरोफाइट स्टेज) द्विगुणित (2n) होती है।
- युग्मकोद्भिद अवस्था स्वतंत्र और बड़ी होती है, जबकि बीजाणुभिद् अवस्था आश्रित और छोटी होती है।
- पोलिट्रिकम कम्यून का उपयोग किडनी और पित्ताशय की पथरी को घोलने में किया जाता है।
रिक्सिया
- रिक्सिया की जलीय प्रजाति रिक्सिया फ्लूटेंस है।
- नर्स सेल रिक्सिया में पाई जाती हैं।
- रिक्सिया पसोनी में बीजाणुओं का आइसोबाइलेटरल अरेंजमेंट पाया जाता है।
- रिक्सिया की द्विलिंगाश्रयी प्रजातियाँ रिक्सिया हिमालयेंसिस, रिक्सिया डिस्कोलर, रिक्सिया फ्रॉस्टी और रिक्सिया पर्सोनी हैं।
- रिक्सिया की एकलिंगाश्रयी प्रजातियाँ रिक्सिया क्रिस्टालाइना, रिक्सिया ग्लाका और रिक्सिया रोबस्टा हैं।
मार्केशिया
- मार्केशिया में बीजाणु मातृ कोशिका और इलेटर मातृ कोशिका दोनों द्विगुणित होती हैं।
- मार्केशिया के इलाटर्स द्विगुणित और हाइड्रोस्कोपिक होते हैं।
- जेमा कप मार्केशिया में पाए जाते हैं।
फ्यूनेरिया
- फ्यूनेरिया में पेरिस्टोमियल दांत ऑर्थोडॉन्टस प्रकार के होते हैं।
- फ्यूनेरिया में पेरिस्टोमियल दांतों की संख्या 32 होती है (16-16 की दो पंक्तियों में)।
- फ्यूनेरिया में मूलाभासों में तिरछे पटों के साथ बहुकोशिकीय पाए जाते हैं।
- कैलिप्ट्रा का निर्माण आर्किगोनियम के वेंटर से होता है।
- मध्य ऊतक कैप्सूल भाग का केंद्रीय बाँझ ऊतक है। फ्यूनेरिया का आध्र भाग
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