भीष्म साहनी की कहानी 'फैसला'

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Questions and Answers

किस कहानी में मजिस्ट्रेट शुक्ला जी की ईमानदारी का चित्रण किया गया है?

  • निर्णय
  • सत्याग्रह
  • फैसला (correct)
  • जनता का फैसला

शुक्ला जी ने अपनी माँ से क्या वचन दिया था?

  • वह सरकारी नौकरी नहीं करेंगे
  • किसी बेगुनाह को सजा नहीं देंगे (correct)
  • वह जजी की नौकरी छोड़ेंगे
  • वह हमेशा ईमानदारी से काम करेंगे

क्या वजह थी कि शुक्ला जी ने जैलदार को रिहा किया?

  • जेल की कड़ी सजा से बचाने के लिए
  • उन्होंने निजी तहकीकात की थी (correct)
  • इन्हें सबूत नहीं मिले थे
  • کیونکہ وہ خود مجرم تھے

थानेदार ने शुक्ला जी को किस चीज़ का दोषी ठहराया?

<p>रिश्वतखोरी (B)</p>
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शुक्ला जी किन कारणों से जजी की नौकरी छोड़कर अध्यापक बने?

<p>उन्हें न्यायप्रियता का वचन पूरा नहीं कर पाने के कारण (A)</p>
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शुक्ला जी के जीवन का किस तथ्य को कहानी में दर्शाया गया है?

<p>अध्यापक बनना और किताबें लिखना (C)</p>
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शुक्ला जी की माँ को दिए गए वचन का उल्लंघन किस कारण हुआ?

<p>जेलदार को सजा हो गई (D)</p>
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किस शहर में हीरालाल सरकारी नौकरी कर रहा था?

<p>फिरोजपुर (B)</p>
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किस प्रकार की सजा जैलदार को मिली?

<p>कड़ी सजा (C)</p>
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किसने शुक्ला जी से बदला लेने के लिए चाल चली?

<p>थानेदार (A)</p>
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Study Notes

भीष्म साहनी की कहानियाँ

  • गाँव और कस्बों के जनजीवन का यथार्थ चित्रण।
  • ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।

कहानी 'फैसला'

  • मजिस्ट्रेट शुक्ला जी की ईमानदारी का रोचक प्रस्तुतीकरण।
  • लेखक हीरालाल के साथ खेतों की ओर घूमने का उल्लेख, शुक्ला जी से परिचय।

शुक्ला जी का परिचय

  • प्रथम प्रयास में प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर मजिस्ट्रेट बने।
  • सरकारी नौकरी में हीरालाल के साथ फिरोजपुर में कार्यरत।

न्यायप्रियता का वचन

  • शुक्ला जी ने माँ को वचन दिया था कि वे बेगुनाह को सजा नहीं देंगे।

मुकदमे का संदर्भ

  • राहगीर की पिटाई का मामला कचहरी में पेश हुआ।
  • जैलदार दोषी सिद्ध, पर शुक्ला जी ने निजी तहकीकात की।

जैलदार की रिहाई

  • थानेदार की दुश्मनी का पता चलते ही शुक्ला जी ने जैलदार को रिहा किया।
  • थानेदार ने अपनी चाल से शुक्ला जी को धोखा दिया।

परिणाम

  • थानेदार ने शुक्ला जी को रिश्वतखोर सिद्ध किया।
  • शुक्ला जी की जिलेभर में बदनामी, पाँच साल प्रमोशन से वंचित।

अंततः

  • शुक्ला जी अपनी माँ से न्यायप्रियता का वचन पूरा नहीं कर पाए।
  • जज की नौकरी छोड़, सफल अध्यापक बने और ईमानदारी से जीवन व्यतीत किया।
  • अच्छी पुस्तकों की लेखन के क्षेत्र में कदम रखा।

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